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कोठे की कुतिया में आपने Sex Stories पढ़ा कि मौसी ने किस तरह से मुझे एक रंडी बना दिया था।
अब पढ़िए कि किस तरह से मौसी ने मेरी चूत और गांड का भोंसङा बना दिया।
मैं और मोनी मौसी के साथ एक पारदर्शी मैक्सी पहन कर ऊपर की तरफ चले गए जहा मोंटी अंकल हमारा इंतजार कर रहे थे। अंकल को देखकर मौसी बोली- डार्लिंग मस्त लोंडिया तुम्हरे लिए बचाकर रखी हुई है, छूते ही मस्तिया जाओगे और तुम्हारा चेला कहाँ है? मोनी को उसके लिए बचाकर रखा है।
अंकल बोले- टीनू आ रहा है, वो जरा दारू का इंतजाम कर रहा है।
मौसी ने पहले ही मुझे काफी बातें सिखा दी थी कि ग्राहक की सेवा कैसे की जाती है। मैं अंकल के पास जाकर बेठ गई और उनके लौड़े को जींस के ऊपर से रगड़ने लगी।
अंकल मेरे चूतड़ मसलते हुए बोले- मौसी, तुम यह झबले क्यों पहना लाती हो ?
मौसी के इशारे पर मैंने अपनी मैक्सी उतार दी।
अंकल मुस्कराए और बोले- समझदार है !
उन्होंने आगे से मेरी उभरी हुई चूत पर हाथ फेर कर कहा- साली की पाव रोटी तो बड़ी चकाचक है ! ज्यादा चुदी भी नहीं लगती है !
मौसी बोली- बिलकुल ताजा माल है ! पीछे से तो पूरी कुंवारी है आगे से भी लंड छुली हुई है बस। आज तुम्हें इसकी चूत का भोंसड़ा बनाना है।
अंकल गरम हो रहे थे उन्होंने जींस में से लौड़ा निकाल कर मेरे हाथ में पकड़ा दिया। थोड़ा सहलाने के बाद मैंने अंकल का लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मेरी चूत चुदने को पगला रही थी। मौसी बाहर जाने लगीं और मुझसे बोली- अंकल जैसे कहें वैसा करना ! अगर अंकल खुश नहीं हुए तो तेरी चूत और गांड की भोंसड़ी तो बनाउंगी ही, साथ ही साथ चेहरा भी इतना सुंदर कर दूँगी कि कोई तुझे चोदने के दो रुपए भी नहीं देगा।
मौसी मोनी को लेकर बाहर चली गई और बोली- अंकल, मौज करो ! टीनू को दूसरे कमरे में बैठा दूँगी।
अंकल का लंड बहुत सुंदर था। आट इंच लम्बा लंड किसी भी औरत की चूत चोद चोद कर फाड़ने के लिए काफी था।
मैं अंकल का लंड मुँह में आगे पीछे करते हुए मस्ती से चूस रही थी। सच मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। अंकल ने मेरे चूतड़ थपथपाते हुआ कहा- थोड़ा अपनी चूत चुसवा ! बहुत मस्त लग रही है।
उन्होंने मेरी टाँगें खींच कर अपने मुँह की तरफ कर ली अब मैं और अंकल 69 कि अवस्था में एक दूसरे के ऊपर थे, अंकल नीचे से मेरी चूत के होंठ चूस रहे थे और मेरे मुँह में उनका लौड़ा गरम हो रहा था। मेरी बुर पानी छोड़ने लगी थी, हम दोनों एक दूसरे से बुरी तरह चिपके हुए चूत और लंड की चुसाई का मज़ा ले रहे थे।
थोड़ी देर बाद अंकल ने मुझे ऊपर से हटा दिया और सीधे पलंग पर लेटा दिया और अपने तने हुए लंड को हाथ से पकड़ कर मेरी चूत पर फिराने लगे। मैं चुदने के लिए बुरी तरह से पगलाने लगी। मेरे मुँह से ऊह आह आह आह अंकल चोदो मुझे चोदो जैसी आवाजें निकलने लगी।
अंकल ने थोड़ी देर में अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया और मेरी दोनों चूचियां दबाकर कर एक जोर का झटका दिया। मैं एकदम से बुरी तरह से चिल्ला उठी। अंकल का लंड मेरी चूत में अंदर तक घुस चुका था। मेरी चीख निकल गई- उईऽऽ मर गई ! मर गई ! मर गई, छोड़ो ! बहुत दुःख रही है छोड़ो !
अंकल ने मेरे दूध भोंपू की तरह दबाते हुए मेरी चुदाई शुरू कर दी। थोड़ी ही देर में मुझे चुदने में मजा आने लगा। अब मैं मस्त होकर चिल्ला रही थी, मेरे मुँह से ऊ ऊहं ऊहं ओह आह आह अहह बड़ा मज़ा आया और चोदो चोदो आह आह बहुत मज़ा आ रहा है जैसे आवाजें निकलने लगी।
अंकल चोदने में बहुत माहिर थे, कभी धीरे धीरे लंड अंदर-बाहर करते थे और कभी तेज कर देते थे। बराबर वो चूचियां और चुचक भी मसल रहे थे और होठों पर भी काट रहे थे। उनकी चुदाई में एक मज़ा था। मेरे होठों में अपने होंठ डालते हुए अंकल बोले- कुतिया थोड़ी गांड हिला हिला कर लंड अंदर ले ! बहुत मज़ा आयेगा।
मैं अपनी गांड धीरे धीरे हिलाने लगी। अब मेरी चुदने की मस्ती बढ़ गई थी, चुदने का मज़ा दुगना हो गया था। थोड़ा चोदने के बाद अंकल ने मुझे तिरछा कर दिया और मेरी टांग उठाकर पीछे से मेरी चूत में लंड डाल दिया और पीछे से मेरी चूत में धीरे धीरे धक्के मारने लगे।
मैं इस समय चरम सीमा का अनुभव कर रही थी, मेरी चूत बहुत तेज धार से पानी छोड़ रही थी। अंकल ने भी अपना वीर्य छोड़ दिया। मेरी चूत पूरी वीर्य से भर गई थी। मुझे आज चुदाई में एक चरम सीमा का आनंद आया।
बहुत दिनों के बाद मैं चुदी थी, चुदने के बाद मैं मस्तिया कर लेट गई। अंकल उठे और उन्होंने डीवीडी पर एक नग्न मूवी लगा दी और कमरे में रखे फ़्रिज से दारू की बोतल निकाल ली और दारू का ग्लास बना लिया। मूवी में दो हब्शी एक लड़की की गांड और चूत एक साथ मार रहे थे। अंकल अपना लौड़ा सहलाने लगे, थोड़ी देर में अंकल का लंड फिर खड़ा हो गया था। उन्होंने मुझे इशारा किया, मैं उठकर अंकल के पास आ गई। अंकल ने मुझे अपनी गोद में बिठा लिया।
उनका लौड़ा पूरा तन गया था। उन्होंने दारू का ग्लास मुझे पकड़ा दिया और मेरी टांगें चौड़ी कर थोड़ा नीचे को फिसलते हुए अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। अब मैं अंकल के लौड़े पर बैठी हुई थी। एक हाथ से अंकल दारू का ग्लास पकड़े हुए थे और एक हाथ से कभी मेरी चूत का दाना सहला देते और कभी चुचक दबा देते। ब्लू फिल्म मैं भी बड़े प्यार से देख रही थी अंकल ने मेरी चूत में अपना लौड़ा फिट कर रखा था। बीच बीच में वो एक दो धक्के मुझे उचका के मार देते थे। मेरा बदन एक बार फिर गरम होने लगा था।
हम दोनों सोफा कुर्सी पर बैठे थे जिसके हत्थे नहीं थे। अंकल ने मेरी चुचकों पर चुटकी काटी और मेरे स्तन दबाते बोले- जरा साइड में देख !
साइड में एक बड़ा शीशा लगा हुआ था, मैं नंगी शीशे में देखकर शरमा गई। अंकल ने मुझे बैठे हुए ही कुर्सी मोड़ दी अब मैं शीशॆ के सामने थी और नंगी उनके लंड पर बैठी हुई अपने को देख रही थी। मैं पूरी रंडी बनी हुई थी अंकल ने अपनी टाँगें चौड़ी कर दी।मेरी चूत और उसमें घुसा हुआ लंड अब साफ़ दिख रहा था। अंकल मुझे कमर से पकड़ कर धीरे धीरे उछालने लगे और बोले- थोड़ा लौड़े पर कूद ले ! मौसी की रंडियां इतनी शर्माती तो नहीं हैं ! मस्ती से चुदवा, नहीं तो मौसी से शिकायत करनी पड़ेगी।
मौसी का नाम सुनकर मैं डर गई और उनके लौड़े पर उछल-उछल कर खुद चुदने लगी। आज तक मैं अपने पति से कभी रौशनी में नहीं चुदी थी। अब यहाँ चूत चौड़ी कर खुद चुद रही थी और अपनी चुदाई शीशे में देख रही थी। अंकल भी अब अपना लौड़ा गांड हिला हिला कर तेजी से पेल रहे थे, लेकिन मुझे चुदाई में जन्नत का मज़ा आ रहा था। मैं चुदाई की मस्ती में नहा रही थी। अंकल ने कुछ देर बाद मुझे सोफे के नीचे बैठा दिया और अपना मोटा लंड मेरे मुँह में ठूंस दिया और अपना सारा लंड रस मेरे मुँह में उतार दिया। मेरा मुँह अंकल के लंड रस से भर गया जिसे मुझे अपने अंदर लेना पड़ा इसके बाद अंकल ने मुझे छोड़ दिया। मैं पेशाब करने बाथरूम में चली गई बाथरूम में दरवाज़ा नहीं था केवल पर्दा पड़ा था।
रात के तीन बज़ रहे थे, अंकल ने दूसरी ब्लू फ़िल्म लगा ली और मुझे बगल में बैठा लिया। उन्होंने मेरे गले में हाथ डाल लिया और थोड़ी देर बाद बोले- जा जरा मेरी पैंट की जेब में एक थैली पड़ी होगी, उसे लेकर आ।
मैं थैली लेकर आ गई। उसमें एक गोली का पत्ता था और एक ट्यूब रखी थी। अंकल ने एक गोली निकाल कर खा ली और ट्यूब साइड में रख ली। ब्लू देखते हुए अंकल मेरी चूचियां दबा रहे थे और चूचक नोच रहे थे। मैं अब थक रही थी और मेरी चूत की प्यास शांत हो चुकी थी।
थोड़ा इतरा कर मैं बोली- डार्लिंग, नींद आ रही है, सोने जाने दो न !
अंकल बोले- बस अभी से? अभी तो तुम्हरी गांड भी नहीं मारी है। अच्छा एक काम करो इस ट्यूब से क्रीम निकाल कर मेरे लौड़े पर मलो, मरती क्या नहीं करती ! मैं झुककर अंकल के लौड़े पर क्रीम मलने लगी। अंकल ने क्रीम से सनी दो ऊँगली एक साथ मेरी गांड में अंदर तक घुसा दी। मैं अनमने मन से उई उई करते हुए अपनी गांड में ऊँगली घुसवा रही थी और अंकल के लौड़े और सुपाड़े पर क्रीम की मालिश कर रही थी। थोड़ी देर बाद अंकल ने मुझे लौड़ा चूसने के लिए बोल दिया। अब अंकल का क्रीम लगा चिकना लौड़ा मैं मुँह में चूसने लगी। मुझे ऐसा लग रहा था कि सेक्स मस्ती की जगह मैं जैसे कोई सेक्स की मजदूरी कर रही हूँ।
अंकल अब ऊँगली की जगह अपने पैन को मेरी गांड में आगे पीछे कर रहे थे। मुझे लग रहा था कि अब मेरी गांड फाड़ी जाएगी। थोड़ी देर बाद अंकल ने मुझे फिर बगल मैं बैठा लिया। अंकल का लंड तनतना रहा था। लेकिन अब मेरा चुदने का मन नहीं हो रहा था। थोड़ी देर बाद मुझे पेशाब आने लगी। मैं उठी और मुस्करा के बोली- अंकल पेशाब कर के आती हूँ !
अंकल कुटिलता से मुस्कराए और बोले- ठीक है !
मैं उठी और बाथरूम में चली गई।
जब मैं पेशाब कर के उठी तो देखा अंकल पीछे खड़े थे और उनका लंड उछाल मार रहा था। अंकल ने पीछे से कमर से मुझे पकड़ लिया और बोले पीछे का माल तो तेरा बड़ा मस्त है, चल झुक जरा तेरी गांड तो चोद दूँ ! क्या मस्त दिख रही है !
अंकल की पकड़ बड़ी मजबूत थी, मुझे कुतिया की तरह झुकना पड़ा। मैंने अपने हाथ इंग्लिश टोइलेट सीट पर लगा दिए। उन्होंने अपनी दो उंगलियाँ मेरी गांड में डाल दी और कस कस के गोल गोल गांड के अंदर घुमा दी। मैं ऊई ऊई कर के कराह उठी। अंकल ने ढेर सारा थूक मेरी गांड पे डाल कर अपना सुपारा मेरी गांड के मुँह पर रख दिया और एक तेज झटका मारकर सुपारा मेरी गांड में घुसा दिया। मेरी चीख निकल गई और मैं चिल्ला उठी- उई उई मर गई मर गई !
लेकिन रंडी तो बजने के लिए ही बनी है, अंकल अब अपना लंड मेरी गांड में घुसा रहे थे, चिकना लंड मेरी गांड में अंदर तक घुसता जा रहा था। मेरी आँखों के आगे अँधेरा छाने लगा था। अंकल ने अपना पूरा लंड मेरी गांड में ठूस दिया था मुझे ऐसा लगा कि मैं बेहोश हो जाउंगी। मैं चीख कम और रो ज्यादा रही थी। मेरे दोनों चूतड़ फाड़ दिए गए थे। अगले दो मिनट बाद ही में बहुत तेजी से चिल्ला उठी। अंकल ने पूरा लंड बाहर खींच कर फिर दुबारा एक झटके में अंदर डाल दिया था। मेरी चीख बहुत तेज थी। पूरी नीचे गली तक गई होगी क्योंकि रात के तीन बज़ रहे थे और एक शांति सी थी। लेकिन यहाँ तो रोज लड़कियां बजती थीं इसलिए मुझे उम्मीद नहीं थी कि कोई मुझे बचायेगा अब कोठे की कुतिया के दोनों छेद फट गए थे, अंकल ने मेरी गांड बजाना शुरू कर दी थी। वाकई चुदाई तो मेरी अब हो रही थी, अभी तक तो मैं चूत लौड़े की मस्ती ले रही थी जो शरीफ औरतें रोज़ अपने पति से लेती हैं। चुदाई क्या होती है यह तो बस रंडी ही जानती है।
वाकई मौसी ने मुझे कुतिया बनाकर कोठे पर चुदवा दिया था। मेरे मुँह से बार बार उई मर गई फट गई बचाओ छोड़ो मुझे छोड़ो ऊ मर गई ऊ ओई ऊ ओई ऊ ओई फट गई की आवाजें निकल रही थीं अंकल ने दस मिनट तक मेरी गांड बुरी तरह से ऐसे चोदी जैसे कि सड़क की कुतिया की कुत्ते चोदते हैं। उसके बाद उन्होंने अपना वीर्य मेरी गांड में छोड़ दिया। मैं बाथरूम में ही लेट गई थी। अंकल ने मुझे उठाकर पलंग पर डाल दिया।
अब मेरी गांड और चूत दोनों फट गई थीं। अंकल मेरी बगल में लेट गए थे।
आधे घंटे बाद मौसी एक आदमी और एक रंडी जिसका नाम शोभा था, के साथ अंदर आई और बोली- अंकल, क्या हुआ ? ठंडे पड़ गए?
अंकल मुस्कराए और बोले- तीन राउंड निपटा चुका हूँ, तेरी कुतिया ठंडी पड़ी है।
अंकल उठकर पलंग के पास सोफा कुर्सी पर बैठ गए। मौसी ने मेरी चूत पे हाथ फिराया और बोली- तेरी मुनिया तो बड़ी चकाचक हो रही है। बड़े आराम से लेटी हुई है, लगता है जैसे कि हनीमून के मज़े ले रही हो ! चल उठ और धंधा कर साली ! जब तक तेरी मुनिया बुरी तरह से सुजेगी नहीं, तब तक चुद ! उसके बाद तुझे खुद ही नींद आ जाऐगी। चल उठ और ग्राहक के लिए ग्लास बना। मैं खड़ी हो गई। जानी पलंग पर बैठ गया।
शेष दूसरे भाग में ! Sex Stories
वो मेरे घर के साथ वाले घर में ही रहती हैं और काफी सुंदर हैं. उनके मम्मे भी काफी मोटे हैं और उनकी गांड का तो कहना ही क्या है. वो भी काफी मस्त माल हैं.
आंटी की कमर काफी पतली सी है. वो खुद भी पतली हैं, पर उनका फिगर काफी सेक्सी है.
मेरा दिल उनको देखकर काफी मचल उठता है.
आंटी का पति मोटा सा है जो उन्हें किसी प्रकार का सुख नहीं दे सकता है.
वो ना तो उन्हें सेक्स से संतुष्ट कर पाता है और न ही वो प्यार करता है.
उसका पेट काफी बाहर को निकला हुआ है और उसका लंड भी छोटा सा है, ये आपको पोर्न वाइफ फक कहानी में आगे मालूम हो जाएगा.
एक बार मेरे घर पर केबल टीवी साफ नहीं आ रही थी. मैंने सोचा छत पर केबल का जोड़ है, वो खराब हो गया होगा.
यह तार मेरी पड़ोस वाली आंटी की छत पर था.
तो पहले मैं छत पर तार सही करने के लिए आंटी के घर से छत पर जाने की सोचने लगा था.
फिर मन में आया कि चलो, अपनी छत से सीधा ही चला जाऊं.
मैं उनकी छत पर चला गया.
जैसे ही मैं उनकी छत पर गया, तो नीचे से कुछ आवाजें आ रही थीं.
मैं छत पर लगे जाल के पास गया और सुनने लगा कि क्या बात हो रही है.
तो आंटी चिल्ला रही थीं- नहीं, आज नहीं … कल ही तो किया था. आजकल तुम रोज परेशान करने लग लगे हो. छोड़ो मेरे को!
फिर आंटी जोर से कराहने लगीं.
उनके साथ कुछ और आवाजें भी आ रही थीं जैसे ब्लू-फिल्म चल रही हो.
उसके बाद कुछ थप्पड़ की आवाजें आने लगी थीं.
तभी आंटी बोलीं- आज फाड़ ही डालोगे क्या … आ आआ आह आराम से.
मैंने सोचा कि ये क्या हो रहा.
मैं धीरे से सीढ़ियों के दरवाजे के पास गया और देखा कि सीढ़ियों का दरवाजा तो खुला है.
मैं नीचे चला गया और देखा कि एक कमरे में लाइट जल रही है और दरवाजा बंद है.
बरामदे में काफी अंधेरा था और कमरे के पर्दे हटे हुए थे. वहां से अंकल आंटी साफ नजर आ रहे थे.
अंकल ने आंटी को गोद में बैठा रखा था और उनके मम्मे मसल रहे थे.
आंटी चीख रही थीं और कह रही थीं- आह और जोर से!
अंकल दूसरे हाथ से सलवार के ऊपर से आंटी की फुद्दी को मसल रहे थे.
वो काफी आवाज कर रही थीं.
तभी अंकल ने आंटी को गोद में उठाकर खड़ा किया और अपने सारे कपड़े खोल दिए.
वो सिर्फ अंडरवियर में रह गए.
मैं यह देखकर कर काफी खुश हो गया. मैंने सोचा कि आज तक मैंने काफी ब्लू फिल्म तो देखी हैं, पर आज रियल का सेक्स देख लेता हूं.
यह देखकर मैंने अपने आपको उनके कमरे के पास छुपा लिया और उनका सेक्स देखने लगा.
अंकल आंटी को कुछ मिनट तक तो ऐसे ही किस करते रहे, फिर उनकी फुद्दी पर हाथ फेरने लगे.
आंटी ने भी अब टांगें खोल दी थीं और वो मादक आवाजें भर रही थीं.
मेरा भी पूरा मूड बन गया. लंड खड़ा हो गया था.
अंकल ने आंटी को किस किया.
आंटी अंकल के अंडरवियर पर हाथ फेरने लगीं.
तभी आंटी ने अंडरवियर के अन्दर हाथ डाला और अंकल कराहे- आह.
अंकल ने खींच कर आंटी की गांड पर थप्पड़ मारा.
तभी आंटी हंस कर बेड के दूसरी तरफ चली गईं.
अंकल ने कहा- रुक साली, जाती किधर है … इधर आ.
आंटी ने कहा- क्यों जोर से खड़ा हो गया क्या?
अंकल ने कहा- पास तो आ, तेरी मां की चूत में लंड दे दूँगा.
आंटी ने कहा- मेरी में तो लंड दे दो, फिर मेरी मां की भी मार लेना. वो भी तुझे खुश कर देगी.
ये सुन कर मैं हैरान रह गया कि अंकल और आंटी गंदी बातें भी करते हैं.
अंकल आंटी के पास गए, उन्हें पकड़ कर किस किया और बोले- मेरी रांड, आज मेरे को खुश कर दे.
आंटी ने कहा- रोज ही तो करती हूं, तो आज क्यों नहीं करूंगी.
अंकल ने किस किया और मम्मों को कस कर पकड़ लिया.
आंटी चीखने लगीं.
अंकल- साली मेरे लंड को दबाती है, अब पता लगा कि दर्द क्या होता है?
आंटी ने कहा- आह छोड़ो … दर्द हो रहा है.
अंकल ने आंटी को गोद में उठाया और और बेड पर लुड़का दिया.
वो फिर से चीख उठीं.
अंकल उन पर कूद पड़े और किस करने लगे.
वो एक हाथ से आंटी के मम्मे दबा रहे थे, दूसरे हाथ से उनकी फुद्दी को मसल रहे थे.
आंटी ने भी पूरी टांगें खोल रखी थीं.
तभी आंटी ने कसमसाते हुए कहा- रूको छोड़ो … रूको ना.
आंटी ने अंकल को धक्का दिया और कहा- आज मेरी एक ना सुनना तुम …. मेरी फाड़ ही डालना.
मैंने सोचा कि आंटी ये क्या कह रही हैं अभी तक चुदाई नहीं हुई क्या आंटी जैसे माल की!
अंकल ने कहा- तेरी क्या, आज तो तेरी मां की भी फाड़ दूंगा. तेरी मां के भोसड़े में भी दर्द हो जाएगा.
आंटी ने कहा- मेरे मां के भोसड़े में दर्द हो ना हो, मेरी फुद्दी में कल तक तो दर्द होना चाहिए.
अंकल ने आंटी की कमीज को उतार दिया.
आंटी ने नीचे लेस वाली लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी.
अंकल ने आंटी को लिटाया और उनके मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही खाने लगे.
आंटी ने कहा- आह … ये माल तुम्हारा ही तो है राजा … आराम से करो ना!
फिर अंकल ने आंटी की सलवार का नाड़ा खोला और आटी ने अपनी गांड ऊंची कर दी.
अंकल ने सलवार खींच कर उतार दी.
आंटी अब केवल ब्रा और पैंटी में ही थीं. आंटी ने लाल रंग की वैसी लेसदार पैंटी पहनी हुई थी. आंटी का बदन काफी चमक रहा था. उनका बदन बहुत ज्यादा रसीला लग रहा था.
ब्रा और पैंटी आंटी की फुद्दी और मम्मों को छुपाने की कोशिश कर रहे थे पर वो छुप नहीं पा रहे थे.
तभी अंकल ने आंटी की टांगों को चौड़ा किया और उनकी फुद्दी को उसकी पैंटी से ही चूसने लगे.
आंटी तड़फने लगीं- बस अब नहीं रहा जाता. अब पेल दो.
अंकल ने कहा- मेरी रांड, अब तक तूने मेरे लंड को तो चूसा ही नहीं है.
अंकल लेट गए.
आंटी ने अंकल का अंडरवियर उतारा और लंड बाहर निकाल लिया.
ये क्या … अंकल का लंड तो काफी छोटा सा था.
फिर मैंने सोचा कि नहीं यार अंकल का लंड अभी बैठा होगा. क्योंकि मेरा लंड भी बैठने पर इतना ही होता है. उनका मुझसे तो बड़ा ही होगा.
आंटी ने लंड चूसा और लेट गईं.
अंकल ऊपर आ गए.
पहले ब्रा पैंटी को उतारा और आंटी को किस करने लगे.
वो उनकी फुद्दी को चूसते, तो कभी मम्मों को चूसने लगते.
अंकल उस वक्त किसी बन्दर जैसी हरकत कर रहे थे.
तभी आंटी ने कहा- बस करो, अब नहीं रहा जा रहा है.
अंकल ने कहा- ओके.
अब अंकल खड़े हो गए और आंटी की टांगों को फैला कर पोजीशन में आ गए और चूत में लंड लगा दिया.
मैं अंकल का लंड देखकर हैरान रह गया कि ये क्या … इतना छोटा सा अन्दर कैसे जाएगा?
जैसे ही अंकल आंटी के ऊपर लेटे, तो उनका पेट अड़ गया.
फिर भी अंकल ने आंटी की फुद्दी पर अपना दो इंच का लंड लगा दिया.
आंटी आह आह करने लगीं.
मैंने सोचा कि आंटी इतने से टुन्नू से ऐसे आवाज कर रही हैं. अगर आंटी ने मेरा लंड देख लिया, तो वो देखने से ही मर जाएंगी. ये मेरा लंड अपनी फुद्दी में नहीं ले सकेंगी.
आंटी आवाज निकाल रही थीं- आह आह … पेल दो मेरी फाड़ दो. आज मुझे खुश कर दो.
अंकल अभी ऊपर ही लेटे हुए थे और अब वो घस्से मारने लगे थे.
अंकल ने कुछ ही घस्से लगाए और चीखने लगे.
इधर से आंटी भी हल्का सा कराहीं.
तभी अंकल शांत हो गए.
अंकल आंटी के ऊपर कुछ देर तक लेटे रहे, फिर अलग हो गए.
वो पास में ही लुढ़क गए और कुछ मिनट तक लेट कर सांसें लेते रहे.
आंटी बैठ गईं और मैंने देखा कि उनके चेहरे पर वो खुशी नहीं थी, जो औरत को चुदने के बाद आती है.
ऐसा लग रहा था, जैसे उन्हें मजा ही ना आया हो.
अंकल का लंड काफी छोटा था, शायद इसलिए ऐसा था.
अंकल ने किया भी कुछ भी नहीं था. पोर्न वाइफ फक में बस पुल्ल पुल्ल करके ठंडे हो गए थे.
फिर आंटी ने अंकल के लंड पर हाथ फेरा.
अंकल ने कहा- क्यों दुबारा चुदाई करनी है क्या?
आंटी ने कहा- हां, मुझको दुबारा चुदना है.
तभी मैं समझ गया कि आंटी को अंकल खुश नहीं कर पाए हैं, नहीं तो औरत दुबारा चुदाई के लिए कभी नहीं कहती है.
मैंने सोचा कि यदि मैं कोशिश करूं, तो शायद मेरी दाल गल जाए और मैं आंटी को चोद सकूं. क्योंकि वो चुदाई में अभी प्यासी हैं.
फिर आंटी बोलीं- मेरा तो अभी छूटा भी नहीं है.
अंकल ने कहा- तू साली पता नहीं क्या खाती है कि मेरा तो तेरे ऊपर चढ़ते ही छूट जाता है … और तेरे होता भी नहीं है.
आंटी ने कहा कि मैं मस्त हूँ ना … काफी गर्मी है मेरे अन्दर!
ये कह कर वो हंसने लगीं.
तब अंकल उनके ऊपर चढ़ गए और आंटी को किस करने लगे.
अंकल का लंड बैठा हुआ था.
आंटी के मम्मों को अंकल ने मसला और फुद्दी को चूसने लगे.
तभी आंटी ने कहा- आज मेरी फुद्दी चूस चूस कर मेरी चूत ठंडी कर दो.
अंकल ने कहा- अच्छा … जब तेरे पास लंड है, तो तेरे को मेरे मुँह से मुठ मरवाने में ज्यादा मजा आता है क्या?
उन्होंने कहा- मुँह से करो ना यार … मुझको अच्छा लगता है. तुम फुद्दी बहुत अच्छे से चूसते हो. साथ में इतनी देर में आपका लंड भी तैयार हो जाएगा.
अंकल ने कहा- ठीक है, पर कल की तरह मत करना, मुकर मत जाना फुद्दी देने से!
आंटी ने कहा- मैं नहीं मुकरूंगी. एक बार मेरी मुठ मार दो, फिर जो चाहे मर्जी कर लेना.
अंकल ने कहा- ठीक है.
आंटी ने अपनी टांगें खोल दीं और अंकल आंटी की फुद्दी को जीभ से चोदने लगे.
आंटी आह आह करके कराहने लगीं.
वो अंकल का सिर अपनी फुद्दी पर दबा रही थीं.
पांच मिनट बाद आंटी जोर से चीखने लगीं- उह उह और करो … आह.
उन्होंने अंकल का सिर जोर से फुद्दी में दबा दिया.
आंटी का काम हो गया था.
अंकल आंटी का सारा माल पी गए.
आंटी अब खुश लग रही थीं.
अंकल फिर से उन्हें किस करने लगे.
वो दोनों बैठ गए.
अंकल ने कहा- मेरी रांड खुश हो गयी ना!
आंटी ने कहा- हां.
अंकल ने उनकी फुद्दी पर हाथ फेरा और कहा- चल अब लेट जा.
आंटी ने कहा- आह … दर्द हो रहा है.
अंकल ने आंटी को धक्का देकर लिटा लिया और उनके ऊपर लेट गए.
आंटी ने कहा- छोड़ो यार, अभी दर्द हो रहा है. कुछ देर बाद में चोद लेना.
अंकल ने कहा- मेरी रांड, मेरा लंड तो अभी तैयार है. इसे छेदा चाहिए.
आंटी ने कहा- नहीं.
अंकल ने आंटी के गाल पर थप्पड़ मारा और उसके बाल खींच दिए.
आंटी चीखने लगीं.
अंकल ने उनके मुँह में लंड डाल दिया और कहा- चूस साली, अब मेरी मुठ मार.
आंटी अंकल का लंड चूसने लगीं और मजे से चूसने लगीं.
अंकल ने भी उनके बाल छोड़ दिए थे.
आंटी अपने आप उनका लंड चूस रही थीं.
अंकल उनके सिर पर हाथ रखकर खड़े थे, उनके बालों को सहला रहे थे.
तभी अंकल ने आंटी का सिर पकड़ा और वहीं रोक दिया.
अंकल का भी रस छूट गया था.
पोर्न वाइफ भी हसबैंड का सारा माल पी गयी थीं.
अंकल और आंटी पास में ही लेट गए.
आंटी अंकल के ऊपर लेट सी गयी थीं.
कुछ देर लेटने के बाद अंकल ने कहा- अब कुछ मूड है?
आंटी ने कहा- बस अब नहीं.
अंकल ने कहा- एक बार करते हैं, फिर सो जाएंगे.
आंटी ने कहा- नहीं, अब कल करेंगे. अगर अब किया, तो मेरी फुद्दी पहले की तरह छिल जाएगी, फिर कल मेरी मां को चोदोगे?
अंकल ने कहा- हां, तेरी मां को चोद लूँगा.
वो हंसने लगे.
आंटी ने कहा- अब सो जाओ, सुबह जल्दी उठना है.
अंकल ने कहा- ठीक है, पेशाब करने चलते हैं, फिर सोते हैं.
आंटी बोलीं- तुम हो आओ.
अंकल खड़े हुए और बाहर आने लगे.
मैं वहां से छत पर आ गया.
अब अगली कहानी में मैं लिखूंगा कि कैसे मैंने आंटी को सैट करके उन्हें चोदा.
मैंने अभी अभी 18वें वर्ष में कदम रखा है। antarvasna इतने सालों से मैं घर में माँ को ही देखते आ रही हूँ। मेर एक छोटा भाई भी है तो अभी सिर्फ़ 10 वर्ष का ही है। मेरी माँ की उमर लगभग 40 वर्ष की है। यूँ तो दिखने में वो आकर्षक लगती हैं, पर शायद अधिक काम की वजह से वो थकी हुई रहती है। मेरे पापा का देहान्त हुए 6 साल हो चुके थे। तब से मम्मी ही घर को सम्भालती आ रही है।
मुझे पता था कि माँ एक काल गर्ल के रूप में काम करती थी। अधिकतर वो जीन्स और शर्ट में रहती थी। और अपने आप को एक कम उम्र की लड़की बताया करती थी। पर अब लोगों की नजर मुझ पर भी पड़ने लग गई थी। उभरती जवानी की खुशबू फ़ैलने लगी थी। मैं भी अपनी माँ की तरह सुन्दर थी और मेरे नाक नक्शे और कट्स भी अच्छे थे। मैं अब कॉलेज जाने लगी थी। मुझे सेक्स का ज्ञान तो पहले से ही था। अब मुझे सहेलियों के द्वारा चुदाने और गाण्ड मरवाने की कहानियाँ भी सुनने को मिल जाती थी। चुदाने के बाद लड़कियाँ आई-पिल्स को भी बहुत काम में लाती थी। मेरे दिल में भी कभी कभी सेक्स की भावना जागृत हो उठती थी। पर मुझे इससे डर भी लगता था कि लड़के ना जाने क्या करते होंगे।
एक बार माँ रात को घर नहीं आई तो मैं घबरा उठी। मैंने बहुत बार मोबाईल पर सम्पर्क करने की कोशिश की पर फोन का स्विच ऑफ़ था। माँ के कॉल गर्ल होने के कारण, मैंने डर के मारे आस पास किसी की मदद भी नहीं ली। मैं आस पास धीरे धीरे सभी से पूछती रही, पर निराशा ही हाथ लगी।
फिर एक दिन एक पुलिस वाला घर आया और मुझे थाने में एक लाश की पहचान करनी थी। होस्पिटल में शव-गृह में एक बर्फ़ में रखी लाश को मैं पहचान गई। वो मम्मी ही थी, उनकी हत्या हुई थी। मुझे ये तो पता नहीं था कि क्या करना चहिये था पर डर के मारे मैंने मना कर दिया कि इसे मैं नहीं पहचानती हूँ। पर घर आ कर मैं बहुत रोई।
दिन ऐसे ही गुजरते गये, इस घटना को एक साल बीत गया। मेरा छोटा भाई भी बीमार रहने लगा था। अब मुझे पैसों से परेशानी आने लगी थी। हमें कभी खाना नसीब होता था कभी तो भूखे ही रहना पड़ता था।
माँ के मरने का प्रमाण पत्र मेरे पास नहीं था तो उनका पैसा भी मेरे काम नहीं आ सका। गरीबी मेरे सिर पर आ चुकी थी, मैंने एक घर में बर्तन और झाड़ू पोंछा का काम शुरु कर दिया था।
इस दिनों कॉलेज में मेरी एक लड़के कुलदीप से पहचान हो गई थी। बातों बातों में मेरे मुख से निकल गया कि इस बार पढ़ाई जैसे तैसे करके परीक्षा दे दूंगी पर आगे से तो ईशवर ही मालिक है।
वो लड़का एक बिजनेस मेन का लड़का था, शायद वो मुझे चाहता था, उसने अपने पापा से कह कर मुझे अपनी फ़ैक्टरी में लगवा दिया था।
अब मेरी मुश्किलें थोड़ी कम हो गई थी। उसके पापा रमेश चंद की बुरी नजरें मुझ पर पड़ चुकी थी।
एक दिन उन्होंने मुझे अपने दफ़्तर में बुला कर कहा कि यदि तुम अधिक पैसा कमाना चाहती हो तो तुम अपनी माँ का धन्धा अपना लो, मालामाल हो जाओगी। मैं घबरा उठी कि ये सब कैसे जानते हैं। पर जल्दी ही पता चल गया कि वो कॉल-गर्ल के शौकीन थे। शायद मेरी माँ उनके पास जाया करती थी। उनके पास दूसरी लड़कियाँ भी आती थी जिनके साथ वो मौज मस्ती करते थे।
एक बार उसने मुझे एक रात के लिये 1000 रु ऑफ़र किये। मैं चुप ही रही। पर पैसों की तंगी और पढ़ाई को देखते हुए एक बार मैंने यह निश्चय कर लिया कि जब मेरी माँ यह काम कर सकती थी तो मैं क्यों नहीं कर सकती हूँ। एक दिन मैंने उन्हें हिम्मत करके हाँ कर दी।
उन्होंने मुझे नई जीन्स और टॉप दिलाया। कई तरह की खुशबू और तरह तरह के कॉस्मेटिक्स दिलाये और रात को बुला लिया। यह वो घर नहीं था जहाँ वो रहते थे, इसे वो फ़ार्म हाऊस कहते थे। पूरा खाली था सिर्फ़ एक बड़ी उमर की औरत वहाँ काम करती थी। मैंने जिंदगी में पहली बार इतना मंहगा और स्वादिष्ट खाना खाया था।
बहुत देर तक तो वो मेरे से बातें करते रहे, फिर अपना फ़ार्म हाऊस घुमाया और अन्त में मुझे अपना बेड रूम दिखाया जहा मुझे उसके साथ खेल खेलना था।
खूबसूरत सा बेड रूम, नरम गद्दे, एयर कन्डीशन, कमरे में शानदार खुशबू, मन को खुश करने को काफ़ी था। उसे देख कर मैं अपने आप को बहुत छोटा समझने लगी।
उन्होंने मुझे कहा कि मैं अब आराम करूं, उन्हें कुछ काम करना है।
मैं बिस्तर पर लेटी तो जैसे स्वर्ग में आ गई। बदन को सहलाता नर्म गद्दा, और भीनी भीनी खुशबू ने मुझे कब सुला दिया मुझे पता ही नहीं चला।
पता नहीं कब, रात को मेरे बदन के अन्दर उनका हाथ रेंगने लगा। नींद में मुझे सपना जैसा लगा। मेरे बोबे में मिठास सी भरने लगी। इतना प्यारा सा अह्सास हुआ कि मैंने आंखे बन्द ही रहने दी और आनन्द लेने लगी।
मेरा टॉप ऊँचा हो गया, मेरी छातियाँ नंगी हो गई थी। मेरे निप्पल को होंठों से दबा कर चूसने लगा। मेरे मुख से हाय निकल पड़ी। मैंने धीरे से अपनी आँखें खोली तो वो रमेश ही था। उसका नंगा बदन मेरे सामने था।
रमेश सेक्स के मामले में एक अनुभवी इन्सान था। उसने मुझे आहिस्ता से उत्तेजित किया और जब मैं वासना से भर गई तो उन्होंने मेरे कपड़े एक एक करके उतार दिये। मुझे उनका लण्ड बहुत प्यारा सा लगने लगा। मैं बार बार उसे पकड़ लेती थी और अपनी तरफ़ खींचती थी।
वो मेरे निप्पल को अपनी अंगुलियों से धीरे धीरे मसलने लगे। एक तीखा सा मजा आने लगा। मेरे उरोज को भी वो सहलाने और मसलने लगा। मेरे मुख से सिसकारियाँ निकल पड़ी, चूत गीली हो उठी, धीरे धीरे चिकना रस छोड़ने लगी।
उसका बलिष्ठ शरीर मेरे जिस्म से रगड़ खा कर गुलाबी सा मीठा सा मजा दे रहा था। मेरे अंग अंग को मसल कर वो मस्त किये दे रहा था।
मैं चुदने के लिये बिल्कुल तैयार थी। अब महसूस हो रहा था कि वो मेरी चूत में अपना लण्ड घुसा दे और बस अब चोद दे। बिना इस बात को जाने कि ये मेरी पहली चुदाई होगी और मेरी झिल्ली फ़ट जायेगी। चूत में एक अन्दर वासना युक्त मिठास भरने लगी थी। मुझे पहली बार ऐसे अनोखे आनन्द का मजा आ रहा था। सोचा कि लोग इसे बुरा क्यो कहते हैं? जिस काम से इन्सान मस्त हो जाये, असीम सुख मिले, उससे परहेज़ क्यूँ?
तभी उसने अपना लण्ड मेरे मुख के पास लाकर होंठों से सटा दिया। यह मेरा नया अनुभव था।
‘यह क्या कर रहे हो?’ एकाएक मुझे घिन सी आई।
‘इसे किस कर लो!’ रमेश ने कहा।
मैंने मजबूरी में उसे किस कर लिया।
‘ऐसे नहीं, मुँह में ले कर चूसो!’ उसने फिर से अपना मोटा सा लण्ड मेरे होंठों से छुला दिया।
‘हटो, ये नहीं करूंगी।’ मैंने घिन से अपना चेहरा घुमा दिया।
वो थोड़ा सा निराश हो गया।
मैंने ऐसा कभी नहीं किया था सो मुझे इस काम से और भी घिन आने लगी थी। मेरा सोचना था कि भला पेशाब करने की जगह को कौन मुँह में ले सकता है?
उसने कुछ नहीं कहा पर उसका चेहरा अब मेरी चूत पर झुक गया था और मेरी टांगें चौड़ी करके मेरी चूत पर अपना मुँह लगा दिया।
‘अरे ये क्या कर रहे हो,… ये तो पेशाब की जगह है छी:, हटो, जाने क्या कर रहे हो?’ मुझे उसकी ये हरकत बड़ी अजीब सी और घिनोनी लग रही थी कि ये पेशाब करने की जगह को ही क्यों मुख से लगा रहा है। बस लण्ड घुसेड़ना हो तो घुसेड़ दो, दोनों ही पेशाब करने जगह ही तो हैं…
‘अब तुम मुझे कुछ करने दोगी या नहीं…!!’ वो कुछ नाराज़ से लगे।
‘तो करो ना, चालू करो ना वो, यहाँ वहाँ गन्दी जगह मुँह मत लगाओ।’ मैंने थोड़ा झिझकते हुए कहा।
रमेश मुस्करा उठा, और मेरे ऊपर चढ़ गया।
‘क्या पहला मौका है?’ रमेश मेरी दोनों टांगों के बीच में बैठ गया, उसका लण्ड तन्ना रहा था.
मुझे भी चुदाई का आनन्द पहली बार मिलने वाला था। मेरी चूत की दरारों में उसने अपना लण्ड ऊपर नीचे घिसा। मेरा दाना फ़ड़क उठा, एक मीठी सी टीस उठी।
‘हाँ, यह पहला मौका है, पर जल्दी करो ना, घुसा डालो ना…!’
‘मजा आ रहा है ना?’
‘जी हाँ, बहुत मजा आ रहा है!’ मैंने हाँ में सर हिला दिया।
मुझे चुदाने के लिये उन्होंने एक हज़ार रुपये भी दिये थे, और स्वर्ग सा आनन्द भी मिल रहा था, सो मैंने अपनी टांगें ऊपर कर ली और अपनी चूत खोल दी।
‘तुम्हें डर नहीं लगता है ऐसे?’ मेरे होंठों को चूमते हुए बोले।
‘डर कैसा, आप तो मेरे दोस्त के पापा हो ना, आपके पास तो मैं बहुत सुरक्षित हूँ।’ मैंने भोलेपन से कहा।
‘तुम्हारा कुंवारापन चला जायेगा, फिर मैं जो करने वाला हूँ उससे सुरक्षित कैसे रहोगी?’
‘मैं पैसे के लिये यहाँ वहाँ भीख मांगती हूँ, मुझे कॉलेज छोड़ना पड़ेगा, अब मैं फ़ीस दे सकूंगी और परीक्षा दे सकूंगी, मेरी माँ नहीं है ना अब… घर में छोटा भाई भी है, भूख से बीमार रहता है। मुझे तो ये सब करना ही पड़ेगा ना। मेरी माँ भी यही करती थी ना।’
रमेश ने मुझे एक गहरी नजर से देखा, उनके चेहरे पर शर्मिन्दगी सी दिखी। उनका फूला हुआ लण्ड सिकुड़ता सा लगा। मैंने अपनी चूत का जोर उनके लण्ड पर लगाया, पर शायद वो मुरझा कर लटक गया था। मुझे लगा शायद ये कर नहीं पाते होंगे। पर ऐसा नहीं था।
‘तुम मेरे पास कैसे सुरक्षित हो, मुझे समझ में नहीं आया…!’ रमेश कुछ असमंजस में दिखा।
‘संदीप कहता है, आप बहुत अच्छे है, मुझे पता है आप ये सब करने के बाद मुझे पैसा देंगे।’ मैंने अपनी जरूरतें उसे बताई।
‘हाँ वो तो दूंगा ही!’ वो हैरान होता जा रहा था।
‘बस, तो मेरी कॉलेज की फ़ीस हो जायेगी, मेरे भाई को भी आगे पढ़ाऊँगी.’ मैंने सहजता से कहा।
वो बिस्तर छोड़ कर उठ खड़े हुए, कपड़े पहनते हुए बोले ‘उठो, और कपड़े पहन लो…! बस बहुत मजा कर लिया!’
मैं घबरा गई, और उनके पांव पकड़ लिये- नहीं नहीं जी, ये क्या… लाओ मैं चूस लेती हूँ, आप चाहे जो करो… पर प्लीज जाओ मत!’
‘दुनिया में यही सब कुछ नहीं है, बस अब नहीं… तुम इस काम के लिये फ़िट नहीं हो!’
मुझे अपने 1000 रुपए जाते हुए लगे। मेरी नजरों के सामने वही भूख और मजबूरियाँ नजर आने लगी। मुझे फिर वही अन्धेरे डराने लगे। मन में सोचा अरे मैंने यह क्या कर दिया… अब क्या होगा। इतना क्यूँ बोला मैंने… मैं रूआंसी हो उठी।
रमेश ने अपने पास बुलाया और मेरा टॉप मुझे पहना दिया, मेरी जीन्स उठा कर कहा- चलो पहनो इसे!
चेहरा उदास हो गया, जैसे मेरी जान निकल गई हो, मैंने जीन्स पहन ली और फ़फ़क के रो पड़ी ‘अब मैं परीक्षा नहीं दे पाऊँगी…’ रोते हुये हिचकी बंध गई।
रमेश ने मुझे गले से लगा लिया। उसे अपनी गलती का अहसास हो रहा था। शायद वो खुद पर शर्मिन्दा हो रहे थे।
‘मुझे माफ़ कर दो… इस उमर में भी मैं जाने क्या करता रहा हूँ, तुमने तो मेरी आंखें खोल दी… क्या मैं तुम्हें कॉल गर्ल बनाने जा रहा था।’ रमेश के चेहरे पर से वासना गायब हो चुकी थी। हाँ, मुख पर एक उजाला सा जरूर नजर आ रहा था। मैं उन्हें देखती रह गई।
उनकी छाती पर सर रखे मैंने विनती की- मुझे आप फ़ीस जमा कराने लायक पैसे दे दें तो मेरी तन्ख्वाह में से काट लेना, प्लीज… नहीं तो हमें परीक्षा में नहीं बैठने दिया जायेगा।
‘मुझे माफ़ कर दो, अपने सीने में ये राज दबा लो कि मैंने तुम्हारे साथ ऐसा कुछ किया था, और मुझे नहीं पता कि मेरा तुम से क्या रिश्ता रहेगा, पर तुम मेरी दोस्त बन कर रहो, चाहे बेटी बन कर, चाहे जो रिश्ता बना लो, पर अब से तुम मेरे साथ ही रहोगी, मेरी फ़ैक्टरी में ऑफ़िस का सारा काम तुम ही सम्हालना… फिर से ध्यान रखना ये बात अपने दिल में ही रखना!’
‘जी… पर आप तो… आप अब मेरे साथ कुछ भी नहीं करेंगे… पर मुझे तो कुछ करने की लग रही है!’
‘अब चुप भी हो जाओ, ये उमर ही ऐसी होती है, शादी के बाद तो रोज ही करना… मुझे अब ये नहीं करना है बस!’
‘अंकल जी… मुझे नहीं पता है ये सब… पर मैं क्या कहूँ…’
‘कुछ नहीं कहो बस, मुझे मजबूरी, मासूमियत का फ़ायदा नहीं उठाना…!’ कहते हुए वो दूसरे कमरे में चले गये।
मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था। ये सब कैसे हो गया, ये मेरे पर अचानक इतने मेहरबान कैसे हो गये। मेरी मजबूरी और सच्चाई जान कर क्या उनका दिल पिघल गया था। क्या सच में मेरे अच्छे दिन आने वाले थे।
मैं धीरे धीरे उसके कमरे में आ गई, वो खिड़की पर खड़े हुए थे, मैंने उनकी पीठ पर हाथ लगाया, जैसे उन्हें झटका लगा। तुरन्त उन्होंने मुड़ कर मुझे देखा। उनकी आंखों के आंसू छिप नहीं सके। मैंने धीरे से अपना सिर उनकी छाती पर रख दिया।
‘अंकल मुझे माफ़ कर देना, पैसों के लालच में मैं बहक गई थी, आप नहीं होते तो जाने क्या हो जाता, मेरी तो इज़्ज़त ही लुट जाती…! फिर मेरी शादी भी नहीं होती ना!’
रमेश ने मेरे सर में चूम लिया और अपनी बांहों में भर लिया।
मुझे भी शायद इसी प्यार की तलाश थी जिसे मैं वासना में खोज रही थी। मेरे दिल में ठण्डक आने लगी। सुकून सा आ गया। ऐसा प्यार मेरी आत्मा तक को छू रहा था।
रमेश ने मुझे देखा फिर अपनी पत्नी की तस्वीर को देखा और सर झुका कर मुझसे मुस्करा कर कहा- गुड नाईट, अब सो जाओ… मुझे अब इनसे भी माफ़ी मांगनी है।
कह कर उन्होंने अपनी पत्नी की तस्वीर की ओर देखा, फिर अपने बिस्तर की शरण ली और मुँह तक चादर ओढ़ ली।
मैंने कमरे की बत्ती बुझा दी और बाहर जाने लगी। फिर जाने क्या ख्याल आया, मेरे मन में उनके लिये प्यार उमड़ पड़ा। मैं भाग कर गई और उनकी चादर के अन्दर घुस गई और उनसे लिपट गई। मैं भावना में बह गई थी। उनके मुख पर चुम्बनों की बौछार कर दी और रो पड़ी। मुझे प्यार से उन्होंने एक तरफ़ लेटाया और मैं उनसे लिपट कर सो गई। मेरे प्यासे दिल को माँ-बाप जैसा प्यार मिल गया था। शायद बहुत दिनों बाद इतनी गहरी नींद, सुकून भरी नींद, प्यार भरी नींद आई थी।
सुबह उठी तो रमेश अंकल ने फ़ार्म हाउस की चाबी मुझे दे दी और अपने घर चले गये। मुझे वो सुबह एक नई सुबह लगी, शायद एक नई जिन्दगी की शुरुआत थी… तभी मुझे अपना भाई याद आया कि वो मेरी राह ताक रहा होगा और मैं अपने घर की ओर जल्दी जल्दी चल पड़ी! Antarvasna
कैम गर्ल सेक्स स्टोरी में मैंने अपनी एचआर मेनेजर लड़की को डेल्ही सेक्स चैट वाली लड़की के सामने चोदा. वह मुझसे एक बार पहले भी चुदाई करवा चुकी थी।
दोस्तो, मैं सलमान अपनी सेक्स स्टोरी
ऑफिस में एचआर की चूत चोदी
का अगला भाग लेकर आया हूं।
पिछले भाग में मैंने आपको बताया था कि कैसे मैंने अपने ऑफिस में एचआर जैनब को चूत में उंगली करते देख लिया था।
मैंने उसको ओवरटाइम बंद करवाने के लिए ब्लैकमेल भी किया लेकिन वो नहीं मानी।
मगर फिर बदले में मुझे उसके साथ सेक्स करने का मौका मिला।
अब मैं आगे की कैम गर्ल सेक्स स्टोरी आपको बताने जा रहा हूं।
उसके कुछ दिन बाद, मैं अपने डेस्क पर बैठा हुआ काम कर रहा था।
मुझे हमेशा की तरह देर तक काम करना था।
लेकिन अब इसमें एक चीज और भी जुड़ गई थी जिसमें मुझे बड़ा मजा आता था।
मैंने तुरंत अपनी एचआर के पास मैसेज किया- मैं आज फिर देर रात तक रुकने वाला हूं!
उसके कुछ मिनट बाद उसका रिप्लाई आ गया।
उसने एक GIF बनाकर भेजी थी।
इसमें उसने शर्ट के बटन खोलकर चूचियों को हाथों से ऊपर उठाते हुए अपनी जीभ बाहर निकाली हुई थी।
इसे देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया।
लेकिन ऑफिस में अभी कई लोग मौजूद थे।
मैं चुपचाप अपना काम करता रहा और सबके जाने का इंतजार करने लगा।
जब सब लोग चले गए तो मैं एचआर जैनब के केबिन की तरफ चला।
पहुंचा तो जैनब मुझे देखते ही मुस्करा दी और उसने अपनी शर्ट के बाकी बटन भी खोल दिए।
जैनब- काफी देर लग गई तुम्हें?
मैं- मुझे तुम्हें इंतजार करवाने में मजा आता है।
जैनब- और ऐसा क्यों?
मैं- क्योंकि अब भी मुझसे ज्यादा काम करवाया जाता है।
जैनब- श्श्श … लाओ मैं तुम्हें रिलेक्स करती हूं।
वो उठी और मुझे किस करने लगी।
मैंने उसके बाल खींच कर पीछे कर दिया और उसकी गर्दन चूमने लगा। मैंने उसकी गर्दन पर काट लिया जिससे उसकी आहह … करके सिसकारी निकल गई।
फिर मैंने उसको घुमा लिया।
वो अपने डेस्क पर झुक गई और मैं उसके पीछे झुक गया।
हम दोनों के हाथों की उंगलियां आपस में फंसने लगीं और इसी दौरान मेरा लंड उसकी गांड पर फिरने लगा।
मैं- इस डेस्क की लकड़ी बहुत सख्त है, है ना?
जैनब- हम्म, लेकिन अभी तो मैं किसी और लकड़ी के बारे में सोच रही हूं!
कहकर उसने आंख मार दी.
जैनब घूमी और उसने मेरी पैंट को नीचे खींच दिया।
घुटनों पर आते हुए उसने मेरे तन चुके लौड़े के टोपे पर एक किस कर दी।
अगले ही पल हल्के झटके के साथ मेरा लंड उसके मुंह में था।
उम्म … करते हुए उसने पूरा लंड मुंह में समा लिया और अपना प्यार और लार उस पर लुटाने लगी।
मेरा लंड बड़े मजे से चूसते हुए उसने पूरा गीला कर दिया।
मैंने उसके बाल खींचे और पूरा लंड गले में धकेल दिया।
वो गूं-गूं करने लगी।
मैं- मुझे रूमी (कैम गर्ल) को भी कॉल करना चाहिए, इससे पहले कि मैं तुम्हारे चेहरे को अपने माल से नहला दूं।
जैनब लंड निकालकर हांफते हुए- हम्म … अच्छा रहेगा शायद, बाद में फिर मैं रुक भी नहीं पाऊंगी।
कहकर वो जोर जोर से लंड को चूसने लगी।
मैं उसके डेस्क पर बैठ गया और मैंने dscgirls.live वेबसाइट को खोल लिया।
किस्मत से उस वक्त रूमी भी फ्री थी।
वह भी हम दोनों को जॉइन करने के लिए उत्साहित लग रही थी।
इंडियन सेक्स कैम मॉडल रूमी
जैनब मेरी टांगों के बीच में लंड को चूसने में लगी हुई थी.
इसी बीच उसने अपने पर्स में से मुझे अपना डेबिट कार्ड निकाल कर दे दिया।
मैंने कार्ड के माध्यम से क्रेडिट खरीद लिए।
फिर मैंने रूमी को नंगी होने के लिए कह दिया।
मैंने अब फिर से जैनब के बालों को कस कर पकड़ लिया।
अब मेरे लंड से उसकी लार बहकर नीचे जाने लगी थी।
मेरे लंड के टोपे पर उसके गले का निचला भाग महसूस हो जाता था।
लेकिन मैं धक्का देकर लंड को उससे भी नीचे तक धकेल देता था जिससे उसका गला बिल्कुल रुक जाता था।
वो उल्काते हुए मेरी तरफ हैरानी से देखने लगती थी और उसके मुंह से लार नीचे बहती दिख रही थी।
जैनब- तुमने तो मुझे पागल कर दिया, मजा आया!
उसने फिर से अपना मुंह खोल लिया।
मैंने फिर से उसका सिर पकड़ा और लंड को मुंह में देकर धकेलने लगा।
उसको बार बार मैंने उल्काई के लिए मजबूर किया।
इस दौरान रूमी की वीडियो कॉल कनेक्ट हो चुकी थी।
वह अपनी चूत में धीरे-धीरे उंगली चला रही थी।
लेकिन उसने जैनब को इस तरह से लंड से बेहाल होते देख लिया था।
इसलिए रूमी भी अब तेजी से चूत को रगड़ने लगी।
रूमी ने मुझसे नजरें मिलाईं और इतने में ही जैनब के मुंह की पकड़ मेरे लंड पर बढ़ गई और मैं आनंद में गर्रा … उठा।
मेरा अब छूटने ही वाला था।
मैंने जैनब के मुंह को पकड़ लिया और लंड को जोर से अंदर धकेलने लगा।
जैनब की आंखें बाहर आने लगीं, जैसे वो लंड को बाहर निकालने की मिन्नत कर रही हो।
लेकिन एक्सएक्सएक्स कैम गर्ल रूमी को जोर से चूत रगड़ते देख मैंने उसके मुंह में वीर्य की पिचकारी मारना शुरू कर दिया जो उसके गले में गिरने लगी।
रूमी भी मेरी तरफ देखते हुए सिसकारने लगी।
मैंने अपने लंड को फिर बाहर निकाल लिया।
बाहर निकाला तो मेरे लंड के टोपे और जैनब के होंठों के बीच चिपचिपे वीर्य की एक लाइन बंध गई। उधर रूमी का बदन अकड़ने लगा था।
मैंने जैनब को लंड के और पास कर लिया।
वो मेरे आंड चाटने लगी।
यह देख रूमी की भी आह्ह निकल गई।
वह बोली- आह्ह फक! तुम तो सच में बड़े कमीने हो! बहुत हॉट! आह्ह … मेरा छूट रहा है … आह्ह!
इतने में ही रूमी का बदन जोर से कांपने लगा।
वह पीछे की ओर लेट गई और जैनब उसे देखते हुए मेरे आंडों को चाटती रही।
उसकी सिसकारियां सुन सुनकर जैनब और जोर से मेरे आंड चूसती जा रही थी।
मुझे भी जैनब की जीभ का मेरे आंडों पर पूरा मजा मिल रहा था।
रूमी हम दोनों को देख रही थी।
वह मेरी तरफ रंडी की तरह देख रही थी और अपने होंठों पर जीभ फिरा रही थी।
उसकी दो उंगलियां उसकी चूत में तेजी से अंदर बाहर हो रही थीं।
अब मैं धीरे से उठा और जैनब को फर्श से उठा लिया।
मैं उसे किस करने लगा।
जैनब को मैंने अब डेस्क पर बैठा लिया।
उसकी टांगें खोलकर मैंने उसकी जांघों को थाम लिया और फिर लैपटॉप में देखा।
उधर रूमी ने भी अपनी टांगें खोल लीं और इतने में ही जोर से मैंने धक्का दे दिया।
लंड अंदर घुसते ही जैनब की जोर की आह्ह निकली जो बहुत गहरी थी।
उसके चेहरे को देख कर लग रहा था कि वो अपने ही डेस्क पर ऐसे बेरहमी से चुदने का कितना मजा ले रही है।
मैं धक्के लगाते हुए- कल जब तुम यहां काम कर रही होगी … तुम इस डेस्क पर बैठोगी … (धक्के लगाते हुए) अपनी गीली चूत के बारे में सोचोगी … कि कैसे ये मेरे मोटे और गीले लंड से चुदी थी।
रूमी- ओह फक! आह्ह … हां, ऐसे ही चोदते रहो उसे!
मैं- मुझसे चुदना अच्छा लग रहा है तुम्हें? तुम चाहती हो कि मैं यहां ओवरटाइम करता रहूं ताकि ऐसे ही तुम्हें पेल सकूं?
मैं जोर से धक्के लगाते जा रहा था.
जैनब- ओ माय गॉड! प्लीज रुको नहीं, करते रहो … आह्ह आहह।
अब उसकी चूत से पच-पच की आवाज होने लगी थी।
उसकी चूत से सफेद पानी निकलने लगा था।
वह मेरे लंड की कठोर, लेकिन आनंद देने वाली अनुभूति का मजा ले रही थी।
उधर रूमी कैम गर्ल सेक्स का पूरा आनंद ले रही थी।
मेरा लंड जैनब की चूत में अंदर तक पहुंच रहा था और वह अपने होंठों को काट रही थी।
उसकी चूत का गीलापन बढ़ने से अब मैं भी गुर्राते हुए चोदने लगा था।
मैंने उसे घुमा लिया और उसके कंधों को पकड़ लिया।
अब उसने डेस्क को कस कर पकड़ लिया और गहरी सांसें भरने लगी।
वह कैमरा में देख रही थी और उसकी टांगें चौड़ी खुली थीं।
रूमी हम दोनों को देखते हुए तेजी से अपनी चूत को रगड़ रही थी।
मैं- तुम्हें मजा आ रहा है रूमी?
रूमी- ओह फक! फक!
उसकी टांगें उसके हाथ पर लिपटी हुई थीं और उसकी आँखें कसकर बंद थीं और वो जोर से सिसकार रही थी।
तभी जैनब बोली- फक … चोदो मुझे … कसकर!
मैं पूरे जोश में जैनब को चोदने लगा।
अब उसकी सिसकारियां और तेज हो गईं।
वह खुद को कैमरा में चुदते देख रही थी और लगातार आहें भर रही थी।
उसका मुंह खुल गया था और बदन दोहरा होने लगा था।
मैं रुक नहीं रहा था।
मैंने उसके चूतड़ों को थाम लिया और लंड को पूरा जड़ तक घुसाने लगा।
उसकी कमर को दोनों ओर से थामकर मैं जोर से लंड को पेल रहा था।
जैनब जोर से चिल्लाते हुए अपने होंठों को काट रही थी।
अब उसकी आंखें पलटने लगीं।
देखते ही देखते वो टेबल पर ढेर हो गई।
फिर उसने अपनी टांगें पूरी खोलकर ढीली फैला दीं।
वह लेट गई और मैंने लंड को बाहर खींच लिया।
जैनब- नहीं, इसे मेरे अंदर ही रखो, प्लीज!
फिर मैं उस पर लेट गया।
मैंने उसको पलटाया और उसके होंठों पर किस करने लगा।
मेरा लंड उसकी बच्चेदानी तक पहुंच रहा था।
वह मुझे डीप किस कर रही थी।
जैनब- मुझे ऐसे ही अंदर तक खोदते रहो!
मैं भी अब लंड को पूरा अंदर तक धकेल रहा था।
मेरा पसीना उसके बदन को भिगो रहा था।
मैं तेजी से धक्के देने लगा और जैनब की चूत की पकड़ मेरे लंड पर बढ़ने लगी।
उसकी टांगें मेरे चारों ओर आकर कस गईं।
मैंने रूमी की तरफ देखा तो वह हम दोनों को देखकर अपने होंठ काटते हुए अपने बदन को सहला रही थी।
मैं भी आहें भरने लगा।
मेरा बदन अकड़ने लगा लेकिन मैं लंड को अपनी एचआर की गर्म और टाइट चूत से बाहर नहीं निकालना चाह रहा था।
मैं इसे अंदर ही रखना चाह रहा था।
जैनब- मत निकालो बेबी, मुझे भर दो!
इतने में ही मेरा माल जैनब की टपकती चूत में गिरने लगा।
वह जोर से सिसकारी और पीछे की ओर झुक गई।
मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और किस करने लगा।
कैम गर्ल रूमी हंसी और अपनी चूत को कैमरा के पास ले आई।
हमने देखा कि उसकी चूत किस कदर गीली हो गई थी।
मैंने जैनब को किस किया और हम दोनों रूमी की तरफ देखकर मुस्करा दिए।
मैं जैनब की चूत में कुछ देर उंगली करता रहा तब तक रूमी ने भी सेशन बंद कर दिया।
दोस्तो, अभी भी हम रूमी के साथ खूब सारी मस्ती करते हैं।
वह हमारी पसंदीदा मॉडल है और हमें चुदाई करते हुए देखकर खूब मजा लेती है।
अगर आप लोगों को मेरी कैम गर्ल सेक्स स्टोरी पसंद आ रही है तो मैं इस कहानी का तीसरा भाग भी आपके लिए लिखूंगा।
और अगर आप जानना चाहते हैं कि जैनब, मेरे और रूमी के बीच आगे किस तरह गर्म डर्टी सेक्स हुआ, तो मुझे जरूर लिखें।
रेखा ने अब आशु से खुशामद की कि अब पहले अंदर आ जाओ।
आशु ने उसकी आग को और भड़काया और नीचे होकर रेखा की टांगें पूरी फेला कर खोल दीं और एक बार दोबारा अपनी जीभ घुसा दी।
रेखा तड़फ उठी।
अब वो मचलते हुए आशु से बोली- अब और न तड़फाओ, पहले मेरी चूत की प्यास बुझा दो, अपना औज़ार अंदर करो।
आशु ने भी अब बिना समय गँवाए अपना मूसल एक ही झटके में पूरा पेल दिया।
हालांकि रेखा की चूत चुदी-चुदाई थी और खूब गीली हो गयी थी, फिर भी नये लंड का झटका उससे बर्दाश्त नहीं हुआ और वो चीख उठी।
अब आशु ने पेलमपाल शुरू कर दी। रेखा भी उसका पूरा साथ दे रही थी।
आशु ने रेखा को हर पोज़ में चोदने का मन बनाया था।
उसने अब रेखा की चूत से लंड निकाल कर रेखा को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में घुस गया।
आशु ने कोशिश तो की थी गांड में घुसने की, पर रेखा ने साफ मना कर दिया।
अब पीछे से चिपट कर आशु ने अपने हाथों से रेखा के मम्मे दबोच लिए थे।
रेखा भी मदमस्त हो गयी थी; उसने गर्दन घुमा-घुमाकर आशु को चूमना जारी रखा।
नौकर मालकिन की चुदाई अपने चरमोत्कर्ष पर थी।
रेखा ने अप आशु को नीचे लिटाया और चढ़ गयी उसके ऊपर!
उसने अपनी चूत को लंड के ऊपर सेट किया और लगी जोर ज़ोर से उछलने!
पता नहीं लंड चूत चोद रहा था या चूत लंड को चोद रही थी।
रेखा हाँफ रही थी, अब उसके बोल निकल रहे थे- आशु, मज़ा आ गया यार आज तो! आज तूने अपनी मेमसाब को खुश कर दिया। आज दिन भर सिर्फ और सिर्फ चुदाई ही होगी.
आशु भी बोला- हाँ मेमसाब, आज आपको वो मज़ा दूँगा कि आप भी क्या याद रखोगी।
कुछ पल बाद आशु ने रेखा को वापिस नीचे लिटा दिया और अबकी बार पूरे ज़ोर शोर से चुदाई शुरू की।
अब आशु कह रहा था- कि आया मज़ा मेमसाब या अभी और अंदर करूँ?
रेखा भी बोली- मेरे राजा, आज तो फाड़ ही दो मेरी मुनिया को … मैं भी तेरा लंड खा जाऊँगी।
पूरे कमरे में सीत्कारें और फ़च फ़च की आवाज़ आ रही थी।
आशु का अब होने वाला था, रेखा को तो पहले ही हो चुका था।
रेखा से आशु ने पूछा- मेरा होने वाला है, कहाँ निकालूँ?
और रेखा तो बिना कंडोम के चुदाई करवाती ही नहीं थी, पर वो आज लंड को बाहर निकालने को तयार नहीं थी।
उसने आशु को भींच लिया और बोली- अंदर ही निकाल दो। मैं बाद में दवाई ले लूँगी।
रेखा की चूत आशु के गाढ़े माल से भर गयी।
आज इतने सालों बाद रेखा की चूत को माल मिला था।
दोनों निढाल होकर बेड पर पड़े रहे।
तभी डोरबेल बजी।
शायद लंच की डिलीवरी थी।
आशु ने फटाफट अपने कपड़े पहने और दरवाजा खोल कर लंच लिया।
सामने से 115 नंबर वाली मोनिका मेम आ रही थीं।
आशु को इस समय देख कर वो मुस्कुराई।
इसपर आशु बोला- दीवाली की सफाई करवा रहा हूँ।
वो कुछ और पूछतीं, इससे पहले आशु ने दरवाजा बंद कर दिया और रेखा को सारी बात बता दीं।
रेखा ने बुरा सा मुंह बना कर मोनिका को बहन की भद्दी गाली दी और उठकर अपने लिए सिगरेट सुलगा ली।
आशु ने जल्दी से कमरा ठीक किया।
रेखा के मोबाइल पर मोनिका का फोन बज रहा था, वो दोबारा बोली कि बहन की लौड़ी को चैन नहीं है।
लेकिन रेखा बड़ी मीठी आवाज़ में मोनिका से बात करते हुए अलमारी से अपने कपड़े निकाल कर बाथरूम में चली गयी।
आशु ने इस अंदेशे से कि कहीं मोनिका न आ जाये, पूरे घर के माहौल पर निगाह दौड़ाई और ठीक ठाक किया।
उसने रेखा की प्लेट मेज़ पर लगा कर लंच खोल दिया।
तभी रेखा कपड़े पहन कर आ गयी और बोली- फटाफट लंच कर लो. वो कुतिया सूंघते सूंघते यहाँ आएगी जरूर!
दोनों ने लंच किया और मेज़ साफ करी।
आशु ने अपने पहने कपड़ों में ही रही सही सफाई निबटानी शुरू की।
अब उसने वैक्युम क्लीनर चला लिया था ताकि आवाज़ बाहर तक जाये।
रेखा का मन अब सफाई में कहा था, वो इधर उधर से आते जाते आशु को चूम रही थी।
तभी डोरबेल बजी.
मोनिका थी।
रेखा मोनिका को लेकर सोफ़े पर पसर गयी।
आशु ने मौका देख कर रेखा से कहा- आप लोग बात कीजिये, मैं लंच करके आता हूँ, एक घंटे में आ जाऊंगा।
अब रेखा क्या कहती … उसने हाँ कह दी.
आशु चला गया।
एक घंटे बाद रेखा का फोन आया कि मोनिका चली गयी है, काफी कुरेद-कुरेद कर पूछ रही थी आशु के बारे में, तो वो जरूर उसे भी फोन करेगी।
रेखा ने आशु को कहा कि वो उसे ठीक 3 बजे बाहर चौराहे पर मिल जाये, शॉपिंग पर चलना है।
आशु क्या कहता, उसे तो पूरे दिन के लिए बूक कर ही लिया था रेखा ने … और फिर जो आज उनके बीच हुआ है उससे तो अब आशु रेखा का और भी दीवाना हो गया है।
तभी मोनिका का फोन आया आशु के पास!
उसने पूछा- कहाँ हो?
तो आशु ने कह दिया- अपने रूम पर हूँ।
मोनिका बोली कि कल उसके फ्लैट की भी सफाई में हेल्प कर दे।
अब आशु मना भी कैसे करता … उसने कहा- ठीक है, मैं फ्री होने पर आपको बताता हूँ।
मोनिका पीछे पड़ी- नहीं कल ही आ जाओ।
आशु ने काफी कहा कि ये उसका पेशा नहीं है, वो तो रेखा मेमसाब ने कहा तो उसने उनकी मदद कर दी।
पर मोनिका पीछे ही पड़ गयी।
आखिर आशु को कहना पड़ा कि रात को बता दूँगा।
तीन बजे आशु कपड़े चेंज करके चौराहे पर इंतज़ार कर रही रेखा की गाड़ी में स्टीयरिंग सीट पर बैठ चल पड़ा।
उसने रेखा से मुस्कुराकर मोनिका के फोन के बारे में बताया।
रेखा ने मुस्कुरा कर उसे चूम लिया और बोली- चले जाना … पर खबरदार जो किसी को भी लिफ्ट दी तो!
आशु हंस पड़ा।
दोनों ने तय किया कि कल आशु को मोनिका के पास चले ही जाना चाहिए वर्ना वो फिर रेखा के फ्लैट पर चक्कर लगाएगी।
रेखा ने आशु से गुरुग्राम चलने को कहा। उसे डर था कि मोनिका उन्हें कहीं ट्रेस न करे।
रास्ते भर रेखा आशु से चुहलबाजी करती रही।
एक बार तो उसने उसकी ज़िप खोल कर उसका लंड निकाल लिया और चूस दिया।
आशु को कहना पड़ा कि ऐसे तो ड्राइविंग नहीं हो पाएगी।
गुरुग्राम दोनों मूवी देखने चले गए।
मूवी में आशु ने भी रेखा के मम्मे जम कर दबाये और दोनों ने चूमचाटी में तो टीन्स को भी पीछे छोड़ दिया।
रेखा चुदासी हो रही थी।
मूवी के बाद डिनर खाते समय रेखा ने उतावलेपन में आशु से कहा कि आज रात वो उसके बिना नहीं रह पाएगी।
अब डर यह भी था कि गेट पर गार्ड्स की जानकारी में न आ जाये कि आशु रात को अंदर रहा है और रात को मोनिका को कैसे भी पता न चल पाये।
लौटते में मेडिकल स्टोर से रेखा ने गर्भ से बचने के लिए दवाई ले ली।
गार्ड्स की निगाहों से बचने के लिए आशु अपने सुबह पहनने वाला ट्रेक सूट अपने रूम से लेकर सोसाइटी से पहले ही गाड़ी की डिग्गी में बैठ गया।
रात के दस बज रहे थे।
रेखा ने सहज स्वभाव गाड़ी सोसाइटी के गेट में घुसाई।
गार्ड ने उसे नमस्ते की और बताया कि मोनिका मेम उसे पूछ रही थीं, और पूछ रही थीं कि अकेले गयी हैं या कोई और साथ था क्या!
रेखा मुस्कुरा दी।
उसने गाड़ी पार्किंग में न ले जाकर अपने टावर की ओर ले ली।
एक कोने में जहां अंधेरा था, वहाँ उसने आशु को बाहर निकाला।
आशु के हाथ में दो बड़े शॉपिंग बेग्स थे।
उन लोगों ने ये तय कर लिया था कि अगर मोनिका या कोई और मेमसाब पूछती हैं तो कह देंगे शॉपिंग को गए थे।
पर गनीमत रही कि रेखा के फ्लैट तक कोई नहीं मिला।
रेखा भी गाड़ी पार्क कर के आ गयी।
दोनों फ्लैट में घुस गए और घुसते ही बेल की तरह लिपट गए।
अब रेखा कोई भी मिनट नहीं खोना चाहती थी।
पर मोनिका को चैन कहाँ … उसका फोन आया आशु के फोन पर!
आशु ने उठाते ही कहा- मेम सो रहा हूँ. और हाँ कल मैं 10 बजे तक आ जाऊंगा।
मोनिका बोली- बच्चे स्कूल 8 बजे तक चले जाएंगे, तुम जल्दी ही आ जाना फिर दोपहर तक काम निबट जाएगा। नाश्ता तुम मेरे घर ही कर लेना।
आशु ने हाँ कह दी पर उससे कह दिया- आप अब सो जाओ, सुबह आपको मेरे साथ मदद करनी होगी।
रेखा आशु को लेकर वाशरूम में घुस गयी।
दोनों के कपड़े प्याज़ के छिलके जैसे उतर गए। दोनों शावर के नीचे चिपट कर खड़े हो गए।
ऊपर से गुनगुना पानी … नीचे आग लगाती चूत और तम्बू बना लंड!
आज तो रात मस्तानी होनी ही थी।
आशु ने शावर के नीचे ही रेखा के मम्मे मसल मसल कर चूसे।
रेखा भी नीचे बैठ गयी और उसका लंड लालीपोप बना कर चूसती रही।
आशु ने रेखा को खड़ा किया और उसकी एक टांग उठाकर सहारा देकर टोंटी पर रख दी रेखा उसे थाम कर खड़ी थी।
आशु ने अपना मूसल पेल दिया उसकी चूत में!
धकापेल शुरू हो गयी।
रेखा ज्यादा हिल नहीं पा रही थी … उसने तो आशु का सहारा लिया हुआ था।
आशु उसके होंठों से होंठ भिड़ा कर चुदाई कर रहा था।
चुदाई तो हो रही थी, पर मज़ेदार नहीं थी।
रेखा ने अपने को अलग किया और तौलिया लपेट कर बाहर आ गयी।
आशु भी पीछे पीछे बाहर आ गया।
रेखा ने दो छोटे ड्रिंक्स बनाए।
आशु ने कहा भी कि वो नहीं पीता!
पर रेखा ने उसे जबर्दस्ती पिला ही दी।
दोनों फिर बेड पर आ गए।
फिर चुदाई का जो घमासान शुरू हुआ तो देर रात तक ही थमा।
इस बीच आशु ने रेखा को हर पोज़ में चोदा।
रेखा में भी गजब का माद्दा था चुदाई का … उसने पूरा साथ दिया आशु का!
जितना आशु ने उसे दबा कर पेला उतना ही पलट कर उसने भी आशु के ऊपर चढ़ कर घुड़सवारी की।
आशु ने रेखा के मुंह से इतनी अश्लील भाषा पहली बार सुनी।
वो सोचता रह गया की आखिर पढ़े लिखे घर की महिलाएं भी इतना गंदा बोल सकती हैं।
रेखा ने उसे खूब गालियां देते हुए चोदने को उकसाया।
वो कहती रही- अरे, तेरे लोंडे का तो दम निकल गया, तू दिन में तो बड़ा चुदक्कड़ बन रहा था गांडू … अब तेरी मर्दानगी कहाँ माँ चुदाने चली गयी? आजा मेरे राजा … आज फाड़ दे मेरी चूत को! प्यास बुझा दे मेरी!
जब आशु ज्यादा बेरहमी से चोदता तो बोलती- बहनचोद … हराम का माल समझकर चोद रहा है? मेरी चूत फट गयी तो तेरा बाप जवाब देगा मेरे आदमी को?
इसी तरह अब आशु भी खुलकर बोल रहा था- हाँ आज तो आपकी फाड़ ही दूँगा. ऐसा मज़ा दूँगा कि हर रोज चुदवाने को मुझे ही बुलाएँगी। कुतिया बना कर चोदूँगा रोज़!
आशु ने आखिर में वेसलीन लगा कर रेखा की गांड भी मार ही ली।
रेखा बहुत उछली पर आशु गांड फाड़ कर ही रहा।
उसके आँसू निकल आए।
वो बहुत बिफरी- मना किया था तुम्हें, अब मैं पूरे दिन हिल भी नहीं पाऊँगी।
आशु ने भी पलट कर जवाब दिया- पूरे दिन मैंने वो किया जो तुमने चाहा. अब अगर एक काम मैंने अपनी मर्जी से कर दिया तो हल्ला क्यों मचा रही हो?
पर जो भी हो चुदाई का पूरा लुत्फ लिया दोनों ने!
पूरा बेड रूम ऐसा लग रहा था जैसे कोई तूफान आया हो।
पूरी बेडशीट वीर्य से जगह जगह चिपचिपी हो रही थी.
रेखा को यही पसंद था कि उसके साथ जंगलीपना हो।
पूरे रूम में जगह जगह सिगरेट के टुकड़े पड़े दे।
रेखा ने आज दसियों सिगरेट फूँक दी थीं।
थक कर रेखा आशु से चिपट कर नंगी ही सो गयी।
आशु की आँख सुबह चार बजे खुल गयी।
उसे सोसाइटी से बाहर निकलना था तो उसने रेखा को उठाया।
वो खुद तैयार हुआ और धीरे से खिसकता हुआ सोसाइटी के गेट तक आया।
उसे मालूम था कि इस समय दोनों गार्ड उनींदे हो रहे होते हैं और गेट भी अधखुला सा होता है।
उसने साधारण तरीके से गार्डों को उठते हुए कहा- आज मैं जल्दी आ गया हूँ, पहले गाड़ी सफाई कर देता हूँ, फिर दूध लेने जाऊंगा।
गार्ड भी सोचते रह गए कि आखिर उनको ऐसी झपकी कैसे आ गयी कि वो बाहर से आ गया और उन्हें मालूम भी न पड़ा।
पर आशु रोज जल्दी ही आता था, तो उन्हें भी चिंता नहीं हुई।
आशु ने एक घंटे में गाड़ियाँ साफ करीं और दूध लाकर सभी को देता हुआ अपने फ्लैट पर 7 बजे तक आ गया।
रेखा के फ्लैट कि जब उसने घंटी बजाई तो रेखा ने गेट खोला और उसे अंदर खींच लिया।
उसने अपने होंठ चिपटा दिये आशु से!
वो सेक्स के मूड में थी.
तब आशु ने समझाया कि मोनिका इंतज़ार कर रही होगी, क्या फायदा वो इधर आ जाये।
घर आकर आशु सो गया।
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