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Massage Girl in Mahipalpur: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Mahipalpur who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Mahipalpur that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Mahipalpur massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Mahipalpur who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Mahipalpur massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Mahipalpur massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Mahipalpur who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Mahipalpur employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Mahipalpur helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Mahipalpur

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Mahipalpur at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Hindi Sex Kahani

यह बात सन 2008 की है, जब Hindi Sex Kahani मैं गाँधीनगर में नौकरी करता था। मैंने एक कमरा लिया था किराए पर क्योंकि मैं गाँधीनगर में नया था। वहाँ मैं एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में इंजिनीयर था। मैंने कमरा दूसरी मंज़िल पर लिया ताकि मुझे कोई डिस्टर्ब ना कर सके। रोज़ सवेरे मैं ऑफ़िस निकल जाता था और शाम को देर से आता था।

मेरे मकान मलिक की बीवी करीब 40 साल की थी और एक लड़की थी जो करीब बीस साल की थी, नाम था भावना।

दिखने में दोनों माँ और बेटी ग़ज़ब की थी। मकान मालकिन की फ़ीगर 38-30-40 के लगभग होगा। उसका भरा हुआ बदन देख कर मेरे लण्ड में आग सी लग जाती थी। बिल्कुल चिकनी औरत थी वो ! मकान मालिक सरकारी नौकरी में था और शाम को देर से आता था। देखने में वह अधेड़ उम्र का लगता था जैसे बिल्कुल झड़ गया हो।

क्योंकि मेरी नौकरी ऐसी थी कि मुझे सवेरे जाना पड़ता था और शाम को आता था इसलिए मैं उन लोगों से ज़्यादा बात नहीं करता था, कभी कभार ही हेलो होती थी। गुजराती थे इसलिए घर में शराब और सामिष खाना और लाना मना था। इसलिए मैं भी इन बातों पर बहुत ध्यान रखता था, कभी अगर बीयर पीने का मन होता था तो बाहर से ही पीकर आता था।

धीरे धीरे मकान मालकिन से कभी कभार मुलाकात हो जाती थी। उसकी बेटी क्योंकि कॉलेज में पढ़ती थी इसलिए शाम को घर पर वो अकेली हो होती थी।

एक शाम को मैं थोड़ा जल्दी आ गया घर पर और नीचे ही मकान मालकिन ने मुझे चाय पर निमंत्रण दिया। मैंने पहले तो ना कर दी लेकिन फिर उसके आग्रह करने पर मैं चाय के लिए हाँ कर दी। मैं अपने कमरे में गया और अपने कपड़े बदल कर आ गया। मैंने एक टी-शर्ट और बरमुडा पहन रखा था। मकान मालिकन ने मेरे घण्टी बजाने पर दरवाज़ा खोला तो मैं उसको देख कर दंग रह गया। उसने एक बहुत ही पतला सा गाऊन पहन रखा था जिसमें से उसकी चड्डी साफ साफ दिखाई दे रही थी।

मैंने उसे कहा- भाभी जी ! आज तो बहुत गर्मी है !

और पंखा चला दिया।

मकान मालकिन ने कहा- हाँ, आज गर्मी तो बहुत है इसलिए मैंने भी यह नया गाऊन पहन ही लिया !

मैंने कहा- यह गाऊन तो बहुत ही अच्छा है !

यह बात सुन कर वो खुश हो गई और बोली- अब मैं चाय बनाती हूँ आपके लिए !

और इतना बोलकर वो रसोई में चली गई। मैंने उसे रसोई में जाते देखा तो दंग रह गया। उसने गाउन के नीचे कोई ब्रा भी नहीं पहन रखी थी। मैंने सोचा शायद गर्मी ज़यादा है इसलिए पतला सा गाऊन पहना होगा।

पर अपने लण्ड का क्या करता? वो तो लोहे से भी ज़्यादा सख़्त हो गया था। मैंने सोचा कि आज कुछ बात आगे बढ़ा ली जाए।

खैर भाभी जी चाय लेकर आ गई और हम दोनों ने बातें शुरू कर दी।

भाभी जी ने पूछा- आपने अभी तक शादी क्यों नहीं की ?

मैंने कहा- भाभी जी, पहले मैं ज़िंदगी में कुछ बन जाऊं फिर शादी करूँगा। फिलहाल तो मैं अपने करियर पर ध्यान दे रहा हूँ।

भाभी जी बोली- यह पैसे कमाने के चक्कर में कहीं तुम्हारी उमर ना ढल जाय! फिर कोई लड़की भी नहीं मिलेगी।

मैंने बोला- भाभी जी, यह तो मेरी किस्मत है, अगर कोई लड़की नहीं मिलती तो कोई बात नहीं !

भाभी जी बोली- नहीं, अभी तुम्हारी उमर ज़्यादा नहीं है और फिर शरीर की ज़रूरत का भी तो तुम्हें ही ख्याल रखना है !

यह सुनकर मैं बहुत खुश हुआ और बोला- भाभी जी, शरीर की ज़रूरत का तो मैं खुद ही कोशिश करता हूँ पूरी करने के लिए !

भाभी जी बोली- देखो, यह जो तुम बात कर रहे हो, उससे तुम्हारा शरीर कमज़ोर हो जाएगा और फिर शादी के बाद कुछ नहीं कर सकोगे।

भाभी जी की बात सुनकर मैं चौंक गया और मैंने सोचा कि लोहा गरम है, लगता है कि आज काम बन ही जाएगा।

मैंने बोला- भाभी जी, फिर आप ही बताइए कि मैं क्या करूँ ? फिलहाल तो मैं अपने हाथ से ही काम चला लेता हूँ।

भाभी जी बोली- क्यों तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या? उससे कुछ करते हो?

मैंने बोला- भाभी जी, इतना समय नहीं है कि कोई गर्लफ्रेंड बनाई जाय और फिर मैं फिलहाल अपने करियर की तरफ़ ध्यान दे रहा हूँ।

भाभी जी बोली- चलो कोई बात नहीं, तुम कभी कभार अपने दिल की बात तो मुझसे कर लिया करो। इससे तुम्हारा मन भी हल्का हो जाएगा और तुम्हारा ध्यान भी बंट जाएगा।

फिर मैंने पूछा- भाभी जी और सुनाएं ! भैया तो बहुत ही काम करते हैं ! दिन रात सिर्फ़ पैसे कमाने की कोशिश करते रहते हैं, वो तो आपका बहुत ही ख्याल रखते हैं।

यह सुनकर भाभी जी बोली- अब क्या बताऊं तुमको ! जब से भावना हुई है, वो तो कुछ करते ही नहीं है। बस मैं भी तुम्हारी तरह ही हूँ, सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं है मेरे पास, बस अधूरी सी बनकर रह गई हूँ। इन पैसो का क्या करूँगी जब मेरा कोई ख्याल ही नहीं रखता।

मैंने हिम्मत कर के बोला- भाभी जी, हम लोग ऐसा क्यों नहीं करते कि एक दूसरे का ध्यान रखें, मेरा मतलब हम लोग दोस्त भी तो बन सकते हैं ना?

भाभी जी बोली- अच्छा, अब दोस्त भी बोलते हो और भाभी भी कहते हो? सबसे पहले तुम मुझे गौरी कह कर बुलाओ ! इतनी औपचारिकता में पड़ने की ज़रूरत नहीं है।मैंने कहा- अच्छा गौरी, चलो अब से हम दोस्त हो गये हैं।

यह कह कर मैंने गौरी का हाथ पकड़ लिया और उसे प्यार से दबा दिया। गौरी मेरी इस हरकत से गरम सी हो रही थी।

मैंने कहा- गौरी, तुम बहुत सुंदर हो और मैं तो तुम्हारी वजह से ही इस घर में रहता हूँ, नहीं तो मैं अपने ऑफ़िस के पास भी रह सकता था। इतने दिनों से बस अपने दिल की बात दिल में रख कर घूम रहा था। बहुत दिल करता था कि आपसे आ कर दोस्ती की बात करूँ लेकिन कभी हिम्मत ही नहीं होती थी। मेरी नज़र में गौरी तुम बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी औरत हो और मैं हमेशा तुम्हारे पति को बहुत ही खुशनसीब समझता हूँ जिसे तुम्हारे जैसे औरत मिली है।

गौरी यह सब सुनकर बहुत खुश हुई और बोली- अच्छा अब उनके आने का समय हो गया है, तुम चाय ख़त्म करो और ऊपर अपने कमरे में जाओ। मैं तुमसे कल बात करूँगी।

अगली सुबह लगभग साढ़े पाँच बजे मेरे दरवाजे की घंटी बजी और मैंने दरवाज़ा खोला तो देखा कि गौरी बाहर खड़ी है। वो मुझे अर्धनगन अवस्था में देख कर मुस्कुरा कर गुड मॉर्निंग बोलकर छत पर चली गई। मुझे कुछ समझ नहीं आया और जब वो नीचे जा रही थी तो उसे मैंने अपने कमरे में खींच लिया।

वो बोली- मैं तो सुबह सुबह छत पर पानी देखने के बहाने से आई थी, सोचा कि तुमसे बात हो जाएगी, लेकिन तुम तो सोए हुए थे।

मैंने बोला- कोई बात नहीं गौरी, आज मैं दिन में जल्दी आ जाऊंगा।

इतना सुनकर वो बोली- मैं तुम्हें तुम्हारे ऑफ़िस में फ़ोन करूँगी, फिर तुम आ जाना।

मैं ऑफ़िस में एक ज़रूरी काम में व्यस्त था कि मेरे फोन की घण्टी बजी और उधर से आवाज़ आई- वो घर पर नहीं हैं, पास किसी शादी में जाएंगे तो तुम जल्दी से आ जाओ।मैंने जल्दी जल्दी अपना काम ख़त्म किया और घर पहुँच गया।

गौरी बोली- तुम पहले कमरे में जाओ, मैं नीचे ताला लगा कर आती हूँ।

मेरे घर में दो दरवाज़े होने की वजह से एक दरवाज़े पर ताला लगा कर दूसरे दरवाज़े से अंदर जा सकते थे इसलिए मैंने बड़ी ही चालाकी से ताला खोला और फिर दूसरे दरवाज़े से बाहर आकर मुख्य दरवाज़े पर ताला लगा दिया। कुछ देर बाद गौरी मेरे दूसरे दरवाज़े से अंदर आई और फिर हम दोनों मेरे बेडरूम में चले गये।

मैंने कुछ देर गौरी से बातें की और कहा- क्या मैं तुम्हारी पप्पी ले सकता हूँ?

इतना सुनकर गौरी बोली- इस में पूछने की क्या बात है? अगर तुम कुछ नहीं करते तो मैं क्या वैसे ही तुम्हारे पास आई हूँ?

यह सुनकर मैंने गौरी को अपनी बाहों में भर लिया और उसके होठों पर अपने होंठ चिपका दिए। गौरी ने साड़ी और ब्लाउज़ पहन रखा था और वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। मैंने उसके होंठ चूसने शुरू कर दिए और वो सिसकियाँ भरने लगी। फिर मैंने उसके बालों में हाथ फेरना शुरु किया और उसके कान पर मैंने प्यार से अपनी जीभ फेर दी। गौरी अब काफ़ी गरम हो चुकी थी। उसने मेरी कमीज़ में हाथ दे दिया और मेरे शरीर को ज़ोर से अपने हाथों से पकड़ लिया. मैंने धीरे धीरे उसके ब्लाउज़ में हाथ डाला और अपना चेहरा ब्लाउज़ के ऊपर रख दिया।

गौरी बोली- ज़रा धीरज से काम लो ! यह सब तुम्हें ही मिलेगा !

मैंने उसका ब्लाउज़ और साड़ी उतार दी और अपनी कमीज़ भी निकाल दी। फिर मैंने गौरी को बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी ब्रा भी निकाल दी और उसके मम्मे चूसने लगा। गौरी अब मेरा साथ भरपूर दे रही थी और उसने मेरे लण्ड को ज़ोर से दबा दिया और हिलाने लगी।

मैंने बोला- इतनी ज़ोर से हिलाओगी तो सब माल तो ऐसे ही निकल जाएगा !

मैंने गौरी की चूची चूसना शुरू किया और अपने हाथ से उसकी पैन्टी निकाल दी और हाथ उसकी चूत पर फेरना शुरू कर दिया। गौरी ने मेरी अंडरवीयर निकाल दी और मेरे लण्ड को प्यार से सहलाने लगी। मैंने गौरी की चूची से अपना मुँह हटाया और उसकी नाभि को चाटना शुरू किया। गौरी अब बहुत गरम हो चुकी थी। मैंने फिर धीरे धीरे अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया और उसे चाटने लगा। गौरी की सिसकी निकल गई और उसने अपनी टाँगें फैला दी जिससे मैं उसकी चूत को अच्छी तरह से चाट सकूँ। गौरी की योनि से नमकीन स्वाद आ रहा था और थोड़ी देर में उसने मेरे अण्डकोश पकड़ कर मेरा सर ज़ोर से दबा दिया और वो जैसे झड़ गई।

गौरी ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ ले रही थी और वो बोली- अब से यह तुम्हारी है, इसका जो भी और जैसे भी इस्तेमाल करना है तुम कर सकते हो। मेरी बरसों की आग को तुम ही बुझा सकते हो।

मैंने अब अपना लण्ड गौरी के मुँह की तरफ किया और उसने अपने मुँह में ले लिया और चाटने लगी। मैं एक बार फिर से गौरी की चूत चाटने लगा और अपने जीभ गौरी की चूत में जल्दी जल्दी चला रहा था।

गौरी की सिसकियाँ निकल रही थी, उसने मेरा लण्ड मुँह से बाहर निकाला और बोली” अब मुझसे नहीं रहा जाता, अब डाल दो इसे मेरे अंदर और मेरी प्यास बुझा दो। मुझे शांत कर दो मेरे हीरो !

मैंने अपने लण्ड का सुपारा गौरी की चूत पर रखा और एक धक्के में मेरा मोटा लंड गौरी की चूत में आधा चला गया। उसकी जैसे चीख सी निकल गई और बोली- ज़रा धीरे धीरे मेरे राजा ! इसका मज़ा लेना है तो धीरे धीरे इसे अंदर डालो और फिर जब पूरा चला जाए फिर ज़ोर ज़ोर से इसे अंदर बाहर करो !

मैंने अपने लण्ड धीरे धीरे उसकी चूत में डाला और फ़िर एक ज़ोर से धक्का पेल दिया और मेरा मोटा लंड उसकी चूत में सारा चला गया।

गौरी बोली- आ उउई ऊफफफ्फ़ हमम्म्मम आआ मेरे राजा डाल दो अंदर पूरा का पूरा ! यह चूत तुम्हारी है, फाड़ दो इसे ! आअहह ऊऊऊऊओ आआहह ज़ोर से और ज़ोर से !

मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत पर वार कर रहा था। मैंने उसके मम्मे मुँह में लिए और अपनी स्पीड और भी बढ़ा दी। लगभग दस मिनट के बाद हम दोनों की आह निकली और हम दोनों झड़ गये। गौरी ने मुझे एक ज़ोर से पप्पी दी और हम लोग बाथरूम में साफ होने के लिए चले गये। थोड़ी देर में गौरी और मैंने फिर से किस करना शुरू किया और इस बार गौरी ने मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया। मैं पांच मिनट बाद में फिर से तैयार हो गया चुदाई करने के लिए। मैंने इस बार गौरी को उल्टा लिटा दिया और उसके मम्मे को पीछे से पकड़ कर मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया। दोस्तो, इस पोज़िशन में लंड सीधा योनि में घुस जाता है और औरत को बहुत ही मज़ा आता है।

मेरी इस हरकत से गौरी की चीख निकल गई, वो बोली- आहह उउफफफफ्फ़ अफ ऊहह आआ ऊ हह आअहह बहुत दर्द हो रहा है, ऐसे लगता है कि तुमने अपना लंड सीधा मेरे पेट में ही घुसा दिया है। ज़रा धीरे धीरे करो ना ! आहह बहुत मज़ा आ रहा है. अब तुम अपनी स्पीड बढ़ा सकते हो।

मैंने उसकी कमर पकड़ कर उसे पेलना शुरू किया और अपने घस्से ज़ोर ज़ोर से मारने लगा लेकिन मेरा झड़ने का कोई हिसाब नहीं बन रहा था। मैंने गौरी से कहा- लगता है कि मुझे समय लगेगा झड़ने के लिये !

गौरी बोली- कोई बात नहीं ! तुम लगे रहो, जब समय आएगा तब झड़ जाना !

मैंने गौरी की गाण्ड के नीचे एक तकिया लगाया और उसके ऊपर चढ़ गया। गौरी की सिसकिया तेज़ हो रही थी, मैंने काफ़ी कोशिश की पर मेरा लण्ड झड़ने को तैयार नहीं था।फिर मैंने सोचा कि अगर मेरा लंड एक टाइट सी चीज़ में जाए तो शायद यह झड़ जाए। मैंने धीरे धीरे अपने लण्ड की रफ़्तार कम करी और गौरी की गांड पर उसे फेरना शुरू किया। गौरी शायद मेरा इशारा समझ रही थी, वो बोली- क्या इरादा है? मेरी कुँवारी गांड मारने का इरादा है क्या? यह तो तुम्हारी ही है लेकिन ज़रा प्यार से इस्तेमाल करना क्योंकि यह अभी बिल्कुल कुँवारी है।

मैंने झटक से उसके गांड पर सुपारा रखा और ज़ोर से पेल दिया। मेरा मोटा लंड गौरी की गांड में सिर्फ़ दो इन्च जाकर फँस गया और गोर की चीख निकल गई, बोली- उफ़फ्फ़ आहह ! निकाल दो इसे बाहर ! बहुत दर्द हो रहा है, मर गई …एयेए हह आ आ आ !

मैंने अपना लंड घबराकर बाहर निकाला और फिर धीरे धीरे उसे अंदर डालना शुरू किया, साथ में मैं अपने हाथ से गौरी के मम्मे दबा रहा था जिससे उसकी गरमी और बढ़ती जा रही थी। मैंने लगभग चार इन्च लण्ड घुसा दिया था और फिर एक बार ज़ोर से झटका मारा और पूरा का पूरा लौड़ा उसकी गाण्ड में घुस गया। गौरी अब मेरा भरपूर साथ दे रही थी। मैंने गौरी को ज़ोर ज़ोर से पेलना शुरू किया और उसकी टाइट गांड में मेरा लण्ड बहुत मज़े से चुदाई कर रहा था। फिर मैं कुछ देर बाद उसकी गांड में ही झड़ गया।

उस दिन के बाद हम दोनों को जब भी मौका मिलता था हम चुदाई करते थे।

दोस्तो, मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे ज़रूर लिखें। Hindi Sex Kahani

Antarvasna

दोस्तो, मेरा नाम राजेश Antarvasna कुमार है, मैं आप सब प्यासी चूत वालियों का अपने 7′ के खड़े लंड से स्वागत करता हूँ। मैं अन्तर्वासना डॉट कॉम साईट का बहुत पुराना पाठक हूँ। मैं 24 साल का लड़का हूँ, मेरी ऊँचाई 175 सेमी और मेरा वजन 65 किलो है। मैंने बहुत साहस करके अपनी सच्ची कहानी लिखने की कोशिश की है। मैं आप लोगों को बता दूँ कि मैं एक नंबर का चूत का चुस्सू हूँ, मुझे चूत चूसने, चाटने और चूत का रस पीने में बड़ा मजा आता है, वैसे मैं एक कॉल बॉय बनना चाहता हूँ।

मैं राजस्थान का रहने वाला हूँ और आजकल गांधीनगर (गुजरात) में रह रहा हूँ। गांधीनगर में एक सुरक्षा प्रदान करने वाली कम्पनी में काम करता हूँ और हर 3-4 महीने बाद घर जाता हूँ।

एक बार मैंनेट चैट कर रहा था तो मुझे अहमदाबाद रूम में एक आदमी मिला। मैं उससे बात करने लगा। उसका नाम केतन, उम्र 32 साल और उसकी पत्नी ललिता 30 साल की थी। केतन ने चैट के दौरान उसने बताया कि वो अपनी पत्नी को किसी और से चुदते देखना चाहता है और ललिता भी चाहती है कि दो मोटे लंड उसकी चूत और गांड में एक साथ घुसें।

तो मैंने कहा- यार, मेरे से ही चुदवा लो!
तो वो राजी हो गया।

मैंने केतन को बताया कि मैं एक कॉल-बॉय हूँ और दो घंटे के 10000 लेता हूँ। तो उसने कहा- तू पहले अपना लंड वेब कैमरे पर दिखा! यदि अच्छा लगा तो 12000 दूंगा।

मैंने उसे अपना लंड दिखाया, उसने कहा- तेरा तो बहुत मोटा है। तुझे मैं 15000 दूंगा।
और उसने कहा- यह सब संभव कैसे होगा?
तो मैंने कहा- मैं शनिवार को तेरे घर आता हूँ, तू अपनी पत्नी को बोलना कि यह मेरा दोस्त है और 1-2 दिन रुकेगा।
उसने कहा- ठीक है।

मैं शनिवार को दोपहर दो बजे उसके बताये पते पर गया। वो भावनगर का रहने वाला था। फिर मैंने उसको अपनी योजना समझाई, मैंने कहा- मैं तुझे शाम को एक गोली दूंगा जो तुम अपनी पत्नी को दे देना।
उसने कहा- ठीक है!
मैंने उसे पूरी योजना बता दी।

उसने शाम को वो गोली पीस कर मिठाई में मिला कर ललिता को दे दी। फिर ललिता ने खाना बनाया। फिर केतन और ललिता हॉल में आकर बैठ गए तो केतन मुझसे बोला- यार कौन सी मूवी देखोगे?

तो मैंने कहा- यार, आज तो कोई चुदाई वाली दिखा दो!
तो उसने कहा- यार, एक हिंदी की पोर्न मूवी है चला दूँ क्या?
मैंने कहा- नेकी और पूछ-पूछ!

अब मैं आगे की कहानी सबकी जुबानी सुनाता हूँ।

अब केतन ने हिंदी पोर्न मूवी चला दी। मूवी में एक लड़की दो लड़कों के लंडों को चूस रही थी, दोनों के लंड बहुत मोटे थे। वो बारी-बारी से दोनों लंडों को चूस रही थी। कभी दोनों को एक साथ चूस रही थी।

राजेश : यार केतन यह देख! मूवी में लड़की क्या माल है बड़े मजे से चूस रही है दो -दो लंडों को!
केतन : हाँ यार बड़ी मस्त माल है!

यह कहते हुए केतन ललिता की चूचियों को जोर से मसलने लगा तो ललिता सिसकी लेने लगी और थोड़ी देर में वो भी केतन के लंड को पैन्ट के ऊपर से सहलाने लगी। कमरे में सिसकारियों का माहौल हो गया।

केतन : यार बड़े मजेदार मूवी है! राजेश तुझे पता है ललिता भी दो लंडों से चुदवाने का सपना रोज देखती है।
ललिता : आःह्ह…केतन क्या बोल रहे हो तुम? मैंने तुमसे ऐसा कब कहा?
केतन : ललिता जब तुम और में परसों रात यही मूवी देखते हुए चुदाई कर रहे थे तो तुम कह तो रही थी कि काश मैं भी ऐसे ही दो लंडों को चूसती और दोनों लंडों से एक साथ चुदवाती!

अब तक मूवी में एक लड़का नीचे बैठ कर उसकी चूत चूस रहा था और दूसरा अपना लंड चुसवा रहा था। थोड़ी देर में एक लड़का सोफे पर बैठ गया और उसने उस लड़की की गांड में लंड डाल कर अपने ऊपर बिठा लिया और दूसरे ने उसकी चूत में लंड पेल दिया। इधर केतन ने ललिता को नंगा कर दिया और सोफे पर लेट कर उसकी चूत चूसने लगा और ललिता का मुँह मेरी तरफ था जहाँ में बैठा था वो केतन का लंड चूस रही थी इधर मैंने भी अपने कपड़े खोल दिए और अपने लंड को हाथ में पकड़ कर मुठ मारने लगा।

राजेश : यार केतन देख तो कैसे चुदवा रही है साली एक लंड गांड में और एक चूत में!
केतन : हाँ यार बड़ी मस्त चुदवा रही है और ललिता तू क्या कह रही थी कि तूने कब कहा था दो लंडों से चुदवाने के लिए? तो जब हम कल चुदाई करते हुए यह दृश्य देख रहे थे तब तूने कहा था कि काश ऐसे दो लंडों से मेरी भी चुदाई होती!
ललिता : हाँ साले कहा था! और आज दो लंड भी हैं आज तो मैं दो लंडों से ही चुदवाऊँगी! राजेश तुम वहाँ बैठे हुए क्यों मुठ मार रहे हो? मैं हूँ ना तुम दोनों की रंडी! मैं चूसूंगी तेरे लंड को!

केतन (मेरी तरफ आँख मारते हुए) : हाँ यार यह है न अपनी रांड! इससे चुसवा अपना लंड! जब तक मैं इसकी चूत चूसता हूँ! फिर इसकी चूत और गांड दोनों एक साथ चोदेंगे।

राजेश (ललिता के पास आकर अपना लंड ललिता के मुँह में ठूंसता हुआ) : ले साली रंडी! अब चूस दोनों लंडों को उस रंडी की तरह! (टीवी की तरफ इशारा करते हुए)
ललिता : आजा मेरे लौड़े राजा आज तो मेरी चूत और गांड दोनों की आग बुझ जाएगी और आज मेरा बहुत पुराना सपना भी पूरा हो जायेगा दो लंडों से चुदवाने का सपना! आऽऽह्ह… जोर से चूस केतन मेरी चूत को आह्ह… ओऽऽहऽ…
केतन : ओऽऽहऽ… जोर से ही तो चूस रहा हूँ! तू भी अपनी जीभ घुमा दोनों लंडों पर! मेरा निकलने को आ रहा है ओऽऽहऽ…आऽऽह्ह…
राजेश : केतन, यार कैसा स्वाद है ललिता की चूत का?
केतन : यार, यदि तूने चख लिया तो जिन्दगी भर तुझे ललिता की चूत ही नजर आएगी स्वाद के मामले में!
ललिता : राजेश, मैं तुझसे बाद में चुसवाऊँगी, पहले दोनों से एक साथ चुदवाऊँगी! आऽऽह्ह… मैं गई… ओऽऽहऽ… जोर जोर से… आऽऽह्ह… ऊह्ह्हह.. गई मैं!

ललिता केतन के मुँह में झड़ गई और केतन ललिता के मुँह में! अब केतन नीचे बैठ गया और ललिता ने उसके लण्ड पर अपनी गांड रख कर केतन का लंड अपनी गांड में ले लिया। अब मैंने भी अपना लंड ललिता की चूत पर रख कर एक ही झटके में पेल दिया। फिर दोनों मिलकर ललिता को चोदने लगे।
ललिता : सालो, आज तुम दोनों अपने लंड का कमाल दिखा दो और मेरी गांड और चूत को फाड़ दो आऽऽह्ह… ओह्ह्ह्हह जोर से केतन ओऽऽहऽ… राजेश तुम भी जोर से आऽऽह्ह… रेल की तरह दौड़ा दो अपने लंड को मेरी गांड और चूत में!
राजेश : ले मेरी रानी! केतन, आज की रात तो इसे चोद चोद के इसका हाल बुरा कर देंगे आऽऽह्ह…क्या कसी चूत है तेरी जब चूत ही इतनी कसी है तो गांड तो और भी तंग होगी।
केतन : हाँ, सही बोल रहा है राजेश यार! इसकी चूत और गांड दोनों ही कसी हैं। मेरा लंड तो इसकी गांड में बुरी तरह फंसा हुआ है। ले मेरी रंडी, दबा के चुदवा ले, आज तो तेरा बहुत पुराना सपना पूरा करने के लिए ही मैंने राजेश को बुलाया है।

ललिता : ओह! मेरे राजा तुम कितने अच्छे हो केतन कि तुम मेरे लिए एक मोटा और अपने जैसा ही लम्बा लंड ढूंढ कर लाये! आज तो मैं पूरी रात दबा कर अपनी चूत और गांड फड़वाऊँगी। आह्ह्ह्हह ह्ह्ह्ह… जोर से लंड देवताओ, जोर से! फाड़ दो मेरी चूत को! आःह्ह्ह्ह…
राजेश : आज तो हम दोनों तेरी चूत और गांड का कीमा बना देंगे। अब तो मैं रोज तुझे चोदने आया करूँगा, क्यों केतन?
केतन : हाँ यार, अब तो रोज चोदा करेंगे स्साली को मिलकर!

ललिता : अब तो राजेश तुम यहीं रहोगे और मेरी गांड और चूत का रोज मजा लोगे! केतन, इसको तुम अपनी कंपनी में जॉब दे दो और मेरे पास छोड़ दो, मैं रोज दिन में भी इससे चुदवाया करुँगी।

हमारी चुदाई 30 मिनट तक चली। इस बीच ललिता तीन बार झड़ गई थी और केतन ने उसकी गांड में अपना पानी छोड़ा और मैंने अपना पानी उसके मुँह में भर दिया। इस प्रकार केतन ने अपनी पत्नी ललिता को मुझसे चुदवाया और अब तो हम हर दूसरे तीसरे दिन उसकी चुदाई करते और वो मेरा नियमित ग्राहक भी बन गया है और मुझे हर बार के सात हज़ार रूपए देता है।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी? Antarvasna

लेखिका : पायल शर्मा Hindi Porn Stories

मेरी सहेली पायल शर्मा, Hindi Porn Stories उम्र 24 वर्ष की, भरपूर जवान, शादी शुदा है, सुन्दर और लुभावनी फ़िगर वाली युवती है। उसने अपनी कहानी मुझे लिख कर भेजी है, उसे उसी के शब्दों में प्रस्तुत कर रही हूँ।

मेरी शादी मेरे व्यस्क होते ही 18 वर्ष की उम्र में कर दी थी। उस समय मैं सेक्स के बारे में अधिक नहीं जानती थी। पर शादी के बाद जब से मेरी चुदाई आरम्भ हुई है, मैं तो चुदाई की मतवाली हो गई हूँ। जैसा कि अधिकतर होता है कि समय के साथ साथ सेक्स से भी दिल ऊब जाता है, जिसका मुख्य कारण एक जैसी चुदाई, वही रात में पति को जोश चढ़ा और ऊपर चढ़ कर चोद दिया और सो गये। धत्त्… ये भी कोई जिंदगी है।

आज पांच-छः साल हो गये, अब तो पति देव का यह हाल है कि काम से लौटे, खाना खाया और बिस्तर पर लेट गये। बहुत हो गया तो महीने में एक बार चोद दिया। पर मैं… ना… ना… पतिव्रता तो हूँ, पर चुदाई के मामले में नहीं…
उसके कुछ दोस्तों से मैं चुद चुकी हूँ, पर वो सभी अब यहाँ नहीं है। मेरी चूंचियाँ भी अब बड़ी हो चुकी हैं, इतनी सी उम्र में 38 की ब्रा पहनती हूँ, मेरे चूतड़ बड़े और लचकदार हो गये हैं। मैं टाईट जीन्स और कसी हुई बनियान नुमा टॉप पहनती हूँ। मेरे बड़े बड़े चूंचे उसने उभर कर हिमालय पर्वत को भी मात देते है। कोई एक बार देखता है वो देखता ही रह जाता है।

घर की मुर्गी दाल बराबर…! घर के पास तो किसी का ध्यान जाता ही नहीं है। बेचारा पड़ोसी रोज़ ही प्यासी नजरों से मुझे निहारता रहता था। मुझे देख कर उसका लण्ड भी कड़कता होगा। जी हां, साथ वाले घर में एक लड़का रहता है, पर उस पर कभी ध्यान ही नहीं गया। बीस साल का भरपूर जवान लड़का, नाम आदित्य, हम लोग उसे आदी कहते है। उसकी नजर मुझ पर बहुत पहले से थी, पर मेरा ध्यान उस पर कभी नहीं गया।

एक दिन मैं बाल्कनी पर बैठी किताब पढ़ कर रही थी कि मेरी नजर अचानक साथ वाले घर पर आदी पर पड़ी… वो एक छोटी सी चड्डी पहने नहा रहा था। वो अपनी चड्डी के अन्दर हाथ घुसा कर लण्ड पर साबुन मल रहा था, फिर हाथ पीछे घुसा कर गाण्ड पर साबुन भी लगाता था। आह… मेरी नजरें जैसे उस पर चिपक कर रह गई। कसा हुआ बदन, उभरी हुई मसल्स, ताकत और उर्जा से भरा हुआ शरीर… जिस पर उसका उभरा हुआ लण्ड चड्डी में से साफ़ नजर आ रहा था।

अब वो अपने बदन पर पानी डाल रहा था। कुछ देर बाद उसने अपने शरीर को तौलिये से पोंछना चालू कर दिया। एक बार तो उसने सावधानी से यहाँ वहाँ देखा, फिर जल्दी से अपना लण्ड निकाला और तौलिये से साफ़ कर दिया। मेरे दिल ने जैसे धड़कना बन्द कर दिया। उसका सोलिड लण्ड मोटा और लम्बा, मेरे दिल को भा गया। मेरी चूत फ़ड़क उठी, बोबे कसक गये…
उसने तौलिया लपेटा और चड्डी खोल कर दूसरी पहनने लगा। उसकी चूतड़ों की दरार का दर्शन भी हो गया। मेरी नजर मेरे बोबे पर पड़ी, मुझे लगा कि मेरा ब्लाऊज तंग होने लगा है। मुझसे रहा नहीं गया मैं उठ कर नीचे चली आई और उसकी दीवार के पास खड़ी हो गई, जैसे कि फूल तोड़ने आई हूँ। चड्डी में से उसका उठा हुआ लण्ड मुझे बहुत ही प्यारा लग रहा था। मुझे इस तरह से देखने पर वो बेचारा झेंप गया। मैं मुस्करा उठी।

पर उसने तौलिया नहीं लपेटा, अब वो भी मुस्करा रहा था। उसे लगा कि शरमाना आण्टी को चाहिये,’ नमस्ते आण्टी… ‘

‘नमस्ते आदी… आजकल कहा रहते हो तुम… दिखते ही नहीं हो…?’

‘कहीं नहीं आण्टी… यहीं हूँ… कोई काम हो तो बता दीजिये…!’

‘हां काम तो है… समय मिले तो घर आओ, चाय भी पियेंगे… और काम भी बताऊंगी !’

‘ठीक है आण्टी… अभी आता हूँ… ‘ उसने चुपके से अपना लण्ड देखा जो खड़ा हुआ था, और शायद मुझे बुला रहा था। अचानक उसकी नजर मुझसे फिर मिल गई। दोनों ही मतलब से मुस्करा दिये। मैं खुश हो गई, मुझे लगा कि ये तो पट जायेगा। शायद वो भी यही सोच रहा था। अनजाने में मेरी एक आंख चल गई, आंख मारते ही वो शरमा गया। पर वो सब कुछ समझ चुका था।

कुछ ही देर में वो मेरे घर पर आ गया। इतनी देर में मैंने ढीला सा कुर्ता और पेटीकोट पहन लिया था, पेण्टी और ब्रा उतार कर एक तरफ़ रख दी थी। मुझे ये सब करते हुये बड़ी झुरझुरी सी हो रही थी और मन में लग रहा था कि मुर्गा तो फ़ंसा।

मैं अपनी टांगें बड़ी बेशर्मी से मेज़ पर रख कर बैठ गई ताकि उसके अन्दर आते ही उसे चूत के दर्शन हो जायें। जैसे ही वो अन्दर आया, मैंने उसे सामने बैठा दिया। जैसा कि होना ही था, उसकी नजरें सीधे मेरे उठे हुये पेटीकोट पर पड़ी और मेरी चिकनी शेव की हुई चूत पर पड़ी। एक बार जो नजरें टिकी तो वहीं पर चिपक गई। यह देख कर मैंने अपना थोड़ा सा पांव और खोल दिया। चूत अब स्पष्ट दिखने लगी थी।

‘क्या देख रहे हो आदी… !’

‘अह्ह्… कुछ नहीं… ‘ उसका लण्ड कठोर होता जा रहा था। मैं आगे को झुक गई, मेरे लो कट ब्लाऊज में से मेरे बड़े बड़े उरोज छलक उठे। उस पर प्रहार पर प्रहार हो रहे थे, वो बेचारा कब तक सहता। मेरे उरोज भी कड़क हो उठे थे, चूचुक फूल कर मचल रहे थे कि कोई उन्हें मसल दे।

‘आण्टी… बहुत बड़े हैं… ‘ उसके मुँह से अचानक निकल पड़ा।

‘क्या…? अच्छा तो जनाब ये देख रहे थे…! ‘ मैंने उसे उलाहना दिया।

वो असमंजस में था कि कैसे अपने आप को कंट्रोल में रखू, कहने लगा,’आण्टी… काम हो तो बताओ मुझसे और नहीं बैठा जा रहा है… ‘ वो कसमसाते हुए बोला।

‘बैठे रहो… खड़े हो जाओगे तो… तुम्हारा यह भी खड़ा हो कर जोर लगायेगा… ‘ मैंने हंसते हुए कहा और धीरे से उसके लण्ड पर हाथ मार दिया।

‘इसीलिये तो कह रहा हूं ना… बस मैं जाऊँ…? ‘ आह भरता हुआ वो बैचेन सा उठा।

‘ तुम मत बैठो पर इसे बैठाना नहीं है क्या… आओ पास में यहां बैठ जाओ… ‘ उसे मैंने सोफ़े में पास बैठा लिया…

अपने बोबे दिखा कर बोली,’तुमने ये देखे हैं ना… इन्हें दबाओ !… और देखो मैं भी यही चाहती हूं !’

कह कर मैंने उसका हाथ अपने सीने पर रख दिया। उसने मुझे बड़ी आसक्ति से मुझे देखा, और मेरी चूचियां दबाने लगा लगा जैसे उसने मुझे धन्यवाद दिया। मेरा हाथ उसके लण्ड पर आ गया। मैंने उसकी पेन्ट की ज़िप खोल दी और चड्डी में से उसका लण्ड खींच कर बाहर निकाल लिया।

आह कितना सुन्दर सुपाड़ा था… लाल और चिकना। उसने अपनी पेन्ट को खोल कर नीचे कर लिया। उसका पूरा लण्ड बाहर निकल आया। उसने मेरे बोबे को मसलते हुए एक हाथ चूत पर रख दिया। मेरा हाथ उसके लण्ड पर चल पड़ा… उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी।

मैंने जोर से उसका लण्ड मरोड़ते हुये मुठ मारनी शुरु कर दी। वो तड़प उठा। उसने भी हिम्मत की और अब उसकी अंगुली भी मेरी चूत में घुस गई थी। मेरी चूत के पानी से उसका हाथ तर हो गया था। उसने मुझे लिपटा लिया और मेरे मुख में अपनी जीभ डाल कर चूसने लगा।
जोश में मैं भी मुठ और जोर से मारने लगी। उसके मुख से जोर से हाय निकली और उसका वीर्य छूट गया। उसका लण्ड जोर से पिचकारी छोड़ने लगा।
मैंने तुरन्त ही झुक कर उसका लण्ड मुँह में ले लिया और उसका कुछ वीर्य तो पी गई और कुछ बाहर गिर गया। उसने मेरे बोबे छोड़ दिये और और अपना पेण्ट ठीक करने लगा।

‘अभी रुको ना… चले जाना… जल्दी क्या है?’

‘आण्टी अभी कॉलेज जाना है… फिर कल आऊंगा’ मैंने भी उसे नहीं रोका। सोचा कि इसे चस्का तो लग ही गया है, साला जायेगा कहाँ, यहीं तो आयेगा लण्ड शान्त करने।

मुझे सच में बहुत मजा आया था… मैं रसोई से बैंगन उठा लाई और अपनी चूत पर घिसने लगी। कुछ ही देर में मेरा पानी निकल गया। इतना कुछ होने के बाद मुझे लगा कि बैचेन आदी नहीं… मैं हो रही हूँ।

तड़पते हुए मैं उसकी राह देखने लग गई।

शाम को वह कॉलेज से वापस आया तो मुझे देख कर उसने हाथ हिलाया। मेरे दिल को सुकून मिला। मैंने हाथ हिला कर उसका जवाब दिया। उसने यहाँ वहाँ देखा और हाथ से लण्ड बना कर चूत में घुसाने का इशारा किया। मैं शरमा गई। मैंने भी हाथ की अंगुलियों से चूत का छेद बना कर उसने एक अंगुली लण्ड बना कर डाल कर चुदाई का इशारा किया। वो खूब हंसा और आंख मार दी। मैंने शरमा कर मुँह को हाथ से छुपा लिया।

सवेरे नौ बजे मेरे पति ओफ़िस चले गये। अब मैं बैचेनी से आदी की राह देखने लगी थी। मैंने हल्के फ़ुल्के कपड़े पहन लिये और चुदने के लिये बेकरार थी। चूत लप लप कर रही थी, पानी से तर हो रही थी। बार बार मेरी नजरें बाहर झांक रही थी। साला आया क्यों नहीं… ये मर्द बड़े निर्दयी होते हैं, साले ने कल भी मेरी चूत नहीं मारी थी। ठण्डी आह भरते हुए मैंने सोचा कि जब तक वो आये मैं नहा कर फ़्रेश हो लूँ…

मैं नँगी हो कर नहाने लगी। मुझे लगा कि जैसे मेरा शरीर आग में जल रहा हो। मैं अपनी आंखे बंद कर के अपने बड़े बड़े चूचे निचोड़ने लगी… स्तनाग्रों को मसलने लगी… मुझे तभी खटका हुआ… मैंने झांक कर देखा तो आदी ही था। उसे देखते ही मेरे मन की कली खिल उठी। लगता था वो भी चोदने की तैयारी से आया था। हल्का पजामा और बनियान बस… यही था उसका पूरा पहनावा।

मैंने गीले बदन ही तौलिया लपेटा और बाहर आ गई।

‘बड़े सेक्सी लग रहे हो… ‘

‘आण्टी… जरा अपने को तो देखो… पूरी बम्ब लग रही हो… यानी पटाखा…’

‘आ एक किस कर ले… ‘ मेरी चूत में आग लगी हुई थी।

‘काहे का किस आण्टी… आज तो लौड़े का नम्बर है किस करने का !’ कह कर उसने मुझे अपने से लिपटा लिया। मेरा तौलिया खींच कर एक और बिस्तर पर उछाल दिया। उसने बिना किसी देरी किये अपना पजामा खोल दिया और नीचे से नंगा हो गया।

‘आजा पायल… आज अपन दोनों मस्ती करें… उसने होंठ मेरे होंठ पर रगड़ दिये और उन्हें चूसना शूरू कर दिया। मैं मस्ती में झूम उठी। उसका लण्ड मेरी चूत के छेद को ढूंढने लगा और चूत के आस पास घुसने लगा।

‘आदी, चूत तो सेन्टर में है… वहाँ घुसाओ… अच्छा चलो बिस्तर पर… वहां तो खुद ब खुद घुस जायेगा… और मुझे चोद देगा !’

उसने प्यार से मेरे चूंचे दबाये… और किस करता हुआ बिस्तर की ओर चल पड़ा। मुझे उसने प्यार से लेटा कर खुद पास में लेट गया। मुझे प्यार से सहला कर अपने ऊपर खींच लिया। मैं अब उसके ऊपर आ गई थी। उसका लण्ड सीधा खड़ा था। ऐसा लग रहा था कि कोई सड़क पर खम्भा खड़ा हो। मैंने उसके लण्ड को हाथ में लिया और धीरे से मुठ मारी…

उसे बड़ा मजा आया… बोला,’आण्टी… और मुठ मारो… बहुत मजा आ रहा है… !’

मैंने सोचा कि कही पहले की तरह झड़ गया तो चुदाई रह जायेगी। मैंने उसका सुपाड़ा खोला तो देखते ही खुश हो गई… कुंवारा लण्ड था… उसने किसी को चोदा नहीं था। मैंने बड़े प्यार से उसे अपने चूत के खड्डे में रखा और धीरे से चूत का भार उस पर डाला। फ़क से लण्ड खड्डे में घुस पड़ा। मुझे असीम मजा आया। उसके मुख से भी आह निकल पड़ी।

‘मेरे आदी… तुम कितने प्यारे हो… हाय !’

फिर मैंने और जोर लगाया… उसमें जोश भरा था… नई उमन्गें थी, उसने भी नीचे से उछाल भरी। मेरी चूत ने उसका पूरा लण्ड निगल लिया। उसके मुँह से एक दर्द भरी आह निकल गई।

‘आण्टी… मुझे लण्ड पर लग गई है… !’

‘बस… सह लो… पहली बार ही ऐसा होता है… बाद में नहीं होगा… ‘

मैं उसके ऊपर लेटी रही, फिर बहुत ही धीरे धीरे से चूत हिलानी शुरू कर दी। उसकी आह निकलती गई। मैंने उसे होंठों पर होंठ रख कर कस कर दबा लिया और धक्के बढ़ा दिये। थोड़ी देर तक तो वो कसमसाता रहा फिर शान्त हो चला… मैंने अब उसे किस करना चालू कर दिया और चूतड़ो को दबा कर उसके लण्ड पर मारना शुरू कर दिया।

उसे भी अब मस्ती आने लगी। वासना की रंगीनियाँ रंग दिखाने लगी। वो कुछ ही देर में वासना के नशे में झूम उठा और उसने मुझे दबा कर नीचे पटक दिया। मेरा शरीर उसके बोझ तले दब गया, ये सुहाना दबाव मुझे और मस्त कर गया जब उसके लण्ड ने मुझे दबा कर चोदना शुरू कर दिया।

‘वाह मेरे शेर… लगा जोर… चोद दे अपनी अक्सू को… ‘ मैं भावना में बह चली।

‘हाय रे अक्सू आन्टी… आप कितनी अच्छी हैं… पहले क्यो नहीं चुदाया… !’

‘उईईई… क्या मेरी फ़ाड़ डालेगा राम… आह्ह्ह मेरा आदीऽऽऽ… चोद दे रे।’

वो भचाभच चोद रहा था… मुझे स्वर्ग की सैर करा रहा था। कभी वो मेरे बोबे मचकाता और कभी मेरे होंठो को चूमता और साथ में मेरे गालों को चाटता भी जा रहा था। मैंने चूतड़ों कि लय उसके लण्ड के साथ मिला ली और फ़च फ़च की आवाज के साथ मुझे चोदता जा रहा था। मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी, मेरे शरीर में लग रहा था कि खिंचाव होने लगा था। सारे जिस्म में जैसे मीठा मीठा जहर भरने लगा। मेरी वासना की तड़प बढ़ने लगी। मैं उसके जिस्म को जोर से जकड़ने लगी… उसने भी लण्ड का भार मेरी चूत पर डाल दिया और उसका बदन जैसे कस गया।

‘मेरे आदी… हाय रे… फ़ाड़ दे मेरी चूत को… ।’ मेरी आंखों में गुलाबी डोरे तैर रहे थे, अधखुली आंखे नशे से चूर थी… लग रहा था कि मुझे जिन्दगी भर चोदता ही रहे।

‘ आण्टी… मेरा लण्ड… हाय रे… गया…’ वो शायद झड़ने वाला था। मुझे भी झड़ने जैसी उत्तेजना लगने लगी थी। आखिर चूत को मस्त लण्ड मिला था और हम दोनों दिल से चुदाई कर रहे थे। मैं आह भर कर उसे जकड़ कर चूत का रस निकालना चाह रही थी।

‘ आदीऽऽऽ… आह्ह्ह… तेरी तो… हाय चुद गई रे… गई मैं तो… ऊईईई…’

मेरी चूत से जवानी का रस चू पड़ा और मैं झड़ने लगी…

तभी आदी भी चीख सा उठा,’अक्सू आण्टी… गया मेरा लौड़ा… निकला माल… हाय रे… निकला…’

और वीर्य निकलते ही उसने अपना लण्ड बाहर खींच लिया। मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया,’आजा ऊपर ले आ…’

वो लण्ड मेरे मुँह तक लाता, उससे पहले ही उसकी पिचकारी निकल पड़ी और सीधे मेरे चेहरे पर आ कर वीर्य गिरा और अब उसका लौड़ा मेरे मुँह में था… थोड़ा ही सही पर वीर्य पीने को मिल गया… उसका लण्ड पूरा चाट कर साफ़ कर लिया फिर अपने चेहरे का वीर्य भी जीभ से मुँह में चाट लिया। आदी ने भी मेरे मुख से मुख को सटाते हुए मेरे चेहरे का वीर्य चाट किया। अब आदी ने पास पड़े कपड़े से मेरा मुख साफ़ किया और मुझसे लिपट कर लेट गया।

मुझे उसने आज भरपूर मजा दिया था। उससे मैंने दिन को रोज चोद जाने का आग्रह किया जिसके लिये वो सहर्ष तैयार हो गया।

‘अक्सू आण्टी… आप बहुत ही प्यारी चुदाती है… आप मुझसे गाण्ड भी मरा लेंगी क्या?’

‘मुझे तरसाओगे क्या… अभी गाण्ड मार लो आदी…’

‘सच आण्टी…’ मेरे कुछ कहने के पहले ही वो मेरी पीठ से चिपक गया और मेरी चूतड़ो की फ़ांके खुल गई। उसका लण्ड कठोरता से भर उठा। उसने मेरे चूतड़ों को सहलाया और दोनों गोल गोल चूतड़ों को फ़ाड़ कर गाण्ड का छेद खोल दिया। एक थूक का लौंदा मेरी गाण्ड के छेद पर महसूस हुआ और उसका सुपाड़ा जो कि कुछ दर्द से सूज भी गया था उसका स्पर्श हुआ। जोर लगाते ही उसका लण्ड मेरी गाण्ड में था…

मुझे मीठा सा एक अह्सास हुआ। गाण्ड की दीवारों को सहलाता हुआ लण्ड अन्दर उतरने लगा। मुझे बड़ा सुहाना सा लग रहा था। अब उसने धीरे धीरे लण्ड को अन्दर बाहर करना चलू किया और मेरी गाण्ड चुदने लगी थी… मैं निहाल हो उठी थी… फिर मेरी उसने जी भर कर गाण्ड मारी…

गाण्ड मराने की इच्छा पूरी हो गई, गाण्ड मराने का मजा काफ़ी दिनों बाद आया था। उसका गाण्ड मारना मुझे बहुत ही भाया और जब वो झड़ गया तब मैंने उसे एक बार फिर से मेरी चूत की प्यास मिटाने को कहा…

इतनी देर में मेरी चूत फिर से पानी छोड़ने लगी थी। वो बेचारा बुरी तरह फ़ंस चुका था… कुछ ही देर में उसे तैयार करके मैंने अपनी टांगे उठा कर चूत को खोल दिया। आदी को मुझे चोदना ही पड़ा…

उसे भूखी शेरनी जो मिल गई थी… जो उसकी जवानी के रस को पूरा पी जाना चाहती थी। अचानक मुझे लगा मेरा काम तो हो गया है अब इसे रवाना कर देना चाहिये, कही भण्डा फ़ोड़ ना हो जाये… पर इस चूत का क्या करुं साली प्यासी की प्यासी रहती है।

जी भर कर जब मैं चुद चुकी तो उसे मैंने लिपटा कर प्यार किया। वो भावना में बह चला और प्यार की कसमें खाने लगा। उसे शान्त करके मैंने उसे कहा कि यदि तुम मुझे प्यार करते हो तो कल फिर दिन में मुझे चोद जाना। उसने मेरे बोबे दबा कर अलविदा कहा।

मेरे जाल में शिकार फ़ंस चुका था…

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मुझे मेल करे पायल शर्मा के आई डी पर ! Hindi Porn Stories

दोस्तों मैं अपनी एक मस्त कहानी आप लोगों को बताना चाहता हूँ। Antarvasna

मेरे घर में रोज सुबह के Antarvasna समय घर का काम करने के लिए एक नौकरानी आती है। मैं रोज उसे देखता था, दिखने में अच्छी थी। एक दिन उसने मुझे उसे घूरते हुए देख लिया वो समझ गई कि मैं क्या चाहता हूँ।

एक दिन मेरी बीवी नहाने के लिए गई थी। रविवार का दिन था, ठीक १० बजे वो आई, मैंने गेट खोला, वो अन्दर आई और अपने रोजमर्रा के काम करने लगी। वो झाडू लगा रही थी, मैं पलंग पर बैठ कर टीवी देख रहा था। वो जैसे ही मेरे पास आई, मुझे उसके स्तन दिखाई देने लगे। मुझ से रहा नहीं गया, कुछ न सोचते हुए मैंने एक हाथ सीधे उसके ब्लाऊज़ में डाल दिया। पहले तो उसने विरोध किया, बोली- मेमसाब देख लेंगे ! फ़िर मेरे नहीं मानने पर वो भी मेरा साथ देने लगी। फिर मैंने उसी उस दिन तो नहीं चोदा क्योंकि मेरी बीवी घर पर ही थी।

कुछ दिनों के बाद मेरी बीवी को उसके पापा के घर जाना था सो वो चली गई। अब मैं घर में अकेला था। मैं भी सोच कर बैठा था कि आज जरुर कर के रहूँगा।

जैसे ही सुबह नौकरानी आई, मैंने उसे पकड़ लिया और उसे चूमने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था तो मैंने उसका पेटीकोट ऊपर कर दिया। अब मुझे उसकी चूत के साफ-साफ दर्शन होने लगे थे। वो कुछ शरमा रही थी उसकी अभी ३-४ महीने पहले ही शादी हुई थी पर पता नहीं शायद वो अपने पति से संतुष्ट नहीं थी।

उसकी उम्र २३ साल होगी, एकदम गोरी तो नहीं पर गेंहुआ रंग था।

फ़िर मैंने उसकी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी, वो कराह उठी। मैंने देर न करते हुए अपना ८ इंच का लंड उसकी चूत में डाल दिया। अब वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी थी। हम दोनों चुदाई में मस्त थे, इसी मस्ती में हम लोग दरवाज़ा बंद करना भूल गए थे। जब हमारा ध्यान गया तो मैंने देखा की मेरे मकान-मालिक की बड़ी बेटी हमारे सामने खड़ी है।

वो मुझसे बोली- ये क्या हो रहा है? भाभी को गए अभी तो एक दिन भी नहीं हुआ और आप यह सब करने लगे? आने दो भाभी को ! सब कह दूंगी !

मैंने कहा- अरे ऐसी बात नहीं है !

तो वह बोली- फिर कैसी बात है…. ?

कहते कहते वो जाकर दरवाज़ा बंद करने लगी और बोली- इस तरह के काम गेट लगा कर किया करो…. ! चलो अब तैयार हो जाओ मुझे भी चोदना होगा तुम्हें ! हम दोनों मिलकर मज़ा लेंगे। मैं भी बहुत दिनों से अन्तर्वासना पर व्यस्क कहानियाँ पढ़ पढ़ कर सोच रही थी कि मेरी प्यास कौन बुझायेगा, पर मुझे क्या पता था कि बगल में छोरा और शहर में ढिंढोरा है ! चलो भइया, शुरू हो जाओ ! अब डबल बैटिंग करना है तुम्हें !

मैं अन्दर ही अन्दर बहुत खुश हो रहा था क्योंकि मेरे मकान मालिक की बेटी बला की खूबसूरत है। फिर पहले मैंने कहा- तुम दोनों मिलकर मेरे लंड को चाट चाट कर साफ करो !

जिस पर मकान मालिक की बेटी ने इंकार कर दिया पर नौकरानी शुरू हो गई। उसे देख कर वो भी रुक न सकी और शुरू हो गई। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मानो मैं स्वर्ग में था।

थोड़ी देर बाद मैंने दोनों को जी भर कर चोदा। पूरे महीने हमारा यह कार्यक्रम चलता रहा। मकान मालिक की बेटी तो कई रात मेरे साथ ही सोई। उसे पूरी रात नंगी करके अपने पास सुलाता था। अब उसे पूर्ण नग्न होकर सोने की आदत हो गई है। अब वो कई बार मुझसे कहती है करने के लिए, पर ऐसा मौका नहीं मिल पाता। पर फिर भी हम महीने में एक-दो बार जल्दी जल्दी वाला सेक्स तो कर ही लेते हैं। पर उसमें हमें पूरी तरह मज़ा नहीं आता। Antarvasna

Sex Stories

आज मैं भी आपको Sex Stories अपनी कहानी सुनाना चाहती हूँ। इस समय मेरी उम्र लगभग २० वर्ष हो चुकी है। मैं बी.ए. द्वितीय वर्ष में पढ़ती हूँ। हमारा कालेज को-एड है। साथ की सभी लड़कियों/सहेलियों के बॉय-फ्रैण्डस थे सिवाय मेरे।

एक बार की बात है कि मेरे ग्रुप के सभी लड़के-लड़कियों का झील पर पिकनिक मनाने का प्रोग्राम बना। मेरा भी उनके साथ जाने को बहुत मन था, सो मैं भी उनके साथ चली गई। झील पर जाकर सब ग्रुप में नहाने लगे। मैं भी अपनी सहेलियों के साथ थीं। झील के चारों ओर घना जंगल था। सब एक-दूसरे से छेड़खानी और बहुत मजा कर रहे थे।

पहले तो लड़के लड़कियाँ अलग-अलग ग्रुप में थे पर जल्दी ही हम लोग आपस में मजे करने लगे थे। मेरी सहेलियों के साथी भी उन्हें आकर छेड़ने लगे थे।

छेड़छाड़ धीरे-धीरे बढ़ रही थी और कपड़ों के उतरने तक पहुँचने लगी थी। लड़के मेरी सहेलियों की चुचियाँ दबाने लगे थे और लड़कियाँ उनके लन्ड दबाकर मजे ले रही थीं। धीरे-धीरे वे अपने-अपने जोड़े बनाकर जंगल में जाने लगे। और मैं शायद अकेली रह गई थी। लेकिन सबको देखकर मेरी जवानी में भी आग लग रही थी।

तभी अचानक मेरे टाँगों पर मैंने किसी की पकड़ महसूस की। मेरी साँस ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे रह गई। अचानक नीचे ही नीचे उस अजनबी हाथ की उँगलियाँ मेरी पैंटी को हटाकर मेरी चूत में तेजी से घुस गई थीं। ऐसा लगा जैसे मेरी चूत में किसी ने कोई चाकू डाल दिया हो। तभी वह अजनबी साया खड़ा हुआ। उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया और मेरी चुचियाँ दबाने लगा। मैने देखा तो मेरी ही क्लास का एक लड़का था। मैं विरोध करने की स्थिति में नहीं रह गई थी। मेरे सांसे भारी होती जा रहीं थीं। तभी उस लड़के की पूर्णतः नंगी गर्ल फ्रैण्ड़ वहां पर आ गई और उसे आवाज देकर कहने लगी कि अगर मुझे चोदना छोड़कर यहीं रहना हो तो मैं जा रही हूँ। तुम इसी के साथ रहो, यह सुनकर वह लड़का मुझे छोड़कर तुरन्त चला गया जैसे मेरी कोई अहमियत ही न हो।

मैं अपनी प्यासी जवानी के साथ फिर अकेली खड़ी रह गई। पर तब मुझे महसूस हुआ कि मेरी चूत में दर्द हो रहा है। मैने नीचे देखा तो हल्का सा खून दिखाई दिया। मैं डर कर सोच ही रही थी कि क्या किया जाये। कि तभी एक अजनबी आवाज ने मेरा ध्यान भंग कर दिया। मैने देखा कि एक छः फुट के लगभग एक जवान मेरे सामने खड़ा है। यद्यपि वो मेरे साथ बड़े अदब से बात कर रहा था। लेकिन मुझे एक तो उस लड़के और दूसरे अपनी कुंवारी चूत से होते दर्द के कारण बहुत गुस्सा आ रहा था सो मैं उस लड़के से बहुत बेरूखी से पेश आई।

तो वह बोला कि उसका पास ही में एक काटेज है और वो वहीं से मेरे साथ हुये एक-एक वाकये को देख रहा था। और जब उसने उस लड़के के जाने पर अपनी नाराजगी जाहिर की तो मुझे वो भी उस समय अपना दोस्त ही लगने लगा। उसने मुझसे कहा कि आपके निचले हिस्से से खून ज्यादा ही बह रहा है, आइये मेरे काटेज पर कुछ दवा लगा लीजिये, जब तक बाकी लोग फ्री हों आप आराम कर लीजियेगा।

मैं कुछ भी सोच नहीं पा रही थी सो वहीं खड़ी रह गई। उसने शायद मेरी स्थिति जान ली और अपने आप ही पानी में आकर मुझे अपनी गोदी में उठा लिया। कोई और मौका होता तो इस हरकत के लिये मैं उसे दो-चार तमाचे मार ही देती पर मेरी हालत आप समझ सकते हैं। जब वो मुझे कसकर पकड़कर अपने काटेज की ओर ले जा रहा था तो मेरी चुचियाँ उसके सीने पर और उसके हाथ मेरे चूतड़ों के नीचे थे।

खैर उसने रास्ते भर कोई गलत हरकत नहीं की। और गीले बदन ही मुझे काटेज में लेकर आ गया। जब उसने मुझे सोफे पर धीरे से लिटाया तो एक बुजुर्गवार से बोला कि बाबा, मेमसाहब कुछ देर आराम करेंगी, आप बाहर देखभाल करो कि कोई डिस्टर्ब न करे ! और अपना काम ध्यान से करना। वो बूढ़ा व्यक्ति तुरन्त ही वहाँ से चला गया। तभी उसने ध्यान दिलाया तो मैंने देखा कि चूत से खून कुछ ज्यादा ही तेजी से निकल रहा है। उसने तुरन्त पानी गर्म किया और मेरा नेकर और चड्डी उतारने लगा तो मैंने आपत्ति की पर वह बोला- मुझे डॉक्टर समझो और करने दो जो मैं कर रहा हूँ।

मैं चुप हो गई। उसने रूई के गरम फोहे से धीरे धीरे सारा खून साफ कर दिया पर मेरी आग को बहुत भड़का दिया। अब मेरी चूत चुदास की आग से जल रही थी। मुझे अन्दर से लग रहा था कि उस लड़के से आज पहली बार जी भर चुदवाना चाहिये। लेकिन मेरी हिचक अभी भी बाकी थी। वह शायद मेरी स्थिति भांप गया था, बोला- डरो नहीं इसे अपना ही घर समझो।

यह कहकर वह पीछे कुर्सी पर बैठ गया, लेकिन कभी मेरी चूचियों और कभी मेरी चूत को देखने लगा।

इतने में उसने उठकर टीवी और डीवीडी प्लेयर ऑन कर दिया। उस पर एक इंग्लिश ब्लू फिल्म चल रही थी। हम उस पिक्चर को देखने लगे। वह साथ में कोई इंग्लिश मैग्जीन भी पढ़ रहा था। उसके कवर पेज पर भी लड़कियों के नंगे चित्र छपे थे। एक कोने पर तो एक लड़की एक लड़के का लण्ड चूस रही थी तो दूसरे कोने पर चुदने-चोदने का सीन था। कुछ ऐसे ही सीन टी.वी. पर भी लगातार जारी थे।

ऐसे में मुझसे खुद पर काबू रखना असम्भव हो गया। मैं उठकर खुद ही उसके पास जाकर उसकी गोदी में बैठ गई। नीचे से तो मैं नंगी थी ही, बैठते ही चूत और गाँड के छेदों के बीच में कुछ सख्त डण्डा सा चुभता हुआ महसूस हुआ। मैं समझ गई कि यह उसका वही मस्ताना लण्ड है जो मेरी चूत का पहली बार उदघाटन करने वाला है। वह भी उत्तेजित हो चुका था। उसने मेरे होठों को अपने होठों से दबा लिया और लम्बा सा किस करने के साथ ही मेरे होठों को चूसने लगा। साथ ही मैने महसूस किया कि उसका हाथ मेरी चुचियों की तरफ बढ़ रहा था, वो भी उपर से नहीं, पठ्ठा सीधा अन्दर ही चला आ रहा था। मुझे वैसे तो गुदगुदी ही लगी लेकिन जैसे ही उसने तेजी से दबाना शुरू किया तो ऐसा लगा जैसे मेरी दोनो चुचियों में जबरदस्त दर्द हो रहा हो। मैं उससे और जोर जोर से दबाने को कहने लगी। पता नहीं क्यों मेरी सांसे भारी होती जा रही थीं। ऐसा लग रहा था जैसे मैं जन्नत की सैर कर रही हूँ।

तभी उसने अपना हाथ बाहर निकाला और मुझे पूरा नंगा करने लगा। बदले में मैने भी उत्तेजना में उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिये। उसने मेरे कपड़े उतारने के बाद अपने कपड़े उतारने में भी मेरी मदद ही की। अब हम दोनों पूर्णतया नंगे थे। अब उसने मुझे नीचे लिटाकर मेरी चुचियों को चूसना शुरू कर दिया। मेरी लिये तो ये एक बहुत बैचेनी भरा अनुभव था। जब वो एक चूसता तो लगता कि दूसरी चूसे और जब दूसरी चूसता तो लगता कि पहली वाली को और जोर से चूसना शुरू कर दे।

अचानक उसने चुचियों को चूसना बन्द कर दिया। मुझे ऐसा लगा जैसे वो मेरा पता नहीं क्या छीनकर ले जा रहा है। लेकिन अगले ही मिनट उसने अपना मुंह जब मेरी चूत के मुँह के बीच में टिकाया और चाटा तो मुझे ऐसा लगा कि मेरी पूरी जान जैसे केवल चूत में सिमटकर रह गई हो। मेरी पूरी काया झनझना उठी। ये तो बिल्कुल जन्नत का नजारा था। वो तल्लीनता से मेरी चूत के रास्ते मेरी जान खींचने में लगा था और मैं बिन पानी की मछली की तरह तड़प रही थी।

अब मैं पूरी तरह से चुदवाने के लिये तैयार थी पर मेरे बार बार कहने पर भी वो चूत छोड़ने को तैयार नहीं था। अचानक मुझे एक रास्ता सूझा उससे अपनी चूत को मुक्ति दिलाने का। मैने उससे कहा- पिक्चर वाली लड़की की तरह मैं भी तुम्हारा लण्ड चूसना चाहती हूँ।

मेरी तरकीब काम कर गई, वो खड़ा हो गया और मैं उकड़ू बैठकर उसका लण्ड जोरों से चूसने लगी। वो मेरे सिर को पकड़कर ऐसे आगे पीछे करने लगा जैसे मुझे मुँह के रास्ते चोद रहा हो। अब मैने उससे कहा- मुझे जल्दी से चोदकर इस चुदास के दर्द से मुक्ति दिला दो।

इस पर उसने मुझे अपने ऊपर लिटाया और बोला कि लण्ड को चूत के छेद पर लगा कर के जोर लगाओ, चला जायेगा।

मैंने पूरा प्रयास किया लेकिन शायद अन्दर लेने की जल्दी में वो बार-बार फिसल जाता और दर्द दे जाता। तीन-चार बार असफल होने के बाद मैने उसकी तरफ तरसी निगाहों से देखा तो उसने मुझे नीचे लिटाकर लण्ड डालने का शायद नाटक किया। यह तो मुझे बाद में पता चला। उस वक्त तो उसने कहा- तुम्हारी चूत ज्यादा टाईट है इसिलिये अन्दर नहीं जा पा रहा। कई तरह से ट्राई करने के बाद उसने मुझसे कुतिया की तरह बैठने को कहा। तब तक मेरी हालत वाकई कुतिया से भी बदतर हो चुकी थी। सो उसने जैसे कहा मैने वैसे ही कर दिया। अब वो मेरे पीछे से ऊपर था और मैं कुतिया बनी उसके नीचे।

मेरे मुँह से तेजी से गर्म सांसे निकल रहीं थीं, मैं जैसे बुरी तरह हांफ रही थी। अब वो मेरे पीछे घुटनों के बल आकर बैठ गया। और अपना लन्ड मेरी चूत के मुँह पर रख दिया। उसका लण्ड गर्म सरिये की तरह गर्म हो रहा था। ऐसा लगा जैसे मेरी चूत किसी गर्म तवे से छू हो गई हो। मैं अभी यह सोच रही थी कि उसने अचानक पीछे से मेरी चूत में अपने टाइट लण्ड का जोरदार झटका दिया और शायद उसका आधा लण्ड पहली ही बार में मेरी कुंवारी चूत में चला गया।

मैं दर्द से बिलबिला उठी। ऐसा लगा कि कोई खंजर मेरी चूत के रास्ते मेरे अन्दर उतर गया। मेरी सारी चुदास उस दर्द के एक ही झटके में उतर गई। मैने उससे बचने को आगे भागने ही थी कि उसने मेरा इरादा भांप लिया और मुझे मेरी गाण्ड से पकड़कर नीचे गिरा लिया। अब मैं दर्द से बिलबिला रही थी लेकिन वो मुझे छोड़ने के बिल्कुल भी मूड़ में नहीं लग रहा था। मैंने रो-रोकर उससे छोड़ने की गुजारिश की लेकिन वो जालिम मुझे छोड़ नहीं रहा था।

मैं अभी पहले झटके से ही नहीं उबरी थी कि उसने मेरी कमर पकड़कर मुझे उठाया और दूसरा करारा झटका दे दिया। इस बार उसका पूरा का पूरा लण्ड मेरी चूत में उतर गया। मेरे चूतड़ उसकी जांघो से जा टकराये। अब तो दर्द बिल्कुल ही बर्दाश्त के बाहर हो गया। अब उसने पहली बार प्यार से मुझे पुचकारा और मेरी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया और उसकी इस चूचियों को जोर से दबाने और कमर चाटने की हरकत ने मेरा दर्द आश्चर्यजनक रूप से कम करना शुरू कर दिया।

उसका लण्ड यद्यपि मेरी चूत के अन्दर ही था पर अब उतना दर्द महसूस नहीं हो रहा था। अब उसने धीरे-धीरे अपने लण्ड को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में मुझे भी तीखे दर्द के बावजूद मजा सा आने लगा। अब मैं उसे तेजी से धक्के लगाने को कहने लगी। उसने मेरा ध्यान रखते हुये धक्के तेजी से लगाने शुरू कर दिये। करीब १५-२० मिनट तक उसने अलग-अलग कोणों से मुझे चोदा और मुझे बहुत मजा दिया। तभी मुझे लगा जैसे मेरी चूत में से कुछ निकल रहा है। मैं डिस्चार्ज हो रही थी। कुछ धक्के लगाने के बाद वो भी डिस्चार्ज हो गया। लेकिन यह कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। मुझे बाद में पता चला कि ये तो केवल शुरूआत भर थी।

आगे ……………………….

फिर कभी। Sex Stories

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