Important Notice: Click on "Post Your AD" to post free ads !!!

Massage Girl in Shimla: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Shimla who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Shimla that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Shimla massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Shimla who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Shimla massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Shimla massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Shimla who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Shimla employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Shimla helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Shimla

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Shimla at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

नमस्कार प्रिय पाठक Hindi Porn Stories

मैं आपको अपनी एक कहानी Hindi Porn Stories बताता हूँ। मैं मुम्बई का रहने वाला हूँ। मेरी कहानी १९ मई २००९ को घटी सच्ची कहानी है। मेरे घर के सारे सदस्य गाँव गए थे तो मुझे ही घर का पूरा काम करना पड़ता था। पूरे घर का काम करने में पूरा दिन चला जाता तो मैं अपने दोस्त को रोज़ नहीं मिल पाता। मेरे दोस्तों के समूह में हम ७ दोस्त थे। ३ लड़कियाँ और ४ लडके। उसमें से सिर्फ़ ३ लोग ही मुम्बई में थे। सोनाली (परिवर्तित नाम), राज और मैं।

१७ मई को राज अपने दादी के घर चला गया तो फिर सोनाली और भी बोर होने लगी। क्योंकि सोनाली तो बहुत ही अमीर परिवार से थे और रोज़ हमें घुमाने या पार्टी के लिए ले जाती थी। सोनाली वैसे दिखने में एकदम हॉट, सेक्सी है। कोई भी उसे देखे तो उसका खड़ा होकर अण्डरवीयर में सलाम करता होगा। उसकी फिगर तो शायद ३२-२८-३२ होगी। उसकी एक-एक अदा हर किसी को फ़िदा होने पर मज़बूर करती थी। उसके होंठ तो एकदम लाल टमाटर जैसे थे, उसे देखकर मुझे तो रोज़ किस्स करने की इच्छा होती, पर कभी मौक़ा नहीं मिला था।

१९ तारीख को मेरा नसीब खुल गया और सोनाली ने मुझे कॉल किया और पूछा कि क्या आज तुम खाली हो क्या। मुझे लगा कि आज वह फिर से मुझे कहीं घुमाने ले जाना चाहती है। मैंने कहा – हाँ फ्री हूँ।

तो उसने कहा – मैं तेरे घर आ रही हूँ।

मैंने कहा – ठीक है।

फोन रखने के लगभग २० मिनट बाद वह मेरे घर आ गई। मैं अपने घर में हमेशा की तरह कम्प्यूटर पर गाने सुन रहा था। मैंने उससे पूछा कि चाय या सॉफ्ट-ड्रिंक लोगी, तो उसने कहा कुछ भी चलेगा। मैं उसके पसन्द की ७अप की २ गिलास लेकर बाहर आया तो देखा कि सोनाली मेरे कम्प्यूटर के सामने बैठी है। मैंने उसे १ गिलास दिया और मैं उसके पास वाले बिस्तर पर बैठ गया। उसे सेवन अप की घूँट मारी और कम्प्यूटर में मेरी तस्वीरें देखने लगी।

अचानक उसने मेरी एक हॉट तस्वीर देखी और फिर मुझे घूर कर देखने लगी। मैं उसे देखकर डर गया। उसी समय उसका मोबाईल बजा और उसके हाथ से गिलास उसकी चूचियों पर गिर गई और उसकी टीशर्ट भीग गई। टीशर्ट भीगने के कारण उसकी सफ़ेद टी-शर्ट से उसकी ब्रा साफ-साफ दिखने लगी। मैं तुरन्त उठकर उसके पास चला गया और गिरा हुआ गिलास उठाया और पूछा, कहीं लगी तो नहीं। वो शर्म के मारे मुझसे नज़रें नहीं मिला पा रही थी। उसे ऐसी हालत में देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने उससे कहा कि बाथरूम में जाकर धो लेना, पर वह नहीं मानी। और उसी हालत में वह घर से बाहर भी नहीं जा सकती था। तो वह मान गई और बाथरूम चली गई। १० मिनट वो बाहर नहीं आई, मैं सोचने लगा कि क्या कर रही होगी।

जब वह वापस आई तो मैं उसे बस देखता ही रह गया। वह काले रंग की ब्रा और पैन्टी पहने हुए मेरे सामने थी। थोड़ी देर के लिए मैं बिल्कुल सुन्न हो गया था। फिर मैं होश में आया और सीधे जाकर उसे ज़ोरों से गले लगा लिया और उसके होंठों पर होंठ रखकर चूमने लगा। उसे ख़ुद को सँभालने का मौक़ा भी नहीं मिला।

चूमते-चूमते मैंने अपना एक हाथ उसकी पैन्टी के अन्दर डाल कर उसके गोरे-गोरे और मुलायम चूतड़ों को सहलाने लग गया। फिर मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी। ब्रा उतारते ही उसकी गुलाब़ी घुण्डियों वाली चूचियाँ मेरे सामने थीं। मैंने उन्हें दबोच लिया और एक हाथ से उसकी घुंडी को मसलने लगा, तो उसकी सिसकियाँ निकल पड़ीं। फिर मैंने एक झटके से उसकी पैन्टी को उतार कर उसे बिस्तर पर लिटा दिया, उसने भी मेरे कपड़े उतार दिए।

उसके गाँड की छेद भी गुलाबी रंग की थी। मैं बीच-बीच में उसमें भी उँगली डाल देता, जिससे वह अचानक चिहुँक पड़ती। थोड़ी देर ऐसा करने के बाद मैंने उसे नीचे लिटा दिया, उसकी टाँगों को अपने कंधों पर रखकर मैंने अपना लंड उसके गाँड की छेद पर रखा और हल्का सा धक्का लगाया तो मेरे लंड का सुपाड़ा उसके अन्दर चला गया, जिसके कारण वो चिल्ला पड़ी। मैं रुक गया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा, उसका दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैंने फिर उसकी जाँघों को पकड़ कर धक्का मारा और पूरा लंड अन्दर घुसा दिया। वह एकदम से चिल्ला उठी।

मैंने उसके होंठों को चूमना शुरु कर दिया, फिर थोड़ा सामान्य होने पर मैं उसकी गाँड में अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगा। अब उसे भी मज़ा आने लगा। मैंने साथ में उसकी चूत में ऊँगली करना भी जारी रखा, जिससे उसे और भी मज़ा आ रहा था। वह सिसकारियाँ लेने लगी और बोली, निशु थोड़ा और तेज़ करो। मैंने चुदाई की गति में और बढ़ावा किया। थोड़ी देर बाद उसकी चूत से पानी आने लगा।, और वह अपनी गाँड को दबोचने लगी। उसने कहा, “निशु… मैं गई… मैं गई…!” कहते हुए फिर वो आहह ह्हहहह… आह्ह्ह हहहह करने लगी।”

पर मैं रुका नहीं। जल्द ही मेरा भी निकलने वाला था, मैंने पूछा – “सोनाली कहाँ छोड़ूँ?”

उसने कहा, “अन्दर ही।”

थोड़ी देर धक्के मारने के बाद मैंने अपना सारा वीर्य उसकी गाँड में ही छोड़ दिया। यह पहला अवसर था कि मैं किसी की गाँड में स्खलित हुआ था।

फिर मैं उसके ऊपर लेट गया, थोड़ी देर लेटे रहने के बाद हमने एक-दूसरे को साफ़ किया और वापस आकर दुबारा बिस्तर पर लेट गए और बातें करने लगे। थोड़ी देर बाद मैं फिर से तैयार हो गया। पिर मैंने उसकी चूत की जमकर चुदाई की।

उस दिन मैंने उसकी २ बार चुदाई की।

फिर हम २२ को वाटर किंगडम चले गए और वहाँ भी मज़े लिए। यह मैं अगली कहानी में लिखूँगा।

मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे मेल ज़रूर करें! Hindi Porn Stories

दोस्तो, यह बात उस समय की है जब मेरी पोस्टिंग कोटा में थी और विभाग में मैं नया था।

वहाँ मैं जवाहर नगर में किराए से रहता था। इत्तेफाक से दोस्तों वहीं पास में हमारे विभाग के एक अधिकारी का घर भी था जो दूसरे कार्यालय के अधिकारी थे।

मुझे पता नहीं था.. फिर भी मैं आते-जाते उनकी मैडम को देखा करता था।

वो देखने में तो कुछ खास नहीं थी.. फिर भी पता नहीं क्यों.. मेरी नज़र उनको ताकती रहती थी, क्योंकि उनका फिगर ही कुछ ही ऐसा था।

देखने में तो 34-28-36 के भरे-भरे से आम के जैसे चूचे थे.. जिन्हें देख कर मेरा मन करता था कि अभी जाकर सारा का सारा दूध निचोड़ लूँ और गांड तो ऐसे मटका कर चलती थी कि मुर्दों के लंड भी खड़े हो जाएँ।

इस बात को वो भी भांप चुकी थी कि मैं उसको देखता हूँ।

ऐसा करते-करते 5-6 महीने बीत चुके थे। गर्मी के दिनों की बात थी दोस्तों.. मेरी छुट्टी थी तो मैं ऑफिस नहीं गया था।

मैं अपने कमरे के बाहर कुर्सी लगा कर बैठा था.. तभी मैंने उनकी आवाज़ सुनी.. वो अपने मोबाइल पर किसी से बात कर रही थी।

थोड़ी देर बाद समझ आया कि वो सर से बात कर रही थी। बात पूरी होने के बाद उन्होंने मुझे देखा तो मुझे बुलाया।

मैं उनके पास गया तो वो मेरी ओर देखते हुए मुस्कुरा रही थी।

उन्होंने मुझसे मेरा परिचय पूछा.. तो अपने और अपनी जॉब बारे में मैंने उन्हें सब बताया।

फिर वो मुझसे बोली- हमारे बारे में जानते हो?

मैंने मना किया- नहीं…

उन्होंने मुझे बताया कि उनके पति आपके विभाग में असिस्टेंट इंजीनियर हैं।

तो मैं तो बुरी तरह से डर गया और सोचा कि अब तो मेरी नौकरी गई, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

उन्होंने मुझे बताया कि उनका कूलर चलते-चलते ख़राब हो गया और उसे ठीक करने कोई नहीं आ रहा, क्योंकि उनकी लाइन पार्टी बिजी थी।

मैंने मन में सोचा कि आज अच्छा मौका है.. इसे मत जाने दे।

मैं बोला- मैम मैं देख लूँ कूलर को?

वो बोली- हाँ.. हाँ.. क्यों नहीं।

मैंने कूलर को अन्दर से खोल कर देखा तो उसके मेन कनेक्शन में से एक वायर निकला हुआ था.. जो मैंने जोड़ दिया और स्विच ऑन किया तो उनका कूलर चल गया।

वो बड़ी खुश हुई.. उन्होंने मुझे बिठाया और चाय बनाने चली गई।

बाद में उसने सर को भी बोल दिया कि कूलर ठीक हो गया।

जब हम चाय पी रहे थे तो मैडम मेरी ओर झुक कर बैठी हुई थी.. जिसके कारण मुझे उनके बोबे दिखाई दे रहे थे।
उनको देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया।

उस समय मैंने लोअर पहन रखा था जिसके कारण वो स्पष्ट दिख रहा था। मैंने बहुत छुपाने की कोशिश की.. मगर मैडम ने इसे भांप लिया था और मुझसे बोली- तुम मुझे क्यों देखते हो?

मैं बोला- ऐसे ही।

वो फिर मेरे पास आकर बैठी और बोली- मैं सब समझती हूँ और जानती हूँ कि इस समय तुम्हारे मन में क्या चल रहा है।

मैं चुप रहा।

वो आगे बोली- अंश.. आपके सर इस काबिल नहीं है जो मुझे तन का सुख दे सकें क्योंकि शादी के बाद एक एक्सीडेंट की वजह से उनकी सेक्स करने की क्षमता कम हो गई और मैं इसके लिए तरसती रहती हूँ.. क्या तुम मेरी ये इच्छा पूरी करोगे?

मैं बोला- मैडम यह सच है कि मैं आपको देखता हूँ लेकिन मैं आपके साथ ऐसा नहीं कर सकता।

मगर उन्होंने फिर दोबारा अपनी चाहत को दोहराते हुए मेरे लंड को पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी।

फिर मैंने भी उनकी व्यथा को समझते हुए अपने आपको उनके आगे सरेंडर कर दिया।

मैंने भी देर न करते हुए उनके लबों को अपने लबों के आगोश में ले लिया और उनके होंठों का रसपान करने लगा।

वो भी मेरे लंड को लोअर के ऊपर से ही मसल रही थी और मैं उन्हें चूमते हुए उनके बोबों को बड़ी बेदर्दी से एक-एक करके मसल रहा था।

मैडम ने गाउन पहना हुआ था तो मैंने गाउन के अन्दर हाथ डाल दिया।

चूंकि उन्होंने गर्मी के कारण अन्दर कुछ नहीं पहना हुआ था, तो मैं उनके बोबों की घुंडियों को मसलने लगा।

मेरे ऐसा करने से वो बेचैन हो उठी और मेरे लंड को लोअर से बाहर निकालकर अपने रसीले होंठों के बीच कैद करके उसे बड़े ही प्यार से लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.. मैं तो जैसे हवा में उड़ने लगा।

वो मेरे लंड को जिस तरीके से चूस रही थी, मुझे लगा कि वो कई दिनों की प्यासी हो।

फिर अंत में मेरे लंड ने उनके मुँह में ही अपना ‘सोमरस’ छोड़ दिया.. जिसे वो बड़े प्यार से गटक गई और चाट-चाट कर मेरे पूरे लंड साफ़ कर दिया।

फिर मैंने उसका गाउन उतारा तो अन्दर से वो पूरी नंगी थी।

जिन बोबों को मैं रोज़ देखने की तमन्ना रखता था, आज वो मेरे सामने थे।

मैंने बड़े ही प्यार से उनके एक निप्पल अपने दांतों से काटा तो उनके मुँह से एक ‘सी..सी..’ करते हुए एक सीत्कार निकली।

अब मैं उनके बोबों को दबाते.. मसलते हुए एक-एक करके उनको चूसने लगा और वो अपने मुँह से मादक सीत्कार निकालने लगी।

‘आह.. आह.. उह्ह.. उह्ह.. सी.. आह.. मर गई..’

दोस्तों जब मैं उनके बोबों को मसलते हुए चूस रहा था तो वो अपने ही दातों से अपने ही होंठों को काट रही थी और मेरे बालों में अपनी ऊँगलियाँ फेर रही थी।

उनके मस्त बोबों को चूसते हुए मैं अपने एक हाथ को उनके बदन को सहलाते हुए उनकी चूत के ऊपर ले जाकर चूत के दाने को मसलने लगा।
मेरे ऐसा करने से वो और भी मस्ती में चूर होकर ‘उह्ह उह्ह आह आह हाय मैं मर गई’ जैसी सीत्कारें निकालने लगी।

मैडम की चूत एकदम गीली होकर धीरे-धीरे अपनी चूत से पानी छोड़ रही थी और वो जल बिन मछली की भाँति तड़प रही थी और मस्ती में कह रही थी- मेरी जान.. इसी चीज़ का तो मुझे बड़ी बेसब्री से इंतज़ार था.. इस निगोड़ी चूत ने बड़ा परेशान कर रखा था।

फिर मैं धीरे से नीचे गया और उनकी चूत की पंखुड़ियों को अपने होंठों से चाटने व काटने लगा.. तो जैसे वो तो पागल हो गई।

मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से चोदते हुए चाटने लगा और मैडम अपनी कमर उचकाते हुए अपनी चूत को इस तरह चटवा रही थी कि जैसे मेरे मुँह में समां जाएगी।

मैं भी कहाँ पीछे हटने वाला था, उनको जैसे चटवाने का शौक था.. तो उसी तरह मुझे चाटने का शौक था।

फिर मैडम बोली- अंश मेरे भोसड़े में अपना लंड डाल दो.. अब मुझसे रहा नहीं जा रहा…

लेकिन मैं अपनी मस्ती में ही चूत चाटने में लगा हुआ था। मैडम तो जैसे पागल हो रही थी.. अपनी मस्ती के नशे में चूर होकर वो मेरे बालों को नोचते हुए अपनी चूत को मेरे मुँह पर जोर-जोर से रगड़ने लगी।

उसकी स्थिति को समझते हुए फिर मैंने अपने लंड को उसकी मुनिया(चूत) के मुँह पर लगाया और एक धीरे से धक्का लगाया।

मैडम की चूत इतनी गीली थी कि ‘गच्च’ की आवाज़ के साथ मेरा लवड़ा मैडम की चूत की गहराइयों में उतरता चला गया।

फिर धीरे से मैंने अपने लंड को बाहर खींचा और वापस मैडम की चूत में पेल दिया।

फिर मैं मैडम की चूत में अन्दर-बाहर.. अन्दर-बाहर.. लंड पेलने लगा और मैडम भी हर धक्के का जवाब अपनी कमर को उचकाते हुए दे रही थी।

मैं अपने दोनों हाथों से उसकी कमर को पकड़ कर उसको चोद रहा था।

मैडम मस्ती के नशे में चूर होकर कह रही थी- चोद… मेरे राजा… उम्ह्ह उम्ह्ह.. आह.. आह… हाय… चोद… मेरे राजा.. आज मेरी चूत की खुजली मिटा दे.. मेरी चूत का भोसड़ा बना दे.. बहुत परेशान कर रखा है इस निगोड़ी ने.. आज के बाद मैं सिर्फ तुमसे ही चुदवाऊँगी.. घुसा दे अपना पूरा लंड मेरे राजा.. आह.. आह .. हाय मेरी जान।

हर एक धक्के पर गीली चूत के कारण ‘फच्च.. फच्च.. फच्च..’ की आवाज़ आ रही थी, जिसकी वजह से में भी पूरे जोश के साथ मैडम की चुदाई कर रहा था।

उसको चोदते हुए मुझे 7-8 मिनट हो गए थे। अब मुझे भी लगने लगा था कि मैं अब झड़ने वाला हूँ।

चुदाई करते हुए मैंने मैडम से कहा- मेरा पानी छूटने वाला है.. तो अन्दर ही छोड़ दूँ या बाहर…

मैडम बोली- अन्दर ही छोड़ दो.. मेरे कोई बच्चा नहीं है।

फिर मैंने देर न करते हुए अपने लंड को चूत से बाहर निकाला और मैडम के दोनों पैरों को उठाते हुए अपने कन्धों पर रखा और वापस अपने लंड को उसकी चूत में पेल दिया और जोर-जोर से उसकी चूत चोदने लगा।

जैसे ही मैडम ने कहा- मेरा पानी छूटने वाला है।

उसी समय मेरा लंड भी जवाब देने वाला था तब मैंने मैडम के पैरों को पूरी तरह से उठाते हुए उनके पैरों के घुटनों को उन्हीं के कन्धों से मिला दिया।

मेरे ऐसा करने से मैडम की चूत थोड़ा और ऊपर की ओर उठ गई और मैं जोर-जोर से उसकी चूत को चोदने लगा।

फिर करीब 8-10 धक्कों के बाद हम दोनों एक साथ झड़ने लगे और मेरे लंड की एक-एक बूंद उनकी चूत में उतर गई।

उस समय मैडम ने मुझे अपने शरीर से पूरी तरह चिपका लिया।
हम दोनों के शरीर पसीने से लथ-पथ हो चुके थे।

जब हम नार्मल हुए तो मैडम ने मुझे धन्यवाद दिया और मुझसे बोली- मैं आजीवन तुम्हें नहीं भूलूंगी।

उसके बाद हम दोनों साथ-साथ नहाए और नहाते हुए एक और चुदाई का राउंड लिया।

नहाने के बाद मैडम ने मुझे बिठाया और अपने हाथों से खाना बनाया और फिर हम दोनों ने साथ में खाना खाया।

फिर मैडम मुझे 2000 रूपये देते हुए कहा- ये आपका इनाम और फिर जरुरत पड़े तो मांग लेना.. आज से मैं अब तुम्हारी हुई।

मैंने वो पैसे लेने से इंकार कर दिया और मैडम से बोला- मैं ये काम पैसे के लिए नहीं करता बल्कि मुझे चुदाई करने का शौक है.. इसलिए करता हूँ। आप अपने पैसे अपने पास रखिए.. हाँ.. अगर कभी मुझे इनकी जरुरत पड़ी तो आप से जरुर मांग लूँगा।

फिर उसके बाद मैं चला गया। फिर मुझे जब भी मौका मिलता तो मैं उनकी चूत की भूख मिटाता।

फिर एक दिन उन्होंने मुझे अपने गर्भ से होने की बात बताई तो मैं भी बहुत खुश हुआ।

बाद में मैडम ने सारी बात सर को बताई तो उन्होंने भी परिस्थिति से समझौता करते हुए मुझे बुलाकर मेरा धन्यवाद करते हुए कहा- जीवन में जब कभी भी हमारी जरुरत पड़े तो निसंकोच आ जाना।

उसके बाद तो मेरी जैसे लाटरी निकल गई।

Antarvasna

हाय मैं राजेशमेरी उम्र २० वर्ष है आपके लिये मै एक ऐसे स्टोरी Antarvasna लेकर आया हूँ जिसे पढकर आपका मन चोदने और चुदवाने का करने लगेगा

मेरे घर में चार भाई है और मेरे पिताजी है माँ का देहांत तब ही हो गया था जब मेरी उम्र ९ साल की थी। मेरे दो भाई मुंबई में सॉफ्टवेर इन्जिनेअर है जबकि सबसे बड़ा
भाई हमारे साथ ही जालंधर में रहता है। मेरे भाई की शादी हुई तो मैं बड़ा खुश हुआ कि जो माँ का प्यार माँ से नहीं मिला वह भाभी से मिल जायेगा। शादी के बाद भाभी
हमारे साथ ही रहने लगी हम गाँव के सबसे बड़े परिवार से ह। पिताजी का धयान रखने के लिए नौकर तो था पर नौकर और घर के सदस्य में रात दिन का अंतर था। भाभी
भी मुझसे मजाक किया करती।

एक दिन की बात है मैं बाथरूम में नहाने जा रहा था तो मेने भाभी से मेरी अंडरवियर और बनियान मांगी। भाभी बोली कि देवर जी आप नहाना तो शुरू करो मैं ढूँढकर
लाती हूँ मेने कहा ठीक है जब मैं नहा लिया और मैं केवल एक पतला सा टॉवेल लपेटकर खडा था तभी भाभी आई और बोली कि लो अपने अंडरवियर लो यह कहकर वो
दरवाजे के बहार खड़ी होकर दूर से अपना हाथ दिखा रही मेने भाभी से अंडरवियर लेने के लिए जैसे ही दरवाजा खोला भाभी ने दरवाजे में जोर से धक्का दिया और मेरे
बाथरूम में घुस आई और मेरी कमर पर गुदगुदी करने लगी्।

इस मजाक में वह हो ही गया जिसका मुझे डर था मेरा टॉवेल खुल गया और भाभी के हाथ में मेरा लिंग आ गया.
इसी बीच मैं शर्म के मारे बाथरूम से नंगा बाहर निकल कर भाग गया क्यूंकि उस समय घर पर मेरे और भाभी के अलावा कोई नहीं था.

इस बात पर मैं भाभी से इतना नाराज़ हुआ कि पूरा दिन बोला नहीं।
पर शाम को वह मुझसे बोली कि राजेशतुम मुझसे नाराज़ हो क्या?
तो मेने अपनी नाराजगी तोड़ते हुए न कहा दिया। अगले दिन जब मैं पढ़ाई कर रहा था तभी भाभी मुझसे बोली कि राजेशमैं
नहाने जा रही हूँ तुम कल की बात का बदला लेने की कोशिश मत करना,
तो मैं बोला- नहीं भाभी, मैं तो उस बात को कब का भूल चूका हूँ।

तभी नहाते हुए भाभी बोली कि राजेशमुझे एक साबुन लाकर दो मेरा साबुन खत्म हो गया है मैं बोला अभी तो मैं दुकान जाकर साबुन नहीं ला सकता। भाभी बोली कि
दुकान से लाने को थोड़े ही कह रही हूँ, मेरे ड्रोर में रखा वहीं से ला दो। जैसे मैं साबुन लेकर आया तो भाभी दरवाजे में से मुह निकालकर झांक रही थी तो जैसे ही मैंने जैसे
ही हाथ बढाया तो भाभी ने साबुन लेने के बहाने मेरा हाथ पकड़ कर खींच लिया और मैं बाथरूम में गिरने लगा तो भाभी ने हाथ पकड़कर मुझे संभाला तभी मेरा हाथ उनकी
चूत पर पड़ गया। मैंने देखा कि भाभी बिलकुल नंगी खड़ी थी और उनके बूब्स बहुत बड़े थे और उनके निप्पल गुलाबी रंग के थे और उनकी चूत पर बहुत बड़े बाल थे और उन
बालो के कारण चूत भी ठीक से नहीं दिख रही थी।

तभी मुझे अपन पेंट में कुछ रेंगने का अनुभव हुआ मैंने देखा जब तक तो भाभी मेरे पूरे कपडे (पेंट, अंडरवियर) दोनों उतार चुकी थी। मैं भाभी के सामने बिलकुल निवस्त्र खडा था और भाभी मेरे लंड को बड़े मजे से चूस रही थी तभी भाभी ने नीचे लेट कर पोसिशन ६९ में आ गयी और अब वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं उनकी न चाह कर भी उनकी बालो वाली चूत चाट रहा था थोडी देर बाद वह उठी और मुझसे अपना 7″ लंबा लंड मेरी चूत में डालने को कहने लगी

मैंने जैसे ही अपना लंड भाभी की चूत पर रख कर जोर से धक्का दिया वह भाभी की चूत में न जाकर वहां से फिसलकर पीछे की और सरक गया फिर भाभी बोली जानू ऐसे नहीं और फिर वह साबुन उठाकर अपने हाथ पर लगाकर मेरे लंड पर रगड़ने लगी फिर उसके बाद उन्होंने उतना ही साबुन अपनी चूत पर लगा दिया और फिर बोलीं कि जान अब धक्का दो जैसे ही मैंने जोर से एक धक्का दिया वह चिल्ला पड़ी आआह्ह्ह् ईईइह्ह् ऊऊह्ह् फिर मैंने एक और झटका देकर पूरा लंड भाभी की चूत में समां दिया और अब उनका और मेरा शरीर आपस में रगड़ने लगे उस दिन भाभी ने मुझे जिन्दगी मैं पहली बार सेक्स करना सिखाया

लेकिन उस सेक्स के बाद मुझे उस गलती पर बड़ा पछतावा हुआ और मैंने भाभी के कितना भी उकसाने पर ये गलती न दोहराने का संकल्प लिया। एक दिन जब मैं बाज़ार सामान लेने गया तो मुझे रास्ते जाकर ध्यान आया कि मैं पैसे लाना तो भूल गया हूँ। जैसे ही मैं घर पैसे लेने वापस आया तो देखा कि भाभी एक नौकर के साथ चिपकी हुई थी मुझे देख कर वह दूर हट गयी और फिर नौकर मुझे देख कर चला गया तभी मैंने भाभी से पूंछा तो वह कहने लगी कि तुम्हारे भैया तो बस काम के कारण बाहर ही रहते है उन्हें तो मुझे संतुष्ट करने का तो उन्हें कोई ख्याल नहीं रहता और तुम भी मेरे साथ एक बार सेक्स करके ही रह गए अब तुम ही बताओ ऐसे में मैं क्या करूं

वह बोली तुम्हे तो मेरे साथ … ऐतराज़ है मै बोला ऐतराज नहीं है मैं इस काम को पाप समझता हूँ वह बोली कि तुम मुझे इस तरह खु्श करो कि तुमसे पाप भी न हो और मुझे मजा भी आ जाये। मैं बोला क्या सच में ऐसा हो सकता हैं वह बोली कि हाँ क्यूँ नहीं तो मैंने कह दिया ठीक है वो मुझे कमरे मैं ले गयी और मेरे होठ चूमने लगी तो मैंने मना किया तो वह बोली कि मैं तुमसे तुम्हारा लंड अपनी चूत में डालने को तो नहीं कह रही हूँ फ़िर उन्होंने मेरे पूरे कपडे उतार दिए फिर अपने कपडे भी उतार कर बैठ गयी और मेरा लंड जोर जोर से चूसने लगी तभी मेरी नज़र उनकी चूत पर गयी आज वह बड़ी सुंदर और चिकनी दिख रही थी अब मुझसे नहीं रहा गया और मैं अपना संकल्प भूलकर पोसिशन ६९ में आकर भाभी की चूत चाटने लगा।

फिर भाभी ने मुझे उठाकर मेरा मुंह अपने बूब्स पर रख दिया फिर मैंने दोनों स्तनों से नीचोड़ नीचोड़ कर स्तनपान किया और कुछ देर बाद भाभी की दोनों टांगें विपरीत दिशा में करके उनकी चूत पर लंड फेरने लगा भाभी के मुह से आआह्ह ऊऊउह्ह्ह् ईईह्ह्ह निकल पड़ा तभी मैंने भाभी की चूत पर एक जोर से झटका मारा तो भाभी और तेज़ और तेज़ कह कर मेरा साथ देने लगी मेरा जोश यह सुनकर दुगना हो गया फिर भाभी और मैं एक साथ स्खलित हो गए उस दिन मुझे पहली बार से भी ज्यादा आनंद आया अब भाभी और मैं जब भी हमें मौका मिलता है तब यह खेल खेलते है Antarvasna

मैं आपका दोस्त राजेश जयपुर से आज फिर एक नई कहानी लेकर आया हूँ ! Antarvasna

मैंने अब तक अन्तर्वासना Antarvasna पर कई कहानियाँ लिखी। जिन्हें गुरूजी ने प्रकाशित भी किया। इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूँ !
मैं अब तक कई लड़कियों को चोद चुका हूँ जिस कारण मैं लड़कियों को कैसे चुदवाने के लिए राजी करते हैं, यह बात जान चुका हूँ।

अब मैं आज की कहानी शुरू करता हूँ। यह बात जून 2009 की है जब मैं ऑडिट करने एक कंपनी में जाता था। कंपनी बहुत अच्छी थी, साथ ही वहाँ की एकाउंटेंट रीना !

बहुत सेक्सी, सुन्दर, सुडौल बदन वाली… जब वो चलती तो उसकी गांड ऐसे हिलती मानो अभी मेरा लौड़ा उसकी गांड में घुस जयेगा और वो तड़पने लगेगी…
मुझे वो बहुत पसंद थी ..
वो ऑडिट करते समय मेरी हमेशा सहयता करती…
हम लोग बहुत बातें करते ..
उसके वक्ष का आकार 34 था..
टॉप में उसके स्तन बहुत अच्छे लगते ! मानो अभी ब्रा टॉप से बाहर आ जायेंगे…

वो जींस भी बहुत टाइट पहनती थी…
मैं जब भी उसे देखता तो चोदने के बारे सोचता था…
मैं रोज़ उससे ढेर सारी बातें करता था…

हम मोबाइल पर भी बातें किया करते थे…

काम करते करते कभी कभी उसके स्तन से मेरे हाथ अड़ जाते ! शुरुआत में तो मैंने ध्यान दिया… पर जब मैं उसके वक्ष को अधिक समय के लिए छूने लगा… तो बहुत मजा आने लगा…
मैं बार बार उसके स्तनों को छूता और वो कुछ नहीं बोलती…
मुझे तो बहुत मजा आने लगा था…
जब वो खड़ी होती तो उसकी गांड पर हाथ फेरने लगा…

यह करने पर भी वो कुछ नहीं बोली तो मेरी हिम्मत बढ़ गई, अब मैं उसकी गांड के छेद में ऊँगली डालने लगा…
एक दिन तो मैंने हद ही कर दी और गांड में ऊँगली डालते डालते चूत तक पहुँच गया…
उसकी चूत पर बाल थे यह छूने से पता चल रहा था ..

एकदम से रीना मेरे हाथ पर मारती हुई बोली- यार थोड़ा धीरे करो…

मुझे तो यह सुनने के बाद और मजा आ रहा था… अब तो मुझे खुली छूट मिल चुकी थी…
अब मैं उससे इस बारे में बात करने लगा…
मैंने रीना से पूछा- तुमने कभी सेक्स किया है?
बोली- नहीं…

मैं सोचने लगा- आज फिर एक कुंवारी चूत… बड़ा मजा आएगा..
फिर बोला- मुझसे चुदवाओगी?

पहले वो कुछ नहीं बोली, फ़िर मेरे खड़े लंड पर हाथ रख कर बोली- तेरे साथ तो बड़ा मजा आएगा राजेश…
फिर मैं रोज़ उसे व्यस्क मेसेज मोबाइल से भेजने लगा जो उसे बड़े पसंद आते…

शनिवार का दिन था, मैंने पूछा- कल तुम्हारी छुट्टी है…तो कल की क्या योजना है?
बोली- जहाँ तुम चलो, वहीं चलते हैं…
मैं बोला- ठीक है ! कल पहले मूवी, फिर रेस्टुरेंट में चलते हैं !
बोली- ठीक है…

अगले दिन के लिए मैंने एक नया परफ्यूम ख़रीदा जिसकी खुशबू बहुत अच्छी थी..
मैं बहुत खुश था कि अब जल्दी एक और नई चूत मेरे लंड को मिलने वाली है.

रविवार का दिन भी आ गया…
मैं जल्दी तैयार हुआ… और हम ठीक छः बजे पर हॉल में पहुँच गए। हॉल में बहुत काम लोग थे, मूवी देखनी किसे थी, हम कोने वाली सीट पर जा कर बैठ गये।
वो बहुत मस्त कपड़े पहन कर आई थी..

रीना धीरे से मेरे कान में बोली- यार आज तो मैं पैंटी और ब्रा पहन कर नहीं आई !
हैँ?… मैंने गाल पर किस देते हुए बोला- फिर तो बड़ा मजा आएगा…!

और फिर मैंने उसकी जींस का बटन खोला और जिप भी खोल दी..
वो बोली- यहाँ ये सब क्यों कर रहे हो…?

मैं बोला- जानेमन यहाँ हमें कोई नहीं देख रहा !
फिर उसने चारों ओर देखा, वहाँ सिर्फ 20-25 लोग ही थे जो हम से काफी दूर थे…
रीना बोली- चलो अब कर सकते हो…

फिर मैंने वापिस उसकी जींस की जिप खोली और बालों वाली चूत पर हाथ फेरने लगा। उसे बड़ा मजा आ रहा था… वो मुँह से आवाजें निकालने लगी- आह आह…
मैंने बोला- जरा धीरे आवाज निकालो…
बोली- ठीक है…
फिर मैंने उसका शर्ट का बटन खोला और स्तनों को मसलने लगा… बहुत मजा आया दोस्तों..

वो बोली- यार, दोनों एक साथ मत खोलो…
मैंने फिर उसकी जींस की जीप बंद कर दी.. और वक्ष को ही दबाने लगा…

थोड़ी देर बाद इंटरवल हो गया, उसने जल्दी से अपने बटन बंद किये और मुझे कुछ खाने के लिए लाने को बोलने लगी… मैं बाहर गया और कोल्ड ड्रिंक्स और समोसे लेकर आ गया। मूवी फ़िर शुरु हो गई।
रीना बोली- यार, अब मैं तुम्हारा देखना चाहती हूँ..
मैं बोला- जानेमन, हम तो हमेशा तुम्हारे लिए तैयार हैं…

फिर उसने मेरी जींस की जिप खोली और मेरा 7.5 इंच लम्बा लौड़ा बाहर निकाला और देख कर बोली- यार, तुम्हारा तो काफी बड़ा है… बहुत मजा आएगा..
फिर वो मेरे लंड को हाथ में लेकर मसलने लगी… मुझे काफी मजा आ रहा था। काफी देर ऐसे करने पर मुझे लगा कि मेरा पानी (वीर्य) आने वाला है, तो मैंने बोला- अब रुक जाओ.. नहीं तो पानी आ जायेगा…
वो रुक गई…
हम लोग वहाँ से मूवी ख़त्म होने से 25 मिनट पहले ही बाहर आ गये और सीधे पार्क में चले गए…
अँधेरा काफी हो चुका था इसलिए पार्क लगभग खाली ही था।

हमने ऐसी कुर्सी देखी जहाँ पेड़ हों और हमें कोई ना देख पाए…
फिर हम कुर्सी पर जाकर बैठ गए… रीना घबरा रही थी…
मैं बोला- जानेमन, घबराने की कोई जरुरत नहीं है…
फिर बोली- यार, किसी ने देखा तो?
मैं बोला- इस समय कोई नहीं आता है यहाँ…
फिर वो बोली- ठीक है…

फिर मैंने उसकी शर्ट के दो बटन खोले और उसके चुचूक को मुँह में चूसने लगा…
थोड़ी देर बाद मैंने उसकी जींस खोली और उसकी बालों वाली चूत पर हाथ फेरने लगा…
वो आह आह करने लगी…
फिर मैंने उसकी चूत में ऊँगली डाल कर खोलने की कोशिश की… उसकी चूत बड़ी कसी थी…

मैंने अपनी ऊँगली पर अपना थूक लिया और चूत को धीरे धीरे खोलने लगा तो रीना बोली- यार दर्द हो रहा है…
मैं बोला- तो फिर अपना लंड डालता हूँ, कम दर्द होगा…
बोली- ठीक है…
फिर मैंने उसे बैन्च पर लिटा दिया और उसके ऊपर लेट कर उसकी चूत में अपना बड़ा लंड धीरे धीरे घुसाने लगा…
वो बोली- थोड़ा दर्द हो रहा है लेकिन मैं सहन कर लूंगी ! तुम चालू रखो..

मैंने थोड़ी गति बढ़ाई और उसकी चूत को फाड़ने लगा.. तीन मिनट बाद उसकी चूत फट गई और वो चिल्लाई- हाय राम मर गई…
मैं डर के मारे रुक गया और पूछा- क्या हुआ जानेमन…
थोड़ी देर रुक कर बोली- तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी… अब ठीक हूँ, चालू रखो !

मैं बोला- यार मुझे डर लग रहा है… कोई आ गया तो मर जायेंगे… परसों मेरे घर कोई नहीं होगा तुम भी बहाना बना कर छुट्टी ले लेना.. खूब मजे करेंगे !
वो बोली- ठीक है…
फिर हमने जल्दी अपने कपड़े ठीक किये और घर चले गए…
मंगलवार को हमने बहुत मस्त चुदाई की जिसे आप मेरी आगे वाली कहानी में पढ़ना मत भूलना… और हाँ मेल करते रहिये। Antarvasna

Antarvasna

अचानक हवा के Antarvasna जोरदार झोंके से सामने का दरवाजा खुल गया। कमरे में धूप का प्रकाश छा गया। दोनों का ध्यान अंतरात्मा से निकल कर यथार्थ पर जा पहुँचा। उनका मुँह दरवाजे की ओर था। उन्हें ग्लानि भावना ने डस लिया, कहीं कोई बाहर से देख न ले।

अक्षत कन्या संवेदना की देवी होती है, रति छटपटाई, छूटने का प्रयास किया, घबराकर बोली- दरवाजा खुला है! कोई देख लेगा!

रति की छटपटाहट ने रोहित की सम्भोग ज्वाला पर घी का काम किया। उसकी बाँहों में और कसक आ गई। पुरुष को साहसी उद्यमों से वासना का नशा सा हो जाता है। यह सोच कर कि उन्हें यूँ चिपकते कोई देख भी सकता है, रोहित के शरीर से रोमांच की धारा बहने लगी। जितना रति छूटने का प्रयास करती, उतना रोहित उसके शरीर का मर्दन करता।
मानो किसी बालिका को बहला रहा हो, वह बोला- कोई नहीं आयेगा!

रति घबराहट भरी आँखों से खुले दरवाजे के पर ताके जा रही थी। सामने गार्डन में पेड़ों का झुरमुट था। कोई प्रांगण में आये भी तो वह वृक्ष-शृंखला पारदर्शी पर्दे का कार्य करती थी। रोहित ने उसकी घबराहट जान कर उसे अपनी ओर घुमा लिया और कहा- इस तरफ मुँह कर ले, कोई आया तो मैं देख रहा हूँ।

रति ने शतुरमुर्ग की तरह अपना चेहरा रोहित के सीने में छुपा लिया। पुरुष वक्ष से लग कर उसे मदमोहक गंध का आभास हुआ। वह अभी भी घबरा रही थी लेकिन छटपटाहट मंद हो गई। बलिष्ठ पुरुष के सीने से लग कर उसे एक सहारे का बोध हो रहा था। खुले दरवाजे में एक तरह से वह ज्यादा सुरक्षित थी। सोच रही थी, जब तक दरवाजा खुला है, शायद मामाजी एक हद से आगे उसका मर्दन नहीं करेंगे।

रोहित ने पीठ पर हाथ फेरते हुए धीमे से पूछा- तूने ऊपर चोली तो नहीं पहनी, लेकिन नीचे मिनी-लहंगे के अंदर कुछ पहना भी है या नहीं?
यह प्रश्न सुन कर रति की लज्जा बढ़ गई।
कुछ देर चुप्पी के बाद वह बोली- जी मामाजी, पेंटी पहनी है।

अब तक रोहित का एक हाथ नीचे सरक कर रति की गांड तक पहुँच गया। उस हाथ से बचने के लिए रति ने नितंब सामने को लचकाए। रोहित का वज्र उसकी नाभि के नीचे वर्जित क्षेत्र में जा टकराया। रोहित का दूसरा हाथ उसकी संकरी कमर में कसा हुआ था। रति ऐसे चिपकी हुई थी, जैसे जंगली लता किसी बड़े वृक्ष पर लिपटी हो।

रोहित ने रति के माथे पर पुचकारते हुए, उसका स्कर्ट थोड़ा ऊपर को खिसका दिया। रोहित का हाथ अब उसकी पिछली जांघों पर था। किसी पुरुष का नग्न-जांघों में पहला-स्पर्श पा कर रति के रोमांच एवं भय का पारा एक साथ चरम बिंदु तक जा पहुंचा। वह आगे बढ़ने के लिए मना करना चाहती थी, लेकिन भावावेश में उसकी आवाज ही गुम हो गई। उसका जबड़ा खुला, लेकिन आवाज न निकल सकी। अब तक रोहित के पंजे और ऊपर को खिसक आये, वह और विवश हो गई।

रोहित आश्चर्य-चकित हुआ, उसे चड्डी की अपेक्षा थी, लेकिन उसके हाथों ने नग्न त्वचा का स्पर्श किया।

‘नीचे तो तूने कुछ नहीं पहना है, तेरी पेंटी कहाँ है?’ तनिक गुस्सैली आवाज में उसने पूछा।

रुआंसी आवाज में रति ने उत्तर दिया- जी मामाजी, मैंने जी-स्ट्रिंग पेंटी पहन रखी है।

रोहित को अपने सामान्य ज्ञान पर संदेह हुआ कि भला यह जी-स्ट्रिंग कहाँ की बला है। उसने अपना हाथ दोनों चूतड़ों पर फिरा कर जान लिया कि रति ने पेंटी पहनी जरूर है, लेकिन इसका पीछे वाला भाग केवल एक स्ट्रैप मात्र है जो उसकी गांड-दरार में जा घुसा था।
अब दूसरा हाथ भी नीचे सरका कर, रोहित ने दोनों नग्न ग्लोब दबोच लिए। उनका मर्दन करते हुए पूछा- ये सेक्सी चीज तुझे मिली कहाँ से?

सीने पर सिर झुकाये, पीछे से झटके सहते हुए वह बोली- जी, मेरी एक सहेली ने बर्थडे गिफ्ट दी है।

‘तूने कभी सोचा, बाहर इतनी हवा चल रही है, तेरी स्कर्ट उड़ेगी तो सब तेरे नंगे चूतड़ देखेंगे। तुझे अपना नंगा-नंगा दिखने में मजा आता है क्या?’ उनकी आवाज में थोड़ा गुस्सा था।

रोते हुए रति ने कहा- मैं कपड़े बदल लूंगी, मामाजी, प्लीज़ बस मम्मी को मत बताना।’
रति को अपने आप पर गुस्सा आ रहा था कि उसने पहले क्यों नहीं सोचा कि आज तेज हवा है।

रति को सताते में रोहित को मजा आ रहा था, तनिक प्यार से पूछा- कैसे रंग की है तेरी पेंटी?
‘जी लाल रंग की, मामाजी।’
‘तुझे मालूम है कि लाल रंग कितना भड़काऊ होता है? कोलेज में लड़के देखेंगे तो तेरे पीछे सांड की तरह पागल हो जायेंगे।’ रोहित की आवाज में समझाने वाला प्यार छुपा था।

रति की हिम्मत बढ़ी- जी मामाजी, लेकिन वो तो स्कर्ट से ढकी रहेगी न?

मामा ने चूतड़ पर एक प्यार भरी चपत लगाई, उसके लहजे की नक़ल करते हुए बोला- लेकिन इतनी हवा में तेरी मिनी-स्कर्ट बार-बार उड़ेगी न!
रति को अपनी गलती का अहसास हुआ, वह चुप रही।

रोहित ने अब एक हाथ सामने ला कर रति की ठोड़ी पकड़ी, मानो किसी बालिका को डांटना चाहता हो। रति ने निरीह आँखों से मामा की ओर देखा। उसके अबोध चेहरे को देख रोहित का रोमांच बढ़ गया। उसने अपने होंठ रति के रसीले गुलाबी अधरों पर धर दिए।

चकित आँखों से मामा कि काम-उत्तेजित आँखों में झांकते हुए रति फिर भय व आश्चर्य के मिले जुले भावों से भर गई। उसके अक्षत अधरों में कोई हलचल नहीं हुई। रोहित ने भी कोई हलचल नहीं करी, बस बहुत देर तक होंठ से होंठ मिलाये रखे।
कुछ क्षणों बाद रति की चेतना लौटी। उसने छटपटाकर मामा से अलग होने का प्रयास किया।
रोहित ने अधरपान रोक कर रति की आँखों में झाँखा। उसकी आँखों में अज्ञात भय था और प्रश्न भी। प्रश्न ऐसा, जैसे कोई छात्रा अपने गुरु जी से नए आयाम के बारे में कुछ जानना चाहती हो। फिर उसकी आंखें स्वतः लज्जा से झुक गई।

रति को सँभलते देख, रोहित ने अपने होंठ फिर उसके अधरों से लगा दिए। अब उसका सिर पीछे से दबोच लिया।
रति ने आंखे झुकाये-झुकाये छटपटाकर छुटना चाहा, लेकिन रोहित की मजबूत पकड़ के चलते वह विवश रही।
इस बार रोहित ने अपने होंठों में हल्का सा कंपन किया।
अपने अछूती पंखुड़ियों पर पहली बार पुरुष-अधर चुम्बन पा कर, रति के सारे शारीर में सम्भोगाग्नि छा गई। वह सुध-बुध खोकर अपने मामा के आलिंगन-चुम्बन में अमृत-तुल्य सुख का आस्वादन करने लगी।

रोहित फिर अलग हुआ। वह लगातार रति के भावो को पढ़ रहा था। रति की अर्ध-मुंदी आंखें खुली। उसने मामा को प्रश्न व कामोत्तेजना की चमक से निहारा। मानो पूछना चाह रही थी कि क्या उसकी जन्मों की प्यास यूँ ही अधूरी रह जायेगी।

कामाग्नि से दमकते चेहरे पर छाए भोलेपन को देख, रोहित की पुरुष-वासना फिर भड़की। उसके लंड में एक लचक आई, जिसे रति ने अपनी योनि पर महसूस किया। रति का चहरा सुर्ख लाल हो रहा था। रोहित ने अपने हाथ उसके गालों पर रखे तो वो ऐसे गर्म थे मानो बुखार छा गया हो। गालों पर खुदरेले पंजों का प्रथम-स्पर्श पाकर रति फिर से तड़फने लगी।

तेजी से अपना मुँह सामने लाकर रोहित ने अपने होंठों से रति के दोनों होंठ ऐसे मर्दन करने शुरू कर दिए जैसे कोई भूखा बालक रसीले संतरे की फांकें चूस रहा हो।

इस बार रति के शरीर से गुजरे करेंट का झटका उसके योनि-द्वार तक पहुँचा। ऐसा अनुभव रति को पहले कभी नहीं हुआ था। जब रोहित ने उसके चूतड़ों को अपने हाथ से दबाया, तो इस बार रति को लगा कि उसकी मुनिया, मामाजी के मुन्नेराम से टकराने के लिए लालायित हो रही है। एडियो के बल वह थोड़ा उचक गई। रोहित का खड़ा टट्टू सीधे रति की अछूती मुनिया पर जा टकराया।

अब दोनों को खूब मजा आ रहा था, मानो स्वर्ग का आनन्द भूलोक पर आ पहुंचा हो। इन क्षणों में उन्हें यह भी परवाह नहीं थी कि सामने का दरवाजा निर्लज्ज खुला हुआ है। बल्कि यह अहसास कि कोई उस लता-वृक्ष रूपी आलिंगन को छुप कर देख रहा होगा, उनकी वासना को और भड़का रहा था।

रोहित ने अपनी जीभ होंठों की लक्ष्मण-रेखा पार करके आगे बढ़ाई तो किसी अनुभव-हीन बालिका की तरह, रति ने अपने दांत भीच लिए। रोहित ने तनिक जोर लगाया कि वह उसकी दन्त-शृंखला पार कर सके, लेकिन उसने दांत भींचे रखे।

रोहित ने अचानक रति कि गुदगुदी गांड पर तीन-चार चपत मारे। इस अकस्मात प्रहार से घबराकर उसकी जंगली चीख निकली- उईई!

फुसफुसा कर रोहित ने कहा- अपने दांत खोल, दांत ढीले कर!

रति ने ज्यों ही जबड़ा ढीला किया, रोहित के चपत बंद हो गए। रोहित की जीभ अब बिल में घुस कर अपना शिकार ढूंढ रही थी। रति बचने के लिए अपनी जिह्वा पीछे किये जा रही थी। लेकिन वह भला कहाँ तक बचती। अंततः मिलन हो ही गया।

अब रति के सामने समर्पण के सिवा और कोई रास्ता नहीं रह गया। मामा उसकी जिह्वा से खेलते रहे, वह एक मोम की गुड़िया की तरह पिघलती रही। उसके सारे काम-अंगों से अमृत-रस की धारा बह-बह कर एक बिंदु में केंद्रित होने लगी। उसे लगा जैसे उसकी योनि की गहराई में नए-नए स्रोत फूट रहे हों।

अक्षत कन्या के लिए यह बिल्कुल नया अनुभव था। सारा शरीर एक सुखद अनुभूति से भरे जा रहा था। उसके जेहन में तरह-तरह के भाव आ रहे थे, जिनसे वह विवश सी थी। अपने अनुभवी नायक के अधीन हो जाने के सिवा उसके पास और कोई विकल्प न रह गया। रति को अपने आगोश में ढला जान रोहित ने अधर-चुम्बन को तनिक विराम दिया। रति की आँखों में समर्पण के भाव स्पष्ट दिख रहे थे।

रोहित उसे और विचलित करना चाहता था, उसने कहा- देखें तो, तेरी पेंटी कितनी सेक्सी है?

यह सुन कालेज-गर्ल फिर शरमा गई, उसके चेहरे में फिर लालिमा उभरी, उसने मामा की आँखों में झाँखा, वहाँ शरारत चमक रही थी। रति ने बिना कुछ कहे आंखें झुका ली।

रोहित ने घुटनों के बल झुक कर उसका मिनी-लहंगा ऊपर उठाया। कोई पुरुष पहली उसके सामने घुटने टेक, उसका स्कर्ट उठा कर नीचे छुपा खजाना देख रहा है! यह जान रति का रोमांच और बढ़ गया।पुरुष पर उसे अपनी शक्ति का आभास भी हुआ। उसकी टांगों में कंपन होने लगा। सहारे के लिए उसने मामा के सिर पर हाथ रख दिया। मानो, पहली बार किसी अप्सरा-कन्या ने, किसी नायक-पुरुष को इस अवस्था में छुआ हो। यह अनुभव उसके रोमांच को हिम-शिखा तक पहुंचा रहा था।

रति की चिकनी जंघाएँ देख कर रोहित की प्यास बढ़ चली। स्कर्ट के नीचे वह लगभग नग्न ही थी। जी-स्ट्रिंग उसकी नन्ही पिंकी को ढकने का असफल प्रयास कर रही थी। शायद उसके रोम नहीं आये थे क्योंकि बिना शेविंग के भी वह मक्खन समान थी।

मिनी-लहंगे के नीचे अपना सिर घुसा कर रोहित ने रति की जंघाओं को हल्का सा चुम्बन दिया। चूत के इतने पास चुम्बन पा कर रति फिर भय, आश्चर्य एवं रोमांच के मिले-जुले भावो से भर गई।

नारी-लज्जा वश उसने पीछे हटने का प्रयास किया, लेकिन तनिक डाँटते हुए रोहित ने कहा- हिल मत, एक जगह खड़ी रह!
डर कर वह किसी अनुशासित छात्रा की तरह अविचल खड़ी रही।
रोहित ने अपने पंजे रति के नग्न चूतड़ों पर कस दिए और अपने अधर जी-स्ट्रिंग के पीछे छुपी पंखुड़ियों पर!

उस स्पर्श के अनुभव से रति की आंखें फट चली। वह मिनी-लहंगे के नीचे छुपे मामा के सिर को ताके जा रही थी। एक बार को तो उसने पीछे दुबक जाने की सोची, लेकिन फिर मामा के आदेश को याद कर वह अविचलित खड़ी रही।

थोड़ी देर बाद रोहित के होंठों में हलचल हुई। उसे लगा कि मामा उसकी पंखुड़ियाँ होंठों से हौले-हौले चबा रहे हैं। यह जान रति का चेहरा घोर लज्जा से भर उठा। उसका शरीर रक्त संचार से इतना गरम हो गया, मानो बुखार छा गया हो। योनि की गहराई में स्रोते फूटने लगे।

एक सेक्सी सीत्कार के साथ रति ने अपने हाथों का दबाव मामा के सिर पर बढ़ा दिया। न चाह कर भी वह अब उनके सिर को धीरे-धीरे गाईड करने के लिए विवश हो चली थी। जैसे जैसे रति रोहित का सिर हिलाती, वैसे वैसे ही रोहित उसके नितंबो को हिलाता। उसकी योनि से मदमोहक सुगंध आ रही थी, जो रोहित को पागल किये जा रही थी।

किसी अक्षत कन्या को वश में करने के लिए पहले दिन इतना ही सब काफी था। ज्यादा कुछ करने से वह बिदक भी सकती थी। रोहित उसे खोना नहीं चाहता था। उसे यह डर था कही दोबारा लौट कर नहीं आई तो उसके साथ प्रथम-संगम का सपना, केवल सपना बनकर रह जायेगा। लेकिन अक्षतयोनि कि नशीली सुगंध के सामने वह विवश था। वह खुशबू उसकी प्राथमिक आवश्यकता की पूर्ति कर रही थी। कुछ देर और वह यूँ ही मिनी-लहंगे के नीचे मुँह घुसाये लगा रहा।

अंततः वह खड़ा हुआ और रति की आँखों में झाँका। उसकी आँखों में मासूम समर्पण था, मानो वह श्रेष्ठ शिष्या की तरह अगले पाठ के लिए भी तैयार हो। एक झटके से उसे अपने सीने से लगा कर, रोहित ने प्यार से उसकी पीठ पर हाथ फेरा। फिर फुसफुसाकर बोला- तू बहुत अच्छी लड़की है। तेरी यह ड्रेस ठीक-ठाक है, तू इसमें कालेज जा सकती है। चल मैं तुझे छोड़ आऊँ!’

‘ठीक है मामा जी, चलिए मैं तैयार ही हूँ!’ वह बोली।
रोहित ने उसके दोनों गालों को अपने हाथो में लेकर कुछ देर तक निहारा। फिर प्रबल अधर-पान करने लगा। अब वह भी निपुण हो चली थी, उसके भी होंठ मचलने लगे। इस बार उसकी जीभ, होंठों की लक्ष्मण-रेखा पार कर रोहित की जिह्वा खोज रही थी। समय गुजरे जा रहा था। विवश होकर वे एक दूसरे से अलग हुए, और दरवाजा भेड़ कर मोटर-सायकिल की ओर बढ़ चले।

रोहित की बाइक पर वह पहले भी कई बार सवारी कर चुकी थी, लेकिन आज कुछ अलग-अलग लग रहा था। मामाजी की पीठ से चिपक कर आज लगा मानो पहली बार अपने नायक से यूँ चिपक कर बैठी हो। लज्जा भी आ रही थी और रोमांच भी हो रहा था।

कुछ देर में वे कॉलेज पहुँच गए। रोहित ने पूछा- आज कितनी देर का फंक्शन है, मैं लेने आ जाऊँगा!

‘जी मामाजी, दो घंटे में खत्म हो जायेगा, आप बारह बजे तक आ जाइयेगा, मैं यहीं मिलूंगी!’
‘ठीक है, फिर हम शॉपिंग को चलेंगे। मैं भी तो तुझे कुछ बर्थ-डे गिफ्ट दिलाऊँ!’ तनिक शरारती अंदाज में रोहित ने कहा।

मुस्कुराकर रति ने अपनी आंखें नीचे झुका ली। फिर पलट कर दौड़ते हुए अपनी सहेलियों के बीच चली गई। Antarvasna

TOTTAA’s Disclaimer & User Responsibility Statement

The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first. 

We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.

 

👆 सेक्सी कहानियां 👆