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Massage Girl in Jind: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Jind who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Jind that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Jind massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Jind who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Jind massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Jind massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Jind who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Jind employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Jind helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Jind

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Jind at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

हेलो दोस्तों मैं प्रथा(बदला हुआ नाम) वापस हाजिर हो एक कहानी लेकर लेकिन यह कहानी इस बार मेरी है जो कि मेरे आशिक के द्वारा सुनाई जा रही है। इस कहानी को सुनिए और आनंद लीजिए। तो दोस्तों मैं हूं सोहन(बदला हुआ नाम)और आज मैं अपनी प्रेमिका प्रथा के साथ हुए अनुभव को साझा कर रहा हूं। मैं और मेरी प्रेमिका प्रथम दोनों ही मध्य प्रदेश से संबंध रखते हैं और जहां एक और मैं छत्तीसगढ़ अंचल का निवासी हूं (जैसा कि आपको पता है कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ पहले एक ही हुआ करता था इसलिए मैं भी खुद को मध्यप्रदेश का मानता हूं और मेरी प्रेमिका प्रथा को छत्तीसगढ़ की संस्कृति भी बहुत पसंद हैं)वही दूसरी ओर प्रथा मूल रूप से मध्य प्रदेश के मध्य में ही है। गोपनीयता के लिए मैंने स्थान का नाम नहीं बताया। यह बात है जनवरी 2025 कि जब मैं अपने आंचल छत्तीसगढ़ से मध्य प्रदेश जा रहा था और प्रथम और मेरी मुलाकात सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से हुई थी जहां पर हम तीन-चार महीने बात किया और एक दूसरे के नजदीक आ गए। धीरे-धीरे प्रेम उपजा और हम दोनों को जैसे एक दूसरे का सच्चा प्यार मिल चुका था बस अब हमारा मिलन बाकी था क्योंकि हमने एक दूसरे को सिर्फ वीडियो कॉल ऑडियो कॉल और सोशल मीडिया अकाउंट में ही देखा था और आमने-सामने नहीं देखे थे। हालांकि हम दोनों के बीच में प्राइवेट चार्ट और प्राइवेट कॉल होते थे लेकिन अब बस मिलने की बेताबी थी तो जैसे तैसे मैं अपना काम निपटाकर जनवरी 2025 में मध्य प्रदेश की धरती में कदम रखा और फिर एक दिन 11 जनवरी 2025 को मैं उस स्थान की बस पर बैठ गया जहां पर मेरी प्रेमिका प्रथम रहती थी। वो बस का सफर धीरे-धीरे बेचैनी बढ़ा रहा था मेरी क्योंकि हम पहली बार मिलने वाले थे और फिर शाम को 5:00 बजे बस वहां रुक जहां पर मेरी प्रेमिका रहती थी। प्रथा कोचिंग करती थी और साथ में रूम से रहती थी वह मुझे लेने आई बस स्टैंड और फिर हम दोनों साथ में उसके रूम चल दिए बातों बातों में मैंने उसकी तारीफ किया कि तुम फोटो से तो अधिक सुंदर हो रियल दिखने में और ऐसे ही हम उसके कमरे पर पहुंच गए कमरे पर जाते ही मैं उसके बेड पर बैठ गया और वह मेरे लिए मक्के की रोटी और अंडे की सब्जी बनाने की तैयारी करने लगी। जैसे ही वह मक्के की रोटी बना रही थी एक दो तीन चार रोटी बन गई लेकिन पांचवी रोटी नहीं बन रही थी तो मैंने शरारत करते हुए उसके कमर से हाथ डालकर उसकी हाथों में अपने दोनों हाथ लेकर आटा गुथना चाहा और उसे छेड़ता रहा। मेरी हरकत से वह शर्मा गई और फिर मुझे प्यार से धक्का देकर वापस अपने काम पर जुड़ गई मैं फिर एक बार वापस आता गुठने आया और प्यार से उसके कानों को सुनते हुए आता गुठने लगा और रोटी बनाने की कोशिश करने लगे। इस बार उसने मजाक से बेलन हाथ में लिया और बोले तुम चुपचाप बैठो मैं बना रही हूं और हंसते हुए मुझे छुड़ा लिया। मेरे से उठने के बाद ही उसे मक्के की रोटी बन गई। रोटी बनाने के बाद उसने बोली थोड़ी देर बात करते हैं और सब्जी बाद में बना लूंगी। वह और रोटी बनाने के बाद उसने एकाएक मुझे जोर से आलिंगन कर लिया। प्रथम के इस अनमोल स्पर्श को पकड़ मेरा रोम रोम रोमांचित हो चुका था जैसे मेरी रूह में मेरी प्रेमिका बस गई हो। उसके बाद मैं भी उसे ज़ोर से गले लगा लिया और हम दोनों प्यार के इस समंदर में डूबते चले गए उसके बाद उसने प्यार से मेरा माथा चूमा और फिर देखते ही देखते हमारे लब एक - दूसरे के आगोश में हो गए और हम दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे। सच्चे प्रेम का सच्चा स्पर्श पाकर हम दोनों बेतहाशा एक दूसरे के होठों को कस रहे थे फिर करीबन 10 मिनट किसिंग करने के बाद हम दोनों अलग हुए और एक दूसरे की आंखों में प्यार से देखने लगे और फिर एकाएक हमने एक दूसरे को गले लगा लिया। उसके बाद मैंने कहा कि मैं तुमसे बेइंतहा मोहब्बत करता हूं और प्रथा ने कहा तुम मेरी जान हो,मेरा बच्चा हो। मैंने उसकी मेहंदी अच्छी जो उसने मेरे लिए लगाई थी उसने एक दिन पहले पैरों में और 2 दिन पहले हाथों में मेहंदी लगाई थी जिसका रंग काफी निखार गया था और जिसमें मेरे नाम का प्रथम अक्षर S लिखा हुआ था। मैंने उसके हाथों और पैरों दोनों की मेहंदी को अपने होठों से चूम लिया और उसे आई लव यू कहा बदले में उसने भी मुझे आई लव यू मेरी जान कहा। उसके बाद वहां अंडे बनाने में व्यस्त हो गई और मैं भी मोबाइल चलाने में बिजी हो गया। जब खाना बन गया तो हमने एक दूसरे को अपने हाथों से खाना खिलाया उसने अपने कोमल उंगलियों से मुझे खाना खिलाया और मैं अपने हाथों से प्रथा को खाना खिलाया या हमारे लिए एक बेहद अनोखा अहसास था।खाना खाने के बाद मैंने जो गिफ्ट उसके लिए लाया था वह दिया जिसमें दो डेरी मिल्क चॉकलेट्स,दो चिप्स पैकेट,सेव का पैकेट और भुने हुए चने भी थे। इसके अलावा मैंने उसे हाथों का ब्रेसलेट दिया। मेरे पास एक अनोखा गिफ्ट था लेकिन उसे कैसे दूं यह सोच रहा था। जब उसने सब खा लिया और अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर मेरे द्वारा लाई गई चॉकलेट और ब्रेसलेट को अपलोड किया उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को गले लगा कर लेट गए। मैंने उसे कहा कि मेरे पास और एक गिफ्ट है लेकिन उसे कैसे दूं प्रथा ने कहा दे दो। मैंने कहा ठीक है तुम आंखें बंद करो और हाथ ऊपर करो धीरे से मैं उसकी टी शर्ट उतार दिया और उसके ऊपरी अंडर गारमेंट्स को उतार कर मैंने उसे एक जालीदार एवं ट्रांसपेरेंट ब्रा अपने हाथों से पहना और उसके बाद मैंने उसे टी शर्ट भी पहना दिया। मेरे मन में उसे समय तक वासना ने स्थान नहीं दे रहा था क्योंकि मैं प्रथा से सच्चा प्यार करता था इसीलिए उसे बिना कपड़ों के देखकर भी मैंने कुछ प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की। इसके बाद हम पुनः वापस एक दूसरे की बाहों में बाहें डालकर लेट गए। इसके बाद प्रथा ने कहा मुझे लगा तुम कुछ करोगे लेकिन तुमने तो कुछ किया ही नहीं और हंसने लगी तो मैंने कहा यदि तुम्हारा मन हो तब ही मैं करूंगा तुम्हारी अनुमति के बिना मैं तुम्हें कुछ नहीं करूंगा। तभी उसने शरारती अंदाज में कहा कि मेरा बच्चा जो तुमने पहनाया हो उसे उतरना भी पड़ेगा और उसकी इस बात पर मैं शर्मा गया। अब मैं उसे किस करने लगा और इसके बाद हम दोनों धीरे-धीरे वस्त्रहीन होने लगे मैं उसके शरीर के एक-एक अंग को चूमने लगा जिससे वह काफी सिहर उठती उसके बाद मैंने उसके स्तन को ऐसे चूस रहा था जैसे एक बच्चा अपने मां के स्तन को चुस्त है इस चूसने में वात्सल्य का भाव था ना ही कोई भारीपन या वहशीपन था,मैं बड़े प्यार से ही प्रथा के कोमल स्तनों का रस ले रहा था। प्रथा उम्मममम ahhhhhhh करने लगी।उसके बाद मैं नीचे बड़ा और उसकी नाभि में अपनी जीभ घुसा दी जिससे मेरी प्रेमिका सिहर उठी और इश्श इश्श आह्ह्ह्हा कहने लगी। इसके बाद मैं अपनी प्रेमिका प्रथा की शेव की हुई कोमल टांगों को चूमने लगा जिससे वो रोमांचित हो उठी और मेरे सर को अपने हाथों से पकड़ने लगी और आह्ह्ह्हा आह्ह्ह्हा उफ्फ उफ्फ मेरी जान कहने लगीं। उसके बदन के हर एक-एक अंगों को चूमने के बाद मैंने उसकी ग्राम योनि में अपनी उंगली को डाला जिससे वह काफी रोमांचित हो उठी उसके बाद मैंने दो उंगली डाल और अंदर बाहर करने लगा। इसके बाद मैंने अपना लिंग योनि की दीवार पर रगड़ने लगा और क्लिटोरिस को हाथों से छेड़ने लगा जिससे प्रथा आह्ह्ह्हा आह्ह्ह्हा आह्ह्ह्हा उफ्फ उफ्फ उफ्फ करने लगी। धीरे से मैंने अपना लिंग उसकी योनि में डाला और धीरे-धीरे अंदर बाहर करने लगा जिससे प्रथा को अनोखे आनंद की प्राप्ति हो रही थी और वह आह्ह्ह्हा आह्ह्ह्हा उफ्फ उफ्फ कहने लगी। तकरीबन 10 15 मिनट करने के पश्चात ही प्रथा ने कहा आज के लिए इतना ही और फिर मैं भी अपनी काम क्रीड़ा को रोक दिया और हम दोनों ऐसे ही निर्वस्त्र होकर नींद की गहराइयों में डूब गया जब हम सुबह उठ तो सूर्य की करने में अपनी प्रेमिका प्रथा को ऐसे निर्वस्त्र देखकर मुझे उसके भोले चेहरे पर बड़ा ही प्रेम आ रहा था क्योंकि वहां सोते हुए बहुत ही प्यारी दिख रही थी। कहानी लंबी चलेगी क्योंकि यहां तीन दिन तीन रातों की कहानी है तो इंतजार कीजिए अगले भाग का और जानिए कि आगे हमने क्या-क्या किया और कैसे इस सच्चे प्रेम के पहला अनुभव में हम एक दूसरे में खो गए। कहानी कैसी लगी अपने प्रतिक्रिया व्यक्त करें मेरे मेल पर medicallovergirl@gmail.com

(Naukrani Ki Bur Me Lund)-Hindi sex stories

Hindi sex stories दोस्तो, लड़की को सिड्यूस (कामोत्तेजित) करने में बड़ा मजा आता है. बस उसको कामोत्तेजित करने का तरीका ठीक होना चाहिए.

मैंने अपने घर की नौकरानी को ऐसे ही कामोत्तेजित करके खूब चोदा. आज मैं आप सब को वही कहानी सुनाने जा रहा हूँ. मेरा नाम है अजय. मेरे घर में उलूल-जुलूल नौकरानियों के बाद एक दिन बहुत ही सुन्दर नौकरानी काम करने के लिए आई. वह बहुत ही खूबसूरत थी. सुन्दर होने के साथ-साथ वह सेक्सी भी लग रही थी. उसकी हाइट मीडियम थी, बदन सुडौल था. उसका फीगर 33-26-34 का रहा होगा. वह शादीशुदा भी थी.

उस नौकरानी को देखकर मुझे उसके पति से मन ही मन जलन होना शुरू हो गई थी. उसका पति मुझे बहुत ही किस्मत वाला लग रहा था कि जिसके पास ऐसी सेक्सी बीवी है. मुझे पूरा यकीन था कि वह साला इस सेक्सी नौकरानी को खूब चोदता होगा. उसके बूब्स ऐसे थे कि देखते ही मन करता था बस यहीं पर दबा दो इनको. वह अपनी चूचियों को साड़ी से कितना भी ढकने की कोशिश करती लेकिन उसके बूब्स कहीं न कहीं से बाहर आकर दिखाई देने लगते थे. वह बहुत कोशिश करने के बाद भी अपनी चूचियों के ऊपर की दरार को छिपा नहीं पाती थी. जब मैंने उसकी दरार को तिरछी नजर से देखा तो पता चला कि उसने तो अंदर ब्रा भी नहीं पहनी थी.

शायद हो सकता था कि उसको लगता हो कि ब्रा पर बेकार ही पैसे क्यों खर्च किए जाएं. जब वह ठुमकती हुई चलती थी तो उसके चूतड़ हिलते थे और हिलते हुए ऐसे लगते थे जैसे कह रहे हों कि मुझे पकड़ो और दबा दो. अपनी पतली सी साटिन की साड़ी को जब वह चूत के पास से पकड़ कर संभालती हुई चलती थी तो मन करता था कि काश मैं भी इसकी चूत को छू सकूँ. काश मैं इसके मम्मों को दबा सकूँ. काश मैं इसकी चूचियों को चूस सकूँ. साथ ही साथ मेरा बहुत दिल करता था कि मैं इसकी चूत को चूसते हुए जन्नत का मजा ले सकूँ. इसकी चूत में अपना लंड डालकर उसको चोद सकूँ. मेरा लंड भी मानता ही नहीं था.
उसकी चूत में घुसने के लिए मेरा लंड बेकरार रहता था. मगर मैं सोचता था कि मेरा ये सपना पूरा हो तो हो कैसे? वह साली तो मेरी तरफ देखती भी नहीं थी. वह बस अपने काम से ही मतलब रखती थी. काम करने के बाद ठुमकती हुई वापस चली जाती थी. मैंने भी कभी उसको अहसास नहीं होने दिया कि मेरी नज़र उसकी चूत पर है और मैं उसको चोदने के लिए इतना बेताब रहता हूँ. मगर मुझे किसी न किसी तरह उसकी चूत को चोदना ही था. मैंने सोच लिया था कि इसको किसी न किसी तरह गर्म करके ही यह सब संभव हो सकता है.

मगर यह सब मुझे धीरे-धीरे करना होगा. अगर ये नाराज हो गई तो मेरा सारा भांडा फूट जाएगा. कुछ दिन के बाद मैंने उसके साथ बहाने से बातें करना शुरू कर दिया. उसका नाम था किरण. मैंने एक दिन उसको चाय बनाने के लिए कह दिया. जब उसने अपने नर्म हाथों से मुझे चाय पकड़ाई तो मेरा लंड तो जैसे उछल ही गया. मैंने चाय पीते हुए उससे कहा- किरण तुम तो चाय बहुत अच्छी बना लेती हो.
उसने कहा- हां, बाऊजी, चाय तो मैं बना ही लेती हूँ.

उसके बाद मैंने किरण से हर रोज ही चाय बनवाना शुरू कर दिया. फिर एक दिन जब मैं ऑफिस जा रहा था तो मैंने किरण को अपनी शर्ट प्रेस करने के लिए दे दी.
मैंने कहा- तुम तो प्रेस भी अच्छी कर लेती हो.

इस तरह से जब मेरी बीवी मेरे आस-पास नहीं होती थी तो मैं किरण से बातें करना शुरू कर देता था.
मैंने पूछा- किरण, तुम्हारा पति क्या करता है?
वह बोली- एक मिल में काम करता है मेरा आदमी.
मैंने कहा- कितने घंटे की नौकरी होती है उसकी?
उसने कहा- 10-12 घंटे तो लग ही जाते हैं और कई बार तो रात को भी ड्यूटी लगा देते हैं.
मैंने कहा- तुम्हारे बच्चे कितने हैं?
उसने शर्माते हुए जवाब दिया- अभी तो मेरे पास एक लड़की ही है 2 साल की.

मैंने पूछा- तो क्या तुम उसको घर में अकेली ही छोड़कर आ जाती हो?
उसने कहा- नहीं, मेरी एक बूढ़ी सास है. वह उसकी देखभाल कर लेती है.
मैंने पूछा- तुम कितने घरों में काम करती हो?
उसने कहा- साहब, बस एक आपके घर में काम करती हूँ और एक नीचे वाले घर में काम करने जाती हूँ.
मैंने फिर पूछा- तो क्या तुम दोनों का गुजारा हो जाता है?
उसने कहा- साहब हो तो जाता है लेकिन बड़ी मुश्किल से ही काम चल पाता है. मेरा आदमी शराब में बहुत सारे पैसे बर्बाद कर देता है.
अब मेरे काम की बात यहाँ से शुरू हो गई थी.
मैंने किरण से कहा- ठीक है, कोई बात नहीं. अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ.

किरण ने मुझे अजीब सी नजरों से देखा.
उसने कहा- क्या मतलब है आपका?
मैंने कहा- अरे, मेरा मतलब है कि तुम अपने आदमी को मेरे पास ले आओ, मैं उसको समझा दूंगा.
उसने कहा- ठीक है साहब. कहते हुए उसने एक लम्बी और गहरी सांस ली.
इस तरह हम दोनों के बीच ये बातों का सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा और धीरे-धीरे बातों के सहारे मैंने किरण के मन में से उसकी झिझक को कम करने की कोशिश की.

एक दिन मैंने शरारत भरे लहजे में कहा- तुम्हारा आदमी तो पागल ही होगा. इतनी सुंदर बीवी होते हुए भी वह शराब पीता है.
दोस्तो, औरतें काफी समझदार होती हैं. किरण भी मेरा इशारा शायद समझ गई थी लेकिन उसने अपनी नाराजगी का मुझे जरा सा भी अहसास नहीं होने दिया. मुझे भी थोड़ा हिन्ट मिल गया था कि यह भी तैयार हो जाएगी. अगर मुझे मौका मिले इसे दबोचने का तो यह शायद चुदवा भी लेगी.

वो कहते हैं न कि भगवान के घर देर है मगर अंधेर नहीं है. एक दिन मेरे पास भी मौका आ ही गया. रविवार का दिन था. मेरी बीवी एक दिन पहले ही मायके चली गई थी. वह हमारे दोनों बच्चों को भी साथ में लेकर गई थी. मेरे बीवी ने कहा था कि अगर किरण आए तो घर का काम ठीक से करवा लेना. सुबह से ही मेरे मन लड्डू फूटने लगे थे और मेरा लंड फुदकने लगा था. मैं बार-बार किरण के बारे में ही सोच रहा था.

कुछ देर के बाद किरण घर में आ गई. उसने दरवाजा बंद कर दिया और अपने काम पर लग गई. इतने दिनों की बात-चीत के बाद हम दोनों अब आपस में काफी खुल भी गए थे. किरण को मेरे ऊपर भरोसा भी हो गया था. इसलिए शायद उसने मेरे बिना कहे ही दरवाजा बंद कर दिया था. मैंने सोचा कि अगर आज मैंने पहल नहीं की तो यह फिर कभी हाथ नहीं आएगी. बात मेरे हाथ से निकल जाएगी. फिर मैंने सोचा कि पहल मैं करूं कैसे? फिर दिल में ख्याल आया कि पैसे की बात ही कर लेता हूँ.
मैंने कहा- किरण, अगर तुम्हें पैसों की जरूरत हो तो मुझे बता देना. जरा सा भी झिझकना नहीं.
किरण ने कहा- साहब, क्या आप मेरी पगार काटने वाले हैं?

मैंने कहा- अरे नहीं पगली, अगर तुझे अगर कुछ फालतू पैसों की जरूरत हो तो मुझे बता देना. मैं तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हूँ. मैं इस बारे में अपनी पत्नी को भी कुछ नहीं बताऊंगा. लेकिन एक वादा तुमको भी करना होगा कि तुम भी इस बारे में मेरे बीवी से कुछ नहीं कहोगी.
इतना कहकर मैं किरण के जवाब का इंतजार करने लगा.
किरण ने कहा- मैं क्यों बताने लगी आपकी बीवी को?

उसके मुंह से यह जवाब सुनकर मैं खुश हो गया. मेरा तीर एकदम सही निशाने पर जाकर लगा था.
मैंने कहा- तुम खुश हो जाओ अब.
वह बोली- हां साहब, इससे मुझे काफी आराम हो जाएगा.
मैंने कहा- किरण, मैंने तुम्हें खुशी दे दी. क्या तुम नहीं चाहती कि मैं भी खुश हो जाऊं? मगर उसके लिए तुमको अपना मुंह बंद रखना होगा.
कहते हुए मैंने किरण के हाथ में पांच सौ रुपये का नोट थमा दिया.

किरण ने पूछा- क्या करना होगा मुझे साहब?
मैंने कहा- पहले तुम अपनी आंखें बंद कर लो. अगर तुमने आंखें खोल दीं तो तुम शर्त हार जाओगी.
मेरे कहने पर किरण ने आंखें बंद कर लीं और मेरे सामने ही खड़ी रही. मैंने देखा कि किरण के गाल लाल हो रहे थे और उसके होंठ कांपने लगे थे.
मैंने फिर कहा- जब तक मैं ना कहूँ तब तुम्हें अपनी आंखें नहीं खोलनी हैं.
वह बोली- ठीक है साहब.

किरण शरमा रही थी और वहीं पर चुपचाप खड़ी हुई थी. उसने अपने दोनों हाथों को अपनी जवान चूत के सामने लाकर बांध रखा था. जैसे उसको छिपाने की कोशिश कर रही हो.
पहले मैंने किरण के माथे पर हल्का सा चुम्बन किया. अभी तक मैंने उसको अपने हाथों से नहीं छुआ था. वह चुपचाप आंखें बंद करके खड़ी हुई थी. फिर मैंने उसकी पलकों पर हल्के से चुम्बन किया. उसकी आंखें अभी भी बंद ही थीं. फिर मैंने आहिस्ता से उसकी आंखों को चूमने के बाद उसके गालों को भी धीरे से चूम लिया. इतनी ही देर में मेरा लंड तन गया था और मेरे कपड़ों के अंदर लोहे की तरह सख्त होकर खड़ा हो गया था.
उसके बाद मैंने किरण की ठुड्डी पर किस कर दिया.

अबकी बार किरण ने अपनी आंखें खोलने की कोशिश की लेकिन मैंने उसको पहले ही बोल दिया कि अगर उसने आंखें खोलीं तो वह शर्त हार जाएगी और इसलिए अभी अपनी आंखों को बंद ही रखे. उसने झट से आंखें बंद कर लीं.

अब मैं भी समझ गया था कि उसको तैयार करने में मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी. अब मुझे बस उसको तैयार करना था, उसकी चूत की चुदाई का मजा लेना था. अबकी बार मैंने उसके कांपते हुए होंठों पर एक किस कर दिया.
मैंने अभी भी उसको अपने हाथों से टच नहीं किया था. उसके बाद किरण ने फिर आंखें खोलीं और मैंने अपने हाथों से ही उसकी पलकों को बंद कर दिया.

अब मैं थोड़ा और आगे बढ़ा, मैंने उसके हाथों को अपने हाथों में लेकर अपनी कमर के दोनों तरफ रखवा दिया. फिर मैंने किरण को अपनी बांहों में लपेट लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर उसको चूसने लगा. उसके होंठ नहीं बल्कि शराब के प्याले थे. उसके दोनों हाथ मेरी पीठ पर फिरने लगे थे. इधर मैं उसके गुलाबी होंठों को चूसकर उनका रस पीने में लगा हुआ था. बहुत मजा आ रहा था. मेरी तमन्ना पूरी हो रही थी.

तभी मुझे महसूस हुआ कि उसकी चूचियां मेरे सीने पर दबाव बना रही हैं. उसकी चूचियां तनकर टाइट हो चुकी थीं. फिर मैंने उसकी साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दिया और किरण को अपनी तरफ खींचते हुए उसके होंठों को जोर से चूसना शुरू कर दिया. उसकी चूचियां तो जैसे मलाई थी. अब मेरा लंड बहुत जोर से फुदकने लगा था. फिर मैंने किरण के चूतड़ों अपनी तरफ खींच कर अपने हाथों से दबाना शुरू कर दिया. मेरा लंड उसके बदन से सट गया. मैं किरण के शरीर पर अपने लंड को महसूस करवाना चाहता था.

दोस्तो, शादीशुदा लड़की को चोदना बहुत आसान होता है. इसका एक कारण यह है कि उन्हें सब कुछ पहले से ही पता होता है. इस तरह की लड़कियाँ घबराती नहीं हैं.
किरण ने नीचे से ब्रा नहीं पहनी थी. उसके ब्लाउज के बटन पीछे की तरफ थे. मैंने अपने हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर उसके ब्लाउज के बटन को टटोला और फिर आराम से उनको खोलना शुरू कर दिया. मैंने अपने दोनों हाथों का इस्तेमाल करते हुए उसके ब्लाउज के बटनों को खोलकर उसके ब्लाउज को उतार फेंका. उसकी चूचियां तो पहले से ही तनी हुई थीं इसलिए खोलते ही उछल कर मेरे हाथों में आ गईं.

उसकी चूचियां वैसे तो कड़क थीं लेकिन मलाई की तरह मुलायम भी थी. फिर मैंने उसकी साड़ी को उतारना शुरू कर दिया. मैंने हल्के से उसकी साड़ी को खींचते हुए किरण को अपने बेड की तरफ ले जाना शुरू कर दिया. जब मैं उसको लेकर बेड के पास पहुंच गया तो मैंने उसको वहां पर आराम के साथ लिटा दिया.

मैंने कहा- किरण, अब तुम आंखें खोल सकती हो.
किरण ने कहा- आप बहुत ही रसीले हो साहब. यह कहकर किरण ने फिर से आंखें बंद कर लीं.
मैंने भी झट से अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये. जल्दी ही मैं भी नंगा हो गया.

मेरा लंड उछल-उछल कर दर्द करने लगा था. मैंने उसके पेटीकोट को जल्दी से खोला तो देखा कि उसकी चूत बिल्कुल नंगी थी. उसने नीचे कच्छी भी नहीं पहनी हुई थी.
मैंने कहा- किरण, तुम्हारी चूत तो बिल्कुल नंगी है. क्या तुम कच्छी नहीं पहनती हो?
उसने मेरी इस बात का जवाब दिये बिना ही कहा- साहब, बहुत रौशनी आ रही है. पर्दे बंद कर दो ना.
मैंने उठकर पर्दों को खींच दिया और रूम में थोड़ा अंधेरा हो गया. उसके बाद मैं तुरंत वापस आकर किरण के ऊपर लेट गया.

मैंने किरण के होंठों कस कर चूम लिया और उसकी चूचियों को दबाने लगा. फिर मैंने उसकी चूत पर अपना हाथ फिराया. उसकी चूत पर घुंघराले से बाल थे. मुझे उसकी चूत के बाल बहुत अच्छे लग रहे थे. फिर मैंने उसकी चूची को मुंह में ले लिया और उसको पीने लगा. बहुत ही अच्छा लग रहा था मुझे.
उसके बाद मैंने अपनी एक उंगली को उसकी चूत की दरार पर लगा दिया. फिर उसकी बुर में घुसा दिया. उसकी चूत में मेरी उंगली ऐसे घुस गयी जैसे मक्खन में छुरी घुस जाती है. उसकी चूत बहुत गर्म और गीली हो चुकी थी. उसके मुंह से सिसकारियाँ निकलना शुरू हो गई थीं. उसकी सिसकारियाँ मुझे और भी मस्ती से भर रही थी.
मैंने कहा- किरण रानी, अब क्या करना है?
वह बोली- साहब, अब और मत तड़पाइये. अब बस कर दीजिए.
मैंने कहा- नहीं, ऐसे नहीं. जान कहकर बुलाओ.

उसने मुझे अपने करीब खींचते हुए कहा- साहब कर दीजिए, अब मत तड़पाओ.
मैंने कहा- नहीं, ऐसे नहीं.
वह बोली- साहब डाल दो न.
मैंने कहा- क्या डाल दूँ? मैंने शरारत करते हुए पूछा.
मुझे उसके मुंह यह सब सुनना बहुत मजा दे रहा था. वह बार-बार डालने की बात कह रही थी लेकिन मैं उसके मुंह से पूरी बात सुनना चाहता था.
वह बोली- यह लंड मेरे अंदर डाल दो ना साहब …

उसने मेरे होंठों से अपने होंठ चिपका दिये. मैंने भी उसकी चूचियों को दबाते हुए उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.
मैंने कहा- हाँ, मेरी रानी, अब यह लंड तुम्हारी चूत में अंदर जाएगा. कहो तो चोद दूँ तुमको?
वह बोली- हाँ साहब, मुझे चोद दीजिए.

किरण काफी गर्म हो चुकी थी. अब मैंने उसकी चूत के ऊपर अपने लंड को रख दिया. एक झटका दिया और लंड को उसकी चूत के अंदर घुसा दिया. उसके बाद मैंने अपने हाथों से उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया. कभी उसके होंठों को, तो कभी उसके गालों को चूमते हुए उसको चोदना शुरू कर दिया. मैं किरण को चोदने में मशगूल हो गया.

मेरा मन कर रहा था कि उसको चोदता ही रहूँ. वह भी मेरे लंड से उछल-उछल कर चुदवा रही थी.
उसने कहा- साहब, आप तो बड़ी ही मस्त चुदाई कर रहे हैं. आह्ह् … आप बस मुझे चोदते ही रहिए. मुझे बहुत मजा आ रहा है. ओह्ह …

धीरे-धीरे किरण के हाथ मेरी पीठ पर कसने लगे थे. उसने अपनी टांगें मेरे चूतड़ों पर लपेट दी थीं. साथ ही साथ वह नीचे से अपनी गांड को भी उछाल रही थी. वह चुदवा रही थी और मैं मजे से उसको चोद रहा था.
मैंने कहा- किरण रानी, तुम्हारी यह चूत तो मेरे लंड से चुदने के लिए ही बनी है. बहुत ही मस्त चूत है तुम्हारी. बहुत मजा दे रही है. बता ना, कैसी लग रही है मेरी चुदाई. मेरे लंड को लेकर कितना मजा आ रहा है मेरी रानी?
वह बोली- आप बस चोदते रहिए. बहुत मजा आ रहा है. आह्ह् … ओह्ह .. उफ्फ … उम्म …

इस तरह से हम दोनों बातें करते हुए बहुत देर तक चुदाई का मजा लेते रहे. उसके बाद अचानक ही हम दोनों एक साथ झड़ गए. लेकिन मेरा मन तो अभी भी नहीं भरा था. 20 मिनट के बाद मैंने अपना लंड फिर से उसके मुंह में डाल दिया और उसको चुसवाने लगा. अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए थे. जब वह लंड चूस रही थी तो मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से चोद रहा था. वैसे दूसरी औरत को चोदने का मजा ही कुछ और होता है यारो.
बल्कि दूसरी बार तो उसको चोदने में और भी ज्यादा मजा आया मुझे. इतना मजा आया कि मैं बता ही नहीं सकता. इस बार लंड ने भी मेरा बहुत देर तक साथ दिया. मेरे लंड को झड़ने में बहुत समय लगा. मैं उसको भरपूर मजा देता रहा.
फिर जब हम थक गए तो वह अपने कपड़े पहनने लगी.

मैंने कहा- किरण रानी, अब तुम चुदवाती रहना मुझसे.
वह बोली- आपने तो बहुत मस्त चुदाई की है साहब. मैं तो अब आपके ही लंड से चुदवाती रहूंगी. चाहे आप मुझे पैसे भी मत देना लेकिन अपने लंड से ही मेरी चूत को चोदना.

उसके बाद मैंने उसकी चूचियों को हल्के से दबा दिया और उसके हाथों को सहलाने लगा.
फिर मैंने किरण को अपने पास बेड पर लेटा लिया और बहुत देर तक उसके होंठों को चूसता रहा.

अब जब भी मौका मिलता है किरण खुद ही अपनी चूत चुदवाने के लिए तैयार हो जाती है.

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ये बहुत साल पुरानी sex stories बात है। मैं इंडियन आयल नगर, अंधेरी, बम्बई मैं रहता था। मैं १८ साल का था। वो मेरी पड़ोसी, उसका नाम राधिका था पर प्यार से उसे उसके परेंट्स सिया कहते थे।

मैं उसकी और पहले दिन से आकर्षित हुआ था। मुझे कैसे भी करके उसे हासिल करना था। सिया बहुत ही गोरी, स्लिम और सुंदर लड़की थी। और बहुत ही शर्मीली। जब भी हमारी नज़रें मिलती थी वो मुझे बहुत स्वीट स्माईल दे।

मुझे धीरे धीरे ये एहसास होने लगा कि वो भी मुझे चाहने लगी है। हमारे परिवारों में अच्छे रिश्ते थे। इसलिये वो हमारे घर रोज आया करती थी। वो यु पी के माथुर फ़ैमिली से थी और मैं महाराष्ट्रियन। लेकिन फिर भी हमारे परिवार में अच्छे रिश्ते थे।

गर्मी की छूट्टियाँ करने वो अपने बड़े भाई राकेश के साथ दिल्ली अपने मामा के घर जाने वाली थी। मेरी मम्मी मे सिया और उसके भाई को लंच के लिये बुलाया। लंच से पहले हमने चेस कैरम खेले। मेरी नज़र सिया पे ही थी। उसे भी इस बात का पता चला और वो और भी शर्माने लगी।

उसने ब्लू कलर की स्लीवेलेस और स्कर्ट पहनी थी और उसमे और भी फेयर और सुंदर लग रही थी। मैं ने शोर्ट्स और टी-शर्ट पहनी थी। मैं थोड़ा मोटा था। पर उसे फिर भी मैं बहुत पसंद था। वो मेरी और देख कर ही मुस्करा रही थी।

उसे देख कर शोर्ट के अंदर मेरा लंड टोवर जैसा खड़ा हुआ। मैं अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर पा रहा था। लंच के बाद मैं ने उसे अपने कॉमिक्स, स्टोरी बुक्स रीडिंग के लिये दिये। उसका भाई राकेश को नींद आने लगी और वो अपने घर चला गया।

मेरी मम्मी बेडरूम मैं आराम करने गयी। मैं और सिया अकेले थे डिन्निन्ग हॉल में। मैं उसके करीब सोफ़ा सेट पे बैठा था। उसे मैं भूखी निगाहों से देख रहा था।

उसने अचानक मुझे कहानी के बारे में कुछ सवाल पूछा और मैं ने उस पल का लाभ लेकर उसके पास गया और उसके दायें गाल को किस किया। उसको किस करने पर मुझे लगा के मैं जन्नत में हूं। उसने अपनी आंखें बंद की और मैं ने उसे फिर से चूमा किया। अब की बार जोश और जोर से.

अब मेरे होश उड़ रहे थे। मैने उसे अपनी बाहों में लिया और उसे सोफ़े पे लिटाया। वो भी बहुत एक्साइटेड थी। हमारे दोनो के लिये पहली बार था।

उसने बहुत प्यार से मेरे बाल को अपने हाथों से संवारा और मेरे माथे को चूमा। बस उसके बाद हम दोनो पर ऐसा जुनून छा गया कि शब्द ही नहीं है बयान करने के लिये। मैं उसके ऊपर लेता और उसे चूमने चाटने लगा।

उसने मेरी शोर्ट्स के अंदर हाथ डाला और मेरा लंड को अपने नाजुक हाथों में लिया और उसके साथ खेलने लगी। मैने अपनी शोर्ट उतार दी और मेरा लंड उसके मुंह में डाल दिया। वो उसे सक करने लगी। मैने उसके मुंह में ही किया जिसे वो पी गयी। अब उसे और भी नशा चढ़ा।

मैने धीरे से उसका स्कर्ट निकाल दिया, उसकी ब्रा भी उतार दी और उसके बूब्स को चूसने लगा। वो बहुत ही एक्साइट हो रही थी और आवाज़ें कर कह रही थी “ओह अजय माय डार्लिंग!

मैं उसके बदन के हर हिस्से हो किस कर रहा था। अब मैं उसके चूत की और आया और उसे कस कर किस किया। मैं उसकी चूत को पागलों की तरह चाट रहा था। वो अब ओर्गास्म के करीब पहुंच हो रही थी। मैं ने अपनी उंगली से उसकी चूत में डाली और वो एकदम से झड़ गयी।

अब मैने अपना लंड उसकी चूत के अंदर डाला। उसका छेद बहुत ही छोटा था क्योंकि वो एकदम कुंवारी थी. वो बहुत तेज़ चिल्लाने लगी। उसे दर्द हो रहा था।
मैने उसे शांत किया और रिलेक्स होने दिया। धक्के देकर मैं धीरे धीरे अपने बड़े से लंड को उसकी चूत में अंदर डाला। वो आनंद से चिल्लायी और मुझे किस करती रही। मैं भी चिल्लाने लगा “मैं तुम्हारे लिये कुछ भी करूंगा”।

उसके बाद हम दोनो एक घंटे तक एक दूसरे की बाहों में सोये और फिर उसकी मम्मी ने जब उसे आवाज़ दी तो वो जल्दी से कपड़े पहन कर के निकल पड़ी। ये था मेरे पहला नशा पहला खुमार पहला जवां प्यार मेरी खूबसूरत पड़ोसन के साथ।sex stories

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मेरा नाम राहुल Sex stories है। मैं अभी बंगलौर में रहता हूँ, रंग गोरा, 5’6′, 24 साल, ग्रेजुएट।

यह मेरा पहला संदेश है आप लोगो के लिए। इसका मतलब यह नहीं कि यह मेरा पहला सेक्स अनुभव है। इससे पहले मैंने बहुत सेक्स किया है लड़कियों और आंटियों से।

जो लड़कियाँ मेरे साथ सेक्स में रात गुजारती, वो मेरे साथ शहर में घूमने के लिये भी ख्वाहिश रखती थी।

यह घटना तीन साल पुरानी है, तब अपने परिवार के साथ मैं मेडिकल कालोनी में रहता था और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था।

तभी मेरे पड़ोस में एक परिवार का आगमन हुआ। परिवार में पति, पत्नी और एक तीन साल का बच्चा। वैसे भी कालोनी में और भी कई भाभियाँ थी पर नई भाभी के सामने सब फ़ीका पड़ने जैसा लगता। चूंकि वो नये थे तो मैं कभी कभी उनका सामान मार्केट से ला लेता। मुझे घूमने का मौका मिल जाता और भाभी को देखने का और कभी कभी थोड़ा थोड़ा छूने का भी।

ऐसे ही एक महीना बीत गया और भाभी हमारे घर के सदस्यों के साथ भी घुलमिल गई। उनके पति और पापा में भी गहरी दोस्ती हो गई।

एक दिन एक शादी में हमें और भाभी को भी न्यौता मिला था पर मम्मी को कुछ काम था सो भाभी ने भी जाने के लिये मना कर दिया। सो पापा और भैया (भाभी के पति) चले गये।

पार्टी कालोनी से तीस किलोमीटर की दूरी पर थी और आते वक्त जोर की बारिश के वजह से पापा ने रात के करीब नौ बजे मम्मी को फोन करके कहा- राहुल को भाभी के घर जाकर सोने के लिये कह देना।

फ़िर क्या, मैं खाना खाकर दस बजे भाभी के घर चला गया। घंटी बजाई और भाभी ने झट से दरवाज़ा खोल दिया।

तभी मैं भाभी को देख कर दंग रह गया। गोरी चिट्टी, लम्बे घने बाल, वक्ष आगे जितना, गांड उतनी पीछे, मतलब 36-30-36 और कद होगा 5’3′, इतने सही फ़ीगर के साथ साथ काली नाइटी, जैसे लगा कि आसमान की कोई परी नीचे घूमने आई हो।

हम दोनों अंदर आ गये, भाभी ने कहा- तुम बैठो, मैं दूध लाती हूँ!

मैं वहीं सोफ़े पर बैठ गया। थोड़ी देर में भाभी दूध लेकर आई, एक गिलास मुझे दिया और एक गिलास खुद लेकर मेरे पास सोफ़े पर बैठ गई।

और हम एक अंग्रेजी फ़िल्म देखने लगे जिसमें सिर्फ़ 2-3 चुम्बन-दृश्य ही थे। अचानक उन्होंने मुझसे पूछा- क्यों राहुल, तुमहारी कोई गर्लफ़्रेंड है या नहीं?

मैं घबरा गया कि भाभी क्या पूछ रही हैं क्योंकि इससे पहले कभी ऐसी बात हमारे उनके बीच में नहीं हुई थी।

मैंने इंकार में सर हिला दिया तो कहने लगी कि तुम तो लड़कियों की तरह शरमा रहे हो।

मैंने कहा- नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं है।
तो उन्होंने कहा- एक बात बताओ, तुमने आज तक कभी किसी लड़की या औरत को नंगा देखा है?
तो मैंने जान बूझकर कहा- नहीं भाभी! आज तक नहीं देखा है।

वो मेरे बगल में बैठी थी और जब बातें कर रही थी तो मैं बार बार उनके मम्मो की तरफ़ देख रहा था, भाभी ने भी मुझे देखते हुए देख लिया था।

वो बोली- अगर देखना है तो मुझसे कहो, मैं तुम्हें ऐसे ही दिखा दूँगी।
मैं घबरा गया कि भाभी क्या बोल रही है।

उसके बाद भाभी ने मेरे चेहरे पर हाथ रखते हुए बोला- कभी किसी के साथ कुछ किया है या नहीं?

तभी मेरे अंदर का जानवर जाग गया तो मैंने भाभी से कहा- कि मैं आपको चूमना चाहता हूँ।

और कहते हुए उनके चेहरे को अपने तरफ़ खींच कर उनके होंठों पर चुम्बन करने लगा।

उनके होंठों बहुत ही नशीले थे, मैं उनके होंठों को चूसने लगा और भाभी मेरे होंठों को चूसने लगी। दोनों करीब दस मिनट तक ऐसे ही चूमा-चाटी करते रहे।

उसके बाद भाभी बोली- तुम तो कह रहे थे कि तुमने कभी कुछ नहीं किया है लेकिन तुम्हें देखकर लगता नहीं है कि तुमने कभी कुछ नहीं किया है?

मैं कुछ नहीं बोला और भाभी की नाइटी एक बटन को खोलकर उनके मम्मे को हल्का हल्का दबाने लगा। उनको भी अच्छा लग रहा था इसलिये कुछ नहीं बोली।

फिर मैंने उनकी नाइटी को पूरा खोल दिया तो भाभी कहने लगी- तुम तो बहुत तेज हो, पहले तो तुमने चुम्बन करने को कहा और अब मेरे मम्मे दबाने लगे?

मैंने कहा- भाभी, आप बहुत खूबसूरत हो और मैं आपको चोदना चाहता हूँ।

कह कर भाभी के एक मम्मे पर अपना मुँह लगाकर चूसने लगा और दूसरे मम्मे को अपने हाथ से दबाने लगा। भाभी भी मस्ती में आकर ऊऊउह्हहाआआ.. और जोर से चूसो.. सीतु .. बहुत अच्छा लग रहा है.. चूसते रहो.. ऊऊऊह्हाआआआ… मजा आ रहा है.. जोर से चूसो… और जोर से।

मैं अपने पूरे जोश से भाभी के मम्मे को चूसने लगा, तब तक वो सिर्फ़ पैंटी में ही रह गई थी, मम्मे चूसते हुए मैंने अपने हाथ से उनकी जांघों को सहलाने लगा। तब तक भाभी मस्त हो चुकी थी, भाभी की जांघों को सहलाते हुए मैं उनकी चूत को भी हल्के हल्के सहलाने लगा, भाभी मस्ती में आअह्हह ह्हहह्ह ऊऊउफ़्फ़फ़ जैसी आवाजें निकाल रही थी।

एक तरफ़ उनके एक मम्मे से दूध निकल रहा था और दूसरी तरफ चूत में ऊँगली डालने से उनकी चूत गीली हो गई थी।

फ़िर मैंने उसको लिटा कर उसके पेट पर चूमना शुरू किया और उनके चूत के अंदर अपनी जीभ को डालने लगा और उनकी चूत को मैंने अच्छी तरह चाटा।

भाभी मेरे होंठों से अपने योनिरस को चाट कर कहने लगी- तुमने तो अपना काम कर दिया, अब देखो मैं क्या करती हूँ।

भाभी ने मेरे कपड़े खोल कर लण्ड की टोपी पर ज़ुबान फेरनी शुरू की, फिर धीरे धीरे पूरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपोप की तरह चूसने लगीं। भाभी बहुत अच्छा लण्ड चूस रही थी। मैं तो उस वक्त मज़े और आनन्द की ऊँचाई पर था।

भाभी ने पहले आहिस्ता और फिर तेज़ी से लण्ड चूसना शुरू कर दिया।

फ़िर भाभी ने मेरा लण्ड अपनी चूत पर रखा मैंने एक हल्के झटके के साथ अपना लण्ड उनकी चूत में डाल दिया। उनकी चूत पहले ही गीली हो रही थी इसलिये पूरा लण्ड बड़ी आसानी से उनकी चूत में चला गया। पहले तो मैं भाभी को आहिस्ता आहिस्ता चोदता रहा फिर मैंने अपनी चोदन-गति तेज़ कर दी और भाभी को शक्ति से चोदने लगा।

भाभी चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थीं और आआअह्ह.. ऊओह्हह्ह.. ऊउफ़्फ़फ़्फ़.. ह्हहयययईए.. और तेज़.. प्लीज़ ..तेज़ ..उफ़्फ़फ़्फ़ ऊऊह्हह्ह की आवाज़ें निकाल रही थीं।

उनके स्तन हर झटके के साथ हिल रहे थे जो एक हसीन और दिलकश नज़ारा था।

कुछ देर के बाद मैंने भाभी को घोड़ी बनाया तो उनकी खूबसूरत और चौड़ी गांड ऊपर को उठ आई और उनके चूचे किसी आम की तरह लटकने लगे। मैंने भाभी की गांड पर हाथ फेरते हुये लण्ड उनकी चूत में डाल दिया और उनके चूचे पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से झटके लगाने लगा। मैं भाभी को जी-जान से चोद रहा था और भाभी भी चुदाई में भरपूर साथ दे रही थी।

काफ़ी देर चुदने के बाद भाभी ठंडी पड़ गई, मैं भी अपने चरम पर था, मैंने भाभी को कहा- मैं छूटने वाला हूँ।

तो उन्होंने कहा- कोई बात नहीं, तुम मेरे अंदर ही निकालो।

मेरे लण्ड से वीर्य का फ़व्वारा निकला और भाभी की चूत वीर्य से भर गई। मैं थक कर भाभी के ऊपर लेट गया।

थोड़ी देर बाद मैंने लण्ड भाभी की चूत से निकाला जो वीर्य और भाभी के रस से सना हुआ था। भाभी ने फिर मेरे लण्ड को चाटना शुरु कर दिया और इसे बिल्कुल साफ़ कर दिया।

अब भाभी ने कहा- राहुल, तुम तो बहुत एक्सपर्ट लगते हो, मुझसे पहले कितनी के साथ चुदाई कर चुके हो?

मैंने कहा- भाभी चुदाई तो 14-15 के साथ की है लेकिन जैसे मम्मे आपके हैं वैसे मम्मे मैंने आज तक नहीं चूसे हैं, आपके मम्मे बहुत टेस्टी हैं।

यह कहते हुए मैंने झटके से अपनी ऊँगली फ़िर से उनकी चूत में डाल दी और भाभी स्ससा आआआ करती रही, बहुत अच्छा लग रहा है।

और फिर मैंने भाभी की तरीफ़ की कि सच में आप बहुत खूबसूरत हो तो भाभी ने मुझसे कहा- यह क्या भाभी-भाभी लगा रखा है, पहले यह बताओ कि तुम मुझे रात भर चोदोगे या नहीं?

यह सुनकर तो मुझे और भी खुशी महसूस हुई। इसका मतलब यह नहीं कि मैंने और किसी के साथ रात नहीं गुजारी है। मैंने तो पिछले चार सालों से कितनी अपनी क्लासमेट के साथ रात गुजारी है पर भाभी के जैसा जोश और किसी में मैंने नहीं देखा था इसलिये मुझे बहुत खुशी महसूस हो रही थी।

मैंने उनसे कहा- मैं आपको दूसरे आसन से चोदना चाहता हूँ।
तो बोली- कौन से तरीके से चोदोगे अब मुझे?
मैंने कहा- आप ज़मीन पर लेट जाइए और अपने पैरों को उठा लीजिये।

उन्होंने ऐसे ही किया, मैं उनके पैरों के बीच में गया और उसको फ़ैला कर अपने दोनों कंधों पर रख कर उनकी फ़ुद्दी के छेद पर अपना लण्ड रखकर धक्के मारने लगा। इस तरीके से उन्हें भी अच्छा लगा, बोली- बहुत मजा आ रहा है मेरे राजा, जैसे चोदना हो चोदो मुझे!

मैंने करीब दस मिनट तक चोदने के बाद चूत से लण्ड को निकाल कर गांड में डाल दिया और चोदने लगा।

मैं इसी तरह हर पाँच मिनट के बाद चूत और गांड की चुदाई करता रहा। लगभग 25-30 मिनट तक इसी तरह चोदने के बाद मैं बोला- मैं अब झड़ने वाला हूँ। तुम बताओ कि मेरे लण्ड का पानी कहाँ लेना चाहती हो, अपनी चूत में या गांड में?

उन्होंने कहा- तुम मेरी गांड में ही पानी निकाल दो, चूत में तो तुम पहले भी निकाल चुके हो।

फ़िर मैंने अपना सारा अनमोल रतन उनकी गांड में डाल दिया और बेड पर आकर लेट गया। तभी उन्होंने मेरे होंठों पर जोर से किस किया और कहने लगी- जो मजा तुम्हारे साथ आया है वो मुझे उनके साथ नहीं आता है।

सुबह को भाभी ने कहा- मेरी चूत और गांड में दर्द बहुत हो रहा है लेकिन इस चुदाई से जो मज़ा मिला उसके आगे यह दर्द कुछ भी नहीं।

फ़िर मैं अपने घर आ गया और जब भी मुझे मौका मिलता मैं भाभी की चुदाई करता रहा।

भाभी की चुदाई करके हर बार मुझे एक अलग सा खुशी मिलती थी क्योंकि भाभी है ही इतनी सेक्सी! Sex stories

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कहानी का पिछला भाग : दोस्त की माँ, बुआ और बहन की चुदाई-1 Hindi sex stories रास्ते में मैंने बीयर की दुकान से बीयर की बोतलें ले आया. घर आकर हाथ पैर धोकर केवल लुंगी पहन कर दूसरे कमरे में जाकर बीयर पीने लगा. एक घण्टे में मैंने 4 बोतलें बीयर पी ली थी और बीयर का नशा हावी होने लगा था.

इतने में बुआ जी ने खाने के लिए आवाज लगाईं. हम सब साथ बैठ कर खाना खाने लगे. खाना खाने के बाद मैं सिगरेट की दुकान जाकर सिगरेट पीने लगा.

जब वापस आया तो आँगन में सब बैठ कर बाते कर रहे थे. मैं भी उनकी बातों में शामिल हो गया और हंसी मजाक करने लगा.
बातों बातों में बुआ जी माँ से बोलीं, भाभी- रामू बेटा अच्छी मालिश करता है. आज खेत में काम करते करते, अचानक! मेरी कमर में दर्द उठा तो इसने अच्छी मालिश की और कुछ ही देर में मुझे आराम आ गया.

माँ हंस पड़ी और मेरी तरफ़ अजीब नज़रो से देखने लगीं. मैं कुछ नहीं कहा और सिर झुका लिया.

मालिश के समय माँ उत्तेजित हुईं
आधे घण्टे के बाद बहन और बुआ सोने चली गईं. मैं और माँ इधर उधर की बातें करते रहे. करीब रात 11 बजे माँ बोली, बता आज तो! मेरे पैर दुख रहे हैं. क्या तुम मालिश कर दोगे?

रामू: हाँ, क्यों नहीं! लेकिन आप केवल सूखी मालिश करवाओगी या तेल लगाकर?

मा: बेटा अगर तेल लगा कर करोगे तो आसानी होगी और आराम भी मिलेगा!

रामू : ठीक है! लेकिन सरसो का तेल हो तो और भी अच्छा रहेगा और जल्दी आराम मिलेगा.

फिर माँ उठ कर अपने कमरे में गईं और, मुझे भी अपने कमरे में बुला लिया. मैंने कहा, आप चलिए मैं पेशाब करके आता हूँ.

मैं जब पेशाब करके उनके कमरे में गया तो देखा माँ अपनी साड़ी खोल रही थी.

मुझे देख कर बोली, बेटा तेल के दाग साड़ी पर ना लगे इसलिए साड़ी उतार रही हूँ. वो अब केवल ब्लाऊज़ और पेटीकोट में थी और मैं बनियान और लुंगी में था.

माँ ने तेल की शीशी मुझे देकर बिस्तर पर लेट गईं. मैं भी उनके पैर के पास बैठ कर उनके पैर से थोड़ा पेटीकोट ऊपर किया और तेल लगा कर मालिश करने लगा.

माँ बोली, बेटा बड़ा आराम आ रहा है! जरा पिंडली में जोर लगा कर मालिश करो. मैंने फिर उनका दायाँ पैर अपने कंधे में रख कर पिंडली में मालिश करने लगा.

उनका एक पैर मेरे कंधे पर था और दूसरा नीचे था, जिस कारण मुझे उनकी झांटे और चूत के दर्शन हो रहे थे क्योंकि माँ ने अन्दर पैन्टी नहीं पहनी थी.

वैसे भी देहाती लोग ब्रा और पैन्टी नहीं पहनते हैं! उनकी चूत के दर्शन पाते ही मेरा लण्ड हरकत करने लगा.

माँ ने अपनी पेटीकोट घुटनों के थोड़ा ऊपर कर के कहा, जरा और ऊपर मालिश करो.

मैं अब पिंडली के ऊपर मालिश करने लगा, और उनका पेटीकोट घुटनों के थोड़ा ऊपर होने के कारण अब मुझे उनकी चूत साफ़ दिखाई दे रही थी.

इस कारण मेरा लण्ड फूल कर लोहे की तरह कड़ा और सख्त हो गया, और चड्डी फ़ाड़ कर निकलने को बेताब हो रहा था.

मैं थोड़ा थोड़ा ऊपर मालिश करने लगा और मालिश करते करते मेरी उंगलियाँ कभी-कभी उनकी जाँघों के पास चली जाती थी.

जब भी मेरी उंगलियाँ उनके जाँघों को स्पर्श करती तो, उनके मुख से हाआ! हाअ! की आवाज निकलती थी.

मैंने उनकी ओर देखा तो माँ की आँखें बंद थी और बार बार वो अपने होंठों पर अपनी जीभ फेर रही थीं.

मैंने सोचा! कि, मेरी उंगलियों के स्पर्श से माँ को मजा आ रहा है. क्यों ना इस सुनहरे मौके का फ़ायदा उठाया जाए!

मैंने माँ से कहा, माँ मेरे हाथ तेल की चिकनाहट के कारण काफ़ी फिसल रहे है. यदि आप को अच्छा नहीं लगता है तो मालिश बंद कर दूँ?

माँ ने कहा, कोई बात नहीं मुझे काफ़ी आराम और सुख मिल रहा है. फिर मैं अपने हथेली पर और तेल लगा कर उनके घुटनों के ऊपर मालिश करने लगा.

मालिश के दौरान माँ की चूत को छुआ
मालिश करते करते अचानक! मेरी उंगलियाँ उनके चूत के इलाके के पास छूने को होने लगी. वो आँखें बंद कर के केवल आहें भर रही थीं.

मेरी उंगलियाँ उनके पेटीकोट के अन्दर चूत को छूने की कोशिश कर रही थी.

अचानक! मेरी उँगली उनके चूत को छू लिया, फिर मैं थोड़ा घबरा कर अपनी उँगली उनके चूत से हटा ली और उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए उनके चेहरे की ओर देखा लेकिन माँ की आँखें बंद थी.

वो कुछ नहीं बोल रही थीं. मेरा लण्ड सख्त होकर चड्डी के बाहर निकलने को बेताब हो रहा था.

मैंने माँ से कहा, माँ मुझे पेशाब लगी है. मैं पेशाब करके आता हूँ फ़िर मालिश करुगा.

माँ बोली, ठीक है! बेटा वाकयी तू बहुत अच्छा मालिश करता है. मन करता है मैं रात भर तुझसे मालिश करवाऊँ.

मैं बोला, कोई बात नहीं! आप जब तक कहोगी मैं मालिश करुँगा यह कह कर मैं पेशाब करने चला गया.

बुआ का नंगा बदन देखा
जब पेशाब करके वापस आ रहा था तो, बुआ जी के कमरे से मुझे कुछ कुछ आवाज सुनाई दी. उत्सुकता से मैंने खिड़की की ओर देखा तो वह थोड़ी खुली थी.

मैंने खिड़की से देखा, बुआ जी एकदम नंगी सोईं थीं और अपने चूत में ककड़ी डाल कर ककड़ी को अन्दर बाहर कर रही थीं और मुख से हा! हाआ! हाअ! की आवाज निकाल रही थीं.

यह सीन देख कर! मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया. मैंने सोचा, बुआ जी की मालिश कल करुँगा आज सुखबिंदर की माँ की मालिश करता हूँ क्योंकि, तवा गर्म है तो रोटी सेक लेनी चाहिए.

मैं फिर माँ के कमरे में चला गया.

मुझे आया देख कर माँ ने कहा, बेटा लाईट बुझा कर धीमी लाईट जला दो ताकि मालिश करवाते करवाते अगर मुझे नींद आ गई तो तुम भी मेरे बगल में सो जाना.

मैंने तब लाईट बंद करके धीमी लाईट चालू कर दी जब वापास आया तो, माँ पेट के बल लेटी थीं और उनका पेटीकोट केवल उनकी भारी भारी गाण्ड के ऊपर था बाकी पैरों का हिस्सा बिल्कुल नंगा था.

अब मैं हथेली पर ढेर सारा तेल लगा कर उनके पैरों की मालिश करने लगा. पहले पिंडली पर मालिश करता रहा फिर, मैं धीरे धीरे घुटनों के ऊपर जाँघों के पास चूतड़ों के नीचे मालिश करता रहा.

माँ की गांड देखने और छूने का मजा
पेटीकोट चूतड़ पर होने से मुझे उनकी झांटे और गाण्ड का छेद नज़र आ रहा था. अब मैं हिम्मत कर के धीरे धीरे उनका पेटीकोट कमर तक ऊपर कर दिया.

माँ कुछ नहीं बोली और उनकी आँखें बंद थी.

मैंने सोचा! शायद उनको नींद आ गई होगी. अब उनकी गाण्ड और चूत के बाल मुझे साफ़ साफ़ नज़र आ रहे थे.

मैंने हिम्मत करके तेल से भरी हुई उँगली उनकी गाण्ड के छेद के ऊपर लगाने लगा वो कुछ नहीं बोलीं. मेरी हिम्मत और बढ़ गई.

मेरा अँगूठा उनकी चूत की फांकों को छू रहा था और, अँगूठे की बगल की उँगली उनकी गाण्ड के छेद को सहला रही थी.

यह सब हरकत करते करते मेरा लण्ड टाईट हो गया और चूत में घुसने के लिए बेताब हो गया.

इतने में माँ ने कहा कि, बेटा मेरी कमर पर भी मालिश कर दो, तब मैं उठकर पहले चुपके से मेरी चड्डी उतार कर उनकी कमर पर मालिश करने लगा.

थोड़ी देर बाद मैंने माँ से कहा कि, माँ तेल से आप का ब्लाऊज़ खराब हो जाएगा. क्या आप अपने ब्लाऊज़ को थोड़ा ऊपर उठा सकती हैं?

माँ की चूचियों को छूने का एहसास
यह सुनकर, माँ ने अपने ब्लाऊज़ के बटन खोलते हुए ब्लाऊज़ को ऊपर उठा दिया. मैं फिर मालिश करने लगा. मालिश करते करते कभी कभी मेरी हथेली साईड से उनके बूब्स को छू जाती थी.

उनकी कोई भी प्रतिक्रिया ना देख कर मैंने उनसे कहा, माँ अब आप सीधी सो जाइए. मैं अब आपकी स्पेशल तरीके से मालिश करना चाहता हूँ. माँ करवट बदल कर सीधी हो गईं.

मैंने देखा! अब भी उनकी आँखें बंद थी और उनके ब्लाऊज़ के सारे बटन खुले थे और, उनकी चूंची साफ़ झलक रही थी.

उनकी चूंची काफ़ी बड़ी बड़ी थी और साँसों से साथ उठती बैठती उनकी मस्त रसीली चूंची साफ़ साफ़ दिख रही थी.

माँ की सुरीली और नशीली धीमी आवाज मेरे कानो में पड़ी- बेटा अब तुम थक गए होगे, यहाँ आओ ना! और मेरे पास ही लेट जाओ ना.

पहले तो मैं हिचकिचाया क्योंकि, मैंने केवल लुंगी पहनी थी और लुंगी के अन्दर मेरा लण्ड चूत के लिए तड़प रहा था.

वो मेरी परेशानी समझ गई और बोलीं- कोई बात नही, तुम अपनी बनियान उतार दो और रोज जैसे सोते हो वैसे ही मेरे पास सो जाओ! शरमाओ मत, आओ ना!

मुझे अपने कान पर यकीन नहीं हो रहा था. मैं बनियान उतार कर उनके पास लेट गया और जिस बदन को कभी दूर से निहारता था आज, मैं उसी के पास लेटा हुआ था.

माँ का अधनंगा शरीर मेरे बिल्कुल पास था. मैं ऐसे लेटा था कि, उनकी चूंची बिल्कुल नंगी दिखाई दे रही थी, क्या हसीन नजारा था!

माँ खुलकर चूचियों को मुझसे दबवाईं
तब माँ बोली- इतने महीने से आज मालिश करवाई हूँ, इसलिए काफ़ी आराम मिला है!
फिर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर धीरे से खींच कर अपनी उभरी हुई चूची पर रख दिया और मैं कुछ नहीं बोल पाया. लेकिन अपना हाथ उनके चूची पर रखा रहने दिया.

मुझे यहाँ कुछ खुजा रहा है, जरा सहलाओ ना.
मैंने उनकी चूची को सहलाना शुरु किया और कभी कभी जोर जोर से, उनकी चूची को रगड़ना शुरु कर दिया.

मेरी हथेली की रगड़ पा कर माँ के निप्पल कड़े हो गए. अचानक वो अपनी पीठ मेरी तरफ़ घूमा कर बोलीं- बेटा मेरा ब्लाऊज़ खोल दो और ठीक से सहलाओ.
मैंने काँपते हुए हाथों से माँ का ब्लाऊज़ खोल दिया और उन्होंने अपने बदन से उसे उतार कर नीचे डाल दिया.

मेरे दोनों हाथों को अपने नंगी चूचियों पर ले जाकर वो बोली- थोड़ा कस कर दबाओ ना! मैं भी काफ़ी उत्तेजित हो गया और, जोश में आकर उनकी रसीली चूची से जम कर खेलने लगा.

क्या बड़ी-बड़ी चूचियाँ थी! कड़ी कड़ी चूचियाँ और लम्बे लम्बे निप्पल्स. पहली बार मैं किसी औरत की चूची को छू रहा था.

माँ को भी मुझसे अपनी चूंची की मालिश करवाने में मज़ा आ रहा था.

मेरा लण्ड अब खड़ा होने लगा था और लुंगी से बाहर निकल आया. मेरा 9 इंच का लण्ड पूरे जोश में आ गया था.

माँ की चूंची मसलते मसलते हुए, मैं उनके बदन के बिल्कुल पास आ गया था और मेरा लण्ड उनकी जाँघों में रगड़ मारने लगा था.

माँ मेरी विशाल लण्ड देख चौंकी
अब उन्होंने कहा- बेटा तुम्हारा लण्ड तो लोहे के समान हो गया है और इसका स्पर्श से लगता है कि काफ़ी लम्बा और मोटा होगा. क्या मैं हाथ लगा कर देखूँ?

उन्होंने पूछा, और मेरे जवाब देने से पहले अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख कर उसको टटोलने लगी.

अपनी मुठ्ठी मेरे लण्ड पर कस के बंद कर ली और बोली- बाप रे! ये तो बहुत कड़क है. वो मेरी तरफ़ घूमी और अपना हाथ मेरी लुंगी मे घुसा कर मेरे फ़ड़फ़ड़ाते हुए लण्ड को पकड़ लिया.

लण्ड को कस कर पकड़े हुए वो अपना हाथ लण्ड के जड़ तक ले गई, जिससे सुपाड़ा बाहर आ गया. सुपाड़े की साईज और आकार देख कर वो बहुत हैरान हो गईं.

बेटा कहाँ छुपा रखा था? ऐसा तो मैंने अपनी जिन्दगी में नहीं देखा है! उन्होंने पूछा.

मैंने कहा- यहीं तो था, तुम्हारे सामने लेकिन तुमने ध्यान ही नहीं दिया. यदि आप ट्रेन में गहरी नींद में नहीं होतीं तो शायद आप देख लेतीं क्योंकि ट्रेन में रात को मेरा सुपाड़ा आप की चूत को रगड़ रहा था.

माँ बोली- मुझे क्या पता था कि, तुम्हारा इतना बड़ा लौड़ा होगा! ये मैं सोच भी नहीं सकती थी.

मुझे उनकी बिन्दास बोली पर आश्चर्य! हुआ जब उन्होंने, ‘लौड़ा’ कहा और साथ ही में बड़ा मज़ा अया.

वो मेरे लण्ड को अपने हाथ में लेकर खींच रही थीं और कस कर दबा रही थीं, फिर माँ ने अपना पेटीकोट अपनी कमर के ऊपर उठा लिया और मेरे तने हुए लण्ड को अपनी जाँघों के बीच ले कर रगड़ने लगी.

माँ ने अपनी चूचियों को चुसवाया
वो मेरी तरफ़ करवट ले कर लेट गईं ताकि मेरे लण्ड को ठीक तरह से पकड़ सके. उनकी चूची मेरे मुँह के बिल्कुल पास थी और मैं उन्हें कस कस कर दबा रहा था.

अचानक! उन्होंने अपनी एक चूची मेरे मुँह मे ठेलते हुए कहा- चूसो इनको मुँह मे लेकर!

मैंने बाईं चूची अपने मुँह मे भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा. थोड़ी देर के लिए मैंने उनकी चूची को मुँह से निकाला और बोला- मैं तुम्हारा ब्लाऊज़ मे कसी चूची को देखता था और हैरान होता था.

इनको छूने की बहुत इच्छा होती थी और दिल करता था कि इन्हें मुँह मे लेकर चूसूँ और इनका रस पी लूँ. पर डरता था पता नहीं तुम क्या सोचो और कहीं मुझसे नाराज़ ना हो जाओ!

तुम नहीं जानती कि, तुमने मुझे और मेरे लण्ड को कल रात से कितना परेशान किया है?

अच्छा तो आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो, जी भर कर दबाओ, चूसो और मज़े लो! मैं तो आज पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ जैसा चाहे वैसा ही करो, माँ ने कहा.

फिर क्या था, माँ की हरी झंडी पकड़ मैं टूट पड़ा माँ की चूची पर!

मेरी जीभ उनके कड़े निप्पल को महसूस कर रही थी. मैंने अपनी जीभ माँ के उठे हुए कड़े निप्पल पर घूमाया. मैंने दोनों चूंचियो को कस के पकड़े हुए था और बारी बारी से उन्हें चूस रहा था.

मैं ऐसे कस कर चूचियों को दबा रहा था जैसे कि उनका पूरा का पूरा रस निचोड़ लूँगा. माँ भी पूरा साथ दे रही थी. उनके मुँह से ओह! ओह! अह! शी! शी! की आवाज निकल रही थी.

माँ ने मुझको चोदने को बोला
मुझसे पूरी तरफ़ से सटे हुए वो मेरे लण्ड को बुरी तरह से मसल रही थीं और मरोड़ रही थीं. उन्होंने अपनी बाईं टांग को मेरे दाईं टांग के ऊपर चढा दिया और मेरे लण्ड को अपनी जाँघों के बीच रख लिया.

मुझे उनकी जाँघों के बीच एक मुलायम रेशमी एहसास हुआ. आह! उनकी झांटो से भरी हुईं चूत थी.

मेरा लण्ड का सुपाड़ा उनकी झांटो मे घूम रहा था. मेरा सब्र का बांध टूट रहा था.

मैं माँ से बोला- माँ मुझे कुछ हो रहा और मैं अपने आपे में नहीं हूँ, प्लीज! मुझे बताओ मैं क्या करूं?
माँ बोली- तुमने कभी किसी को चोदा है आज तक?
मैंने बोला- नही! कितने दुख की बात है?

कोई भी औरत इसे देख कर कैसे मना कर सकती है? मैं चुपचाप उनके चेहरे को देखते हुए चूची मसलता रहा.

उन्होंने अपना मुँह मेरे मुँह से बिल्कुल सटा दिया और फुसफुसा कर बोलीं- अपनी दोस्त की माँ को चोदोगे?
क्कक!! क्यों!! नही, मैं बड़ी मुश्किल से कह पाया.

मेरा गला सूख रहा था. वो बड़े मादक अन्दाज़ मे मुस्कुरा दीं और मेरे लण्ड को आजाद करते हुए बोलीं- ठीक है! लगता है अपने अनाड़ी बेटे को मुझे ही सब कुछ सिखाना पड़ेगा.

चलो! अपनी लुंगी निकल कर पूरे नंगे हो जाओ. मैंने अपनी लुंगी खोल कर साईड में फेंक दिया. मैं अपने तने हुए लण्ड को लेकर नंगा माँ के सामने खड़ा था.

माँ अपनी रसीली होंठों को अपने दांतों मे दबा कर देखती रही और अपने पेटीकोट का नाड़ा खींच कर ढीला कर दिया. तुम भी इसे उतार कर नंगी हो जाओ, कहते हुए मैंने उनका पेटीकोट को खींचा.

माँ ने अपने चूतड़ ऊपर कर दिए जिससे कि, पेटीकोट उनकी टांगो उतर कर अलग हो गया. अब वो पूरी तरह नंगी हो कर मेरे सामने चित पड़ी हुई थीं.

माँ के नंगे जिस्म और होंठों के चुम्बन का मजा
उन्होंने अपनी टांगो को फ़ैला दिया और मुझे रेशमी झांटो के जंगल के बीच छुपी हुई उनकी रसीली गुलाबी चूत का नजारा देखने को मिला.

नाईट लेम्प की हल्की रोशनी मे चमकते हुए नंगे जिस्म को देखकर मैं उत्तेजित हो गया और मेरा लण्ड मारे खुशी के झूमने लगा.

माँ ने अब मुझसे अपने ऊपर चढने को कहा. मैं तुरंत उनके ऊपर लेट गया और उनकी चूची को दबाते हुए उनके रसीले होंठ चूसने लगा. माँ ने भी मुझे कस कर अपने आलिंगन मे कस कर जकड़ लिया और चुम्मा का जवाब देते हुए मेरे मुँह मे अपनी जीभ डाल दी .

हाय! क्या स्वादिष्ट और रसीली जीभ थी! मैं भी उनकी जीभ को जोर शोर से चूसने लगा. हमारा चुम्मा पहले प्यार के साथ पूरे जोश के साथ किया जा रहा था.

कुछ देर तक तो हम ऐसे ही चिपके रहे, फिर मैं अपने होंठ उनकी नाजुक गालों पर रगड़ रगड़ कर चूमने लगा. फिर माँ ने मेरी पीठ पर से हाथ ऊपर ला कर मेरा सर पकड़ लिया और उसे नीचे की तरफ़ कर दिया. मैं अपने होंठ उनके होंठों से उनकी ठुड्डी पर लाया और कंधों को चूमता हुआ चूची पर पहुँचा.

मैं एक बार फिर से उनकी चूची को मसलता हुआ और खेलता हुआ काटने और चूसने लगा.

उन्होंने अपने बदन के निचले हिस्से को मेरे बदन के नीचे से निकाल लिया और हमारी टांगे एक-दूसरे से दूर हो गईं.

अपनी दाईं हाथ से वो मेरा लण्ड पकड़ कर उसे मुठ्ठी मे बाँध कर सहलाने लगी और, अपनी बाईं हाथ से मेरा दाहिना हाथ पकड़ कर अपनी टांगो के बीच ले गईं.

माँ की चूत में उंगली का मजा
जैसे ही मेरा हाथ उनकी चूत पर पहुँचा उन्होंने अपनी चूत के दाने को ऊपर से रगड़ दिया.

समझदार को इशारा काफ़ी था. मैं उनके चूची को चूसता हुआ उनकी चूत को रगड़ने लगा.

बेटा अपनी उंगली अन्दर डालो ना! कहते हुए, माँ ने मेरा उंगली अपनी चूत के मुँह पर दबा दिया. मैंने अपनी उंगली उनकी चूत के दरार मे घुसा दिया और वो पूरी तरह अन्दर चली गई.

जैसे जैसे मैंने, उनकी चूत के अन्दर उंगली अन्दर बाहर कर रहा था मेरा मज़ा बढता गया!

जैसे ही मेरा उंगली उनके चूत के दाने से टकराई, उन्होंने जोर से सिसकारी लेकर अपनी जाँघों को कस कर बंद कर लिया और चूतड़ उठा उठा कर मेरे हाथ को चोदने लगी.

माँ ने खुद लण्ड को चूत में डाला
कुछ देर बाद उनकी चूत से पानी बह रहा था.

थोड़ी देर तक ऐसे ही मजे लेने के बाद मैंने अपनी उंगली उनकी चूत से बाहर निकल लिया और सीधा हो कर उनके ऊपर लेट गया. उन्होंने अपनी टांगे फ़ैला दीं और मेरे फ़ड़फ़ड़ाते हुए लण्ड को पकड़ कर सुपाड़ा चूत के मुहाने पर रख लिया. उनकी झांटो का स्पर्श मुझे पागल बना रहा था, फिर माँ ने कहा, अब अपना लौड़ा मेरी बुर मे घुसाओ, प्यार से घुसेड़ना नहीं तो मुझे दर्द होगा, अह्!!

मैं नौसिखिया था, इसलिए शुरु शुरु में मुझे अपना लण्ड उनकी टाईट चूत में घुसाने मे काफ़ी परेशानी हुईं.

माँ की नौसिखिया चुदाई
मैं जब जोर लगा कर लण्ड अन्दर डालना चाहा तो उन्हें दर्द भी हुआ. लेकिन पहले से उंगली से चुदवा कर उनकी चूत काफ़ी गीली हो गई थी.

फिर माँ ने अपने हाथ से लण्ड को निशाने पर लगा कर रास्ता दिखा रही थी और रास्ता मिलते ही मेरा एक ही धक्के मे सुपाड़ा अन्दर चला गया.

इससे पहले कि माँ संभलती, मैंने दूसरा धक्का लगाया और पूरा का पूरा लण्ड मक्खन जैसी चूत की जन्नत मे दाखिल हो गया.

माँ चिल्लाईं- उई! ईई! माआ! उहुहुह्! ओह! बेटा, ऐसे ही कुछ देर हिलना डुलना नही, हाय! बड़ा जालिम है तुम्हारा लण्ड, मार ही डाला मुझे तुमने.
मैंने सोचा लगता है माँ को काफ़ी दर्द हो रहा है.

पहली बार जो इतना मोटा और लम्बा लण्ड उनके बुर मे घुसा था. मैं अपना लण्ड उनकी चूत मे घुसा कर चुपचाप पड़ा था.

माँ की चूत फ़ड़ फ़ड़ फड़क रही थी और, अन्दर ही अन्दर मेरे लौड़े को मसल रही थी, पकड़ रही थी.

उनकी उठी उठी चूचियाँ काफ़ी तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी.

मैंने हाथ बढ़ा कर दोनों चूची को पकड़ लिया और मुँह मे लेकर चूसने लगा.

थोड़ी देर बाद माँ को कुछ राहत मिली और उन्होंने कमर हिलानी शुरु कर दी और मुझसे बोली- बेटा शुरु करो, चोदो मुझे!

ले लो मज़ा जवानी का मेरे रज्ज्जा! और अपनी गाण्ड हिला हिला कर चुदाने लगीं.

मैं थोड़ा अनाड़ी था. समझ नहीं पाया कि कैसे शुरु करु?

पहले अपनी कमर ऊपर किया तो लण्ड चूत से बाहर आ गया.

माँ ने चुदाई का गुरु ज्ञान दिया
फिर जब नीचे किया तो ठीक निशाने पर नहीं बैठा और माँ की चूत को रगड़ता हुआ नीचे फिसल कर गाण्ड मे जाकर फँस गया.

मैंने दो तीन धक्के लगाए पर लण्ड चूत मे वापस जाने के बदले फिसल कर गाण्ड मे चला जाता.

माँ से रहा नहीं गया और तिलमिला कर ताना देती हुई बोलीं- अनाड़ी से चुदवाना चूत का सत्यानाश! करवाना होता है.

अरे मेरे भोले रामू बेटे जरा ठीक से निशाना लगा कर अन्दर डालो, नहीं तो चूत के ऊपर लौड़ा रगड़ रगड़ कर झड़ जाऊँगी और, फिर मेरी गाण्ड बिना बात ही चुद जाएगी!

मैं बोला- अपने इस अनाड़ी बेटे को कुछ तो सिखाओ, जिन्दगी भर तुम्हें अपना गुरु मानूँगा और जब चाहोगी मेरे लण्ड की दक्षिणा दूँगा!

माँ लम्बी साँस लेते हुए बोली- हाँ बेटे, मुझे ही कुछ करना होगा नहीं तो मैं बिना चुदे ही चुद जाऊँगी और मेरा हाथ अपनी चूची पर से हटाया और मेरे लण्ड पर रखती हुई बोलीं- इसे पकड़ कर मेरी चूत के मुँह पर रखो और लगाओ धक्का जोर से.’

मैंने वैसे ही किया और मेरा लण्ड उनकी चूत को चीरता हुआ पूरा का पूरा अन्दर चला गया. फिर वो बोली- अब लण्ड को बाहर निकालो, लेकिन पूरा नही.

सुपाड़ा अन्दर ही रहने देना और फिर दुबारा पूरा लण्ड अन्दर पेल देना, बस इसी तरह से पेलते रहो!

मैंने वैसे ही करना शुरु किया और मेरा लण्ड धीरे धीरे उनकी चूत मे अन्दर-बाहर होने लगा. फिर माँ ने स्पीड बढ़ा कर करने को कहा.

मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज़ी से लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा.

माँ को पूरी मस्ती आ रही थीं और वो नीचे से कमर उठा उठा कर हर शॉट का जवाब देने लगी. लेकिन ज्यादा स्पीड होने से बार बार मेरा लण्ड बाहर निकल जाता. इससे चुदाई का सिलसिला टूट जाता.

आखिर माँ से रहा नहीं गया, और करवट ले कर मुझे अपने ऊपर से उतार दिया और मुझको चित लेटा कर मेरे ऊपर चढ गईं.

अपनी जाँघों को फ़ैला कर बगल कर के अपने गद्देदार चूतड़ रखकर बैठ गईं.

उनकी चूत मेरे लण्ड पर थीं और हाथ मेरी कमर को पकड़े हुए थीं और बोलीं- मैं दिखाती हूँ कि, कैसे चोदते है? और मेरे ऊपर लेट कर धक्का लगया.

मेरा लण्ड घप से चूत के अन्दर दाखिल हो गया.

माँ ने अपनी रसीली चूची मेरी चूचियों पर रगड़ते हुए अपने गुलाबी होंठ मेरे होंठ पर रख दिया और मेरे मुंह मे जीभ डाल दिया. फिर उन्होंने मज़े से कमर हिला हिला कर शॉट लगाना शुरु किया.

बड़े कस कस कर जोर से शॉट लगा रही थीं. चूत मेरे लण्ड को अपने मे समाये हुए तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थीं. मुझे लग रहा था कि मैं जन्नत में पहुच गया हूँ!

अब पोजिशन उलटी हो गई थीं. माँ तो मानो मर्द थीं जो कि, अपनी माशूका को कस कस कर चोद रहा था! जैसे जैसे माँ की मस्ती बढ़ रही थीं उनके शॉट भी तेज़ होते जा रहे थे.

अब वो मेरे ऊपर मेरे कंधो को पकड़ कर घुटने के बल बैठ गईं, और जोर जोर से कमर चूतड़ों को हिला कर लण्ड को तेज़ी से अन्दर-बाहर लेने लगीं.

उनका सारा बदन हिल रहा था और साँसें तेज़ तेज़ चल रही थीं. माँ की चूचियाँ तेजी से ऊपर नीचे हो रही थीं.

मुझसे रहा नहीं गया, और हाथ बढा कर दोनों चूची को पकड़ लिया और जोर जोर से मसलने लगा.

माँ एक मंजे हुए खिलाड़ी की तरह कमान अपने हाथों मे लिए हुए, कस कस कर चोद रही थीं. जैसे जैसे वो झड़ने के करीब आ रही थीं उनकी रफ़तार बढती ही जा रही थीं.

कमरे में फच फच की आवाज गूँज रही थीं.

चुदाई का खेल का अनोखा आनन्द
जब उनकी साँस फ़ूल गईं तो खुद नीचे आकर मुझे अपने ऊपर खींच लिया, और टांगो को फ़ैला कर ऊपर उठा लिया और बोली- मैं थक गई मेरे रज्ज्जा, अब तुम मोरचा सम्भालो!

मैं झट उनकी जाँघों के बीच बैठ गया और, निशाना लगा कर झटके से लण्ड को चूत के अन्दर डाल दिया और उनके ऊपर लेट कर दनादन शॉट लगाने लगा.

माँ ने अपनी टांग को मेरी कमर पर रख कर मुझे जकड़ लिया, और जोर जोर से चूतड़ उठा उठा कर चुदाईं मे साथ देने लगी.

मैं भी अब उतना अनाड़ी नहीं रहा और उनकी चूची को मसलते हुए दनादन शॉट लगा रहा था. पूरा कमरा हमारी चुदाई की आवाज से गूँज उठा था.

माँ अपनी कमर हिला कर चूतड़ उठा उठा कर चुद रही थीं और बोली जा रही थीं- अह्! आह! हउन! ऊओ! ऊऊह! हाहा! आ मेरे रजजा! मर गई री! लल्ला चूओद रे चूओद!

उईई मीई माआ! फाआ गाईंई! रीईई आज तो मेरी चूत!

मेरा तो दम निकाल दिया तूने आज. बड़ा जाआलीएम हऐरे तूऊमहारा लौरा!

मैं भी बोल रहा था- लेईए मेरीई रानीई, लेई लेईए मेरा लौरा अपनीई चूत मेंईए!!

बड़ाड़ा तड़पायाया है तुनेई मुझीई! लीईए लीई, लेईए मेरीई रानीई यह लण्ड अब्ब तेराआ हीई है! अह्ह! उहह्! क्या जन्नत का मज़ाआ सिखयाआ तुनेईए!

मैं तो आज से तेरा गुलाम हो गया माँ!

माँ गांड उछाल उछाल कर मेरा लण्ड अपने चूत मे ले रही थीं और, मैं भी पूरे जोश के साथ उनकी चूचियों को मसल मसल कर अपने गहरे दोस्त की माँ की गहरी चुदाई कर रहा था.

माँ मुझको ललकार कर कहा, लगाओ शॉट मेरे राजा!

मैं जवाब देता,यह ले मेरी रानी! ले ले अपनी चूत मे.

जरा और जोर से सटकाओ, अपना लण्ड मेरी चूत मे मेरे राजा!

यह ले मेरी रानी! यह लण्ड तो तेरे भोसड़े के लिए ही है.

देखो रज्जा! मेरी चूत तो तेरे लण्ड की दीवानी हो गई है, और जोर से और जोर से आई! मेरे रज्जजा!

मैं गई रेई! कहते हुए माँ ने मुझको कस कर अपनी बाँहों मे जकड़ लिया और, उनकी चूत ने ज्वालामुखी का लावा छोड़ दिया.

पहली चुदाई की थकान का मजा
अब तक मेरा भी लण्ड पानी छोड़ने वाला था और मैं बोला- मैं भी आयाया! मेरी जाआन! और मेंने भी अपना लण्ड का पानी छोड़ दिया और मैं हाँफ़ते हुए उनकी चूची पर सिर रख कर कस के लिपट कर लेट गया.

यह मेरी पहली चुदाई थीं. इसलिए, मुझे काफ़ी थकान महसूस हो रही थीं. मैं माँ के सीने पर सर रख कर सो गया.

वो भी एक हाथ से मेरे सिर को धीरे धीरे से सहलाते हुए दूसरे हाथ से मेरी पीठ सहला रही थीं.
कहानी जारी रहेगी.
कहानी का अगला भाग : दोस्त की माँ, बुआ और बहन की चुदाई-3 Hindi sex stories

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