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मेरी टीचर सरिता की सगाई होने Sex Stories वाली थी। सरिता दीदी पढ़ाई में मेरा पूरा ध्यान रखती थी। मैं उनसे पढ़ने के लिये उनके घर भी जाती थी। मुझे वो अपने साथ इन्दौर ले गई थी।
लड़के वाले सरिता को देखने आने वाले थे। वैसे उनके उन लोगों से पुराने सम्बन्ध भी थे, कारण कि उनके परिवारों का बिजनेस भी एक ही था। सभी लोग शाम का इन्तज़ार कर रहे थे। मैं उन इन्तज़ार करने वालों में एक थी। मुझे भी घरवालों के साथ दुल्हे और उसके घरवालों का स्वागत करना था।
घर के पोर्च में एक स्कोर्पिओ गाड़ी आ कर रुकी, उसमें से मात्र तीन लोग उतरे। हम सभी लपक कर वहां पहुंच गये। एक सजीला छ: फ़ुट का जवान, सुन्दर और हंसमुख, गोरा चिट्टा, काले सूट में बिल्कुल राजकुमार लग रहा था।
मैंने थाली से उसे तिलक लगाया, उसने मुझे देखा और मुस्कुरा दिया। मेरी आंखें उससे मिलते ही झुक गई, उसके चेहरे की सुन्दरता मेरे दिल में उतर गई। वो भी जैसे मुझे निहारता ही रह गया। मैं कहीं खो सी गई। सभी अन्दर आ चुके थे। मैं भाग कर सीधे सरिता के पास पहुंची।
“हाय दीदी! मैं तो मर गई! वो बिलकुल कहीं का राजकुमार है!”
“अरे … तू ठीक तो है ना, किसकी बात कर रही है?” सरिता ने कुछ आश्चर्य से मुझे देखा।
“दीदी … एक दम गोरा चिट्टा, लम्बा, सुन्दर सा! हाय दीदी …! क्या कहूं …! दूल्हा है या राजकुमार!”
“मैं जानती हूँ उसे, देखा है मैंने … हां सुन्दर तो है … पर तुझे वो राजकुमार लग रहा है?” मेरी बात को दीदी ने ज्यादा तूल नहीं दिया तो मेरा जोश भी ठण्डा पड़ गया। कुछ ही देर के बाद दीदी सज धज कर कमरे से निकल कर हॉल में आई। दीदी भी आंखे नीची किये धीरे धीरे चलती हुई सोफ़े के नजदीक आ गई। मैंने पहली बार दीदी को इतनी नज़ाकत के साथ चलते हुए देखा। पर दीदी हूर की परी सी लग रही थी। मन में सोचा- देखो तो क्या एक्टिंग करती है!
इसी समय दूल्हे ने मुस्करा कर मुझे देखा। मैं शरमा गई। बातचीत चलने लगी। बातचीत में पता चला कि दूल्हे का नाम राहुल है और वो एक भू वैज्ञानिक है। हम लोग खाने पीने का सामान सजाने लगे, पर किसी ने कुछ खाया पिया नहीं, बस औपचारिकता ही निभा दी। राहुल और दीदी को अकेले में बात करने की आज्ञा मिल गई। उन्हें दूसरे कमरे में ले जाया गया। मैं दरवाजे के पीछे छिप गई, पर राहुल ने मुझे देख लिया था।
“ सरिता … आप बहुत सुन्दर हैं, पर आपकी सहेली भी आपसे कम नहीं!”
मैं बाहर खड़ी कांप गई। मैंने छिप कर अन्दर देखा, राहुल दीदी को किस कर रहा था। दीदी अपना सुन्दर सा चाँद सा मुखड़ा ऊपर किये उनके चुम्बन का आनन्द ले रही थी।
“ राहुल मेरा सपना पूरा हो रहा है, आप मेरे मालिक हो गये हो, अब मैं आपकी दासी हूँ!” दीदी ने झुक कर राहुल के पांव छू लिये। राहुल ने दीदी को उठा कर गले लगा लिया। दीदी रटे रटाये डायलोग बोल रही थी और एक्टिन्ग कर रही थी, जैसा वो मुझे करके दिखाती थी, बिलकुल फ़िल्मी डायलोग लग रहे थे, पर प्यार के शब्द हमेशा नये ही होते हैं, उसमें हमेशा नई ताजगी ही रहती है। मेरे मन में भी तंरगे फ़ूटने लगी और मुख से हाय निकल पड़ी।
वो दोनों प्यार में खोने लगे … यानी वो पहले से एक दूसरे को जानते थे … और बात पक्की ही थी … इतने में राहुल की नजर मुझ पर पड़ ही गई। दीदी को बाहों में लिए-लिए उसने मुझे पीछे से हाथ हिला दिया …
मैं शरम से पानी पानी हो गई … पर हिम्मत करके मैंने बोल ही दिया,”पापा बुला रहे हैं … ” फिर धीरे से बोली … “बाकी सगाई के बाद …!”
दीदी झेंप गई और राहुल से अलग हो गई।
“कामिनी … प्लीज … किसी को मत कहना … ” दीदी के कातर नजरों मुझे देखा।
“दीदी … जब मियां-बीवी राजी तो क्या करेगा काजी …!” मैंने शरारत की … राहुल मेरी तरफ़ मीठी निगाहों से मुझे देखता रह गया।
दूसरे दिन शाम को राहुल घर आ गया और बाज़ार जाने का प्रोग्राम बना लिया। मुझे भी दीदी ने साथ ले लिया। थोड़ा आगे चलते ही राहुल ने एटीएम बूथ के सामने कार रोक दी। दीदी को बूथ से पैसे निकालने थे।
“जीजू, आप कहाँ रहते हैं?”
” यहीं पास में राजेंद्र नगर में … लो चॉकलेट लो!” उसने एक फ़ाइव स्टार चॉकलेट निकाली।
पर ये क्या … मेरे बढ़े हुए हाथ को पकड़ कर राहुल ने खींच लिया। मैं पिछली सीट से थोड़ा ऊंचा उठ गई। इतने में सब कुछ तेजी से घट गया। राहुल ने एकदम से मुड़ कर मुझे चूम लिया। और फिर ड्राईविंग सीट पर बैठ गया। मैं घबरा गई, मेरे चेहरे पर पसीना छलक आया। पर मुझे बहुत अच्छा लगा।
“जीजू … ये क्या … दीदी ने देख लिया तो मुझे घर ही नहीं आने देगी … ”
“कामिनी तुम हो ही इतनी प्यारी और मासूम … कि बस दिल ने कहा कि प्यार तो कर ही लो … ” सुनिल बड़ा दिलफ़ेंक निकला …
“धत्त … जीजू … आप तो बस!” मेरे दिल में एक मीठी सी हूक उठी।
“कल यहीं बूथ पर दिन को ठीक ११ बजे मिलना, नहीं तो मैं घर पर आ जाऊंगा!”
मैं घबरा उठी … ये क्या?
“नही … नहीं … ”
इतने में दीदी आती दिख गई- अच्छा … अच्छा ठीक है!
मेरा बदन पसीने से भीग गया।
“क्या हुआ … तेरी तबियत ठीक तो है ना?” दीदी ने मुझे देखते कहा।
“हां हां … चलो, ठीक है!” मैं अपने आपको कंट्रोल करने लगी। शीशे में राहुल अपनी मीठी मुस्कान बिखेर रहा था। मेरी तरफ़ देखकर मुस्कराना मुझे और नर्वस कर रहा था। मुझे लगा कि दीदी मुझ पर इतना विश्वास करती है, ये तो धोखा होगा। पर राहुल का मुझ पर लाईन मारना बन्द नहीं हुआ। सच तो ये था कि मुझे भी ये सब अच्छा लगने लगा था।
मैं ठीक ११ बजे दिन को एटीएम पर आ गई पर कोई कार आती दिखाई नहीं दी।
“हाय!” राहुल ने पीछे से मुझे पुकारा।
मैं उछल पड़ी- “आप …! पर कार?
वो मुस्कुरा उठा और इशारा किया।
“ओह … ” मेरा दिल धक धक कर रहा था।
राहुल ने कार का दरवाजा खोला और मुझे आदर सहित अन्दर बैठाया।
“आपके आने का शुक्रिया!” दूसरी ओर से ड्राइविंग सीट पर आ गया। आते ही कार के शीशे ऊपर दिये और मुझे खींच कर अपने पास चिपका लिया। उसने अपने होंठो से मेरे कांपते होंठ मिला दिये। मुझे किसी लड़के ने जिन्दगी में पहली बार किस किया था। मुझे जाने कैसा लगने लगा। मैं बिना किसी विरोध के उसे किस करने दिया। उसके हाथ मेरे उरोजो पर आकर जम गये और हौले हौले उसे दबाने लगे, मैं बैचेन हो उठी, कसमसा उठी, मेरा मन कर रहा था कि मेरी छातियों के गोले वो मसलता ही जाये।
“ राहुल क्या कर रहे हो … यहाँ मत हाथ लगाओ!” मुझे ये सब अजीब सा, लेकिन कशिश भरा लग रहा था … जाने कैसा एक मीठा मीठा सा वासनायुक्त आनन्द भी आ रहा था। तभी सामने से कोई गाड़ी आ गई।
“अरे भई …! ये सब घर जा कर करना!” साथ बैठी हुई औरत भी मुस्करा उठी। राहुल झेंप गया और जल्दी से उसने मुझे छोड़ दिया। मैंने उस कार वाली को हाथ हिला दिया, उसने भी मुस्कुरा कर हाथ हिला कर उत्तर दिया।
राहुल ने कार स्टार्ट की और चल दिया।
मेरे बाल उलझ गये थे, सारा कुछ अस्त व्यस्त हो गया था। मैंने बैग में से सामान निकल कर अपने आपको फिर से ठीक किया। मैं बार बार राहुल को देख रही थी। विश्वास नहीं हो रहा था कि ये सब मेरे साथ हो रहा है?
कुछ ही देर में हम एक फार्म-हाउस में थे। मैं डर रही थी कि ना जाने अब क्या होगा? ये राहुल क्या करेगा, पर यदि कुछ नहीं करेगा तो मैं उससे कभी बात नहीं करुंगी। अन्दर जाने पर उसने अपना फार्म-हाऊस दिखाया और कुछ ही देर में एक अन्धेरा कमरा पा कर मेरे से लिपट पड़ा। मैंने राहुल को पूरा मौका दिया कि वो इसका पूरा फ़ायदा उठा ले।
“नहीं राहुल! … प्लीज … नही …!” मैं उससे विनती करने लगी … पर उसने मुझे प्यार से पास पड़े बिस्तर पर लेटा दिया और मेरे ऊपर धीरे से लेट गया, उसका कठोर लण्ड मेरी चूत पर आ लगा। मैं कसमसा कर उल्टी लेट गई। पर उसने मुझे कब्जे में कर लिया और लण्ड मेरी गाण्ड में गड़ा दिया। मेरे दोनो स्तन अब उसके हाथो में थे सभी कुछ वो बड़े प्यार से कर रहा था। मैंने घबरा कर रोने का नाटक करने लगी।
“अरे … रे … रो मत कामिनी, मुझे माफ़ कर दो … प्लीज!” और वो जल्दी से अलग हो गया। मैंने अपने आप को सयंत किया और लगा कि जैसे मस्ती छिन गई हो।
“ राहुल … तुम क्या दीदी के साथ भी इसी तरह जबर्दस्ती करोगे?” मैंने उसकी और देखा तो वो मुझे बहुत ही मायूस लगा, पर मैं उसे उदास नहीं करना चाह रही थी।
“सॉरी कहा ना …! तुम हो ही इतनी प्यारी कि तुम्हें देखते ही कोई भी होश खो बैठे!” उसने मेरे कपड़े ठीक किये और हम कमरे से बाहर निकल पड़े।
वहां खड़े हो कर वो बताता रहा कि कहा क्या क्या है। पर मेरी नजरें उसके चेहरे पर लगी रही, सुन्दर सा चेहरा, मासूम सा … ही-मैन जैसा, मेरा दिल पिघलने लगा। मुझे लगा कि वो मुझे प्यार करता है। मेरा क्या बिगड़ जाता अगर वो मेरे अंग मसल देता तो? उसे खुशी मिल जाती … और क्या। इस बार मैं उसे जो वो करेगा करने दूंगी, यह सोच कर मैं उसके पास खिसक आई और धीरे से उसकी कमर में हाथ डाल दिया।
वो बोलते बोलते अचानक रुक गया … “क्या कर रही हो कामिनी?”
“मुझे माफ़ कर दो राहुल … मैंने तुम्हारा दिल दुखाया!” मैंने उसकी चौड़ी छाती पर अपना सर रख दिया।
“नहीं कामिनी, मैं गलत था … मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था! पर दिल भी क्या चीज़ है … है ना?”
पर मैं अब कुछ नहीं सुन पा रही थी। मेरे हाथ उसके चूतड़ों पर कसने लगे थे। राहुल भी एक बार फिर बहक उठा … उसके हाथ मेरे शरीर पर फ़िसलने लगे थे।
मुझे अब सबकुछ भला लग रहा था। मेरे चूतड़ दबाते ही मेरे अंग अंग फ़ड़कने लगे, छाती मसलते ही नीचे गीलापन आने लगा। वो मेरे से लिपट पड़ा। मेरे हाथ उसके लण्ड की तरफ़ ना चाहते हुए भी बढ़ने लगे और पैन्ट के बाहर ही मेरे हाथों की गिरफ़्त में आ गया। हाय … इतना मोटा और लम्बा … लण्ड इतना बड़ा होता है क्या? लड़कियाँ क्या इतने मोटे लण्ड से चुदती हैं?
“कामिनी प्लीज इसे मत छेड़ो, नहीं तो फिर कुछ करना पड़ जायेगा … ” उसका लण्ड मस्त हो उठा। कड़क होकर फ़ुफ़कारने लगा।
“मेरे राहुल, हाय … ये इतना मोटा? क्या लण्ड है?” मैंने जवान लण्ड का पहली बार स्पर्श किया था।
“चुप!” मेरे होठों पर उसने गाली सुनते ही अंगुली रख दी, मेरा कुर्ता राहुल ने ऊंचा उठा दिया और पजामा नीचे फ़र्श पर गिरा दिया। मैं नीचे से नंगी हो गई। मेरे दिल में चुदाई का नशा चढ़ने लगा। मुझे अपने नंगेपन का अहसास रोमंचित करने लगा। उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और मेरी चूत से सटा दिया। लण्ड का स्पर्श पाते ही मेरी चूत फ़ड़क उठी।
मेरा मन कर रहा था कि राहुल चूत में घुसा दे! हाय रे लण्ड …! उसने मेरे चूतड़ों पर हाथ रखा और जोर लगाने लगा। चूत गीली और चिकनी हो रही थी। लण्ड फ़च से जरा सा अन्दर घुस पड़ा। मेरे मुख से हाय निकल पड़ी।
“बाबू जी … खाना तैयार है …!” मुझे एक आवाज सुनाई दी। आवाज सुनते ही मेरा सारा नशा उड़ता नजर आने लगा। मैं छिटक कर दूर हो गई।
“ये क्या कर रहे थे, अभी तो मांऽऽऽ रीऽऽऽ अन्दर ही घुसा देते!” मुझे भी एकदम से शरम आ गई। मैंने तुरन्त कपड़े ठीक से पहने और राहुल भी सम्भल गया। अब वो अपनी रोज की मुस्कान के साथ नीचे चल पड़ा। मैं भी शर्म से सर झुका कर सीढ़यां उतरने लगी। मन में सोचने लगी कि हाय मैं कितनी बेशरम हो गई थी।
रात की बस से मैं भोपाल वापस आ गई।
इन्दौर से आने के बाद मैं अनमनी सी रहने लगी। ये सब मेरे साथ पहली बार हुआ था। किसी लड़के ने मुझे पहली बार छुआ था। मैं पहली बार बह गई थी। पहली बार जवानी का उबाल सर पर चढ़ कर बोला था।
धीरे धीरे दिन बीतने लगे। दिल भी धीरे धीरे शान्त हो गया। पर एक दिल में चुभन, एक कसक रह गई थी। मुझे कभी कभी ये लगता कि काश राहुल ने मुझे चोद दिया होता। उसका लण्ड एक बार तो मेरी चूत में घुस ही चुका था। बस मन करता था कि पूरा ही घुस जाये। रात को मैं उत्तेजित होकर कभी बैंगन तो कभी उंगली का सहारा लेकर अपनी सारी गर्मी बाहर निकाल देती थी।
सरिता की शादी का दिन भी आ गया। उसने भोपाल की नौकरी छोड़ दी थी।
मुझे एक बार फिर से इन्दौर जाना पड़ गया। दिसम्बर के पहले सप्ताह में शादी थी। मैं राहुल से मिलना तो चाहती थी पर इस बार मैं राहुल से बचती रही। पर सरिता के साथ रहने से मैं उसकी नजरों में आ ही जाती थी। मन कसक बढ़ती ही जा रही थी। शादी के कारण राहुल को भी समय नहीं मिल पाया। पर अन्दर ही अन्दर मैं उसे देखने और मिलने को तड़पती रही। पर मन को कठोर बना कर उनके बीच में नहीं आई। मन तो मिलने को तड़प गया था।
शादी के कार्यक्रम समाप्त होते ही मैं तुरन्त फिर से भोपाल आ गई। शायद राहुल की नजरें भी मुझे तलाशती रह गई होगी।
जनवरी में मुझे इन्दौर आना हुआ। मन में दुआ कर कर रही थी कि राहुल मुझे इन्दौर में मिल जाये और बस एक बार मैं जी भर कर प्यार कर लूं और हो सके तो चुदा लूं। सरिता ने मुझे अपने घर में ही ठहरा लिया। मुझे नहीं पता था कि राहुल उन दिनो इन्दौर आया हुआ था, बस राहुल के बारे में मैं ये जानकर मैं खुशी से पागल हो गई।
मैं सरिता के गेस्ट रूम में ठहरी थी। मुझे बेसबरी से राहुल का इन्तज़ार था। शाम को राहुल घर आ चुका था। मुझे देख कर गेस्ट रूम में आ गया। उसे देखते ही मैं पिघल गई। मेरा मन कर रहा था कि उसके गले लग जाऊं और वो मेरा शरीर भींच डाले। खुदा मेरी सुन ली और सब कुछ अपने आप ही होने लगा।
हाय … कामिनी! कैसी हो, कब आई?
आज ही, आप तो आसाम गए हुए थे ना?
“हां छुट्टी पर आया हूँ.” और कहते हुए राहुल ने अपनी बाहें खोल दी, मैंने अपना सर झुका लिया। उसने आगे बढ़ कर मुझे बाहों में कस लिया … और एक गहरा चुम्मा ले लिया। मेरे मन में फिर से भावनाये तड़पने लगी और जागने लगी। इस बार मैंने भी शरम छोड़ कर प्रत्युत्तर में उसे गहराई से चूम लिया।
– लव यू डियर। राहुल ने अपने प्यार का इजहार किया।
– लव यू टू। मैंने भी इकरार कर लिया।
उसने मेरे उरोज दबा दिये और धीरे धीरे सहलाने लगा। मेरे चूचक कड़े होने लगे, शरीर में गुदगुदी सी भरने लगी। मैंने भी प्रति-उत्तर में अपनी छातियां उसके हाथों में दबा दी और सिसक उठी। मैंने उसके चूतड़ों को दबा कर सहलाना आरम्भ कर दिया था। उसका लण्ड कठोर होने लगा और मेरी चूत पर गड़ने लगा था।
मैंने उसका लण्ड हाथ में भर लिया। उसके मुख से सिसकारी निकल पड़ी। वो प्यार से मुझे देखने लगा।
-कामिनी आज की रात अपनी रिजर्व रही?
– कर ही क्या सकते हैं? सरिता है ना!
– चुपके से, ठीक है ना!
मैं मुस्कुरा उठी, मेरे मन में चुदने की चाह उठने लगी, सोच कर ही चूत पनीली होने लगी। पर मन नहीं माना। कैसे होगा? राहुल जैसे ही बाहर गया। इतने में मैंने कुछ सोच लिया था। मैंने सरिता को सबकुछ बताने की ठान ली थी और फिर रात की बस से भोपाल चले जाने का फ़ैसला कर लिया। मन से मैं सरिता को धोखा नहीं देना चाहती थी। उसका मुझपर गहरा विश्वास था। मैंने वासना को मन में पीछे धकेला।
मैं सरिता के पास गई- दीदी, मुझे कुछ कहना है!
-हां कहो, क्या बात है?
– आप नाराज हो जायेंगी!
– समझ गई, जरूर राहुल ने कुछ गड़बड़ किया होगा, है ना? मैंने सर हिला कर हां कह दिया।
– पर दीदी, वो मुझ से प्यार करने लगे है, मैं आपको ये बताना चाह रही थी कि … मेरी बात काटते हुए वो बोली- अच्छा तो बात यहां तक पहुंच गई? अच्छा अब क्या करोगी? सरिता ने मुझे तिरछी नजरों से देखा।
– उन्होंने मुझे रात के लिए कहा है! उन्हें मना करो ना। मैंने झिझकते हुये दिल कड़ा करके कह ही दिया।
– चल तो क्या हुआ? एक ही रात की तो बात है। उसने शरारत भरी हंसी सुनाई दी।
– जी? दीदी आप ये कह रही हैं? मैं विस्मित हो उठी, और उसका मजाक समझ में नहीं आया।
– मुझे सब पता है, तुम दोनों की आशिकी के बारे में, अब बनो मत। मुझे राहुल सब बता देता है – सरिता प्यार से मुझे देखने लगी।
– तो क्या राहुल रात को मेरे साथ …
– तुम्हारा मन सच्चा और साफ़ है, तुमने आगे हो कर मुझे बताया है, तुम मेरी प्यारी सहेली हो। सरिता मेरी बात से खुशी से भर गई।
-दीदी, पर वो तो तुम्हारे सब कुछ है ना … फिर?
– सब कुछ में से तुम भी कुछ ले लो … बस। उसी ने तुम्हें यहाँ रुकने के लिये कहा था, और मन की बात बताई थी, अब तुम तो गई काम से, ये रात कामिनी की चुदाई के नाम! – वो हंस पड़ी।
मैं शर्म से दीदी से लिपट गई। डिनर के बाद मैं अपने कमरे में आ गई और ड्रेस बदल ली और पजामा और टॉप पहन लिया। डिनर के बाद राहुल और सरिता मेरे कमरे में आ गये … “तो मेरी प्यारी सहेली, चुदने को तैयार हो? मेरी शुभकामनायें तुम दोनों के साथ हैं! आज की रात राहुल को कामिनी और कामिनी को राहुल दिया तोहफ़े में सरिता ने!”
-तुम्हारी दीदी ने तुम्हें चोदने की आज्ञा दे दी है, अब अपने चूत के द्वार खोल भी दो!” राहुल बेशर्मी से नेहा के सामने ही कहने लगा।
– धत्त, ये क्या कहते हो! और मैं उसे घूंसे मारने लगी … उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे बिस्तर पर गिरा दिया। मैं आज पूरी तैयारी में थी और चुदने का मूड बना लिया था। मेरा रोम रोम वासना में झुलस रहा था। उसका लण्ड पजामें में से उभर कर बाहर दिखने लगा था।
-कामिनी! इसे देख! लगता है पजामा फ़ाड़ देगा, पकड़ ले इसे!” सरिता ने राहुल के लण्ड पर हाथ रख कर कहा।
-दीदी, नहीं शरम आती है!” पर मैंने दीदी के सामने हिम्मत करके लण्ड पकड़ ही लिया। दीदी मुस्करा उठी।
– दीदी का दिल कितना बड़ा है! मेरे मुंह से निकल पड़ा।
– उसका तो दिल, बोबे, चूतड़ सब बड़े हैं। मेरा तो बस लण्ड ही बड़ा है। राहुल ने हंसते हुए माहौल हल्का कर दिया।
राहुल के हाथ मेरी कमर से होते हुए टॉप के अन्दर सरकते हुए मेरे बोबे की तरफ़ बढ़ने लगे। दीदी ने देखा कि मामला गरम हो रहा है तो गुडनाईट कह कर वहां से जाने लगी, मैं सरिता को देखती रह गई। दीदी मुड़ कर बाहर निकल गई और दरवाजा बन्द कर दिया।
मेरे बोबे राहुल के हाथों में खेल रहे थे। मैं पसीने में नहा गई।
उसने मेरा टॉप उतार डाला और मेरे स्तन नंगे हो गये। मैंने तुरन्त अपने दोनों हाथो से उन्हें छुपा लिया और पास में पड़ा कपड़ा छाती पर डाल लिया।
राहुल ने अपना पजामा उतार दिया। उसका फ़ड़कता हुआ लण्ड बाहर निकल कर झूमने लगा। उसने बाहर से ही मेरी चूत को सहला दिया।
उसका लण्ड देख कर मैं तो पगला गई। उसने मुझे बाहों में भर लिया और अपनी कमर मेरी चूत की तरफ़ दबा दी। उसका लौड़ा जोर मार रहा था और मेरी चूत पर रगड़ मार रहा था। मैं भी अपनी चूत को उभार कर उसके लण्ड से घिसने लगी … जिस्म पिघलने लगे … दिलो में प्यार उमड़ पड़ा।
मेरा पजामा भी जाने कब उतर गया। पूरा कमरा आहों से गूंज उठा। वासनायुक्त सिसकारियाँ हम दोनों के मुख से निकलने लगी। चूत के द्वार पर ठोकर मारते हुए उसका लण्ड मेरी चूत में उतरने लगा।
जिसका मुझे इन्तज़ार था वो पल आ गया था। उसका लण्ड मेरे चूत की प्यास बुझाने को आतुर था। मुझे तो जैसे जन्नत मिल गई थी। चूत की दीवारों पर राहुल के लौड़े की रगड़ से मेरे तन मन में उत्तेजना की मिठास भरने लगी। मैं राहुल को अपने में खींच कर समाने का प्रयत्न करने लगी।
लगता था कि लण्ड और गहराई तक चोद दे … राहुल मुझे प्यार से जड़ तक चोद रहा था। उसकी आंखें बन्द थी। मैं भी खुमारी में झूम रही थी। राहुल की कमर आगे पीछे चल रही थी। उसकी मर्दानगी मुझे पानी पानी किये दे रही थी। मुझ पर खुशियों की बरसात हो रही थी … मेरा तन रह रह कर वासनायुक्त मिठास से भर उठता था।
पलंग भी चरमरा उठा। मेरी टांगे ऊपर उठी हुई थी। उसका लण्ड मेरी दोनो टांगो के बीच चूत में फ़िट था। दो जिस्म एक होने की जी तोड़ कोशिश कर रहे थे। जबरदस्त धक्के दोनो तरफ़ से लग रहे थे। चूत लण्ड को पूरा निगलना चाह रही थी और लण्ड चूत को फ़ाड़ कर अपना हक जमाना चाहता था। और … और … लगा कि जैसे एक बिजली हम पर गिर पड़ी!
और मैं जैसे चीखते हुए निचुड़ सी गई, मेरा सारा रस निकलने लगा। तभी राहुल भी ऐंठ कर और लण्ड का जोर लगा कर अपना वीर्य उगलने लगा। हम दोनों तरावट में डूब गये और अपना रस चूत में मिलाने लगे। दोनों का मिला जुला रस चूत से बाहर निकलने लगा। अधखुली आंखों से हमने एक दूसरे को देखा और फिर से प्यार की दुनिया में खो गये …
हम बहुत खुश थे। हमारे जिस्म एक हो चुके थे। अब हम दोनों प्यार की कसमें खाने लगे … जान न्यौछावर करने की बातें होने लगी और … राहुल का लण्ड एक बार फिर से कठोर होने लगा … मेरी चूत में भी कुलबुलाहट होने लगी। बिना किसी इन्तज़ार के हमारा दूसरा दौर चालू हो गया …
पर इस बार निशाना गोल गोल चूतड़ थे … मेरी ग़ाण्ड में लण्ड जाना सुई में धागा पिरोने जैसा था। मेरी ग़ाण्ड भी पहली बार चुदने जा रही थी। टाईट छोटा सा छेद और लण्ड उसके सामने मोटा और भारी भरकम था … पर जानकार धागा पिरोना जानते थे … दर्द भरी चीख के साथ मैं चुदने लगी, चुदती रही और मेरी गाण्ड भी चुद गई।
सवेरे सरिता चाय लेकर रूम में आ गई। मैं बाथरूम में थी। राहुल शान्त पड़ा सो रहा था और अभी भी नंगा था।
मैं बाथरूम से बाहर आई तो सरिता को देख कर चौंक गई और एकदम से शरमा गई। मैंने अपना चेहरा हाथो में छुपा लिया। भाग कर डाइनिंग रूम में आ गई।
कुछ देर बाद सरिता वहाँ आई,”कामिनी, मजा रहा ना?” शरारत से उसने पूछा।
“दीदी!! कुछ मत कहो!! चुप हो जाओ!” मैं फिर से शरमा गई।
“रात भर चुदी हो ना, अच्छा बताओ! क्या क्या किया?”
“बता दूँ? – जीजाजी बहुत प्यारा चोदते हैं … लण्ड भी बहुत प्यारा और गोरा है।”
“हाँ हाँ, ये तो मुझे पता है। और क्या?”
“तीन बार चुद गई और एक बार … !!!”
“क्या एक बार? समझ गई! राहुल ने तेरी गाण्ड मार दी ना!” मैंने शरमा कर दीदी के सीने में सर छुपा लिया। सरिता ने मेरे बोबे मसल दिये और मेरे होठों पर एक गहरा चुम्मा ले लिया।
“दीदी” मैं सिसक उठी।
मेरे चूतड़ों को दबा कर सहला दिया … पर हाय! ये तो मर्दों वाले हाथ थे.
मैं समझ गई कि अब फिर मैं जन्नत की सैर पर जाने वाली हूँ. Sex Stories
हाय ! मेरा नाम अजय है Sex Stories और मेरी उम्र 21 साल है, मैं मुम्बई में रहने वाला एक सुन्दर लड़का हूँ। मैं अन्तर्वासना के माध्यम से अपनी एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।
मेरा मन कामुक कथाएं पढ़ने का बहुत करता है इसलिए मैं बहुत सारी सेक्स-कहानियों की किताबें अपने साथ रखता हूँ।
अब कहानी शुरू करता हूँ..
यह करीब एक साल पहले की बात है, मेरी कक्षा में एक सेक्सी लड़की ने प्रवेश लिया। वो एक सेक्सी शरीर की मालकिन थी।
सारे लड़के उसे देखते तो उनके मुंह से आह निकलती थी।
उसके स्तन तो ऐसे थे कि ब्रा में समाते ही नहीं थे और हमेशा उसके अन्दर चहकते रहते..और काजल की टाईट जींस के अन्दर उसकी तरबूज़ जैसी गाण्ड ऐसी लगती थी कि अभी इसकी चुदाई कर दूँ…
क्लास के सभी लड़के काजल के पीछे पड़े थे..मैं एक शर्मीला लड़का हूँ इसलिए मैं दूर रहता था। लेकिन क्लास में होने की वज़ह से हमारी दोस्ती हो गई। लेकिन मैं भी उसे चोदना चाहता था और मुझे मौका मिल ही गया।
वो मेरे घर की तरफ़ ही रहती थी, इस वज़ह से वो मेरे साथ ही आती जाती थी। मैं रिक्शे में हमेशा हमेशा चांस मारता था, कभी उसके बूब्स पे हाथ मार देता तो कभी मज़ाक में उसकी गाण्ड पे हाथ मार देता। वो भी कुछ नहीं बोलती थी।
बारिश का मौसम था। उस दिन बारिश की वज़ह से हम काफ़ी भीग चुके थे। गीले कपड़ों में उसके स्तन पूरे आकार में दिख रहे थे और मेरा लण्ड खड़ा हो गया था।
मैंने उसे आज ही चोदने का मन बना लिया था।
वो मुझे अपने घर ले गई। हम दोनों को ठण्ड लग रही थी, वो अपने कपड़े बदल कर आई, तब तक मैं अपना शर्ट निकाल चुका था..
काजल जैसे ही बाहर आई तो मैं उसे पकड़ के किस करने लगा। वो कुछ समझी ही नहीं पाई या फ़िर ना समझने का नाटक कर रही थी।
मैं किस करते करते उसके बूब्स को दबाने लगा, वो कुछ नहीं बोली।
मेरी हिम्मत और बढ़ गई और मैंने उसकी ब्रा के अन्दर हाथ डाल दिया। अब तक वो भी पूरी आपे से बाहर हो चुकी थी, उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया, मैं समझ गया कि काजल को मेरा लण्ड चाहिए।
मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए। मैं अपना लण्ड उसके मुँह में देने लगा, पहले तो उसने मना किया लेकिन बाद में वो राज़ी हो गई। वो मेरे लण्ड को लोलीपोप की तरह चूसने लगी।
हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गए। मैं उसकी गुलाबी चूत को जीभ से चाटने लगा। उसके मुंह से ..ऊह या पंकज़ याह ऊऊह प्लीज़ चोदो मुझे… मुझे तुम्हारा… बड़ा सा लण्ड चाहिए ओ येस की आवाज़ निकाल रही थी।
हम दोनों बेकाबू हो गए और एक दूसरे के मुँह में झड़ गए।
15 मिनट तक हम एक दूसरे के ऊपर लेटे रहे, उसके बाद वो फ़िर से चुदाई के लिए तैयार हो गई, लेकिन इस बार जीभ से नहीं मेरे लण्ड से चुदाने के लिए तैयार थी।
मैं उसे कुतिया स्टाईल में चोदने के लिए तैयार हो गया लेकिन वो पहली बार चुदाने जा रही थी इसलिए उसकी चूत काफ़ी टाईट थी।
मैंने उसे क्रीम लाने को बोला, और उस पे लगाया, फ़िर एक जोर का झटका दिया और वो चिल्लाने लगी- निकालो-निकालो !
फ़िर मैं रुक गया, थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ और वो भी मचलने लगी।
फ़िर मैंने और एक झटका दिया और मेरा लण्ड पूरी तरह उसकी चूत के अन्दर हो गया और उसके मुँह से अजीब आवाज़ें निकलने लगी- ओह अजय ! प्लीज़ मेरी चूत को फ़ाड़ दो प्लीज़ ओ ओह यस… मैं ज़न्नत में हूँ… तुम पहले क्यों नहीं मिले..आई लव यू पंकज़ !
और मैं तो जैसे स्वर्ग में था, अब हम दोनों पूरे जोर से एक दूसरे को चोद रहे थे।
अब हम दोनों झड़ने वाले थे, वो बोली-अन्दर मत गिराना… मैं तुम्हारे पानी को पीना चाहती हूँ..
मैंने बाहर निकाल के उसके मुंह में गिरा दिया… वो सारा पानी पी गई… उसके बाद हम दोनों ने अलग अलग ढंग से दो बार और चुदाई की।
वो मेरे साथ एक साल रही, लेकिन अब वो कोलकाता चली गई है.. और मैं अकेला पड़ गया हूँ..
मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करें! Sex Stories
मेरा नाम फ़ैयाज़ है। मेरी sex story दो बहनें है एक की शादी हो चुकी है, और अभी एक कुँवारी है।
यह बात 1 महीने पुरानी है मैं और मेरी बहन घर पर अकेले थे, और मैं सो रहा था तो मुझे मेरी बहन की आवाज सुनाई दी। वो बाथरूम में नहा रही थी।
मेरा लण्ड तो वैसे ही तना हुआ था, मैंने सोचा आज अपना काम हो जाएगा और एक चूत चोदने के लिए मिल जाएगी। मम्मी भी घर पर नहीं थीं।
मैंने बाथरूम के दरवाजे पर आँखें लगा कर अन्दर देखा तो मुझे शबनम की चूत की झलक मिल गई। मेरा लण्ड और टनटना गया। अब मेरा मन चूत चोदने का होने लगा। वो अपना शरीर पोंछ रही थी तो मैं अन्दर आ गया और सोने का नाटक करने लगा।
शबनम को लगा कि मैं सो गया हूँ। इसलिए वो तौलिया लपेट करके कमरे मे आ गई। उसने नीचे ब्रा और पैन्टी पहन रखी थी। कमरे की लाईट भी बन्द थी तो, उसे भी कोई डर नहीं था लेकिन मैं उसे देख रहा था। उसने पहले लाईट ओन की और देखा कि मैं सो रहा हूँ या नहीं, लेकिन मैं तो सोने का नाटक कर रहा था।
मेरे सोने का उसे यकीन हो गया और उसने अपने शरीर से तौलिया अलग कर दिया। मैं तो देखता ही रह गया दूध जैसा शरीर था उसका।
वो अपने शरीर पर क्रीम लगा रही थी। मैं धीरे से उठा और उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया। वो अपने शरीर पर क्रीम लगा रही थी।
मेरा लण्ड अब केवल चूत चाहता था। अब वो जो भी थी मुझे तो चूत चाहिए था, तो मैंने धीरे अपने लण्ड को अपने शोर्ट से निकाला और उसकी गाण्ड पर दबाने लगा।
वो मुड़ने की कोशिश करने लगी तो मैंने उसे पकड़ लिया और वैसे ही खड़े रहने के लिए कहा।
वो बोली- भैया, नहीं … यह पाप है।
तो मैंने कहा- किसी को कुछ पता नहीं चलेगा तू सिर्फ़ चुप हो जा।
मैं उसे उठा कर अपने बेड पर ले आया और उसको और अपने आप को एक चादर से ढक लिया। तब मैंने पहले अपने कपड़े उतारे फिर उसकी पैन्टी और ब्रा उतारी।
शबनम मेरे साथ मेरे बेड पर नंगी लेटी थी। मैं उसे फ़्रेंच किश कर रहा था। वो मेरा लण्ड सहला रही थी। मेरे लण्ड से थोड़ा थोड़ा बूँद बूँद करके पानी की बूँदें निकल रही थी।
मैंने उससे कहा- शबनम, देख तू कुँवारी है, तेरी चूत टाईट है और मेरा लण्ड मोटा है। तुझे दर्द होगा तो सह लेना और खून भी निकलेगा. ठीक है।
तो उसने ‘हाँ’ में सिर हिला दिया तब मैंने अपने प्री कम उसकी चूत पर लगाया और लण्ड को उसकी चूत में घुसाने लगा।
उसकी चूत बहुत ही टाईट थी उसे दर्द भी हो रहा था लेकिन वो भी अपना सहयोग दे रही थी।
देशी घी से बहन की चुदाई
बोली- भैया क्रीम लगा लो या फ़्रिज में देसी घी रखा है वो ले आओ।
मैंने देशी घी निकाला और थोड़ा अपने लण्ड पर और थोड़ा उसकी चूत पर लगाया और धीरे-धीरे लण्ड उसकी चूत में घुसाने लगा।
लण्ड का सुपाड़ा अन्दर गया तो ऐसा लगा जैसे जन्नत में पहुंच गया, लेकिन शबनम को बहुत दर्द हो रहा था और उसके आँसू निकल रहे थे तो मैंने उसके बूब्स दबाना और चूसना शुरु कर दिया।
उसे थोड़ा थोड़ा मज़ा आने लगा। 10 मिनट बाद शबनम बोली- भैया, अभी आपका आधा लण्ड तो बाहर है आपको मज़ा आ रहा है?
मैंने कहा- नहीं शबनम तुझे दर्द हो रहा है ना?
तो शबनम बोली- भैया मुझे तो यह दर्द होगा ही। पूरा डालने पर भी उतना ही दर्द होगा जो अभी हो रहा है।
फिर बोली- भैया आपको तो बस चूत मारनी है तो पूरा घुसा के मारो। बस मेरा मुंह किसी चीज से दबा देना ताकि मेरी चीख ना निकले!
“ठीक है!” तो मैंने उसके होठों पर अपने होंठ रखे और एक ही झटके में अपना पूरा लण्ड शबनम की चूत में घुसा दिया और उसकी चीख मेरे मुँह पर दब के रह गई और उसकी चूत की झिल्ली फट गई और खून बहने लगा।
थोड़ी देर हम उसी मुद्रा में पड़े रहे फिर धीरे-धीरे मैं अपने लण्ड आगे पीछे करने लगा। हमें 20 मिनट हो चुके थे और अभी मंजिल भी दूर थी।
मैं शबनम के उपर आ गया और चुदाई शुरू कर दी। पहले ज़ोर लगाना पड़ रहा था लेकिन धीरे-धीरे स्पीड बढ गई और चुदाई का मज़ा आने लगा।
सुबह के 6 बज रहे थे और हम भाई बहन किसी मियाँ-बीवी की तरह चुदाई में लिपटे थे।
शबनम को भी बड़ा मज़ा आ रहा था कमरे के अन्दर शबनम और मेरी चुदाई की फ़च फ़च की आवाज गूंज रही थी।
मैं जन्नत में था। बहुत मज़ा आ रहा था शबनम की चूत मारने में। हमें अब तक 30 मिनट हो चुके थे।
तभी शबनम बोली- भैया मेरी चूत से कुछ निकलने वाला है।
शबनम की चूत से उसका पानी बूँद बूँद करके गिरने लगा। मेरा लण्ड अभी भी उसकी चूत में घुसा हुआ था और वो एकदम शांत हो चुकी थी।
तभी मुझे भी लगा कि मेरा लण्ड भी झड़ने वाला है तो मैंने अपनी स्पीड बढा दी और ज़ोर-ज़ोर से शॉट पर शॉट लगाने लगा और लण्ड ने ज़ोरदार पिचकारी छोड़ दी और मेरा वीर्य मेरी बहन की चूत में गिरने लगा।
शबनम से चिपक गया, शबनम भी एकदम टाईट होकर मुझसे चिपक गई।
हम दोनों भाई बहन उसी तरह 30 मिनट तक सोते रहे।
मेरा लण्ड अभी भी उसकी चूत में था और फिर से चुदाई करने के लिए तैयार हो रहा था और शबनम भी चुदने के लिए तैयार थी और हमने एक और बार चुदाई की।
तब से अब तक मैंने शबनम को 10 बार चोदा है और वो गर्भ निरोधक मेडीसिन का इस्तेमाल करती है क्योंकि मुझे बिना कण्डम के चोदना पसन्द है। बाकी फिर कभी sex story.
सोनू सो चुकी थी। श्याम Antarvasna के सात बज चुके थे। मेरे दोस्त के आने का भी समय हो चुका था। मैंने अपने दोस्त को फ़ोन करके सब बता दिया था। वो ठीक सात बजे आ गया। सोनू नंगी ही सो रही थी।
मेरे दोस्त राहुल ने आकर उसे निहारा और उसे उठा दिया। हमने उसे बाथरूम मैं जा कर फ्रेश होने को कहा। वो फ्रेश हो कर आई और मेरे दोस्त राहुल से अपनी नंगे बदन को छुपाने लगी। हमने उसके कपड़े छुपा दिये थे। वो नंगी ही घूम रही थी। हमने उसको अपने पास बैठाया और बातें करते हुए सब चाय पीने लगे। मेरे दोस्त ने उसका मम्मा पकड़ते हुए कहा- बहुत सेक्सी हो ! अब तुम हम दोनों से चुदोगी !
वो डर गई।
मैंने कहा- घर फ़ोन कर दो कि आज रात तुम अपनी सहेली के यहाँ रुक रही हो।
वो कहने लगी- मुझे घर जाने दो ! मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ !
मैंने कहा- साली ! तुम्हारे कपडे तो हमारे पास हैं नंगी जाना हैं तो जा !
मैंने सोनू की सोते वक्त नंगी फोटो निकाल ली थी। मैंने जब उसकी फोटो दिखाई तो वो डर गई और रात भर हमारे साथ सोने तैयार हो गई। उसने अपनी बहन सुनयना को फ़ोन कर दिया कि वो रात को घर नहीं आएगी, अपनी सहेली के यहाँ रुक कर टेस्ट की तैयारी करेगी।
जब वो सुनयना को फ़ोन कर रही थी तो मैंने अपने दोस्त को कहा कि सोनू के बाद इसकी बहन सुनयना को चोदना है।
मेरे दोस्त ने कहा- पहले इसे तो ठंडा कर दे, फिर इसकी बहन को भी देख लेंगे और हम हँस पड़े। मेरे दोस्त ने सोनू की ओर देखा और लण्ड पर हाथ लगाया और उसको आंख मारी। वो शरमा गई और चेहरा नीचे कर लिया।
मेरे दोस्त ने उसको पकड़ा और बेड पर लेटा दिया। मैं भी उसके साथ लेट गया। हम दोनों ने उसका एक एक मम्मा संभाल लिया और चूसने लगे।
वो सिसकियाँ ले रही थी और बोल रही थी- सोरी ! थैंक्यू ! मुझे माफ़ कर दो ! शाबाश ! स्स्स्स् !
मैं अपनी जीभ से उसके मम्मे की डोडी चूस रहा था। एक हाथ से मैंने मम्मा पकड़ा था तो दूसरे हाथ से उसका पेट सहला रहा था।
मेरे दोस्त ने भी एक हाथ से उसका मम्मा पकडा था और दूसरे हाथ से उसकी चूत सहला रहा था। वो आहें भरती जा रही थी। आधा घंटा हम उसका जिस्म सहलाते रहे। बाद में मेरा दोस्त उठा और हमने अपने कपडे उतार दिये। हमने अपने अंडरवियर उतारे और अपने कड़क लोडों से उसको सलामी दी। फिर हमने उसका कसा हुआ बदन हाथो में लिया और सहलाने लगे।
मैं उसकी चूत चाटने लगा और मेरा दोस्त उसे चूमने लगा। वो बुरी तरह तड़प रही थी और पागल हो रही थी। मेरा दोस्त कभी अपनी जीभ उसके मुंह में डाल देता तो कभी उसकी जीभ मुँह में लेकर चूसता। मैं उसकी जांघों पेट पर हाथ और मुँह फिरा रहा था।
अब वो कहने लगी- प्लीज़ ! मुझे और न तड़पाओ और मुझे चोदो।
हम हँस पडे और उसको छोड़ दिया और चल पड़े।
वो कहने लगी- कहाँ जा रहे हो?
मैंने कहा- सोने जा रहे है !!
वो चिल्ला रही थी- मुझे अधूरा मत छोड़ो !
हमने ध्यान नहीं दिया। वो रो रही थी और हमसे लंड की भीख मांग रही थी।
मैंने कहा- एक शर्त पर तुझे चोदेगे ! तू हमारे लौड़े चूसेगी और उनका पानी भी पीयेगी ! और आज तुझे ब्लू फ़िल्म भी बनवानी पड़ेगी।
वो पहले तो नहीं मानी पर बाद में लंड की प्यास ने उससे हां करवा ली। हम अपनी कामयाबी पर खुश थे।
मैंने दोस्त का डिज़ी-कैम सेट किया। उसको दोबारा कपड़े पहनाए और सेक्स शुरू किया। मैंने और मेरे दोस्त ने फिर वो सब किया जो पहले किया था। अब वो नग्न थी और हम भी नग्न थे। वो लंड को भू्खी शेरनी की तरह तरस रही थी। मेरे दोस्त ने अपना लौड़ा उसके मुँह में डाल दिया। वो पन्दरह मिनट उसे चूसती रही। कभी सुपारा मुंह में डालती तो कभी पूरा लंड लॉलीपोप की तरह चूसती।
मेरे दोस्त ने कहा- बस कर मेरी कुतिया ! अब साली ! रण्डी ! मादरचोद ! तेरे को चोदेगे।
वो कहने लगी- गालियाँ मत दो मुझे !
मेरे दोस्त ने कहा- और क्या तेरी पूजा करें रांड ! साली रंडी बन कर तू ही हमारे से चुदवाने आई थी और उसे बेड पर पटक दिया। मेरे दोस्त ने मुझे इशारा किया और मैं उसके मुँह की तरफ़ जा कर बैठ गया। मेरे दोस्त ने उसकी चूत पर हाथ फेरा और अपना लंड उसकी चूत पर लगाया। उसका लंड मेरे से भी कही ज्यादा लंबा और मोटा था।
उसने जैसे ही लंड उसकी चूत में डाला, वो चिल्लाई जैसे ही उसका मुँह खुला मैंने अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया और उसकी छाती पर बैठ गया। मैं उसके मुंह को चोद रहा था और दोस्त उसकी चूत ठोक रहा था। मुँह में लंड होने की वज़ह से वो चिल्ला नहीं पा रही थी, केवल गु गु ही कर रही थी।
१५ मिनट बाद मेरा उसके मुँह में ही छुट गया। वो सारा जब तक उसके गले में नहीं उतर गया तब तक मैंने अपना लंड बाहर नहीं निकाला। अब मैं जैसे ही नीचे उतरा, वो चिल्लाने लगी- मुझे माफ़ कर दो ! मुझे छोड़ दो ! जाने दो।
मेरा दोस्त बोला- रांड ! चुप अभी तो शुरूआत है ! पूरी रात तेरे को चोदेंगे ! मुश्किल से इतना गोरा और सेक्सी माल हाथ लगा है !
मेरा दोस्त आधे घंटे बाद शान्त हुआ।
अब मैं फ़िर तैयार हो गया।
वो माफ़ी मांग रही थी और सोना चाहती थी। मैंने कहा- रांड ! कुतिया ! तेरे को सोने के लिए नहीं रखा है ! चल अभी तो तेरी गांड भी मारनी है ! फिर हमने उसे बारी बारी ५-५ बार चोदा। सुबह चार बजे हमने कुछ आराम किया, फिर हम गांड मारने को तेयार हो गए। वो थक चुकी थी, पर हम कहाँ मानने वाले थे।
मेरे दोस्त ने उसे घोड़ी बनाया और अपना लंड तेल लगा कर उसकी गाण्ड के अन्दर डालना चालू किया। सोनू चिल्ला रही थी और नहीं ! नही ! बोल रही थी। दोस्त दनादन चोद रहा था और बोल रहा था- चल मेरी रांड ! लम्बी रेस की घोड़ी !
बाद में मैंने उसकी गांड मारी। ६ बजे हम सो गए।
९ बजे हम सब उठ कर नहाए धोए। फ़िर सोनू को उसकी फ़िल्म दिखायी। बहुत ही बढ़िया मूवी बनी थी। मेरे दोस्त ने कहा- अब तू है हमारी ! हम जब भी तेरे को बुलाएँगे, चुप करके आ जाना ! नहीं तो सारे मुहल्ले में तेरी फ़िल्म दिखा देंगे और अगली बार अपनी बहन सुनयना को भी लेकर आना, उसे भी अपनी रांड बनाएँगे ! नहीं तो हम से बुरा कोई नहीं होगा।
वो हमारी मिन्नतें करने लगी और अगली बार बहन और ख़ुद हमेशा आने का वादा करके इजाजत मांगने लगी। हमने उसे बारी बारी चूम, चाट, भींच, दबा कर उसे भेज दिया।
सुनयना की पिटाई और चुदाई और सोनू की चाचा जी से चुदाई और समूह में दोनों बहनों की चुदाई दोस्तों अगली बार लिखूँगा।
मेरी कहानी कैसी लगी ? Antarvasna
मेरी तरफ से सब चुदाई करवाने Antarvasna वालियों को और चुदने वालियों को मेरे और मेरे लौड़े से प्रणाम !
आपको मैंने पहले अपनी चाची के बारे में बताया था कि चाची की भोसड़ी का भोसड़ा कैसे बनाया था ! और मेरे पाठकों को शायद मेरी एक सच्ची कहानी पसंद आई होगी।
मैं चाची की भोसड़ी मारने के बाद काफी देर तक चाची से नहीं मिला। फिर चाची ने मुझे फ़ोन किया, बोली- क्या बात है जून की छुट्टियों में नहीं आना है ?
मैंने बोला- मेरा दिल नहीं कर रहा ! गर्मी बहुत है !
इसपर चाची ने बोला- आ जा ! तेरी गर्मी मैं दूर करुँगी !
मैं भी मैं समझ गया था कि चाची क्या बोल रही है। मेरा भी कुछ मूड बदल गया था और मैंने बोला- चलो, मैं, अपना कुछ काम है, ख़त्म करके आ रहा हूँ ४-५ दिन में !
मैंने शिमला से दिल्ली की बस पकड़ी और अगले दिन मैं सुबह दिल्ली पहुँचा। ३० मिनट में मैं चाचा के घर चला गया था। मैंने जाकर चाय पी और इसके बाद मैं फ्रेश होने चला गया। चाचा जी भी ड्यूटी पर चले गये थे, मेरी चाची, जैसे ही मैं नहाने लगा, तो बोली- एक मिनट बाथरूम का दरवाज़ा खोल !
मैंने खोला तो चाची ने बिना कुछ बोले मेरा लौड़ा सीधा हाथ में पकड़ कर अपने मुँह में डाला। थोड़ी देर चूसने के बाद बोली- मैं तेरे जाने के बाद बिल्कुल ही प्यासी हूँ, रात को कभी अपनी बुर में ऊँगली डालती हूँ, कभी कुछ ! पर तेरे लौड़े ने ऐसी चुदाई की थी कि कुछ होता ही नहीं था।
मैंने भी चाची की साड़ी खोली- मम्मे तो पूछो न कैसे बाहर आये- जैसे कैदी को सजा से मुक्ति मिल जाती है !
चाची मेरी इतनी गरम थी कि जैसे ही उसने मेरा लौड़ा चूस कर अपनी बुर में डाला, उसी समय झड़ गई। फिर मैंने भी कुछ देर बाद अपना वीर्य चाची की बुर में झाड़ दिया। इसके बाद मैं नहा धोकर फ्रेश हो गया। मैंने खाना खाया और रात की नींद की वजह से मैं २-३ घंटे सो गया।
इसके बाद मैं जैसे ही उठा, चाची बोली- मेरी टांग में दर्द हो रहा है ! मेरे बैग में खुर्मानी का तेल था। दर्द और औरत को गर्म करने के लिए बड़ा अच्छा होता है, मैंने बोला- चाची इस दर्द को मैं ठीक करता हूँ। मैंने तेल निकाला और मालिश की ! चाची को कुछ आराम मिला। इसके बाद चाची को बोला- चाची, आपकी कमर की भी मैं मालिश करता हूँ ! और भी आराम मिलेगा !
चाची ने उल्टी होकर अपनी कमीज़ ऊपर की तो मैंने मालिश करते करते चाची को पूरा गरम कर दिया। चाची अब पूरी नंगी थी, उसके स्तन ऐसे लग रहे जैसे उसमें से दूध आने वाला है। मैंने जैसे ही मम्मे चूसने शुरु किये, उतने में चाची की एक पड़ोसन बिना कुछ बोले सीधे ही चाची के घर में घुस आई और हम दोनों को देख कर दंग रह गई। मेरा लौड़ा भी पूरी टशन से खड़ा था।
उसने बोला- मैं तो आपका पता लेने आई थी ! और आप यह क्या कर रहे हो?
चाची का पूरा मूड था, चाची ने बिना कुछ सोचे समझे बोला- यह मुंडा पहाड़ दा- फुद्दी पाड़ दा ! इक वार मजा ले के देख !
उसकी उम्र मेरी चाची से कुछ कम थी, कोई २८-३० बरस की होगी, बोली- अगर आपने यह खेल खेलने थे गेट तो लॉक कर देना था।
वो भी तैयार हो गई, बोली- मैं कुंडी लगा कर आती हूँ !
मैं भी खुश था, बुढ्ढी चाची की गांड भी मारने को मिली, एक जवान औरत की चूत भी ! अब हम दो से तीन हो गये थे, उस औरत ने अपना कमीज उतारा, उसने काले रंग की ब्रा पहनी थी। मम्मे कोई ३६ साइज़ के थे। अब मेरे सामने दो औरतें नंगी थी। पड़ोसन ने मेरा लौड़ा चूसा, मैं उसके मम्मे चूसता हुआ अपनी चाची की भोसड़ी में उंगली कर रहा था। चाची कुछ ज्यादा उम्र की होने के कारण जल्दी झड़ गई। इसके बाद मैंने अपना लौड़ा पड़ोसन की चूत में डालना चाहा तो उसकी चूत में जा ही नहीं रहा था। मैं दो तीन धक्के दिए तो उसे दर्द होने लगा। कुछ टाइम बाद दर्द गायब हो गया और मज़े ले कर वो भी झड़ गई। मैंने अपना वीर्य अब उसकी चूत में डाल दिया। अब इसके बाद हम तीनों ढीले पड़ गये। इसके बाद जब तक मैं वहां पर रुका, मेरी चाची और उसकी पड़ोसन की जम कर बार बार चुदाई की। इतने मजे मैं जिन्दगी में कभी सोच भी नहीं सकता था।
अब देखो, दुबारा कब मौका मिलेगा ! तब तक मेरे पाठकों को मेरा नमस्कार।
उम्मीद है मेरे पाठको को यह मेरी सच्ची कहानी अच्छी लगी होगी।
मुझे मेल करना ! Antarvasna
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