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हाय, मेरा नाम नितेश है। मैं आपको एक सच्ची Antarvasna story पढ़ा रहा हूँ। मैं एक स्टुडेंट हूँ और अब मैं पटना (बिहार) में मेल एस्कोर्ट का काम भी कर रहा हूँ। मैं मेल एस्कोर्ट (प्ले ब्योय) कैसे बना वो मैं लिख रहा हूँ। एक बार मैं एक फ़्रेंड के रिसेप्शन में गया था। मेरा फ़्रेंड काफी पैसे वाला है तो उसके यहाँ गेस्ट भी पैसे वाले ही आये हुए थे। मैं मिडिल क्लास से सम्बंध रहता हूँ। मैं और मेरा फ़्रेंड एक ही कोलेज में पढ़ते हैं इस लिये मुझे भी रिसेप्शन में बुलाया था, मैं एक स्पोर्ट्स मैन भी हूँ तो मेरा शरीर एथेलेटिक टाइप का है। मैंने टाइट टी-शर्ट और जीन्स पहना हुआ था। उस पार्टी में एक औरत करीब २८ साल की शादी शुदा मुझे कभी कभी गौर से देख रही थी जब मेरी नज़र उन पर पड़ती तो वो मुस्कुराने लगती। मैं भी मुस्कुरा देता। पार्टी खत्म हुई तो मैंने अपने दोस्त को विश कर कहा “अब मैं चलता हूँ, काफी रात हो रही है” करीब १२:०० बज गये थे। मैं बाहर जाने लगा तभी वो औरत मुझे गेट पर इन्तज़ार करते हुए मिली। शायद मेरा ही इन्तज़ार कर रही थी। उसने मुझे हैलो कहा तो जवाब में मैंने भी हाय कहा।
मैं आगे बढ़ने लगा तो वो बोली “आप कहाँ जा रहे हैं?”
मैं “घर”
वो “आप किधर से जाइयेगा”
मैं “बोरिंग रोड हो कर”
वो “आप अकेले रहते हैं”
मैं “हाँ, मैं यहाँ पढ़ाई कर रहा हूँ, फ़ैमिली घर पर रहती है, मैं यहाँ रेंट पर रहता हूँ”
वो “मैं भी पाटलिपुत्र में रहती हूँ, मेरे पति बाहर गये हैं, अकेले घर जाने में डर लग रहा है, क्या मैं आप के साथ चलुं”
मैंने थोड़ी देर सोचा फिर कहा “ठीक है चलिये”
उसके घर पहुँचा तो बोली “मेरी शादी अभी ६ महीने पहले हुई है, मैं आज तक कभी अकेली घर पर नहीं रही, मेरे पति भी मीटिंग में बाहर गये हैं, अगर आपको बुरा न लगे तो क्या आप आज रात में यहाँ रह सकते हैं”
मैंने सोचा घर पर भी तो मैं अकेले सोउंगा, यहीं सो जाता हूँ, इन्हें डर भी नहीं लगेगा और सुबह मैं घर चला जाउंगा मेरा भी तो घर यहीं पर है। मैंने बोला “ठीक है” और हम दोनों घर में चले गये करीब १:०० बज चुके थे। उसने अपने पति का नाइट शोट मुझे दिया और खुद नाइटी पहन कर मेरे पास आ गयी। उसने कहा “मैं बगल वाले कमरे में जा कर सो जाती हूँ वैसे मैं आपके साथ ही सोना चाहती थी क्योंकि मुझे अकेले डर लगेगा”
मैंने कहा “ठीक है आप बेड पर सो जाइये मैं सोफे पर सो जाता हूँ”
वो “आप बुरा मत मानिये हम साथ सो सकते हैं। मैं “मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है”
और फिर हम दोनो एक ही बेड पर सो गये। करीब ३:०० बजे मुझे ऐसा महसूस हुआ कि उसका हाथ मेरे लंड पर है। मैंने आँखें खोली देखा वो सो रही है। तभी मेरी नज़र उसकी चूचियों पर गया। उसकी चूची आधी से ज्यादा बाहर थी। ये देख कर मेरा लंड तन गया। उसे शायद महसूस हो गया कि मेरा लंड टाइट हो गया है तो उसने मेरी तरफ़ करवट ली। ऐसा करने से उसकी चूची का निप्पल मुझे दिखने लगा। मैंने भी करवट ली तो महसूस हुआ उसकी साँसें तेज़ चल रही हैं। मैं समझ गया ये जागी हुई है और सेक्स चाहती है। मैंने अपना हाथ उसकी चूची पर रखा और धीरे २ दबाने लगा। उसने अपनी आँखें खोली और अपने लिप्स को मेरे लिप्स पर रख कर किस करने लगी। मैं भी उसकी चूची को जोर से दबने लगा। जब हम दोनो गरम हो गये तो एक दूसरे का कपड़े खोल दिये। हम दोनो बिल्कुल नंगे थे। उसके नग्न शरीर को मैं देखता ही रह गया, गोरा रंग, टाइट निप्पल, नारंगी के समान चूची, स्लिम, पावरोटी की तरह बुर, मक्खन जैसे लिप्स। मैं लिख नहीं सकता कि उस वक्त मेरी क्या हालत थी।
उसने मुझे अपनी बाहों में ले लिया और बोली “प्लीज़ फ़क मी हार्ड” । मैंने उसके दोनो पैरों को साइड करके उसकी बुर के पास मुँह ले गया और
उसकी बुर को चाटने लगा। उसके बाद उसने मेरे लंड को चूसा, फिर बोली “फ़क मी” और उसने बेड पर लेट कर अपने पैर मेरे कंधों पर रख दिये। मैं अपना लंड उसके बुर के पास ले जाकर बुर की फ़ाँकों के बीच में रगड़ने लगा, वो लम्बी २ साँसें लेने लगी और अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ कर बुर में घुसाने लगी, मैं समझ गया ये चुदवाना चाहती है। मैंने भी जोर से धक्का दिया और मेरा लंड उसकी बुर में आधा चला गया वो चीखी “प्लीज़ प्यार से चोदो”।
तब मैं दोनो हाथों से उसकी चूचियों को मसलने लगा और लिप्स किस करने लगा साथ में धीरे धीरे कमर भी हिला रहा था थोड़ी देर बाद उसने कहा “प्लीज़ फ़ास्ट चोदो” मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी। पूरे कमरे मे चुदाई की आवाज गूँज रही थी। थोड़ी देर बाद उसने कहा “प्लीज़ और तेज़ करो मैं झड़ने वाली हूँ” मैं ज़ोर २ से लंड से उसकी बुर चोदने लगा। थोड़ी देर बाद वो झड़ गई मेरा भी झड़ने वाला था और मैंने अपना सारा वीर्य उसकी मुँह में डाल दिया उसने
मेरा लंड चूस २ कर सारा वीर्य पी गयी। और मुस्कुराते हुए मेरे लिप्स पर किस किया तब तक सुबह हो चुकी थी। मैं अपने कपड़े पहनने लगा। वो नंगी ही थी। वो उठी और अलमारी से पर्स निकाल कर २५०० /- रुपये मुझे
दी, कहा “लो तुम्हारे वीर्य की कीमत” और लिप्स किस की। Antarvasna
What did you thin
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक Hindi Sex Stories हूँ। यहाँ कहानियाँ पढ़ने के बाद मुझे लगा कि मुझे भी अपनी यौन-क्रीड़ा के बारे में आपको बताना चाहिए, जिसे पढ़ते हुए लड़के मुठ मारने लगेंगे और लड़कियों, भाभियों और आन्टियों को लण्ड की प्यास लग जाएगी।
मेरा नाम सुरेश है, उम्र 23 साल, कद 5’9’खिलाड़ियों जैसी सुगठित काया, लण्ड का आकार 6′ है।
बात लगभग दो साल पहले की है, उस समय मैं एक मार्केटिंग कम्पनी में सम्मलित हुआ था जिसमें लोगों को जोड़ने का काम था और उस हिसाब से कमीशन मिलता था।
एक बार मैं अपने एक दूर के भाई को इस कम्पनी से जोड़ने के उद्देश्य से उनके यहाँ कुछ दिन रहने के लिए गया। भैया मध्य प्रदेश पुलिस में काम करते थे। उनकी उम्र 28 साल थी, दो साल पहले उनकी शादी हो चुकी थी पर उनकी शादी में मैं नहीं जा पाया था, इस कारण मैंने उनकी पत्नी को नहीं देखा था। ना ही भाभी ने मुझे देखा था।
जब मैंने भैया के घर की घण्टी बजाई तो एक 25 साल की औरत एक छोटे बच्चे को पकड़े दरवाज़ा खोला और कुछ पल तक तक वो मुझे और मैं उसे देखता रहा। उसे देख कर मेरा लण्ड 145 डिगरी की सलामी मारने लगा। मैंने उसे अपना परिचय दिया, मेरा नाम सुनते ही उसके चेहरे पर एक चमक आ गई और उसने मुझे अंदर आने को कहा और बोली- तुम्हारे भैया अभी थाने गए हैं शाम तक आएंगे तब तक तुम नहा वहा लो मैं खाना बना लेती हूँ।
नहाने के बाद मैं सोनू (भाभी का बच्चा) को खिलाने लगा, तभी वो रोने लगा। भाभी ने कहा- शायद इसको भूख लगी होगी! और मेरे सामने ही उसे अपने स्तन से दूध पिलाने लगी। मैं चोर नज़र से उनके बड़े बड़े स्तनों को देख रहा था और मेरा लण्ड खडा होने लगा। मैं वहाँ से उठा और बाथरूम में जाकर मूठ मारने लगा।
शाम को भैया थाने से आये और हम सबने साथ खाना खाया। खाने के बाद मैं भैया भाभी को कंपनी के बारे में बताने लगा। भैया मेरे बगल में और भाभी मेरे सामने थोड़ा झुक कर बैठी थी जिस कारण उनके स्तन मुझे दिख रहे थे। मैंने गौर किया कि भैया से ज्यादा भाभी मेरी बातों में रूचि ले रही थी।
एक बात भाभी को थोड़े समझ में नहीं आई और उन्होंने मेरी तरफ झुककर अपना शक पूछा, झुकने के कारण मुझे उनके स्तनों के निप्पल भी दिखने लगे थे। एक पल के लिए मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया पर जल्दी ही मैंने अपने को सम्भाल लिया और जैसे तैसे अपनी बात को पूरा किया। भाभी को मेरा प्रजेंटेशन अच्छा लगा और वो जुड़ने के लिए तैयार हो गई।
रात हो चुकी थी, मेरे सोने के लिए दूसरे कमरे में भैया ने पलंग लगा दिया था। मैं जाकर लेट गया और भैया भाभी अपने बेडरूम में सोने चले गए।पर मुझे नींद कहाँ आने वाली थी, मेरी नींद तो भाभी के बूब्स ने उड़ा दी थी। एक दो घंटे तो ऐसे ही बीत गए।
तभी अंदर के कमरे से भाभी की सिस्कारियाँ आने लगी। वो आह ऊ आह की आवाज़ कर रही थी।
अंदर का माज़रा समझते मुझे देर ना लगी। मैं धीरे से उठा और दबे पांव उनके बेडरूम तक चला गया। उनके कमरे में नाइट बल्ब जल रहा था, जिस कारण कमरे का सारा नज़ारा साफ साफ दिख रहा था।
भैया नीचे लटे थे और भाभी उनके ऊपर थी और आ आ अ आ अह ह हा आ आह हा सिस्कारियाँ भर रही थी। भैया बोले- धीरे चिल्ला! वरना नन्द सुन लेगा!
भाभी बोली- वो मादरचोद तो सपने में अपनी गर्लफ्रेंड को चोद रहा होगा!
भैया भाभी को खाट-कबड्डी खेलते देख मैं वहीं मुठ मारने लगा। तभी मैंने देखा- भैया भाभी को गोद में उठा कर चोद रहे हैं और भाभी का चेहरा दरवाज़े की तरफ ही था, पर उन्होंने मुझे देखा नहीं था। भाभी और जोर जोर से आवाज़ करने लगी। मैं भी जोर जोर से मुठ मारने लगा। उधर भैया भाभी शांत हुए इधर मैं।
फिर मैं चुपचाप अपने कमरे में आकर सो गया। सुबह भाभी ने आकर मुझे उठाया। जैसे ही मैंने अपना चादर उठाया, भाभी हलके से मुस्कुराने लगी और अपनी ऊँगली से मेरे लोअर की तरफ इशारा किया। जब मैंने नीचे देखा तो लोअर में मेरे वीर्य के निशान पड़े थे।
भाभी ने कहा- जल्दी से उतार कर मुझे दे दो, मैं धो दूंगी, अभी तुम्हारे भैया बाहर गए हैं।
मैंने तुंरत अपना लोअर उतार दिया पर मेरी सफेद फ़्रेन्ची अंडरवीयर की हालत तो और ख़राब थी, उसका रंग पूरा क्रीम कलर का हो गया था। भाभी बोली- इसे नहाने के बाद तुम मत धोना, मैं धो दूंगी!
ठीक है, मैंने कहा और अपना दूसरा लोअर पहन लिया। थोड़ी देर में भैया भी आ गए और नहा धो कर, खाना खाकर थाने चले गए। पूरे दिन भाभी और मैं बातें करते रहे।
तभी भाभी बोली- मैं रसोई से चाय बना कर लाती हूँ। और उठ कर रसोई की ओर जाने लगी, तभी भाभी का पैर लचक गया और वो वहीं गिर पड़ी। उन्होंने उठने की कोशिश की पर उनसे उठा भी नहीं जा रहा था। फ़िर मैंने उन्हें उठाया, उनका एक हाथ अपना कंधे पर रखा और दूसरा हाथ उनकी कमर के थोड़ा ऊपर उनके स्तनों के एकदम नीचे और उन्हें बेडरूम में ले जाकर बेड पर बिठा दिया भाभी से पूछ कर आयोडेक्स लिया और उनकी साड़ी को घुटने के ऊपर करके आयोडेक्स लगा दिया।
उतने में भाभी ने अपने दोनों पैरों को थोड़ा सा और खोल दिया। नीचे बैठे होने के कारण मुझे उनकी लाल चड्डी साफ साफ दिखने लगी। मेरा ध्यान मोच से हट गया और आयोडेक्स लगाते लगाते मेरा हाथ भाभी की जांघ तक पहुँच गया। तभी भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर सीधे अपनी चूत पर रख दिया, एक पल के लिए मैं हक्का बक्का रह गया।
तभी दरवाज़े की घंटी बजी, मैं तुंरत उठ कर दरवाज़ा खोलने के लिए गया। दरवाज़ा खोला तो सामने भैया थे। जैसे ही उनको भाभी की मोच के बारे में बताने वाला था तभी भाभी अंदर से चल के आ गई। मैं तभी भाभी की नीयत भांप गया कि भाभी के क्या इरादे हैं।
तभी भैया ने भाभी से कहा कि आज रात को मुझे गश्त पर जाना है, जल्दी खाना बना देना, मैं खा कर जाऊँगा।
इतना सुनते ही भाभी और मेरे चेहरे पर एक चमक आ गई और हमारी नज़र एक दूसरे से टकरा गई। रात की योजना बन गई। रात को खाना खा कर मैं भैया को उनके थाने तक बाईक पर छोड़ने गया और लौटते समय मेडीकल की दुकान से कामसूत्र कंडम के 2 पैकेट खरीद के ले आया।
जैसे ही मैंने दरवाज़ा खटखटाया, भाभी ने दरवाज़ा खोला। मैंने देखा कि भाभी काले रंग की पारदर्शी साड़ी पहने हुए थी। अन्दर आते ही गेट बन्द करके मैं भाभी पर अन्तर्वासना के भूखे शेर की तरह झपट पड़ा और भाभी की नाभि को बेतहाशा चूमने लगा।
भाभी बोली- इतनी भी क्या बेसब्री! अब तो पूरी रात हमारी है देवर जी!
मैंने कहा- आप तो रोज़ भैया से चुदवाती होंगी! मैं तो पहली बार किसी औरत को चूम रहा हूँ!
यह कहते हुए मैं भाभी के लाल होंठों को चूमने लगा और भाभी की गाण्ड पर हाथ डाल कर उठा लिया। भाभी ने अपने दोनों पैर मेरी कमर पर लपेट दिए अब भाभी का पूरा वजन मेरे ऊपर था।
भाभी बोली- अब चूमते चूमते बेडरूम तक मुझे ले चलो।
मैंने वही किया। चूमते चूमते भाभी को बेड पर लेटाया और एक हाथ भाभी के सर पर रखा और एक हाथ से भाभी के स्तन ऊपर से दबाने लगा भाभी का हाथ मेरे पैंट के ऊपर से मेरे लण्ड को दबा रहा था। मैंने भाभी के ब्लाउज को खोल दिया और ब्रा के ऊपर से स्तनों को दबाने लगा, दबाते चूमते हुए मैंने भाभी की साड़ी खोल दी, फिर भाभी के पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया और पेटीकोट को उतार दिया। अब भाभी मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी। मैं भी अपने कपड़े उतारने लगा।
तभी भाभी बोली- मेरे कपड़े तुमने उतारे थे अब मैं तुम्हारे कपड़े उतारूंगी।
भाभी ने पहले मेरी टी-शर्ट उतारी और मेरी छाती को चूमने लगी। फिर मेरी जींस का बटन खोला और एक झटके से जींस के साथ मेरा अंडरवियर भी उतार दिया। मेरा 6’इंच का खड़ा लण्ड देख कर भाभी चौंक गई और बोली आज रात इससे चुद कर मेरी चूत का आज चबोतरा बना देना और मेरे लण्ड को पकड़ कर जैसे ही पीछे किया मेरा लण्ड का लाल सुपाड़ा बाहर आ गया।
अपने लण्ड का ऐसा रूप आज तक मैंने भी नहीं देखा था और मेरे लण्ड को मुंह में लेकर लोलीपोप की तरह चूसने लगी। मेरा बुरा हाल हो रहा था। मैंने अपना सारा माल भाभी के मुंह में छोड़ दिया, भाभी ने सारा माल पी लिया। अब मैं भाभी की चूत चाटने लगा, चूत में एक गुलाबी रंग का दाना था, भाभी बोली कि इसे चाटो!
भाभी सिसकारियाँ भरने लगी। कभी अऽऽआऽ अऽऽअ तो कभी ओऽऽऊऽऽ ऊहऽहहऽह करती। थोड़ी देर में उसका शरीर अकड़ने लगा और एक झटके से उसने अपना सारा माल मेरे मुंह में छोड़ दिया। मैं भी सारा माल पी गया।
भाभी बोली- अब में बर्दाश्त नहीं कर सकती! अपने लण्ड से मेरी चूत की प्यास बुझा दो!
‘अभी लो! प्यारी भाभी तुम्हारी चूत की आग को मेरा लण्ड शांत कर देगा!’
मैंने अपने लण्ड को पकड़ा और भाभी की चूत पर थपथपाने लगा।
भाभी बोली- ऐसे मत तड़पाओ अपना लण्ड मेरी प्यासी चूत में डाल दो!
सबसे पहले मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा एक हल्के से झटके से भाभी की चूत में डाल दिया।
भाभी कराहने लगी- आह ओ ओ ऊ ओऊ ओ ऊह ह हह!
दूसरे झटके में पूरा लण्ड ही चूत की गहराई नाप रहा था और भाभी जोर जोर से सिसकियाँ लेने लगी- हाँ देवरजी! मेरी चूत को ऐसे ही रौंदो! इसको आज ज़न्नत का मज़ा दो!
मैंने लण्ड को चूत में डाले डाले ही भाभी को उठा लिया और सोफे पर ले गया और भाभी को अपने ऊपर बिठा लिया। अब भाभी मुझे चोद रही थी। इस हालत में मैं भाभी के होंठ और बूब्स को भी चूस रहा था। 20 मिनट तक इस पोजीशन में चोदने के बाद मैंने भाभी को कुतिया की तरह खड़ा करके भी चोदा। कुछ देर बाद भाभी का शरीर अकड़ने लगा, मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली हैं।
तभी मेरे लण्ड ने भाभी का बांध तोड़ दिया और वो झड़ गई, पर मेरी मंजिल अभी दूर थी। मैंने चुदाई चालू रखी और 30 मिनट बाद मैं भी झड़ गया। तब तक भाभी तीन बार झड़ चुकी थी और उस रात भर हमने 6 बार सेक्स किया। फिर सुबह 5:30 पर मैं अपने कमरे में जाकर सो गया।
दोपहर 10 बजे भाभी ने आकर मुझे जगाया। आज उनके चेहरे पर एक अलग ही चमक थी। मैं वहाँ 5 दिन रहा और भाभी और मुझे जब मौका मिला, हमने ज़िन्दगी के मज़े लिए! Hindi Sex Stories
मैं अन्तर्वासना की एक Hindi Sex Stories नियमित पाठक हूँ। मैंने एक बात पर ध्यान दिया कि यहाँ तांत्रिक की कोई कहानी नहीं है जबकि तांत्रिकों को लेकर कई मनघड़न्त कहानियाँ हैं हमारे देश में।
यह कहानी है आज से पाँच सौ साल पहले के भारतवर्ष की। उस ज़माने में इस देश में तांत्रिकों और औझाओं का बड़ा दबदबा था। बड़े बड़े राजा-महाराजा किसी न किसी तांत्रिक की शिष्य थे। ऐसे ही एक राजा थे महाराजा प्रताप सिंह !
वे विलासपुर के महाराजा थे। यह कहानी उनकी बेटी राजकुमारी सुजाता की है। राजकुमारी सुजाता सर्वगुण-सम्पन्ना थी। वो सुन्दर, सुशील, शांत और सब कलाओं में निपुण थी। उसका कद 5 फीट 2 इंच, रंग सांवला, घट की तरह वक्ष और ढोल की तरह नितम्ब थे। इतनी भारी भरकम नितम्ब लेकर वो ज्यादा तेज़ नहीं चल पाती थी, बिलकुल राजहंस की तरह वो चलती थी। जब गाना गाती थी तो ऐसा लगता था जैसे सारी कायनात (दुनिया) गूंज उठी हो।
राजकुमारी सुजाता जब उन्नीस साल की हो गई तब महाराजा प्रताप सिंह ने उसके स्वयम्बर का प्रबंध किया।
उनके तांत्रिक गुरुदेव बाबा गोरबनाथजी उन्हें सलाह दी कि स्वयम्बर के एक सप्ताह पहले वे सुजाता को गोरबनाथजी के पास भेजें। राजा उन पर पूर्ण विश्वास करते थे। राजा ने सुजाता को भेजने का प्रबंध किया।
उस रात बहुत बारिश हो रही थी। सुजाता अकेली एक घोड़े पर सवार हो कर गोरबनाथजी के आश्रम आई। आश्रम में बाबा के भक्तों ने सुजाता को एक कुटिया में बिठाया और एक लड़की आकर सुजाता के पैर धोने लगी। उस लड़की नाम अंजना था। कुछ ही देर में दोनों में दोस्ती हो गई।
सुजाता(सु): मुझे क्या करना है यहाँ?
अंजना(अ): तुमको पता नहीं? तुम्हें किसी ने नहीं बताया?
सु: नहीं !
अ: तुम्हें इस पवित्र गंगा-जल से नहाना पड़ेगा, तब तुम शुद्ध होगी।
सु: उसके बाद?
अ: तुम नग्न अवस्था में बाबा के पास जाओगी, तब बाबा तुम्हें नीवी पहनायेंगे।
सु: नग्न होकर? नहीं बाबा, मुझसे यह काम नहीं होगा।
अ: तो फिर तुम कभी भी माँ नहीं बन पाओगी ! बाबा की सेवा करनी होगी तुम्हें आज रात को ! तब बाबा तुम्हें आर्शीवाद देंगे, तब तुम माँ बनोगी।
सु: अच्छा, ठीक है ! सेवा करूंगी !
अ: यह हुई न बात ! जाओ उस पवित्र गंगाजल से नहा कर आओ !
यह कहकर अंजना सुजाता को एक जलप्रपात के पास ले आई, सुजाता के सारे कपड़े उतार दिए और उसे नहलाना शुरू किया।. उन दोनों में से किसी को नहीं पता चला कि और भी कोई है जो इस स्नान-दृश्य को बड़े गौर से देख रहा है।
नहाने के बाद सुजाता नग्न अवस्था में जब बाबा गोरबनाथ के पास पहुँची तो बाबा की आँखें फटी की फटी रह गई। इतनी सुन्दर नारी बाबाजी ने पहले कभी नहीं देखी थी। मन ही मन वे सुजाता के यौवन की तारीफ़ कर रहे थे।
उसका उन्नत वक्ष-स्थल, मदमस्त कर देने वाले पृष्ट-उभार देखकर ही बाबाजी गरम होने लगे। उन्होंने तय किया कि आज इस नारी की मस्त जवानी का रस खूब पियूँगा।
अंजना नीवी लाई। बाबाजी काम्पते हुए हाथ से उस सुंदरी सुजाता को नीवी पहनाने लगे। सुजाता मुस्कुराई।
पहली बार किसी मर्द की हाथ का स्पर्श पाकर सुजाता एक अजीब सी आनंद में खो गई। ऐसा क्या जादू था उस स्पर्श में ! बाबा का जादूभरा स्पर्श पाकर सुजाता खिल उठी। बाबाजी उसके मन की बात को समझ कर मुस्कुराए- आ जाओ जान आज की मदमस्त रात तुम्हारी इस मदमस्त जवानी के नाम !
बाबा गोरबनाथ बड़े सिद्ध पुरुष थे। उनके पास कई सिद्धियाँ थी। उनमें से एक है वशीकरण ! वो किसी भी प्राणी चाहे वो इंसान हो या जानवर, किसी को भी अपने वश में कर सकते थे। दरअसल बात यह थी कि बाबाजी ने महाराजा प्रताप सिंह को अपने वश में किया हुआ था। वे स्पर्श से, आँख से और बातों से भी वशीकरण कर सकते थे। सुजाता को उन्होंने अपने स्पर्श से वशीभूत किया। अंजना अब सुजाता को लेकर एक पास वाली कुटिया में गई।
उस कुटिया में गुलाब की महक थी, एक चारपाई थी, उस चारपाई पर एक थाली थी, थाली में एक गिलास था जिसमें शरबत था। अंजना के कहने पर सुजाता ने वो शरबत पी लिया और धीरे धीरे उसे एक अजीब सा नशा छाने लगा। दरअसल वो एक खास किस्म का नशीला शरबत था, उसे जो पीता उसे ही नशा हो जाता। आज से ५ साल पहले बाबाजी ने इसी शरबत को पिलाकर राजा को वश किया। आज राजकुमारी सुजाता की बारी है।
आधी सोई आधी जगी सुजाता को अंजना बाबा की यज्ञ भूमि पर लाई। बाबा ने उसके सर पर हाथ रखके एक मंत्र का उच्चारण किया और सुजाता जाग गई। उसे सब कुछ अच्छा लगने लगा। आज तक जो कुछ उसे बुरा लगता था वो भी अच्छा लगने लगा। उसने बाबा गोरबनाथ को कामुक नजर से देखा और अपने आप ही घुटनों के बल बाबाजी के सामने बैठ गई और धोती से उनका लण्ड निकालकर देखने लगी। बाबा गोरबनाथ की उम्र पैन्तालीस साल थी पर लुंड दस इन्च का था। सुजाता ने जिंदगी में पहली बार इतना मोटा और लम्बा लण्ड देखा पर उसे डर नहीं लगा। ऐसा ही असर था बाबाजी के मंत्र का ! सुजाता पूरी तरह से उनके वश में थी, वो अपने होश खो चुकी थी।
वो बाबाजी का मोटा लण्ड मुंह में लेकर चूसने लगी। बाबाजी तो तब सातवें आसमान पर थे। जब उन्हें लगा कि अब वो झड़ने वाले हैं तो उन्होंने कहा- अच्छा राजकुमारी जी, अब चूसना बंद कीजिये। आपने मेरी कामेच्छा को जगाकर मुझ पर बहुत दया दिखाई है, अब इस बालक को आपकी सेवा करने का अवसर दीजिये। अब कृपया विपरीत आसन में लेट जाईये इस बालक के ऊपर !
सुजाता ने मुस्कुराकर कहा- ठीक है बालक ! चलो लेट जाओ !
बाबाजी लेट गए अपनी चारपाई पर ! उसके ऊपर 69 पोज़िशन में सुजाता लेट गई। बाबाजी सुजाता की चूत को चाट रहे थे, चूस रहे थे। सुजाता आनंद में झूम रही थी और ऊहऽऽ आह कर रही थी और बाबाजी का मोटा लण्ड चूस रही थी। बाबाजी भी चिल्ला रहे थे- आह क्या बात है, आह ऊ आअ हह आह !
इतने में सुजाता दो बार झड़ी। कोई साधारण लड़की होती तो निढाल पड़ जाती पर बाबाजी के मंत्र के जोर से उसकी ताक़त और कामेच्छा बिल्कुल कम नहीं हुई।
अब बाबाजी भी इतना चूसने के बाबजूद झड़नेवाले नहीं थे, उनकी अजीब शक्ति थी। ये जो वो सुजाता के साथ कर रहे हैं इसे भैरभी साधना कहते हैं। इसमें नारी होती है देवी माँ जो अपने भक्त की कामना पूरी करती है, भक्त उन्हें जिस रूप में चाहे पूजा कर सकता है। यहाँ बाबा गोरबनाथ उन्हें कामदेवी के रूप में पूज रहे हैं।
बाबाजी ने अब कहा- हे माते, अब आप पद्मासन में अपने बालक की काम-इच्छा पूरी कीजिये, मेरा लिंग धारण करके मेरी वासना पूरी कीजिये !
सुजाता ने कहा- जैसी तेरी इच्छा बालक ! आज मैं तेरी हर मनोकामना पूरी करूंगी, अपने बालक की हर मनोकामना उसकी माँ ही पूरी करती है ! चल तैयार हो जा !
बाबाजी ने पद्मासन में बैठ गए और सुजाता उनके ऊपर आसन जमा कर बैठ गई. सुजाता की योनि ने बाबाजी के लण्ड को आसानी से ले लिया। कमाल का मान्त्रिक है बाबा गोरबनाथ।
पद्मासन में एक दूसरे को धक्के लगाते- लगाते दोनों ही सिसकारियाँ भर रहे थे। सुजाता को बहुत आनंद आ रहा था, वो चिल्ला रही थी- आ आ अह ऊ ओहऽऽ !
तभी अचानक बाहर उल्लू ने आवाज लगाई। बाबाजी को पता चल गया कि क्रिया का अंतिम चरण आ गया है, उन्होंने उसी हालत में सुजाता के कान में एक और मंत्र पढ़ दिया और सुजाता पर से पहले के मंत्र का असर ख़त्म हो गया।
सुजाता आखरी बार चीखी- ऊ ऊओह्ह्ह्ह ! ई ऊऊ मा आऽऽ !
कहते कहते वो जोर से झड़ने लगी। उस समय बाबाजी ने धक्के मारना बंद किया और एक पात्र में सुजाता का योनि-रस भरने लगे। पात्र पूरा भर चुका था। तभी सुजाता ने बाबाजी के लण्ड पकड़ कर दो बार मुठ मारी और बाबा ने भी अपना माल उसी पात्र में गिरा दिया। बहुत ही गाढ़ा और गर्म था बाबाजी का रस।
अब दोनों निढाल पड़ गए और एक दूसरे की बाहों में सो गए।
कुछ देर बाद जब बाबाजी उठे, उन्होंने सुजाता को उठाया और कहा- अब यह पवित्र शर्बत पी लो !
शर्बत और कुछ नहीं दोनों का मिलाजुला रस जो बाबा ने उस पात्र में भरा था। सुजाता ने वो पी लिया और फिर बाबा ने कहा- जाओ बेटी ! महल लौट जाओ ! अब तुम सुखी और सौभाग्यवती होगी। मेरा आर्शीवाद तुम्हारे साथ है !
सुजाता घोड़े पर सवार हो कर महल लौट रही थी, अब वो एक नई सुजाता थी- काम-क्रीड़ा में निपुण !
बाबा के मंत्र ने उसे हमेशा के लिए बदल दिया।
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मम्मी की भड़कते जिस्म को देख मेरा मन उत्तेजित हो हरेक रात उनकी दमदार चुदाई के सपने देखने लगा हालांकि उससे दोगुना मजा उनकी असल चुदाई करके मैंने महसूस किया।
मम्मी की दमदार चुदाई की कल्पना
हैलो दोस्तो, मेरा नाम मनोज है और मैं स्लिम मिड हाईट 5’8″ का और वजन करीब 54-55 किलो है। मैं 26 साल का हूँ, इन दिनों मैं देहरादून में रहता हूँ।
आज मैं आपको मेरे और मेरे मम्मी के सेक्स की कहानी सुनाता हूँ। यह बात आज से करीब 6-7 साल पहले की है जब मेरी उम्र 20 साल की थी और मेरी मम्मी 32 की थीं।
मेरी जवानी शुरु हुई थी और उनकी जवानी के शोले भड़कते थे। मेरी मम्मी बहुत सेक्सी और सुन्दर है। शी हेज गोट ए ब्यूटीफुल बॉडी शेप 36-28-36! शी हेज गॉड मेड बूब्स एज वेल एज बटक्स!
उनका सुडौल गोरा बदन बहुत हसीन है। वैसे वो मेरी रियल मम्मी नहीं हैं वह मेरे डैड की सेक्रेटरी थी, बाद में पापा ने माता जी के कोंन्सेंट से उससे अनओफियसली शादी कर ली।
मैं पहले उनको संध्या आंटी कहता था, पर अब मम्मी ही कहता हूँ।
मैं मम्मी को जब भी देखता तो मुझे उनका सेक्सी फिगर देखकर मन मे गुदगुदी होती थी।
मैंने उनको एक दो बार डैड के ऑफिस में आधा नंगा (जैसे जब वह स्कर्ट पहनती थी तो उनकी थाईज बड़ी जबरदस्त होती थी तब वह मेरे पापा की सेक्रेटरी थी।
एक दो बार मैंने मम्मी को डैड के ऑफिस के प्राइवेट रूम में जो चेंजिंग रूम कम रेस्ट रूम था। मैं छुप कर कपड़े चेंज करते भी देखा था, और मैं उनके चूचे और चड्डी के नीचे के एरिया को छोड़कर पूरा नंगा देख चुका था।
मम्मी की बॉडी एकदम संगमरमर की तरह चिकनी थी। उनकी जांघें ऐसी लगती थी जैसे दो केले का जोड़ा हो। उनके होंठ एकदम गुलाब की पंखुड़ियों की तरह थे और गाल एकदम कश्मीरी सेब जैसे पिंक।
मम्मी एकदम टाईट फिटिंग के कपड़े पहनती थी और मैं उनको बहुत नज़दीक से देखकर अपनी आँखों को सुकुन दिया करता था।
मतलब जब से मेरा लण्ड खड़ा होना शुरू हुआ वो बस संध्या (मम्मी) को ही तलाशता और सोचता था। मैं उनकी बॉडी को देखकर अपने मन और आँखों की प्यास बुझाया करता था।
लेकिन पहले जब तक वह संध्या आंटी थी मुझे उनसे नफरत थी और मैं सोचता था कि एक दिन इनको तसल्ली से चोदकर अपनी भड़ास निकालूँगा।
पर बाद में उनके लिए मेरे पापा के प्यार ने और उनके अच्छे व्यवहार ने मुझे चेंज कर दिया।
अब वो हमारे घर पर फर्स्ट फ्लोर में रहती थी। डैड और उनका बेडरूम फर्स्ट फ्लोर पर था और हुम लोग ग्राउंड फ्लोर पर रहते हैं।
डैड संध्या(मम्मी) के साथ फर्स्ट फ्लोर पर ही सोते हैं बेड रूम के साथ ही एक और रूम है जो एज ए कॉमन रूम यूज़ होता है। धीरे धीरे मैं मम्मी के और करीब आने लगा।
वह शायद मेरा इरादा नहीं समझ पा रही थीं। वह मुझको वही बच्चा समझती थी पर अब मैं जवान हो गया था।
जैसे ही मैंने कॉलेज में एडमिशन लिया तो डैड ने ऑफिस का वर्क भी मुझको सिखाना शुरू कर दिया और मैं भी फ्री टाइम में रेगुलरली ऑफिस का काम देखने लगा।
मोस्टली मैं एसोसिएट्स का काम देखता हूँ क्योंकि मैं समवेयर स्टूडेंट था।
कॉलेज में भी मुझे कोई भी लड़की मम्मी से ज्यादा सेक्सी नहीं लगती थी।
अब मझे जब मौका मिले मोन्स को टच करके, जैसे उनकी जाँघों पर हाथ फ़ेर के, उनके चूतड़ पर रब करके या कभी जानबुझकर उनके बूब्स छु लिया करता।
मम्मी पता नहीं जानबूझकर या अनजाने में अनदेखा कर देती थी, या वह मेरा उद्देश्य नहीं समझ पाती थी।
कभी डैड रात को मुझे अपने बेड रूम में बुलाते थे और ऑफिस के बारे में मम्मी और मेरे साथ डिसकस करते। क्योंकि मम्मी अक्सर नाईट गाऊन में होती थी और मैं पूरी तसल्ली से उनके बदन का मुआयना करता था।
उनके बूब्स बिल्कुल पके हुए आम जैसे मुझे बड़ा ललचाते थे, कई बार मम्मी को भी मेरा इरादा पता चल जता था पर वो कुछ नहीं कहती थी।
अब तो मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी और मैंने मम्मी की चुदाई का पक्का इरादा कर लिया और मौके की तलाश करने लगा।
एक दिन जब डैड ने मुझे फर्स्ट फ्लोर पर रात को 11 बजे बुलाया तो मैं ऊपर गया तो डैड ने बताया कि उनको रात 1 बजे की फ्लाइट से 1 सप्ताह के लिये अर्जेंट बाहर जाना है और वो मुझे और मम्मी (संध्या) को जरूरी बातें ब्रीफ करने लगे।
मम्मी थोड़ा घबरा रही थीं तो डैड ने कहा- सैंडी डार्लिंग, यू डोंट वरी! तुम और मनोज सब सम्भाल लोगे, मनोज तुम्हारी मदद करेगा। कोई प्रॉब्लम हो तो, मुझे कॉल करना! वैसे यू विल मैनेज, देयर विल बी नो प्रॉब्लम!
मम्मी और पापा का फोरप्ले
उसके बाद डैड ने मुझसे कहा- सैंडी थोड़ी नर्वस है, तुम जरा बाहर जाओ मैं उसको समझाता हूँ।
मैं बाहर आ गया तो डैड ने अन्दर से दरवाजा बन्द कर दिया, लेकिन मुझको शक हुआ कि डैड मेरी अनुपस्थिति में संध्या(मम्मी) को क्या समझाते हैं?
मैं की-होल से चुपके से देखने लगा। लोजिकली डोर पर कर्टेन नहीं चढ़ा था और लाईट भी जल रही थी। लेकिन मैंने जो देखा तो मैं स्तब्ध रह गया।
डैड मम्मी को बाहों में लेकर किश कर रहे थे और मम्मी क्राई कर रही थी। फिर डैड ने मम्मी के होंठ अपने होंठों पर लेकर डीप किश लिया तो मम्मी भी जवाब देने लगी। फिर डैड ने मम्मी का गाऊन पीछे से खोल दिया और पीठ पर रब करने लगे।
मम्मी और डैड अभी भी एक दुसरे को किश कर रहे थे और दोनों लम्बी सांसें ले रहे थे कि मैं सुन सकता था। फिर डैड ने मम्मी का गाऊन पीछे से उठाया और उनकी चड्डी भी नीचे करके मम्मी के चूतड़ पर रब करने लगे।
मम्मी के चूतड़ के दर्शन
मम्मी की पीठ दरवाजे के तरफ थी जिस कारण मुझे मम्मी की गांड और चूतड़ के दर्शन पहली बार करने का मौका मिला।
मम्मी के चूतड़ एकदम संगमरमर से मुलायम और चिकने नजर आ रहे थे। मम्मी क्राई भी कर रही थीं और मस्ती में लम्बी सांसें भी ले रही थीं।
फिर अचानक डैड ने मम्मी का गाऊन आगे से ऊपर किया और उनकी चूत पर उंगलियाँ फिराने लगे पर मैं कुछ देख नहीं पाया क्योंकि वो दूसरी साइड थीं।
फिर डैड दूसरी तरफ़ पलटे तो मम्मी की चूत वाली साइड मेरे तरफ़ हो गई और अब मैं मम्मी की चूत थोड़ी बहुत देख सकता था।
पर डोर से कुछ नज़र साफ नहीं आ रहा था। मम्मी की चूत का मैं अन्दाज लगा सकता था क्योंकि डैड वहाँ पर उंगलियाँ फिरा रहे थे और मम्मी के खड़े होने के कारण चूत पूरी नजर नहीं आ रही थी।
वो बस एक छोटी लाइन से दिख रही थी जहाँ डैड उंगली फिरा रहे थे। उसके बाद डैड नीचे झुके और मम्मी की चूत पर अपने होंठ रख दिए।
यह मुझे साफ़ नहीं दिख रहा था पर मैं गेस कर सकता था कि मम्मी अब जोर जोर से सिसकारियाँ लेकर मजे ले रही थी और डैड भी मस्ती में थे।
लेकिन अचानक जाने क्या हुआ कि डैड रुक गए और उन्होंने मम्मी को छोड़ दिया और मम्मी को लिप्स पर किश करते हुए बोले- डार्लिंग आई ऍम सॉरी! आई कांट गो बियॉन्ड लेट आई कम बिकॉज़? मनोज इज आल्सो आउट, एंड आई ऍम गेटिंग लेट आई ऍम वैरी सॉरी!
मम्मी भी तब तक शांत हो चुकी थी पर वो असन्तुष्ट लग रही थी। वो सामान्य होते हुए बोली, इट्स ओके!
और उन्होंने अपना गाऊन ठीक किया।
उसके बाद डैड ने मुझको आवाज़ लगाते हुए कहा- मनोज, आर यू देयर बेटा?
मैं चौकन्ना हो गया और अपने को नार्मल करने लगा क्योंकि मेरा लण्ड एकदम खंभे के माफिक खड़ा हो गया था और मेरी धड़कन भी नार्मल नहीं थी। लेकिन जब तक डैड डोर खोलते मैं नार्मल हो गया था।
फिर डैड ने दरवाजा खोला और बोले- ड्राईवर को बुलाओ और मेरे सामान गाड़ी में रखो। रात काफी हो गई है, यू डोंट नीड टू कम एयरपोर्ट आई विल मेनेज एंड प्लीज! सी द ऑफिस एंड फोर वन वीक टेक लीव फ्रॉम द कॉलेज एंड असिस्ट सैंडी।
मैं और मम्मी डैड को ड्रॉप करने जाना चाहते थे पर डैड ने स्ट्रिक्टली मना कर दिया। डैड को हमने गुड बाय कहा और डैड ने हुमको बेस्ट ऑफ़ लक कहते हुए किश किया।
जब डैड चले गए तो मम्मी ने मुझसे कहा- मनोज आज तुम ऊपर वाले कमरे में ही सो जाओ मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा है।
मैं तो ऐसे मौके की तलाश में ही था। मैं एकदम से थोड़ा झिझकने का नाटक करते हुए हाँ! कह दिया।
मम्मी और मैं फर्स्ट फ्लोर पर आ गए और मम्मी बेडरूम में चली गई उनहोने मुझे पुछा कि, आर यू कोम्फरटेबल ना?
मैंने कहा, यस!
वो बोली- एक्टचुअली आई ऍम नॉट फीलिंग वेल इसलिए तुमको परेशान किया!
मैंने कहा, इट्स ओके! मम्मी, फिर मम्मी अन्दर चली गई और मैं बाहर कॉमन रूम में लाइट ऑफ करके सो गया।
मम्मी थोड़ा घबरा रही थी, इसलिए उनहोने दरवाजा बन्द तो किया पर लॉक नहीं किया और नाईट लैंप ऑफ नहीं किया।
अब मेरे को तो नींद कहाँ आनी थी?, मैं तो मम्मी के साथ सपनो की दुनिया सजा रहा था और मेरी नज़र मम्मी की एक्टिविटीज पर थी।
करीब आधे घंटे बाद मम्मी मेरे कमरे में आई और जैसे ही उन्होंने लाइट ओन की तो देखा कि, मैं भी लेटा हुआ जग रहा हूँ।
मम्मी बोली- राजु लगता है, तुमको भी नींद नहीं आ रही है, 2:00 बज गए हैं!
तुम भी शायद, अपने डैड के बारे में और कल ऑफिस के बारे में सोच रहा हो।
मैंने कहा- बात तो आप ठीक कर रही हैं, पर पता नहीं क्यों? मुझे ऐसी कोई चिंता नहीं है, पर नींद नहीं आ रही है! आप सो जाओ, मैं भी सो जाता हूँ थोड़ी देर में नींद आ जाएगी।
मम्मी बोली- ओके! राजु पर मैं थोड़ा कम्फ़र्टेबल नहीं फील कर रही हूँ।
तुम सो जाओ, मैं लाइट ऑफ कर देती हूँ।
तब मैं मम्मी से कहा कि, मम्मी अगर आप बुरा ना माने तो ऐसा करते हैं कि, अन्दर ही मैं भी आपके पास बैठता हूँ बातें करते हुए शायद नींद आ जाए!
वो बोली- गुड आईडिया! चलो, अन्दर आ जाओ, और मैं और मम्मी अन्दर बेड रूम में चले गए।
मैं अन्दर चेयर पर बैठ गया और मम्मी बेड पर बैठ गईं। फिर मम्मी बोली, राजु ठण्ड ज्यादा है! तुम भी बेड पर ही बैठ जाओ।
मैंने मना करने का बहाना बनाया पर मम्मी ने जब दुबारा बोला तो, मैं उनके सामने बेड पर बैठ गया और रजाई से आधा कभर कर लिया।
अब मैं मम्मी को तसल्ली से बात कर रहा था और रजाई के अन्दर मैं पायजामे का नादा थोड़ा ढीला कर लिया था। फिर मैंने मम्मी से कहा कि, ऑफिस की बात नहीं करेंगे कुछ गप शप करतें हैं।
मम्मी नंगी जिस्म दिखाने को हुई राजी
फिर मम्मी बोली, ओके! तो मैंने कहा, मम्मी तुम बुरा ना मानो तो तुमसे एक प्राइवेट बात कहनी थी!
मम्मी बोली- कम ओन डोंट कंफ्यूज खुल कर कहो।
मैंने कहा- मम्मी यू आर मोस्ट ब्यूटीफुल लेडी आई इवर मेट!
आई रियली मीन इट मैं गप शप नहीं कर रहा हूँ।
मैं आज से नहीं जब से तुमको देखा है, तुमको अपनी कल्पना, अपना प्यार और सब कुछ मानता हूँ!
यू आर रियली ग्रेट! मम्मी, एंड योर फिगर इज मारवलस एंड इवन मोस्ट गॉर्जियस गर्ल ऑफ 16 कांट बीट योर ब्यूटी एंड सेंसुअलिटी।
मैं ये सब एक ही साथ कह गया कुछ तो मैं कहा कुछ मैं कहता चला गया पता नहीं मुझे क्या हो गया था।
मम्मी मुझे देखती रही और हँसने लगीं! बोली, तुम पागल हो एक बुढ़िया के दीवाने हो गए हो।
मैंने कहा- नो मम्मी यू आर मारवलस! कोई भी जवान लड़की, तुम्हारा मुकबला नहीं कर सकती!
मम्मी प्लीज अगर तुम मेरी एक बात मान लो तो मैं तुमसे जिन्दगी में कुछ नहीं माँगूंगा।
मम्मी बोली- अरे बुद्धु कुछ बोलो भी, ये शायरों की तरह शायरी मत करो!
मैं तुम्हारी क्या हेल्प कर सकती हूँ?
मैंने कहा- मम्मी प्लीज! बुरा मत मानना पर मैं तुमको सबसे खूबसुरत मानता हूँ, इसलिए अपनी सबसे खूबसूरत लेडी की खूबसूरती को एक बार पूरी तरह देख लेना चाहता हूँ!
मम्मी प्लीज! मना मत करना, नहीं तो मैं सचमुच मर जाऊँगा और अगर जिंदा भी रहा तो मारा जैसा ही समझो।
मम्मी एकदम चुप हो गई और सोचने लगी फिर धीरे से बोली- राजु, तुम सचमुच दीवाने हो गए हो, वह भी अपनी मम्मी के!
अगर तुम्हारी यही इच्छा है तो ओके! बट प्रॉमिस, मेरे साथ कोई शरारत नहीं करना नहीं तो, तुम्हारे डैड को बोल दूँगी और आँख मारते हुए बोली तुम्हारी पिटाई भी करूंगी!
मैंने कहा- ओके! पर एक शर्त है कि, मैं अपने आप देखूँगा आप शान्त बैठी रहो।
मम्मी बोली- ओके! मैं मम्मी के नज़दीक गया और मम्मी का गाऊन के पीछे का बटन खोलकर गाऊन को डाउन कर दिया फिर उसको उनकी कमर से नीचे लाया। इसके बाद मैंने रजाई हटाई।
अब मम्मी मेरे सामने ऊपर से सेमी न्यूड हो गई थी उनके ऊपर केवल ब्रा ही रह गई थी।
मम्मी बिल्कुल बुत की तरह शांत थी। मैं नहीं समझ पा रहा था कि उनको क्या हुआ है। मुझे लगता है कि वह बड़े कन्फ्जयून में थी पर?
मैं बड़ा खुश था और एक्साईटमेंट में मेरी खुशी को और बढ़ा दिया था। फिर मैंने मम्मी का गाऊन उनकी टाँगों से होते हुए अलग कर दिया।
अब मम्मी केवल पैन्टी और ब्रा में बेड पर लेटी थी। फिर मैंने मम्मी की ब्रा का हुक खोल दिया।
मम्मी की एक चीख सी निकली पर फिर वह चुप हो गई। फिर मैं मम्मी की ब्रा को उनके शरीर से अलग कर दिया।
मम्मी की चूचियों को चूमा
उनके बूब्स देखकर मैं पागल हो गया और एक्साईटमेंट में मैंने उनके बूब्स को चूम लिया।
मम्मी की सिसकारी निकल गई, पर नेक्स्ट मोमेन्ट वो क्रीटिसाईट होती हुई बोली- राजु बिहेव योरसेल्फ तुमने वादा किया था?
मैंने कहा- मम्मी, तुम इतनी मस्त चीज़ हो! कि मैं अपना वादा भूल गया।
फिर मैंने मम्मी की पैन्टी को निकालने लगा और मम्मी ने भी इसमें मेरी मदद की पर, वो एक बूत सी बनी थी।
उनकी इस हरकत से मैं भी थोड़ा नर्वस हो गया, पर मैंने अपना काम नहीं रोका, और पैन्टी के निकलते ही मेरे कल्पनाएँ साकार हो गई थी!
मम्मी की चूत का अनोखा एहसास
मैंने मम्मी की चूत पहली बार देखी थी, एकदम चिकनी मखमल जैसी! और एकदम बन्द, ऐसा लगती थी जैसे संतरे की दो फांकें हों!
मैंने ब्लू फिल्मों में बहुत सी चूतें देखी थी। वो एकदम चौड़ी और मरकस वाली होती हैं, पर मम्मी की चूत को देखकर यह लगता ही नहीं था कि, वो एक 32 साल की औरत की चूत है।
सबसे बड़ी बात यह थी कि, उनकी चूत एक दम क्लीन शेवड थी और गोरी ऐसी कि, ताजमहल का टुकड़ा! अब मेरे सामने एक 32 साल की लड़की नंगी लेटी थी।
आप खुद सोचो! ऐसे में एक 20 साल के लड़के का क्या हाल हो रहा होगा?
फिर मैंने कहा, मम्मी प्लीज! मैं एक बार तुम्हारी बॉडी को महसूस करना चाहता हूँ कि, एक औरत की बॉडी के रियल टच का क्या एहसास होता है?
मम्मी बोली- तुम अपना वादा याद रखो, सोच लो वादा खिलाफी नहीं होनी चाहिए!
मैं उनका सही मतलब नहीं समझ पाया पर उनकी नंगी काया देखकर मैं पहले ही बेशुध हो चुका था, अगर कोई कमी थी तो मम्मी के रेस्पोंस की और मेरे पहले एक्स्पेक्ट की वजह से झिझकी।
मम्मी के चूचियों का छुवन का आनन्द
फिर मैं मम्मी के ल्पिस का एक डीप किश लिया और उनको उनकी पीठ से बाहों में ले लिया, और उनकी पीठ पर रब करने लगा।
मम्मी का कोई रेस्पोंस नहीं आया पर, उनके बूब्स का टच मुझे पागल कर रहा था। ऐसा टच मुझे पहली बार हुआ था!
मैं समझ नहीं पा रहा था कि वो बूब्स थे या, मार्बल और वेल्लेट का मिक्स! आअह!! फ्रेंड्स, इट वाज अ रियली ग्रेट फीलिंग। उसके बाद मैंने मम्मी को पलटा और अब उनकी पीठ पर किश करने लगा और उनके बूब्स को मसलने लगा।
ऊह!! आई वाज इन 7थ स्काई! फ्रेंड्स, आई कान्ट टेल यू क्या मजा आ रहा था।
मम्मी भी अब कोई विरोध नहीं कर रही थी पर, उनका रेस्पोंस बहुत पॉजिटिव नहीं था, पर मुझे अब इस बात का कोई एहसास नहीं था कि मम्मी क्या सोच रही है?
मैं तो सचमुच! जन्नत के दरवाजे की तरफ बढ़ रहा था और मम्मी की बॉडी का टेस्ट ले रहा था।
मम्मी को चुदने के लिए राजी किया
मम्मी के बूब्स का रस सचमुच बड़ा रसीला था। मैंने अब उनके निप्पल्स पर दांतों से काटना शुरू किया तो मम्मी पहली बार चीखी! और बोली, अरे काट डालेगा क्या? आराम से कर हरामी।
मैं समझ गया कि अब मम्मी भी मस्त हो चुकी हैं। मैंने अपना पायजामा उतार दिया और बनियान भी उतार दी।
अब मैं केवल अंडरवियर में था। कुछ देर मम्मी के बूब्स चूसने के बाद मैंने मम्मी की नेवेल पर किश करना शुरू कर दिया तो, मम्मी बेड पर उछलने लगीं और सिसकारियाँ लेने लगीं।
मैं हाथों से उनके बूब्स दबा रहा था और होंठों से उन नेवेल को चुम रहा था, फिर मैं और नीचे गया और मम्मी के अब्डोमन के पास और पुबिक्स एरियाज में किश करने लगा।
दोस्तों, मैं बता नहीं सकता और, आप भी केवल मस्सुस कर सकते हैं कि क्या मजा! आ रहा था?
इसके बाद मैंने मम्मी की टागों पर भी हाथ फिराना शुरु कर दिया। उनकी टांगें बड़ी मुलायम और स्मूथ थी!
मुझे लगता है कि, मम्मी अपनी बॉडी का बहुत ख्याल रखती हैं और डैड भी तो उनकी इस लाजवाब! बॉडी के गुलाम हो गए थे। बट शी इज ग्रेट लेडी रियली इन आल रिस्पेक्ट! और इस टाइम तो वो मेरी क्लिओपेट्रा बनी हुई थी।
अब मैं मम्मी की टाँगों और जाँघों पर अपना कमाल! दिखाना शुरु कर दिया और मैं कभी उनको चूमता कभी दबाता और कभी रब करता।
मम्मी भी अब तक मस्त हो चुकी थी और मेरा पूरा साथ दे रही थी पर, मैंने अब तक एन्ट्री गेट पर दस्तक नहीं दी थी।
मैं मम्मी को पूरा मस्त कर देना चाहता था और मैंने अपने लण्ड को फुल कन्ट्रोल में रखा था। मैं मम्मी की बॉडी को अभी भी अपने होंठों और उंगलियों और हाथों से ही रौंद रहा था।
अब तो मम्मी भी पूरी तरह गर्म हो चुकी थी और वादे वाली बात भुलकर मस्ती में पूरे जोर से मेरा साथ दे रही थीं, और चीखने लगी- अरे मनोज, अब आ भी जा यार प्लीज! मत तड़पा जालिम जल्दी से मेरे ऊपर आ जा!
मैंने कहा- बस मम्मी, जस्ट वेट मैं तैयार हो रहा हूँ बस एक मिनट रूक जाओ मैं भी आता हूँ।
मम्मी की धक्कापेल चुदाई
तभी मम्मी ने मेरा अंडरवियर नीचे खिसका दिया और वो बोली- अबे मादरचोद अपनी मम्मी की बात नहीं मानेगा?
इतना कहकर उन्होंने अब मेरा लण्ड पकड़ कर जोर से दबा दिया।
मेरी तो चीख निकल गई और अब तक जो मेरा लण्ड तैयार था बिल्कुल बेताब हो गया।
मैंने मम्मी की दोनों टाँगों को दूर करते हुए उनकी राईट थाई पर बैठ गया, और उनके चूतड़ को दोनों हाथों से धकेलते हुए अपना लण्ड उनकी चूत के पास ले गया, और पूरे जोर का धक्का दिया तो मेरा आधा लण्ड उनके चूत में समा गया।
मेरी तो चीख निकल गई लेकिन मम्मी को कुछ तसल्ली हुई और वो मेरे अगले एक्शन का इंतज़ार करने लगी।
मैंने एक और ज़ोरदार धक्का लगाया तो पूरा लण्ड अन्दर चला गया। अब मैंने धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया और मम्मी की दूसरी जाँघ को अपने कंधे की तरफ़ रख दिया। राईट थाई पर बैठ कर अपना चुदाई कार्यक्रम शुरू कर दिया।
अब तो मम्मी पूरे मज़े में आ गई और मेरा पूरा सहयोग करने लगीं।पूरे कमरे में मेरे और मम्मी के चुदाई प्रोग्राम का म्यूजिक शुरू हो गया।
मम्मी भी शश!! अह्ह!! करने लगीं और बोली- अन्दर तक घुसेड़ दे अपना लण्ड, मैं भी जोर से अन्दर बाहर करने लगा।
बोलीं- मस्ती आ रही है, तुझे भी मज़ा आ गया! आज बहुत दिन बाद जवानी का मज़ा पाया है। कसम से आज तूने मुझे अपनी जवानी के दिन याद दिला दिए! अयीई ईस्स!
मैं भी बहुत जोश के साथ चुदाई कर रहा था।
मैं बोला- आज तेरी चूत की धज्जियाँ उड़ा दूँगा। अब तू डैड से चुदवाना भूल जाएगी, हर वक्त मेरा ही लण्ड अपनी चूत मे डलवाने को तड़पा करेगी।
मम्मी- आह्ह!! आयीई!! क्या मज़ा आ रहा है, फ़क मी हार्डर रआजु कम ऑन और फर्स्ट यू आर माई डार्लिंग।
मैं भी बोला- यस माई फेयर लेडी स्योर!
मम्मी बोली- मुझको संध्या के नाम से बुलाओ, कहो संध्या मेरी जान!
मैंने कहा- ओके संध्या डार्लिंग ये ले मजा आअ रहा है ना! आज मैं भी अपने लण्ड से तेरी चूत को फाड़ के रख देता हूँ।
वह चिल्ला रही थी- आअह गुड। म्मम!! आह!! उह!! म्म!!
फिर अचानक जब मुझे कुछ दबाव सा महसूस होने लगा तो मम्मी बोली- मनोज अब बस एक बार अब धीरे धीरे कर दे … मेरा तो पानी निकाल दिया तूने।
मैंने स्पीड थोड़ी कम कर दी और अब मम्मी और मैं थकने भी लगे थे।
अचानक मेरा सारा दबाव मेरे लण्ड के रास्ते मम्मी की चूत की घाटी में समा गया और मम्मी भी शान्त हो गई और हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर लेट गए।
मेरा लण्ड मम्मी की चूत के अन्दर ही था।
एक दूसरे से बिना कुछ बोले ही हम दोनों वैसे ही सो गए।
सुबह जब नींद खुली तो 6:00 बज गए थे और मेरा लण्ड मम्मी की चूत में वैसे पड़ा था।
मैंने मम्मी को जगाया तो वह शरमाने सा लगीं फिर बोली- मनोज तुम तो एकदम जवान हो गए हो!
तुमने आज, इस 38 साल की बुढ़िया को, 18 साल की गुड़िया बना दिया!
तब मैंने कहा- अब तू मुझे बुलाएगी क्या बोल?
उसने मुझे अलग करके दूर करते हुए कहा- जरुर मेरी जान!
मम्मी ने अपने उपर लिटाया मुझे किश किया।
मैंने भी फिर से मम्मी के माथे पर, बूब्स पर, नाभि पर किश कर बगल में ही लेट गया और सुबह तक एक साथ लिपट कर चिपक कर सोए रहे।
7:00 बजे मम्मी ने उठाया और मुस्कुराईं, बोली- याद रखना इसको राज रखना!
मैं भी बोला- ऐसे ही इनटरटेनमेंट कर रहना!
तो दोस्तो, ये तो थी मेरी और मम्मी की चुदाई की कहानी आपको कैसी लगी?
यह तो शुरूआत है अभी तो कई कहानियाँ हैं बस आप मेरी स्टोरी पढते रहें
मेरी शादी के बाद एक महीना Indian Sex Stories तो रोज 4 से 5 बार चुदाई करते हुए निकल गया, और कैसे निकला कुछ पता ही नहीं चला। उसके बाद भी सेक्स के प्रति दीवानापन बना ही रहा। अक्सर औरतों की आदत होती है कि वो पति को ताने मारती रहती हैं कि आपको तो बस सेक्स के अलावा कुछ सूझता ही नहीं है।
मैंने उससे पूछा कि शायद तुम्हारे मायके में तुमको खिलाने के लिए कम पड़ने लगा होगा इसलिए तुम्हारी शादी करनी पड़ी !
तो पत्नी बोली- हो ओ ओ ओ ओ, कोई नहीं, खूब था !
मैं बोला- फिर लिखाई पढ़ाई लायक धन नहीं होगा !
तो वो बोली- और कितना पढ़ना था, खूब तो पढ़ लिया !
मैंने फिर पूछा- तो ओढ़ने पहनाने में असमर्थ होने लगे होंगे?
पत्नी बोली- आप भी ना कैसी बातें कर रहे हो, रुपये पैसों की कमी तो कोई नहीं थी !
तो मैं बोला- मेरी प्यारी प्राणेश्वरी ! अरे तो जिस चीज की कमी थी वो था लंड, और सेक्स ! समझी ना ! और इसी के लिए अपनी शादी की गई है और जिसके लिए शादी की गई है, उसका अनादर क्यों करें !
यह तो मन की खेती है, जब भी मन करे खूब चुदाई करो। इससे भी कभी मन भरना चाहिए क्या !
अरे यार लोगों में कई तरह की गलत धारणाएँ होती हैं, कई तो उन धारणाओं के चलते सेक्स का मजा नहीं ले पाते हैं, और कई लोग असमर्थ होते हैं, जल्दी ही स्खलित हो जाते हैं या किसी कारणवश उनका मन ही नहीं करता, वो बेचारे वैसे मजा नहीं ले पाते हैं, इसलिए जब तक इस मशीनरी को चालू रखेंगे ये सही तरीके से काम करेगी, वरना खराब हो जायेगी।
और मेरी दीवानगी पर तो तुझको फख्र होना चाहिए, कि इस कारण ही सही मैं तुम्हारे आगे पीछे तो घूमूँगा ना !
और मजे की बात कि मेरी पत्नी को यह बात ठीक से समझ आ गई, उसके बाद उसने कभी मुझे इस बात का उलाहना नहीं दिया।
लगभग बीस साल शादी को हो चुके हैं, अब कुछ समय से मेरी पत्नी में कुछ बदलाव आए हैं, वो सेक्स के लिए मना तो नहीं करती है, लेकिन वो सेक्स में सक्रिय भाग भी नहीं लेती है, मुझे सेक्स करना हो तो फोरप्ले मुझे अकेले को करना होता है, वो नहीं करती, सेक्स के लिए खुद पहल नहीं करती, हाँ सेक्स में ओर्गास्म लेने के लिए जरूर सक्रिय होती है ! बस, हो गयी चुदाई उसकी तरफ से ! चुम्बन लेने को मना करती है, बोलती है मेरा दम घुटता है।
मैंने उसको समझाया कि तुम किस के समय मुँह से सांस क्यों लेती हो, नाक से लो!
तो भी वो मना करने लगी है, बोलती है किस मत करो।
अब बताइये जो चीज मुझको सबसे अच्छी लगती है, जिस क्रिया में मैं 10-20 मिनट आराम से निकाल सकता हूँ, वो ही नहीं करने को मिले…
खैर…
मैंने कई जगह पढ़ा है कि लोग अपने लण्ड को तीन इंच चौड़ा और 9 इंच लम्बा बताते हैं।
एक आम इंसान के लिए यह सोच कर अपना दिमाग खराब करने की कोई बात नहीं है…
मैं एक बहुत साधारण सा उदाहरण दे रहा हूँ-
आप एक बिसलरी की पानी की बोतल ले लीजिये, यह बोतल तीन इंच चौड़ी होती है और इसके ऊपर का मुंह जहां से बोतल घूमना शुरू हो जाती है वहां तक नौ इंच लम्बाई होती है, मैंने 9 इंच लम्बाई का तो सुना है और बन्दे को देखा है लेकिन तीन इंच चौड़ा… मैंने कभी भी नहीं देखा…
मेरी सेक्स पॉवर में कोई कमी नहीं आई, अब मुझे रोज ही अधिकतर मुठ मार मार कर काम निकालना पड़ता है। जहां सेक्स रोज करते थे अब 20 दिन से एक महीना तक निकल जाता है, मन भटकने लगा, कि कोई साथी मिल जाए जो मेरी समस्या को समझे और मेरा साथ दे।
मेरी कंप्यूटर रिपेयरिंग शॉप के बाजू में मोबाइल कम्युनिकेशन की दुकान खुली, कुछ दिन तो बन्दा लगातार बैठा फिर उसने एक लड़की को वहाँ अपोइंट किया और खुद ने किसी और मल्टीप्लेक्स में एक और दूकान खोल ली और वहाँ बैठने लग गया। एकदम स्लिम लड़की जवानी की गोद में सर रखा ही था और जवानी में लड़की को जैसे खूबसूरती और अरमानों के पंख लग जाते हैं, वो थोड़ा बोलने में बोल्ड हो जाती है, वो भी शुरू में तो कम बोलती थी, फिर बोल्ड हो गई, किसी बात को लेकर परेशानी होती तो मुझे बोलती।
हम लोग आपस में खुलने लगे, एक दिन बहुत ही अजीब सा वाकया हुआ…
उसको सू सू जाना था वो मुझसे बोल गई कि मैं अभी आई ! ज़रा इधर दुकान में ध्यान रखना !
वो गई और वापस आई और बहुत परेशान सी लगी, कुछ देर बीत गई…
फिर हिचकती सी बाहर आकर मुझे बोली- सर, प्लीज ! एक मिनट इधर आयेंगे?
मैंने लड़कों को बोला- तुम लोग काम करो, मैं आया !
और उसके पीछे उसकी दुकान में गया, वो अन्दर केबिन में चली गई थी, मैं केबिन के दरवाजे पर जाकर बोला- हाँ क्या हुआ?
तो उसका मुँह लाल हो गया, बोली- मुझे शर्म भी आ रही है और इमरजेंसी इतनी है कि मैं बिना कहे रह भी नहीं सकती।
मैंने कहा- तो कह दे ना, फिर शर्म की क्या बात है।
तो वो हिचकते हुए रुक रुक कर बोली- सर मैं सु सु गई थी… मेरी सलवार… क्या बोलूं,
मैंने कहा- अरे बोल ना…
तो बोली- नाड़े में गाँठ लग गई है…
मैंने कहा- ओह्ह्ह, है तो समस्या ही ! लेकिन जो करना है वो तो करना ही पड़ेगा…
मैं केबिन के अन्दर हो गया, उसको एक साइड में किया और कुरते को ऊपर कर के नाड़े में पड़ी गाँठ को सही किया, और उसको सु सु करने भेज दिया…
मेरी क्या हालत हुई होगी आप भी इस हालत में होते तो… सहज ही अंदाजा लगा लो…
मैंने छोटे को चड्डी में हाथ डाल कर ऊपर की ओर किया और अपनी धड़कन पर काबू करने का यत्न करने लगा।
सपना का क्या हाल हुआ होगा, जिस तरह से बेचारी के हाव भाव लग रहे थे, धड़कन तो उसकी भी बढ़ ही गई होगी…, उसका मुँह एकदम लाल हो गया था। इसका मतलब पहली बार किसी मर्द का हाथ इस तरह से उसको लगा था…
मैंने सोचा कि मैंने तो क्या गलत किया, उसने कहा तो मदद कर दी ! इमरजेंसी थी ही इतनी ! खैर अब होगा जो देखा जायेगा…
अब मेरे मन में एक अरमान जागा कि सपना यदि तैयार हो जाए तो…
जो घुटन मेरे मन में मुझे महसूस होती है वो ख़त्म हो जायेगी।
खैर… मैंने अपना सर झटका, सोचा थ्योरी में और हकीकत में बहुत फर्क होता है…
वो जैसे ही अपनी दुकान में आई मैं अपनी दुकान में चला आया, लेकिन आते आते उसके मुँह से थैंक यू सर… निकला, मैंने उसकी और देखा और मुस्कुरा कर चला आया…
अब हम थोड़ा और खुल गए, कभी कभी जब वो बिल्कुल अकेली होती तो मुझसे कह देती- सर लंच कर लो !
तो हम साथ साथ लंच कर लेते थे…, कुछ हंसी मजाक, जोक्स भी चलता रहने लगा…
लेकिन दिल्ली अभी कितनी दूर थी कुछ पता नहीं…
वो खाली टाइम में कंप्यूटर पर गेम्स खेलती थी, ज्यादातर ताश वाले गेम्स !
एक बार लंच में बुलाया तो वही गेम लगा पड़ा था तो मैंने कहा- बोर नहीं होती इन गेम्स से? रोज रोज यही गेम, बच्चों वाले…
तो उसके मुंह से अचानक ही निकल गया- तो सर आप ही बता दो कुछ !
मैंने मौका देख कर कहा- तू बुरा तो नहीं माने तो बता दूंगा !
तो सपना बोली- आप भी क्या बात करते हो, बुरा काहे का मानना?
तो लंच के बाद मैं उसके कंप्यूटर पर अन्तर्वासना साईट लगा कर बोला- यह देख, एक एक टोपिक पर क्लिक कर, यदि पसंद ना आये तो बुरा मत मानना ! बंद कर देना मैं और कुछ गेम्स में कंप्यूटर पर डाल दूंगा…
उसके बाद 3-4 दिन तक उसने न तो मुझसे बात ही की और ना ही मुझे लंच के लिए आवाज ही दी। मैं यदि बाहर निकलता भी तो वो मेरी तरफ नहीं देख कर नजर नीचे कर लेती..
मैंने समझा कि गलत ही हो गया लगता है… शायद यह लड़की इस तरह की चीजों में रुचि नहीं लेती होगी…, मेरे मन में पछतावा होने लगा, कि क्यों मैंने उसको बिना उसका मन जाने इस तरह की साईट उसको दिखाई… बेचारी अच्छी दोस्त थी..
खैर.. अब जो होना था वो तो हो चुका…
हमारे मॉल में दुकानें लगभग 11 तक पूरी तरह से खुलती थी, लेकिन मैं हमेशा 9:30 पर दुकान खोल लेता हूँ।
इस घटना को लगभग 5 दिन निकल गये होंगे कि एक दिन वो भी 9:30 पर आई और सफाई पूजा के बाद उसने मेरी दुकान के बाहर से मुझे आवाज लगाई- सर एक मिनट प्लीज !
मैंने सोचा- जाने आज क्या होगा, यह क्या कहना चाहती है? मैंने सोचा कि अभी यहाँ कोई आस पास है भी नहीं… जो गलत हो गया उसको सुधरने का मौका भी है, यह सोच कर धड़कते दिल से उसकी दुकान में चला गया। वो मिठाई का डिब्बा हाथ में लेकर खड़ी थी, बोली- मिठाई खाओ सर…!
मैंने मिठाई का पीस हाथ में लेकर पूछा- किस खुशी की मिठाई है?
तो बोली- मैं आज बी ए की परीक्षा में पास हो गई।
मेरे मुंह से निकला अरे वाह…! बधाई हो !
और आधा टुकड़ा उसके मुँह में डाल दिया और बाकी का अपने मुँह में और उस पीस को ख़त्म करके एक और पीस उठाया। फिर मिठाई ख़त्म करके मैंने उसको बोला- सपना मैं तुझसे कुछ कहना चाहता हूँ।
मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई और मुँह से शायद लालिमा भी फूटने लगी हो…
सपना का मुँह भी सकपकाहट से लबरेज हो गया, उसको भी भान होगा कि मैं क्या कहना चाहता हूँ…
मैंने हिम्मत करके कहा- सपना उस दिन जो मैंने तुझको साईट खोल कर दी, यदि तुझे बुरा लगा हो तो मैं सच्चे मन से माफ़ी मांगता हूँ, सच में तेरी मंशा जाने बिना मैंने तुझको वो सब पढ़ने को दिया जो वर्जित माना जाता है, और यह जानते हुए भी कि यदि तुझको सेक्स चढ़ा तो तेरे पास उसको सँभालने का कोई साधन नहीं है। तू किसको कहेगी कि तुझको क्या हुआ है…
सपना का मुँह नीचा हो गया, चेहरा लाल हो गया, और बोली जैसे जम गई हो।
मैंने उसकी ठुड्डी के नीचे अपनी ऊँगली रख कर उसका चेहरा उठाया और मेरी तरफ देखने को बोला।
उसकी नजरें धीरे धीरे मेरी ओर उठी तो मैं बोला- सपना तू मेरी अच्छी दोस्त है, अब तू क्या मानती है यह तो तू जाने, लेकिन मैं तेरी दोस्ती कम से कम तेरी शादी तक तो नहीं खोना चाहता।
तो उसकी आँखों से दो बूँद आंसू टपक आये…
मेरा दिल भारी हो गया।
उसने धीरे धीरे रुक रुक कर कहा- सर मैं भी आपको अपना अच्छा दोस्त मानती हूँ, मैं नाराज नहीं हूँ…, नहीं तो आज इस समय क्यों आती…, मुझे आपसे बात करना अच्छा लगता है…
मेरे मन को कितना चैन आया, जैसे सर पर से पहाड़ एकदम से हटा दिया गया हो…
मैंने कहा- ठीक है तू थोड़ी देर मेरे पास मेरी दुकान पर बैठ… आ जा !
उसने शटर उठे रहने दिए और अलुमिनियम का दरवाजा लगा कर मेरे पास मेरी दुकान में आ गई और मैं रिपेयरिंग के साथ साथ उससे बात भी करने लगा। धीरे धीरे हम दोनों ही सामान्य होने लगे।
लगभग 45 मिनट बातचीत हुई जिसमें हमने एक दूसरे के घर में कौन कौन है, घर कैसा है, एक दूसरे की रुचियाँ क्या हैं यह सब जाना, फिर वो करीब 10:30- 10:45 पर अपनी दुकान में चली गई। अच्छा भी नहीं लगता था कि कोई उसको और मेरे को इस तरह से आपस में घुट कर बातें करता देखे, लड़की जात जल्दी बदनाम हो जाती है…
फिर वो अक्सर जल्दी ही आने लगी, हम दोनों में बहुत सी बातें होने लगी, धीरे धीरे वो मुझसे मजाक भी बहुत करने लगी, उसके चेहरे को देख कर लगता था कि उसको मेरा साथ अच्छा लगता है, वो ज्यादा से ज्यादा टाइम मेरे साथ निकालना चाहती है।
लेकिन मैंने उसको चेता दिया था कि देख सपना अपनी दोस्ती की बात अपने दोनों तक ही सीमित होनी चाहिए ! पगली, नहीं तो लड़की जात को बदनाम होते देर नहीं लगती।
यह बात उसको भी अच्छे से समझ में आ गई और जो भी हंसी मजाक हमें करना होता था वो सब हम और दुकानों के खुलने से पहले कर लेते थे। वो अकेले में मुझे निक नेम सोनू पुकारने लगी, मुझे बहुत अच्छा लगता था।
एक दिन जब मैं 9:30 पर दुकान पंहुचा तो सपना दुकान खोल चुकी थी और मुझसे बोली- सोनू प्लीज आज तुम थोड़ी देर मेरे साथ मेरे पास बैठो ना !
मैंने कहा- ठीक है आधा घंटा के करीब तुम्हारे साथ बिता लूँगा।
तो वो बोली- हाँ हाँ ठीक है।
मैं उसके पास बैठ गया। मैंने थोड़ा सा मूड हल्का करते हुए सपना से कहा- आज क्या बात है गुन्नू, तुम आज बहुत रोमांटिक मूड में लग रही हो, बिजली गिराने का इरादा तो नहीं है ना?
उसका मुँह लाल हो गया, और मेरे हाथ को अपने हाथो में ले लिया और बाजु के साइड में अपना सर हौले से टिका दिया…, मैं चौंका और सपना की ओर देखने लगा, वो नीचे देखने लगी, मैंने अपनी बांह उस से छुडाई ओर उसके कंधे पर अपना हाथ रख दिया ओर दूसरे हाथ से उसकी ठुड्डी उठाई, उसका चेहरा शर्म से लबरेज था… होंट पर एक गीलापन आ गया था, जो किसी लड़की के गरम होने पर आ जाता है, ओर आँखों में एक कुंवारी लड़की की शर्म भरी लालिमा आ गई थी। मुझे डर था कि कोई आ न जाए।
लेकिन वैसे अभी बाजार खुलने में थोड़ा समय था, मैंने सपना से कहा- गुन्नू मेरी रानू, हम आपस में अच्छे दोस्त हैं ना?
तो उसने हाँ में सर हिला दिया।
मैंने फिर कहा- गुन्नू ! अपनी नजरें मुझसे मिलाओ और बताओ कि क्या बात है?
तो उसने नीचे देखते हुए ना में सर हिला दिया और उसकी पलकें बंद हो गई, मैं बुरी स्थिति में फंस गया था, उसको वास्तव में सेक्स की गर्मी चढ़ गई थी।
अब यदि मैं उससे इस स्थिति का फायदा उठता हूँ तो मेरे दिल को गवारा ना था औजर यदि छोड़ता हूँ तो उसका क्या हाल होगा, मैं समझ सकता था। मैंने भगवान् को याद किया और टेबल पर से बाहर के गेट की चाभी उठाई और अन्दर से एल्यूमिनियम का दरवाजा लॉक कर दिया अन्दर सपना के पास आया और उसको अन्दर केबिन में ले गया और हम दोनों दो स्टूल पर सट कर बैठ गए। मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा और उसकी ठुड्डी उठा कर बोला- गुन्नू मेरी ओर देख…
बहुत मुश्किल से उसकी आँखें मेरी आँखों से मिली, मैंने कहा- सेक्स के बारे में जानना है?
तो उसने हाँ में सर हिला दिया.
मैंने उसको सेक्स के बारे में बताना शुरू किया कि कैसे होता है, बच्चे कैसे होते हैं ओर करते में क्या क्या महसूस होता है।
उसने कहा- सोनू, रात को मैंने… अपने मम्मी पापा को… देखा है ! तुम भी करो… मेरे साथ… सब कुछ… वो… ही…
ओह तो यह बात है ! मैंने सोचा…
उसने मेरा दूसरा हाथ अपने दोनों हाथो से पकड़ लिया और उसका सारा शरीर कांपने लगा, उसके पूरे शरीर में थिरकन हो रही थी। ओ माय गोड… मैंने सोचा और मुझे बस एक ही उपचार नजर आया, मैं उसके एकदम सामने हुआ और मैंने उसको अपने से चिपटा लिया ओर उसके होंटो पर अपने होंट रख दिए… हम दोनों स्मूच (होंट ओर जीभ को चूसते हुए किस) की स्थिति में हो गए।
मैंने अपनी पेंट की हुक और जिप खोल दिए, उसकि सलवार के नाड़े को खोल दिया ओर उसका हाथ उठा कर अपने लण्ड पर रख दिया और उसकी पेंटी में हाथ डाल कर उसकी चूत पर सहलाने लगा।
उसकी चूत से पानी टपक रहा था और सलवार का कुछ हिस्सा तक गीला हो गया था। मैंने बैठे बैठे ही उसको थोड़ा ऊपर करके उसकी सलवार और पेंटी को टांगो से अलग किया और एक अन्य स्टूल पर सुखाने की स्थिति में डाल दी जैसे तैसे स्विच बोर्ड पर पंखा चालू कर दिया और उसकी टांगों को थोड़ा सा ऊपर करके उसको अपनी जांघो पर खींच लिया, उसकी चूत को थोड़ा सा खोल कर अपना लंड उसकी चूत की दरार में लम्बाई में रख दिया और उसके हिप्स के नीचे मेरे हाथ रखकर उसको अपने हाथों में थोड़ा सा उठा कर उसकी चूत में मेरे लंड की रगड़ देने लगा।
सपना ने कसमसा कर अपने होंट मेरे होंटो से अलग कर के खोले और बोली- सोनू अन्दर घुसा दो, प्लीज ! मैंने कहा- गुन्नू नहीं ! आज नहीं !
सोनू… प्लीज…
मैंने उसको बांहों में कस कर और भी जोर से भींच लिया, होंट से होंट मिला कर जोर से किस करने लगा, और उसको मेरे लंड से रगड़ देने लगा… अब उसको मजे आने लगे थे… सो वो भी धीरे धीरे हिलने लगी और 3-4 मिनट में ही हम एक दूसरे से जकड़े निढाल हो गए…
और तीन चार मिनट इस स्थिति में निकल गए फिर उसको धीरे धीरे होश आने लगा, आँखें खोल कर उसने अपनी स्थिति देखी, मेरी गोद में बैठी है… केबिन में है… नीचे कुछ नहीं पहना हुआ है… और मेरे नीचे के कपडे भी नीचे हुए पड़े हैं और हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में बंधे हुए हैं… एकाएक उसकी आँखों में लालिमा आई लेकिन उसने अपने हाथ मेरी पीठ से हटा कर मेरे मुँह को अपने हाथों में पकड़ा और और एक किस कर दिया।
सच में इस किस का कोई मुकाबला न था यह अब तक के मजे में सबसे ऊपर था.. आखिर यह किस उसने अपने पूरे होशोहवास में किया था।अब हम जल्दी से अलग हुए, मैंने अपने कपड़े दुरुस्त किये और उसकी सलवार को पंखे के एकदम सामने कर के 5 मिनट में जितना सूख सकता था उतना सुखाया और उसको भी उसके कपड़े पहनाए।
हमने फिर एक बार और किस किया फिर जल्दी से बाहर का दरवाजा खोला, गनीमत कि अभी तक चहल पहल न थी…
फिर मैंने और उसने एक दूसरे को देखकर मुस्कान दी. फिर मैं दुकान खोल कर अपने काम में व्यस्त हो गया।
लंच करते में सपना ने अगले दिन 9 बजे आने को बोला। मैंने उसकी आँखों में देखा तो उसने आँख मार दी…
मैंने कहा- शैतान कहीं की… ठहर तो… कल देखूंगा…
अगले दिन मैं जब नौ बजे पहुंचा तो सपना दुकान में सफाई कर रही थी। जल्दी से फ्री हुई और मुझे अन्दर लेकर दरवाजा बंद किया और मेरे साथ केबिन में घुस गई और मुझे स्टूल पर बिठा कर मेरी गोद में बैठ गई और बोली- हाँ उस्ताद अब फिर से सिखाओ कल तो मैं होश में थी नहीं…
तो मैंने उसको सेक्स के बारे में फिर से बताना शुरू किया… आज न तो उसमे कल जितनी शर्म थी और ना ही मदहोशी…
वो बड़ी तन्मयता से सुन रही थी, समझ रही थी…
फिर उसने मेरे हाथ अपने बोबों पर लगा दिए और खुद मेरे होंटो को चूसने लगी फिर मेरी पेंट के हुक खोलने लगी…, मैंने उसको सहयोग किया तो उसने मेरे हाथ फिर से अपने बोबों पर रख दिए और मेरी पेंट को खोल दिया फिर खुद की सलवार को भी ! फिर खुद खड़ी होने की हालत में हो गई तो मुझे भी खड़े होना पडा तो उसने नीचे के कपड़े सरकाकर उतर जाने दिए…
फिर उसने मेरे लंड को अपनी चूत के दरार में सेट किया और मुझसे एकदम से चिपक गई, फिर अपने हाथ मेरी पीठ पर बाँध कर अपने पैर हवा में लेकर मेरे कूल्हों पर कस लिए और हिल कर चूत को मेरे लंड से रगड़ने लगी, तो मैंने अपने हाथ उसके बोबों से हटा कर उसके कूल्हों के नीचे किये और रगड़ में हिलाने में सहायता करने लगा। हमारा चुम्बन और भी प्रगाढ़ हो गया और धीरे धीरे वो अकड़ती गयी फिर मैं भी…
अब मैं उसको इसी हालत में लिये दिये स्टूल पर बैठ गया और हम अपनी साँसों में काबू पाने लगे…
ज़रा देर में ही सपना फिर चालू हो गई… चूमा-चाटी, बोबे दबाना चूसना, चूत को रगड़ना…!
फिर वो बोली- सोनू अन्दर डालो… चलो…
तो मैंने पूछा- तेरी एमसी कब हुई थी?
तो वो बोली- सत्रह दिन हो गए !
तो मैंने कहा- देवी और 2-3 दिन रुक जा ! नहीं तो फालतू में बच्चे का रिस्क हो जायेगा !
तो वो बोली- फिर अन्दर डाल कर करोगे…
मैंने कहा- हाँ बाबा हाँ !
वो बोली- प्रोमिस?
मैंने कहा- हाँ बिल्कुल पक्का…
तो बोली- लाओ हाथ और कसम खाओ !
मैंने उसके हाथ में अपना हाथ लेकर कसम खाई…
फिर हमारा दूसरा राउंड पूरा हुआ और उसके बाद हम हमारे काम में लग गए। दो और दिन इसी तरह से निकल गए…
इस बीच में मैंने वेसलीन की एक छोटी डिब्बी लाकर उसके केबिन में रख दी। उसने पूछा तो मैंने कहा- अन्दर वाले दिन काम आएगी ! फिर उसको बताया कि ज्यादा दर्द न हो इसके लिए जुगाड़ बिठा रहा हूँ…
तो वो मचल कर बोली- सोनू यार तुम्हारे जैसा आदमी तो बस… ये ध्यान रखते हो कि नादान से नहीं करना… उसको सेक्स का ज्ञान देते हो, उसे बच्चा न हो जाये ये ध्यान रखते हो.., उसे दर्द न हो ये भी ध्यान रखते हो आखिर क्यों…
मैंने कहा- मेरी जान हो तुम ! मैंने मात्र सेक्स के लिए नहीं, प्यार के लिए तुमको पाया है गुन्नू…
तो उसकी आँखों में जोश और विश्वास देखने के काबिल था…
आखिर एमसी के बीसवें दिन सुबह नौ बजे सपना बहुत उत्साह में थी, जैसे वो कोई तीर मारने जा रही हो।
मैंने उसको कहा तो बोली- हाँ ! तीर ही तो मार रही हूँ…, आखिर जिसके तुम जैसे गुरु हो वो कोई कम तीरंदाज होगा भला…
हम दोनों केबिन में बंद हो गए, और आज हमने एक दूसरे को पूरा नंगा किया और मैंने उसके होंट, बोबे और गर्दन चूसी, बोबे दबाये और खूब जोर से चिपटा कर किस करना चालू किया और सपना को कहा- लंड से खेल…!
वो लंड हाथ में लेकर सहलाने लगी…! उसकी आँखों में खुमारी उतर आई और चूत में से पानी टपकने लगा…
मैं इसी इन्तजार में था… मैंने अपनी एक ऊँगली में खूब सारी वेसलीन लगा कर उसकी टांगों को फैला कर ऊँगली उसकी चूत में अन्दर डालता चला गया, उसका मुँह खुल गया और एक आह उसके मुँह से निकली।
मैंने पूछा तो बोली- कुछ नहीं…! आप तो करो…!
मैंने कहा- दर्द हो तो मुझे बताना !
तो बोली- सोनू दर्द तो एक बार होना ही है चाहे अभी या बाद में…! बाद का तो पता नहीं लेकिन तुम जैसा साथी हो तो इस साले दर्द की ऐसी की तैसी, होने दो एक बार ही तो होगा…
मैं दंग रह गया मुझे सपना पर बहुत प्यार आया, उसको कितना विश्वास था मुझपर…, जाने क्यों…
मैंने अपनी ऊँगली उसकी चूत में दिए हुए ओ के आकार में घुमाने लगा… अन्दर उसका हायमन धीरे धीरे खुलने लगा, फिर 2-3 मिनट बाद में अंगूठे पर वेसलीन लगा कर चूत में डाला और उसके चेहरे को देखा तो फिर उसका मुँह किस करते करते रुक गया, और फिर वो किस करने लगी मैंने अंगूठे को आगे पीछे करना शुरू किया तो वो सिसकारी लेने लगी। धीरे धीरे कुछ देर बाद मैं अंगूठे को ओ के आकार में घुमाने लगा…
2-3 मिनट में उसका हायमन काफी खुल गया तो मैंने कहा- गुन्नू, अब तैयार…?
तो वो चहक कर बोली- अरे वाह सोनू ! मैं तो कब से राह देख रही हूँ… चलो… डालो…
मैं उसकी उत्सुकता देख कर दंग रह गया…
फिर मैंने उसको अपनी गोद में बिठाया और खूब सारी वेसलिन उसकी चूत पर मली ओर मेरे लंड पर भी, फिर हाथ बीच में रखकर अपना लंड उसकी चूत के छेद पर सेट किया… फिर सपना को बोला- गुन्नू अपनी टांगो को बिल्कुल ढीला छोड़… उसके कूल्हों पर मेरे हाथो का दबाव बनाते हुए धीरे धीरे अपनी ओर भींचने लगा… , लंड का सुपाडा अन्दर हो गया।
मैंने कहा- गुन्नू संभालो… दर्द होगा थोड़ा…
तो उसने अपनी टांगों को मेरे शरीर की तरफ एक झटका दिया और लंड सरसराता हुआ उसकी चूत में आधा चला गया, उसके होंट भिंच गए और वो और और आने दो … की मुद्रा में गर्दन हिलाने लगी…
मैं धीरे धीरे हिलते हुए धक्के लगाते लंड अन्दर डालता गया… और फिर एक बार हम दोनों के होंट आपस में किस करने लगे। हाथ एक दूसरे के बदन पर फिरने लगे… लंड के अन्दर जाने का स्वाद धीरे धीरे सपना को आने लगा और उसके मुँह से सिसकारी और आह निकलने लगी। फिर जो घमासान होना था वो हुआ और अब तक की चुदाई का सबसे शानदार ओर्गास्म आया हम दोनों को…
उसके बाद हम दोनों लगभग 3 साल तक एक दूसरे के हुए रहे…, उसकी खाने पीने, पिक्चर देखने, घूमने की हर ख्वाहिश मैंने पूरी की। फिर उसकी शादी हो गई…, जिस दिन उसकी शादी पक्की हुई वो मेरे कंधे पर सर रखकर…
उसकी जुबानी कुछ बातें –
सोनू ना जाने क्यों मैं तुम पर मर मिटी, तुम्हारा बोलने चलने का ढंग, तुम्हारा सलीका देखकर तुमको मन ही मन चाहने लगी, फिर जब तुम्हारे यहाँ तुमको देखने तुम्हारे पास चली आती थी, जाने दिल अपने काबू में रखना मुश्किल हो जाता था।
फिर जैसे जैसे समय निकलने लगा मेरी दीवानगी तुम पर बढ़ने लगी. मैं चाहती थी कि तुम्हारे पास बैठ कर तुमको देखती रहूं और तुमसे बातें करती रहूँ, तुम्हारी सारी बातें मुझे अच्छी लगने लगी…
मुझे समझ आने लगा कि शायद यही प्यार है. फिर तो तुम पर विश्वास बढ़ने लगा, मैं खुद नहीं समझ पाती थी कि मुझे क्या हो रहा है…
फिर जब तुमने मेरी हालत का नाजायज फायदा नहीं उठाया तो मेरा विश्वास तुम पर और भी दृढ़ हो गया… और सच में तुम्हारा प्यार पाकर मैं निहाल हो गई…
और ये तीन साल तो तीन पलों की तरह से यूँ निकल गए… Indian Sex Stories
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