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Massage Girl in Karnal: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Karnal who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Karnal that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Karnal massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Karnal who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Karnal massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Karnal massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Karnal who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Karnal employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Karnal helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Karnal

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Karnal at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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हाय दोस्तो ! Sex Stories

मैं पंजाब से अंश आज मैं आपको Sex Stories एक ऐसी बात बताने जा रहा हूँ जो मेरे साथ हुआ था।
पहले मैं आपको अपने बारे में बता दूं ! मैं २४ साल का हूँ। मेरा कद ६” फीट है। दिखने में ठीक ठाक हूँ। मेरी एक गर्ल-फ्रेंड हुआ करती थी उसका नाम मीना था। वो बहुत खूबसूरत थी।

अब असली बात पर आता हूँ। जहा हमलोग रहते थे वहां से थोड़ी ही दूरी पर मेरी गर्ल-फ्रेंड मीना का घर था, उसके मम्मी को मैं आंटी कहा कर बुलाता था, असल में वो लोग पंजाबी है और आप लोग तो जानते ही हैं कि पंजाबी महिलाएँ कितनी गर्म और सेक्सी लगती हैं, मीना से ज्यादा अच्छी उसके मम्मी लगती थी, उनका नाम उषा था, आंटी की उम्र ३५ के आस पास थी। लेकिन देखने में बिल्कुल भी इतनी उम्र की नहीं लगती थी, गोरी लम्बी और बहुत खूबसूरत थी, हम लोगों को यह पता था कि उनके पति उन्हें संतुष्ट नहीं कर पाते हैं।

आज से ६ साल पहले की बात है, नवम्बर का महीना था, मैं आपने घर पर अकेला ही था। मैं जब भी नहाता हूँ तो काफी समय लगाता हूँ। मुझे नहीं मालूम था की आंटी कब मेरे घर में आ गई। मैं अपनी ही धुन में गाना गाते हुए बाथरूम से बाहर निकला। मैं बिल्कुल नग्न था और मेरा लण्ड खड़ा था।

आंटी को मालूम था कि मेरे घर पर कोई नहीं है। बाहर आते ही सबे पहले मैंने अपने लण्ड पर तेल लगाना शुरू कर दिया। मुझे नहीं पता था कि आंटी मुझे दरवाजे से देख रही हैं। मैं तेल लगाने के बाद बेड पर लेट गया बिल्कुल नंगा ही। आंटी ने जब मेरा पूरा खड़ा हुआ लण्ड देखा तो उन्होंने अपनी सलवार में हाथ डाल कर अपनी चूत में ऊँगली करनी चालू कर दी और आंटी के मुँह से आ आअ आआआ आअ …। येस येस येस येस येस येस की आवाजे आ रही थी।

मैं डर गया कि कोई आ गया है। मैंने जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहन लिए और दरवाजे पर देखने के लिए चला तो देखा कि आंटी जा रही हैं।

दोस्तों ! आप तो समझ ही गए होंगे कि जब कोई आपसे बड़ा आपको ऐसी हालत में देख ले तो क्या होगा। मैं बिल्कुल ही डर गया था कि आंटी मेरी मम्मी को बता ना दें।

मैं डर के मारे अपनी गर्ल-फ्रेंड को मिलने भी नहीं गया और ना ही उससे बात की। आंटी को पता था कि मैं उनकी बेटी से प्यार करता हूँ। ३-४ दिन निकल गए। मीना रोती हुई मेरे पास आई और कहने लगी कि तुम आजकल मु्झसे बात क्यों नहीं करते हो?

मैं कुछ नहीं बोला और वहां से चला गया। मीना ने अपनी मम्मी से बात की और उनको बताया कि अंश मुझसे बात नहीं कर रहा और रोती हुई अपने कमरे में चली गई। आंटी ने कहा- मैं अंश से बात करती हूँ !

मेरी मोम घर पर थी तो इसी वजह से ठीक तरह से बात नहीं हुई ! तो आंटी ने कहा कि मैंने तुमसे मीना के बारे में करनी है।

मैंने कहा मैंने भी आपसे बात करनी है।

तो वो मेरा मोबाईल नम्बर ले कर चली गई और जाते जाते कह गई कि मैं रात को कॉल करूंगी ११बजे।

मैंने कह दिया- ओके !
मैं डरा हुआ था कि कहीं उन्होंने मेरी बात मोम से तो नहीं कर दी ! मैं रात की इन्तज़ार करने लगा ! आंटी का कॉल आई ! मैंने डरते डरते फ़ोन उठाया और बात करनी शुरू कर दी। उनसे पहले मैंने कहा- आपसे मैं एक बात पूछ सकता हूँ कि उस दिन जब आपने मुझे नंगा देखा था तो आपने मेरी मोम से कोई बात तो नहीं की?

इस बात पर आंटी हँस पड़ी और कहने लगी कि ये बातें भी कोई किसी से बताता है लल्लू !
आंटी की बात सुन कर मेरी जान में जान आई !
फ़िर मैंने कहा कि किसी को नंगा देखना भी गलत बात है।
वो फ़िर से हँसी !
मैंने कहा- मैंने कोई मज़ाक नहीं किया है !
वो कहने लगी- जब एक अच्छा लण्ड मुझे देखने को मिल रहा है तो मैं क्यों ना देखूँ !

मैं एकदम अचम्भे में आ गया कि आंटी कैसी बातें कर रही हैं।

आंटी ने कहा- अपनी बातें हम दोनों बैठ कर करेंगे ! तुम मीना से कोई भी बात ना करना हम दोनों की !

मैंने कहा- ठीक है और आप भी किसी से मत करना !
ओके ! यार तुम प्लीज़, मीना से बात करना चालू रखो !
मैंने कहा- ठीक है !
आंटी ने पूछा- तुम शनिवार को क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- मैं बिल्कुल फ्री हूँ ! आपको कोई काम है तो मुझे बता दो, मैं कर दूंगा !
आंटी ने कहा- तुम ही कर सकते हो !

मैंने अंदाजा लगाया कि आंटी ने मेरे से घर का कुछ काम करवाना होगा इसी वजह से आंटी ने मुझे बुलाया है !
मैंने कहा- घर का काम ही करना है कर दूंगा !

मैं मीना से मिलने लगा, मीना बहुत खुश थी ! मुझे मीना ने शुक्रवार को ही बताया कि शनिवार को मीना ने आपने मामा के यहाँ जाना है !
मैंने कहा- ठीक है तुम हो आओ पर मुझसे मोबाईल पर बात जरूर करना। और वो चली गई !

शनिवार को मीना का फ़ोन आया कि मैं जा रही हूँ !
मैं उसे सी ओफ़ के लिए मीना के घर पर गया, एक स्मूच किया और उसे जाने दिया !
आंटी ने कहा- कब आओगे तुम !
मैंने कहा- मैं बीस मिनट के बाद आता हूँ !

मैं बीस मिनट के बाद गया तो आंटी ने एक गाउन पहना हुआ था ! मैंने पूछा तो कहने लगी- मैं घर पर यही पहनती हूँ !
मैंने पूछा- बताओ आंटी ! मैं क्या करूं आपके लिए?
तुमको मुझे कुछ करना होगा !
मैंने पूछा- आपको हँसाना है? ये भी कोई बड़ी बात है आंटी ! ये तो अभी लो !

आंटी को गु्स्सा आ गया और कहने लगी- ८” का लण्ड है और २.५” मोटा है और कहता है कि मैं आपको अभी हँसा देता हूँ और गालियाँ देने लगी ! मैं डर गया और चुपचाप सब कुछ सुनता रहा !
आंटी को लगा कि उन्होंने मुझे काफी डरा दिया है ! फ़िर उसने कुछ नहीं देखा और सीधे मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया ! मैं तो बिल्कुल हक्का बक्का रह गया ! और अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख दिया और कहने लगी- अंश ! मैंने जब से तुम्हारा लण्ड देखा है मैं तुमसे चुदवाने के लिए तड़प रही थी। कितने दिनों के बाद आज मौका मिला है। अंश मुझे प्यार करो और मुझे तृप्त कर दो !

मैंने कहा- आप मेरी गर्ल-फ्रेंड की मोम हो !
कहने लगी- अगर तूने मुझसे प्यार नहीं किया तो मैं तुझे बदनाम कर दूंगी !
मैंने कहा- आप जो कहोगी मैं करूंगा ! पर आप मुझसे एक वादा कीजिए कि आप मीना को कुछ नहीं बताएंगी !
आंटी ने कहा- मैं वादा करती हूँ !

आंटी ने मेरी पैंट उतार दी और मेरे लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और पूरा लण्ड उनके मुँह में नहीं जा रहा था।
मैंने कहा- आंटी ! आराम से चूसो !

तो कहने लगी- बड़ी मुद्दतों के बाद ऐसा लण्ड मिला है, आज तो इसे नहीं छोड़ूंगी !
आंटी ने सारा ही लण्ड अपने मुँह में ले लिया उनकी आंखें बाहर आ रही थी पर फ़िर भी वो लण्ड को मुँह से बाहर नहीं निकाल रही थी ! अब मुझे मजा आने लगा था ! मैंने आंटी का मुँह पकड़ा और अंदर बाहर करने लगा ! मैं अब झड़ने वाला था।

मैंने कहा- आंटी ! मैं झड़ने वाला हूँ तो आंटी ने कहा कि मेरे मुँह में ही झड़ना !
मैंने एक जोर का धक्का लगाया और उनके मुँह में ही सारा झड़ गया !
आंटी ने कहा- अब तुम्हारी बारी है !

मैंने आंटी की चूत में मुँह दे दिया ! आंटी की चूत में मैं इतना मग्न हो गया कि आंटी कह रही थी मुझे- साले बस कर आ आआआ आआ आआ आ आ बस कर चूत को खा जाएगा क्या ?आंटी झड़ने वाली थी, उन्होंने मेरा मुँह पकड़ लिया और पानी छोड़ दिया !
हम दोनों ऐसे ही घर में घूमते रहे ! आंटी ने मुझे पानी पिलाया और खुद भी पानी पीया ! आंटी रसोई में गई तो मैं भी उनके पीछे पीछे चला गया ! आंटी कहने लगी- पहले तो आता नहीं था, अब मेरे पीछे ही हो अपना लण्ड हाथ में लिए !

मैंने आंटी को झुकाया और कहा कि मैं आपकी पीछे से चूत मारना चाहता हूँ !
आंटी ने कहा- यह भी कोई पूछने की बात है ! मेरे राजा ये सारा जिस्म ही तुम्हारा है !

मैंने आंटी को झुकाया और अपना लण्ड अंदर डालने लगा तो आंटी कहने लगी कि यह तो बहुत बड़ा है, मैं मर जाऊंगी !
मैंने कुछ नहीं सुना और लण्ड अंदर डालने लगा ! आंटी की चूत का साइज़ काफी छोटा था या फ़िर कहो कि अंकल के लण्ड का साइज़ छोटा था ! आंटी ने चिल्लाना शुरू कर दिया !
मुझे तो एसा लगा कि मैं किसी कुँवारी की चूत में अपना लण्ड डाल रहा हूँ ! ३” ही अंदर गया था और आंटी चिल्ला रही थी-आ आ आआ आ आअ….आ आआ आ…आआआ धीरे धीरे !

अभी आधा ही अंदर गया था कि आंटी ने रुकने को कहा और कहने लगी- मार दिया जालिम तूने आज ! पर मुझे पता है कि बाद में म़जा भी आएगा ! आंटी ने थोड़ी देर बाद कहा- देख ! अब रुकना नहीं जितना चाहे मैं कहूं रुकने को !
मैंने कहा- ठीक है ! मैंने लौड़े को अंदर करना शुरू कर दिया ! आंटी की आँखों से आंसू आ रहे थे पर फ़िर भी आंटी मुझे रोक नहीं रही थी ! जब पूरा लण्ड आंटी की फ़ुद्दी में चला गया तो आंटी ने कहा- बस रुको और मैं रुक गया !
५-७ मिनट के बाद आंटी हिलना शुरु हो गई !

मैंने कहा- आंटी ! बड़े मजे कर रही हो मेरे लण्ड से !
बाते ना करो ! बस अब चोदो ! आ आआ आआआ… आआअ… चोदो… चोदो… फार डाल आज इस चूत को छोड़ना मत !
आआआ… आआआआ आअ… चोदो… चोदो… फाड़ डाल आज ! इस चूत को छोड़ना मत ! जियो मेरे राजा ! मैं बारे मजे से लण्ड चूत में अंदर बाहर कर रहा था ! अब मैंने उसकी एक लात को हाथ में पकड़ लिया ! अब पूरा लण्ड उसकी चूत में जा रहा था और उसके मूमे भी जोर जोर से दबा रहा था !
आंटी अब एक ही बात कह रही थी ….चोदो ….चोदो ….फाड़ डाल आज इस चूत को छोड़ना मत जियो मेरे राजा !

मै बोला- इतनी चिकनी फ़ुद्दी देख कर मेरा लण्ड पागल हो गया है। इसे धीरे का मतलब नहीं मालूम। और मै उसके चूत में फचा-फच करके अपना लण्ड तेजी से अन्दर-बाहर करने लगा। वो भी अपनी गांड पीछे करके धक्को में साथ देने लगी और साथ-साथ बोले जा रही थी। आआआआ… चोदो ओ ओ… अंश. ओ. अपनाए लण्ड से .. फाड़ डालो ओ.. आअज मेरी चो .. चूत को ओ.. बहुत मज़ा आ रहा है…आआह्ह्ह ऐसे ही …
इधर मै भी पूरे जोश में उसकी चूत में अपना लण्ड ठोक रहा था। और फ़िर अपने हाथ को आगे ले जाकर उसके झूलते मुम्मो को थाम के तेज़ी से चोद रहा था..। आ अ अह ह ह !
इस बीच वो एक बार झड़ चुकी थी..

फ़िर जब मै झड़ने के करीब आया तो उसकी कमर को पकड़ के ताबड़तोड़ झटके मारने लगा और २०-२५ धक्को के बाद हम दोनों साथ-साथ झड़ गए। उनकी चूत दोनों के रस से भर गई और उसके जांघो पे नीचे बहने लगा। ५ मिनट बाद हम अलग हुए और अपने कपड़े ठीक करने लगे। फ़िर उसने मुझे गले लगाकर एक लंबा चुम्मा किया। फ़िर उसने कहा- डार्लिन्ग ! आज सच में चुदाई का सही मज़ा आया…
फ़िर हमारे बीच ये चुदाई का खेल चलता रहा। उसने मुझे २ और चूत दिलाई। एक तो सील थी। फ़िर जैसे मेरे लिए तो जन्नत के दरवाजे ही खुल गए। Sex Stories

Sex Stories

मैंने अन्तर्वासना की लगभग सारी Sex Stories कहानियाँ पढ़ी हैं। यह साईट मुझे बहुत पसन्द है, मुझे लगा कि मुझे भी अपनी कहानी भेजनी चाहिए। तो मैं यह कहानी भेज रहा हूँ, अगर आप लोगों को पसन्द आए तो आपलोग मुझे मेल करें- अच्छे-अच्छे और अगर पसन्द ना आए तो भी मेल करें- बुरे-बुरे, ताकि मैं अपनी लेखन-शैली में बदलाव करूँ और आप अगली कहानी पसन्द करें। ठीक है, अब मैं अपनी कहानी शुरू करता हूँ।

मैं 28 वर्ष का विवाहित युवक हूँ। मेरा 2 साल का एक बच्चा भी है। मैं लखनऊ का रहने वाला हूँ। ये बात उन दिनों की है जब मेरी बीवी की डिलीवरी होने वाली थी और मेरी साली मेरे घर अपनी दीदी की देखभाल करने आई थी। यूँ तो मेरी बीवी बहुत सुंदर है, सेक्सी है, उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ हैं, पतली कमर है। गर्भवती होने से पहले मैं हर रात उसकी लेता था, पर फिर उसने देना बन्द कर दिया था। इसलिए मैं परेशान रहता था।

साली के आने से मैं खुश हो गया, मुझे लगा कि अब मेरे लंड की भूख शांत हो सकेगी। मेरी साली भी बहुत सेक्सी थी, उसकी छोटी-छोटी दो चूचियाँ और एकदम पतली कमर थी। पहले मेरी बीवी के भी ऐसे ही थे लेकिन मैंने दबा-दबा कर बड़े कर दिए थे। साली को देखकर मेरा लंड जाग गया और मैं उसे चोदने की योजना बनाने लग गया।

एक-दो दिन ऐसे ही निकल गए लेकिन अवसर नहीं मिला। पर जल्दी ही एक दिन मौक़ा हाथ लग गया। मेरी पत्नी को डॉक्टर के पास जाना था, तो मैंने उससे कहा कि तुम मम्मी के साथ चली जाओ (मम्मी यानि मेरी माँ)। मेरी बीवी अच्छी है, मेरे कहने से माँ के साथ चली गई।

मैंने साली को पटाने का यह मौक़ा अच्छा समझा, वैसे मैं उससे थोड़ी-बहुत छेड़खानी पत्नी के सामने भी कर लेता था, ऊपर ऊपर से ही, पर आज अन्दर से करने का मन था। माँ और पत्नी के जाने के बाद मैं घर के भीतर आ गया और द्वार बन्द कर लिया, क्योंकि मैं जानता था कि अब कोई नहीं आएगा। कामवाली चली गई थी, पिताजी भी जा चुके थे। घर पर मैं और मेरी साली ही थे।

मेरे अन्दर आते ही साली ने कहा कि जीजू मैं आपके लिए चाय बना लाती हूँ, आप चाय पीजिए। फिर मैं नहाने जाऊँगी। यह कह कर वह रसोईघर में चली गई। उसके जाने के बाद मैं उसे चोदने की योजना बनाने लगा। फिर मुझे एक विचार आया, मैंने बाथरूम में जाकर अपने कपड़े उतार लिए, और लुंगी-बनियान पहन कर कमरे में आ गया। थोड़ी देर में साली चाय लेकर आ गई, मैं कुर्सी पर बैठ गया। वो मुझे चाय देने लगी, मैंने धीरे से हाथ मार कर चाय ज़मीन पर गिरा दी।

वो पूछ बैठी- जीजू ये क्या हुआ?’
मैंने कहा- चाय गिर गई।’
तो वह कहने लगी- दीदी के जाने से आप इतने दुःखी हो गए!’
तो मैंने कहा- नहीं तुम इतनी सेक्सी हो, तुम्हें देखकर मैं स्वयं को सँभाल नहीं सका।’
यह सुनकर वो शरमा कर अन्दर वाले कमरे में चली गई।

मैं भी वहाँ पहुँच गया और उसे पकड़ कर पीछे से किस करने लगा। गर्दन के पास, कान के पीछे अपनी गरम साँसें देने लगा। ऐसा करने से वह गरम होने लगी। मेरा लंड भी खड़ा हो गया। फिर मैं अपने अपने एक हाथ से उसकी चूची दबाने लगा। ऊपर ही ऊपर उसे अच्छा लग रहा था, उसकी चूचियाँ कड़ी हो गईं थीं। मेरा 8 इन्च का लंड उसकी कमर से चिपका हुआ था। उसे मेरी लंड का अनुभव अपनी गाँड पर हो रहा था। वह कोई ऐतराज़ नहीं जता रही थी, मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने उसकी ब्रा के अन्दर हाथ डाल दिए और चूचियों को पहले की अपेक्षा कहीं जोरों से मसलने लगा।

जब मैंने देखा कि वह पूरी तरह से गरम हो गई है, तो उसे बिस्तर पर लिटा दिया। उसका कुरता उतार कर ब्रा के ऊपर से चूचियों को दबाने लगा, साथ अपनी जीभ उसके मुँह में डाल कर चूसने लगा। अब वह पूरी तरह से गरम हो चुकी थी, फिर मैंने उसकी सलवार भी उतार दी। वो सिर्फ ब्रा-पैंटी में थी, और बहुत सेक्सी लग रही थी- एकदम दूध की भाँति सफ़ेद। फिर मैं उसकी ब्रा खोल कर एक चूची को चूसने लगा और दूसरी को हाथ से दबाने लगा।

10 मिनट तक ऐसा ही करते रहने के बाद मैंने अपनी लुंगी और बनियान भी उतार दी। वह मेरा लंड देखकर डर गई, बोली- धीरे-धीरे करना जीजू, किसी को बताना मत, दीदी से भी मत।’

‘तुम्हारी कसम, नहीं बताऊँगा।’- मैंने कहा।

मैंने अपना लंड उसके हाथ में पकड़ा दिया और सहलाने को कहा। वह लंड पकड़ कर उससे खेलने लगी। इसके बाद मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी। अब हम दोनों एकदम नंगे थे। उसकी बुर एकदम चिकनी थी, जैसे दो-तीन दिनों पहले ही झाँटें साफ की गईं हों। मैंने पूछा, तो उसने बताया- मैं जानती थी जीजू कि आप मुझे चोदना चाहते हैं, लेकिन आपको चांस नहीं मिल पा रहा। लेकिन मैं जानती थी कि इस बार मैं आपके लंड से नहीं बच पाऊँगी, सो मैं तैयारी से आई थी।’

यह सुनते ही मेरा लंड और भी कड़ा हो गया, फिर मैंने उसे बुर खोलने को कहा, और मुँह से उसकी बुर चाटने लगा। उसके मुँह से आआाहहह… अहहहह.. आहहह… आआआ… अहहह की आवाज़ें आ रही थीं। फिर मैंने उसे अपना लंड चूसने को कहा, वह सहमत हो गई। अब हम 69 की स्थिति में आ गए, मैं उसकी बुर चाटने लगा, वो मेरे लंड का टोपा चूसने लगी।

हम यह लगभग 25 मिनट तक करते रहे और दोनों 2 बार छूट भी गए। हमने एक दूसरे की मलाई चाट ली। अब मैं उसे चोदना चाहता था, मैंने उससे कहा- अब मैं तुम्हारी बुर में लंड डाल के बुर-लंड का मिलन करवाऊँगा।’
उसने कहा- ‘जीजू, इस समय नहीं, रात को जब दीदी सो जाएगी, तो मैं आपके पास आ जाऊँगी, तब चुदाई का कार्यक्रम करेंगे- पूरी रात। अभी दीदी आनेवाली होंगी।’

मैंने कहा- ठीक है, रात को तुम्हें ख़ूब चोदूँगा।’ उसके बाद हमने अपने-अपने कपड़े पहन लिए, और अपने-अपने काम पर लग गए। रात होने का इन्तज़ार करने लगे। थोड़ी देर के बाद माँ और पत्नी दोनों आ गए।

फिर हम लोगों ने 120 दिनों तक ख़ूब चुदाई की। मेरा बेटा हुआ था। मेरी पत्नी को हम लोगों पर शक हुआ। पूरी कहानी आप लोगों की मेल आने के बाद बताऊँगा कि मैंने अपनी साली को 3 दोस्तों के साथ मिलकर कैसे चोदा। Sex Stories

दिन में बंगाली भाभी के साथ लेस्बियन सेक्स करने के बाद मुझमें सेक्स की भूख कुछ ज्यादा ही बढ़ गई लगती थी।
मगर मैं क्या करती, सुनील को तो डांटकर भगा चुकी थी।
उसका रोता हुआ चेहरा देख कर मुझे हंसी सी आ रही थी।

लेकिन मैं बिल्कुल ही निष्ठुर हो चुकी थी।
मेरे मन में ग्लानि भी थी कि मैंने अपने पति को धोखा दिया है।
लेकिन अब तो इस बारे में कुछ किया नहीं जा सकता था क्योंकि मैं तो सुनील से अपनी चुदाई करवा चुकी थी।

यही सोचते हुए शाम हो गई।
अब मेरे पति के आने का समय हो गया था।

मेरी बेटी जाग गई तो मैंने उसे दूध पिलाया।
इतने में ही मेरे पति आ गए।

शाम से ही मैंने अपने पति को सेक्स के लिए उकसाना शुरू कर दिया था, एक बार तो मैंने उनको तगड़ा वाला स्मूच कर दिया।
फिर एक बार मैं उनकी गोदी में बैठ कर अपनी गांड उनके लन्ड पर रगड़ने भी लगी।

मेरे पति भी मेरा साथ देने लगे, मेरे चूचे दबाने लगे तो कभी मेरी गांड में उंगली भी करने लगे।

अभी रात होने में देर थी, गुड़िया भी जगी हुई थी।
इसलिए मैंने खाना बना कर पहले गुड़िया को दूध पिलाया।
फिर हम दोनों ने खाना खाया।

मैं खाना खाकर गुड़िया को सुलाने लगी और मेरे पति मुझे बार बार देख कर मुस्करा रहे थे।
जैसे सोच रहे हों कि आज तो मैंने उनका कत्ल कर देना है।

करीब 9 बजे गुड़िया सो गई तो मैं धीरे से उठी.
और फिर मैंने अंगड़ाई ली और धीरे-धीरे अपनी गांड मटकाते हुए कपड़े खोलने लगी।

बस मैं पैंटी में आ गई क्योंकि चूचों में दूध इतना आता है कि चूचे बहुत भारी हो गए हैं। उनका दूध मुझे मेरे पतिदेव को पिलाना पड़ता है।
मुझे देख कर मेरे साहब भी कपड़े खोलकर सिर्फ अंडरवियर में आ गए।

मैं उनके पास चिपक कर उनके कंधे पर सिर रखते हुए एक पैर उनके ऊपर रखकर लेट गयी।
मेरा घुटना उनके लन्ड को छू रहा था और मैं एक हाथ से उनके लन्ड को सहला रही थी।

आखिरकार जो डर था वही हुआ।

वे पूछ बैठे- आज इतनी मस्ती क्यों आ रही है ये बता?
एक बार तो मैं हड़बड़ा गई लेकिन सम्भल कर बोली- आज मुझे मेरी सुहागरात याद आ गई थी। जबकि उनको पता ही नहीं कि मैं एक दिन पहले सुनील के साथ सुहागदिन मना चुकी थी।

बस इतना सुनते ही मेरे पति मेरे ऊपर भूखे शेर की तरह टूट पड़े।
वे मेरे होंठों को, मेरे गालों को, और मेरी चूची को दबाकर दूध की धार खुद के मुंह में लेने लगे, जोर से मुझे मसलने लगे।

मैं सिर्फ आह … ही कर पा रही थी।
सच में मेरी जिंदगी की वो सबसे हसीन रात थी।
मेरे अंदर कामाग्नि भयंकर जल रही थी।

लग रहा था कि बस लन्ड मेरी चूत में हो और मैं चुदती रहूं।

तभी उन्होंने अपने दांतों से मेरी पैंटी उतारनी शुरू की।
मैंने थोड़ा सा ऊचक कर उनका साथ दिया।

वे मेरे पैर के अंगूठे को काटने लगे और मैं तड़प उठी।
सच में बहुत मजा आ रहा था।
तभी वो मेरे पैरों को चाटते हुए मेरी चूत तक आ गए।

पहले तो उंगली से सहलाने लगे, फिर अपनी जीभ से चाटने लगे।
मैं सिर्फ आनन्द के सागर में गोते लगा रही थी और सिर्फ ‘आह … और करो … ऐसे ही चाटो … बस करते रहो … अंदर तक … आह्ह’ करती जा रही थी।

उनका सिर मैं लगातार चूत में दबा रही थी।
मैं बार बार गांड को उठाकर ऊंची होने की कोशिश कर रही थी।

मुश्किल से 2 मिनट बीते थे कि मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया; मेरा शरीर एकदम हल्का हो गया।
मैं हांफ रही थी।

तभी मेरे पति अपना लंड मेरे मुंह के पास ले आए।
उन दिनों मुझे चूसना अच्छा नहीं लगता था।

उनकी खुशी के लिए मैं उनके टट्टे चाटने लगी।
मैं लंड को साइड से चाट रही थी।
मेरे पति इससे भी संतुष्ट हो जाते थे।

चाटने की वजह से मेरे निप्पल तन गए थे, मेरे अंदर कामरस बहने लगा था।
बस मुझे लगने लगा कि अब तो चोद ही दे ये।

पतिदेव भी समझ गए, उन्होंने मेरी गांड के नीचे तकिया लगा दिया जो कि हमेशा लगाते हैं।
इससे चूत ऊपर हो जाती है और टांगें चौड़ी करने से लन्ड अंदर बच्चेदानी तक पहुंच जाता है।

मेरे पति अपना लन्ड मेरी चूत में रगड़ने लगे।
इससे मैं और ज्यादा तरस गई और उनसे बोली- यार अब चोद दो! अब नहीं रहा जाता बस!

तभी एक झटका लगा और उनका आधा लन्ड मेरी चूत के अंदर घुस गया।
मेरे मुंह से आह्ह निकल गई और मैं बोली- आराम से करो यार, हमेशा ही क्यों हवसी बने रहते हो!

लेकिन उन्होंने जैसे सुना नहीं …बस दूसरा झटका लगा और लन्ड सीधा मेरी बच्चेदानी के मुंह से टकराया।
थोड़ा दर्द हुआ लेकिन मजा भी आ गया।

फिर पति धक्के पर धक्के लगाने लगे और मैं चूतड़ उचका कर लंड अंदर लेने की कोशिश करने लगी।

ये तो राजधानी मेल की तरह शुरू हुए और लगातार 10 मिनट तक मुझे ठोकते रहे।
फिर उन्होंने मेरी टांगें पकड़ कर उठा लीं और खुद घुटनों के बल बैठकर चोदने लगे।

मेरे मुंह से आह … आह … निकलती जा रही थी और चुदाई की मस्ती में चूर हो चुकी थी।

फिर ये पूछने लगे- माल चूचियों पर निकालूं या चूत में?
मैं बोली- चूत में!

इतना कहते ही मेरी चूत का पानी भी छूटने लगा और साथ में पतिदेव भी झड़ गए।
हम दोनों पस्त होकर करीब 15 मिनट ऐसे ही पड़े रहे।

फिर मैंने उनको हटने को बोला।
तौलिया लेकर मैंने अपनी चूत साफ की; उनके लन्ड को पौंछा, एक बार किस किया और सो गई।

अगली सुबह उठी तो मैं संतुष्ट थी।

लेकिन पता नहीं क्यों मुझे सुनील का लंड रह रहकर याद आ रहा था।
अब खुद ही मेरी इच्छा उससे चुदवाने की हो रही थी।

सुनील रोज मेरे घर के सामने से निकलने लगा और उसको लालच रहता था कि वह मुझसे फिर बात करना शुरू करे।

वह इतना तो समझ ही गया था कि मैंने उसकी बात को राज रखा हुआ है क्योंकि मेरे पति उससे नॉर्मल तरीके से ही मिल रहे थे।

अब मेरे मन में वापस उससे चुदवाने की इच्छा होने लगी थी।
लेकिन एक डर भी लग रहा था कि किसी को पता चल गया तो क्या होगा!

मेरे पति की शिफ्ट शाम 4 बजे से रात 12 बजे की थी।

अचानक 2 बजे सुनील अपने स्कूल की छुट्टी करके घर आ गया।
वह मेरे पति से बात करने लगा.

तभी मेरे मन में ये ख्याल आया कि चलो इसको फिर से बुला ही लेते हैं।

तो मैंने कहा- आपको बेटी रोज शाम को याद करती है और आप उसे घुमाने भी नहीं ले जाते।
इतना सुनते ही उसकी जैसे आत्मा प्रसन्न हो गई और बोला- हां भाभी, थोड़ा बिजी था … आज लेकर जाऊंगा।

वह ठीक 6 बजे घर आ गया और बेटी को घुमाने ले गया।
करीब आधे घण्टे बाद वह वापिस आया और कमरे में बैठ गया।
मैंने चाय बनाई और हम साथ में पीने लगे।

फिर सीधे ही उसने बोला- भाभी, चूत की खुजली बर्दाश्त नहीं हुई न? मैं तो जानता हूं कि जो एक बार मुझसे चुदवा ले, दोबारा भी चुदवाती जरूर है। बताओ कितने बजे आऊं?
मैं बोली- रात 9.30 के बाद आना, तब तक मैं गुड़िया को भी सुला दूंगी।

उसके बाद मैंने रात की तैयारी करनी शुरू कर दी।
खाना तो 3 बजे बन ही गया था क्योंकि 4 बजे उनको भी टिफिन देना होता है।
उसके बाद मैंने अपनी चूत के बाल साफ किए।

गर्मी के दिन थे तो शाम को दुबारा नहा भी ली और गुड़िया को जल्दी सुलाने की कोशिश करने लगी।
गेट मैंने खुला ही छोड़ दिया था और गुड़िया को लेकर बेड पर लेटा कर सुलाने लगी।

करीब 9 बजे तक गुड़िया सो भी गई।
फिर धीरे से मुझे भी नींद आ गई।

मुझे पता भी नहीं लगा कि कब सुनील मेरे घर में दाखिल हो गया।
वह फिर मेरे मम्में सहलाने लगा और मेरे गाल पर प्यार करने लगा।

ऐसा करने से मेरी आँख अचानक खुल गई तो वो दूर हो गया और बोला- भाभी, दूसरे बिस्तर पर बैठते हैं।
फिर हम दोनों उठकर दूसरे बिस्तर पर आ गए।

गुड़िया के पास मैंने तकिया लगा दिया जिससे कि वह बीच में न जगे।

फिर हम दोनों ऐसे चिपक गए जैसे कि बरसों बाद मिले हों।
मेरी और उसकी जीभ एक दूसरे के साथ खिलवाड़ कर रही थी।
वह कुर्ते के ऊपर से मेरे मम्में दबा रहा था, सहला रहा था।

कभी मेरी गांड पकड़ कर दबा रहा था और मैं भी उससे बेल की तरह लिपटी हुई थी।
उसको बस जितना मैं भींच सकती थी उतना मैंने भींच रखा था।
दोनों की लार एक हो रही थी।

करीब 15 मिनट तक यही स्थिति रही हम दोनों की।

उसके बाद हमने एक दूसरे की तरफ देखा और जैसे कहा हो कि कहां थे यार इतने दिनों तक हम दोनों।

तभी उसने मुझे खड़े खड़े पलट दिया।
अब वह मेरी पीठ और गर्दन को पीछे से चूमने लगा, साथ-साथ मेरे चूचे भी दबाने लगा।

मेरा दूध मेरे कुर्ते को गीला कर रहा था।
उसने मेरा कुर्ता उतार दिया; मैंने हाथ उठा कर उसका साथ दिया।

अब मेरे मम्मे आजाद थे क्योंकि मैंने ब्रा नहीं पहनी थी।

तभी उसने मेरी सलवार का नाड़ा भी खोल दिया।
अब चूंकि पैंटी नहीं थी तो मैं एकदम नंगी खड़ी थी।

फिर मैंने बोला कि वो भी उतारे कपड़े।

तो वह सब कुछ उतार कर मेरे पास आ गया और मेरे ऊपर लेट गया।
उसका मोटा लन्ड मेरी चूत को छू रहा था और मैं आनंद के सागर में गोते लगा रही थी।

वह मेरे दूध की अमृत धार का पान कर रहा था और मैं उसकी पीठ सहला रही थी।
तभी वो उठकर मेरे पैर के अंगूठे को चूसने लगा।

फिर बोला- भाभी, मैं आज से आपका गुलाम हूं।

वह चाटते हुए मेरी जांघों तक आ गया।
फिर वह मेरी नाभि को चाटने लगा।

अब मैं मचल पड़ी थी।
इतना मजा आ रहा था कि मैं लिख नहीं सकती।
बस मैं आह … आह कर रही थी और पैर हल्के से पटक रही थी।

ऐसा लग रहा था कि बस ये मादरचोद मुझे चोद दे।
पर सुनील ऐसा नहीं कर रहा था।

तभी वह अपना मुंह मेरी चूत पर ले गया और हाथों से मेरी चूचियों की घुंडियों को उमेठने लगा।
बस कुछ बयां नहीं कर सकती कि मैं कितने आनन्द के सागर में गोते लगा रही थी।

उसने धीरे-धीरे मेरे भगनासा को चाटना शुरू किया; फिर मेरी चूत में अपनी जीभ घुसाने लगा।

यह मेरे लिए अलग अनुभव था।
बस मैंने उसका सिर पकड़ कर अपनी चूत में दबा दिया।

मेरे मुंह से बस आह-आह निकल रही थी।
तभी मेरा कामरस छूट गया और उसने अपना मुंह हटा लिया।
मेरी सांसें लम्बी-लम्बी चल रही थीं।

मुझे लग रहा था कि मैं स्वर्ग में हूं।
इतना मजा मुझे आज तक नहीं मिला था।

फिर मैंने सुनील से कहा- अब ऊपर आ जाओ।

वह मेरे पास आ गया और ऊपर लेट गया।
उसका लन्ड चुभता हुआ मुझे मेरी चूत में महसूस हो रहा था।

तभी वह उठा और उसने मेरी गांड के नीचे तकिया लगा दिया।

मैंने उसको बोला कि वो छोटा तौलिया इसके ऊपर रख ले क्योंकि जो तकिया मेरी गांड के नीचे लगा था, वो मेरे पति का था।

उसने ऐसा ही किया और मेरी दोनों टांगों को अपने कंधे पर रखकर अपना लन्ड मेरी चूत के मुंह पर लगा दिया।

मैं अपनी गांड उचका कर उसका लन्ड लेने की कोशिश करने लगी।
लेकिन वह ऐसे ही रहा, मानो मुझे और तड़पाना चाह रहा।

तभी मुझे गुस्सा आ गया और कहा- मादरचोद, चोद ले अब तो!

तभी सुनील मुस्कराया और उसने अपना 2 इंच मोटा लन्ड मेरी चूत में एक झटके में आधा डाल दिया।
मेरी चूत गीली थी; फिर भी मुझे लगा कि मेरी चूत की दीवालों को किसी ने छील दिया हो।

मैंने कहा- कुत्ते धीरे कर!
लेकिन अब वह कहां सुनने वाला था … अगले ही पल एक करारा शॉट पड़ा और उसका लन्ड मेरी बच्चेदानी तक पहुंच गया।

बस मेरे लिए बहुत था।
मैंने बोला- मादरचोद … अब रुका तो फिर कुछ नहीं करने दूंगी।
फिर चल पड़ा वो राजधानी मेल की तरह।

लंड कब अंदर हो रहा था और कब आधा बाहर हो रहा था, मुझे पता नहीं लग रहा था।
वह बड़े ही खतरनाक तरीके से चोद रहा था।

मैं तो सिर्फ आह-आह कर जोर से आवाज निकाल रही थी।
पर मैं कोशिश कर रही थी कि आवाज ज्यादा तेज न हो।

करीब 10 मिनट में मेरा शरीर अकड़ने लगा और मेरा पानी छूट गया।
मैंने उसे रुकने को बोला और लम्बी सांसें लेने लगी।

तभी सुनील बोला- भाभी घोड़ी बन जाओ, अब पीछे से चोदने दो।

मैं मेरे घुटनों और मेरी कुहनियों पर आ गई जिससे मेरी चूत पीछे से खुल गई क्योंकि मुझे पता था कि लन्ड मोटा है, दर्द करेगा।

बस इस बार चूत गीली थी और एक शॉट में लन्ड अंदर चला गया।
फिर सुनील शुरू हो गया, मेरी धक्कापेल चुदाई शुरू हुई।
मेरे चूतड़ों पर पड़ने वाली थाप और थप्पड़ अलग ही मजा दे रहे थे।

करीब 5 मिनट बाद सुनील बोला- भाभी मेरा आने वाला है, कहां निकालूं?
मैंने कहा- अंदर मत निकालना!

तभी उसने अपना लन्ड बाहर निकाल कर सारा माल मेरी गांड पर निकाल दिया।

वह फिर साइड में पस्त होकर पड़ गया।
मैं भी पेट के बल लेट गयी।
सच में बहुत मजा आया।

थोड़ी देर बाद मैंने उसके लन्ड को तौलिया से पौंछा।
उसने मेरी पीठ को पौंछा।
हमने कपड़े पहने, एक जोरदार हग किया।

उसके बाद उसने किस किया और वह चला गया।

प्रेषिका : दिव्या Antarvasna

भाभी अपने एक Antarvasna एक अंग को मेरे शरीर के ऊपर दबा रही थी, सिसक रही थी… चुम्बनों से मेरा मुख गीला कर दिया था। लण्ड मेरा फ़ूलता ही जा रहा था। लग रहा कि बस भाभी की चिकनी चूत को मार ही दूँ। भाभी के हाथ जैसे कुछ ढूंढ रहे थे… और … और यह क्या … ढूंढते हुए उनका हाथ मेरे तने हुए लण्ड पर आ गया। उन्होंने उसे छू लिया … मेरा दिल अन्दर तक हिल गया। दो अंगुलियों से मेरे लण्ड को पकड़ लिया और हिलाने लगी। मुझे कुछ बचैनी सी हुई… पर मैं हिल ना सका… भाभी ने मेरे होंठों में अपनी जीभ डाल दी और मुझे कस कर चिपका लिया। मुझे एक अजीब सी सिरहन दौड़ गई। मेरे हाथ अपने आप भाभी की कमर पर कस गये। मेरा बड़ा सा लण्ड अचानक भाभी ने जोर से दबा दिया। मेरे मन में एक मीठी सी वासनायुक्त चिंगारी भड़क सी उठी।

“भाभी, आह यह कैसा आनन्द आ रहा है … प्लीज और जोर से दबाओऽऽ !” मैं सिसक उठा।

“आह मेरे भैया … क्या मस्त है … ” भाभी भी अपनी सीमा लांघती जा रही थी।

“भैया, अपना पजामा उतार दो !”

मेरे दिल यह सुनते ही बाग बाग हो उठा… आखिर भाभी का मन डोल ही गया। अब भाभी को चोदने का मजा आयेगा।

“नंगा होना पड़ेगा… मुझे तो शरम आयेगी !”

“चल उतार ना … “

“भाभी… मुझसे भी नहीं रहा जाता है … मुझे भी कुछ करने दो !”

भाभी की हंसी छूट गई …

“किसने मना किया है … कोई ओर होता तो जाने अब तक क्या कर रहा होता !”

“मैं बताऊँ कि क्या कर रहा होता?”

“हूँ… अच्छा बताओ तो…”

“तुम्हें चोद रहा होता… तुम्हारी चूंचियों को मसल रहा होता !”

“हाय ये क्या कह दिया कमल … ” उन्होंने मुझे चूम लिया और अपना पेटीकोट ऊपर उठा लिया।

“ले मैं अपना पेटीकोट ऊपर उठा लेती हूँ, तू अपना पजामा नीचे सरका ले !”

“नहीं भाभी, अब तो अपने पूरे कपड़े ही उतार दो… मैं भी उतार देता हूँ”

मैंने बिस्तर से उतर कर अपने सारे कपड़े उतार दिये और बत्ती जला दी। भाभी भी पूरी नंगी हो चुकी थी। पर लाईट जलते ही वो अपने बदन को छिपाने लगी। मैं भाभी के बिलकुल सामने लण्ड तान कर खड़ा हो गया। एक बारगी तो भाभी ने तिरछी नजरों से मुझे देखा, फिर लण्ड को देखा और मुस्करा उठी। वो जैसे ही मुड़ी मैंने उन्हें पीछे से दबोच लिया। मेरा लण्ड उनके चूतड़ों की दरार में समाने लगा।

“क्या पिछाड़ी मारेगा …”

“भाभी, आपकी गाण्ड कितनी आकर्षक है … एक बार गाण्ड चोद दूंगा तो मुझे चैन आ जायेगा… हाय कितनी मस्त और चिकनी है !”

“तो तेल लगा दे पहले …”

मैंने तेल ले कर उसकी गाण्ड में लगा दिया और अपनी अंगुली भी गाण्ड में घुसा दी।

“ऐ … अंगुली नहीं, लण्ड घुसा…” फिर हंस दी।

भाभी पलंग पर हाथ रख कर घोड़ी सी बन गई। मैंने भाभी के चूतड़ को चीर कर तेल से भरे छेद पर अपना लण्ड रख दिया।

“अब धीरे से अन्दर धकेल दे … देख धीरे से…!”

मुझे गाण्ड मारने का कोई अनुभव नहीं था, पर भाभी के कहे अनुसार मैंने धीरे से दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया। मेरा सुपाड़ा फ़क से छेद में उतर गया।

“अब देख जोर से धक्का मारना … इतना जोर से कि मेरी गाण्ड फ़ट जाये !”

मैंने पोजिशन सेट की और जोर से लण्ड को अन्दर दबा कर पेल दिया। मेरे लण्ड में एक तेज जलन सी हुई। मैंने लण्ड को तुरन्त बाहर खींच लिया। मेरे लण्ड की सुपाड़े से चिपकी झिल्ली फ़ट गई थी और खून की एक लकीर सी नजर आई।

“क्या हुआ…? निकाला क्यूँ …? हाय कितना मजा आया था… !” भाभी तड़प कर बोली।

“यह तो देखो ना भाभी ! खून निकल आया है…!”

भाभी ने मुझे चूम लिया… और मुझसे लिपट गई।

“आह कमल, प्योर माल हो …”

“क्या मतलब … प्योर माल ?”

“अरे कुछ नहीं… इसे तो ठीक होने में समय लगेगा… तो ऐसा करो कि मन की आग तो बुझा लें … कुछ करें…”

भाभी ने मेरे हाथ अपने सीने पर रख दिये… और इशारा किया कि उसे दबाये। मुझे इसका पूरा आईडिया था। भाभी की नंगी छातियों को मैं सहलाने लगा। भाभी ने अपनी आंखें बन्द कर ली। उनके उभारों को मैं दबा दबा कर सहलाने लगा था।

वासना से उनकी छाती कड़ी हो चुकी थी और चुचूक भी कड़क हो कर तन से गये थे। मैंने हौले हौले से चुचूकों और उरोजों को दबाना और मसलना आरम्भ कर दिया। भाभी के मुख से सिसकारियाँ फ़ूट पड़ी। मेरी नजरें भाभी की रस भरी चूत पर पड़ी और मैं जैसे किसी अनजानी शक्ति से उसकी ओर झुक गया। मैंने अब उसकी चूचियाँ छोड़ दी थी और उनकी जांघों को दबा कर एक तरफ़ करने लगा। भाभी ने स्वतः ही अपनी टांगें चौड़ी कर ली। चूत की एक मदहोश करने वाली महक आई और मेरा चेहरा उस पर झुकता चला गया। मैंने उसकी पतली सी दरार में जीभ घुमाई, भाभी तड़प सी गई। मेरा लण्ड बेहद कड़क हो उठा था पर हल्का दर्द भी था। मैंने भाभी की गाण्ड के छेद में एक उंगली घुसा दी और चूत के दाने और लम्बी से फ़ांक को चाटने लगा। भाभी तीव्र वासना की पीड़ा में जोर से कांपने लगी थी। उनकी जांघें जैसे कंपकंपी से लहराने लगी थी। उनके मुख प्यारी सी सी… सी सी करती हुई सिसकारियाँ फ़ूट रही थी। तभी उन्होंने मेरा चेहरा अपनी टांगों से दबा लिया और झड़ने लगी। उनका रज छूट गया था। अब उन्होने अपनी टांगें पर बिस्तर पर पसार दी थी और गहरी गहरी सांसें ले रही थी।

इधर मेरा लण्ड फ़ूल कर कुछ कर गुजरने को तड़प रहा था। पर दर्द अभी था।

भाभी ने कहा,” कमल, तुम अब बिस्तर पर अपनी आंखें बन्द कर के लेट जाओ… बस आनन्द लो !”

मैं बिस्तर पर चित्त लेट गया। लण्ड कड़क हो कर लग रहा था कि फ़ट जायेगा। तभी मुझे अपने लण्ड पर कोमल सा स्पर्श महसूस हुआ। भाभी ने रक्त रंजित लण्ड अपने मुख में लिया था और हल्के से बहुत मनोहारी तरीके से चूस रही थी। मैं दर्द वगैरह सब भूल गया। भाभी ने अपने अंगूठे और एक अंगुली से मेरे लण्ड के डण्डे के पकड़ लिया और उसे ऊपर नीचे करने लगी। मेरे शरीर में वासना की आग जल उठी। भाभी की पकड़ बस डण्डे के निचले भाग पर ही थी। भाभी के होंठ मेरे जरा से निकले खून से लाल हो गये थे। उनकी आंखें बन्द थी और और उनकी अंगुलियाँ और मुख दोनों ही मेरे लण्ड को हिलाते और चूसते … मुझे आनन्द की दुनिया में घुमा रहे थे। मेरा दिल अब भाभी को चोदने को करने लगा था, पर भाभी समझदार थी, सो मेरे लण्ड को अब वो जरा दबा कर मल रही थी। शरीर में आग का शोला जैसे जल रहा था। मेरे सोचने की शक्ति समाप्त हो गई थी। बस भाभी और लण्ड ही नजर आ रहा था। अचानक जैसे शोला भभका और बुझ गया। मैंने तड़प कर अपना गाढ़ा वीर्य जोर से बाहर निकाल दिया। भाभी ने अपना अनुभव दिखाते हुये पूरे वीर्य को सफ़ाई के साथ निगल लिया। मैं अपना वीर्य पिचकारियों के रूप में निकालता रहा।

“अब कमल जी, आराम करो, बहुत हो गया…”

“पर भाभी, मेरा लण्ड बस एक बार अपनी चूत में घुसवा लो, बहुत दिनों से मैं तुम्हें चोदने के लिये तड़प रहा हूँ…”

“श्…श्… धीरे बोलो … अभी तीन चार दिनों तक इन्तज़ार करो… वर्ना ये चोट खराब ना हो जाये, दिन में कई बार इसे साफ़ करना…!”

वो मुझे हिदायतें देकर चली गई।

अब रोज रात को हम दोनों का यही खेल चलने लगा। तीन चार दिन बाद मेरा लण्ड ठीक हो गया और मैंने आज तो सोच ही लिया था कि भाभी की गाण्ड और चूत दोनों बजाना है… पर मेरा सोचना जैसा उसका सोचना भी था। उसने भी यही सोचा था कि आज की रात सुहागरात की तरह मनाना है।

रात होते ही भाभी अपना मेकअप करके आई थी। बेहद कंटीली लग रही थी। कमरे में आते ही उन्होंने अपना पेटीकोट उतार फ़ेंका। उनके देखा देखी मैंने भी अपना पजामा उतार दिया और मेरे तने हुये लण्ड को उनकी ओर उभार दिया। हम दोनों ही वासना में चूर एक दूसरे से लिपट गये। भाभी के रंगे हुये लिपस्टिक से लाल होंठ मेरे अधरों से चिपक गये। उनके काजल से काले नयन नशे में गुलाबी हो उठे थे। भाभी के बाल को मैंने कस के पकड़ लिया और अपने जवान लण्ड की ठोकरें चूत पर मारने लगा।

“बहुत करारा है रे आज तो तेरा लण्ड … लगता है आज तो फ़ाड़ ही डालेगा मेरी…!”

“भाभी, खोल दे पूरी आज, अन्दर घुसा ले मेरा ये किंग लिंग… मेरी जान निकाल दे … आह्ह्ह … ले ले मेरा लण्ड !”

” बहुत जोर मार रहा है, कितना करारा है … तो घुसा दे मेरी पिच्छू में … देख कितनी सारी क्रीम गाण्ड में घुसा कर आई हूँ … यह देख !”

भाभी ने अपनी गोरी गोरी गाण्ड मेरी तरफ़ उभार दी … मुझसे अब सहन नहीं हो रहा था। मैंने अपना कड़कता हुआ लण्ड उनकी क्रीम भरी गाण्ड के छेद के ऊपर जमा दिया। मेरा सुपारा जोर लगाते ही आप से खुल पड़ा और छेद में समाता चला गया। मुझे तेज मिठास भरी गुदगुदी हुई। भाभी झुकी हुई थी पर उनके पास कोई हाथ टिकाने की कोई वस्तु नहीं थी। मैंने लण्ड को गाण्ड में फ़ंसाये हुये भाभी को कहा,”पलंग तक चल कर बताओ इस फ़ंसे हुये लण्ड के साथ तो मजा आ जाये !”

“कोशिश करूँ क्या …”

भाभी धीरे से खड़ी हो गई पर गाण्ड को लण्ड की तरफ़ उभार रखा था। मेरा लम्बा लण्ड आराम से उसमें फ़ंसा हुआ था। भाभी के चलते ही मेरे लण्ड में गाण्ड का घर्षण होने लगा, मेरा लण्ड दोनों गोलों के बीच दब गया। वो और मैं कदम से कदम मिला कर आगे बढ़े … और अंततः पलंग तक पहुँच ही गये। इस बीच गाण्ड में लण्ड फ़ंसे होने से मुझे लगा कि मेरा तो माल निकला… पर नहीं निकला… पलंग तक पहुंच कर भाभी हंसते हुये बोली,”मेरी गाण्ड में लण्ड फ़ंसा कर जाने क्या क्या करोगे … फिर चूत में घुसा कर मुझे ना चलाना !”

“नहीं भाभी मुझे लगा कि अब तुम झुकोगी कैसे, सो कहा था कि पलंग तक चलो।”

“चल शरीर कहीं के …” भाभी ने हंसते हुये कहा और अपनी टांगें फ़ैलाने लगी और आराम जैसी पोजीशन में आ गई। आधा बाहर निकला हुआ लण्ड मैंने धीरे से दबा कर पूरा अन्दर तक उतार दिया। इस बार मुझे स्वर्ग जैसा आनन्द आ रहा था। कसी हुई गाण्ड का मजा ही कुछ और ही होता है। भाभी पीछे मुड़ कर मुझे देखने लगी। मैं तो धक्के मारने में लगा हुआ था। अचानक भाभी हंस दी।

“सूरत तो देखो… जैसे कोई खजाना मिल गया हो … चोदते समय तुम कितने प्यारे लगते हो !”

“भाभी, उधर देखो ना, मुझे शरम आती है…”

“अच्छा जरा अब जम कर चोद दे…” भाभी ने मुझे और उकसाया।

मेरे धक्के तेज हो गये थे। भाभी भी अपनी गाण्ड हिला कर आनन्द ले रही थी।

“अरे मर गई मां … ये क्या … मेरी चूत चोदने लगे…”

पता नहीं कब जोर जोर से चोदने के चक्कर में लण्ड पूरा बाहर निकल रहा था और पूरा अन्दर जा रहा था। इस बार ना जाने कैसे फ़िसल कर उनकी रस भरी चूत में चला गया।

“ओह भाभी सॉरी … ये जाने कहां कहां मुँह मारता रहता है !”

भाभी मेरी इस बात पर हंस दी,”चल चूत में अधिक मजा आ रहा है… साला भचाक से पूरा ही घुस गया।”

मैंने उनकी चूत को जोर जोर से चोदना आरम्भ कर दिया। इस बार भाभी की सिसकियाँ तेज थी।

“भाभी जरा धीरे से … मजा तो मुझे भी आ रहा है, पर पकड़े गये तो सारा मजा गाण्ड में घुस जायेगा !”

“क्या करूँ, बहुत मजा आ रहा है …” भाभी ने अपना मुख भींच लिया और सिसकारी के बदले जोर जोर से अपनी सांसें छोड़ने लगी।

“अरे मर गई साले … भेनचोद … फ़ाड़ दे मेरी … चोद दे इस भोसड़ी को … मां ऽऽऽऽऽ…”

“भाभी, खूब मजा आ रहा है ना … मुझे मालूम होता तो मैं आपको पहले ही चोद मारता…”

“बस चोद दे मेरे राजा … उफ़्फ़्फ़्फ़ … साला क्या लौड़ा है …अंह्ह्ह्ह्ह्…।”

भाभी का बदन मस्त चुदाई से मैं तो ऐंठने लगा था। उसने अपनी चूत और चौड़ा दी … मुझे चूत में फ़ंसा लण्ड साफ़ दिखने लगा था… मैंने शरारत की, उसके फ़ूल जैसे उभरे हुये गाण्ड के छेद में अपनी दो अंगुलियाँ प्रवेश करा दी। इसमें उसे बहुत मजा आया…”और जोर से गाण्ड में घुसा दे… साले तू तो मस्त लौण्डा है … जोर के कर !”

लण्ड चूत चोद रहा था और अंगुलियाँ गाण्ड में अन्दर बाहर होने लगी थी।

“भेन की चूत … मेरे राजा … मैं तो गई …”

“मैं भी आया… तेरी तो मां की चूत…”

“राजा और जमा के मार दे …”

“ले रानी … ले … लपक लपक कर ले … पूरा ले ले … साली चूत है या … ओह मैं गया…”

एक सीत्कार के साथ भाभी का रस चू पड़ा… और मेरा वीर्य भी… आह उसकी चूत में भरने लगा। वो और झुक गई, अपना सर बिस्तर से लगा लिया। हम दोनों पसीना पसीना हो चुके थे … उसके पांव अब थरथराने लग गये थे… शायद वो इस अवस्था में थक गई थी। मैंने भाभी को सहारा दे कर बिस्तर पर लेटा दिया। भाभी ने अपना हाथ बढ़ा कर मुझे खींच लिया। मैं कटे वृक्ष के समान उनके ऊपर गिर पड़ा। भाभी ने अपने बदन के साथ मुझे पूरा चिपका लिया और बहुत ही इत्मिनान से मुझे लपेटे में लेकर प्यार करने लगी। जाने कब तक हम दोनों एक दूसरे को चूमते रहे, प्यार करते रहे… तभी भाभी चिंहुक उठी। मेरा खड़ा लण्ड जाने कब उनकी चूत में जोर मार कर अन्दर घुस कर चूत को चूमने लगा था। लाल टोपा चूत की गुलाबी चमड़ी को सहलाता हुआ भीतर घुस कर ठोकर मार कर अपनी मर्दानगी दिखाना चाह रहा था …… रात फिर से गर्म हो उठी थी… दो जवान जिस्मों का वासना भरा खेल फिर से आरम्भ हो गया था … दिल की हसरतें काम रस के रूप में बाहर निकल आती और फिर से एक नया दौर शुरू हो जाता.. Antarvasna

Sex Stories

पाठको, अब तक Sex Stories आपने पढ़ा कि शिल्पा ने ट्रेन में मुझे अपनी चुदाई के किस्से बताये, कि कैसे वो पहली बार अपने अंकल से चुदी और फिर अपने नौकर और उसके दोस्त सुनील से चुदी।

और उसके किस्से सुनते हुए मैंने उसको दो बार चोदा। नीचे चुदाई करने के बाद हम लोग उठ गए, उसने मेरा लंड चाट कर साफ़ कर दिया और हम सीट पर बैठ गए।

मैंने उससे पूछा,”तो क्या सुनील और छोटू ने तुम्हें अगले दिन फिर चोदा?”

वो अपनी आपबीती सुनाने लगी। शिल्पा ले ही शब्दों में !

अगले दिन जब कामवाली और छोटू काम करके चले गए मैं बेसब्री से उनका इंतज़ार करने लगी। आधे घंटे बाद सुनील और छोटू आ गए। सुनील कहने लगा कि छोटू देख साली कैसे हमसे चुदने के लिए हमारा इंतज़ार कर रही है। मैं उन दोनों के बीच में सोफे पर बैठ गई और दोनों ने मेरे मम्मे दबाने शुरु किये और सुनील ने मुझे जोर से समूच किया। मैं गरम होने लगी थी। उन्होंने मेरी शर्ट ऊपर उठा दी, मैंने अपनी ब्रा के हुक खोल दिए और वो ब्रा को ऊपर उठाकर मेरी एक एक चूची चूसने लगे।

मैंने भी दोनों के लंडों पर हाथ रगड़ना शुरू कर दिया। थोडी देर बाद मैं सुनील के सामने घुटनों के बल बैठ गई और उसकी पैंट खोलकर उसका अंडरवियर थोड़ा नीचे करके उसके लंड को बाहर निकाल दिया।

मैंने उसके लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया और चाटने लगी, फिर मैंने उसको थोड़ा थोड़ा अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।

सुनील ने मेरा सर पकड़ा और नीचे दबा दिया। उसका पूरा लंड मेरे मुँह में घुस गया। मैं उसको फिर मज़े ले लेकर चूसने लगी। छोटू कभी मेरी गांड पर और कभी मेरे मम्मों पर हाथ फेरता रहा। सुनील सोफे पर पीछे होकर बैठ गया और मुझसे अपनी लंड चुसाई का मज़ा लेने लगा।

तभी दरवाज़े की घंटी बज गई। मैं रुक गई, सुनील बोला- तू रुक मत ! बहुत मज़ा आ रहा है ! दरवाज़े पर छोटू देख लेगा !

छोटू दरवाज़ा देखने चला गया और मैं फिर सुनील का लंड चूसने में मस्त हो गई। सुनील फिर मेरे मुँह में झड़ गया।

मैं उसका लंड को चाटकर साफ़ कर रही थी कि अचानक छोटू कमरे में दो और लड़कों को लेकर घुसा, मैं सुनील का लंड चाटने में इतनी मस्त थी कि मैंने ध्यान नहीं दिया।

मेरे पीछे से आवाज़ आई,”यार यहाँ तो काम पहले ही चालू है !”

मैं घबरा कर खड़ी हो गई।

सुनील हंसने लगा, बोला,”हम दोनों मिल कर तो तुम्हारी प्यास नहीं बुझा पाते तो आज मैंने किशोर और रवि को भी बुला लिया है।”

मैंने कहा,”मैं चार चार को नहीं झेल पाऊँगी।”

सुनील बोला,”तू चिंता मत कर, जितना तू झेल सकती है, तेरे साथ उतना ही करेंगे ! बस तू मेरी बात मानती जा।”

मैंने कहा,”ठीक है !”

फिर वो बोला,” हम गाना लगाते हैं और तू हमारे सामने नाच नाच कर कपड़े उतार !

मैं समझ गई कि वो मुझे स्ट्रिप टीज़ करने के लिए कह रहा है। मैंने पहले भी इन्टरनेट पर सेक्स के दौरान कई बार स्ट्रिप टीज़ किया हुआ था।

छोटू ने गाना लगा दिया और वो चारों सोफे पर बैठ गए।

मैंने नाचना शुरू किया। मैंने फिर धीरे से अपनी शर्ट के बटन एक एक कर के खोल दिए, फिर उसको उतार कर किशोर के मुँह पर फ़ेंक दिया।

मेरी ब्रा के हुक पहले ही खुले हुए थे, मैंने उसको भी निकाल कर रवि के ऊपर फ़ेंक दिया। वो दोनों मेरी मस्त जवानी देख कर उत्तेजित होने लगे।

मैं नाच रही थी और मेरे दूधिया मम्मे उछल रहे थे। किशोर और रवि दोनों अपने लंडों को पैंट के बाहर से ही रगड़ने लगे, फिर मैंने अपना पजामा भी नीचे उतार दिया और उनको अपनी मस्त जांघों के दर्शन कराये।

फिर मैं कुतिया की तरह चल कर किशोर के पास गई और घुटनों पर बैठ कर उसकी पैंट खोलने लगी। पैंट की जिप खोलकर उसका अंडरवियर थोड़ा सा नीचे करके मैंने उसका लंड बाहर निकाल लिया और चाटना शुरू कर दिया। दूसरा हाथ मैंने रवि के लंड पर रख दिया।

रवि ने अपनी पैंट खोलकर लंड बाहर निकाला और मेरे हाथ में दे दिया। इस तरह एक तरफ मैं किशोर के लंड को चाट और चूस रही और दूसरे हाथ से रवि के लंड को छेड़ रही थी।

छोटू फर्श पर लेट कर मेरे नीचे आ गया और मेरे लटकते हुए मम्मों को चूसने लगा। सुनील का लंड भी ये सब देखकर दुबारा से खड़ा हो गया और मेरे पीछे आ गया। उसने मेरी पैंटी घुटनों तक करके मेरी टांगों को थोड़ा सा फैलाया और अपना लंड मेरी चूत पर पीछे से रगड़ने लगा। फिर अचानक ही उसने अपना लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया और मुझे चोदने लगा।

मैं चार चार लौंडों को एक साथ संतुष्ट कर रही थी यह सोच कर बहुत उत्तेजित हो रही थी। थोड़ी देर में सुनील मेरी चूत में झड़ गया। फिर उसने छोटू को इशारा किया। छोटू ने मेरे पीछे आकर अपना लंड अपनी मालकिन की चूत में घुसा दिया और धक्के मारने लगा। थोड़े ही दिन में छोटू चोदने में एक्सपर्ट हो गया था। फिर वो भी मेरी चूत में झड़ गया। अब किशोर और रवि की बारी थी मुझे चोदने की।

मैं दो दो लंडों से चुदने के बाद भी और चुदना चाहती थी। किशोर ने भी पीछे से आकर मुझे कुतिया की तरह चोदना शुरू किया। आगे मैं रवि का लंड चाटने और चूसने लगी। सुनील और छोटू दोनों बगल से मेरे मम्मों को मसल रहे थे। जब किशोर भी मेरी चूत में झड़ गया तो रवि मेरे पीछे आया और मेरी गांड में ऊँगली करने लगा।

सुनील बोला- साले, गांड मारेगा क्या?

रवि ने कहा- हाँ।

मैं घबरा गई और कहने लगी- प्लीज़, मेरी गांड मत मारो ! चूत ही चोद लो ! इसका तो है भी इतना बड़ा !!! पता नहीं मेरा क्या होगा ! मैं मर जाऊँगी।

सुनील बोला- देख किसी न किसी दिन तो तूने गांड मरवानी ही है ! शुरुआत आज ही कर देते हैं।

फिर उसने छोटू से तेल मंगवाया जो रवि ने थोड़ा अपने लंड पर लगाया और थोड़ा मेरी गांड में। धीरे से उसने फिर अपना लंड मेरी गांड के छेद पर रख दिया और थोड़ा थोड़ा करके अन्दर डालने लगा। अब उसने हल्के हल्के धक्के मारने शुरू किये।

मुझे दर्द हो रहा था पर मैं झेल रही थी।

थोड़ी देर में दर्द कम हो गया और मज़ा आने लगा। उसके धक्के तेज़ होते जा रहे थे। पहली बार मैं अपनी गांड मरवा रही थी मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।

थोड़ी देर में वो भी मेरी गांड में झड़ गया। फिर सुनील ने छोटू को नीचे लेटने को कहा और मुझसे कहा कि मैं उसके ऊपर चढ़ जाऊँ।

मैं छोटू पर चढ़ गई और उसका लंड अपनी चूत में ले लिया। अब मेरे पीछे से सुनील आया और अपना लंड मेरी गांड में घुसा दिया। अब मेरी गांड और चूत दोनों में एक एक लंड था। उसने पीछे से धक्के मारने शुरू किये और मैं चूत और गांड दोनों में एक साथ चुदने लगी।

बाकी दोनों आगे आकर मेरी चूचियाँ चाट रहे थे। थोड़ी देर में दोनों मेरी चूत और गांड में झड़ गए।

इस तरह मैं उन चारों से बारी बारी अपनी चूत और गांड में 3-4 घंटे तक चुदवाती रही। फिर मम्मी और पापा के आने का समय हो गया तो वे चले गए।

अगले दिन मेरी चुदाई के बाद सुनील बोला कि कल अमित का जन्मदिन है और हम उसे एक स्पेशल तोहफा देना चाहते हैं।

मैंने पूछा- क्या?

तो वह बोला-तुम !

मैंने कहा- क्या मतलब?

सुनील बोला- हम चाहते हैं कि अमित अपना जन्मदिन तुम्हें चोदकर मनाये !

मैंने कहा- वहाँ तो इतने सारे लोग होंगे ! अगर सब मुझे चोदेंगे तो मैं मर ही जाऊंगी !

सुनील बोला- नहीं, तुम्हें सिर्फ अमित ही चोदेगा ! बाकी को मैं रोक लूगा।

मैं तैयार हो गई।

अगले दिन वो मुझे अमित के घर ले गया।

जैसे ही हम अंदर घुसे तो मैंने देखा कि आठ दस लोग बैठे दारु पी रहे हैं।

मैंने सोचा यह सब मिलकर मेरे ऊपर चढ़ गए तो मेरा दम निकल जाएगा। मुझे वहाँ देखकर सब चौंक गए।

सुनील ने मुझे सब से मिलवाया फिर बोला- आज मैं अमित के लिए एक खास तोहफा लेकर आया हूँ, शिल्पा !

लोग तब भी नहीं समझे।

तो सुनील ने गाना लगाया और मुझसे बोला- चलो, शुरू हो जाओ !

मैंने नाचना शुरू किया तो लोगों को कुछ समझ में आया कि क्या हो रहा है। मैंने धीरे धीरे अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू किये और लोग मस्त होने लगे। सबके लंड खड़े होने लगे थे।

मैंने अपनी शर्ट उतारकर अमित के ऊपर फ़ेंक दी। मेरी काली सिल्की ब्रा में से छलकते हुए मेरे गोरे मम्मों को उछलते हुए देखकर सबकी आह निकल गई।

फिर मैंने धीरे धीरे अपनी जींस नीचे उतार दी और सबको अपनी टांगों के दर्शन कराये। कुछ लोगों ने अपने लंड मसलने शुरू कर दिए थे। अमित अभी भी बस मुझे देखे जा रहा था। मैं उसके पास गई और उसकी गोद में बैठ गई। उसने पीछे से मेरे मम्मे दबाने शुरू कर दिए।

बाकी लोग भी मेरे पास आने लगे तो सुनील ने उन्हें रोक दिया और कहा- आज शिल्पा सिर्फ अमित की है, कोई और उसे नहीं छूएगा।

अमित ने अब पीछे से मेरी ब्रा के हुक खोल दिए और उसे उतार दिया। सब मेरी चूचियों को ललचाई नज़र से देखने लगे। कुछ लोगों ने अपने लंड बाहर निकाल लिए और मुठ मारने लगे थे।

मैं फिर नीचे उतर कर घुटनों पर अमित के सामने बैठ गई। मैंने अमित की पैंट खोली और उसका लंड बाहर निकाल लिया और उसको चाटने और चूसने लगी।

थोड़ी देर में मैं पैंटी उतारने के लिए उसके सामने खड़ी हो गई।

पर तभी सुनील ने पीछे से आकर मेरी पैंटी नीचे खींच दी और मेरी चिकनी चूत उसको दिखाकर बोला- यह है तेरे जन्मदिन का तोहफा ! आज चोद ले इसे जितना चोदना है !

अमित ने खड़े होकर अपने सारे कपड़े उतार दिए और मुझे चूमने लगा। बगल में लोगों ने सीटियाँ मारनी शुरू कर दी और तरह तरह की आवाजें निकालने लगे।

छोटू बोला- आज छोड़ना नहीं अमित, फाड़ दे साली की। बहुत मस्त माल है !

मैं चोंक गई कि यह छोटू को क्या हो गया है अपनी मालकिन के बारे में क्या बोल रहा है।

फिर मैं जाकर वहाँ एक मेज़ पर लेट गई। अपने चूतड़ किनारे पर लाकर मैंने अपनी टाँगे हवा में उठाकर फैला दीं। मेरी खुली चूत देख कर वो पागल हो गया।

उसने मेज़ की बगल में खड़े होकर अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया और धक्के मारने लगा। बाकी सब लोग अपने अपने लंड लेकर मेरे पास आ गए और मुठ मारने लगे।

एक एक करके वो झड़ने लगे और अपने लंड का पानी मेरे ऊपर डाल दिया। मैं वीर्य में नहा गई। फिर सबने एक एक करके अपने लंड मुझसे चटवाकर साफ़ करवाए।

इतने लंडों का स्वाद मैंने ज़िन्दगी मैं पहली बार चखा था, बहुत मज़ा आया।

इधर अमित मुझे पेले जा रहा था। मेरे मम्मे भी उसके धक्कों से बार बार उछल रहे थे।

लोगों ने बारी बारी आकर मेरी चूचियों का स्वाद भी चखा। थोड़ी देर बाद अमित मेरे अन्दर झड़ गया।

मैं पूरी गन्दी हो चुकी थी। मैं बाथरूम मैं नहाने गई तो अमित मेरे पीछे पीछे आ गया, उसने कहा- रांड, तुझे आज मैं नहलाता हूँ !

उसने शावर चलाया और मेरा शरीर ऊपर से नीचे तक मलने लगा। बाहर से सभी यह नज़ारा देख रहे थे। नहलाने के बाद अमित बोला- चल, अब तू कुतिया बन जा ! मुझे तेरी गांड मारनी है।

मैं वहीं कुतिया बन गई और वो पीछे से मेरी गांड मारने लगा।

थोड़ी देर के बाद वो मेरी गांड में झड़ गया। उसको तृप्त करके मैं वहां से चली आई। उसके बाद मैं मोहल्ले की रंडी बन गई और सुनील के सभी दोस्तों से चुदवाया।

मैं बहुत खुश रहने लगी थी क्योकि मेरी चूत कि प्यास बुझाने के लिए मुझे रोज़ लंड मिल जाते थे। उसके बाद मैं कई बर्थ-डे पार्टियों में चुदने गई। ज़िन्दगी बहुत हसीन हो गई थी।

उसका किस्सा सुनने के बाद मैं फिर गरम हो गया और बोला- चल अब तेरी गांड मारता हूँ।

वो घुटने ज़मीन पर रखकर सीट पर उलटी लेट गई और मेरे लिए अपने दोनों हाथों से गांड का छेद खोल दिया और बोली- ले भोंसड़ी वाले ! मार मेरी गांड !

मैंने अपना लंड उसकी गांड में घुसा दिया और उसकी गांड मारने लगा। ट्रेन में मैं भकाभक उसकी गांड मार रहा था। थोड़ी देर के बाद मैं उसकी गांड में झड़ गया।

फिर वो मेरी गोद में आकर बैठ गई।

आगे क्या हुआ, यह मैं आपको अगली बार बताऊंगा। Sex Stories

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