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सबसे पहले तो मैं अन्तर्वासना Hindi Sex Stories का धन्यवाद करना चाहता हूँ मेरी नियमित रूप से कहानी छापने के लिये!
मैं कहानियाँ लिखता भी रहा हूँ और पढ़ता भी रहा हूँ पर नेहा वर्मा की कहानी मुझे बहुत अच्छी लगती है।
मैंने अपको अपनी पिछली कहानी
लव स्टोरी 2008
में बताया कि किस तरह से उस लड़की ने मुझे मिलने के लिये तड़पाया और मुझे बाद में छोड़ के भी चली गई उसे भुला तो मैं नहीं पाया था लेकिन जिन्दगी जीना सिखा ही देती है।
उसके बाद मैं कई दिनों तक चूत की तलाश में बेचैन रहा और किसी को पाना चाहता था।
ऐसे में मेरे एक दोस्त ने मुझे बताया कि आजकल तो लड़कियाँ पैसे देकर करवाती हैं और तू ऐसे तड़प रहा है!
तो मैं उसके सुझाव को सही मान कर उसकी बातों में आ गया और लौट गया मस्ती की दुनिया में फिर से!
उसने मुझे एक शादीशुदा अमीरजादी का नम्बर दिया जो पैसे देकर करवाती थी।
मैंने भी हिम्मत कर के उससे फोन पे बात की।
उसने मुझे अपने घर पर मौज-मस्ती के लिये बुला लिया।
वो दिल्ली के एकदम पॉश इलाके में रहती थी, शानदार गाड़ी उसके घर के बाहर देख कर मैंने सोचा कि बहुत ही मालदार और सेक्सी होगी।
खैर मालदार तो थी लेकिन सेक्सी के नाम पर धब्बा! देखने में एकदम लटकी हुई काया उसकी!
मेरा तो मुंह जैसे एकदम से उतर ही गया कि चूत की तलाश में मैं कहाँ फंस गया.
मैंने मन ही मन अपने दोस्त को बहुत ही गालियाँ दी- साले ने कहाँ फँसा दिया!
उसने मुझे बहुत ही प्यार से अन्दर बुलाया।
उसका घर बहुत शानदार था, देख के मैंने उसके घर की तारीफ की।
इस पर उसने मुझे अजीब से तरीके से देखा जैसे वो कुछ और चाहती थी और मैने बोल दिया कुछ और!
तब मुझे एकाएक याद आई कि किसी भी औरत के सामने उसके अलावा और किसी भी चीज की तारीफ नहीं करनी चाहिए।
मुझे उस लड़की के प्यार ने जैसे पागल ही बना दिया था (लव स्टोरी २००८ वाली) कि मैं उसकी तारीफ ही करना भूल गया।
तो मैंने बात को सम्भालते हुए कहा- लेकिन आपकी साड़ी से कम!
तो इस पर वो हँस पड़ी।
पता नहीं- पहली बार मुझे सेक्स करने का मन नहीं कर रहा था मगर सेक्स मेरी जरुरत भी बन गया था।
लेकिन उसके बेडौल शरीर के बावजूद गजब की अदाएँ थी उसकी।
वो बहुत बल खा के चल रही थी और बहुत ही हंसमुख भी थी, बात बात पर हंसती थी और मेरी तो चुटकुले छोड़ने की तो आदत है ही बात बात पर चुटकुले!
उसने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी थी जो मुझे बेचैन कर रही थी। मैं ये सब सोच ही रहा था कि वो मेरे लिए शेक बना लाई।
मैंने जान कर खुश होकर शेक उसके हाथ से पीने की इच्छा जाहिर की।
वो झट से मान गई, जैसे वो तो यही चाहती हो और अब तक उसके हाथों में थोड़ी सी हलचल भी होने लगी थी।
मेरा जबरदस्त शरीर देख कर वो बहुत ही लालयित हो गई थी और शायद थी बहुत बेचैन कुछ पाने के लिये!
मैंने झट से शेक खत्म किया और उसके गुंदाज बदन को ध्यान से देखा तो लगा कि शायद यह मेरा एक अनमोल अनुभव रहने वाला है।
उसे देख कर मैं एक दम से जंगली हो गया।
मैं उसे नीचे बैठा कर उसके बाल पकड़ कर एकाएक उसके उभारों को दबाने लगा।
उसकी आँखों में गजब की प्यास थी, एकदम भूखी शेरनी की तरह!
अब मुझे कुछ महसूस हो रहा था कि जैसे अब मैं तैयार हो गया हूँ कुछ करने के लिये! मेरे अंदर एक वहशीयत सी आ गई है, मैं उसे रौंदना चाहता हूँ अपने पूरे जोर से, ताकत से, मस्ती से!
यह एक नये एहसास जैसा था कि मैं एक अपने से बड़ी उमर की औरत के साथ अपनी हवस पूरी करने जा रहा हूँ।
पर मैं यह सब सोच ही रहा था कि मेरी पैंट की जिप खुल चुकी थी।
मैंने यह सब करने से पहले उसे उठा कर अपनी ओर खींचा और उसके होठों को चूमना शुरु कर दिया और उसका बालों को खोल दिया।
मुझे उसके साथ खेलने में मजा आ रहा था।
उसके स्तन क्या बताऊँ, एकदम कप साइज के थे।
मुझे यह सब महसूस करके अच्छा लग रहा था।
वो अब तक मेरे लण्ड पर कब्जा बना चुकी थी उसकी साड़ी देख कर मेरे अन्दर का दुःशासन जाग गया और मैंने एकाएक उसकी साड़ी खींचनी शुरु कर दी।
हा हा हा वो एक दम सविता भाभी डॉट काम की हीरोइन लग रही थी सिर्फ़ चड्डी में!
मुझे यह देख कर एक मस्ती सूझी, मैंने उसकी लिपस्टिक पौंछ दी और अपने लण्ड पे लिपस्टिक लगा कर उसे चूसने के लिये कहा।
मैंने देखा कि वो भी इन सब चीजों का मजा ले रही है और बहुत हंस भी रही है।
तुम अज़ीब दीवाने तो हो ही, मूडी भी हो! अभी थोड़ी देर पहले तक मूड खराब सा लग रहा था और अब मस्ती सूझ रही है?
मैंने चुपके से उसकी पैंटी खींच दी … हहह हहह हहहह! मस्त चिकनी चूत थी उसकी एकदम! मक्खन जैसी नाजुक!
उसे मैंने हल्के से चिकोटी काटी, वो झट से मेरी गोद में आकर बैठ गई।
अब मुझे भी मस्ती छाने लगी थी। मैंने पास में रखा हुआ बनाना-शेक उसके ऊपर थोड़ा उलटा दिया और उसे बेतहाशा चूमने चाटने लगा। उसे मेरा ये स्टाइल अच्छा लगा और उसने भी अपनी आह उह से मेरा स्वागत किया। मुझे इस बात पर जोश छाया और मैंने उसे औंधा लेटा दिया और उसके ऊपर सारा बनाना-शेक पलट दिया उसे ठंडक का एहसास होने लगा और वो मेरी बाहों में आकर लिपट गई। मैं अब उसके सांसों की गरमी महसूस कर सकता था।
मैंने अब उसे धक्का देकर बेड पर लेटा दिया वो अब मेरे इरादे समझ चुकी थी तो उसने भी देर ना करते हुए अपनी टांगें फैला दी.
मैं सीधा आकर उसकी टांगों के बीच बैठ गया और कुछ करने से पहले उसकी गांड में उंगली घुसा दी।
वो सिहर उठी।
अब मैंने देर ना करते हुए जल्दी से काँडम चढ़ा लिया और उसके यौन-मंडल पर अपना लिंग रख दिया और धीरे से अंदर सरका दिया।
उसके मुख-मंडल पर नशे की लहर दौड़ उठी।
मैं थोड़ी देर वैसे ही रहा और उसके मुँह में उँगली घुसा दी वो मेरी उँगली को चूसने लगी।
मुझे और उसे दोनों को मजा आने लगा।
मैंने उँगली उसके मुंह से निकाल कर फिर से उसकी गाँड में डाल दी और धीरे धीरे उसकी चूत को चोदने लगा।
वो अब एकदम मदहोश हो गई।
मैंने एक हाथ उसकी गरदन के नीचे लगा दिया और जोर से धक्के लगाने लगा। वो जल्दी ही झड़ गई। थोड़ी देर में मैं भी झड़ने वाला था तो मैंने अपनी गति बढ़ा दी और झड़ गया।
अब मैं उसके साइड में आकर लेट गया, वो काफी खुश लग रही थी।
मुझे नहीं पता था कि एक औरत मुझे इतना मजा दे सकती है।
उसकी कोमलता एक लड़की से ज्यादा थी और गरमी एक आग की भट्टी से ज्यादा!
मैंने उसके अंदर अपने प्यार को तलाशना चाहा और आशिकों की तरह ही उसे प्यार किया लेकिन बावजूद इसके, उसने मुझे पैसो में तोलना चाहा। पर क्या प्यार का कोई मोल हो सकता है?
मैंने उससे पूछा- क्या तुम्हें मजा आया?
उसने हामी भर दी तो मैंने कहा- सपनों में आकर तो सब चोद जाते है, हम तो वो है जो खुली आँखों में चुदने के सपने छोड़ जाते हैं। अगर खुशी हुई है तुझे तो पैसो में ना तोल मेरी मुहब्बत को! हम वो नहीं जो नोटों के लिये पैमाने छोड़ जाते हैं।
बस यह कह कर मैं वहाँ से चला आया फिर से नई चाह में, नये साथी की तलाश में!
अब मैंने भी ठान लिया है कि तेरे हसीन चेहरे को दूसरों में खोजता रहूंगा और अगर ना मिली तू तो तेरी चाह में दूसरी को चोदता रहूँगा।
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अगल बगल में सभी लड़कियाँ Sex Stories अपने हाथों में लंड पकड़े हुए थीं और उनको मसल रही थीं। मोनी को एक मोटे से सेठ ने अपनी गोद में बठा रखा था। सेठ ने १००० रूपये पिंटू की तरफ बढ़ा दिए। पिंटू ने मोनी को आंख मार कर लौड़ा चूसने का इशारा किया। मोनी जमीन पर बैठ गई और उसने सेठ का ४ इंच लम्बा लौड़ा मुँह में ले लिया और उसे लोलीपोप की तरह चूसने लगी।
नेताजी मेरी चूत में अपनी उँगलियाँ आगे पीछे कर रहे थे तभी एक एक ग्राहक मेरी तरफ आया और १०-१० के नोट मेरे ऊपर फेंकने लगा। पिंटू पीछे से आकर मेरी चुचियों की घुन्डियाँ गोल गोल घुमाने लगा और नेताजी ने मुझे अपनी दोनों टांगों पर बिठा लिया और मेरी चूत के होंठ सहलाने लगे। उनका लंड मेरी चूत से छू रहा था। मेरी चूत की खुजली बहुत बढ़ गई थी और मन कर रहा था कि चूत में लंड घुसे और मैं चुदाई का मस्त मज़ा लूं। नेताजी मेरी चूत की मसलाई जोरों से कर रहे थे। ग्राहक ने पूरी १० के नोट की गड्डी मुझ पर लुटा दी। उसके बाद एक मुस्टंडे ने उसे वहां से हटा दिया।
१० मिनट वाली घंटी बज गई। नेताजी को मिलाकर पांच लोगों ने १००० रु. बढ़ा दिए। अब वो लोंडी को १० मिनट और मसल सकते थे। २ रंडियों के ग्राहक झड़ चुके थे वो दोनों उठ गई और फिर काउंटर पर जाकर खड़ी हो गई। ७ में से ३ लडकियाँ लौड़ा चूस रही थीं। नेताजी ने अपनी जेब से १००० की गड्डी निकाली और एक नोट पिंटू की तरफ बढ़ा दिया। पिंटू ने मेरा एक संतरा जोरों से मसलते हुआ कहा चल अब जरा साहब का लौड़ा चूस।
मैं मरती क्या न करती। मुझे अब नेताजी के पैरों में बैठकर उनका लौड़ा मुँह में लेना पड़ा। लौड़ा पूरा वीर्य से गीला हो रहा था। मुँह में लौड़ा घुसते ही एक कसेला सा स्वाद मुझे लगा। दो तीन बार लौड़ा चूसने से मुझे मस्ती आने लगी और मैं मस्त होकर नेताजी का लौड़ा चूसने लगी। नेताजी मेरे चूतड़ों को कस कस कर दबा रहे थे और कह रहे थे,”रंडी तू तो बड़ा मस्त लौड़ा चूसती है चल जरा मेरा सुपाड़ा चाट ! अगर मुझे खुश कर देगी तो कुतिया, मैं तुझे हिरोइन बनवा दूंगा !”
अब मैंने नेताजी का सुपाड़ा चाटना और चूसना शुरू कर दिया था। नेताजी ने मेरे ऊपर दो-तीन १०००-१००० के नोट लुटा दिए। तभी वहां मौसी के साथ ४-५ पुलिस वाले आ गए। सभी सादी वर्दी में थे मौसी बोली- कोई घबराए नहीं, सब कुछ २-३ मिनट के लिए है।
एक पुलिस वाले ने मेरे बाल खींचे और मुझे धक्का दिया और बोला,”साली रंडी हट इधर से हट !”
मैं पीठ के बल गिरी और एक पुलिस वाले ने नेताजी को १०-१२ थप्पड़ मार दिए। फिर बोला,”कलुआ ! साले हमें धोखा देता है साला बैंक लूटता है… हरामी कहीं के ! तुझे अभी थाने में चलकर बताता हूँ कि पुलिस को परेशान करने का मतलब क्या होता है ?”
पुलिस नेताजी को धक्के मार कर ले गई। उनका इंसपेक्टर मौसी से बोला,”मौसी, आपकी मदद से हम इसे पकड़ने में सफल रहे, धन्यवाद।”
मौसी कुटिल मुस्कराहट से बोली,”हजूर हम तो आपके सेवक हैं !”
उनके जाने के बाद मौसी बोली,”भाई, सभी मस्ती करो, डरने की बात कोई नहीं। कुते के पास जो नोटों की गड्डियाँ थी उस पर जिस बैंक की मोहर थी वो कल ही लूटी गई थी। मैं समझ गई थी कि साले बैंक लूट कर आये हैं। यह साला कलुआ बदमाश था २०,००० का इनाम है इस पर हरामी पर। नेता बनता है साला भडुआ !”
हम सभी रंडियों के ग्राहक हमें छोड़कर भाग गए थे। हम सभी रंडियाँ एक बार फिर साइड में जाकर खड़ी हो गईं। रोकी ने हमें पतले कपड़े की चड्डियाँ पहना दी थी और हमारे गले में मालाएं डाल दी थीं। नाचने वाली लड़कियों की चड्डियाँ मुस्टंडों ने उतार दी थीं। वो अब वो फर्श पर लेटकर अपनी चूत कभी फैला रही थीं कभी छुपा रही थीं। ग्राहकों की भीड़ दुबारा बढ़ गई थी हम लोगों की बोली दुबारा लग गई थी। इस बार मेरे हिस्से में एक मरियल सा ५५ साल का बुड्ढा आया था जिसने मुझे मसलने के लिए १५०० रुपए लगाए थे।
बुड्ढे ने मेरी माला के फूल मसल दिए और अपने दोनों हाथों में मेरे स्तनों को पकड़ कर उन्हें धीरे धीरे दबाने लगा। मैंने बुड्ढे के पैंट के बटन खोल दिए और उसकी चड्डी नीचे कर दी। बुड्ढे का पतला लंड खड़ा हुआ था जो मुश्किल से ४ इंच का होगा। मुझे उसे पकड़ने में ऐसा लग रहा था जैसे कि कोई बड़ी मूंगफली अपने हाथों में दबी है । धीरे धीर मैं बुड्ढे की मूंगफली मसलने लगी। बुड्ढा मेरी चूचियाँ मसले जा रहा था। मेरी तरफ देखकर खी-खी करते हुआ बुड्ढा बोला,”तेरी चूचियाँ बिलकुल मेरी बहू की तरह चिकनी हैं !”
मैं हैरान थी मैं बोली,”क्यों ? तू अपनी बहू को भी चोदता है क्या?”
बुड्ढा खी-खी करते हुआ बोला,”चोदी तो नहीं है, लेकिन जब भी मुन्ने को दूध पिलाती है तो उसकी चूचियाँ छुपकर देखता हूँ ! बिल्कुल तेरी जैसी चिकनी हैं !”
मैं हैरान थी कि ऐसे भी लोग होते हैं। मैंने उसके लौड़े को मसलते हुआ पूछा,”और ताऊ क्या देखा है?”
बुढ़ऊ फुसफुसाया,”बाथरूम में २-३ बार नंगे नहाते हुए भी देखा है, एक बार जब मेरा लड़का १०-१२ दिन के लिए बाहर गया हुआ था तो बाथरूम में उसे चूत में मोमबत्ती डालते हुए भी देखा था। साली को चोदने का मन तो करता है लेकिन शराफत भी तो कोई चीज़ है।”
मौसी उधर से निकली और बुड्ढे की तरफ देखती हुई बोली।”चचा दूध ही मसलते रहोगे या कुछ और भी करोगे? थोड़ा इसकी सुरंग में ऊँगली करो, मज़ा आ जायेगा।”
ताऊ की उँगलियाँ अब मेरा चूत के होटों पर फिसल रही थीं। एक मिनट बाद ही ताऊ ने अपना पानी छोड़ दिया जिसकी धार मेरे हाथ और पेट पर जाकर गिरी। ताऊ के १० मिनट पूरे होने वाले थे। पिंटू बोला,”ताऊ टाइम हो गया है, और देर तक कुतिया को मसलना है तो १००० रु निकालो !”
ताउ मुझे हटा कर अपनी पैन्ट ऊपर चढ़ाते हुए बोला,”और पैसे नहीं हैं, वो राजू की अम्मा बटुआ भूल गई थी, उसमें से २००० रूपये निकाल लाया था ! सिर्फ २०० रु बचे हैं। साली कुतिया बहुत मजा दे रही है। तू मौसी से बोल २०० रूपये में लौड़ा चुसवाने दे बाकी बाद में दे दूंगा !”
पिंटू बोला,”नो पैसा, नो मजा ! अब जाओ फिर बाद में आना लाइन में और लगे हैं !”
रंडियों की मसलाई जोरों पर थी। दो रंडियों की चूत में लौड़ा भी घुसा हुआ था उनके कस्टमर उनको सबके सामने चोद रहे थे। मोनी के सेठ ने एक ५० की गड्डी पिंटू की तरफ बढ़ा दी और बोला,”साली की चूत चोदनी है !”
पिंटू ने एक कंडोम का पैकेट उसकी तरफ बढ़ा दिया और बोला,”ले सेठ १५ मिनट में कुतिया को निपटा दियो, वरना ५००० और देने पड़ेंगे !”
सेठ ने अपना लौड़ा मोनी की चूत में फिट कर दिया और उसकी चुदाई शुरू कर दी। मोनी सहित तीन रंडियाँ डांस हाल में चुद रही थीं। ३ की मसलाई सोफों पर हो रही थी। मैं काउंटर पर नंगी खड़ी थी। इतनी देर तक हाल में नंगी खड़ी होने से मेरी शर्म बिलकुल ख़त्म हो गई थी। मैं अपने को रंडी मान चुकी थी मेरा मन लौड़ा खाने को कर रहा था। पिंटू ने मेरे मेरे चून्चों पर एक जोर का हाथ मारा और बोला,”अभी २० मिनट और हैं, एक ग्राहक को और निपटाना है !”
मौसी वहीं घूम रही थीं। उन्होंने आकर एक केला मुझे पकड़ा दिया और बोली,”हल्के-हल्के अपनी चूत पर फिरा और अपने मुँह से इशारे कर ! इस बार तेरा दाम २००० रु से ऊपर लगना चाहिए, समझी ! वरना एक और कुत्ता तेरे ऊपर चढ़वाना पड़ेगा !”
तभी आशा नाम की एक और रंडी काउंटर पर आकर खड़ी हो गई थी। हम दोनों केला अपनी चूत पर फिराने लगी और ग्राहकों की तरफ देखकर चुम्मी फेंकने लगी। मैं अब अपने को मौसी की लोंडी मान चुकी थी। मेरे अन्दर उनकी बात टालने की हिम्मत नहीं थी। सामने लड़कियों की चूत में लौड़े घुसे हुए थे। मेरी चूत बहुत जोरों से खुजिया रही थी, मन कर रहा था कि अबकी बार मैं भी चुदूं। नाचने वाली लडकियाँ बार बार अपनी चूत में मोमबत्ती डाल रही थी। मौसी मुस्करा रही थी और रोकी से कह रही थीं,”सभी रंडियाँ बिक चुकी हैं १-२ को छोड़कर। भोंसड़ी वालियों के भी रेट आज ५०० से उपर लग रहे हैं !”
तभी दो ग्राहक हमारी तरफ आए। मौसी उन्हें लेकर आई थी। मौसी मुझसे बोली,”यह छोटा खलील और उसके चेले हैं, पूरे पूना का अन्डरवर्ड देखते हैं। तुम दोनों की चुदाई और मसलाई दोनों करेंगे। १२ हज़ार दे चुके है। चूत चुदवा और जम के मज़ा ले। ऐसा मज़ा दुबारा नहीं मिलेगा।”
मेरे चूतड़ों पर हाथ फेरते हुए पिंटू बोला,”तेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है न ? जा अभी यह मिटा देंगे। कुतिया चल जा चुद और मस्तिया !”
छोटा खलील और उसके साथी के साथ हम दोनों सोफों की तरफ बढ़ गईं। दो सोफे पास पास खाली नहीं थे। पिंटू ने एक ग्राहक को उठाकर दूसरी साइड में बिठा दिया। खलील और उसका साथी पहले भी कोठे पर आ चुके थे। दोनों ने पैन्ट खोल कर अपने लौड़े हम दोनों के हाथ में पकड़ा दिए। थोड़ा मसलने पर खलील का लौड़ा ८ इंच लम्बा हो गया। खलील का लंड अच्छा मोटा था। खलील और उसके चेले ने अच्छे पैसे दिए थे इसलिए उन पर कोई रोक नहीं थी। वो हमारी चूत भी बजा सकते थे। खलील मेरी चूत रगड़ते हुआ बोला,”हम पी कम्पनी के गुंडे हैं अब तक ५६ आदमियों को निपटा चुके हैं। कुतिया तू नई आई लगती है तेरी चूत तो बड़ी माल है बिलकुल घरेलू नई बहू की तरह है। मेरी बीबी भी जब नई थी तो उसकी भी ऐसी ही मस्त थी, साली के अब तो ६ बच्चे हो गए हैं, घुसाने में मजा ही नहीं आता। आज मुझे कुछ काम है इसलिए आज तो तेरी चूत का स्वाद चख लेता हूँ कल आकर पूरी रात बजाता हूँ। इतनी हसीं चूत तो बॉम्बे की फाइव स्टार कॉल गर्ल्स की भी नहीं होती है। ऐसी चूत रोज़ रोज़ थोड़े ही मिलती है तुझे चोदने में तो रंडी मज़ा आ जायेगा।”
खलील में काफी ताकत थी वो जोर जोर से मेरे दूध और निप्पल्स मसल रहा था और चूत में ऊँगली कर रहा था उसका लौड़ा बिलकुल लोहे की रोड की तरह तन गया था। मुझे लौड़ा उमेठने में मज़ा आ रहा था और खलील के लंड से मस्तिया रही थी। मैंने खलील के होटों पर अपने होठ रख दिए और चूसने लगी थी। उसने मेरी गांड पर चुटकी काटी और बोला,”ले जरा लंड राज को चूस !”
मैं घोड़ी बन कर खलील का लंड चूसने लगी। उसने अपनी एक ऊँगली मेरी गांड में डाल दी और आगे पीछे करने लगा। साथ ही साथ बुदबुदा रहा था,”कुतिया तेरी गांड तो लगता है अभी तक मारी ही नहीं गई, बिलकुल ताजा माल है।”
थोड़ी देर बाद उसने मुझे हटा दिया और सोफे से मुझे गोद में उठाया और फिर सोफे पर पटक दिया और मेरी दोनों टांगें चौड़ी कर मेरे चूत के मुँह पर अपना लंड रख दिया और मेरी दोनों चूचियाँ कस कस के मसलते हुए अपना लंड एक झटके में मेरी चूत में डाल दिया। मैं जोर से चिल्ला उठी उई…,”मर गई … मर गई मर गई … छोड़ साले कुत्ते ! चूत फट गई, बाहर निकाल ! बहुत दर्द हो रहा है !”
शायद उसे इसमें मज़ा आया। उसने मेरी चूत और जोर जोर से फाड़नी जारी रखी। मेरी बगल में आशा भी चुद रही थी। हाल में २० -२५ बाहर के लोग शो देख रहे थे। वो रंडियों का ब्लू डांस कम हमारी चुदाई देखने का आनंद ज्यादा ले रहे थे। ३-४ धक्कों के बाद मुझे चुदने का मज़ा आने लगा। अभी खलील ने १०-१२ धक्के ही मारे थे कि आवाज़ आई,”मैं हूँ डॉन… मैं हूँ डॉन…”
खलील का फ़ोन बजा था। वो एकदम से घबरा उठा और फ़ोन उठा कर घिघयाते हुए बोला,”जी साहब जी साहब अभी आता हूँ साहब …”
उसने और उसके चेल ने अपने लंड बाहर खींच लिए बोला,”गुरु क्या बात है?
खलील बोला,”पी साहब का फ़ोन था अभी चलना है एक को निपटाना है !”
खलील का लंड बिल्कुल डाउन हो गया था, शायद पी साहब का डर बोल रहा था। वो दोनों तेजी से बाहर निकल गए मेरी चूत में वो एक आग लगा गया था।
खलील और उसके चेले चले गए थे शो ख़त्म हो गया था। उनके जाने के बाद एक मुस्टंडा परदे के पीछे से आया और हमें मौसी के कमरे में ले गया। मौसी दारू पी रही थी, मौसी बोली,”अरे बड़ी जल्दी बाहर आ गईं? क्या हुआ चुदी नहीं क्या?”
सीमा बोली,”साले लंड छुला कर भाग गए, उनके साहब का फ़ोन आ गया था !”
मौसी बोली,”तुम दोनों नंगी बहुत सुंदर लग रही हो ! थोड़ा ऊपर वाले हाल में मटक लो। २-४ रंडियाँ बच रही हैं वो भी उठ जाएँगी। यह लो पतली लाल साड़ी पहन ले, इसमें से जब तेरी चूचियाँ चमकेंगी तो ढेर नोट गिरेंगे तेरे ऊपर !”
मौसी एक मुस्टंडे की तरफ इशारा कर के फिर बोली,”अरे कालू, जरा इन दोनों को ऊपर नचा !”
मेरी गांड पर चुटकी काटते हुऐ मौसी बोली,”जा ! जरा मस्त होकर मटक। बड़ा मज़ा आएगा !”
कालू मुस्टंडा हम दोनों को ऊपर ले गया। आशा बोली,”डर नहीं, जैसे मैं करुँ वैसे कर ! कमर और स्तन मटका। बड़ा मज़ा आएगा और रुकियो नहीं, वर्ना साले मुस्टंडे गांड के अंदर सिगरेट बुझा देते हैं।”
मैं सोच चुकी थी कि अब रंडी बनने में ही भलाई है। तीन चार रंडियाँ वहां पर पहले से ही मटक रही थीं। धीर धीरे मैं भी अपने चूतड़ और चूचियाँ हिलाने लगी कभी नीचे झुककर कभी साड़ी का पल्लू गिरा कर मैं ग्राहकों को अपने दूधों के दर्शन करा रही थी। मेरे ऊपर कुछ नोट १०-१० के गिरे। मैं अब जोर जोर से अपने चूतड़ हिला रही थी। मेरा पल्लू नीचे गिर गया था मेरी नंगी चूचियाँ अब जोरों से हिल रही थीं। वहां खड़े सभी ग्राहक मेरे पर नोट फ़ेंक रहे थे। एक मुस्टंडे ने पीछे से आकर मेरी चूचियाँ मसली और गोद में उठाकर जाँघों तक मेरी साड़ी उठा दी और ग्राहकों के मुँह के सामने मेरी चूत खोल के रख दी। मेरी चूत का दीदार अब सामने खड़े ५- ६ ग्राहक कर रहे थे। उन्होंने मेरे ऊपर १०-१२ नोट फेंक दिए। थोड़ी देर में गाने चलने बंद हो गए। सभी रंडियाँ धंधे पर लग चुकी थीं। नाचने वाली ३-४ रंडियाँ कोने में जाकर बैठ गईं। मुझे पता चल गया था कि यहाँ सब लड़कियाँ मौसी की कुतिया हैं इस से ज्यादा कुछ नहीं। मौसी हाल में आयीं और बोली,”पिंटू, मोनी और इसे मेरे कमरे में पहुंचा ! बाकी बची हुई नाचने वालियों को धंधे पर लगा दे !”
अगले भाग की प्रतीक्षा करें ! Sex Stories
दोस्तो, मैं २४ साल का Sex Stories कॉलेज में पढ़ने वाला छात्र हूँ। यह बात उन दिनों की है जब मैं स्कूल में हुआ करता था। मेरी दोस्ती एक लड़की से हुई, उसका नाम पायल था। मैं अक्सर पढ़ाई में व्यस्त रहता था, वो मुझे गौर से देखती थी।
फिर हमारी नज़रें चार हुई और धीरे धीरे वो मेरे करीब हुई। फिर हमारा मेल जोल बढ़ता गया और हम काफी करीब हो गए।
एक दिन मैंने उससे कहा- मैं तुझसे प्यार करता हूँ और शादी करना चाहता हूँ !
तो वो मुस्करा दी, मैंने उसके होंठो पर किस कर दी, वो शरमा गई।
मैं आगे बढ़ रहा था, मेरे हाथ धीरे धीरे उसके उरोजों तक पहुँच गए। वो ना ना करती और मैं और आगे बढ़ता रहा। मेरा हाथ अब उसकी पीठ से होता हुआ उसके निचले हिस्से तक पहुँच गया ।मेरे लौड़ा भी अब गरम हो रहा था। मैंने यह महसूस किया कि उसकी योनि भी अब गीली हो रही है।
फिर उसने कहा- अभी नहीं ! अभी मुझे जाना है ! अपन कल मिलते हैं !
अब वक़्त कट नहीं रहा था। रात भर सोना बहुत मुश्किल हो गया था, बार बार मेरी निगाहें घड़ी की तरफ थी कि कब सुबह हो और मेरी पायल से मुलाकात हो !
फिर सुबह हुई और हम मिले।
उसने आज बहुत सुन्दर कपड़े पहने हुए थे। उसके अन्दर से इतर की अच्छी खुशबू आ रही थी। ऐसा लग रहा था कि वो भी पूरे मूड में आई है।
अब क्या था ! हम शुरू हो गए, किस का दौर चला और करीब आधे घंटे तक मैं उसे किस करता रहा और इस बीच उसके उरोजों को भी सहलाता रहा। वो काफी मज़े ले रही थी। फिर मैंने उसके उरोजों को उसके कपड़ों से आज़ाद कर दिया और जोर जोर से दबाने लगा।
उसके मुँह से कामुक सिसकियाँ निकलने लगी और वो भी मेरा भरपूर साथ देने लगी। फिर मैं आगे बढ़ा और उसकी योनि में अपनी एक उंगली डाल दी।
इस पर वो उछल पड़ी। फिर मैंने उसका पजामा उतार दिया और उसने मेरा पूरा साथ दिया। फिर मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए। अब हम दोनों पूर्ण रूप से निर्वस्त्र हो गए थे यानि हमारे बदन पर अब एक भी कपड़ा बाकी नहीं था।
दोनों पर मस्ती पूरे जोर पर थी। हम दोनों पागलों की तरह एक दूसरे को चूमते रहे, चूसते रहे। फिर अचानक उसने उठकर मेरा लौड़ा अपने मुंह में ले लिया। वो शायद गरम लौड़े को ठंडा करने की कोशिश कर रही थी।
मैंने उसकी योनि पर अपना मुँह लगा दिया और जुबान से घुमा घुमा कर चाटने लगा। उसकी योनि से निकल रहा योनि-रस मुझे और भी कामुक बना रहा था। तकरीबन १५ मिनट के बाद मैंने उसे सीधा करके उसके योनि-द्वार कर अपना लौड़ा रख दिया।
अब उसके मुँह से भी कामुक सिसकियाँ निकल रही थी। वो धीरे धीरे मेरे कान में कहने लगी- अब बस भी करो ! अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है, अपने लौड़े को मेरी योनि में डाल दो ना !
फिर मैंने धीरे से अपना लौड़ा उसकी योनि में डालना शुरू किया। मैं जानता था कि वो अभी औरत नहीं बनी है और उसकी योनि अभी टाइट है।
उसे बहुत दर्द हो रहा था। मैं धीरे धीरे अन्दर कर रहा था। जब मेरा पूरा लौड़ा अन्दर चला गया तो उसके मुख से जोर से चीख निकल गई। उसे काफी दर्द हो रहा था
फिर बाद में वो मेरा साथ देने लगी और मैं धक्कों के साथ साथ उसके उरोजों को भी दबा रहा था।
फिर तो हम दोनों स्वर्ग के सैर करने लगे। कई मिनटों के बाद उसका योनि-रस निकल गया। मैं भी जोर जोर से हांफ रहा था। उसके तीसरे पतन के बाद मैं ठंडा पड़ा
और हम दोनों ने फिर चार बार और संभोग किया और कई दिनों तक करते रहे।
आज भी मुझे वो दिन याद आते हैं तो मन गुदगुदा जाता है, क्या हसीन पल थे वो ज़िन्दगी के !
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मैं और प्रीती मेरे फ्लैट में Hindi Sex Stories दाखिल हुए और मैंने पूछा, “प्रीती फ्लैट कैसा लगा?”
“छोटा है, लेकिन अपना है, यही खुशी है”, मुझे उसने जवाब दिया।
“ठीक है! तुम आराम करो… मैं तब तक सबज़ियाँ और सामान लेकर आता हूँ”, ये कहकर मैं सामान लेने बाज़ार चला गया।
मैं वापस आया तो देखा प्रीती किचन में काम कर रही थी। “ये क्या कर रही हो?” मैंने पूछा।
“कुछ नहीं खाने की तैयारी कर रही हूँ, क्यों खाना नहीं खाना है?” उसने पूछा।
“जब इतना अच्छा खाना सामने हो तो ये खाना किसको खाने का दिल करेगा”, मैंने उसकी चूचियों को दबाते हुए कहा।
“इसके लिये रात बाकी है, पहले ये खाना खाकर अपने में ताकत लाओ, फिर इस खाने को खाना।”
“ठीक है मेरी जान! जैसा तुम कहो…” मैंने जवाब दिया।
वो खाना बनाने में लग गयी। अचानक मैंने पूछा, “प्रीती! क्या तुम कुछ पीना पसंद करोगी, मेरा मतलब कुछ बीयर या रम?”
“मैं शराब नहीं पीती, और मुझे नहीं मालूम था कि ये गंदी आदत आपको भी है”, उसने कहा।
“जान मेरी! मुझे सब गंदी आदत है, जैसे शराब पीना, सिगरेट पीना, और तीसरी गंदी आदत का तो तुम्हें मालूम ही है”, मैंने हँसते हुए कहा।
“हाँ! मुझे अपनी पहली रात को ही पता चल गया था”, उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
हम दोनों खाना खाकर सोने की तैयारी करने लगे। मैं बिस्तर पर लेट चुका था, प्रीती बाथरूम में थी। थोड़ी देर बाद वो बाथरूम से बाहर आयी, एक पारदर्शी नाइटी पहने हुए। उसका गोरा बदन पूरा झलक रहा था। उसके बदन को देखते ही मेरा लंड तन गया।
“नहीं मेरी जान! तुम ये कपड़े पहन कर नहीं सो सकती, चलो जल्दी से अपनी नाइटी उतारो और नंगी होकर आ जाओ, मेरी तरह … साथ ही अपने वो सैक्सी हाई हील के गोल्डन कलर के सैंडल पहन लो जो तुमने शादी के दिन पहने थे”, ये कहकर मैंने चादर हटा कर उसे अपना तना लंड दिखाया। उसका चेहरा शरम के मारे खिल उठा और उसने अपनी नाइटी उतार दी और खुश्किस्मती से उसने बिना कुछ सवाल पूछे अपने सैंडल भी पहन लिये।
उसे अपने बाँहों में भरते हुए मैंने बिस्तर पर लिटा दिया और कहा, “डार्लिंग! ये हमारे फ्लैट पर पहली रात है, आओ खूब चुदाई करें और मज़े लें।”
मेरे हाथ उसके शरीर को सहला रहे थे। मेरे होंठ उसके होंठों पे थे और मेरी जीभ उसके मुँह में उसकी जीभ के साथ खेल रही थी। मैंने अपना मुँह उसकी छातियों के बीच छुपा दिया और उसके मम्मे चूसने लगा। एक हाथ से उसके मम्मों को जोर से भींचता तो उसके मुँह से सिस्करी निकल पड़ती, “ओहहह सुनील!!”
उसके मम्मे चूसते हुए मैं नीचे की तरफ बढ़ा और अपना मुँह उसकी गोरी और बिना बालों वाली चूत पर रख दिया। अब मैं धीरे से उसकी चूत को चाट रहा था।
उसके घुटनों को मोड़ मैंने उसकी छाती पर कर दिये जिससे उसकी चूत ऊपर को उठ गयी और मैं अपनी जीभ से उसकी चूत को चोदने लगा।
“ओह राज बहुत अच्छा लगा रह है, आआहहह … किये जाओ”, कहकर वो अपनी गाँड ऊपर को उठा देती।
मैं और तेजी से उसकी चूत को अपनी जीभ से चोद रहा था।
“ओहहह डार्लिंग किये जाओ … औऔऔर जोर से, मज़ाआआआ आ रहा है, हाँआँआँ ऐसे ही किये जाओ”, कहते हुए उसकी चूत ने मेरे मुँह में पानी छोड़ दिया।
उसकी चींखने की और जोरदार सिसकरियों को सुन कर मैं सकते में आ गया, पर मुझसे भी रुका नहीं जा रहा था। मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रख कर एक जोर का धक्का लगाया। मेरा लंड एक ही झटके में उसकी चूत में जा घुसा। “आआआ आआहह मर गयी”, वो चिल्लायी।
अब मैं धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा। जैसे-जैसे मैं रफ़्तार बढ़ाने लगा, उसकी साँसें तेज होने लगी, उसके बदन में अकड़ाव सा आने लगा।
ये देख मैं अब जोर जोर से अपने लंड को उसकी चूत में डाल रहा था। प्रीती सिसकरियाँ भर रही थी, “ओहहह राज औऔऔर जोररर से!!! आहहह हाँआंआंआंआं ऐसे ही कियो जाओ!!!! हाँ राजाआआआ आज फाड़ दो मेरी चूत को।”
मेरे लंड के पानी में भी उबाल आ रहा था और वो छूटने को तैयार था। मैंने उसे चोदने की रफ़्तार और बढ़ा दी। वो भी अपनी जाँघें उठा मेरे थाप से थाप मिला रही थी, “ओओओहहहह … येसस… ऊऊऊहहह राज और जोर से… मेरा छूटने वाला है हाआआआआ, मैं… ऐंऐंऐं तो गयी।”
जैसे ही उसकी चूत ने पानी छोड़ा, मैंने भी दो चार करारे धक्के लगा कर अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। दोनों का शरीर पसीने में चूर था, फिर भी हम एक दूसरे को उन्माद के मारे चूम रहे थे और सहला रहे थे।
उसकी पीठ को सहलाते हुए मैंने कहा, “प्रीती तुम तो कमाल की हो।”
“क्यों क्या हुआ, मैंने ऐसा क्या किया?” उसने जवाब दिया।
“तुमने किया कुछ नहीं, पर मैंने आज से पहले तुम्हें इस तरह चिल्लाते, सिसकरियाँ भरते नहीं सुना, मुझे लगा कि तुम्हें चुदाई में मज़ा नहीं आता है”, मैंने कहा।
“राज मुझे तो इतना मज़ा आता है कि मैं उस वक्त भी जोर-जोर से चिल्लाना चाहती थी जब तुमने मेरी चूत का उदघाटन किया था, पर मैंने अपने आप को रोक लिया।”
“ऐसा क्यों किया तुमने?” मैंने पूछा।
“ये सोच कर कि घर में सबको पता लग जायेगा कि उनका लड़का अपनी नयी बहू को जोरों से चोद रहा है”, उसने जवाब दिया।
“हाँ ये तुमने ठीक किया… मैंने तो ऐसा सोचा ही नहीं था”, उसकी गाँड को सहलाते हुए मैंने कहा, “प्रीती चलो अब तुम्हारे दूसरे छेद का उदघाटन करना है।”
“दूसरे छेद का…? मैं समझी नहीं?” वो चौंकी, पर जब उसने मेरी अंगुलियों को अपनी गाँड में घुसते महसूस किया तो वो बोली, “कहीं तुम मेरी गाँड तो नहीं मारना चाहते?”
“तुम सही कह रही हो मेरी जान! यही तो वो दूसरा छेद है जिसे मैं चोदना चाहता हूँ”, मैंने और जोरों से अपनी अँगुली उसकी गाँड में घुसाते हुए कहा।
“नहीं राज! गाँड में नहीं, बहुत दर्द होगा”, उसने रिक्वेस्ट करते हुए कहा।
“अब चुपचाप घुटनों के बल हो जाओ”, मैंने थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा, “आज तुम्हारी गाँड को चुदवाने से कोई नहीं रोक सकता।”
मेरी बात मानते हुए वो घुटनों के बल हो गयी। मैंने उसके सिर और कंधों को तकिये पर दबाते हुए उसे अपनी गाँड को चौड़ा करने को कहा। उसने अपने दोनों हाथों से अपनी गाँड को चौड़ा कर दिया। अब मुझे उसकी गुलाबी गाँड का नज़ारा साफ दिखायी दे रहा था, साथ ही उसकी चूत भी ऊपर को उठी हुई थी। मैं अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटने लगा और अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी।
अपनी एक अँगुली पर वेसलीन लगा कर मैं उसकी गाँड के छेद को अच्छी तरह चिकना करने लगा। जैसे ही उसकी चूत चाटते हुए मैंने अपनी अँगुली उसकी गाँड के अंदर डाली तो उसके मुँह से मीठी सी सिसकरी निकल पड़ी। “लगता है तुम्हें अब मज़ा आ रहा है”, मैंने हँसते हुए कहा।
“हाँ! अच्छा लग रहा है”, उसने कहा।
एक, दो, फिर तीन, इस तरह मैंने अपनी चारों अँगुलियाँ उसकी गाँड में डाल दी। “ओह राज निकाल लो… दर्द हो रहा है, वो दर्द के मारे छटपटायी।” मगर उसकी बात ना सुनते हुए मैंने अपनी अँगुलियाँ अंदर बाहर करनी शुरू कर दी।
अब उसे भी मज़ा आने लगा था, “हाँ राज! किये जाओ अब अच्छा लग रहा है”, वो सिसकरी भरते हुए बोली।
जैसे ही मैंने अपनी अँगुली उसकी गाँड के फ़ैले हुए छेद से बाहर निकाली तो वो तड़प के बोली, “तुम रुक क्यों गये, किये जाओ ना … बहुत मज़ा आ रहा था।”
“थोड़ा सब्र से काम लो प्रीती डार्लिंग! अब मैं अँगुली से भी ज्यादा अच्छी चीज़ तुम्हारी गाँड में डालुँगा”, ये कहकर मैं अपने लौड़े पर भी अच्छी तरह वेसलीन लगाने लगा।
जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी गाँड के छेद पर रखा, वो बोली, “राज! क्या तुम्हारा इतना मोटा लंड मेरी गाँड में डालना जरूरी है, मुझे डर लग रहा है कि कहीं ये मेरी गाँड ही ना फाड़ दे और मैं दर्द के मारे मर जाऊँ।”
“डार्लिंग! किसी ना किसी दिन तो डालना ही है तो… आज ही क्यों नहीं? हाँ शुरू में थोड़ा दर्द होगा पर बाद में मज़ा ही मज़ा आयेगा”, ये कहकर मैंने अपने लंड का दबाव धीरे से बढ़ाया। जैसे ही मेरा लंड उसकी गाँड में घुसा वो दर्द के मरे चिल्ला पड़ी, “राज निकाल लो, बहुत दर्द हो रहा है।”
उसकी चिल्लाहट पर ध्यान ना देते हुए मैं अपने लंड को उसकी गाँड में घुसाने लगा। जैसे-जैसे मेरा लंड उसकी गाँड में घुसता, मुझे अपने लंड में एक अजीब सा तनाव महसूस होता।
“राज!!! प्लीज़ निकाल लो!!! प्लीईईज़ निकाल लो!!! बहुत दर्द हो रहा है”, वो छटपता रही थी।
मैंने अपने लंड को थोड़ा सा बाहर निकाल कर एक जोर का धक्का दिया और मेरा लंड उसकी गाँड की दीवारों को चीरता हुआ जड़ तक समा गया।
“आआआ गयीईईईईई मर गयी!!” वो जोर से चिल्लायी और रोने लगी। उसकी आँखों में आँसू आ गये।
“शशशशश डार्लिंग, रोते नहीं, जो दर्द होना था, हो गया, अब मज़ा ही आयेगा”, कहकर मैं अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा।
उसकी गाँड बहुत ही टाइट थी जिससे मुझे धक्के लगाने में तकलीफ हो रही थी। मैं उसकी गाँड में धक्के लगा रहा था और साथ ही साथ उसकी चूत को अँगुली से चोद रहा था।
“ओह प्रीती! तुम्हारी गाँड कितनी टाइट है, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है”, कहकर मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी। कुछ जवाब दिये बिना वो दर्द में छटपता रही थी। करीब दस मिनट की चुदाई के बाद उसे भी मज़ा आने लगा “ओहहह राज!!! अब अच्छा लग रहा है।”
मैं जोर-जोर से उसकी गाँड मार रहा था और अपनी अँगुली से उसकी चूत को चोद रहा था। मेरा पानी छूटने वाला था और उसके बदन की कंपन देख कर मुझे लगा कि वो भी अब छूटने वाली है। अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ाते हुए मैंने अपना पानी उसकी गाँड में छोड़ दिया। उसका भी शरीर कंपकंपाया और उसकी चूत ने मेरे हाथों पर पानी छोड़ दिया।
मैंने अपना लंड उसकी गाँड में से निकाले बगैर पूछा, “क्यों प्रीती डार्लिंग! अपनी गाँड की पहली चुदाई कैसी लगी?”
“कुछ अच्छी नहीं, बहुत दर्द हो रहा है! अच्छा अब अपना लौड़ा मेरी गाँड से बाहर निकालो”, उसने अपनी आँखों से आँसू पौंछते हुए कहा।
“अभी नहीं मेरी जान! मैं एक बार और तुम्हारी गाँड मारना चाहता हूँ”, मैंने अपने लंड को फिर उसकी गाँड में अंदर तक घुसा दिया।
“क्या राज!!! ये करना जरूरी है क्या? मुझे तुम्हारा लंड मेरी गाँड में घुसते ही कुछ ज्यादा मोटा और लंबा होता लग रहा है”, वो छटपटायी। मैं अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा। उसकी गाँड में मेरा पानी होने से इस बार इतनी तकलीफ नहीं हो रही थी और मेरा लंड आराम से उसकी गाँड की जड़ तक समा जाता।
मैं जोर-जोर से उसकी गाँड मारने लगा और अपनी अंगुलियों से फिर उसकी चूत को चोद रहा था। उसे भी मज़ा आने लगा और वो बोल पड़ी, “हाँ राज!!! जोर-जोर से… मज़ा आ रहा है।”
जब हम दोनों का पानी छूट गया तो मैंने उसे बाँहों में भरते हुए पूछा, “क्यों अबकी बार कैसा लगा?”
“पहली बार से अच्छा था”, उसने जवाब दिया।
“जैसे-जैसे चुदवाओगी… तुम्हें और मज़ा आने लगेगा। याद है तुम मेरा वीर्य पीना नहीं चाहती थी और अब तुम एक बूँद छोड़ती नहीं हो”, ये कहकर मैं उसे बाँहों में भर कर सो गया।
दूसरे दिन अपनी मोटर-साइकल पर ऑफिस जाते हुए मैं सोच रहा था कि ऑफिस में मेरी तीनों असिसटेंट और रजनी मेरी शादी की बात सुनकर क्या कहेंगी… क्या सोचेंगी।
मेरे केबिन में पहुँचते ही तीनों ने मुझे घेर लिया, “थैंक गॉड! राज तुम आ गये”, शबनम ने मुझे गले लगाते हुए कहा।
“समीना मुझे स्टोर रूम की चाबी दो, मैं तो एक सैकेंड भी अब इंतज़ार नहीं कर सकती”, गौरी ने कहा।
“नहीं!! राज से पहले मैं चुदवाऊँगी, मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है”, समीना ने अपनी चूत को सहलाते हुए कहा।
“रुको! तुम तीनों रुको! पहले मेरी बात सुनो, मेरे पास तुम लोगों के लिये एक खबर है”, उनका रियेक्शन देखने के लिये मैं थोड़ी देर रुका फिर बोला, “मैंने शादी कर ली है।”
“ओह नहीं!!” तीनों एक साथ बोली।
उनके चेहरे पर दुख देख कर मैं बोला, “सुनो हम लोगों के रिश्ते में कोई फ़र्क नहीं आने वाला। मैं तुम तीनों का यहाँ ऑफिस में ख्याल रखुँगा और अपनी बीवी का घर पर… समझी! चलो सब अपने काम पर जाओ और मुझे भी सब समझने दो, शाम को स्टोर रूम में मिलेंगे।”
वो तीनों खुश होकर चली गयी पर असली शामत तो रजनी से आने वाली थी। पता नहीं मेरी शादी की बात सुनकर वो क्या कहेगी, क्या करेगी। जो होगा देखा जायेगा।
समय गुजर रहा था। मैं अपने लंड से तीनों एसिस्टेंट्स को ऑफिस में और प्रीती को घर पर मज़े देता था।
हमारी कंपनी हर साल एक बहुत बड़ी पार्टी रखती थी जिसमें हर स्टाफ को उसके परिवार के साथ बुलाया जाता था।
इस बार की पार्टी शहर के सबसे बड़े क्लब, नेशनल क्लब में रखी गयी थी। मैं और प्रीती तैयार होकर क्लब पहुँचे। क्लब में घुसते हुए मैंने प्रीती से कहा, “प्रीती! ये इस शहर का सबसे बड़ा क्लब है और मैं एक दिन इसका मेंबर बनना चाहता हूँ, क्यों सुंदर है ना?”
“हाँ! काफी सुंदर है”, उसने जवाब दिया।
हम लोग लॉन में पहुँचे तो मैंने देखा कि काफी लोग आ चुके थे। “आओ प्रीती! मैं तुम्हें अपने साथियों और दोस्तों से मिलाता हूँ”, मैंने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा।
जब हम मेरे दोस्तों के बीच पहुँचे तो एक ने कहा, “आओ राज! अरे ये क्या, तुम्हारे हाथ में ड्रिंक नहीं है?”
“मैं अभी तो आया हूँ, जल्दी क्या है आ जायेगी”, मैंने जवाब दिया।
“अरे ये वेटर सब आलसी हैं, जाओ… तुम खुद बार पर से ड्रिंक क्यों नहीं ले आते”, उसने जवाब दिया।
मैं प्रीती को वहीं छोड़ कर बार की तरफ ड्रिंक लेने के लिये बढ़ा तो देखा कि रजनी सेल्स मैनेजर से बात कर रही थी। उससे नज़रें बचाते हुए मैं अपनी ड्रिंक ले कर एक भीड़ में जा कर खड़ा हो गया जिससे वो कोई तमाशा ना खड़ा कर सके।
अचानक मैंने अपने कंधों पर किसी का हाथ महसूस किया। पलट कर देखा तो रजनी खड़ी थी। “हाय राज! कैसे हो?” उसकी आवज़ में दर्द था।
“हाय रजनी! मैं ठीक हूँ, तुम कैसी हो?” मैंने जवाब दिया।
“मुबारक हो”, शबनम कह रही थी कि, “तुमने शादी कर ली”, उसने अपने हाथों से अपने आँसू पौंछते हुए कहा।
“ऑय एम सॉरी रजनी! प्लीज़ शाँत हो जाओ, अपने आप को संभालो”, मैंने थोड़ा हिचकिचाते हुए कहा।
“डरो मत! मैं कोई तमाशा नहीं खड़ा करूँगी। क्या तुम अपनी पत्नी से नहीं मिलवाओगे?” उसने हँसते हुए अपने रूमाल से अपने आँसू पौंछे।
“मेरा विश्वास करो रजनी! मैं लाचार था, पिताजी ने शादी पक्की कर दी और मैं उन्हें ना नहीं कर सका”, मैंने कहा।
“मैं समझती हूँ! शायद यही तकदीर को मंजूर था”, उसने जवाब दिया।
मैं रजनी को लेकर प्रीती के पास आ गया।
“प्रीती इनसे मिलो! ये रजनी है, अपने एम-डी की भतीजी!!”
“और रजनी ये प्रीती है, मेरी पत्नी।”
“मममम तुम्हारी बीवी काफी सुंदर है, इसलिये तुमने फटाफट शादी कर ली”, उसने हँसते हुए कहा। हम तीनों बातें करने लगे। थोड़ी देर बाद मैं बोला, “तुम लोग बातें करो, मैं एम-डी से मिलकर आता हूँ।”
मैं अपने एम-डी और मिस्टर महेश के पास पहुँचा तो देखा कि वो लोग कुछ डिसकशन कर रहे थे। इतने में एम-डी मुझसे बोले, “हे राज! वहाँ खड़े मत रहो, एक कुर्सी खींचो और यहाँ बैठ जाओ।”
मैं कुर्सी खींच कर बैठ गया।
“सर!! आपने उस औरत को देखा?” महेश ने एम-डी से पूछा।
“किसे??” एम-डी ने नज़रें घुमाते हुए कहा।
“वो जो सफ़ेद साड़ी और सफ़ेद सैंडल पहने खड़ी है, वो जिसका अंग-अंग मचल रहा है”, महेश ने अपने होंठों पर जीभ घोमाते हुए कहा।
“हाँ देखा! काफी सुंदर है!” एम-डी ने जवाब दिया।
“सर!! आपने उसके मम्मे देखे, उसके लो कट ब्लाऊज़ से ऐसा लगता है कि अभी बाहर उछाल कर गिर पड़ेंगे …” महेश ने ललचायी नज़रों से देखते हुए कहा।
“हाँ महेश!!! देख कर ही मेरे लंड से तो पानी छूट रहा है …” एम-डी ने कहा।
“सर! मेरा तो छूट चुका है और अंडरवीयर भी गीली हो चुकी है …” महेश ने कहा।
“महेश! क्या तुम जानते हो वो कौन है?” एम-डी ने पूछा।
“नहीं सर! मैं उसे आज पहली बार देख रहा हूँ”, महेश ने जवाब दिया।
“हमें पता लगाना होगा कि वो कौन है … राज! जरा पता तो लगाओ कि ये महिला कौन है और किसके साथ आयी है?” एम-डी ने कहा।
“किसका सर?” मैंने घूमते हुए पूछा।
“वो जो सफ़ेद साड़ी और सफ़ेद हाई-हील के सैंडल पहने खड़ी है … और मेरी भतीजी रजनी से बातें कर रही है।” एम-डी ने कहा।
“वो??? सर! वो मेरी वाइफ प्रीती है”, मैंने हँसते हुए जवाब दिया।
“तुमने हमें बताया नहीं कि तुम्हारी शादी हो चुकी है”, एम-डी ने शिकायत की।
“सर बस… मौका नहीं मिला”, मैंने जवाब दिया।
“क्या तुम हमारा उससे परिचय नहीं कराओगे?” एम-डी ने कहा।
“जरूर सर!” इतना कह मैं प्रीती को ले आया।
“प्रीती इनसे मिलो! ये हमारी कंपनी के एम-डी, मिस्टर रजनीश हैं और ये मिस्टर महेश हैं।”
“सर! ये मेरी वाइफ प्रीती है”, मैंने उनका परिचय कराया।
“नमस्ते!!!” प्रीती ने कहा।
“तुम बहुत सुंदर हो प्रीती! आओ यहाँ बैठो, हमारे पास…” एम-डी ने प्रीती को कहा।
“नहीं सर! मैं यहीं ठीक हूँ”, कहकर वो सामने की कुर्सी पर बैठ गयी।
थोड़ी देर में रजनी आ गयी, “चलो राज और प्रीती! खाना लग गया है।”
“एक्सक्यूज़ मी सर!!” ये कहते हुए मैं और प्रीती, रजनी के साथ चले गये।
रात को हम घर पहुँचे तो प्रीती ने कहा, “राज! तुम्हारे बॉस अच्छे लोग नहीं हैं, कैसे मुझे घूर रहे थे, लग रहा था कि मुझे नज़रों से ही चोद देंगे।”
“ऐसा कुछ नहीं है जान! तुम हो ही इतनी सुंदर कि जो भी तुम्हें देखे उसकी नियत डोल जायेगी.” मैंने उसे बाँहों में भरते हुए कहा।
अगले दिन जब मैं ऑफिस पहुँचा तो मुझे महेश ने कहा कि एम-डी ने मुझे रात आठ बजे होटल शेराटन में उनके सूईट में बुलाया है, कोई मीटिंग है।
कहानी जारी रहेगी. Hindi Sex Stories
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