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Massage Girl in Aligarh: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Aligarh who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Aligarh that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Aligarh massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Aligarh who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Aligarh massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Aligarh massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Aligarh who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Aligarh employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Aligarh helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Aligarh

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Aligarh at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Sex Stories

दोस्तो, यह कहानी मेरी बुआ की Sex Stories चुदाई की है. मेरा नाम मोहित है, मेरी उम्र 22 साल कद 6’2″, मेरा हथियार 8′ लम्बा और 2.5″ मोटा है। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, इस साईट की सभी कहानियाँ पढ़ चुका हूँ। आज मैं आप लोगों को अपना सच्चा अनुभव बताने जा रहा हूँ।

बात आज से लगभग 5 साल पहले की है जब मैं 18 साल का था। स्कूल में शीतकालीन छुट्टियाँ थी, मैं अपनी बुआ के घर दुर्ग गया था। मेरी बुआ के यहाँ पर कुल तीन लोग ही रहते हैं एक बुआ, उनकी सास और उनका छोटा लड़का श्याम भैया। बड़े भैया दूसरे शहर में नौकरी करते हैं और उनकी लड़की की शादी हो चुकी है। मेरे फूफा जी का देहाँत बहुत पहले हो चुका है।

अब मुद्दे की बात पर आते हैं। एक रोज मैं सुबह सो कर उठा तो पाया कि श्याम भैया जिम जा चुके थे और दादी (बुआ की सास) अपने कमरे में थी। श्याम भैया और बुआ के कमरे के बीच एक खिड़की है जो कि ठीक से बंद नहीं थी।
अचानक मेरी नज़र बुआ के कमरे में गई तो देखा कि बुआ बाथरूम से नहाकर आ रही हैं। उस समय बुआ ने केवल गाउन पहना था और आते ही अपना गाउन उतार दिया क्योंकि उन्हें स्कूल जाने की जल्दी थी। मेरी बुआ स्कूल टीचर हैं। उन्होंने अन्दर कुछ भी नहीं पहना था, मैं पहली बार किसी औरत को इतने पास से इस हालत में देख रहा था, बुआ के बड़े बड़े 38′ मम्मे, गोरा दुधिया जिस्म, मोटे गदराये चूतड़, काली काली झांटें मेरे दिलो दिमाग पर छा गए।

उस दिन के बाद मैं हमेशा बुआ के कमरे में ताकता रहता, जब भी बुआ झुक कर काम करती, उनके मम्मों और चूतड़ों को घूरता। कभी कभी जब बुआ घर पर नहीं होती तो उनकी ब्रा पेंटी से खेलता, बुआ को सोच कर मुठ मारता, मतलब कि अब मैं बुआ को चोदना चाहता था पर मेरी बुआ बहुत सख्त है इसलिए पहल नहीं कर पाया।

पर एक दिन मुझे मौका मिल गया। श्याम भैया की नाईट शिफ्ट थी, मैं बुआ के कमरे में मूवी देख रहा था, दादी अपने कमरे में थी। इतने में बुआ ने कहा कि उनके शरीर में दर्द हो रहा है और बुखार जैसा लग रहा है, तो उन्होंने मुझे अपने पैर दबाने के लिए कहा। पहले तो मैं उनके पैर को सिर्फ घुटनों के नीचे तक ही दबा रहा था, तो उन्होंने कहा कि दर्द थोड़ा ऊपर है। फिर जैसे ही मैंने उनकी जांघ पर हाथ लगाया, क्या एहसास था एकदम नरम नरम गदराये जंघे, मैं जोश मे आने लगा, धीरे धीरे मैं अपना हाथ ऊपर ले जाने लगा।

जैसे ही मैंने कूल्हों पर हाथ लगाये मुझे करंट लगा क्योंकि अन्दर पेंटी नहीं थी। उनके चूतड़ का स्पर्श पाकर मेरा लंड खडा हो गया। पर इतने में ही बुआ ने मुझे पैर दबाने से मना कर दिया। मैं थोड़ी देर मूवी देख कर बुआ के पास ही सो गया। मुझे नींद कहाँ आने वाली थी, लगभग एक घंटे बाद जब बुआ गहरी नींद में सो चुकी थी तब मैंने धीरे से अपनी एक टांग बुआ के दोनों टांगों के बीच में इस तरह डाल दी कि मैं नींद में हूँ। थोड़ी देर वैसे ही लेटे रहने के बाद मैं अपनी जांघ उनकी जांघ पर रगड़ने लगा, मैं बहुत जोश में आ चुका था। मैं अब हाथ उनके मम्मों पर रख कर हल्के हल्के दबाने लगा। डर भी लगा रहा था और मजा भी आ रहा था।

फिर मैंने धीरे से अपनी हथेली उनकी चूत पर रख दी। अब मुझे उनकी झांटें महसूस हो रही थी। कुछ देर इसी तरह धीरे धीरे चूत सहलाने से शायद बुआ जाग गई थी पर उन्होंने कुछ भी नहीं कहा। मेरा इरादा अब उनकी नंगी चूत देखने का हुआ। अब मैं धीरे धीरे उनका गाउन घुटनों के ऊपर करने लगा। ठीक चूत तक आ कर उनका गाउन पैर के नीचे अटक गया। नीचे से मैं उनकी चूत छूने लगा। अचानक बुआ ने मेरी तरफ मुहं करके करवट ले ली जिससे उनकी चूत अन्दर की ओर भींच गई। अब मुझे उनकी चूत छुते नहीं जम रहा था तो मैंने मम्मों को दबाना चालू कर दिया। बुआ ने अपना एक हाथ मेरे पीठ पर रख दिया। मुझे लगा कि बुआ भी तैयार है। अब मैंने मम्मों को जोर से दबाना चालू कर दिया। अचानक बुआ ने मुझे जोर का धक्का किया और मैं उनसे अलग हो गया। बुआ नींद से जाग चुकी थी। मुझे डर लगने लगा कि बुआ क्या बोलेगी और थोड़ी देर मैं सो गया।

रात को नींद में मुझे लगा कि कोई भारी सी चीज मेरे टांगों के ऊपर है। मैंने आँखें खोली तो बुआ ने अपनी एक टांग मेरे ऊपर डाल रखी है और मेरा लंड उनके जांघ से रगड़ रहा है। धीरे धीरे मेरा लंड खड़े होने लगा पर मुझे डर भी लगा रहा था कि अब अगर बुआ जाग गई तो न जाने क्या करेगी इसलिए मैं वैसे ही चुपचाप सोया रहा पर लंड पर नरम नरम स्पर्श लंड को और भी खडा कर रहा था। नींद मुझसे कोसों दूर थी पर मैं कुछ करने से भी डर रहा था। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था तो मैंने सोचा कि मुठ मार कर शांत हो जाता हूँ पर लंड के ऊपर तो बुआ की जांघ थी। मुठ मारने के लिए मैंने बुआ की जांघ को थोड़ा और ऊपर करके अपने नाभि के ऊपर ले आया ताकि मैं लंड हिला सकूं।

धीरे धीरे मैं लंड हिलाने लगा, मेरे शरीर में सनसनी होने लगी, इतने में ही बुआ ने अपने जांघ पर हाथ फेरा तो उनका गाउन ऊपर हो गया क्योंकि अन्दर पेंटी नहीं थी, उनके चूतड़ बिल्कुल नंगे हो गए थे। मैंने धीरे से उनके चूतड़ों पर हाथ फिराया। बुआ मुझसे चिपकने लगी। अब मैं भी बुआ की तरफ मुँह करके उनसे चिपक गया और इन्तजार करने लगा कि बुआ पहल करेगी और हुआ भी यही। बुआ धीरे धीरे मेरी पीठ पर हाथ फिराने लगी। अब मैं उनके मम्मों को दबाने लगा, उनको चूमने चाटने लगा। हम दोनों काफी गरम हो गए थे अब मैं उनकी चूत को रगड़ने लगा।

बुआ भी मुझे जोरों से चूमने लगी और जोश में आ कर कहने लगी- तूने मेरी प्यास को फिर से जगा दिया है!

बुआ को पीठ के बल लिटा कर मैंने उनका गाउन निकाल दिया। अब बुआ बिल्कुल नंगी मेरे सामने लेटी थी। मैंने उनसे पूछा तो बोली कि रात को सोते समय वो ब्रा, पेंटी नहीं पहनती हैं। मैंने अपने कपड़े भी उतार दिए।

पहले तो मैंने बुआ के होटों को चूमा, चूसा, अपनी जीभ उनके मुँह में डाल दी। बुआ की साँस जोरों से चलने लगी। मैं कभी उनके मम्मों को दबाता तो कभी उन्हें मुँह में लेकर चूसता, दांतों से काटता, बुआ के मुँह से सिस्कारियाँ निकल रही थी, वो मुझे अपने बाँहों में जकड़े जा रही थी। अब मैं उनकी झांटों को सहला रहा था, दो उँगलियाँ उनकी चूत में डाल कर हिला रहा था और जीभ से चूत के दाने को चूस रहा था।

बुआ पूरी तरह उफान पर थी। वो दोनों हाँथों से मेरे सर को अपने चूत पर दबा कर रगड़ने लगी और सिस्कारियों के साथ मेरे मुँह में ही झड़ गई। मैं उनके चूतरस का पान करने लगा।

झड़ते ही बुआ ने मुझे चित्त लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गई। पहले तो उन्होंने मेरे होठों को चूमा, फिर मेरी जीभ अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मेरे छाती पर चूमा, मेरे लंड को हिलाने लगी, फिर लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। 10 मिनट की चुसाई में ही मेरा पानी निकाल दिया और मेरा माल पी गई।

बीस मिनट बाद ही मेरा लंड फिर तैयार हो गया। मैंने सीधे बुआ की चूत में अपनी जीभ घुसा दी और जीभ से उन्हें चोदने लगा। बुआ ने मेरा सर पकड़ रखा था और चूत पर दबाये जा रही थी। फिर उन्होंने कहा- अब और मत तरसाओ! मुझे चोदो! जोर जोर से चोदो!

मैंने उनकी टांगों को पकड़ के फैला दिया अपना लंड उनकी चूत पर रख कर झटका मारा। एक ही बार में मेरा आधा लंड उनकी चूत में था। वो चिल्ला उठी क्योंकि कई बरसों बाद चुद रही थी। 15 मिनट उसी तरह चोदने के बाद मैंने उन्हें घोड़ी बनाकर चोदा। कुछ समय बाद मैं मंजिल के करीब था तो बुआ ने कहा- अंदर ही झड़ जाओ! कई सालों बाद आज चूत गीली होगी!

और मेरे लंड ने बरसात कर दी। मैं और बुआ दोनों संतुष्ट हो कर हाँफ रहे थे।

तो दोस्तो, यह थी मेरी बुआ की चुदाई की एक रात! मेरा तजुर्बा आप लोगों को कैसा लगा, ज़रूर बताएँ! Sex Stories

(Kamine Teacher Ne Ki Meri Maa Ki Chudai)मां की चुदाई

मैं आपको एक नई चुदाई कहानी सुनाने जा रही हूँ जो कि बिल्कुल सच्ची कहानी है।
मैं 23 साल की हूँ और सुंदर लड़की हूँ। मेरी कहानी एक माँ और उसके आशिक़ द्वारा एक मासूम लड़की को गंदे कामों में धकेलने की है।
मेरे पापा एक बैंक में काम करते हैं और मेरे पापा की मेरी मम्मी के साथ पटती नहीं है, वे हमेशा देर से घर आते हैं और खाना खा कर सो जाते हैं, मेरी तरफ़ उनका ज़रा भी ध्यान नहीं है।

यह कोई 5 साल पहले की घटना है, तब में 18 साल की थी। मैं बारहवीं में पढ़ रही थी। मैं मैथस में कुछ कमजोर थी तो मम्मी ने मुझे पढ़़ाने के लिए एक मैथ टीचर रखा था, जिस की उम्र क़रीब 28 साल की होगी। वो टीचर देखने में अच्छा था।

पहले ही दिन मम्मी ने उन्हें और मुझे अपने कमरे में बुलाया और हिदायतें देना शुरू कर दी। मम्मी ने मुझ से टीचर के लिए चाय बनाने को कहा और मैं चली गई जब में चाय लेकर आई तब मैंने देखा की मम्मी के कपड़े अस्त व्यस्त थे और टीचर के शर्ट पर मम्मी के लंबे बाल थे। मम्मी का पाऊडर भी उन पर लगा हुआ था।
मैं समझ गई थी कि वे दोनों प्यार कर रहे थे।
मुझे देख कर वे दोनों पहले की तरह ही बैठ गये जैसे कि कुछ हुआ ही ना हो।

टीचर हर रोज शाम के 5 बजे आया करते थे और मुझे पढ़़ाने और समझाने के बहाने इधर उधर हाथ फ़िराया करते थे। मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता था। मगर मैं किससे अपनी बात कहती।

एक दिन टीचर ने मुझे कुछ याद करने को कहा था और मैंने नहीं किया था। बस उन्होंने मेरी गोल चूचियों की चुटकी ली और बोले- तुम कुछ भी पढ़़ती नहीं हो, मैं तेरी मम्मी से बात करूँगा।
इतना कह कर वे रसोई में चले गये जहाँ मम्मी खाना बना रही थी।
उनके आते ही मम्मी ने पूछा- तुम्हारा काम हो गया?
टीचर ने कहा- हाथ ही रखने नहीं देती, चूत क्या देगी। मेरा तो लंड बड़ा हो गया है, उसे शांत करना पड़ेगा।
मम्मी ने कहा- मैं हूँ ना!

इतना कह कर उन्होंने टीचर की पैंट का ज़ीप खोल कर टीचर के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। टीचर का लंड बहुत बड़ा था जिसे देख कर मेरी चूत में चींटियाँ रेंगने लगी। मैं वो दृश्य देख ना सकी और अपने रूम में आ गई।
यह दृश्य मेरे मन में कई दिनों तक छाया रहा और मैं रात भर टीचर का लंड याद कर कर के मैं सो नहीं पाती थी।

कभी अपनी चूचियों को सहलाती तो कभी चूत को… मेरे बुर से पानी झरने लगता था। मैं यह सोचती थी कि लंड को चूसना शायद अच्छा लगता होगा और यदि मैं किसी का लंड चूसती हूँ तो वो मेरी भी बुर चाटे। ये ओरल सेक्स की बातें सोच कर मेरी चूत में खलबली मच जाती थी। मैं भी टीचर का लंड चूसने बेताब हो गई।

एक दिन टीचर बोले- आओ मैं तुम्हें मैथ का ये फारमूला सिखा दूँ!

मैं टीचर के पास बैठ गई और वे बहाने से मेरी चूचियों सहलाते रहे। मुझे यह अच्छा लग रहा था और मैंने अनजाने में अपनी टाँगें फैला दीं। बस उन्होंने अपना हाथ वहाँ रखा और धीरे से मेरे बटन खोलने लगे।

मैंने कहा- मम्मी आ जाएगी, अभी कुछ मत करो!
उसने कहा- चल मेरी जान, तेरी मम्मी भी मुझ से डलवाती है, आ भी जाए तो भी कोई फ़रक नहीं पड़ेगा।
टीचर ने मुझे पूरी नंगी कर दिया और मेरी चूचियों और बुर को चाटने लगे और अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया।

इतना बड़ा लण्ड पाकर मैं ख़ुश हो गई और मज़े से चूसने लगी।

तभी मेरी मम्मी आ गई और ग़ुस्से से लाल होकर बोली- ये तुम दोनों क्या कर रहे हो। ज़रा मुझे भी बताओ?
टीचर ने कहा- मैं तुम्हारी बेटी को तैयार कर रहा हूँ। इसकी चूत बहुत मीठी है इसे तुम भी चाटो।
मेरी मम्मी ने अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया और चाटने लगी। मम्मी का मेरी चूत चाटना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

उधर टीचर ने अपना पूरा लंड मेरी मम्मी की चूत में घुसा दिया और फिर उसने मुझे जी भर के चाटना शुरू किया। मम्मी के साथ चुदाई का यह खेल मुझे नर्वस कर रहा था। मगर मन में यह बात भी थी कि मेरी अपनी मम्मी ने मुझे सेक्स की सारी चीज़ें सिखाईं।

पहले मैं आपका परिचय से करा देती हूँ… मेरा नाम सोनाली है, उम्र चालीस साल है. मेरे पति का नाम रवि है, रवि एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं और हर महीने टूर के लिए कुछ दिन घर से बाहर रहते हैं।
मेरे दो बच्चे हैं, एक बड़ा लड़का रोहन अठारह साल का है और मेरी एक बेटी अन्नू उससे दो साल छोटी है।

मैं आपको अपने बारे में बता दूँ कि मेरा रंग एकदम गोरा है और मेरा 36-28-36 का फिगर बहुत ही कातिलाना है… मेरे स्तन अभी तक कसे हुए हैं और उन पर मेरे लाल निप्पल ऐसे लगते हैं जैसे कि रसगुल्ले पर गुलाब की पत्ती चिपकी हो… मेरे नितम्ब भी बहुत कसे हुए और गोल हैं, जो भी उन्हें देखता है, उनके लंड उनकी पैंट में ही कस जाते हैं।

मैं आपको बता दूं कि मेरी बढ़ती उम्र के साथ मेरा बदन और भी ज्यादा कामुक और हसीन लगने लगा है क्योंकि मैं अपने शरीर पर अच्छा खासा ध्यान देती हूँ, निरंतर योग और व्यायाम से मैंने अपने शरीर को ऐसा बनाया है. समय-समय पर निखार के लिए मसाज पार्लर भी जाती हूँ।

आपको कहानी के पात्रों का परिचय करा देती हूँ… आलोक मेरे जेठ जी का लड़का है और उसकी बड़ी बहन स्वाति की अभी हाल ही में शादी हुई है।

स्वाति की शादी के बाद स्वाति और उसके पति अनिल ने हनीमून ट्रिप प्लान किया था, उनके साथ आलोक, रोहन, अन्नू और मेरी बड़ी बहन का लड़का रोहित भी जा रहे थे। क्योंकि इस फैमिली ट्रिप में केवल बच्चे ही थे तो परिवार वालों ने उनके साथ किसी बड़े सदस्य को भी भेजना जरूरी समझा तो उन्होंने बच्चों के साथ मेरे और रवि के जाने की बात कही… पर रवि अपने ऑफिस के काम के चलते हुए बिजी थे तो उन्होंने जाने से मना कर दिया।

अब मुझे ही उन लोगों के साथ जाना था क्योंकि बच्चों ने ही मुझे ले जाने के लिए परिवार वालों से जिद की थी.
मैं आप सबको बता चुकी हूँ कि मैं अपने घर वालों की हमेशा से ही लाडली रही हूँ… खासकर के बच्चों की… क्योंकि मैं उन पर किसी भी तरह की रोक टोक नहीं लगाती हूँ!

अगले दिन सुबह हम लोगों की ट्रेन थी… तो रात को सब लोग मेरे घर पर आ गए, हम लोगों ने खाना खाया और फिर सब लोग सोने चले गए।

रोहित और आलोक, रोहन के साथ उसके कमरे में सो गए और स्वाति अनिल के साथ हॉल में सो गई.

मेरा रूम उनके बाजू में ही था… रात को जब सामान पैक करने के बाद मैं बिस्तर पर लेटी, तभी आलोक आ गया।
उस वक्त मैं नाइटी में थी… और जैसा आप लोगों को पता ही है कि मैं नाइटी के अंदर कुछ नहीं पहनती हूँ, जिस वजह से मेरा एक एक अंग गाउन में उभर रहा था।

मैं और आलोक एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे… वह भी केवल हाफ पैंट में ही था.
रवि भी हमारे बगल से ही बैठे हुए थे.
तभी आलोक बोला- चाची, मुझे थोड़ा दूध चाहिए!
तो मैं उठ कर किचन की तरफ जाने लगी।

आलोक भी मेरे पीछे-पीछे किचन में आ गया. मैं आलोक के लिए दूध गर्म कर रही थी, तभी आलोक ने पीछे से आकर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया और मेरे गाउन के अंदर हाथ डालकर मेरे मम्मों को मसलने लगा।

आलोक का लंड बिल्कुल तन चुका था और मेरी गांड की दरार से टकरा रहा था.
तभी मैं पीछे पलटी और आलोक से कहा- अभी नहीं आलोक, कोई देख लेगा!
तो आलोक बोला- ठीक है चाची जी… पर एक गुड नाईट किस तो मिल ही सकती है ना?
और इतना बोलकर आलोक ने अपने होंठ मेरे होंठों के ऊपर रख दिए और मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया।

हम दोनों एक दूसरे होठों का रसपान कर रहे थे… एक दूसरे को चुंबन करने में हम इतने मशगूल हो गए कि गैस पर रखा हुआ दूध भूल गए, तभी दूध गर्म होकर बाहर गिरने लगा और फिर हम दोनों एक दूसरे से अलग हुए.
जाते-जाते आलोक ने मेरी चूत को सहला दिया जिससे मेरे अंदर चुदाई का कीड़ा गुनगुनाने लगा।

आलोक को दूध दे कर मैं वापस कमरे में आ गई और गेट बंद कर लिया.
इससे पहले कि मैं बिस्तर पर जाती, रवि मेरे पास आए और मुझे गेट के सहारे टिका कर मेरे होठों को चूमने लगे।
मैंने कहा- आराम से करो, बच्चे भी पास में ही हैं, कुछ सुन लिया तो जाने क्या सोचेंगे!
रवि ने कहा- बच्चे क्या सोचेंगे… वे भी अब समझदार हो गए हैं, उन्हें पता है कि एक पति और पत्नी बंद कमरे में क्या करते हैं!

मैंने रवि को पीछे धक्का देते हुए खुद से अलग कर दिया और बिस्तर पर जाकर लेट गई। मैंने रवि से कहा- तुम्हें शर्म नहीं आती… खुद इतने बड़े हो गए हो और बच्चों जैसी बातें करते हो… स्वाति और अनिल अभी हॉल में सो रहे हैं, वे सुन लेंगे तो क्या सोचेंगे?

रवि ने कहा- कुछ नहीं सोचेंगे… बल्कि हमारी चुदाई की आवाज सुनकर उनकी चुदाई शुरू हो जाएगी।
मैंने रवि को हल के स्वर में डांटते हुए कहा- चुप रहो तुम…
रवि भी बिस्तर पर आकर मेरे पास लेट गए और कहने लगे- अब ज्यादा नखरे मत दिखाओ… वैसे भी अब अगले 10 दिन तक में बिना तुम्हारी चुदाई के ही रहने वाला हूँ…

मेरा भी चुदने का मूड था तो मैंने कहा- ठीक है बाबा… नाराज मत हो… कर लो अपनी मन की इच्छा पूरी… पर आराम से करना।
मेरे इतना बोलते ही रवि मेरे गाउन को उतारने लगे और अगले ही पल में उन्होंने मुझे ऊपर से लेकर नीचे तक पूरी नंगी कर दिया… और खुद भी बिल्कुल नंगे होकर मेरे ऊपर लेट गए।

रवि इतने उत्तेजित थे कि कुछ सुनना ही नहीं चाहते थे, मेरे ऊपर लेटते ही उन्होंने मेरे शरीर को चूमना शुरू कर दिया. पहले तो रवि ने मेरे गालों पर किस करना शुरू किया और फिर जैसे ही उन्होंने मेरे होंठों को चूमा तो मैं भी उत्तेजित होने लगी।

काफी देर तक रवि ने मेरे होंठो को चूमा, इस बीच रवि के हाथ लगातार मेरे मम्मों का मर्दन किए जा रहे थे. इस लगातार मर्दन से मेरे मम्मे एकदम सख्त और लाल पड़ गए थे, मैं कराह रही थी।

रवि का लंड खड़ा हो चुका था और मेरी चूत पर रगड़ खा रहा था जिससे मेरी चूत गीली होने लगी.
जैसा कि आप सब लोगों को पता ही है कि मेरे मम्में मेरे शरीर का मुख्य आकर्षण केंद्र हैं तो इसलिए चुदाई के दौरान सबसे पहले मेरे मम्मों पर ही जोर आजमाइश की जाती है और मुझे भी यह पसंद है।

रवि ने मेरे मम्मों को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगे, जब रवि ने मेरे निप्पल काटे तो मैं सनसना गई… मैं सिसकार कर बोली- और जोर से काटो!
फिर रवि के हाथ धीरे धीरे मेरी टांगों की तरफ बढ़ने लगे और जब रवि ने मेरी गोल मोते चूतड़ पकड़ कर दबाए तो मैं बोली- मेरी चूचियों को और जोर से चूसो।

मुझे बहुत मजा आ रहा था क्योंकि रवि मुझे बहुत ही प्यार से चोदते हैं, वे मुझे चोदते समय बिल्कुल भी दर्द का अनुभव नहीं होने देते.
कुछ देर तक रवि ने मेरे मम्मों को भरपूर तरीके से चूसा और दबाया. मेरे पति को चूत चाटना पसंद नहीं है और ना ही वह मुझसे अपना लंड चूसवाते हैं।

फिर रवि मेरे ऊपर से उठ गए और गद्दे के नीचे से कंडोम निकालकर अपने लंड पर चढ़ाने लगे पर मैंने उन्हें कंडोम चढ़ाने से रोक दिया… आज मेरा मूड कुछ अलग ही था आज मैं रवि के लंड को चूसकर उनको बहुत मजा देना चाहती थी।

रवि कंडोम का पैकेट लेकर मेरे पास आए और मुझसे कहने लगे- क्या हुआ सोना… मुझे रोक क्यों दिया?
मैंने हंसते हुए उनकी बात को अनसुना कर दिया और फिर उनका हाथ पकड़ कर रवि को बिस्तर पर लेटा दिया।

रवि पीठ के बल बिस्तर पर लेटे हुए थे, मैंने उनके होठों पर एक किस की और फिर उनकी टांगों के बीच में आकर घोड़ी बनकर बैठ गई. मेरे भरे हुए नग्न शरीर के कारण रवि का लंड सातवें आसमान की ऊंचाइयों को छू रहा था. मैंने रवि के लंड को अपने हाथ में लिया और उसे अपने हाथों से सहलाते हुए अपने मुंह में ले लिया।

रवि को मेरा ऐसा करना बड़ा ही अजीब लगा क्योंकि मैं बहुत कम ही उनका लंड चूसती थी. पर रवि समझ गए थे कि मैं यह सब इसलिए कर रही हूँ ताकि अगले कुछ दिनों तक रवि को मेरी कमी ना खले।

मैं रवि के लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी, मेरे थूक की वजह से रवि का लंड पूरा गीला हो चुका था जिस कारण गूँ-गूँ और फिचर-फिचर की आवाज़ आ रही थी.
जवाब मैं रवि ने भी अपने लंड से मेरे मुंह को चोदना शुरू कर दिया।

फिर रवि ने कहा- मैं और इंतज़ार नहीं कर सकता सोना… मैं बहुत उत्तेजित हूँ… अब मुझे चोदने दो!
मैंने भी देर ना करते हुए रवि के लंड को अपने मुंह से बाहर निकाला और उनके बगल में जाकर सीधी लेट गई.

हालांकि मेरे चूसने की वजह से रवि का लंड बिल्कुल गीला था…पर फिर भी उन्होंने अपने लंड पर कंडोम चढ़ा लिया… चुदाई के दौरान रवि सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हैं।
फिर रवि ने अपने दोनों हाथों से मेरी टांगों को फैलाया और अपने लंड को मेरी चूत के छेद पर रखकर अंदर की तरफ धक्का देने लगे.
रवि का लंड रोहन और आलोक की अपेक्षा थोड़ा बड़ा और मोटा है इसीलिए मुझे रवि के साथ चुदाई के दौरान थोड़ा सा मीठा दर्द महसूस होता है। रवि का लंड मेरी चूत में घुसते ही मैं कराह उठी और बोली- उईईई… माँ… उम्म्ह… अहह… हय… याह… जरा धीरे… रवि… आवाजें बाहर जा रही होंगी.

रवि को इन सब से कुछ लेना-देना नहीं था, वे बेफिक्र होकर मेरी चुदाई कर रहे थे।
उत्तेजना के कारण मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं झड़ने लगी… मेरी चूत से रस की धार बाहर बहने लगी पर रवि का लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर बाहर हो रहा था.
चुदाई के कारण हो रही ‘फच-फच’ की आवाजों से पूरे रूम का वातावरण गर्म होने लगा.
तभी रवि ने मुझे उठाया और उठाकर घोड़ी बना दिया।

हमारे बेड के सामने ही ड्रेसिंग टेबल रखी हुई थी, जब मैं घोड़ी बनी तब मेरा मुंह ड्रेसिंग टेबल के ही सामने था और मैं शीशे में ऐसे ही अपने नंगे बदन को निहारने लगी.
मेरे बाल खुले हुए थे और मेरे बाए कंधे की तरफ थे… मेरे दोनों मम्मे मेरे वक्ष से नीचे की तरफ लटक रहे थे।
बीवी की चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

तभी रवि पीछे से मेरी गांड की तरफ गए, अपने लंड को मेरी चूत पर रख दिया और अपना पूरा लंड एक ही बार में मेरी गुलाबी चूत में पेल दिया.
‘हाय…! रवि…’ मेरे मुँह से आनन्द भरी सीत्कार निकल गई और मैं उस धक्के से आगे की तरफ हो गई।

रवि मुझे चोदते हुए बोले- सोना… तुम्हारी चूत तो बहुत गर्म हो रही है.
और फिर अपना लंड मेरी चूत के अंदर बाहर घुसेड़ने लगे और मैं अपने नंगे मम्मे और कमर को हिलते हुए शीशे में देख रही थी… मैं आह भरते हुए कराहने लगी- हाँ… और अंदर… रवि!
रवि भी अपने लंड को हर धक्के के साथ मेरी चूत की गहराइयों में उतार रहे थे.

लगातार चुदाई के कारण मैं दोबारा झड़ने लगी और चिल्लाते हुए बोली- चोदो… मुझे… आहहहह… मेरी चूत…
हम चुदाई में इतने लीन हो गए थे कि यह भी भूल गए थे कि हमारे घर पर मेहमान आए हुए हैं।

रवि ने पीछे से अपने हाथों से मेरे मम्मों को मसलना शुरू कर दिया… मुझे रवि के हाथ अपनी छाती पर आग की तरह महसूस हो रहे थे जिस वजह से मैं और गर्म होने लगी। मेरी चूत के अंदर रवि के लंड के झटके और तेज़ हो गए और मैं फिर से चीखने लगी- और… जोर से चोदो मुझे रवि… आहहहह… मैं फिर से झड़ रही हूँ… जानू… अपना यह पूरा लंड मेरी चूत में पेल दो!

मेरी बेहद गर्म और टाइट चूत उनके लन्ड को कसकर जकड़े हुए थी… पर वे अभी तक झड़े नहीं थे और उनका लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर ही था।

थोड़ी देर तक धक्के मारने के बाद रवि बोले- मैं झड़ रहा हूँ…
और फिर रवि अपने गर्मागर्म रस की पिचकारी चूत के अंदर कंडोम में ही छोड़ने लगे.
जब रवि पूरी तरह से स्खलित हो गए तो उन्होंने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल दिया और फिर उठकर बाथरूम चले गए।

मैं वैसे ही नंगी बिस्तर पर उल्टी लेटी रही.
मैं बहुत थक चुकी थी.

जब रवि बाथरुम से बाहर आए तो उन्होंने मुझे उठाया और फिर मैं भी उठकर बाथरूम जाकर अपनी चूत को साफ करने लगी।
वापस आकर मैंने केवल अपना गाउन पहना और फिर यह देखने के लिए कि सब लोग सो गए या नहीं… मैं दरवाजा खोल कर बाहर गई.
और सब तो सो गए थे… पर स्वाति और अनिल अभी तक नहीं सोए थे… वे कुछ बातें कर रहे थे।

मैंने उन दोनों से कहा- साढ़े बारह बजने को हैं… और तुम लोग अभी तक नहीं सोए? हमें कल जल्दी जाना है…
तो वे दोनों मुस्कुराने लगे और स्वाति मुझसे हंसते हुए बोली- चाची… आप क्यों नहीं सोई अभी तक?
उनकी मुस्कुराहट देखकर मैं सब समझ गई, मैंने स्वाति से कहा- बस थोड़ा सामान पैक कर रही थी… अब सोने ही जा रही हूँ!

और फिर मैं उन लोगों को गुड नाइट बोलकर रूम में आ गई और सो गई।

प्रेषक : अमित Antarvasna

शादी के बाद सुषमा अपनी Antarvasna ससुराल आई। उसके ससुराल में उसकी 45 साल की सास 50 साल का ससुर थे। उसका पति दब्बू किस्म का आदमी है, उम्र उसकी 22 साल और कद काठी से ठीक-ठाक था मगर लोग उसके पति को मीठा कह के पुकारते थे जबकि उसका नाम सुरेश है। उसकी एक ही ननद है जो शादी कर के ससुराल चली गई। गाँव में सुषमा का छोटा सा घर है और ज़मीन नहीं है। उसके सास ससुर गाँव के ज़मींदार के खेत पर काम करते हैं जबकि उसका पति एक दूध वाले की गायों की देख रेख करता है। शुरू-शुरू में वो घर के सारे काम करती और घर के पिछवाड़े बंधी अपनी तीन गायों की देखभाल करती और उनका दूध निकालती। घर वाले तडके घर से निकलते, फ़िर शाम को ही लौटते हैं।

एक दिन सुषमा ने सोचा कि वो अपने पति सुरेश को दोपहर में खाना दे आये। खाना बांधकर वो निकली तो पता चला कि सुरेश गायों को चराने के लिए गाँव से बाहर गया है। वो भी पूछते-पूछते उसी दिशा में चल पड़ी।

कोई दो कोस चलने के बाद उसे गाएँ दिखाई दी और एक झाड़ी के पास सुरेश के चप्पल और धोती दिखाई दी। उसने झाड़ी के पीछे देखा तो दंग रह गई। उसे समझ में नहीं आया कि यह क्या हो रहा है। सुरेश नंगा था और घोड़ी बना हुआ था, एक 17-18 साल का लड़का घुटनों के बल बैठ कर उसकी गांड मार रहा था। सुरेश की आवाज़ उसको साफ़ सुनाई दे रही थी- चोद मुझे जोर से यासीन ! चोद राजा, फाड़ दे मेरी गांड अपने मूसल जैसे लण्ड से ! और वो ऊह्ह आह करता जा रहा था।

सुषमा ने देखा कि वो लड़का कुत्ते की तरह उसके पति की गांड मार रहा था, उसका मोटा काला लण्ड बार-बार उसके पति की गांड से बाहर आकर अंदर जा रहा था। उसने देखा कि नीचे सुरेश की छोटी सी लुल्ली लटक रही थी जिसके पीछे चिपके हुए मूंगफली जैसे छोटे आंड थे। जबकि उसके पति को चोद रहे उस लड़के के अंडकोष किसी साण्ड के जैसे भरी भरकम थे। सुषमा के मुँह से चीख निकल पड़ी और उसको सुनते ही दोनों मुड़ गए, लड़के ने अपना लण्ड सुरेश की गांड से बाहर निकाला और सुरेश ने अपने हाथों से अपने गुप्तांग को ढक लिया।

क्या कर रहे थे आप ये ? सुषमा ने पूछा।

कुछ नहीं रानी, यह यासीन है मेरा दोस्त ! घबराया हुआ सुरेश बोला।

उधर सुषमा की नज़र उस लड़के के चिकने लण्ड से हट ही नहीं रही थी और यह देख कर उस लड़के को लगा कि मौका अच्छा है और उसने तुरंत आगे बढ़ कर सुषमा को दबोच लिया। सुषमा कुछ समझती, उससे पहले तो उसने उसको मसलना शुरू कर दिया और उसके होंठ खुद के होंठों में दबा लिए। एक झटके में उस लड़के ने सुषमा की सारी ऊपर कर दी। चड्डी तो वो पहनती नहीं थी और

उसकी चूत में ऊँगली करने लगा।

सुषमा के होश उड़ गए। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है। सुषमा उस लड़के से अपने को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी। तब तक सुरेश ने अपने कपड़े वापस पहन लिए थे और उसके सामने वो झुक कर उस लड़के का लण्ड चूस रहा था।

एक झटके में उस लड़के ने सुषमा को नीचे जमीन पर गिरा दिया, उसकी सारी ऊपर की और अपने लण्ड को उसकी चूत के मुँह पर अड़ा दिया। सुषमा की बालों वाली चूत के मुँह पर उसका मोटा काला कटा हुआ लण्ड दस्तक दे रहा था और सुरेश उसे पकड़ कर अपनी बीवी की चूत में घुसा रहा था।

घबराई हुई सुषमा एक झटके में उस लड़के की गिरफ्त से छूटी और भाग खड़ी हुई। सरपट दौड़ती हुई पाँच मिनट में हांफ़ती हुई घर पहुँच गई। सुषमा इतनी परेशान थी कि उसे कुछ समझ में नहीं आया कि यह क्या हुआ !

रात के आठ बजे तक उसका पति लौट कर घर नहीं आया। सुषमा से रहा नहीं गया, उसने घबराते हुए सास को चुपचाप सारी बात बताई।

बेटा, एक दिन तो तुझे यह सब पता चलना ही था ! सुषमा की सास रुक्मणि बोली।

रुक्मणि ने कहा- चिन्ता की कोई बात नहीं, सुरेश घर आ जायेगा।

रुक्मणि सुषमा को छत पर ले गई और बोली- बेटा अब मैं तुझे सारी कहानी बता देती हूँ।

रुक्मणि ने सुषमा को बताया- सुरेश उसके ससुर से पैदा नहीं हुआ बल्कि ज़मींदार के भाई का बच्चा है। शादी के बाद में ज़मींदार के घर का काम करने जाती तो ज़मींदारन मुझे रोज़ अपने कमरे में बुला कर अपनी चूत चटवाती और उसमे केला कद्दू वगेरह डलवाती। बाद में ज़मींदार के छोटे भाई की पत्नी रानी भी मुझसे यही सब करवाने लगी। ज़मींदार के छोटे भाई विकलांग थे और व्हील-चेयर पर बैठे रहते थे। मुझे बाद में उन लोगों ने छोटे मालिक की ज़िम्मेदारी दे दी। मैं उनको नहलाती, उनके कपड़े बदलती और उनका पाखाना, मूत वगेरह साफ़ करती। गरीबी में और कोई चारा भी नहीं था।

रुक्मणि कहने लगी- छोटे मालिक धीरे धीरे उसके स्तन दबाने लगते और उसको चूमने लगे। उनका शरीर कमर से ऊपर स्वस्थ था और वे मुझे बिस्तर के कोने पर लिटा कर मेरी चूत चाट कर मुझे मज़ा देते। धीरे-धीरे छोटे मालिक को नहलाते समय वो उनके सुस्त और नरम लण्ड की भी मालिश करती। एक बार एक वैद्य उनके लिए एक दवाई लाया और मुझे कहा गया कि मैं उसको छोटे मालिक के लण्ड पर दिन में तीन बार लगाऊँ।

रुक्मणि कहती रही- एक दिन मैं मालिश कर रही थी कि छोटे मालिक के निर्जीव लण्ड में हल्का सा तनाव आया और वो मुझे जोर जोर से उसको हिलाने को कहने लगे। मैंने उसको हिलाया तो दो चार बूंदें निकली मगर उनको बड़ा मज़ा आया। धीरे धीरे छोटे मालिक के लण्ड में तनाव आने लगा और मैं उनकी मुठ मारती रही। एक दिन उन्होंने मुझे नीचे लिटा कर ऊपर चढ़ कर लण्ड को अंदर डालने की कोशिश की मगर पूरी ताकत नहीं होने से वो डाल नहीं पाए। उनको बहुत गुस्सा आया। उन्होंने अपनी पत्नी और तेरे ससुर को बुलाया।

सुषमा अवाक् सी सब सुन रही थी, उसकी सास ने बताया – उसके बाद सुषमा के ससुर यानि लल्लू लाल जी रुक्मणि की चूत चाट कर गीली करते और छोटे मालिक की पत्नी छोटे मालिक का लण्ड चूस-चूस कर बड़ा करती, फिर लल्लू लाल रुक्मणि की टांगें चौड़ी करता और छोटी मालकिन अपने पति का लण्ड पकड़ कर अंदर डालती। ऐसे वो मुझे रोज़ चोदते रहे।

रुक्मणि बोली- छोटे मालिक ने सख्त हिदायत दे रखी थी कि जब तक मुझे गर्भ नहीं ठहर जाये, तब तक मेरा पति मुझे नहीं चोदेगा। कोई तीन महीने की इस चुदाई के बाद मुझे बच्चा ठहर गया, तब कहीं जाकर छोटे मालिक खुश हुए। बदले में उन्होंने मेरे पति यानि तेरे ससुर को छोटी मालकिन को चोदने की इजाज़त दी, लेकिन मेरा बच्चा गिर न जाये इसलिए वो मुझे छू भी नहीं सकते थे।

सुषमा सांस रोके ये सब सुन रही थी- इसका मतलब हमारे पति सुरेश ससुरजी के वीर्य से नहीं पैदा हुए ? उसने पूछा।

नहीं बेटी, सुरेश तो छोटे मालिक की ही औलाद है, रुक्मणि ने बताया।

रुक्मणि आगे का हाल बताने लगी- रात होते ही कमरे में में तेरे ससुर, छोटे मालिक और छोटी मालकिन कमरे में आ जाते फिर वो तेरे ससुर से भी अपनी गाण्ड मरवाते उससे पहले छोटी मालकिन तेल लगा कर उनकी गाण्ड के छेद को चिकना कर देती।

रुक्मणि बोली- तेरे ससुर जैसा लण्ड गाँव में शायद ही किसी का होगा बहू ! पूरा 9 इंच का मोटा और काला ! और एक बार किसी पर चढ़ जाएँ तो उसको आधे घंटे चोदे बिना नीचे नहीं उतरते और उनके आण्ड तो किसी साण्ड से कम नहीं ! एक बार वीर्य किसी चूत में डाल दें तो गर्भ तो ठहरा हुआ समझो बेटी !

यह सुन कर सुषमा की आँखों एक चमक आ गई।

रुक्मणि कहने लगी- तेरे ससुर लल्लू लाल की चुदाई से छोटी मालकिन को भी गर्भ ठहर गया और उनका बच्चा जो अब 18 साल का है। इसका नाम राहुल है, असल में तुम्हारे ससुर का बेटा है। रुक्मणि आगे बताने लगी- बड़े मलिक यानी ज़मींदार गाण्ड मरवाने के शौकीन थे और सुरेश के पिता उनकी गाण्ड मारा करते थे, बदले में वो भी उनसे अपनी पत्नी को चुदवाते थे। मालकिन को एक लड़का और एक लड़की हुए, वो दोनों भी तुम्हारे ससुर के वीर्य से ही पैदा हुए बेटी !

लेकिन सुरेश का लण्ड इतना छोटा कैसे?” सुषमा ने पूछा।

बेटी इसकी बड़ी दुखद कहानी है- एक दिन जब सुरेश 6 साल का था तो छोटी मालकिन उसे नहलाने के बहाने उसके छोटे लण्ड से खेलने लगी और छोटे मालिक ने देख लिया। वो गुस्से में आग-बबूला हो गये और कपड़े धोने की लकड़ी लाकर सुरेश के लण्ड पर ज़ोर से मारी और वो बेहोश हो गया। सुरेश बच तो गया मगर डॉक्टर ने कह दिया अब वो कभी बाप नहीं बन पाएगा। उसके आँड का कचूमर बन गया था।

सुषमा रोने लगी बोली- मेरा जीवन नरक क्यूँ बनाया? मेरी शादी नपुंसक से क्यूँ की?

रुक्मणि ने उसे गले लगाया और बोली- चिंता मत कर बेटी ! मैं हूँ ना ! तेरे ससुर मुझे बच्चा नहीं दे पाए तो क्या ! अपनी बहू को तो दे सकेंगे ! एक साथ वो बाप भी बनेंगे और दादा भी ! और घर की बात घर में रह जाएगी।

सुषमा को कुछ समझ नहीं आया, वो बोली- ऐसा कैसे हो सकता है? मैं .. ?

चिंता मत कर बेटी ! मैं हूँ ना ! और सुरेश की चिंता मत कर ! वो इस काम में सहयोग करेगा !

सुषमा चौंकी- सहयोग वो कैसे?

अब तुझसे क्या छुपाना बेटा ! सुरेश गाण्ड मरवाने का इतना आदि हो गया है कि उसने तुम्हारे ससुर का लण्ड भी नहीं छोड़ा। एक बार लिए बगैर रात में सोता तक नहीं वो ! रुक्मणि बोली।

क्या सच में? सुषमा ने पूछा।

हाँ बेटा, मेरे सामने ही तो होता है हर रोज़ ! रुक्मणि बोली- सुरेश मेरी चूत भी चाट लेता है कई बार ! तुम्हारे ससुर का लण्ड चूस कर मेरे लिए खड़ा करता है फिर मेरी चूत में भी डालता है और जब तुम्हारे ससुर मुझे चोदते हैं तो उनकी गाण्ड और आण्ड चाटता है। फिर उनके झड़ने के बाद मेरी चूत का सारा वीर्य चाट कर साफ कर देता है।

सुषमा को अब कुछ कुछ समझ आने लगा था।

आज रात तू नहा धो कर तैयार रहना ! तेरी सुहागरात आज तेरे ससुर के साथ ! रुक्मणि आँख मार कर बोली।

रात को खाना-वाना ख़ाने के बाद सुषमा ने नई साड़ी पहनी, परफ़्यूम लगाया और तैयार हो गई।

दस बजे उसकी सास उसके कमरे में आई और बोली- चल बेटी, घबराना मत ! मैं तेरे पास हूँ !

यह कह कर वो उसे ले गई। सुषमा अंदर गई तो देखा कि उसके ससुर बिस्तर पर नंगे लेटे हैं और सुरेश भी नंगा होकर उनकी तेल मालिश कर रहा है। सुषमा ने आँखें इधर फ़ेर ली।

रुक्मणि ने सुषमा को बिस्तर पर लिटाया और धीरे धीरे उसके सारे कपड़े उतार दिए और खुद भी नंगी हो गई। सुषमा आँखें मूंदे लेटी रही। थोड़ी देर में उसने देखा कि सुरेश उसकी तेल मालिश कर रहा है और बाद में वो उसकी चूत चाटने लगा। चूत एक दम गीली होने के बाद सुरेश ने उसमें खूब सारा तेल लगाया। सुषमा ने देखा कि नीचे चटाई पर रुक्मणि लल्लू का लण्ड चूस रही है और उस पर तेल लगा रही है। सुषमा की आँखें अपने ससुर के हथियार को देख कर फ़टी की फ़टी रह गई। सास सच कह रही थी कि यह लण्ड नहीं हथोड़ा है।

थोड़ी देर में रिक्मणि उसके पास आई और बोली- बेटी, तैयार हो जा !

लल्लू लाल भी बिस्तर पर आ गए और सुषमा के बड़े-बड़े, गोल-गोल स्तन सहलाने और दबाने लगे। उधर रुक्मणि ने सुषमा की टांगें चौड़ी कर दी। सुरेश उसकी चूत में पूरी जीभ डाल कर उसको कुत्तों की तरह चाट रहा था।

सुषमा आँखें बंद कर लेटी हुई थी, तभी उसको लगा उसके ससुर उसके ऊपर आ गये हैं। उसके होंट ससुर के होंटों से मिले और वो उसको पागलों की तरह चूमने लगे और अपने मज़बूत हाथों से सुषमा के बड़े बड़े स्तन दबाने और मसलने लगे। सुषमा के स्तन पहली बार कोई मर्द इस तरह दबा रहा था। उसकी चूत धीरे-धीरे गीली हो चुकी थी। ससुर को शायद इस बात का एहसास था, उन्होने अपने मोटे लण्ड को सुषमा की चूत के मुँह पर रखा और उस दिन की तरह सुरेश उसको पकड़ कर उसकी चूत में घुसाने लगा।

सुषमा की चूत के दरवाज़े पर जैसे ही लल्लू लाल का मोटा तगड़ा लण्ड पहुँचा, उसको दर्द महसूस हुआ मगर उसकी सास उसकी दोनों टाँगे पकड़े हुए थी और दर्द से बचना नामुमकिन था। उधर तेल की वजह से लल्लू का लण्ड भीतर सरकने लगा और सुषमा के होंट भिंचने लगे।

बेटा चिंता मत करो, सहयोग करो, एक दो बार का ही दर्द है, फिर मज़ा आएगा ! ससुर जी बोले।

रुक्मणि ने थोड़ी टाँगें और चौड़ी कर दी और ससुरजी से बोली- आप तो एक झटके में पूरा लण्ड पेल दो ! फिर कुछ नही होगा !

मगर ससुरजी धीरे धीरे लण्ड सरकाते रहे। सुषमा की चूत दर्द से फट रही थी, टाँगें दुखने लगी थी मगर लल्लू लाल अनाड़ी नहीं थे, चूमते रहे और धीरे-धीरे लण्ड सरकाते रहे, सुषमा चिल्लाती रही- ससुर जी रहम कीजिए ! फिर कर लीजिएगा ! मेरी चूत फट जाएगी !

मगर लल्लू लाल कहाँ रुकने वाले थे, 5 मिनट बाद उन्होंने अपने पूरा चिकना लण्ड बहू की चूत में पेल ही दिया, अब सिर्फ़ आँड बाहर रह गये। जैसे ही सुषमा का दर्द थोड़ा कम हुआ और वो सामान्य हुई, उन्होने लण्ड को अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। लल्लू लाल बहू की चूत के खून से रंगा लण्ड अंदर-बाहर करते रहे, सुषमा की चीखे सुनाई देती रहीं।

बेटा तू बापू की गाण्ड चाट ! मैं आँड चाटती हूँ, नहीं तो ये बहू को चोद चोद कर मार डालेंगे ! रुक्मणि बोली।

सुषमा ने देखा कि उसका पति उसके ससुर की गाण्ड चाट रहा था और सास ससुर के मोटे काले अंडकोष चाट रही थी। लल्लू लाल जी उत्तेजना के शिखर पर थे- बहू, भर दूँ तुम्हारी कुँवारी चूत अपने ताक़तवर वीर्य से? उन्होने पूछा।

सुषमा ने कुछ बोलना चाहा ही था कि वो गर्र-गर्र करते हुए झड़ गये।

ओह ! आपने तो कोई आधा कप पानी बहू की चूत में छोड़ दिया है, बच्चा होकर रहेगा ! रुक्मणि बोली।

शेष अगले भाग में Antarvasna

Antarvasna

मैं एक क्लब रिसॉर्ट में रिसेप्शन पर Antarvasna काम करता हूं। मेरी उम्र २९ साल है। हमारे यहाँ रूम भी है और हेल्थ क्लब भी है। हमारे यहाँ बहुत सी लड़कियां कसरत करने आती हैं और मैं उनको रोज देखता हूं। किसी के बोब्श बड़े हैं तो किसी की गांड देख के मेरा लण्ड खड़ा हो जाता है। मैं सोचता रहता हूं कि किस दिन ऐसी प्यारी आंटी चोदने को मिलेगी लेकिन वो दिन आ गया।

एक दिन एक आंटी मेरे पास आई और कहा कि आप का फोन नम्बर हमें दो, हमें काम है और फ़िर पूछा कि आप कब फ्री होगे? हमने हमारा ओफ़िस टाइम बताया। फ़िर वो चली गई। मैं उनके बारे में सोचने लगा कि ऐसा क्या काम होगा। दो दिन बीत गए, वो सुबह एरोबिक में भी नही आ रही थी और थोड़े दिनों के बाद अचानक उनका फोन आया कि मैं कामिनी बोल रही हूं। मैं आप के वहां रोज सुबह आती थी, मैंने आप से आप का फ़ोन नम्बर लिया था।

हां ! हमने कहा- हां ! बताओ मैडम क्या काम था?

तो उन्होंने कहा कि आप हमारे घर अभी आ सकते हो,

तो हम ने उनका पता मांगा तो वो हमारे यहाँ से करीब ही था तो हमने कहा कि हम १० मिनट में आते है

और मैं उनके घर पे पहुंचा और डोर बेल बजाई तो वो आंटी दरवाजा खोलने आई और हमे अंदर बुलाया।

उन्हें देखते ही मेरा लण्ड खड़ा हो गया, उनकी सुंदरता की क्या तारीफ करू, ऐसा नही था कि मैंने पहले चुदाई नही की थी। मैं पहले से ही शादीशुदा हूं, लेकिन मुझे चुदाई का बड़ा शौक है। मैं सबको वोही नजर से ही देखता हूं। आंटी की उचाई ५.५’ थी और ३६.२०.३८ की फिगेर थी और उनका गोरापन देख के उसको छूने से भी डर लगे, ऐसी हसीन थी। उन्होंने हमें उन के बैठक रूम में बिठाया था और वो हमारे लिए पानी ले के आई, तो हम ने पानी पीने के बाद जब उन्हें पूछा कि क्या काम है तो उन्होंने थोड़ा सा मुस्कुराते हुए कहा बहुत जल्दी में हो?

हमने कहा- नही !

लेकिन वो मेरी बात काटते हुए बोली- डर लगता है? जब मैं सुबह आती थी तब देखते हुए डर नही लगता था? आज जब तुम्हारे सामने बैठी हूं तो क्या डर रहे हो?

मैंने उनसे पूछा कि आप के पति?

वो बोली वो देहली गए है काम से और वो मेरे पास आके बोली चलो हम दूसरे कमरे में जाते हैं मैं खड़ा हो के उनके पीछे चलने लगा हम उनके कमरे में गए तो उन्होंने पलट के उनकी बाहों में भर लिया और मैंने उन्हें पकड़ लिया।

थोडी देर ऐसे ही हम एक दूसरे को सहलाते रहे। फ़िर मैंने उसकी साड़ी निकाल दी। उसके सफेद बदन पे रेड ब्लाउज और भी खूबसूरत लगता था। मैं उसे निकालता रहा कि उसने मेरा शर्ट और पैन्ट दोनों उतार दिए। हम दोनों नंगे हो गए थे। वो मुझे पूरा नंगा देख के बोलने लगी- मेरे राजा, तुम्हें जबसे देखा है तब से सोचती थी कि तुम्हें एक दिन चोदूंगी।

हमने भी कहा- ये तो हम भी सोचते थे, आज मौका मिला है। ये बोल के हमने उनको उठा के बेड पर डाल दिया। फ़िर उसके बालों में हाथ डाल के उसको किस की। वो भी इतनी उतेजित हो गई कि उसने मेरे मुंह में अपनी जीभ डाल के चूसने लगी और मैं उसके बूब्स दबाने लगा और उसकी निपल थोडी ब्राउन सी थी, मैं उसको मसलने लगा वो चीख पड़ी- धीमे से !

हमने कहा अब जो भी होगा ऐसे ही होगा जान ! वो मेरे लण्ड को पकड़ के मसलने लगी, बोली- कितना बड़ा है !

मैंने कहा- अभी देख लो कि कहां तक जाता है।

वो बोली- पहले मैं इसे चूस लूं। हम ६९ के पोज़ में हो गए। मैंने भी उसकी चूत चू्सना शुरू किया तो वो उछल पड़ी।

फ़िर मैंने उसे नीचे उतारा और उस पे मैं सवार हो गया और मेरा लण्ड उसकी चू्त में जाने को बेहाल हो उठा था। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में डाला तो वो चिल्ला के बोली निकाल लो। फ़िर मैं पूरा अन्दर ही रहने देकर उसको सहलाने लगा और उसके बूब्स को चू्सने लगा। थोडी देर में उसने नीचे से धक्का देना शुरू किया और फ़िर मैंने धीरे धीरे हिलना भी स्टार्ट कर दिया फ़िर तो वो उछल उछल के जैसे वो मुझे चोद रही हो ऐसे चोदने लगी फ़िर मैंने उसे कहा कि कुतिया की तरह हो जाओ।

फ़िर तो बाकी ही क्या रहा। चोद दे ठोक दे ठोक ! वो चिल्लाती रही और मैं चोदता रहा। ३० मिनट के बाद मेरा पानी उसकी भोस को भरने लगा। वो तो पूरे टाइम में ५ बार हो चुकी थी और बुरी तरह थक गई थी फिर मेरे लण्ड को मुंह में लेते बोली ऐसा आज तक लण्ड नहीं देखा।

वो आज भी जभी उसका मन करता है मुझे बुलाती है और उसकी ५ सहेली से भी मिलवाया है। हम टाइम होने पे मिलकर अलग मजा लेते हैं मैं उनका लेता हूं और वो मेरा! Antarvasna

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