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मेरा नाम राहुल राज है और Antarvasna मैं रेल गाड़ी से भोपाल से मुम्बई जा रहा था मेरे आरक्षित बर्थ के सामने वाले बर्थ पर एक खूबसूरत कमसिन लड़की बैठी हुई थी। उसके माता पिता शायद ऊपर वाली बर्थ पर थे.
रात को करीब 11 बजे जब ट्रेन के सभी यात्री सोने की तैयारी कर रहे थे, मैं भी अपने बर्थ पर सोने की तैयारी कर रहा था। तभी अचानक मेरी सामने वाली बर्थ से उस लड़की की आवाज आई- क्या आपको नींद आ रही है?
मैँने कहा- नहीं!
तो लड़की ने कहा- तो फिर कुछ बात करिये न! मुझे नींद नहीं आ रही.
लड़की के माँ बाप सो गये थे ऊपर वाली बर्थ पर। फिर मैंने लड़की से पूछा कि आप क्या कर रही हैं?
लड़की ने कहा- मैं ऐम बी बी ऐस की तैयारी कर रही हूँ।
फिर लड़की अपने बर्थ से उठ कर मेरे बर्थ पे आ गई। दिसम्बर माह होने के कारण सरदी अपने पूरे शवाब पर थी तो मैंने उसे अपना कम्बल ओढ़ने को कहा। लड़की मेरे साथ कम्बल में मेरे से सट के बैठ गई। उसके जवान शरीर की खुशबू मेरे जहन में अजीब सी हलचल पैदा कर रही थी। फिर उसने मेरे घुटने पर हाथ रखा और धीरे धीरे सहलाने लगी। फिर धीरे धीरे उसके हाथ की हरकत बढ़ने लगी।
मैं समझ गया कि ये लड़की क्या चाह रही है, फिर मैंने अपनी पैन्ट की जिप खोल कर अपना सात इंच का लन्ड बाहर निकाल कर उस के हाथ में पकड़ा दिया। लड़की काफी चुदासी लग रही थी । उसने झट से मेरे लन्ड को अपने हाथों में ले लिया और जोर जोर से सहलाने लगी। तब मैंने उसे अपने बर्थ पर लिटा लिया, मैँने उसके लिप पर लऽऽऽम्म्म्बा किस किया तो लड़की के सारे बदन में सिरहन सी दौड़ गई। उसने मुझे अपनी बांहों में कस लिया।
मैंने उसकी शर्ट की बटन को खोलना चालू कर दिया, वो कुछ नहीं बोली और इस तरह हो गई कि उसके मक्खन जैसे स्तन मेरे सामने आ गये। मैंने उसकी ब्रा सरका कर उसके स्तन चूसना चालू कर दिया।
कुछ देर बाद वो सीईई ईईई कर के मेरे लंड पर टूट पड़ी और मेरे लंड को जो तीन इंच मोटाई का है को लालीपाप की तरह चूसने लगी। मैंने उसकी पैंट के हुक ख़ोल कर उसकी पेंटी में हाथ डाल कर उसकी चूत में उंगली करना चालू कर दिया।
वो सीऽऽ ई कर के पैर फैला के लेट गई। मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ना चालू कर दिय। वो आह उह उई श श करने लगी। जब मैंने अपने लंड को उसकी चूत में ठेला तो चार ईन्च तक अंदर चला गया। उसके मुँह से अजीब अजीब सी आवाज़ें निकलने लगी और वो अपने चूतड़ हिलाने लगी।
मैंने एक धक्का और दिया तो आधे से ज्यादा लंड अंदर चला गया। उसकी आँखों से आँसू आ गये, फिर भी बोले जा रही थी- और अंदर तक डालो!
मैंने अपना पूरा लंड उस की चूत में डाल दिया और ट्रेन के इंजन की तरह धक्के मारना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद वो लड़की झड़ गई। मैंने अपने लंड को चूत से निकाल कर उसके मुंह में दे दिया। वो मेरे लंड को आईसक्रीम की तरह चूसने लगी।
मैं धक्के मारने लगा फिर मैं उसके मुँह में झड़ गया। वो मेरी सारी क्रीम को पी गई और मेरे लंड को चाट कर साफ कर दिया।
इस तरह मैंने रात में उसको कई बार चोदा। फिर मेरा स्टेशन आ गया।
तो आपको ये कहानी कैसी लगी मेल जरूर करना! Antarvasna
मैं दमन में रहता हूँ। हमारे Sex Stories पड़ोस में मेरा दोस्त सुरेश रहता है। सुरेश अकेला रहता है उसके परेंट्स गांव में रहते हैं। एक बार उसकी मामीजान किसी अधिवेशन के सिलसिले से दमन आयी और उसके घर पर करीब दो महीने रही। सबसे पहले उसके मामी के विषय में आप लोगों बता दूं।
मेरे दोस्त की मामी का नाम सौम्या है वो करीब 40 साल की सांवली सुडौल शादीशुदा महिला है। वैसे तो वो हाउसवाइफ़ है लेकिन गांव में मशहूर समाज सेविका है। उसके चूतड़ और बूब्स काफ़ी बड़े बड़े और भारी हैं, शकल सूरत से वो खूब सेक्सी और 30 साल से कम लगती है।
अकसर में शनिवार या रविवार जो कि मेरे छुट्टी के दिन हैं, सुरेश के साथ गुजारता हूँ। जब से उसकी मामीजान आयी है तब से मैं मामी से दो तीन बार मिल चुका हूँ। वो जब भी मिलती तो मुझे अजीब निगाहों से देखती थी, मुझे देख कर उसकी नज़रों में एक अजीब नशा छा जाता था या यूं कहिये उसकी नज़र में सेक्स की चाहत झलक रही हो!
ऐसा मुझे क्यों महसूस हुआ यह मैं बता नहीं सकता हूँ लेकिन मुझे हमेशा ही लगता था कि वो नज़रों ही नज़रों से मुझे सेक्स की दावत दे रही हो।
मैं जब भी उनसे मिलता तो कम ही बातचीत करता था मगर जब वो बातें करती तो उनकी बातों में दोहरा अर्थ होता था, जैसे ‘हार्दिक तुम खाली समय में कुछ करते क्यों नहीं?’
मैंने कहा- मामी जी, क्या करूँ, आप ही बतायें?
वो बोली- तुम्हें खाली समय का और मौके का फायदा उठाना चाहिये।
मैंने कहा- जरूर फायदा उठाऊँगा अगर मौका मिले तो!
वो बोली- मौका तो कब से मिल रहा है लेकिन तुम कुछ समझते नहीं, न ही कुछ करते हो?
मैं उनकी बातें सुन कर चकराया और बोला- मामीजान, आप की बातें मेरे दिमाग में नहीं घुस रही हैं।
वो बोली- देखो हार्दिक, आज और कल यानि शनिवार और रविवार तुम्हारी छुट्टी होती है तो तुम्हें कुछ कुछ पार्ट टाइम जोब करना चाहिये ताकि तुम्हारी आमदनी भी हो जायेगी और टाइम पास भी होगा।
इसी तरह की दोहरे शब्दों में मामी जी बातें करती थी और वो जब भी मुझसे बातें करती तब सुरेश या तो बाथरूम में होता या फिर किसी काम में व्यस्त होता।
एक दिन जब सुबह करीब 11 बजे सुरेश के घर पहुंचा तो घर पर उसकी मामी थी, सुरेश मुझे कहीं नज़र नहीं आया।
मैंने पूछा- मामी जी, सुरेश नज़र नहीं आ रहा है, कहां गया वो?
मामी- वो बाथरूम में कब से नहा रहा है। मैं उसी के बाहर निकलने का इन्तज़ार कर रही हूँ।
मैं- लेकिन वो तो ज्यादा समय बाथरूम में लगाता ही नहीं, तुरंत पांच मिनट में आ जाता है।
मामी हंसते हुए- अरे भाई, बाथरूम और बेडरूम ही तो ऐसी जगह है जहां से कोई भी जल्दी निकलना नहीं चाहता है।
मैं कोई जवाब नहीं दे सका, वो भी चुप रही।
थोड़ी देर बाद सुरेश बाथरूम से नहा धो कर बाहर आया। उसके बाथरूम से आते ही मामी जी बाथरूम में गयी और मेरी तरफ़ नशीली नज़रों से देखती हुयी बोली- घबराना मत, मैं ज्यादा समय नहीं लगाऊँगी। आप लोग नाश्ते के लिये मेरा इन्तज़ार करना!
कहते हुए वो बाथरूम में घुस गयी, करीब 20 मिनट बाद वो तैयार होकर हमारे साथ नाश्ता करने लगी।
नाश्ता करते वक्त सुरेश ने कहा- यार, आज मुझे ओफ़िस के काम के सिलसिले में सूरत जाना है। और मैं कल रात को या सोमवार दोपहर को वापस लौटूंगा। अगर सोमवार दोपहर को लौटूंगा तो तुम्हें कल फोन कर दूंगा। अगर तुम्हें ऐतराज़ न हो तो क्या तुम जब तक मैं नहीं आता हूँ मेरे घर रुक जाना ताकि मामी को बोरियत महसूस नहीं होगी न ही मुझे उनकी चिंता रहेगी क्योंकि वो दमन में पहली बार आयी हुई हैं।
मैंने कहा- ठीक है, नो प्रॉब्लम!
और वो साढ़े बारह बजे वाली ट्रेन से सूरत चला गया। मैं भी उसे ट्रेन में बिठाने के लिये बोरिवली गया जब वापस लौट रहा था तो एक रेस्तराँ में जाकर 3 पेग व्हिस्की पी और लौट कर सुरेश के घर गया।
घर पर मामी जी हाल में बैठ कर कोई किताब पढ़ रही थी। मामीजान ने मुझे नशीली निगाहों से देखा और बोली- सुरेश को बैठने की सीट मिल गयी थी क्या?
मैंने कहा- हां… क्योंकि ट्रेन बिल्कुल खाली थी।
वो बोली- मैंने खाना बना लिया है, भूख लगी हो तो बोल देना।
मैंने कहा- अभी भूख नहीं है, जब होगी तो बोल दूंगा।
मामी की निगाहों में अजीब नशा देख कर मैंने पूछा- मामी जी, आप करती क्या हैं?
थोड़ी देर तक मेरे नज़रों से नज़रें मिलाती रही, फिर बोली- समाज सेवा!
यह सुनते ही अचानक मेरे मुंह से निकल गया- कभी हमारी भी सेवा कर दीजिये ताकि हमारा भी भला हो जाये।
वो हल्के से मुसकुराई और बोली- तुम्हारी क्या प्रोब्लम है?
मैंने कहा- वैसे तो कुछ खास नहीं है लेकिन बता दूंगा जब उचित समय होगा।
वो मेरे आंखों में आंखें डालती हुए बोली- यहां तुम्हारे और मेरे अलावा कोई नहीं है, बेझिझक प्रोब्लम कह डालो शायद मैं तुम्हारी प्रोब्लम हल कर दूं?
मैंने कहा- आप किस प्रकार की समाज सेवा करती हो?
वो बोली- मैं जरूरतमंद लोगों की जरूरत पूरी करने की मदद करती हूँ, उनकी समस्या हल करती हूँ।
मैंने कहा- कि मेरी भी जरूरत पूरी कर दो न?
वो बोली- जब वक्त आयेगा तो कर दूंगी!
फिर वो चुप रही और मैगज़ीन पढ़ने लगी।
थोड़ी देर बाद मैंने पूछा- मामी जी आप क्या पढ़ रही हैं? कुछ खास सब्जेक्ट है क्या इस मैगज़ीन में?
वो मुस्कुराते हुए बोली- इस मैगज़ीन में बहुत अच्छा लेख है पत्नी और पति के सेक्स के विषय में!
फिर वो पढ़ने लगी।
थोड़ी देर बाद उसने पूछा- हार्दिक ये उत्तेजना का क्या मतलब होता है?
मैं सोचने लगा.
वो मेरी ओर कातिल निगाहों से देखती हुयी बोली- बताओ न?
मेरी समझ में नहीं आया कि हिंदी में उसे कैसे बताऊँ।
वो लगातार मेरी और देख रही थी, उसकी आंखों में नशा छाने लगा। मैं उसे गौर से देख रहा था, उसके होंठ खुश्क हो रहे थे, वो अपने होंठों पर जीभ फेर रही थी।
मैंने सोचा अच्छा मौका है मामी को पटाने का।
वो इठला कर बोली- बताओ न क्या मतलब होता है?
उसकी इस अदा को देखते हुए मैंने कहा- शायद चुदास!
वो बोली- क्या कहा? क्या मतलब होता है?
मैंने कहा- क्या तुम चुदास नहीं समझती हो?
वो बोली- कुछ कुछ… क्या यही मतलब होता है?
मैंने कहा- हां शायद यानि कि… कैसे समझाऊँ तुम्हें मामीजी!
मैंने उलझ कर कहा।
वो हंसते हुए बोली- चुदास का मतलब सेक्स करने की चाहत तो नहीं?
मैं उसे एकटक देखने लगा, उसके होंठों पर चंचल मुस्कुराहट थी।
मैंने कहा- ठीक समझी आप!
वो मेरी आंखों में आंखें डाल कर बोली- किस शब्द से बना है चुदास?
मैंने उसकी आवाज में कंपकपी महसूस की। मेरे दिल ने कहा ‘गधे, वो इतना चांस दे रही है, तू भी बन जा बेशरम… वरना पछतायेगा।
मैंने कहा- चुदास चोदना शब्द से बना है!
वो खिलखिला कर हंसने लगी और मैगज़ीन के पन्ने पलटने लगी।
मैं सोचने लगा कि अब क्या कयूँ?
अचानक उसने पूछा- ये वेजिना क्या होता है?
मेरे दिल ने कहा ‘साली जानबूझ कर ऐसे सवाल पूछ रही है।’ मैंने बिंदास होकर कहा- योनि को वेजिना कहते हैं।
वो फिर पूछने लगी- यह योनि क्या होता है।
मैंने कहा- क्या आप योनि नहीं जानती हो?
वो बोली- नहीं।
मैंने कहा- चूत समझती हो?
मामीजान ने झट से मुंह पर हाथ रखा और मैगज़ीन के पन्ने पलटती हुयी बोली- हा…
मैंने हिम्मत कर के कहा- चुदास की बहुत चाहत हो रही है।
वो हल्के से मुस्कुराते हुए कहा- चुदास की प्यास?
मैंने कहा- वाकई चुदास की प्यास लगी है।
वो बोली- मैं भी दो साल से प्यासी हूँ क्योंकि दो साल पहले मेरा पति से तलाक हो गया था।
मैंने कहा- ओह… इसका मतलब कि दो साल से तुम्हारी चूत ने लंड का पानी नहीं पिया है।
वो सिर झुका कर बोली- आज तक तुम्हारे जैसा कोई मिला ही नहीं।
मैं बोला- अगर मिल जाता तो?
वो बोली- तो मैं अपनी चूत को उस लंड पर कुर्बान कर देती।
मैं बोला- आओ मेरा लंड तुम्हारी चूत पर न्यौछावर होने के लिये बेकरार है।
मैंने तुरंत उसे अपनी बांहों में ले लिया और उसके होंठ में होंठ डाल कर चुम्बन करने लगा, मैंने महसूस किया कि उसके हाथ मेरे लंड की तरफ़ बढ़ रहे थे और उसने पैंट की ज़िप खोल कर मेरे लंड को पकड़ लिया फिर धीरे धीरे सहलाने लगी।
मेरा लंड लोहे की तरह सख्त हो गया। मुझसे बरदाश्त नहीं हुआ और मैं पैंट और अंडरवीयर निकाल कर बिल्कुल नंगा हो गया।
अब मामी ने मेरे लंड को पकड़ कर अपने मुंह में ले लिया और लोली पोप की तरह चूसने लगी।
मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
कभी वो मेरे लंड के सुपारे को चूसती, कभी जबान से लंड को जड़ तक चाट रही थी.
ऐसा उसने करीब 15 मिनट तक किया।
आखिर में रहा न गया मैंने उसके मुंह में ढेर सारा वीर्य डाल दिया। फिर हम दोनो सोफ़े पर आकर बैठ गये। मेरा लंड फिर सामान्य हो गया।
वो अब भी साड़ी पहने हुयी थी, मैंने उसकी साड़ी में हाथ डाल कर जांघों को सहलाया फिर हाथ को उसकी चूत पर ले गया। उसकी पैंटी गीली हुयी थी, इतनी गीली थी जैसे पानी से भिगोयी हो। मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही चूत को मसलना शुरु किया, वो बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगी।
फिर मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाला, उसकी चूत फूली हुयी और गरम भट्टी की तरह सुलग रही थी। मैंने उसकी चूत की दरार में उंगली डाल कर चूत के दाने को मसलने लगा जिस कारण वो बेकरार होने लगी।
अब मैंने उसे सोफ़े पर लिटा कर उसकी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर सरकाया। उसकी पैंटी चूत के अमृत से तर-बतर थी। मैंने पैंटी को पकड़ा और जांघों तक सरका दिया।
अब मामी ने खुद उठ कर अपनी पैंटी निकाल दी और फिर सोफ़े पर लेट गयी। उसके घुटने ऊपर थे और टांगें फैली हुयी थी। उसकी सांवली चूत अब बिल्कुल साफ़ साफ़ दिखायी दे रही थी।
मैंने अपने एक उंगली उसकी चूत में डाली तो मुझे लगा मैंने आग को छू लिया हो क्योंकि उसकी चूत काफ़ी गरम हो चुकी थी। मैं धीरे धीरे अपनी उंगली उसके चूत में अंदर बाहर करने लगा, उसके मुंह से आअह्ह ह्हाअ ऊफ़्फ़ की आवाज निकल रही थी।
अब मैंने दो उंगलियां उसकी कोमल चूत में घुसाई। चिकनी चूत होने से दोनो उंगलियां आराम से अंदर बाहर हो रही थी। लगभग पचास साठ बार मैंने अपनी उंगलियों से उसकी चूत की घिसाई की।
इधर मेरा लंड भी फूल कर तन गया था। अब मैं उठ खड़ा हुआ और उसे लेकर बेडरूम में ले गया। वो आंखें बंद किये मेरे अगले कदम का इन्तज़ार करने लगी। मैंने शर्ट निकाल कर उसकी साड़ी और पेटिकोट दोनो उतार दिये और हम बिल्कुल नंगे हो गये।
वो करवट लेकर लेट गयी, अब उसके चूतड़ साफ़ झलक रहे थे, मैंने उसकी गांड पर हाथ से सहलाया। क्या गांड थी… गोल मटोल गांड थी उसकी।
मैं करीब 5 मिनट तक उसकी गांड को सहलाता रहा फिर उसकी कमर पकड़ कर चित लिटा दिया और जितना हो सका उतनी उसकी टांगें फैला दी, फिर उसकी चूत की दरार को फैला कर अपनी जीभ से चूत चाटने लगा।
उसके मुंह से हाअ ऊऊफ़्फ़फ़्फ़ की नशीली आवाजें निकल रही थी। मैं अपनी जीभ से उसकी चूत के एक एक भाग चाट रहा था, बीच बीच में चूत को जीभ से चोद रहा था।
वो बिल्कुल पूरी तरह से गरम हो चुकी थी, वो बोली- अब हटो हार्दिक, मेरी चूत काफ़ी गरमा चुकी है। अपना लंड मेरी गरम गरम चूत में घुसेड़ दो राजा… उफ़्फ़… अपने लंड से मेरी चूत की गरमी और प्यास बुझा दो, मेरे हार्दिक, आज इतना कस कस कर चोदो कि मेरे पूरे अरमान निकल जाये।
जैसे ही मैंने उसकी चूत से अपना मुंह हटाया, उसने अपनी टांगें मोड़ ली, मैं उसकी उठी हुयी टांगों के बीच बैठ गया। मैंने उसकी टांगें अपने हाथ से उठा कर अपना लंड उसके चूत के मुंह में रखा जिस कारण उसके शरीर में झुरझुरी मच गयी।
लंड को चूत के मुंह में रखते ही चूत की चिकनाहट के कारण अपने आप अंदर जाने लगा। मैंने कस कर एक धक्का मारा तो लंड पूरा का पूरा उसकी चूत में घुस गया। गरमा गरम चुत के अंदर लंड की अजीब हालत थी।
अब मैं धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा। उसकी चूत के घर्षण से मेरा लंड फूल कर और मोटा हो गया। मेरे हर धक्के पर वो ऊऊफ़्फ़ आआह्ह ऊऊह्ह ह्हह की आवाजें निकालने लगी।
करीब बीस मिनट तक मैं उसके चूत में अपना लंड अंदर बाहर करता रहा, फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और दनादन लंड को चूत में मूसल की तरह घुसाता रहा.
मामी ने मुझे कस कर बाहों में जकड़ लिया, मैं समझ गया कि वो झड़ रही है।
मामी कराह रही थी, बोल रही थी- हाय! हार्दिक दो साल बाद मेरी चूत की खुजली मिटी है। वाकयी तुम पक्के चुदक्कड़ हो। चोदो मुझे जोर जोर से चोद।
मेरा लंड फच फच की आवाज के साथ अंदर बाहर हो रहा था। पूरे कमरे में चुदाई की फ़चाफ़च फ़चाफ़च की आवाजें गूंज रही थी। मेरा लंड उसकी चूत को छेदता जा रहा था. कुछ देर बाद उसके झड़ने के कारण मेरा लंड बिल्कुल गीला हो चुका था और वो निढाल होकर लम्बी लम्बी सांसें ले रही थी।
करीब 50-60 धक्कों के बाद मेरे लंड ने आखिर जोरदार फ़व्वारा निकाला और उसकी चूत में समा गया। जब तक लंड से एक एक बूंद उसकी चूत में समाती रही, मैं धक्कों पर धक्के लगाता रहा। आखिर में मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसके बाजु में लेट गया। हम दोनों की सांसें तेज चल रही थी, वो दाहिनी करवट से लेटी हुई थी।
करीब 15-20 मिनट तक हम ऐसे ही लेटे रहे।
फिर मेरी नज़र मामी की गांड पर पड़ी, गांड का ख्याल आते ही लंड फिर से हरकत करने लगा।
मैंने अपनी एक उंगली उसकी गांड के छेद पर रख कर घुसाने की कोशिश की। उसकी गांड का छेद बहुत टाइट था। मैंने ढेर सारा थूक उसकी गांड के छेद पर और अपनी उंगली पर लगाया और दुबारा उसकी गांड में उंगली घुसाने की कोशिश करने लगा। गीलेपन के कारण मेरी उंगली थोड़ी गांड में घुस गयी.
उंगली घुसते ही वो कसमसाहट करने लगी, वो तड़प कर आगे खिसकी जिस वजह से उंगली गांड के छेद से बाहर निकल गयी.
मामी मुड़ कर बोली- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- मामी तुम्हारी गांड सचमुच खूबसूरत है।
वो बोली- उंगली क्यों घुसाते हो? लंड क्या सो गया है?
उसकी यह बातें सुनकर मैं खुश हुआ और उसे पेट के बल लिटा दिया और दोनो हाथों से उसकी चूतड़ को फ़ैला दिया जिस से उसकी गांड का छेद और खुल गया।
वो धीरे से बोली- हार्दिक, नारियल तेल, घी या कोई चिकनी चीज मेरे गांड और लंड पर लगा लो तो आसानी रहेगी।
मैंने कहा- मामीजान, इससे भी अच्छी चीज है मेरे पास… वेसलीन!
और मैं उठ कर ड्रायर से वेसलीन ले आया और ढेर सारी वेसलीन अपने लंड और उसकी गांड पर लगाई और उसकी गांड मारने को तैयार हो गया। अब मैंने अपना लंड उसकी गांड के सुराख पर लगाया और थोड़ा जोर लगा कर पुश किया, लंड का सुपाड़ा गांड में थोड़ा सा घुस गया। फ़िर थोड़ा जोर लगा कर और पुश किया तो सुपाड़ा उसकी गांड में समा गया।
सुपाड़ा गांड में घुसते ही वो बोली- हार्दिक, थोड़ा आहिस्ते आहिस्ते डालो, दर्द हो रहा है, दो साल हो गये गांड मरवाये।
अब मैं सिर्फ़ सुपाड़े को ही धीरे धीरे गांड के अंदर बाहर करने लगा। थोड़ी देर बाद ही उसकी गांड का छेद पूरा लंड खाने के काबिल हो गया। मुझे लगा अब मेरा लंड पूरा उसकी गांड में घुस जायेगा और ऐसा ही हुआ।
उसकी गांड का छेद चिकनाहट की वजह से लंड थोड़ा थोड़ा और अंदर समाने लगा।
दो तीन मिनट की मेहनत से मेरा लंड पूरा का पूरा उसकी गांड में घुस गया। मैं धीरे धीरे अपना लंड उसकी गांड से अंदर बाहर करने लगा। उसकी टाइट गांड होने से मुझे बड़ा मजा आ रहा था। उसे भी गांड मरवाने का मजा आ रहा था और मुंह से ऊफ़्फ़ आह्हा की आवाजें निकाल रही थी।
40-50 धक्कों के बाद मेरे लंड ने घुटने टेक दिये और उसकी गांड में ढेर सारा वीर्य छोड़ दिया, वो भी अपनी गांड को सिकोड़ने लगी।
अब हम दोनों निढाल होकर बिस्तर पर लेट गये।
जब तक मेरा दोस्त नहीं आया, मैंने उसकी मामीजान की कई बार चूत और गांड मारी।
जब मैं वापस अपने घर लौटने लगा तो मामी बोली- कैसी रही मेरी समाज सेवा?
और मैंने हंस कर कहा- मामी जी, आप सच्चे तन मन से समाज सेवा करती हो!
फिर मैं घर लौट आया.
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आपा को चोदने के बाद मैं सऊदी चला गया काम करने!
लेकिन हम दोनों वीडियो कॉल करके अपने आप को शांत कर लेते थे.
लेकिन खुदा को कुछ और ही मंजूर था।
फिर एक दिन मेरी डार्लिंग आपा का कॉल आया.
वे रो रही थी.
मैंने पूछा- क्या हुआ? क्या चाहिए? मेरी याद आ रही है क्या? बोलो जान … अपने भाई का मोटा लंड याद आ रहा है क्या? बोलो … तुम सिर्फ रोये जा रही हो. क्या बात है बोलो?
उसने बताया- अम्मी अब्बू एक शादी में गए थे। शादी में से घर आ रहे थे पर रास्ते में उनका एक्सीडेंट हो गया और वे दोनों खत्म हो गए. तुम फौरन घर आ जाओ.
मैंने इतना ही सुना … मेरे तो होश उड़ गए.
मैं फौरन घर जाने की तैयारी करने लगा.
मैंने पहले से बहुत शौपिंग कर राखी थी अपनी आपा के लिए और घर वालों के लिए।
खैर जैसे तैसे टिकट तो मिल गया और मैं घर के लिए निकल गया.
फिर अगली सुबह घर पहुंचा तो घर पे सब लोग जमा हुए थे.
आपा ने मुझे देखा और आकर मेरे गले लग गई.
वे रो रही थी.
मैंने उन्हें चुप कराया.
फिर हम सब मिट्टी देने के लिए चल दिए.
मिट्टी दे कर आए और सब धीरे धीरे सब अपने अपने घर चले गए.
मेरे घर में मैं और मेरी आपा के अलावा कोई नहीं था.
हम दोनों रो रहे थे.
जैसे तैसे हम दोनों ने अपने आप को संभाला और फिर कुछ दिन बीत गए.
2 महीने बाद हम दोनों के चेहरे पर हंसी आई.
फिर एक दिन आपा बोली- आसिफ, तुमने अपना सऊदी वाला बैग अभी तक नहीं खोला?
मैं: क्या करूं आपा, टाइम ही नहीं मिला.
कुछ देर ऐसे बात करते करते आपा रोने लगी और मेरे सीने से लग कर रोने लगी.
मैंने पूछा- क्या हुआ आपा, क्यों रो रही हो, क्या बात है?
आपा- कुछ नहीं, मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती.
मैं- मैं भी आपके बिना नहीं रह सकता.
फिर मैंने आपा को चुप कराया और उनको देखने लगा.
आपा बोली- क्या देख रहे हो? अपने बहन को नहीं देखा है क्या?
मैं बोला- मैं यह देख रहा हूं कि मेरी आपा वो आपा नहीं रही जैसे मैं छोड़ कर गया था।
आपा बोली- मतलब क्या है तुम्हारा?
मैं बोला- मतलब आप पहले से ज्यादा भर गई हो. आपकी चूची जो मैंने 34 से ३८ कर दी थी, अब 44″ से कम नहीं दिख रही … यह कैसे किया?
आपा बोली- ये सब मैंने तुम्हारे लिए ही किया है. मुझे पता है कि तुम्हें बड़ी चूची अच्छी लगती है.
फिर वे बोली- और अब मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकती. इस दुनिया में हमारा एक दूसरे के अलावा और कोई नहीं है.
मैं बोला- हां आपा, आप सही बोल रही हो. मैं आपसे कुछ पूछूं तो आप मानोगी?
आपा बोली- हां बोलो ना, क्या बात है बोलो?
मैं बोला- आपा, क्या आप मुझसे शादी करोगी? इस दुनिया में हम दोनों का कोई नहीं है.
आपा बोली- यही तो मैं भी कह रही हूं.
मैं- तो ठीक है, हम लोग अब यहां नहीं रहेंगे. यहाँ का सब कुछ बेच कर दूसरे शहर में रहेंगे जहां हमें कोई नहीं जानता हो, वहाँ चल कर हम दोनों शादी कर लेंगे.
आपा- अच्छा तो अब अपना सऊदी वाला बैग खोलो. मैं भी देखूं क्या लाए हो मेरे लिए?
मैं- नहीं आपा डार्लिंग, अब यह शादी के बाद ही खुलेगा.
फिर हम दोनों भाई बहन वहाँ का सबकुछ बेच कर गोवा आ गए.
यहां पर मैंने एक रूम ले लिया.
फिर 5 महीने बाद हमने शादी कर ली और हम दोनों सुहागरात मनाने बेड पर आ गए.
इन 5 महीने में हम दोनों ने एक बार भी लंड चूत का खेल नहीं खेला था।
आपा- आसिफ, मेरे भाई राजा, मेरी जान … आओ ना … अपनी सगी बड़ी बहन, अपनी आपा को चोदो ना! जब से तुम सऊदी गए थे तब से मैं तुम्हारे लौड़े के लिए तड़प रही हूं. अब तो मैं तुम्हारी बेगम बन गई हूं. अब मैं तुम्हारी पूरी तरह से रखैल बन गई हूं. अब कोई डर नहीं है, जितना जी कहे उतना मुझे चोदो. आओ ना भाई!
मैं- सब्र करो मेरी जान आपा, अब तो आप मेरी हो ही गई हो. मैं आपको … सॉरी आपको नहीं, तुम्हें … अब तुम मेरी सगी बहन बनी बीवी हो, रखैल हो. अब मैं तुम्हें तुम कह कर बुलाऊंगा और तुम भी मुझे तुम कहोगी।
आपा- ठीक है।
मैं- अब तो आपा, मैं तुम्हें तब तक चोदूंगा जब तक तुम अपनी चूत से हम दोनों का बच्चा नहीं निकाल देती!
आपा- अच्छा आसिफ, सऊदी से मेरे लिए क्या लाए हो?
मैं- आपा सब तुम्हारे लिए ही लाया हूं. सब हॉट चीजें हैं. जींस, टीशर्ट, शर्ट और स्कर्ट टॉप और बहुत सारा ब्रा पैंटी!
“वाव … ब्रा पैंटी … दिखाओ ना जान!” आपा बोली.
मैंने कहा- आज नहीं कल!
“और क्या लाए हो?” आपा बोली.
मैंने बताया- और कंडोम सऊदी का है.
आपा बोली- क्या जान, मुझे कंडोम नहीं पसंद हैं ना!
तो मैंने कहा- हां जानता हूं. लेकिन सिर्फ 6 पीस हैं, कभी कभी लगा के तुम्हें पेलूंगा, चोदूंगा.
आप बोली- ठीक है, लेकिन आज नहीं क्योंकि आज हमारी सुहागरात है और मैं पूरा मजा लेना चाहती हूं। बहुत दिन से तुम्हारे लंड के लिए तड़प रही हूं. समझे मेरे भाई डार्लिंग!
“हाँ मेरी आपा डार्लिंग!”
आपा- तुम जानते हो जब तुमने मेरी यानि अपनी सगी बहन की चूत सील तोड़ी थी तभी मैंने तुम्हें बताया था कि मुझे बिना कंडोम के चुदना पसंद है. क्यों पसंद है आज मैं तुम्हें ये भी बता दूं. जब तुमने मुझे चोदा था तब तुमने अपनी मनी, वीर्य यानि अपना माल मेरी चूत में निकाला था. तभी मैंने सोच लिया था कि कभी कंडोम लगा कर नहीं चुदूंगी।
मैं बोला- अच्छा अब ये सब छोड़ो … अब हम दोनों सगे भाई बहन जो अब शादी करके मिया बीवी बन गए हैं, अब हम दोनों अपनी सुहागरात मनाते हैं.
फिर मैंने पूछा- लाइट बन्द कर दूं आपा?
“नहीं जलने दो, तभी मजा आयेगा!”
अब सगे भाई बहन और मिया बीवी की सुहागरात यानि Xxx सिस्टर नाईट सेक्स स्टोरी शुरू!
मैं आपा के पास गया.
आपा ने लाल रंग की लहंगा पहना हुआ था.
वे इस जोड़े में बहुत ज्यादा सेक्सी और हॉट लग रही थी.
मैंने आपा का घूंघट हटाया.
क्या मस्त रसीले होंठ लग रहे थे उनके!
फिर मैंने आपा के सारे गहने उतारे और उनके माथे पर एक बोसा लिया.
धीरे धीरे हम दोनों के होंठ मिल गए.
लगभग 15 मिनट किस किया हमने!
फिर आपा बोली- अपने भाई बने शौहर का लन्ड देखूँ तो जरा!
मैंने कहा- हां आपा, यह आपका ही है.
फिर मैंने अपनी पैंट उतार दी और मेरा लन्ड बाहर आ गया.
आपा बोली- भाई, यह तो पहले से ज्यादा बड़ा हो गया है. बहुत मजा आयेगा.
फिर आपा ने मेरा लन्ड चूसना शुरू कर दिया और वे बहुत देर तक चूसती रही.
फिर मैंने आपा के सारे कपड़े उतार दिए.
क्या कयामत लग रही थी आपा … उनके बडे़ बड़े बूब्स और चिकनी चूत देख कर मेरा लन्ड और सख्त हो गया।
फिर मैंने आपा की चूत को चाटना शुरू कर दिया.
मुझे बहुत मजा आ रहा था और आपा को भी!
वे बोले जा रही थी- हां भाई … बहुत मजा आ रहा है. ऐसे ही चूसो मेरी चूत को … आह आह आह … प्लीज़ भाई … अब मत तड़पाओ. चोद दो अपनी बहन बनी बीवी को!
अब तक आपा दो बार झड़ चुकी थी.
मैं अपनी उंगली आपा की चूत में डाल कर चोद रहा था.
फिर मैं उठा और आपा को सीधा लिटा दिया और उनकी कमर के नीचे एक तकिया लगाया, फिर अपने लन्ड पर थूक लगाया और आपा की चूत पर भी.
और फिर धीरे धीरे आपा की चूत में लन्ड घुसाने लगा.
आपा की चूत बहुत टाइट थी और आपा को दर्द भी होने लगा था.
वे बोल रही थी- आसिफ, बहुत दर्द हो रहा है!
मैंने कहा- बाहर निकाल लूं क्या?
तो आपा बोली- नहीं … तुम बस चोदो मुझे!
फिर मैंने एक जोर का झटका मारा और मेरा पूरा लन्ड आपा की चूत में समा गया, उनकी बच्चेदानी से टकरा गया.
आपा छटपटाती रही.
मैं रुक गया थोड़ी देर के लिए और उनके बूब्स को दबाने लगा.
थोड़ी देर बाद जब आपा का दर्द कम हुआ तो आपा ने अपनी कमर हिला कर इशारा किया कि अब मुझे चोदो.
फिर मैंने धक्का लगाना शुरू कर दिया।
आपा बस बोली जा रही थी- आह अह आह आसिफ … बहुत मजा आ रहा है. चोदो … चोदो मुझे … अपनी बहन का बुर का भोसड़ा बना दो. अब तो मैं तुम्हारी बीवी हूं. चोदो चोदो भाई … और तेज चोदो. आह आह आह … अह क्या बात है. फक मी … फक मी हार्ड … भाई और तेज … और तेज चोदो मुझे … अह आह आह … भाई ल्ला कसम बहुत मजा आ रहा है भाई!
फिर मैंने आपा को अपने ऊपर आने के लिए बोला.
वे मेरे ऊपर आ गई, मेरे लन्ड पर बैठ कर चुदने लगी।
बहुत देर तक मैंने आपा को ऐसे ही चोदा.
फिर मैंने अपनी बीवी यानि अपनी बहन को बेड पर फिर से सीधा लिटा दिया और उनका दोनों पैर अपने कंधों पर रख लिए और उनकी चूत में अपना लन्ड डाल दिया.
आपा फिर चीखी- आह भाई, क्या कर रहे हो. आराम से … मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूं. अब तो मैं हमेशा के लिए तुम्हारी बन गई हूं.
फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.
इस बीच आपा दो बार झड़ चुकी थी.
मैं बहुत तेज धक्का मार रहा था.
अब मैं भी झड़ने वाला था.
मैंने आपा से बोला- आपा मेरी जान, मैं झड़ने वाला हूं।
तो आपा बोली- भाई मेरी जान, मेरी चूत को पिला दो तुम्हारा माल … तुम मेरे अंदर ही अपना सारा माल झाड़ दो!
फिर 40 50 धक्कों के बाद मैं आपा की चूत में ही झड़ गया.
झड़ने के बाद भी मैंने आपा को 2 मिनट तक चोदा.
फिर मैं निढाल होकर आपा के ऊपर ही लेट गया.
कुछ देर बाद मैं उतर कर उनकी बगल में लेट गया.
मैंने आपा से पूछा- आपा डार्लिंग, मजा आया?
तो आपा बोली- हां बहुत मजा आया. अपने भाई को शौहर बनाकर चुद कर बहुत मजा आया.
हम दोनों ऐसे ही बात करते रहे.
कुछ टाइम बाद आपा मेरे लन्ड को सहलाकर उसे खड़ा करने लगी।
तो मैंने पूछा- क्या बात है आपा? फिर चुदना है क्या?
तो आपा बोली- हां!
फिर से हम दोनों गर्म हो गए और फिर चालू हो गए.
उस रात मैंने अपने सगी बहन से शादी करके सुहागरात मनाई और उसे कई बार चोदा.
Antarvasna पाठकों को मेरी प्यारी सी चूत की तरफ से बहुत सारा प्यार ! काफी सारी कहानियाँ पढ़ने के बाद मैं चाहती हूँ कि अपनी आप-बीती भी मैं आपको सुनाऊँ।
मेरा नाम बेला है, मैं मुज़फ्फरनगर से हूँ। मेरी शादी एक सीधे साधे चूतिया टाइप के इंसान से हुई है। शादी के बाद हम अपनी मधु चन्द्रिका मनाने मनाली गए पाँच दिनों के लिए। उन पाँच दिनों में ऐसा कुछ नहीं हुआ जिससे मुझे मज़ा आया हो ! आप शायद समझ गए ! प्रदीप (मेरे पति) ने मुझे ढंग से नहीं चोदा- मैं अनचुदी रह गई।
मैं वापस दिल्ली आ गई और ऑफिस के काम में लग गई।
एक रोज़ बॉस ने कहा- शनिवार को आना है !
मुझसे वैसे भी शनिवार काटे नहीं कटता था क्यूंकि प्रदीप का शनिवार को भी ऑफिस होता है। मैं तकरीबन ग्यारह बजे ऑफिस पहुँच गई। बॉस आ चुके थे। हम दोनों ने दो बजे तक डटकर काम किया। ऑफिस में सिर्फ मेरा बॉस, मैं और ऑफिस बॉय राजू था।
मैं अपने कंप्यूटर पर कुछ काम कर रही थी कि बॉस पीछे से आकर देखने लगे और समझाने लगे कि कैसे क्या करना है। मैं उनका निर्देश लेकर काम करती रही। चूंकि बॉस बहुत पास आकर देख रहे थे, मेरा एक गाल उनके बहुत ही नज़दीक हो गया था। उनको पता नहीं क्या सूझी, उन्होंने मेरे गाल पर एक पप्पी दे दी। मैं चौंक गई।
बॉस ने कहा- बेला, तुम बहुत सुन्दर हो और मुझे तुम अच्छी लगती हो।
मैं बस उनको देखती रह गई। फिर उन्होंने मेरी बाहों पर हाथ फेरना शुरु किया। हाथ फेरते फेरते उनके हाथ मेरे गले तक पहुंचे और वे मुझे प्यार करने लगे। इतने में राजू अन्दर आया। मैंने बॉस से कहा- सर, राजू को बाहर भेजिए पहले।
बॉस खुश। इसमें मेरी हाँ जो थी।
वे बाहर गए यह कहते हुए कि तैयार रहना। मैं समझ गई कि बॉस मुझे आज चोदेगा और मैं खुश हो गई। मैंने अपनी चूत से कहा- देख निगोड़ी ! सब्र का फल मीठा होता है। आज उछल कर चुदना।
मैं सीधे बाथरूम गई, खूब मूता और अपनी चूत को खूब साफ़ किया। हल्का सा स्प्रे लगाकर मैं बाहर आ गई। इतने में बॉस अन्दर आये। और उन्होंने मुझे दीवार से टिकाकर मुझे खूब चूमा। चूमते चूमते उन्होंने मेरा ब्लाऊज उतार दिया। अब मैं ब्रा और स्कर्ट में थी। मुझे अपनी गोद में बिठाया और मेरे होटों को चूसने लगे। मैं भी कहाँ पीछे हटने वाली थी। मैं भी मस्त हो कर उनसे झूल गई। क्यों ना झूलती ! मेरी चूत में भी तो कुछ कुछ हो रहा था।
उन्होंने मुझे खड़ा किया और मेरी स्कर्ट उतार दी। मैं अब सिर्फ चड्डी और ब्रा में थी। बॉस मुझे निहार रहे थे, मैंने इनकी टी-शर्ट उतार दी और फिर उनकी जींस। बॉस का लंड तो बाहर आने के लिए कुलांचे भर रहा था। मैंने उनका लंड पकड़ लिया। बॉस ने एक आह भरी और मुझे मेरी ब्रा से अलग किया। दोनों मम्मों को दबाने लगे और फिर मुझे गोद में उठाकर मेरी चड्डी अलग कर दी। इस वक़्त मैं बॉस की बाहों में पूरी की पूरी नंगी थी। बॉस मुझे इसी अवस्था में बोर्ड रूम ले गए और मुझे मेज़ पर लिटा दिया। मेरे दोनों हाथ ऊपर और दोनों टाँगे अलग अलग करके वे मेरी झांटों से खेलने लगे। मेरे होंठों पर उनके होंठ, उनका एक हाथ मेरी एक बांहों को सहला रहा था और दूसरे हाथ से वे मेरी चूत से खेल रहे थे। ऐसा सुख मुझे प्रदीप ने कभी नहीं दिया था। बॉस मुझे चूमते हुए मेरी नाभि तक पहुंचे और फिर मेरी चूत पर। चूत को चौड़ा कर उन्होने अपनी जीभ मेरे रति-छिद्र में डाल दी जिससे में दो फ़ुट ऊपर उछल गई।
इतने में मेरा मोबाईल बजा, अब मैं कैसे उठाती। बजते बजते बंद हो गया। फिर बजा। और उसके बाद फिर। मैं समझ गई प्रदीप ही होंगे। इतने में ऑफिस का फ़ोन बजा और चूंकि एक फ़ोन उस मेज़ पर ही था, मैंने अनायास उठा लिया।
प्रदीप ही थे, पूछ रहे थे- क्या कर रही हो डार्लिंग?
अब मैं क्या कहती – अपनी चूत चुसवा रही हूँ?
मैंने कहा- काम कर रही हूँ।
इतने में राज के चूसने से मैं झड़ने वाली थी। मेरे मुँह से एक लम्बी आह निकली।
प्रदीप ने पूछा क्या हुआ?
सोचा- बोल दूं कि झड़ने वाली हूँ, लेकिन कहा- एक जगह बैठे बैठे पांव सुन्न हो गया। हिल नहीं पा रही हूँ।
इतने में राज ने मेरी चूत से पानी निकाल दिया। मैंने फ़ोन रख दिया और जोर से हूँ-हाँ करने लगी। बॉस ने अब ऊँगली करनी शुरू कर दी और मैं फिर से झड़ गई। बॉस मुझे खूब चूमा और कहा- उठो।
मैं मेज़ से उठ नहीं पा रही थी। बॉस समझ गए। मेरे बदन को निहारते रहे।
पांच मिनट के बाद में उठी और बॉस के सामने खड़ी हो गई। अब बॉस मेज़ पर लेट गए। मैंने उनकी चड्डी उतार दी। उनका लंड तो एक भयानक किस्म का जीव लग रहा था। आठ इंच लम्बा और डेढ़ इंच मोटा। उनका सुपारा एकदम गुलाबी रंग का था और मैंने उस सुपारे को अपने नाख़ून से थोड़ा पिंच किया। मेरे बॉस के मुँह से एक दर्दनाक आह निकली। मैंने अपने दोनों हाथों से उनका लंड लिया। मेरे दोनों हाथों में नहीं समा पा रहा था वो। खैर मैंने एक हाथ से उसको हिलाना शुरू किया।
फिर बॉस ने अपनी टांगें चौड़ी की और कहा- टेबल पर आ जाओ !
मैं मेज़ पर चढ़ गई और उनका लंड चूसने लगी। मैंने खूब चूसा और खूब हिलाया। उनके टट्टे अपने मुँह में लेकर उनके लंड को ऊपर नीचे करने लगी। बॉस शायद झड़ने वाले थे। एक लम्बी आह भरी और बोले- बेला मेरा मट्ठा निकल रहा है ! चूस रानी चूस।
मैने भी उनके लंड को चूसकर सारा का सारा मट्ठा निकाला और पी गई। बॉस का लंड एक ओर लुढ़क गया। मैने उसे चूमा और बॉस के पास आकर लेट गई।
दस मिनट के बाद बॉस ने पूछा- तैयार हो?
मैं तो कब से तैयार थी, मैं बोली- हाँ ! और इनका लंड फिर से तैयार करने लगी।
बॉस मेरी चूत में ऊँगली करने लगे। मैं तो गीली हो गई थी। बॉस ने मुझे गोद में उठाया और सोफे की ओर ले गए। मुझे औंधा लिटा कर उन्होंने मेरे चूतड़ उठाये और फिर मेरी फुद्दी में अपनी एक ऊँगली डाल दी। मैं तैयार थी। इतने में बॉस ने अपना सुपारा मेरी चूत में डाला और एक जोर का झटका दिया। मैं चीख पड़ी। बॉस को कोई फर्क नहीं पड़ा। वे मेरी कमरिया को पकड़कर कभी मुझे अपनी ओर खींचते या फिर मुझे स्थिर रखकर अपने आप को धक्का देते। दोनों ही सूरत में मेरी फाड़ रहे थे। मैं तो बस चीखती रही। ये तो सहवाग की तरह बल्लेबाजी कर रहे थे। पता नहीं इनको क्या जल्दी थी। ऐसा उन्होने मेरे साथ तकरीबन पंद्रह मिनट तक किया और नीचे से मेरे मम्मों को भी दबा रहे थे।
मैं चिल्ला रही थी- बस करो बस करो, आह, ऊह, मर गई, मम्मीईई, मम्मीईईई !
मगर बॉस को कोई रहम नहीं आया। बॉस मुझे चोदते रहे और मैं चुदती रही। मेरी चूत का तो उन्होंने भोसड़ा बन दिया था। मन ही मन चाह रही थी कि प्रदीप देखें और सीखें कि किस तरह से एक चूत को चोदा जाता है। थोड़ी देर में बॉस झड़ने वाले थे। उन्होंने अपना लंड निकाला और मेरी गोरी पीठ पर रख दिया। एक गर्म एहसास हुआ पीठ पर और बॉस ने अपना सारा माल मेरी पीठ पर उड़ेल दिया और फिर मेरे बगल में बैठ गए। मैं बॉस की गोद में लुढ़क गई। मैं बहुत थक गई थी। मैंने शादी से पहले ऐसी चुदने की कल्पना भर की थी। प्रदीप ने यह सुख कभी ना दिया और ना ही कभी देगा। और बॉस ने तो मेरी ले ली।
उस रोज़ बॉस ने मुझे दो बार मेरी चूत को और चोदा और एक बार गांड भी मारी। शाम होते होते मैं बहुत पिद चुकी थी। इतनी चुदाई के बाद तो मैं खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। बॉस ने मुझे उस रात घर तक छोड़ा। उसके बाद तो मैं बॉस से खूब खुलकर चुदने लगी। मैं हफ्ते में तीन चार बार तो बॉस से चुदती ही हूँ। अच्छा एक बात तो बताना ही भूल गई। मेरा प्रोमोशन हो गया है।
वैसे Antarvasna प्रदीप भी कभी कभी अपनी लुल्ली मेरे अन्दर डाल देता है। अब बर्फी खाकर गुड़ में मजा कहाँ रहता है?
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