Our site can help you find a professional massage girl in Solan who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.
Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Solan that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.
Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Solan massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.
Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Solan who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.
Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Solan massage service, which makes it easier to obtain more customers.
There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.
A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Solan massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.
This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Solan who are good at deep tissue treatments that function effectively.
Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Solan employ the use of custom oil preparations to make you feel good.
A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Solan helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.
Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Solan
Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Solan at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:
Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.
Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.
When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.
The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.
All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.
To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.
Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.
You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.
It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.
Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.
मैं अन्तर्वासना का Antarvasna बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ। आज मैं आप लोगों को अपनी पहली सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूँ। मुझे यकीन है कि आप सबको यह बहुत पसंद आएगी। कृपया अपने विचार मुझे मेल करें। अब आपका ज्यादा वक्त न लेते हुए मैं अपनी कहानी पर सीधे ही आ जाता हूँ।
मेरी उम्र बत्तीस साल है और मैं शादीशुदा हूँ। फ़िर भी मेरी यह अभी की घटना है जो आप लोगो को लंड और चूत को खुजलाने के लिए मजबूर कर देगी।
मैंने अहमदाबाद में नया रेस्तराँ खोला था जहाँ पर वो आया करती थी।
उसकी उम्र करीब 19 साल के रही होगी और वो एक छरहरे बदन वाली पतली और लम्बी सी लड़की थी।
वो हमेशा बहुत उदास लगती थी और बड़ी मुश्किल से उसके चेहरे पर हंसी देखने मिलती थी।
एक दिन वो अकेली ही आई और रोने लगी तो मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसके पास गया।
मैंने उससे उसका नाम पूछा और उसके रोने की वजह भी।
तब तक मेरे मन में उसके लिए कोई सेक्स के विचार नहीं थे, मैं तो बस इंसानियत के नाते ही उसकी मायूसी की वजह पूछने यूं ही उसके पास चला गया था।
मेरे पूछने पर उसने अपना नाम झलक बताया और वो मुझसे लिपट कर रोने लगी।
मैंने उसे तब तो दूर हटा दिया लेकिन फ़िर उसे बाहर बुलाकर अपनी गाड़ी में बिठाकर उसके रोने की वजह पूछी तो उसने बताया कि किसी जॉनी नाम के लड़के ने उसका दिल दुखाया था जिससे वो कभी बहुत प्यार करती थी।
जबकि वो लड़का अब दूसरी लड़की के साथ घूम रहा है, जो उससे बर्दास्त नहीं हुआ और वो उस दिन से उदास रहने लगी थी।
मुझसे उसका रोना नहीं देखा गया तो मैंने ऐसे ही उसे कह दिया कि वो दुखी न हो और जो हुआ उसे भूल जाए क्योंकि आगे भी बहुत लम्बी जिंदगी पड़ी है, उसकी किस्मत में कोई और अच्छा लड़का लिखा होगा।
मैंने गाड़ी में ही उसका बदन सहलाया और उसे सांत्वना देने लगा।
अनजाने में ही मेरा हाथ उसकी पीठ पर चला गया जहां पर उसके ब्रा की पट्टी मेरे हाथों को छू रही थी।
वो मुझे कहने लगी- आप बहुत अच्छे हैं ! मुझे आपकी कंपनी बहुत अच्छी लगती है।
तो मैंने उसे कहा- जब भी मायूसी महसूस हो तो मुझसे फ़ोन पर कर लिया करना।
और हम दोनों ने अपने फ़ोन नंबर का आदान प्रदान किया।
अब वो मुझे अक्सर फ़ोन करने लगी और मैं भी उसे बच्ची समझ कर उसे खुश रखने के चक्कर में उससे बातें करने लगा।
एक दिन मैं उसे फ़िल्म दिखने ले गया जिसका नाम था किलर।
इमरान हाशमी के चुम्बन दृश्य देखकर मैं पलभर के लिए भूल गया कि वो मेरे सामने एक छोटी बच्ची है और मुझे उस नजर से नहीं देखती।
पर मुझसे नहीं रहा गया और मैंने उसे बाहों में लेकर उसके होठों का गहरा सा चुम्बन ले डाला।
तो वो मुझसे नाराज हो गई और कहने लगी- आप मुझसे उम्र में बहुत बड़े है और मैं आपकी बहुत इज्जत करती हूँ, ऐसी गिरी हुई हरकत की मैंने आपसे उम्मीद नहीं की थी।
तो मैं सकते में आ गया और पूरी मूवी उससे एक निश्चित अन्तर बनाकर बैठा रहा और उससे कोई बात नहीं की।
फ़िल्म ख़त्म होते ही मैंने उसे गाड़ी में बिठाया और एक बार सॉरी बोलकर फ़िर उसके साथ कोई बातचीत नहीं की।
पूरे रास्ते हम चुप ही रहे।
मैंने उसे उसके घर उतरने के समय पर फ़िर एक बार सॉरी कहा और सोचने लगा कि मुझसे ऐसी छोटी हरकत कैसे हो गई।
मुझे उसका चुम्बन याद आने लगा।
दो दिन तक उसका फ़ोन नहीं आया तो मैं समझा कि झलक मुझसे उस दिन की बात को लेकर नाराज़ हो गई है और मुझसे रिश्ता तोड़ दिया है, लेकिन फ़िर एक दिन वो मेरे रेस्तराँ पर आई और मेरे पास बैठ गई।
मैं उसे देखकर बहुत खुश हुआ लेकिन बहुत ही सावधानी बरतने लगा कि कहीं फ़िर से कोई गलती ना हो जाए ताकि वो मुझसे फ़िर से नाराज ना हो जाए।
अचानक वो बोली- क्या मुझे अपनी कार में लॉन्ग ड्राइव पर नहीं ले जाओगे?
मैंने हाल ही में एक नई इम्पोर्टेड कार ली थी सो उसे ले गया।
बारिश का मौसम था और वो मेरी ड्राइविंग सीट के बाजू में बैठी थी, उसने मुझसे कहा- उस दिन की घटना के बारे में मैंने बहुत सोचा और फ़िर मुझे लगा कि तुमने कोई गलती नहीं की थी और काफ़ी सोचने के बाद मुझे सिर्फ़ आपका मेरे लिए प्यार ही दिखाई दिया।
मैं यह भूल गई हूँ कि तुम मुझ से उम्र में इतने बड़े हो, मैं भी अब तुमसे प्यार करने लगी हूँ।
बातों बातों में ही वो आप से तुम पर उतर आई थी, यह मुझे अच्छा लगा और मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया और जोर से उसे चूमने लगा।
इस बार उसने कोई विरोध नहीं किया बल्कि मेरा साथ देने लगी।
मैंने बहुत ही लड़कियाँ चोदी थी लेकिन उसके जैसा चुम्बन का मज़ा मुझे कभी भी नहीं आया था सो मैं उसे करीब बीस मिनट तक चूमता रहा।
कार एक साइड पर रुकी हुई थी और बारिश की वजह से हाइवे पर भी कोई नजर नहीं आ रहा था तो मैंने उसे कार की पिछली सीट पर जाने को कहा और मैं भी पीछे चला गया।
इम्पोर्टेड कार की पिछली सीट एक बड़ा सा बेड बन जाती है सो मैंने उसे बड़ा करके उसे अपनी बाँहों में ले लिया और फ़िर उसके होंठ चूसने लगा।
इस बार उसने भी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मुझे बेसब्री से चूमने लगी।
मेरे हाथ धीरे-धीरे उसके बदन पर रेंगने लगे थे।
मैंने उसकी टी-शर्ट ऊपर उठा दी और उसके स्तन एक हाथ से दबाने लगा तो वो मेरे और भी करीब आ गई, उसके मुँह से अब आहें निकलने लगी थी, उसका मुँह लाल हो गया था, उसकी आंखें बंद हो गई थी और वो मुझसे ऐसे लिपट गई थी जैसे कि कोई बेल पेड़ से लिपटी हो।
आखिर मैंने उसकी टी-शर्ट और ब्रा दोनों निकाल दिए। ओह माय गोड ! उसके स्तन क्या खूबसूरत थे ! छोटे से लेकिन बहुत ही ठोस !
अब उससे भी सब्र नहीं हो रहा था तो वो मुझे कहने लगी कि उसे कुछ हो रहा है।
उसका यह पहली बार था तो उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या हो रहा है।
मेरा भी वैसे तो इतनी कम उम्र की लड़की के साथ यह पहली बार ही तो था।
मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया जो फ़ूल कर एक सख्त लोहे की छड़ जैसा हो गया था।
पहले तो उसने उसे पकड़ने से मना किया लेकिन बाद में वो मान गई और उस पर हाथ लगाया।
लेकिन वो अभी भी शरमा रही थी और हाथों को कोई हरकत नहीं दे रही थी।
सो उसकी शर्म दूर करने के लिए मैंने आखिर में अपनी पैंट और अन्डरवीयर खोल कर पूरा लंड निकाल कर उसके हाथ में दे दिया जो कि अब तन कर करीब साढ़े सात इंच का हो गया था और फ़ूल कर तीन इंच के लोहे के पाइप जैसे सख्त भी हो गया था।
वो अभी भी हिचकिचा रही थी सो मेरे लंड पर हाथ रखकर बैठी रही।
अब मैंने देर न करते हुए उसकी जींस उतार दी।
उसने थोड़ी सी ना-नुकुर की, बाद में सहमत हो गई तो मैंने उसकी अन्डरवीयर भी निकाल दी।
अब हम दोनों नंगे थे।
मैंने उसके ठोस स्तनों को चूसना शुरू किया।
अचानक मैंने अपने लंड पर उसके हाथ का दबाव महसूस किया तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए।
मैंने उसकी चूत के दर्शन करने के लिए अपना सर नीचे किया- क्या चूत थी उसकी ! हल्के से सुनहरे रोएँ ही आए थे उसके ऊपर ! और इतनी कसी हुई थी की मुश्किल से मेरी एक उंगली भी उसमें न जा सके।
मैंने उसकी चूत को एक हाथ से रगड़ना शुरु किया तो दूसरे हाथ से उसके स्तन दबाने लगा और मेरे होंठ अभी भी उसके होठों को चूस रहे थे।
वो भी मुझे बराबर का साथ दे रही थी।
उसकी आंखें नशे में बंद हो गई थी और वो बेसब्री से मेरे लंड को हाथों मे लिए अपनी चूत पर रगड़ने लगी।
मैंने लंड को चूत से छूने दिया तो मुझे वहाँ पर गीलापन महसूस हुआ।
मैंने उंगली से देखा तो उसकी चूत पानी छोड़ कर एक दम चिकनी और मस्त हो गई थी।
मैंने अब देर न करते हुए उसे लिटा दिया और उसके ऊपर आ गया।
मैंने उसे पूछा- कभी सेक्स किया है?
तो उसने मुझे ना कहा।
मैंने अब हल्के से अपने लंड का सुपारा उसकी चूत में घुसेड़ा तो वो दर्द के मारे तिलमिला उठी और मुझे अपने ऊपर से धकेलने लगी।
लेकिन मैंने उसे ठीक से पकड़ रखा था इसलिए वो हिल नहीं सकी।
अब मैं ज्यादा लंड अन्दर करने की बजाये उतना ही डाले हुए उसके स्तन दबाने लगा, साथ में उसे चूमने लगा।
थोड़ी देर में ही उसकी चूत के पानी की वजह से लंड के सुपारे ने उसकी चूत में जगह बना दी तो वो नीचे से अपने कूल्हे ऊपर नीचे करने लगी। अब मेरे तर्जुबे ने मुझे कहा कि चूत तैयार है, पेल दो।
तो मैंने हल्का सा धक्का मारा और मेरा आधा लंड उसकी पनियाई चूत में घुस गया और वो जोर से चिल्लाई।
मैंने नीचे देखा तो उसकी चूत की ज़िल्ली फट गई थी और उसमें से खून की दो बूंदे छलक आई थी।
पर मैंने उसका मुँह अपने होठों से फ़िर एक बार बंद किया और आधा ही लंड उसकी चूत में डाले फ़िर से अपने मोटे लंड के लिए जगह बनाने लगा।
उफ़ क्या कसाव था उसकी चूत में ! ऐसा लगता था कि मेरा लंड छिल जाएगा। एकदम कस के उसकी चूत की दोनों फ़ांकों ने उसे जकड़ रखा था।
उसकी चूत बुरी तरह से चौड़ी होकर फ़ैल गई थी और वो मेरे बाहों में से निकलने के लिए छटपटा रही थी लेकिन मैं कहाँ उसे छोड़ने वाला था अब।
आहिस्ता से उसके प्यारे और मासूम से चेहरे पर से दर्द की लकीरें कम होने लगी और वो अपनी गांड उछाल बैठी तो मैंने कस के जो एक धक्का मारा कि मेरा पूरा लंड उसकी चिकनी चूत में समां गया और उसकी बच्चेदानी से जा टकराया।
उसने फ़िर एक बार चिल्लाने की कोशिश की लेकिन मेरे होठों ने उसे रोक दिया।
अब मैं उसके ऊपर बिना कोई हरकत किए पड़ा रहा।
थोड़ी देर के बाद जब वो सामान्य हुई तो मैंने धक्के मारने चालू किए।
वो भी अब अपने दांतों को अपने होठों से भींच कर होने वाले दर्द को बर्दाश्त करने लगी।
फ़िर उसे दर्द का एहसास कम हुआ तो उसने अपना मुँह खोल दिया और अपनी आंखें बंद कर ली और प्यार से अपनी गांड उचकने लगी।
अब मैंने भी धक्के थोड़े से तेज कर दिए थे।
थोड़ी देर में ही उसने मुझे जोर से जकड़ लिया और गहरी सांसें लेने लगी तो मुझे पता चला कि उसका पानी निकल गया है।
उसे उसकी चूत मे बुरी तरह से फंसे मेरे मोटे लंड का एहसास फ़िर एक बार होने लगा और वो मुझसे अपना लंड निकालने को कहने लगी।
मैंने उसे ढांढस बंधाया कि थोड़ा सा दर्द होगा, पहली बार है इसलिए, लेकिन फ़िर मज़ा आएगा।वो बहुत छटपटा रही थी लेकिन मैंने उसे कस के रखा हुआ था जिससे वो निकल नहीं सकती थी।
मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में बहुत कस के आ-जा रहा था।
इतनी टाइट चूत मुझे बहुत अरसे के बाद मिली थी और इधर मेरा लंड था कि पानी छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।
इधर झलक की हालत बहुत ही ख़राब हो रही थी। मैंने अब जोर से धक्के मारने शुरू कर दिए।
मेरे धक्कों से वो और मेरी कार दोनों बुरी तरह से हिल रहे थे।
60 से 70 धक्कों के बाद आखिर में मेरे लंड ने पानी उगलना शुरू किया तो जैसे कि उसकी चूत में सैलाब ही आ गया।
मेरे लंड ने इतना सारा पानी छोड़ा कि उसकी टाइट चूत से भी रिस कर बाहर आकर उसकी गांड के ऊपर से बहने लगा।
मेरा लंड अभी भी टाइट था और सिकुड़ने का नाम नहीं ले रहा था…
आगे की कहानी दूसरे भाग में,
आपको मेरी और झलक की कहानी कैसी लगी, जरुर बताइयेगा। Antarvasna
दोस्तो, यह बात उस समय की है जब मेरी पोस्टिंग कोटा में थी और विभाग में मैं नया था।
वहाँ मैं जवाहर नगर में किराए से रहता था। इत्तेफाक से दोस्तों वहीं पास में हमारे विभाग के एक अधिकारी का घर भी था जो दूसरे कार्यालय के अधिकारी थे।
मुझे पता नहीं था.. फिर भी मैं आते-जाते उनकी मैडम को देखा करता था।
वो देखने में तो कुछ खास नहीं थी.. फिर भी पता नहीं क्यों.. मेरी नज़र उनको ताकती रहती थी, क्योंकि उनका फिगर ही कुछ ही ऐसा था।
देखने में तो 34-28-36 के भरे-भरे से आम के जैसे चूचे थे.. जिन्हें देख कर मेरा मन करता था कि अभी जाकर सारा का सारा दूध निचोड़ लूँ और गांड तो ऐसे मटका कर चलती थी कि मुर्दों के लंड भी खड़े हो जाएँ।
इस बात को वो भी भांप चुकी थी कि मैं उसको देखता हूँ।
ऐसा करते-करते 5-6 महीने बीत चुके थे। गर्मी के दिनों की बात थी दोस्तों.. मेरी छुट्टी थी तो मैं ऑफिस नहीं गया था।
मैं अपने कमरे के बाहर कुर्सी लगा कर बैठा था.. तभी मैंने उनकी आवाज़ सुनी.. वो अपने मोबाइल पर किसी से बात कर रही थी।
थोड़ी देर बाद समझ आया कि वो सर से बात कर रही थी। बात पूरी होने के बाद उन्होंने मुझे देखा तो मुझे बुलाया।
मैं उनके पास गया तो वो मेरी ओर देखते हुए मुस्कुरा रही थी।
उन्होंने मुझसे मेरा परिचय पूछा.. तो अपने और अपनी जॉब बारे में मैंने उन्हें सब बताया।
फिर वो मुझसे बोली- हमारे बारे में जानते हो?
मैंने मना किया- नहीं…
उन्होंने मुझे बताया कि उनके पति आपके विभाग में असिस्टेंट इंजीनियर हैं।
तो मैं तो बुरी तरह से डर गया और सोचा कि अब तो मेरी नौकरी गई, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
उन्होंने मुझे बताया कि उनका कूलर चलते-चलते ख़राब हो गया और उसे ठीक करने कोई नहीं आ रहा, क्योंकि उनकी लाइन पार्टी बिजी थी।
मैंने मन में सोचा कि आज अच्छा मौका है.. इसे मत जाने दे।
मैं बोला- मैम मैं देख लूँ कूलर को?
वो बोली- हाँ.. हाँ.. क्यों नहीं।
मैंने कूलर को अन्दर से खोल कर देखा तो उसके मेन कनेक्शन में से एक वायर निकला हुआ था.. जो मैंने जोड़ दिया और स्विच ऑन किया तो उनका कूलर चल गया।
वो बड़ी खुश हुई.. उन्होंने मुझे बिठाया और चाय बनाने चली गई।
बाद में उसने सर को भी बोल दिया कि कूलर ठीक हो गया।
जब हम चाय पी रहे थे तो मैडम मेरी ओर झुक कर बैठी हुई थी.. जिसके कारण मुझे उनके बोबे दिखाई दे रहे थे।
उनको देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया।
उस समय मैंने लोअर पहन रखा था जिसके कारण वो स्पष्ट दिख रहा था। मैंने बहुत छुपाने की कोशिश की.. मगर मैडम ने इसे भांप लिया था और मुझसे बोली- तुम मुझे क्यों देखते हो?
मैं बोला- ऐसे ही।
वो फिर मेरे पास आकर बैठी और बोली- मैं सब समझती हूँ और जानती हूँ कि इस समय तुम्हारे मन में क्या चल रहा है।
मैं चुप रहा।
वो आगे बोली- अंश.. आपके सर इस काबिल नहीं है जो मुझे तन का सुख दे सकें क्योंकि शादी के बाद एक एक्सीडेंट की वजह से उनकी सेक्स करने की क्षमता कम हो गई और मैं इसके लिए तरसती रहती हूँ.. क्या तुम मेरी ये इच्छा पूरी करोगे?
मैं बोला- मैडम यह सच है कि मैं आपको देखता हूँ लेकिन मैं आपके साथ ऐसा नहीं कर सकता।
मगर उन्होंने फिर दोबारा अपनी चाहत को दोहराते हुए मेरे लंड को पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी।
फिर मैंने भी उनकी व्यथा को समझते हुए अपने आपको उनके आगे सरेंडर कर दिया।
मैंने भी देर न करते हुए उनके लबों को अपने लबों के आगोश में ले लिया और उनके होंठों का रसपान करने लगा।
वो भी मेरे लंड को लोअर के ऊपर से ही मसल रही थी और मैं उन्हें चूमते हुए उनके बोबों को बड़ी बेदर्दी से एक-एक करके मसल रहा था।
मैडम ने गाउन पहना हुआ था तो मैंने गाउन के अन्दर हाथ डाल दिया।
चूंकि उन्होंने गर्मी के कारण अन्दर कुछ नहीं पहना हुआ था, तो मैं उनके बोबों की घुंडियों को मसलने लगा।
मेरे ऐसा करने से वो बेचैन हो उठी और मेरे लंड को लोअर से बाहर निकालकर अपने रसीले होंठों के बीच कैद करके उसे बड़े ही प्यार से लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.. मैं तो जैसे हवा में उड़ने लगा।
वो मेरे लंड को जिस तरीके से चूस रही थी, मुझे लगा कि वो कई दिनों की प्यासी हो।
फिर अंत में मेरे लंड ने उनके मुँह में ही अपना ‘सोमरस’ छोड़ दिया.. जिसे वो बड़े प्यार से गटक गई और चाट-चाट कर मेरे पूरे लंड साफ़ कर दिया।
फिर मैंने उसका गाउन उतारा तो अन्दर से वो पूरी नंगी थी।
जिन बोबों को मैं रोज़ देखने की तमन्ना रखता था, आज वो मेरे सामने थे।
मैंने बड़े ही प्यार से उनके एक निप्पल अपने दांतों से काटा तो उनके मुँह से एक ‘सी..सी..’ करते हुए एक सीत्कार निकली।
अब मैं उनके बोबों को दबाते.. मसलते हुए एक-एक करके उनको चूसने लगा और वो अपने मुँह से मादक सीत्कार निकालने लगी।
‘आह.. आह.. उह्ह.. उह्ह.. सी.. आह.. मर गई..’
दोस्तों जब मैं उनके बोबों को मसलते हुए चूस रहा था तो वो अपने ही दातों से अपने ही होंठों को काट रही थी और मेरे बालों में अपनी ऊँगलियाँ फेर रही थी।
उनके मस्त बोबों को चूसते हुए मैं अपने एक हाथ को उनके बदन को सहलाते हुए उनकी चूत के ऊपर ले जाकर चूत के दाने को मसलने लगा।
मेरे ऐसा करने से वो और भी मस्ती में चूर होकर ‘उह्ह उह्ह आह आह हाय मैं मर गई’ जैसी सीत्कारें निकालने लगी।
मैडम की चूत एकदम गीली होकर धीरे-धीरे अपनी चूत से पानी छोड़ रही थी और वो जल बिन मछली की भाँति तड़प रही थी और मस्ती में कह रही थी- मेरी जान.. इसी चीज़ का तो मुझे बड़ी बेसब्री से इंतज़ार था.. इस निगोड़ी चूत ने बड़ा परेशान कर रखा था।
फिर मैं धीरे से नीचे गया और उनकी चूत की पंखुड़ियों को अपने होंठों से चाटने व काटने लगा.. तो जैसे वो तो पागल हो गई।
मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से चोदते हुए चाटने लगा और मैडम अपनी कमर उचकाते हुए अपनी चूत को इस तरह चटवा रही थी कि जैसे मेरे मुँह में समां जाएगी।
मैं भी कहाँ पीछे हटने वाला था, उनको जैसे चटवाने का शौक था.. तो उसी तरह मुझे चाटने का शौक था।
फिर मैडम बोली- अंश मेरे भोसड़े में अपना लंड डाल दो.. अब मुझसे रहा नहीं जा रहा…
लेकिन मैं अपनी मस्ती में ही चूत चाटने में लगा हुआ था। मैडम तो जैसे पागल हो रही थी.. अपनी मस्ती के नशे में चूर होकर वो मेरे बालों को नोचते हुए अपनी चूत को मेरे मुँह पर जोर-जोर से रगड़ने लगी।
उसकी स्थिति को समझते हुए फिर मैंने अपने लंड को उसकी मुनिया(चूत) के मुँह पर लगाया और एक धीरे से धक्का लगाया।
मैडम की चूत इतनी गीली थी कि ‘गच्च’ की आवाज़ के साथ मेरा लवड़ा मैडम की चूत की गहराइयों में उतरता चला गया।
फिर धीरे से मैंने अपने लंड को बाहर खींचा और वापस मैडम की चूत में पेल दिया।
फिर मैं मैडम की चूत में अन्दर-बाहर.. अन्दर-बाहर.. लंड पेलने लगा और मैडम भी हर धक्के का जवाब अपनी कमर को उचकाते हुए दे रही थी।
मैं अपने दोनों हाथों से उसकी कमर को पकड़ कर उसको चोद रहा था।
मैडम मस्ती के नशे में चूर होकर कह रही थी- चोद… मेरे राजा… उम्ह्ह उम्ह्ह.. आह.. आह… हाय… चोद… मेरे राजा.. आज मेरी चूत की खुजली मिटा दे.. मेरी चूत का भोसड़ा बना दे.. बहुत परेशान कर रखा है इस निगोड़ी ने.. आज के बाद मैं सिर्फ तुमसे ही चुदवाऊँगी.. घुसा दे अपना पूरा लंड मेरे राजा.. आह.. आह .. हाय मेरी जान।
हर एक धक्के पर गीली चूत के कारण ‘फच्च.. फच्च.. फच्च..’ की आवाज़ आ रही थी, जिसकी वजह से में भी पूरे जोश के साथ मैडम की चुदाई कर रहा था।
उसको चोदते हुए मुझे 7-8 मिनट हो गए थे। अब मुझे भी लगने लगा था कि मैं अब झड़ने वाला हूँ।
चुदाई करते हुए मैंने मैडम से कहा- मेरा पानी छूटने वाला है.. तो अन्दर ही छोड़ दूँ या बाहर…
मैडम बोली- अन्दर ही छोड़ दो.. मेरे कोई बच्चा नहीं है।
फिर मैंने देर न करते हुए अपने लंड को चूत से बाहर निकाला और मैडम के दोनों पैरों को उठाते हुए अपने कन्धों पर रखा और वापस अपने लंड को उसकी चूत में पेल दिया और जोर-जोर से उसकी चूत चोदने लगा।
जैसे ही मैडम ने कहा- मेरा पानी छूटने वाला है।
उसी समय मेरा लंड भी जवाब देने वाला था तब मैंने मैडम के पैरों को पूरी तरह से उठाते हुए उनके पैरों के घुटनों को उन्हीं के कन्धों से मिला दिया।
मेरे ऐसा करने से मैडम की चूत थोड़ा और ऊपर की ओर उठ गई और मैं जोर-जोर से उसकी चूत को चोदने लगा।
फिर करीब 8-10 धक्कों के बाद हम दोनों एक साथ झड़ने लगे और मेरे लंड की एक-एक बूंद उनकी चूत में उतर गई।
उस समय मैडम ने मुझे अपने शरीर से पूरी तरह चिपका लिया।
हम दोनों के शरीर पसीने से लथ-पथ हो चुके थे।
जब हम नार्मल हुए तो मैडम ने मुझे धन्यवाद दिया और मुझसे बोली- मैं आजीवन तुम्हें नहीं भूलूंगी।
उसके बाद हम दोनों साथ-साथ नहाए और नहाते हुए एक और चुदाई का राउंड लिया।
नहाने के बाद मैडम ने मुझे बिठाया और अपने हाथों से खाना बनाया और फिर हम दोनों ने साथ में खाना खाया।
फिर मैडम मुझे 2000 रूपये देते हुए कहा- ये आपका इनाम और फिर जरुरत पड़े तो मांग लेना.. आज से मैं अब तुम्हारी हुई।
मैंने वो पैसे लेने से इंकार कर दिया और मैडम से बोला- मैं ये काम पैसे के लिए नहीं करता बल्कि मुझे चुदाई करने का शौक है.. इसलिए करता हूँ। आप अपने पैसे अपने पास रखिए.. हाँ.. अगर कभी मुझे इनकी जरुरत पड़ी तो आप से जरुर मांग लूँगा।
फिर उसके बाद मैं चला गया। फिर मुझे जब भी मौका मिलता तो मैं उनकी चूत की भूख मिटाता।
फिर एक दिन उन्होंने मुझे अपने गर्भ से होने की बात बताई तो मैं भी बहुत खुश हुआ।
बाद में मैडम ने सारी बात सर को बताई तो उन्होंने भी परिस्थिति से समझौता करते हुए मुझे बुलाकर मेरा धन्यवाद करते हुए कहा- जीवन में जब कभी भी हमारी जरुरत पड़े तो निसंकोच आ जाना।
उसके बाद तो मेरी जैसे लाटरी निकल गई।
मेरा नाम अमन है। मैं गुड़गाँव, हरियाणा का Hindi Antarvasna Stories रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 37 साल है। मेरी शादी को लगभग 12 साल हो गए। मेरा एक बेटा है जो लगभग 10 साल का है। वो देहरादून बोर्डिंग स्कूल में पढ़ता है। मैंने बी. एस. सी. (जीवविज्ञान) और फिर बी. फार्मेसी किया। अपनी इस लम्बी पढ़ाई और कॉलेज-जीवन में मैंने अपनी कई गर्लफ्रेण्ड के साथ सम्भोग का आनन्द लिया। बड़े मज़े के दिन थे वो…
अब मैं आपको अपनी अगली सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ। जल्दी ही मेरी अन्य कहानियाँ भी आप के सामने आने वालीं हैं। तो मित्रों, आनन्द लें। पर पढ़ने के बाद मुझे प्रतिक्रिया-स्वरूप मेल अवश्य करें।
मेरी यह कहानी शत-प्रतिशत सत्य है जो आप लोगों को एकदम अपने क़रीब लगेगी। उस समय मैं और सपना सिर्फ 18 वर्ष के थे। ख़ैर अब आगे…
मेरा अगला सम्भोगानुभव सपना के साथ था। सपना छोटे क़द की, भरे जिस्म की और बड़ी-बड़ी चूचियों वाली सुन्दर लड़की थी।
हमने अपना मकान दोमंज़िला बना लिया। हम लोग ऊपर वाले नए मंजिले में आ गए। नीचे की मंजिल किराए पर दे दिया। सपना के पापा ने मकान किराए पर लिया। सपना मेरे मक़ान में अपने माता-पिता, एक बड़ी बहन, और एक छोटे भाई के साथ किराए में रहती थी। सपना के पिता टेलीफोन ऑफिसर थे। सपना दिल्ली में श्रीराम कॉलेज से वाणिज्य- प्रथम वर्ष की छात्रा थी। सपना की बड़ी बहन दिल्ली में नौकरी कर रही थी। उसका छोटा भाई गुड़गाँव में स्कूल से दसवीं कर रहा था। मैं उस समय गुड़गाँव में कॉलेज से बी. एस. सी. प्रथम वर्ष में था। सपना और मैं एक ही मक़ान में होने के कारण हम अक्सर ही मिलते तथा कम ही बात कर पाते थे।
कुछ दिनों के बाद सपना की बहन का रिश्ता तय हो गया। सपना की बहन की सगाई से शादी तक लगभग तीन महीने में कई आयोजन हुए और सारे आयोजनों में मैंने और मेरे घरवालों ने सपना के घरवालों की पूरी मदद की। इसी सब के कारण मैं और सपना काफ़ी क़रीब आ गए। मैं और सपना कभी-कभी किसी ना किसी बहाने से अक्सर एक-दूसरे के यहाँ आने-जाने लगे थे। सपना की मुझ से बहुत अच्छी दोस्ती हो गई थी। मैं और सपना एक-दूसरे को दिल से चाहने भी लगे थे। शादी के बाद सपना की बहन अपनी ससुराल चली गई। जिस वज़ह से सपना बहुत उदास रहने लगी। मैं अक्सर उसे खुश करने की कोशिश करता। उसका ध्यान बँटे इसलिए मैं उसे कैसेट में रोमांटिक गाने रिकॉर्ड करवा देता। सपना को मेरी गानों की पसन्द बहुत पसन्द आती।
मैं और सपना एक-दूसरे के काफी क़रीब आते जा रहे थे। अब मैं कभी-कभी सपना के साथ बस में दिल्ली उसके कॉलेज जाता और उसे कॉलेज छोड़कर वापिस आ जाता। कभी-कभी मैं और सपना कॉलेज में अनुपस्थित होकर दिल्ली में बुद्धा गार्डन में सारा दिन बैठकर बातें किया करते।
कभी-कभी मैं और सपना दिल्ली में कनॉट प्लेस में ओडियन या प्लाज़ा सिनेमा में कोई रोमांटिक फिल्म देखते। कभी-कभी जब मेरा कॉलेज जल्दी छूट जाता तो मैं दिल्ली सपना के कॉलेज चला जाता और फिर हम दोनों कुछ देर किसी रेस्तराँ में बैठ कर कोल्ड-ड्रिंक पीते या आईसक्रीम खाते और साथ-साथ गुड़गाँव वापस आ जाते। फिर बस-स्टॉप से हम अलग-अलग थोड़ी-थोड़ी देर में घर वापस आ जाते। बड़े मज़ेदार दिन थे वो।
फिर गर्मियों की छुट्टियों में कॉलेज बन्द हो गए। मैं और सपना घर पर ही मिलने लगे। मैं अक्सर घर पर अकेला होता था। मम्मी-पापा तो पहले से ही स्कूल में थे। दीदी ने भी बी. एड. करने के साथ-साथ एक जगह काम भी करना शुरु कर दिया। मैं सारा दिन लगभग 4 बजे तक अकेला घर में रहता। इसलिए अक्सर सपना ही किसी बहाने से ऊपर मेरे यहाँ आती और फिर हम दोनों एक-दूसरे से लिपट-चिपट कर एक-दूसरे को चूमते। फिर एक-दूसरे को बाँहों में भर कर चूमने से बात आगे बढ़ कर एक-दूसरे के अंगों को छूना भी शुरु हो गया। सपना अधिकतर स्कर्ट-टॉप पहनती थी। इसलिए मैं सपना के टॉप या टीशर्ट के ऊपर से ऊसकी चूचियों को दबाने और फिर स्कर्ट के ऊपर से उसकी चूत को दबाने और फिर स्कर्ट के नीचे से अन्दर से हाथ डाल कर उसकी पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ फिराने तक पहुँच गया।
मैं अधिकतर टीशर्ट और लोअर पहनता था। मैं अपने लोअर की ज़िप या जिन लोअर में ज़िप नहीं होती थी उन्हें ज़रा सा नीचे सरका कर अपना लण्ड निकाल कर सपना के हाथ में थमा देता। सपना भी मेरे लण्ड को बेझिझक अपने हाथ में थाम लेती और हल्के-हल्के दबाती या मुट्ठी में भर कर हिलाती और आगे-पीछे करती। कुछ दिन बाद तो वो ख़ुद ही मेरे लोअर की ज़िप खोल कर मेरा लण्ड निकालने और दबाने तक पहुँच गई।
ये सारी बातें लगभग 10-15 मिनट तक चलती। हम दोनों बेहद गरम हो जाते और मेरे लण्ड और सपना की चूत से पानी निकल आता। लेकिन फिर भी हम एक नहीं हो पाते और ना ही कोशिश भी करते, क्योंकि सपना की मम्मी बड़ी शक्की थी और जैसे ही सपना को ऊपर आए हुए 10-15 मिनट हो जाते तो वो नीचे से आवाज़ लगानी शुरु कर देती या सपना के भाई को ऊपर भेज देती। फिर भी हम दोनों ये सब लगभग एक महीना तक करते रहे। मगर चाहते हुए भी सहवास न कर सके।
एक दिन तो हम दीवार से लग कर खड़े हो गए और मैंने सपना की स्कर्ट के नीचे से अन्दर हाथ डाल कर उसकी पैन्टी को उतार कर नीचे उसके पैरों में गिरा दिया। फिर मैंने उसकी चूत के घने बालों पर हाथ फिराने के बाद उसकी चूत के भग्नों को रगड़ना शुरु कर दिया।
जब उसकी चूत से चिकना-चिकना सा निकलने लग गया तो मैंने खड़े-खड़े अपना लण्ड उसकी चूत की फाँकों के बीच में फँसा कर ऊपर-ऊपर से धक्के मारने शुरु कर दिए। मेरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर तो नहीं जा सका, सिर्फ ऊपर से उसकी चूत के भग्नों को रगड़ता रहा। लेकिन उस दिन हम दोनों ख़ूब झड़े।
उस दिन ये सब करके बहुत मज़ा आया और हम एकांत में मिलने का बहाना ढूँढ़ने लगे। उसके बाद वो दिन आया जब हमने जम कर सेक्स के मज़े लूटे। सपना की दीदी और जीजाजी घर आए और वो उसकी मम्मी को लेकर मार्केट चले गए। वो लोग सपना को भी ले जाना चाहते थे लेकिन उसने सिर दर्द का और सोने का बहाना कर दिया।
उसका भाई पिछले कई दिनों से दिल्ली अपने मौसी के यहाँ गया हुआ था। उनके जाते ही उसने मुझे फोन कर दिया। मैंने उसे ही ऊपर आने को कहा, लेकिन उसने मुझे ही नीचे आने की ज़िद की। मैं नीचे आ गया। फिर मुख्य-द्वार बन्द करके मैंने सपना को अपनी बाँहों में भर लिया और उसके माथे को और फिर उसके गालों को चूमने लगा। सपना ने सफेद गाउन पहना हुआ था।
सपना बोली ‘बड़े बेसब्र हो रहे हो। रुको पहले मैंगोशेक पिएँगे। मैंने बना रखा है। ओह प्लीज़ छोड़ो मुझे।’
मैंने सपना को छोड़ने की बजाय उसे और ज़ोर से पकड़ लिया और गाउन के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाता हुआ बोला ‘सपना मेरी जान, आज मैंगोशेक नहीं, मुझे तो इनका शेक पीना है।’
सपना बोली ‘बड़े बेसब्रे हो। अच्छा चलो बेडरूम में चलते हैं।’
मैंने सपना को छोड़ दिया। सपना भागकर बेडरूम में घुस गई और दरवाज़े के पीछे छिपने का नाटक करने लगी। मैं अन्दर आ गया और फ़िर मैंने बेडरूम का भी दरवाज़ा बन्द कर दिया।
अब मैंने सपना को अपनी बाँहों में भर लिया। मैंने अपने जलते हुए होंठ सपना के होंठों पर रख दिए। फिर मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। सपना ने भी मुझे अपनी बाँहों में कस लिया।
मैं बोला ‘ओह सपना, कितने दिनों के बाद आज मौक़ा मिला है, तुम्हें अपनी बाँहों में भरने का। आई लव यू, आई लव यू सो मच।’
सपना बोली ‘हाँ अमन, सच कितने दिन हो गए, तुम्हारी बाँहों में आए हुए। मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ।’
फिर मैं सपना का हाथ पकड़ कर उसे बिस्तर के पास लाया और उसे धकेल कर बिस्तर पर गिरा दिया। फिर उसके ऊपर लेट कर उसके गालों को चूमने लगा। फिर मैं उसके बगल में लेटकर उसके गाउन के ऊपर से उसकी चूचियों को दबाने लगा। उसकी फूली हुई चूत उसके गाउन के ऊपर से भी महसूस हो रही थी। फिर मैं उसके गाउन के ऊपर से पावरोटी की तरह उभरी और फूली हुई उसकी चूत को दबाने लगा। फिर मैं बिना देर किए उसके गाउन को उतारने लगा।
सपना बोली, ‘ये क्या कर रहे हो? प्लीज़ इसे मत उतारो। प्लीज़ छोड़ो मुझे। मुझे डर लगता है।’
मैंने सपना से कहा ‘सपना, मेरे होते हुए डरने की क्या बात है! मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। देखो सपना, मैं तुमसे सच्चा प्यार करता हूँ। तुम्हें दिल से चाहता हूँ। तुम्हें अपना बनाना चाहता हूँ। आज मुझे तु्म्हें जी भरकर प्यार करने दो। अगर कोई आ गया तो मेरा मूड बहुत ख़राब हो जाएगा। इसलिए पहले हम एक दूसरे को जी भरकर प्यार करेंगे। फिर आगे कोई बातें करेंगे और तुम्हारा बनाया मैंगोशेक पीएँगे।’
यह कह मैंने कुछ हद तक ज़बर्दस्ती ही उसका गाउन उतार कर फेंक दिया। सपना ने गाउन के नीचे लाल रंग की पारभासी ब्रा और पैन्टी का सेट पहना हुआ था। इस सेट में वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी।
पारभासी ब्रा में से उसकी गोरी-गोरी चूचियाँ आधे से अधिक नज़र आ रहीं थीं और लाल पारभासी पैन्टी में से उसकी चूत के बाल तक नज़र आ रहे थे। सपना को इस तरह से देख कर मैं पागल हो गया और मैंने उठ कर अपने सारे कपड़े उतार कर फेंक दिए और फिर मैं मुख्य बत्ती बन्द करके सिर्फ चड्डी में सपना से लिपट गया। कमरे में खिड़की के परदों से हल्की रोशनी आ रही थी।
मैंने सपना को अपनी बाँहों में भर लिया। मैंने अपनी टाँगें सपना की टाँगों पर रख दीं और अपने जलते हुए होंठो उसके होंठों पर रख दिए। मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भरकर चूसने लगा। सपना ने मुझे अपनी बाँहों में कस लिया।
मेरे हाथ सपना के भरे-पूर जिस्म पर फिर रहे थे। कुछ देर बाद मैंने सपना को बिस्तर पर सीधा लिटा दिया। फिर उसके चिकने पेट पर अपने जलते हुए होंठ रख दिए। फिर मैं उसके नरम-नरम गोरे-गोरे पेट को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। सपना के मुँह से आह निकलने लगी। फिर मैं उसकी ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाने लगा। कुछ देर बाद मैं उसकी ब्रा के अन्दर से हाथ डालकर उसकी सख्त हो चुकी चुचियों को दबाने लगा।
फिर मैंने उसे अपनी ओर करवट दिला कर अपनी बाँहों में कस लिया और उसकी चिकनी पीठ पर हाथ फिराने लगा। उसकी पीठ पर हाथ फिराते-फिराते मैंने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए और फिर आराम से उसकी चिकनी पीठ पर हाथ फिराने लगा। पीठ पर हाथ फिराते-फिराते मैंने अपना हाथ उसकी चड्डी में घुसा दिया और उसके बड़े-बड़े चूतड़ों पर हाथ फेरने लगा। सपना मेरे से लिपटी हुई थी। उसने मुझे कस कर अपनी बाँहों में भरा हुआ था।
कुछ देर बाद मैंने उसे अपने से अलग करके बिस्तर पर सीधा लिटा दिया औऱ फिर मैंने उसकी ब्रा भी खींच कर उसके तन से जुदा कर दी। सपना ने कोई विरोध तो नहीं किया पर अपनी चूचियाँ अपने हाथों से ढक ली।
मैं ज़ोर लगा उसके हाथों को उसकी चूचियों से हटा कर उसकी गोरी-गोरी और बड़ी-बड़ी सख्त चूचियों को दबाने लगा। साथ-साथ उसकी भूरी घुण्डियों को भी हल्के-हल्के मसलने लगा।
फिर मैं उसकी नरम-नरम गोरी-गोरी चूचियों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। सपना के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगीं। फिर मैं उसकी चूचियों को चूसता हुआ उसके पेट पर हाथ फिराते हुए उसकी पैन्टी के ऊपर से पाव रोटी की तरह उभरी हुई उसकी चूत को सहलाने और दबाने लगा। सपना ने अपनी आँखें बन्द कर रखीं थीं।
फिर मैं उसकी पैन्टी के अन्दर से हाथ डाल कर उसकी चूत के घने बालों पर हाथ फिराने लगा। कुछ देर उसकी बड़ी-बड़ी झाँटों के भँवर में अपना हाथ फिराने के बाद मैं उसकी पैन्टी को उतारने लगा।
सपना ने एकदम से मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली ‘क्या करते हो! प्लीज़ इसे मत उतारो। मुझे डर लगता है।’
मैंने कहा ‘सपना मेरी जान, डरने वाली क्या बात है। ये तो प्यार है। आज सारे कपड़े उतार कर लिपट-चिपट कर ख़ूब प्यार करेंगे।’ यह कह कर मैं फिर उसकी पैन्टी को उतारने लगा।
सपना ने कस कर मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली ‘प्लीज़ इसे मत उतारो। क्या कर रहे हो? मुझे बहुत शरम आ रही है।’
मैंने कहा ‘अपनी आँखें बन्द कर लो। नहीं आएगी।’
सपना ने सचमुच अपनी आँखों पर अपना हाथ रख लिया और मैंने उसकी पैन्टी उतार कर अलग कर दी। सपना का कुँवारा नंगा बदन कमरे की हल्की-हल्की रोशनी में चमकने लगा।
मैं उसे निहारने लगा। उसके हाथ उसकी आँखों पर थे। उसके फूले हुए गुलाबी होंठ, तनी हुई बड़ी-बड़ी चूचियाँ, सपाट चिकना पेट, पेट के बीच गहरी नाभी, टाँगों के बीच में पावरोटी की तरह फूली हुई उसकी चूत, चूत के ऊपर काले घने घुँघराले बाल, केले के पत्ते की तरह चिकनी-चिकनी उसकी टाँगें। मैं एकटक उसे देखता ही रह गया।
कुछ देर बाद उसने अपनी आँखों पर से अपना हाथ हटा लिया और पूछा ‘क्या देख रहे हो?’
मैंने कहा ‘ओह सपना, तुम कितनी सुन्दर हो। तुम्हारी ख़ूबसूरती को अपनी आँखों में क़ैद कर रहा हूँ।’ यह सुनकर सपना शरमा गई और पलट कर पेट के बल लेट गई और अपना चेहरा बिस्तर में छुपा लिया। उसके ऐसा करने से उसके बड़े-बड़े चूतड़ उभर कर आ गए। उसे इस तरह से देखकर मेरे मुँह में पानी भर आया।
मेरा लण्ड तन कर खड़ा हो गया था और चड्डी फाड़ कर आने को हो रहा था। मैंने चड्डी उतार कर फेंक दी। फिर मैं सपना के ऊपर आकर लेट गया। मेरा लण्ड तन कर सपना के दोनों चूतड़ों के बीच टाँगों में घुस गया। मैं सपना के ऊपर आकर लेट कर उसकसे कन्धों को और गर्दन को चूमने लगा। फिर धीरे-धीरे अपनी कमर उठा कर अपना लण्ड सपना के चूतड़ों से रगड़ने लगा।
थोड़ी देर बाद मैं उसके ऊपर से हट कर बगल में लेट गया और मैंने उसे धीरे से बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और एक हाथ उसकी चूचियों पर रख उसे दबाने लगा।
वो गरम होने लगी थी, मैं दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियों को दबाने लगा। फिर मैंने सपना को अपने साथ-साथ सटा कर लिटा लिया। मेरा लण्ड उसकी झाँटों से टकरा रहा था। मैं सपना की चिकनी टाँगों पर हाथ फिराने लगा। वो सिसकारियाँ लेने लगी और मुझसे ज़ोर से लिपट गई। मैं भी उससे लिपट गया।
फिर मैंने उसको ख़ुद से अलग करके बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर आ गया और चूमना शुरु कर दिया। कुछ मिनटों तक मैं उसे चूमता रहा। मेरा हाथ सपना के जिस्म पर फिर रहे थे। फिर मैं थोड़ा नीचे सरका।
मेरे नीचे सरकते ही उसकी दूध सी चूचियाँ उछल कर मेरे नीचे से बाहर आ गए। मैं उन गोरी-गोरी सख्त चूचियों को दबाने लगा। उसकी घुण्डियों को मुँह में भर लिया और चूसने लगा। फिर मैं उसकी चूचियों को दबाते हुए साथ-साथ उसकी गुलाबी घुण्डियों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा।
सपना के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं। वो हल्के हल्के आह अमन… ओओओहहहहह… आआहहह… सिस्स्स… आह्ह्ह्ह… आआआह्हह्हा…… आआआहह्ह… कर रही थी। मैं उसकी चूचियों को काफ़ी देर तक ऐसे ही चूसता रहा।
फिर मैं उसकी पावरोटी की तरह उभरी हुई उसकी चूत को दबाने लगा। सपना ने अपनी आँखें बन्द कर रखीं थीं। मैं उसके चूत के बालों पर हाथ फिराने लगा। कुछ देर बाद मैंने उसकी चूत के बालों को अपने मुँह में भर लिया। वो सिसकारी भर रही थी।
उसके मुँह से ‘आआह्ह ओअहाआह्ह्ह अस्सशहस आअह्हस्सस्स स्सशाआ आआहस्सह्हस अहहह ह्हह हस्साआ आअह्ह ह्हहा ह्हह्हाआ ह्हह्हाहह’ निकल रहा था।
फिर मैंने सपना का हाथ पकड़ कर अपने खड़े हुए लण्ड पर रख दिया। सपना ने बिना झिझक मेरे लण्ड को अपने हाथ में थाम लिया और उसे हल्के-हल्के दबाने लगी। फिर वो मेरे लण्ड को मुट्ठी में भरकर हिलाने और आगे-पीछे करने लगी। वो मेरे लण्ड को हाथ में लेकर खींच रही थी और कस कर दबा रही थी। फिर वो मेरी तरफ करवट लेकर लेट गई ताकि मेरे लण्ड को ठीक तरह से पकड़ सके। वो मुझसे पूरी तरह से सटे हुए मेरे लण्ड को बुरी तरह से मसल रही थी और मरोड़ रही थी।
मैं सपना की चिकनी टाँगों पर हाथ फिराने लगा। फिर मैं सपना की चूत के बालों में हाथ फिराने लगा। फिर हाथ फिराता-फिराते मैंने अपनी ऊँगलियाँ सपना की चूत के अन्दर डाल दीं। फिर मैं ऊँगलियों से सपना की चूत के दोनों फाँकों को खोलने और बन्द करने लगा। सपना ने मेरा लण्ड छोड़ कर अपनी आँखें बन्द कर लीं। फिर मैं अपनी एक ऊँगली से सपना की चूत के भग्नों को रगड़ने लगा। सपना के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं। मेरे सब्र का बाँध टूट रहा था। अब मैं सपना की चूत मारने को बेताब हो रहा था।
मैं रनू के ऊपर आकर लेट गया। सपना का नंगा जिस्म मेरे नंगे जिस्म के नीचे दब गया। फिर मैंने सपना की टाँगें खोलकर अलग कर दी। सपना की टाँगें खोलने से उसकी चूत की पंखुड़ियाँ खुल गईं और उनके बीच से उसकी गुलाबी चूत दिखने लगी। फिर मैंने अपने आप को सपना की टाँगों के बीच में सेट किया और अपने लण्ड को मुट्ठी में भर कर सपना की गुलाबी चूत के गुलाबी भग्न को ऊपर-नीचे करके रगड़ने लगा। सपना के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगीं।
कुछ देर बाद सपना की चूत से कुछ चिकना-चिकना सा निकलने लगा था। सपना ने मस्त होकर अपनी आँखें बन्द कर लीं थीं और हाथों से बेडशीट को पकड़ रखा था। मैं चुपचाप उसके चेहरे को देखते हुए अपने लण्ड को मुट्ठी में भर उसकी चूत के भग्न को ऊपर-नीचे रगड़ता रहा। सपना की चूत में से कुछ चिकना सा निकलने की वज़ह से मेरा लण्ड आसानी से उसकी चूत के भग्नों के ऊपर-नीचे फिसल रहा था।
कुछ देर बाद मैंने यह सोचकर कि कहीं सपना ऐसे ही ना झड़ जाए, अपने हाथ से लण्ड को पकड़ॉ कर उसकी चूत के ठीक निशाने पर लगा दिया और एक हल्का सा धक्का दिया। पहले ही धक्के में मेरे लण्ड का सुपाड़ा सपना की चूत के अन्दर चला गया। सपना के मुँह से आह निकली और उसने हाथों से बेडशीट को कस कर पकड़ लिया और अपना मुँह दूसरी ओर घुमा कर फिर से अपनी आँखें भी कसकर बन्द कर लीं। मैंने थोड़ा और ज़ोर लगाया। मेरा लगभग आधा लण्ड सपना की चूत में समा गया। सपना के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं।
इससे पहले कि सपना सम्भले या करवट बदले, मैंने तीसरा और आख़िरी धक्का लगाया और मेरा पूरा का पूरा लण्ड सपना की मक्खन जैसी चूत की जन्नत में दाखिल हो गया। सपना के मुँह से एक ज़ोर की आह सी निकली और उसने बेडशीट को छोड़कर मुझे अपनी बाँहों में पूरी ताक़त से कस लिया। हम दोनों एक-दूसरे में पूरी तरह से समा गए।
कुछ देर तक मैं ऐसे ही सपना के अन्दर समाए हुए उसके ऊपर लेटा रहा। फिर मैंने भी सपना को अपनी बांहों में भर लिया। फिर मैंने अपने जलते हुए होंठ सपना के होंठों पर रख दिए और मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठो में भर कर चूसने लगा ताकि वह अपना दर्द भूल जाए और सामान्य हो जाए।
सपना को वाक़ई इससे कुछ राहत मिली और उसने भी मेरे होंठों को अपने होंठों से चूमना शुरु कर दिया और अपनी कमर भी हल्के-हल्के हिलानी शुरु कर दी।
मेरा पूरा लण्ड उसकी चिकनी चूत के अन्दर तक समाया हुआ था। हम दोनों ने एक-दूसरे को इस क़दर अपनी बाँहों में जकड़ा हुआ था कि हवा भी हम दोनों के बीच से ना निकल सके।
सपना का नंगा जिस्म मेरे नंगे जिस्म के नीचे दबा हुआ था।
मेरी टाँगें सपना की टाँगों के बीच फँसी हुई थीं। मैं सपना के होंठों को चूसना छोड़ कर उसके माथे पर, फिर आँखों पर तथा फिर उसके गोरे और नरम-नरम गालों को चूमने लगा। सपना भी मेरे गालों को अपने नरम-नरम होंठों से चूमने लगी।
कुछ देर हम दोनों इसी तरह से एक-दूसरे को चूमते रहे।
फिर मैंने सपना से पूछा ‘ठीक लग रहा है? कोई दिक्क़त तो नहीं हो रही है?’
सपना बोली ‘नहीं, ठीक लग रहा है। कोई दिक्क़त नहीं है। आई लव यू अमन।’
मैंने कहा ‘मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ सपना। तुम मेरी जान हो। तो फिर करें क्या?’
सपना ने कहा ‘हाँ अमन, मगर थोड़ा धीरे-धीरे करो।’
यह सुनकर मैंने अपने लण्ड को धीरे से सपना की चूत से थोड़ा सा बाहर निकाला और फिर धीरे से वापस अन्दर घुसा दिया। सपना ने कोई ऐतराज़ नहीं किया। इसलिए मैं अब धीरे-धीरे अपने लण्ड को सपना की चूत में अन्दर-बाहर करने लगा।
कुछ देर तो मैं ऐसे ही सपना को धीरे-धीरे चोदता रहा। बाद में मैंने उसकी टाँगें ऊपर की तरफ मोड़ लीं और अपनी कमर के दोनों ओर लपेट लीं। मैंने फिर से अपने लण्ड को धीरे-धीरे सपना की चूत के अन्दर-बाहर करना शुरु कर दिया।
सपना की टाँगें ऊपर की तरफ मोड़ने की वजह से अब मेरा लण्ड सपना की चूत की गहराई तक आ जा रहा था। मैं आराम से अपना पूरा लण्ड सपना की चूत से बाहर खींचता और फिर धीरे-धीरे अपना पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में घुसा देता। इस तरह कुछ देर तो मैं ऐसे ही उसे धीरे-धीरे चोदता रहा। फिर सपना ने मुझसे अपनी रफ्तार बढ़ाने को कहा। मैंने रफ्तार बढ़ा दी और तेज़ी से उसकी चूत में लण्ड पेलने लगा।
अब सपना को भी पूरी मस्ती आ रही थी और वो भी नीचे से कमर उठा-उठा कर मेरे हर झटके का जवाब देने लगी। सपना की चूत में मेरा लण्ड समाए हुए तेज़ी से अन्दर-बाहर हो रहा था। मुझे लग रहा था कि जैसे मैं जन्नत में पहुँच गया हूँ।
कमरे में हमारी चुदाई की फच्च-फच्च की आवाज़ें गूँज रहीं थीं। सपना ने अपनी टाँगों को मेरी कमर के ऊपर रख कर मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया और ज़ोर-ज़ोर से अपने चूतड़ उठा-उठा कर चुदाई में मेरा साथ देने लगी। मैं भी अब सपना की चूचियों को मसलते हुए ठका-ठक शॉट पर शॉट लगा रहा था। कमरा हमारी चुदाई की आवाज़ से गूँज रहा था। मैं सपना के ऊपर लेट कर दनादन शॉट लगाने लगा।
सपना अपनी कमर हिला-हिला कर, चूतड़ उठा-उठा कर चुदवा रही थी और बोले जा रही थी ‘अह्हह आअह्हह उनह्ह्ह ऊओह्ह ऊऊहह्हह हाआआन हाआऐ मेरे रारअमन्जज्जजा, आआह्ह्ह तेज़-तेज़। आआयीई रीईई तेज़-तेज़ करो, और-ज़ोर से करो मुझे। मेरे अमन्जज्जा’ और वो अपने चूतड़ों को हिलाने लगी।
मैंने लगातार थोड़ा-थोड़ा रुक-रुक कर लगभग 30 मिनट तक उसे चोदा। जब मुझे लगा कि मैं अब डिस्चार्ज होने वाला हूँ। तो मैं रुक कर सपना के ऊपर लेट कर उसे अपनी बाँहों में भर लेता। पिर मैं अपने होंठ सपना के होंठों पर रखकर चूसने लगा। ताकि वह भी सामान्य हो जाए और जल्दी से डिस्चार्ज ना हो। सपना को भी वाक़ई इससे राहत मिलती और वो भी मेरे होंठों को अपने होंठों से चूसना शुरु कर देती। मेरा पूरा लण्ड सपना की चिकनी चूत के अन्दर तक समाया रहता। हम दोनों एक-दूसरे को अपनी बाँहों में जकड़ लेते। दोनों के नंगे जिस्म आपस में चिपक जाते।
सपना अपनी टाँगों को बिस्तर पर फैला लेती क्योंकि शायद अधिक देर तकत अपनी टाँगों को ऊपर उठ कर रखने के कारण वह थक जाती थी। कुछ देर बाद मैं सपना के होंठों को चूसना छोड़ कर उसके माथे पर, फिर आँखों पर तथा फिर उसके गालों पर चूमने लगता। सपना भी मेरे गालों को नरम-नरम होंठों से चूमने लगती। फिर जब सपना अपनी कमर को हिला कर मुझे फिर से उसे चोदने का इशारा करती तो मैं फिर से उसकी टाँगों को अपने कंधे पर रख कर उसे चोदना शुरु कर देता।
पहले तो मैं सपना को धीरे-धीरे से चोदता। फिर जब सपना मुझे अपनी गति बढ़ाने को कहती तो मैं अपनी गति बढ़ा देता और तेज़ी से उसकी चूत में अपने लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगता।
सपना भी पूरी मस्ती में आकर नीचे से कमर उठा-उठा कर मेरे हर शॉट का उत्तर देने लगती। सपना की चूत के अन्दर की चिकनाई के कारण मेरा लण्ड उसकी चूत में तेज़ी से अन्दर-बाहर होने लगता। मुझे लगता कि जैसे में स्वर्ग में पहुँच गया हूँ। सपना अपनी टाँगों को मेरी कमर के ऊपर रख कर मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लेती और ज़ोर-ज़ोर से अपने चूतड़ ऊपर उठा-उठा कर चुदाई में मेरा साथ देने लगती। कमरे में हमारी चुदाई की फच्च-फच्च की आवाज़ें गूँजने लगती।
मैं भी चुदाई के नशे में मस्त होकर बोलने लगता ‘ओह सपना, मेरीईईइइ जानन्न। बड़ाआअ तड़पयययया है तुमनेएएए मुझेएएए। सपनाउउउह्ह मेरीईइ जाननन ये सब करना कितना अच्छा लग रहा है। सच, बहुत ही मज़ा आ रहा है। आज जितना मज़ा कभी नहीं आया। सपना सच बताना, क्या तुम्हें भी मज़ा आ रहा है?’
सपना बोलती ‘अह्हह्ह अमन्ज्ज्ज! उह्हहह्ह क्या जन्नत का मज़ाआअ आ रहा है। बस करते रहो। आज अपनी जान को ख़ूब प्यार दो। आई लव यू अमन। आई लव यू सो मय। प्लीज़ तेज़-तेज़ करो। अब बस मैं होने वाली हूँ। तुम जब होने लगो तो इसे बाहर निकाल देना और प्लीज़ बाहर ही झड़ना। अब करो। तेज़-तेज़ करो।’
अब सपना पूरे जोश के साथ अपनी गाँड को उछाल-उछाल कर मेरा लण्ड अपनी चूत में ले रही थी। मैं भी पूरे जोश के साथ उसकी चूचियों को मसल-मसल कर उसे चोदे जा रहा था। अब मेरा लण्ड सपना की चूत में तेज़ी से अन्दर-बाहर हो रहा था।
मैं सपना की चूत में अपने लण्ड के तेज़-तेज़ धक्के मार रहा था। हम दोनों ही सेक्स के नशे में चूर हो रहे थे। सपना को भी भरपूर मज़ा आने लगा था। वो मेरे हर धक्के का स्वागत कर रही थी।
उसने मेरे चूतड़ों को अपने हाथों में थाम लिया। अब वह नीचे से मेरे धक्कों के साथ-साथ अपने चूतड़ों को ऊपर-नीचे कर रही थी। जब मैं लण्ड उसकी चूत में से बाहर खींचता तो वो अपनी चूतड़ों को ऊपर उठा देती। जब मैं लण्ड उसकी चूत के अन्दर घुसाता तो वह अपनी चूतड़ों को पीछे खींच लेती। मैं तेज़ी से धक्के मार कर उसे चोदने लगा।
मैं बिस्तर पर हाथ रख कर सपना के ऊपर झुक कर तेज़ी से उसकी चूत मारने लगा। अब मेरा लण्ड उसकी चिकनी चूत में तेज़ी से आ-जा रहा था। सपना भी अब आँखें खोल कर चुदाई का भरपूर
आनन्द ले रही थी। मैं उसे पागलों की तरह से चोद रहा था। अब मैं अपनी पूरी रफ्तार पर था और कूद-कूद कर उसे चोदे जा रहा था। सपना इस चुदाई के नशे से मदहोश हो रही थी।
मैंने रुक कर सपना से पूछा ‘सपना, अच्छा लग रहा है क्या?’
सपना बोली, ‘हाँ बहुत ही अच्छा लग रहा है। पर प्लीज़ रुको मत। तेज़-तेज़ करते रहो।’
सपना के मुँह से यह सुनकर मैंने अपनी गति और बढ़ा दी। मैंने उसके चूतड़ों को हाथों से जकड़ लिया और छोटे-छोटे मगर तेज़ शॉट मार कर उसे चोदने लगा।
सपना के मुँह से मस्ती में ‘ओह्ह्हहोहोह सिस्स्सह्ह्ह्ह हाहाह्हआआआ हा-हा करो-करो ऽअआह हाहअआ प्लीज़ अमन, तेज़-तेज़ करो ना।’
मैं सपना के ऊपर लेट गया और मैंने सपना को अपनी बाँहों में भर लिया। फिर मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसते हुए उसे और तेज़ी से चोदने लगा। सपना ने भी अपने हाथों से मेरी कमर को जकड़ लिया और अपनी टाँगें ऊपर की तरफ करके मोड़ लीं और मेरी कमर के दोनों तरफ लपेट भी लीं। अब मैं सपना के होंठ अपने होंठों से चूसते हुए उसे और भी तेज़ी से चोदने लगा। मेरा लण्ड सटासट सपना की चूत में तेज़ी से अन्दर-बाहर हो रहा था। मैं सपना की चूत में अपने लण्ड के तेज़-तेज़ धक्के मार रहा था। सपना भी अपने होंठों से मेरे होंठों को चूसती हुई मज़े से चुदाई का मज़ा ले रही थी। मैं सपना को काफ़ी देर तक ऐसे ही चूमते हुए कस कर चोदता रहा।
लगभग 5 मिनट तक हम एक-दूसरे के होंठों को चूसते हुए चुदाई का मज़ा लेते रहे। फिर उसने अपने होंठ मेरे होंठों से अलग करके एक ज़ोर की आह भरी और बोली ‘अह्ह अमन! उह्ह बस ऐसे ही तेज़-तेज़ करते रहो। ओह अमन, प्लीज़ तेज़ करों। मैंने होने वाली हूँ। करो-करो। और तेज़-तेज़ करो। ज़ोर-ज़ोर से, और ज़ोर से आईएएएए मेरे अमन्जजा। रुको मत, रुको मत। आहहहह… मैं हो गई हाहह्हह्हह।’
फिर अचानक सपना ने मुझे कस कर अपनी बाँहों में भर लिया। मैं समझ गया कि वह झड़ चुकी है। मैंने रुक कर उससे पूछा ‘मेरी जान, तुम हो गई क्या?’
सपना ने कहा ‘हाँ अमन, मैं तो हो गई। तुम नहीं हुए क्या?’
मैंने कहा ‘मेरी जान मैं भी होने वाला हूँ। मैं तो बस तुम्हारे होने की प्रतीक्षा कर रहा था। लो बस दो मिनटों में हो जाऊँगा।
सपना बोली ‘प्लीज़ तुम भी जल्दी से हो जाओ और प्लीज़ जब होने लगो तो इसे बाहर निकाल लेना और बाहर ही होना। प्लीज़ मेरे अन्दर मत होना। मुझे डर लगता है।’
मैंने कहा ‘ठीक है मेरी जान। तुम चिन्ता मत करो। मैं बाहर ही होऊँगा।’ और यह कह मैंने फिर से उसकी चूत में अपने लण्ड के ज़ोरदार प्रहार शुरु कर दिए।
मैं भी छूटने वाला ही था, इसलिए मैं लगातार ज़ोरदार प्रहार करके उसकी चूत मारने लगा था। अब मेरा लण्ड उसकी चूत में तेज़ी से आ-जा रहा था। वह निढाल हो चुकी थी और अपनी आँखें बन्द करके मेरे झड़ने की प्रतीक्षा कर रही थी। लगभग 2 मिनट तक उसे काफ़ी तेज़-तेज़ चोदने के बाद जब मैं छूटने लगा तो मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में से बाहर खींच लिया और उसकी चूत के बाहर झड़ गया।
मेरा गाढ़ा-गाढ़ा रस मेरे लण्ड से ज़ोरों से छूट कर सपना की झाँटों और पेट पर गिर गया। फिर मैं हाँफते हुए उसकी बगल में उससे चिपक कर लेट गया। सपना चुपचाप आँखें बन्द करके लेटी हुई थी। कमरे की हल्की रोशनी में उसका गोरा बदन, झाँट और उस पर गिरा मेरा रस चमक रहे थे।
कुछ देर तक मैं उसके साथ लेटा रहा और अपनी तेज़ चल रही साँसों को क़ाबू में इन्तज़ार करता रहा। सपना भी चुपचाप मेरे साथ आँखें बन्द करके लेटी हुई थी। मेरा वीर्य सपना के शरीर पर चिपक गया था।
कुछ देर बाद मैंने उठकर अपने अण्डरवियर से सपना की झाँटों और उसके पेट पर गिरे मेरे वीर्य, व साथ ही अपने लण्ड को साफ किया और उसकी बगल में उससे चिपक कर लेट गया। हम दोनों कुछ देर ऐसे ही चुपचाप लेटे-लेटे अपनी-अपनी साँसों पर नियंत्रण में आने की प्रतीक्षा करते रहे।
कुछ देर बाद मैंने सपना को अपनी बाँहों में भर लिया और कहा ‘मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ सपना। तुमने मेरी ज़िन्दगी में खुशियाँ ही खुशियाँ भर दीं हैं। तुम बहुत ही लाजवाब हो। मैं चाहता हूँ कि हम दोनों हमेशा के लिए एक-दूसरे के लिए होकर रह जाएँ। मुझे इस प्रेम-क्रीड़ा का अत्यंत आनन्द आया और तुम्हें भी आया ही होगा। जब भी हमे मौक़ा मिलेगा तो क्या तुम मेरे साथ यह पुनः करना पसन्द करोगी?’
सपना बोली ‘ओह अमन हाँ। मुझे तो बहुत ही मज़ा आया और जब भी मौक़ा मिलेगा तो हम फिर करेंगे। लेकिन अमन अब तुम जाओ। सब लोग आने वाले होंगे। अब तुम कृपा करके जाओ।’
मैंने कहा ‘ठीक है मैं जा रहा हूँ।’
यह कह कर मैं सपना के माथे पर, फिर आँखों पर, तथा फिर गालों पर चूमने लगा। फिर मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। कुछ देर तक मैं इसी तरह से उसको चूमता-चूसता रहा और उसके बालों पर हाथ फिरा कर उसे सहलाता रहा। फिर कुछ देर बाद सपना ने भी अपनी बाँहें मेरी गर्दन में डाल दीं। मैंने भी सपना को अपनी बाँहों में कस लिया। कुछ देर तक हम दोनों एक-दूसरे को इसी क़दर अपनी बाँहों में भरे रहे।
फिर सपना बोली ‘प्लीज़ अमन, अब तुम जाओ। सब लोग आने वाले होंगे। प्लीज़ उठो।’
अब मैंने कोई नख़रा नहीं किया और सपना के यह कहते ही मैंने उठकर अपने कपड़े पहन लिए। सपना ने भी उठकर अपने कपड़े पहन लिए। मैंने कपड़े पहन कर अपनी बाँहें उसकी ओर फैला दीं। सपना भाग कर मेरी बाँहों में समा गई। मैं कुछ देर उसे अपनी बाँहों में भरे हुए उसके बालों पर हाथ पिरा कर उसके सहलाता रहा। सपना कुछ देर तक मेरे सीने से चिपकी रही।
फिर कुछ देर बाद सपना बोली ‘प्लीज़ अमन, अब तुम जाओ। सब लोग आने वाले होंगे।’ मैंने कहा, ‘ठीक है, बाय सपना। मैं जा रहा हूँ।’ कह कर मैं ऊपर अपने यहाँ चला आया।
सपना और उसके घरवाले हमारे यहाँ लगभग डेढ़ साल किराए पर रहे। लेकिन सपना के साथ इस सम्भोगानुभव के लगभग छः माह उपरांत ही वे दिल्ली चले गए। इन छः माहों में मैंने और सपना लगभग 14 बार सम्भोग किया।
फिर सपना के पिता का सोनीपत में स्थानांतरण हो गया और वे सपरिवार दिल्ली चले गए। हमारी बातें अक्सर फोन पर होती रहती। फोन पर ही हम अपने पुराने अनुभवों के बारे में बातें करते।
फोन पर ही कार्यक्रम बन जाता और फिर कभी-कभी मैं और सपना कॉलेज से भाग कर दिल्ली में बुद्धा-गार्डन में सारा दिन बैठकर बातें किया करते और एक-दूसरे के अंगों को छूकर, दबा कर स्पर्श सुख लिया करते।
कभी-कभी मैं और सपना कॉलेज छोड़ करके दिल्ली में कनॉट प्लेस में ओडियन या प्लाज़ा सिनेमा में कोई रोमांटिक फिल्म देखते। कभी-कभी मेरा कॉलेज जल्दी छूट जाता तो मैं दिल्ली सपना के कॉलेज चला जाता और फिर हम दोनों कुछ देर किसी रेस्तराँ में बैठ कर कोल्ड-ड्रिंक पीते या आईसक्रीम खाते।
पर ये सब केवल साल भर ही चल पाया। फिर कुछ अवधि के बाद पता चला कि वह बैंगलोर चली गई। कभी-कभी फोन पर बातें ही हो पातीं थीं। फिर वह भी खत्म हो गईं। बाद में मैं भी बी. फार्मेसी करने के लिए बनारस चला गया और हम चाहते हुए भी दुबारा न मिल सके, और हमारे प्यार की कहानी यहीं खत्म हो गई।
सपना, आज तुम कहाँ हो? अगर तुम यह कहानी पढ़ोगी, तो ज़रुर मुझे पहचान लोगी। और अगर पहचान लिया है तो कृपा करके मुझे मेल करो।
कैसी लगी आपको मेरी यह कहानी, कृपया अपनी प्रतिक्रिया मुझे मेल करें। Hindi Antarvasna Stories
मैं और कोमल एक ही ऑफ़िस में Hindi Sex Stories काम करते थे। कोमल ने कस्ट्मर केयर में अभी अभी नया ही जॉइन किया था और मैं अकाऊँटेंट था। वो एक सरल स्वभाव की चुप सी रहने वाली लड़की थी। ऑफ़िस में किसी से ज्यादा बात नहीं करती थी। ऑफ़िस में वेतन का भुगतान मैं ही करता था इसलिये हमारी बात कभी कभी हो जाया करती थी।
धीरे धीरे कोमल मुझसे थोड़ा खुलने लगी और हम दोनों लन्च एक साथ करने लगे। लेकिन अभी वो चुप चुप सी ही रहती थी, मैं जब भी थोड़ा सा मजाक करता तो वो सिर्फ़ हल्का सा मुस्कुरा देती थी बस।
मुझे लगा कि ज़रूर उसके मन में कुछ बात है जो वो किसी को नहीं बताती।
खैर समय बीतता चला गया।
एक दिन वो मेरे पास आई और कहने लगी कि उसको कुछ रुपयों की ज़रूरत है इसलिये मैं उसे कुछ एडवांस दे दूँ और उसके वेतन में से काट लूँ। मैंने उसे एडवांस दे दिया। अगले दिन वो ऑफ़िस नहीं आई, मैंने भी सोचा कि शायद घर में कुछ काम होगा, लेकिन उसके दो दिन बाद भी वो ऑफ़िस नहीं आई, मैंने उसके घर पर फोन किया लेकिन वहाँ किसी ने भी फ़ोन नहीं उठाया।
शाम को मैं अपनी बाइक से घर जा रहा था कि मुझे बस स्टाप पर कमिनी दिखाई दी, मैंने बाइक रोकी, कोमल ने मुझे देखा और मेरे पास आ गई।
मैंने उससे पूछा कि तुम ऑफ़िस क्यों नहीं आ रही?
उसने कहा- घर पर कुछ काम था।
मैंने उसको कहा- कहाँ जाना है। चलो मैं छोड़ देता हूँ।
वो बाइक पर बैठ गई। रास्ते में मौसम कुछ खराब होने लगा तो मैंने बाइक एक रेस्तराँ के पास रोक दी और कहा- जब तक मौसम थोड़ा ठीक नहीं होता, तब तक रेस्तराँ में एक एक कप कॉफ़ी पी लेते हैं!
कॉफ़ी पीते पीते मैंने उसको पूछा- क्या बात है?
उसने कहा- कुछ नहीं!
लेकिन मेरे थोड़ा कुरेदने पर वो रो पड़ी और बात बताने लगी। उसकी बात सुन कर मेरी आँखें भर आई, उसने बताया कि वो एक शादी शुदा औरत है और एक बच्ची की माँ है, शादी के एक साल बाद ही उसके पति की मौत हो गई। यह बच्ची पति की मौत के पाँच महीने बाद हुई। पति की मौत के बाद उसके ससुराल वाले उसको मारने पीटने लगे और उसकी बच्ची को भी किसी और की बताने लगे। एक बार उसके देवर ने भी उसके साथ देह शोषण करने की कोशिश की। तंग आकर वो ससुराल से अपने घर आ गई और अपने माँ बाप के साथ रहने लगी।
उसके पिता भी यह सदमा सह नहीं पाये और उनकी भी मौत हो गई। अब वो अपनी माँ और बेटी के साथ ही रहती है, इस समय उसकी माँ बीमार है और अस्पताल में है इसीलिये उसने एडवांस लिया था।
उसकी दर्द भरी दास्तान सुन कर मैं भी काफ़ी भावुक हो गया था। मौसम अब ठीक हो गया था इस लिये हम दोनों कॉफ़ी पी कर वहाँ से चल दिये। रास्ते में मैंने कोमल को अस्पताल छोडा, उसकी माँ के भी हालचाल पूछा और घर पर आ गया।
उस रात मैं सो नहीं सका और सारी रात कोमल और उसके परिवार के बारे में सोचता रहा।
अगले दिन मैं ऑफ़िस पहुँचा, कोमल आज ऑफ़िस आई हुई थी, मैंने उसे अपने केबिन में बुलाया और उसकी माँ का हाल पूछा।
उसने कहा कि डाक्टर ने अभी कुछ दिन अस्पताल में रखने के लिये बोला है।
मैंने उसको कहा कि अगर रुपयों की जरूरत हो तो मुझे बोल देना। शाम को मैं उसे अपनी बाइक पर ही अस्पताल ले गया, वहाँ डाक्टर ने कुछ दवाइयाँ मँगवाई जो मैंने अपने पैसों से ही खरीद दी। बाद में मैं ही उसे घर पर छोड़ने गया तो काफ़ी रात हो चुकी थी।
उसने मुझे कहा- आज रात को आप यहीं पर रुक जायें।
मैं भी घर पर अकेला रहता था तो मुझे कोई दिक्कत नहीं थी।
उसने मुझे कहा- मैं खाना बनाती हूँ, तब तक आप फ़्रेश हो जायें।
मैं फ़्रेश हो कर बाथरूम से बाहर आया तो देखा कि कोमल ने भी अपने कपड़े बदल कर गाउन पहन लिया था। हम दोनों ने खाना खाया, खाना खाने के बाद मैं टीवी देखने लगा, कोमल भी अपनी बेटी को सुला कर मेरे पास ही बैठ कर टीवी देखने लगी। टीवी देखते देखते कमिनी की आँख लग गई और वो मेरे कन्धे पर सर रख कर सो गई, धीरे धीरे उसका सर फ़िसल कर मेरी जांघों पर आ गया और उसका मुँह मेरे लन्ड के ऊपर था।
धीरे धीरे मेरा लन्ड खड़ा होने लगा मैं आपे से बाहर होने लगा था, लेकिन मैंने अपने आपको कन्ट्रोल किया, मेरे हाथ कोमल की कमर पर आ गये, शायद कोमल को भी मेरे लन्ड के कडकपन का अह्सास हो गया था लेकिन उसने अपना मुँह मेरे लन्ड पर से नहीं हटाया और ऊपर से ही मेरे लन्ड पर अपने होंठों को फ़ेरने लगी शायद उसके मन में भी सालों से सोई हुई अन्तर्वासना जाग गई थी मेरे भी हाथ उसके जिस्म पर चलने लगे।
उसने करवट ली और पीठ के बल मेरी जांघों पर सर रख कर लेट गई और वासना भरी आँखों से मेरी तरफ़ देखने लगी। मैंने भी उसकी आँखो का इशारा पा कर उसके जलते हुए होन्ठों पर अपने होंठ रख दिये और उन्हें चूसने लगा और अपने हाथों से उसके स्तनों को दबाने लगा। उसके स्तन एकदम टाइट थे, शायद काफ़ी समय से उसके वक्ष किसी ने दबाये नहीं थे। मैंने धीरे धीरे उसके गाउन को ऊपर उठाया और उसकी टांगों पर हाथ फ़ेरने लगा।
क्या गोरी टांगें थी उसकी!
कोमल भी अब उत्तेजना में भर गई थी और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी। मैंने उसे खड़ा किया और उसका गाउन उतार दिया।
उफ़!! क्या जिस्म था! भगवान ने शायद उसको फ़ुर्सत से तराशा था। ब्रा और पेंटी में वो एकदम एश्वर्या राय लग रही थी। उसने मेरे सारे कपड़े उतारे और मेरे लन्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मैंने भी उसका सर दबा कर अपना पूरा लन्ड उसके मुँह में दे दिया। वो अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को भींचने लगी।
उत्तेजना के कारण मेरा वीर्य उसके मुँह में ही झड़ गया। अब मैंने उसे अपनी बाहों में उठाया और बैडरूम में ले गया। बैड पर लिटा कर मैंने उसकी ब्रा और पेंटी उतार दी।
उफ़! क्या चूत थी उसकी! बिना बालों की और एक दम गुलाबी!
मैं उसकी चूत को चाटने लगा और अपने दोनों हाथों से उसके स्तन दबाने लगा। उसने मेरे सर को अपनी चूत पर जोर से दबा दिया और कहने लगी- और जोर से चाटो!
मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के अन्दर डाल दी और अन्दर ही गोलाई में घुमाने लगा, जिससे वो एकदम झड़ गई।
एक बार फ़िर से वो मेरे लन्ड को चूसने लगी जिससे मेरा लन्ड फ़िर से खड़ा हो गया। अब हम दोनों 69 की पोजिशन में आ गये और वो मेरे लन्ड को और मैं उसकी चूत को चाटने लगा। क्या गोल और भारी चूतड़ थे उसके! एक दम गोरे!
काफ़ी देर तक चाटने के बाद मैंने उसको उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और अपना लन्ड उसकी चूत के दरवाजे रख कर धीरे से एक धक्का दिया। काफ़ी दिनों से उसकी चुदाई नहीं हुई थी इसलिये उसकी चूत काफ़ी टाइट थी। मैंने धक्का दिया तो मेरा लन्ड उसकी चूत में थोड़ा सा घुस गया। उसको भी काफ़ी दर्द हुआ लेकिन उसने कहा- निकालना मत, पूरा घुसा दो।
मैंने जोर से एक धक्का लगाया और अपना पूरा लन्ड उसकी चूत में घुसा दिया। कोमल को काफ़ी दर्द हुआ लेकिन उसने उस दर्द को अपने दांतों से अपने होंठों को दबा कर सह लिया। उसकी आँखों से आन्सू निकलने लगे। धीरे धीरे उसको भी मजा आने लगा और वो भी अपने चूतड़ों को उठा उठा कर मेरा लन्ड अपनी चूत के अन्दर लेने लगी। उसने अपनी दोनों टांगों से मुझे कस लिया और अपने हाथों से मेरे चूतड़ों को खींचने लगी। पूरे कमरे में धप-धप, घचा घच की आवाजें आ रही थी।
मेरे भी धक्के बढ़ते जा रहे थे और मैं पागलों की तरह उसको पूरी जान लगा कर उसको चोद रहा था, उसके बूब्स को चूस रहा था। कोमल के मुँह से सी… सी… हाय… आह… की आवाजें निकल रही थी।
कुछ देर उसे चोदने के बाद मैंने उसे अपने ऊपर लिया और नीचे से अपना लन्ड उसकी चूत में घुसा दिया थोड़े से दर्द के साथ कोमल ने मेरा लन्ड अपनी चूत में ले लिया और ऊपर से धक्के लगाने लगी। मैं उसके चूतड़ों को अपने हाथों से भींचने लगा और जोर जोर से धक्के लगाने लगा। उत्तेजना के कारण उसने अपने नाखून मेरे सीने पर गड़ा दिये। हम दोनों की आँखों में वासना के लाल लाल डोरे नज़र आ रहे थे।
कोमल कहने लगी- समीर मैं बहुत सालों से प्यासी हूँ, आज मेरी सारी प्यास बुझा दो!
हम दोनों के मुँह से सी…सी… आह… आह… की आवाजें निकल रही थी। कोमल जोर से आह… आह… की आवाज करती हुई झड़ गई लेकिन मेरा जोश कम नहीं हुआ था और मैं उसे और चोदना चाहता था।
मैंने उसे अपने नीचे लिया और जोर जोर से धक्के लगाने लगा। करीब दस मिनट लगातार धक्के लगाने के बाद मेरा लन्ड टाइट होने लगा। मैंने कोमल को कहा- मैं अब झडने वाला हूँ! उसने कहा- चूत में ही झड़ जाओ!
मेरे धक्के तेज होने लगे और मैं झड़ने लगा और अपना सारा वीर्य कोमल की चूत में छोड़ दिया। कोमल के चेहरे पर सन्तुष्टि झलक रही थी। उसने जोर से मेरे होंठों को चूमा और मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी। मैं भी उसकी जीभ को चूसने लगा और वो मेरी जीभ को चूसने लगी। लम्बी चुदाई के बाद हम दोनों काफ़ी थक चुके थे इसलिये एक दूसरे के आगोश में नंगे ही सो गये।
अगले दिन हम सो कर उठे तो सुबह के पांच बज चुके थे। कोमल की बेटी अभी सो रही थी। कोमल ने चाय के लिये पूछा तो मैंने हाँ कर दी। कोमल नंगे ही रसोई घर में चली गई। उसके ऊपर नीचे उठते हुए चूतड़ों ने मेरे लन्ड को फिर खडा कर दिया, मैं पीछे से रसोई में गया और कोमल को पीछे से पकड़ लिया। मैंने अपने हाथों से उसकी दोनों चूचियों को पकड़ लिया और मेरा लन्ड उसकी गान्ड की घाटियों में सैर करने लगा। मैंने उसकी चूत को धीरे से दबा दिया तो उसके मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गई।
मैं नीचे बैठ गया और उसके चूतड़ों पर धीरे धीरे अपने दाँत गड़ाने लगा। कोमल भी अब उत्तेजित हो चुकी थी।
मैं अपनी उंगली से उसकी गान्ड के छेद को सहलाने लगा तो कोमल बोली- साहब के ख्याल नेक तो हैं?
मैंने कहा- कोमल तुम्हारी गान्ड मुझे बहुत अच्छी लगती है और मुझे आज तुम्हारी गान्ड भी मारनी है!
कोमल हँस पड़ी और बोली- समीर मैंने अपना सारा शरीर तुम्हें सौंप दिया है तो ये गान्ड भी तुम्हारी है!
ऐसा कह कर कोमल आगे की तरफ़ झुक गई उसके गोल गोल चूतड मेरी तरफ़ उभर गये और चूत और गान्ड के छेद बाहर झांकने लगे। मैंने उसकी गान्ड के छेद पर अपना थूक लगाया और लन्ड का टोपा उस पर रखा तो कोमल ने कहा- समीर, मैंने अभी तक गान्ड नहीं मरवाई है, ज़रा धीरे धीरे करना!
मैंने हल्का सा धक्का लगाया तो मेरा लन्ड का टोपा उसके अन्दर घुस गया। कोमल ने हल्की सी सिसकारी भरी। मैंने फिर से थोड़ा ज़ोर से धक्का लगाया तो मेरा आधा लन्ड उसकी गान्ड में घुस गया। कोमल बोली- धीरे… समीर…!!
मैं थोड़ा रुक गया। जब कोमल थोड़ी सामान्य हुई तो मैंने अचानक ज़ोर से धक्का लगाया, जिससे मेरा सारा लन्ड कोमल की गान्ड में समां गया। कोमल इस धक्के के लिये तैयार नहीं थी, उसके मुँह से ज़ोर से आवाज़ निकली जिसे मैंने उसके मुँह पर हाथ रख कर दबा दिया।
थोड़ी देर बाद कोमल सामान्य हुई तो मैंने धक्के लगाने शुरु किये। अब कोमल को भी मजा आने लगा था और अब वो भी साथ देने लगी और अपने चूतड़ों को पीछे की तरफ़ धकलने लगी। मैंने भी उसकी चूचियों को पकड़ा और तेजी से धक्के लगाने लगा। मैंने उसकी एक टांग को रसोई की स्लैब रखा जिससे उसकी गान्ड का छेद थोड़ा खुल गया। अब मेरे धक्को में काफ़ी तेजी आ गई थी और मैं पागलों की तरह उसकी गान्ड को चोद रहा था।
कोमल के मुँह से भी कामुक आवाज़ें निकल रही थी जो मेरी वासना को और भड़का रही थी मेरा लन्ड एक दम टाइट हो चुका था और कोमल की गान्ड का बाजा बजा रहा था। मेरी जांघ कोमल के चूतड़ों से टकरा कर रसोई के अन्दर तबला बजा रही थी।
आह… आह… सी… सी… की आवाजों से पूरी रसोई गूँज रही थी।
कोमल… मेरी जान… कहते हुए मैं उसकी गान्ड में ही झड़ गया मेरे लन्ड के लावे ने कोमल की गान्ड की बन्जर ज़मीन को फिर से हरा भरा कर दिया। कोमल की गान्ड मारने के बाद मुझे भी अजीब सी सन्तुष्टि मिल रही थी और मैं एक दम हल्का महसूस कर रहा था।
उसके बाद हमने चाय पी और अपने अपने कपड़े पहन लिये। तब तक कोमल की बेटी भी उठ चुकी थी, कोमल ने उसको स्कूल के लिये तैयार किया और घर के बाहर उसको स्कूल बस में बैठा कर वापस आ गई। मैंने कोमल से कहा- अब हम भी तैयार हो जाते है, मैं तुम्हें अस्पताल छोड़ते हुए ऑफ़िस चला जाउँगा।
कोमल अपने कपड़े ले कर बाथरूम की तरफ़ चल दी। बाथरूम में जा कर उसने अपने कपड़े उतार दिये और नंगी हो गई। उसने बाथरूम का दरवाज़ा बन्द नहीं किया और मेरे सामने ही नहाने लगी। उसको नहाते हुए देख कर मेरा लन्ड फिर से खड़ा हो गया और मैं भी अपने कपड़े उतार कर बाथरूम में घुस गया। कोमल मुझे देख कर मुस्कुरा दी, शायद वो भी यही चाहती थी।
शावर के नीचे हम दोनों नहाने लगे। धीरे धीरे हम दोनों के हाथ एक दूसरे के जिस्मों पर चलने लगे और आग एक बार फिर भड़क गई। मैं कोमल की चूचियों को चूसने लगा और उसके चूतड़ों को भींचने लगा। कोमल के हाथ भी मेरी गान्ड पर चलने लगे। अब उसने मेरा लन्ड अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी। ऊपर से पानी हमारे जिस्मों पर गिर रहा था जिस के कारण हमारी वासना और भड़क रही थी। कोमल मेरे लन्ड को मुँह में भर कर जबर्दस्त तरीके से चूस रही थी, उसकी जीभ का मेरे लन्ड के टोपे पर घर्षण मुझे अजीब सी उत्तेजना दे रहा था।
अब हम 69 की पोजीशन में आ गये और एक दूसरे को चूसने लगे। मैंने कोमल की गान्ड में अपनी उन्गली दे दी और उसकी चूत को चाटने लगा। जवाब में कोमल ने भी मेरी गान्ड में उन्गली दे दी और मेरे लन्ड को बेहताशा चूसने लगी। थोड़ी देर के बाद मैंने कोमल को अपने ऊपर लिया और नीचे से अपना लन्ड उसकी चूत में डाल दिया। कोमल अब मेरे लन्ड की सवारी करने लगी और मेरे होंठों को चूसने लगी। होंठ चूसते हुए उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में दे दी और मैं उसकी जीभ को चूसने लगा और उसके चूतड़ों को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा।
थोड़ी देर के बाद मैंने उसे अपने नीचे लिया और अपना लन्ड उसकी चूत में डाल कर ज़ोर ज़ोर उसे चोदने लगा। हाय… मेरे समीर… चोद दो मुझे… सी…सी… की आवाज़ कोमल के मुंह से निकल रही थी और मुझे और भड़का रही थी। मेरे धक्के तेज़ होते जा रहे थे।
आह… आह… की आवाज से मैं कोमल की चूत में ही झड़ने लगा और हम दोनों के जिस्म एक दूसरे में समाने की कोशिश करने लगे। थोड़ी देर हम दोनों उसी अवस्था में पड़े रहे, फिर दोनों एक साथ नहाये। नहाने के बाद मैंने कोमल को अपनी गोद में उठाया और बाहर आ गया। फिर हम तैयार होकर नाश्ता करने लगे।
नाश्ता करते हुए मैंने कोमल को कहा- कोमल मुझसे शादी करोगी?
मेरा अचानक किया हुआ सवाल सुन कर कोमल दो मिनट के लिये खामोश हो गई और उसकी आँखें भर आई। उसने सवाल भरी नज़रों से मुझे देखा, शायद उसकी नज़रें पूछ रही थी कि मैं झूठ तो नहीं बोल रहा!
मैंने उसके चेहरे को अपने हाथों में लिया और फिर से वोही सवाल किया जवाब में वो मेरे सीने से लग कर रो पड़ी।
फिर हम अस्पताल गये और मैंने कोमल की माँ से कोमल का हाथ माँगा। कोमल की माँ इसके लिये सहर्ष तैयार हो गई। फिर कोमल की माँ के अस्पताल से आने के बाद कोमल और मैंने शादी कर ली। आज हमारे दो बच्चे हैं और हम सब बहुत खुश हैं। Hindi Sex Stories
यहां से पचास किलोमीटर Hindi Porn Stories दूर शहर में भैया काम करते थे। मेरे से कोई चार साल बड़े थे। शादी हुये साल भर होने को आया था।
भैया शहर में शराब पीने लग गये थे। इसी कारण घर में झगड़े भी होने लगे थे। भाभी की आये दिन पिटाई भी होने लगी थी।
एक बार भाभी ने मोबाईल पर मुझे रात को दस बजे रिंग किया।
मैंने मोबाईल उठाया, पर फ़ोन पर चीखने-चिल्लाने की आवाजें सुनाई दी तो मैंने पापा को बुला लिया।
पापा ने फोन को ध्यान से सुना फिर उन्होंने मुझे आदेश दिया कि सवेरे होते ही कार ले कर जाओ और बहू को यहाँ ले आओ।
गांव में पापा की एक छोटी सी दुकान है पर आमदनी अच्छी है। वो सवेरे नौ बजे दुकान पर चले जाते हैं।
मैं भाभी को लेकर घर पर आ गया। भाभी मुझे अपना दोस्त समझती हैं। हम दोनों एक ही उम्र के हैं।
शाम तक मेरे पास बैठ कर भाभी अपना दुखड़ा सुनाती रही, उसने अपनी पीठ, हाथ व पैर पर चोट के कई निशान दिखाये।
ये सब देख कर मुझे भैया से नफ़रत सी होने लगी।
मैंने भाभी को जैसे तैसे मना कर उनके चोटों पर एण्टी सेप्टिक क्रीम लगा दी।
अब मेरा रोज का काम हो गया था कि पापा के जाने के बाद उनकी चोटों पर दवाई लगाता था।
भाभी का शरीर सांवला जरूर था पर चमकीला और चिकना था। कसावट थी उनके बदन में। जब वो अपनी पीठ पर से ब्लाउज हटा कर दवाई लगवाती थी उनकी छोटी छोटी चूंचियां सीधी तनी हुई कभी कभी दिखाई दे जाती थी। तभी मैंने भाभी की चूंचियों पर भी चोट के निशान देखे।
“भाभी, आपके तो सामने भी चोटें हैं!” मैंने हैरत से कहा।
“देख भैया, तुझसे क्या छिपाना … ये देख ले … ”
कंचन ने झिझकते हुये सामने से अपनी छाती दिखाई … चूंचियों और चुचूकों पर खरोंच के निशान थे।
“भाभी प्लीज ऐसे मत करो!” मैंने तुरन्त पास पड़ा तौलिया उनकी छाती पर डाल दिया। उसकी आंखों से आंसू टपक पड़े। पर भाभी के चोटों के निशान मेरे मन में एक नफ़रत भरा बीज बो गये।
“नहीं देखा जाता है ना … वो आपकी तरह नहीं हैं … आप तो मेरा कितना ख्याल रखते हैं, दवाई लगाते हैं … अभी तो आपने मेरी पिछाड़ी नहीं देखी है … कितना मारते थे
वो यहाँ पर!”
“बस भाभी बस … अब बस करो …”
भाभी ने अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया। अनायास ही मेरे हाथ उसके बालों पर चले गये और उन्हें सहलाने लगे। मेरा प्यार पा कर वो मुझसे लिपटने सी लगी। मैंने एक हल्का सा चुम्मा उसके गालों पर ले लिया … वो अपनी आंखें जैसे बन्द करके प्यार का आनन्द लेने लगी।
“भैया मेरी छाती पर दवाई लगा दो …!”
“क्या छाती पर ?… न … न … नहीं … यहाँ नहीं …!”
“तो क्या हुआ … दर्द है ना मुझे … प्लीज!”
मैंने उसे घूर कर देखा … पर उसकी आंखों में केवल प्यार था। मैंने उसे लेटा दिया और तौलिया हटा कर उसकी चूंचियों की तरफ़ झिझकते हुये हाथ बढ़ाया … और दवाई लगा दी।
मुझे अहसास हुआ कि उसके चुचूक कड़े हो गये थे। छोटी छोटी चूंचियां कुछ फ़ूल गई थी।
मेरा मन भी डोल सा उठा, पर मैंने फिर से उस पर तौलिया डाल दिया।
भाभी ने मुझे प्यार से बिस्तर पर लेटा लिया और मेरी कमर पर में एक पांव लपेट कर जाने कब सो गई।
मुझे नहीं पता था कि यह उसके दिल की पुकार है कि मुझे बाहों में लेकर खूब प्यार करो। वो प्यार की भूखी थी।
मैंने धीरे से उसका हाथ हटाया और बिस्तर से हट गया।
तभी अनायास मुझे ध्यान आया कि उसके चूतड़ों पर भी शायद चोट है, जैसा कि उसने अपनी पिछाड़ी के बारे में कहा था।
मैंने धीरे से उसका पेटीकोट ऊपर हटा दिया।
उसके गोल गोल चूतड़ों पर नील पड़ी हुई थी। मैंने तुरन्त दवाई उठाई और लगाने लगा। पर आश्चर्य हुआ कि दरारों के बीच गाण्ड के छेद पर भी चोट जैसा सूजा हुआ था।
मैंने चूतड़ों को खोल कर वहां भी दवाई लगा दी।
मैं पास ही बैठ कर भैया के बारे में सोचने लगा कि भैया उसकी गाण्ड में चोट कैसे लगा देते हैं? यह तो बहुत नाजुक स्थान है … इतना बुरा व्यवहार … मुझे बहुत ही खराब लगने लगा।
कंचन भाभी को यह पता चल गया था कि मैंने उनके बदन में दवाई कहां कहां लगाई थी।
अब वो मुझसे रोज ही जिद करके दवाई लगवाने लगी थी। कंचन को अपने गुप्त अंगों पर दवाई लगाने से या मेरे द्वारा छूने पर शायद आनन्द आता था।
पर इसके ठीक विपरीत मेरे दिल में कंचन भाभी के लिये प्यार बढ़ता जा रहा था।
पापा के दुकान पर जाने के बाद मैं दवाई लगाता था, फिर वो मेरे साथ लेटे लेटे खूब बातें करती थी।
मैं उसके बालों को सहलाता रहता था। वो प्यार में मुझे जाने कितनी ही बार चूम लेती थी।
पर आज जाने मुझे क्या हुआ, मुझे जाने क्यूँ उत्तेजना होने लगी। मेरा लण्ड खड़ा होने लगा। मेरे दिल में एक बैचेनी सी होने लगी।
इन दस बारह दिन में भाभी की चोटें ठीक हो चुकी थी।
आज मैंने उनकी चूचियों पर दवाई लगाते हुये कहा भी था कि अब उसे दवाई की आवश्यकता नहीं है .. लेकिन उसका कहना था कि आप रोज ही लगायें … और मेरा हाथ अपनी चूंचियों पर दबा लिया था।
“आप बहुत शरारती है कांची … ”
बस … उसने एक कसक भरी हंसी वतावरण में बिखेर दी।
मेरे विचारों में अचानक ही परिवर्तन होने लगा, मुझे अपनी भाभी ही सेक्सी लगने लगी।
उनका सांवला रूप मुझे भाने लगा। वो तो निश्चिन्तता से मेरी कमर पर पांव लपेटे आंखें बंद करके कुछ कह रही थी। पर मेरा दिल कहीं और ही था।
मैंने अचानक ही कांची के होठों पर एक चुम्बन ले लिया।
उसने कोई विरोध नहीं किया।
मैंने साहस करके दुबारा चुम्मा लिया।
उसने मुझे देखा और अपने होंठ मेरी तरफ़ बढ़ा दिये। भाभी के दोनों हाथ मेरे गले से लिपट गये।
मैंने गहराई से कांची को चूम लिया … उसने भी प्रत्युत्तर में मुझे प्यार से खूब चूमा।
मैंने जाने कब एक करवट लेकर भाभी को अपने नीचे दबोच लिया और उनके ऊपर चढ़ गया।
मेरा कसा हुआ तन्नाया हुआ लण्ड उसकी चूत से टकराने लगा।
भाभी के मुख से वासना भरी सिसकारी निकल पड़ी।
“भैया … आह मुझे जोर से प्यार करो … मुझे आज प्यार से, आनन्द से भर दो।”
“कंची मुझे जाने क्या हो रहा है… शरीर में जाने कैसी कसावट सी हो रही है …!”
और मेरे चूतड़ों ने मेरा लण्ड जोर से उसकी चूत पर दबा दिया।
मुझे लगा कि भाभी ने भी उत्तर में अपनी चूत का दबाव मेरे लण्ड पर बढ़ा दिया है।
तभी मेरा वीर्य निकल पड़ा … मैं हैरत में रह गया … मेरा सारा नशा काफ़ूर हो गया।
मेरे लण्ड में से वीर्य का गीलापन देख कर कांची ने मुझे प्यार से उतार दिया।
“सॉरी … ये … ये … सब क्या हो गया …!!” मुझे अत्यन्त शर्मिन्दगी महसूस हुई।
“क्या पहली बार हुआ है ये?”
मैंने धीमे से हां में सर हिला दिया।
“अरे छोड़ ना यार … होता है ये … तुझे कुछ नहीं हुआ है … … शर्माना कैसा …”
“भाभी … मै तो आपको मुँह दिखाने के लायक भी नहीं रहा … ”
उसने धीरे से खिसक कर मेरी छाती पर अपना सर रख लिया।
हम फिर से बातें करने लगे … पर फिर से मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी। मेरा लण्ड फिर खड़ा होने लगा।
इस बार कांची ने कोई मौका मुझे नहीं दिया। मेरे खड़े लण्ड पर उसकी नजर पड़ गई। उसने धीरे से हाथ बढा कर उसे हल्का सा पकड़ लिया।
“भाभी, यह क्या कर रही हो … छोड़ो तो …!” मुझे शरम सी लगी, पर शरीर में कंपकपी सी आने लगी।
“मेरे काम की तो यही एक चीज़ है तुम्हारे पास! है ना भैया … ? और मेरे पास तो आपके काम की कई चीज़ें हैं, जैसे सामने ये उठे हुये गोल गोल, नीचे … वहीं जहाँ अभी तुम जोर लगा रहे थे … और पीछे जहां तुम अन्दर तक दवाई लगाते हो …”
मैं यह सब सुन कर उत्तेजना से हांफ़ उठा। उसकी बातें मेरी उत्तेजना भड़का रही थी।
“तुमने दवाई लगा लगा कर मेरे सभी चीज़ों को फिर से तैयार कर दिया है ना … अब उसके मजे भी तो लो!”
भाभी मेरे लण्ड को अब मसलने और मुठ मारने लगी थी। मेरा लण्ड उफ़न पड़ा था। सुपाड़ा फ़ूल कर लाल हो चुका था। जाने कब कांची ने मेरी एलास्टिक वाला पजामा नीचे खींच दिया था।
“हाय भैया … ये तो बड़े मजे का है … बड़ा तो तुम्हारे भैया जितना ही है … पर मोटा बहुत है …!” कहते हुए वो उठ कर मेरे लण्ड के पास पेटीकोट उठा कर बैठ गई।
उसके नंगे चूतड़ मेरी जांघ पर बड़ा मोहक स्पर्श दे रहे थे।
अपने मुख में से थूक निकाल कर उसने अपनी गाण्ड पर लगा लिया और मेरे लण्ड पर अपनी गाण्ड का छेद रख दिया। फिर जोर लगा कर उसके सुपाड़ा अन्दर घुसा लिया।
मेरे लण्ड में जलन होने लगी। मेरे मुख से आह निकल पड़ी.
“भैया … बिल्कुल फ़्रेश हो क्या?” उसने चुटकी लेते हुये कहा।
“फ़्रेश क्या … दर्द हो रहा है ना … जैसे आग लग गई है …” मैंने कराहते हुये कहा।
“भैया … तू तो बहुत प्यारा है … लव यू … कभी किसी को चोदा नहीं क्या … ?”
उसके मुख से चोदा शब्द सुन कर मेरे मन में गुदगुदी सी हुई।
“भाभी … आप पहली हैं … जिसे चोद …ऽऽ ” मैं बोलता हुआ झिझक गया।
“हां … हां … बोल … बोल दे ना प्लीज …!”
“जी … पहली बार आप ही चुद रही है … ”
“हाय रे मेरे भैया …!” चुदाई की बातें उसे बहुत ही रस पूर्ण लग रही थी।
उसने मुस्कराते हुये अपनी गाण्ड पर और जोर लगाया।
मेरा लण्ड भीतर सरकता गया और जलन बढ़ गई।
पर मौका था और इस मौके को मैं छोड़ना नहीं चहता था। मस्ती भी बहुत आ रही थी।
भाभी ने मुझ पर झुकते हुये मेरे अधरों को अपने अधरों से भींच लिया और कहने लगी- आप शर्माते बहुत है ना … देखो आपके भैया ने मेरी क्या हालत कर दी थी, मुझे पीट पीट कर मेरा तो पूरा शरीर तोड़ फ़ोड़ कर रख दिया, और आप हैं कि मेरे एक एक अंग को फिर से ठीक कर दिया, मेरे प्यारे भैया, आप बहुत अच्छे हैं।
“कांची तू बोलती बहुत है … अब जो हो रहा है उसकी मस्ती तो लेने दे!”
“हाय रे, तेरा लाण्डा पुरजोर है … ”
“ये लाण्डा क्या है … ”
“जिसका लण्ड बहुत मोटा होता है उसे हम लड़कियां लाण्डा कहती हैं … ही ही … ”
वह मुँह से मेरा होंठ चाटते हुये हंसी।
मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में फ़ंसा हुआ था। वह हौले हौले ऊपर नीचे हो कर आनन्द ले रही थी। मेरा लण्ड तरावट में मीठी मीठी लहरों का मजा ले रहा था।
मैं भी अपने चूतड़ों को धीरे धीरे हिला कर चुदाई जैसी अनुभूति ले रहा था। जैसे ही उसके धक्के थोड़े तेज हुये, मेरा बांध टूटने लगा। बदन में कसक भरी मिठास उफ़नने लगी और अचानक ही मैंने उसे अपनी बाहों में भींच लिया।
“कांची मेरा तो निकला … हाय … आह … ” और उसकी गाण्ड की गहराईयों में लण्ड वीर्य उगलने लगा।
“मेरे प्यारे भैया, निकाल दे … सारा भर दे मेरे अन्दर … पूरा निकाल दे …!” उसने मुझे चूम लिया और प्यार भरी नजरों से मुझे निहारने लगी।
वीर्य निकलने के बाद मेरा लण्ड सिकुड़ कर बाहर आ गया। उसकी गाण्ड की छेद से वीर्य टप टप करके बाहर टपकने लगा।
“पता है इतना मजा तो मुझे कभी नहीं आया … हां जोरदार चोदन जैसा अनुभव तो मुझे बहुत है … आपके भैया तो जानवर बन जाते हैं … ” वह मेरी छाती पर लेटे-लेटे ही बोली।
“भाभी, अब भूख लगी है … कुछ खिलाओ ना …!”
“रुक जा … अभी तो मेरी सू सू बाकी है … उसे खिलाऊंगी तुझे …!”
उसकी भाषा पर मैं शरमा गया … फिर भी कहा,”भाभी … खाना खाना है … सू सू नहीं …!”
कांची खिलखिला कर हंस पड़ी … वह उठी अपना पेटीकोट ठीक किया और दूध का एक गिलास भर कर ले आई।
मैंने एक ही सांस में पूरा गटक लिया।
“हां सू सू खिलाओगी … या पिलाओगी …?”
“धत्त … पागल हो क्या!” अपना पेटीकोट उतारते हुई हंसने लगी।
“इसकी बात कर रही हूँ … ” उसने चूत की तरफ़ इशारा किया।
मैं अनजाना था … कहा,”हां, हां … यही तो है सू सू … ”
“चल हट, बुद्धू बालम जी … ” हंसती हुई उसने अपना ब्लाऊज उतार दिया.
“माल तो यहाँ है बालमा … थोड़ा सा स्वाद तो लो …” कांची ने अपने ओर इशारा करते हुए कहा।
मैं अब नंगा हो कर बिस्तर पर बैठ गया था- कांची … रे … इसमें तो छोटा सा मुत्ती का छेद है … फिर तुम्हारा ये लाण्डा …कैसे डलवाओगी?
“तुम क्या सच में इतने बुद्धू हो … सच है जिसका माल ही आज पहली बार निकला हो, उससे क्या उम्मीद की जा सकती है?” उसकी खिलखिलाती हंसी से मैं झेंप सा गया।
तभी कांची के छोटे छोटे मम्मे मेरे अधरों से टकराये।
उसके मम्मे की नरम सी रगड़ से मेरे रोंगटे खड़े हो गये।
सेक्स का इतना मधुर अनुभव होता है, यह मुझे आज ही मालूम हुआ।
पता नहीं भैया को इन सबका अनुभव है या नहीं। …फिर इतनी बेदर्दी क्यूँ … जंगलीपना … वहशीपना … अब यह तो मेरी पत्नी नहीं है ना … अगर यह सुखों का भण्डार है तो जब स्वयं की पत्नी आयेगी तो वो मुझे निहाल कर देगी।
मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था। मेरे जैसे बुद्धू को चोदना तक नहीं आता था …। वो फिर से एक बार मेरे ऊपर चढ़ गई … मेरे खड़े उफ़नते लण्ड पर वो अपनी सू सू घिसने लगी … उसकी सिसकी निकल पड़ी … फिर मेरा सुपाड़ा फ़क से चूत में उतर गया।
“आह रे कांची … ये सू सू इतनी चिकनी होती है … इसे ही चूत कहते हैं क्या?”
“आह्ह्ह्ह … बस चुप हो जा … बुद्धू … ये चूत ही है … सू सू नहीं …!” मेरे अधरों से अपने अधरों को रगड़ती हुई बोली।
उसकी आवाज में कसक भरी हुई थी।
वो अपने ही होठों को काटते हुये बड़ी सेक्सी लग रही थी। उसके सांवले रूप का जबरदस्त लावण्य किसी को भी पिघला सकता था।
उसका कोमल गुंदाज़ जिस्म मेरे बदन में जैसे आग लगा रहा था। उसकी कमर ने एक प्यार भरा हटका दे दिया और उसका बदन जैसे शोलों में घिर गया।
उसने एक लचीली लड़की की तरह अपना बदन ऊपर उठा लिया और चूत को मेरे लण्ड पर एक सुर में अन्दर बाहर करने लगी।
उसके मुख से सिसकियाँ निकलने लगी। मेरी सीत्कारें भी कुछ कम नहीं थी।
फिर से एक बार मेरी तड़प बढ़ने लगी। मेरे चूतड़ नीचे से उछल उछल कर उसके धक्के लगाने में सहायता कर रहे थे।
कांची की कमर तेजी से चलने लगी थी जैसे जन्मों की चुदासी हो … उसके होंठ फ़ड़क रहे थे … पसीने की बूंदें छलक आई थी चेहरे पर …
उसका चेहरा लाल हो गया था।
उसकी चूचियाँ दबाने से और मसलने से लाल हो गई थी … उसकी जुल्फ़ें जैसे मेरे चेहरे से उलझ रही थी … आंखें भींच कर बन्द कर रखी थी।
वो अपूर्व आनन्द के सागर में डूबी हुई थी।
अचानक जैसे वो चीख सी उठी- हाय मेरे भैया … मुझे समेट ले … कस ले बाहों में … मैं तो गई … माई रे … मेरे राजा … मेरे बालमा … मुझे जोर से प्यार कर ले … उईईई … ईईई इह्ह्ह!
मुझे यह सब समझ में नहीं आया पर उसके कहे अनुसार मैंने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया।
वो सीत्कार भरती हुई मेरे लण्ड पर दबाव डालने लगी और फिर उसकी चूत में लहरें सी चलने लगी … जैसे मेरे लण्ड को कोई नरम सी चीज़ लिपट रही थी।
उसका पानी निकल चुका था।
तभी मेरा लण्ड भी नरम सी गुदगुदी नहीं सह पाया और एक बार और मेरा वीर्य छूट पड़ा।
मुझे लगा कि इस बार वीर्य कम ही निकला।
नीचे दबे हुये मैंने एक दीर्घ श्वास ली … और अपने ऊपर कांची के तड़पने आनन्द लेता रहा।
थकी हुई सी, उखड़ी हुई तेज सांसें, भारी सी अखियाँ, उलझी हुई जुल्फ़ें, चेहरे पर पसीने की बूंदें … चेहरे पर अजीब सी शान्ति भरी मुस्कान … लग रहा था कि बरसों बाद उसे दिली संतुष्टि मिली थी.
उसने अपनी नशे से भारी पलकें मेरी तरफ़ उठाई और अपने होंठों को मेरे होठों से रगड़ती हुई बोली- मेरे बालमा … साजना … तुम मुझे ही अपनी पत्नी बना लो, देखो अपनी उम्र भी बराबर है … हाय रे, मैं तो तुम्हारे बिना मर जाऊंगी!
“भाभी मजाक तो खूब कर लेती हो … पर यह तो बताओ अभी यह सू सू थी या चूत?”
“उह्ह्ह … तुम तो … अब मारुंगी … इस उम्र में मुझे बताना पड़ेगा कि सू सू और चूत में क्या फ़र्क है …? जाओ हम नहीं बोलते।”
“पर घुसा तो मुत्ती में ही था ना … ?”
“ओ हो … अब ये कुर्सी तुम्हारे सर पर दे मारूंगी … बुद्धू, बेवकूफ़, हाय रे मोरा नादान बालमा …!!” उसकी खिलखिलाती, ठसके भरी जोर की हंसी मुझे सोचने पर नमजबूर कर रही थी कि मैंने ऐसा क्या कह दिया है … ?
मेरी प्यारी और अनुभवी पाठिकाओ, यदि आपको ऐसा बालमा मिल जाये तो आपको कैसा लगेगा? Hindi Porn Stories
The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first.
We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.