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Local area of North And Middle Andaman

Massage Girl in North And Middle Andaman: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in North And Middle Andaman who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in North And Middle Andaman that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The North And Middle Andaman massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in North And Middle Andaman who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your North And Middle Andaman massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This North And Middle Andaman massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in North And Middle Andaman who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in North And Middle Andaman employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in North And Middle Andaman helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in North And Middle Andaman

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in North And Middle Andaman at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

आज फिर से मैं नयी देशी भाभी चुदाई कहानी ले कर आया हूं।

उस गांव से मेरा ट्रांसफर 45 किलोमीटर दूर एक गांव में हो गया था।
यह गांव थोड़ा बड़ा था और यहां के लोग थोड़े पढ़े लिखे और सुखी सम्पन्न थे।
गांव के लोगों के पास खेती के लिए काफी बड़ी जमीनें थी और लोग राजकीय पहुंच भी रखते थे।

खैर जहां समृद्धि होती है वहां टकराव भी होता है.
तो इस गांव में ताकतवर लोगों के गुट बने हुए थे और ये गुट आपस में अक्सर लड़ते रहते थे.
तो यह गांव किसी भी कर्मचारी के कठिन पर माल वाला पोस्टिंग माना जाता था।

मुझे मेरे साथी कर्मचारियों ने इस गांव के बारे में यह सब बताया था- तुम जैसे सीधे सादे आदमी को इस गांव में नौकरी करना मुश्किल है। यहां के लोगों की पहुँच ऊपर तक होने से वे हमारे जैसे छोटे कर्मचारियों को दबा के रखते हैं।

अब मेरा इस गांव से पाला पड़ ही गया था तो सोचा कि जो होगा देखा जायेगा।

मैंने वहां के पुराने पटवारी से चार्ज लिया और काम देखने लगा।

दूसरे दिन गांव के सरपंच से मेरी मीटिंग थी।
सरपंच एक महिला थी.

उसने मिठाई का डिब्बा देकर मेरा स्वागत किया और कहा- आपको हम यहां कोई परेशानी नहीं होने देंगे. हम सब साथ मिल कर काम करेंगे. आप भी हमारा साथ दीजिएगा।

मुझे काफी अच्छा लगा और मैंने महसूस किया कि सरपंच काफी होशियार महिला थी।

बाद में जानने को मिला कि सरपंच तो भले दिल की और अच्छी है पर उसका पति गांव का बाहुबली था और सरफिरा भी!
उसका गुट काफी बड़ा और ताकतवर था और काफी लड़ाई झगडे के बाद उसे सरपंच का पद दिलवाया था।

अगले कुछ दिनों में गांव के बाकी गुट वाले भी मुझसे मिलने आये और उन सबकी मुझसे समर्थन के लिए मांग थी तथा अप्रत्यक्ष रूप से धमकी भी थी की मैं उन्हें ही समर्थन करूं।

इस गांव में शुरु से ही मैंने अच्छे से कामकाज चालू किया तो लोगों के काम समय से होने लगे।
मेरे पहले के पटवारी गांव के कोई ना कोई गुट में मिल जाते थे और काम कराने के पैसे भी लेते थे तो आम लोगों में नाराजगी रहती थी।

वैसे भी गांव के गुट वाले अपनी पसंद का ही पटवारी का गांव में पोस्टिंग करवाते थे।

मैं सभी का काम अच्छे से समय पर और बगैर पैसे लिए करने लगा तो एक दो महीने में ही मेरी गांव में काफी अच्छी छवि उभर आई थी।

दूसरी तरफ दो महीने से मुझे कोई चूत नहीं मिली थी तो मेरा बुरा हाल था।
रश्मि की बहुत याद आती थी, साथ में नम्रता की गोरी और फातिमा की काली चूत भी मुझसे भूली नहीं जा रही थी।

मैंने रश्मि को वचन दिया था तो मैं उस गांव की तरफ जाना नहीं चाहता था।
हालांकि नम्रता और फातिमा की चूत तो मुझसे चुदाने को आज भी तैयार थी।

पर मैंने अब इसी गांव में चूत ढूँढना का तय किया।
यह इस गांव के हिसाब से मुश्किल और मेरे लिए ख़तरनाक भी था क्योंकि पकड़ा गया तो इस गांव के लोग जान से भी मार सकते थे।

पर मेरे लिए इस गांव में किस्मत ने पहले से अच्छा तय करके रखा था।

मैं नयी जगह और कामकाज के चलते अब तक लोंडियाबाजी में नहीं पड़ पाया था. पर अब मैंने गांव में चूत ढूँढना शुरु किया।

पहले तो मैंने सरपंच के बारे में सोचा।
वह 35 साल की घरेलू महिला थी. ऐसे तो वह काफी गोरी थी थोड़ी सी मोटी पर उसका चेहरा खास मुझे प्रभावित नहीं कर पाया. वैसे भी वह मेरा छोटे भाई की तरह ख्याल बहुत रखती थी तो मेरी नीयत उसके लिए खराब नहीं हो पायी।

मैंने दूसरी भाभियों और लड़कियों के बारे में सोचा।
कुछ भाभियां और लड़कियां मेरे पास काम करवाने अक्सर आया करती थी तो उसमें ही जुगाड़ करने की फिराक में रहने लगा।

दो महीने बाद एक बार मैं ऑफिस के दूसरे कमरे की खिड़की खोल रहा था जिसे कभी कभार ही खोलते थे क्योंकि उस कमरे में पुरानी फाइलें और रेकोर्ड ही रखते थे।
मुझे एक पुरानी फाइल की जरूरत पड़ी थी तो मैं उस कमरे में गया और वहां की खिड़की खोली।

खिड़की से बाहर थोड़ी ही दूर एक जवान औरत कपड़े सुखाती दिखी।
उसकी पीठ मेरी तरफ थी पर मैं तो उसे देखता ही रह गया।

उसका बदन कसा हुआ गठीला और एकदम गुलाबी था जिससे मेरे पैंट में हरकत सी होने लगी।
काफी देर तक मैं उसे निहारता रहा।

फिर वह मेरे सामने घूमी तो देखा कि मैं इसे जानता था।
उसका नाम नाम रेखा था, वह मेरे पास कुछ काम के लिए तीन दिन पहले ही आयी थी।

रेखा सरपंच की रिश्ते में दूर की देवरानी थी और सरपंच के मायके के गांव की ही थी तो सरपंच से उसकी काफी बनती थी।

सरपंच ने मुझे उसका काम जल्दी निपटाने का अनुरोध भी किया था।
काम में व्यस्त होने की बजह से मैंने उस पर ध्यान नहीं गया था पर आज उसका कामुक बदन देख कर मेरे तो तोते उड़ गये थे।

मैंने तुरंत ही एक प्लान बनाया और सरपंच के जरिए उसे संदेश दिया कि उसके दिये कागज में एक दो कागज कम हैं.

तो वह दूसरे दिन ऑफिस आ गयी।

ऑफिस में कोई नहीं था, वह अपने छोटे बच्चे के साथ आयी थी।
मैंने उसे बहुत अच्छी तरह से निहारा।

आज उसने सर पर घूंघट नहीं निकाला था तो मैं जी भर कर उसे निहारता रहा।
शायद उसे भी इस बात का अंदेशा हो गया था।

मैंने उससे हंसते हुए काफी बातें की.
उसने कहा- अरे साहब, ऐसे छोट मोटे कामों के लिए थोड़ा बुलाते हैं आप खुद ही निपटा लेते ना!
वह भी थोड़ी बातूनी और मजाकिया स्वभाव की निकली।

शाम को घर आकर मुझे उसकी कल्पना करते हुए हाथ हिला के आग को शांत करना पड़ा।

रेखा छब्बीस साल की थी और उसका एक चार साल का बच्चा भी था.
उसका फीगर करीब 36-32-34 का होगा।
उसके नाक नक्श ऐसे कि बोलीवुड की हीरोइन से टक्कर ले सकें।

वह ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी पर काफी होशियार थी।
मैंने सोचा कि पति ने भी क्या किस्मत पायी थी।

अब मैं रोज उस कमरे की खिड़की से रेखा को निहारने लगा।
वह अपने पति और बच्चे के साथ अलग रहती थी, उसके घर से सट कर ही उसके ससुर और जेठ के भी घर थे।

उसका घर का मुख्य द्वार बिल्कुल मेरे ऑफिस के पीछे ही पड़ता तो मैं खिड़की से ही उसके घर में भी देख सकता था।
मैंने कई बार कपड़े सुखाते या झाड़ू निकालते समय उसकी ब्रा और क्लीवेज भी देखी थी।

अब उसकी चूत मिल जाए तो जन्नत मिल जाए।

ऐसे ही तीन चार महीने निकल गये।
उसे भी शायद पता लग गया था कि मैं खिड़की से उसे झांकता हूँ।
वह अब मेरे सामने मुंह रख कर कपड़े सुखाती थी और कभी मुस्कुराती भी थी।

बात यहीं आकर रुक गयी थी, कुछ आगे नहीं बढ़ पा रही थी।
उससे बात करने की मेरी हिम्मत भी नहीं हो रही थी।

फिर समय ने करवट बदली और वह एक बार शाम को पांच बजे के आसपास सरपंच से मिलने ऑफिस आयी।
सरपंच ने उसे पारिवारिक काम से बुलाया था।

वैसे मेरे ऑफिस में दोपहर के बाद ज्यादा काम नहीं रहता था पर सरपंच ने अब दोपहर के बाद ऑफिस में बैठना शुरू किया था।

अब यह सिलसिला चल पड़ा की वह सरपंच के साथ गप्पे लड़ाने ऑफिस आ जाती थी।

मेरा टेबल सरपंच के पास ही था तो मैं उसे देखते रहता था और उनकी बात सुनता था।

असल में सरपंच अपने छोटे भाई के लिए रिश्ता ढूँढ रही थी. उसी चक्कर में वह रेखा को बुलाती थी कि फलाना गांव में फलाने आदमी की बेटी अच्छी है।

सरपंच मुझे बहुत मानती थी तो उन दोनों की बातों में मुझे भी शामिल करती थी.
कभी कभी मज़ाक भी हो जाता था।

रेखा बहुत बातूनी थी और हमेशा मजाकिया बातें करती रहती थी।
मैं रेखा को टार्गेट करके बातों के शोट मारता तो वह भी मुझे करारे जवाब देती थी।
सरपंच हमारी बातों का मज़ा लेती थी।

तीन महीने तक ऐसा चलता रहा।

एक बार वह ऑफिस में आयी तो मैं अकेला ही था.
सरपंच किसी काम से बाहर गयी हुई थी.

तो वह वापिस जाने लगी.
उसी वक्त चाय वाला लड़का चाय लेकर आया.
तो मैंने रेखा को रोका और चाय पीने को बोला.
तो वह रुक गयी।

चाय पीते पीते वह बोली- विशाल जी, आपने अब तक सगाई क्यों नहीं की? कोई पसंद नहीं आयी क्या?
मैंने कहा- अभी मेरी उम्र ही क्या है … शादी वादी करके क्या फायदा!

ऐसे थोड़ी देर बात हुई.
फिर जाती हुई वह बोली- जल्दी से कोई ढूँढ लीजिए, कब तक आप यों ही खिड़की से झांकते रहोगे।
मैं कुछ समझ पाऊं … उससे पहले वह इतना बोल कर झट से चली गई।

मुझे समझ आ गया कि वह भी मुझे लाइन दे रही थी।

दूसरे दिन जब मैं खिड़की से उसे झांकने गया तो देखा कि आज वह मेरे सामने ही चेहरा करके मुस्कुराती हुई कपड़े सुखा रही थी।
जाते जाते बाल्टी में बचा पानी उसने जोरदार मुस्कान के साथ मेरी तरफ फेंका।

मैं समझ गया अब इसकी चूत दूर नहीं है।

अब वह खिड़की के पास आकर मुझसे मज़ाक भी कर लेती।
मैंने उसे कई बार शहर घूमने आने का न्योता दिया.
पर वह हमेशा अपने पति के साथ ही शहर आती थी।

एक बार उसने कहा- मेरी मौसी शहर में रहती हैं और मैं उनके घर चार पांच दिन के लिए रहने जाऊँगी.

मौसी के घर का जो पता उसने बताया, वह स्थान मेरे घर से आधा किलोमीटर दूर था।
उसी दौरान मेरी भी दो दिन की छुट्टी थी।

उसने कहा- चलो आप बहुत दिन से निमंत्रण दे रहे थे तो आपकी मेहमान नवाजी भी देख लेते हैं।
मैंने उसे शहर में पास वाले पार्क में मिलने के लिए कहा।

आखिर वह दिन भी आ गया.
वह पार्क में अपने बच्चे के साथ आयी हुई थी।
मैं भी सज-धज के वहां पहुंचा।

उसके बच्चे को अपनी गोद में लेकर मैं उससे बातें करने लगा।
फिर मैंने उसे रूम पर आने को बोला तो थोड़े नखरे दिखा कर वह मान गई।

रूम पर जाकर उसके बच्चे को मेरे बेड पर सुला दिया और हम नीचे चटाई पर बैठ गए।

उसने बताया कि उसकी शादी अठारह की उम्र में हुई थी। शुरू में उसका पति बहुत अच्छे से उसको रखता था फिर बाद में वह सरपंच के पति के संगत में आया और वह पैसों के पीछे पड़ा। वह ट्रांसपोर्ट का बिज़नस करता था जिसमें अच्छी कमाई हो जाती थी. पर अब वह और ज्यादा कमाने के चक्कर में पड़ गया था और राजनीति में भी बड़ा पद पाना चाहता था। सरपंच के पति के अच्छे बुरे सब कामों में वह शामिल रहता है. उस पर पुलिस केस भी चल रहे थे। महीने में करीब बीस दिन घर से बाहर ही रहता था और जब घर आता था तो भी अपने गुट वालों के साथ मीटिंग या पुलिस या कोर्ट वकील या प्रोपर्टी के कामों में व्यस्त रहता। आठ दस दिन घर आता उसमें भी दो तीन दिन ही वह पत्नी और बच्चे के लिए ठीक ठाक समय दे पाता।

दूसरी बात यह थी कि रेखा को अपनी खूबसूरती पर काफी नाज था।
वह चाहती थी कि हर कोई उसकी खूबसूरती का लोहा माने।

पर छोटी उम्र में ही उसकी शादी हो गई और उसके पति ने भी दो तीन साल ही उसकी खूबसूरती को भोगा था। अब वह घर पर होता तो खाली अपनी हवस बुझाने ही रात को रेखा के ऊपर चढ़ जाता और अपने आपको शांत कर के जल्दी ही उतर जाता।
उसमें भी कई बार तो नशे में चूर होकर रेखा को भोगता तो अब रेखा को संतुष्टि नहीं मिलती।
ना तो वह रेखा की तारीफ करता और न उसे समय दे पाता।

पर रेखा की जवानी अब भी बहुत कुछ मांग रही थी जो उसका पति उसे नहीं दे रहा था।

जब रेखा ने मुझे उसके पीछे लट्टू पाया तो उसके अरमान फिर से हरे भरे हो गये।

उसने सरपंच से मेरी काफी तारीफ सुन रखी थी तो वह भी मेरी तरफ आकर्षित हुई थी।

मैं उससे चिपक कर बैठ गया और बातों बातों में मस्के मारने लगा वह भी मुझे करारे जवाब दे रही थी।

वह मुझसे पांच साल बड़ी और एक बच्चे की मां थी आज मैं उसे चोदने जा रहा था।
मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और उसके कंधे पर भी एक हाथ रख दिया।

जब मैंने उसके गालों पर एक चुम्बन लिया तो वह दूर जाने लगी.

पर मैंने उसे पकड़े रखा और फिर उसके होंठों से अपने होंठ लगा दिए।
वह भी मेरा साथ देने लगी।

मैंने उसकी पीठ के खुले हिस्से को काफी सहलाया और चूमा भी!
इससे वह काफी गर्म हो चुकी थी.

फिर मैंने उसके बोबे पकड़ लिये और दबाने लगा।
उसके बोबे फातिमा से भी बड़े थे और वह नम्रता से भी ज्यादा गोरी थी तथा रश्मि की तरह गर्म थी।

उसने खुद ही ब्लाउज और ब्रा उतारी फेंकी।
वह बार बार विशाल कर रही थी.
मतलब था कि वह जल्दी मेरा लौड़ा अपनी चूत में चाहती थी.

पर मैं उसे थोड़ा तड़पाना चाहता था और धीरज के साथ उसकी खूबसूरती को पीना चाहता था।

मैं उसके स्तनों को चूसने और दबाने लगा.
वह भी मदहोश हो गई थी।

मैंने उसके पूरे शरीर को चूमा तो वह पागल सी हो गई और हांफने लगी।
वह बोली- विशाल जल्दी करो, अब सब्र नहीं होता है।

मैंने भी अपने कपड़े उतारे और उसने अपने बाकी बचे कपड़े उतार फेंके।

उसने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा और सहलाने लगी, फिर टोपा चाटने लगी और फिर पूरा लंड चूसने लगी।
मैं तो जैसे जन्नत में पहुंच गया था क्योंकि एक परी मेरा लंड चूस रही थी।

थोड़ी देर बाद उसने मेरा लंड अपने मुंह से निकला और बेड पर सीधी लेट गई और मुझे कहा- विशाल जल्दी आओ, मुझसे रहा नहीं जाता।
मैं भी उसके उपर चढ़ गया और लंड उसकी चूत में डालने लगा।

उसकी गोरी चूत पर काफी काली झांटें थी तो मुझे चूत का छेद ढूंढने में तकलीफ हो रही थी.
पर उससे रहा नहीं गया और उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत में सेट किया और बोली- अब धक्का मारो।

मैंने एक ही झटके में पूरा लौड़ा उसके अंदर घुसा दिया तो उसके मुंह से आह निकली।
मैं उसे धमाधम चोदने लगा.
वह विशाल आह आह और जोर से जोर से ऐसी आवाजें निकाल रही थी।

मैं भी बोल रहा था- मेरी रानी रेखा, तुम्हें जब से देखा तब से मेरे मन में शोले भड़क रहे थे। आज तू मिली है मेरी जान!
ऐसा बोलते हुए मैं उसे जोर जोर से चोद रहा था।

ज्यादा जोश के कारण दस मिनट में ही मेरा पानी छूटने को हुआ तो मैंने कहा- डार्लिंग, पानी कहां निकालूं?
उसने कहा- अंदर ही निकालो।

मैंने उसके अंदर ही अपना वीर्य निकाल दिया और उसके ऊपर ही लेटा रहा।

काफी देर बाद हम अलग हुए और कपड़े पहन कर एक दूसरे की बाहों में लिपट कर बैठ गये।

उसने कहा- काफी समय बाद किसी ने इतने प्यार से मुझे चोदा है। मेरा पति तो बस दारू के नशे में मुझ पर चढ़ जाता है और पांच ही मिनट में पानी छोड़ कर लुढ़क जाता है। मैं प्यासी ही रहती हूँ।

आधा एक घंटा हमने बातें की।

वह फिर से चुदना चाहती थी तो बार बार अपने बोबे मेरे मुंह पर घिसती और मेरे लंड को सहलाती.
तो मेरा लौड़ा भी अब खड़ा हो गया था।

हमने फिर कपड़े उतारे और फिर से चुम्माचाटी और बोबा दबाई की।

उसने मेरा लंड फिर से चूसा तो वह लोहे की छड़ की तरह खड़ा हो गया।
मैंने फिर से उसकी चूत में लौड़ा डाल दिया और चोदने लगा।

इस बार धैर्य के साथ चुदाई की तो आधा घंटा चोद सका।
फिर से मैंने उसकी चूत में अपना वीर्य छोड़ा।

इस चुदाई के बाद वह अपनी मौसी के यहां गयी।
वह अपनी मौसी के घर पांच दिन तक रुकी और मैंने भी अपनी ऑफिस में छुट्टी ले ली और हम रोज मिलते रहे और चुदाई करते रहे।

फिर गांव आ कर वही सिलसिला खिड़की से झांकने का चालू हुआ।

हम दोनों एक-दूसरे को फ्लाइंग किस करते तथा दिन में चार पांच बार खिड़की पर ही मिलन हो जाता।
ज्यादा कुछ नहीं कर पाते थे क्योंकि उसका पति उसके मौसी के घर से वापस आने के दूसरे दिन ही घर आ गया था।

एक हफ्ते बाद उसका पति वापस काम पर लौटा तो उसने मुझे दोपहर में अपने यहां खाने पर बुलाया।

हमने साथ में खाना खाया और खूब चुदाई की.

ऐसे दो महीने चलता रहा।

बाद में उसने मुझे बताया कि वह मां बनने वाली है और उसके बच्चे का बाप मैं ही हूं।
मेरी गांड फट गई.

मैंने कहा- अब क्या करेंगे?
वह हंसती हुई बोली- बिल्कुल फट्टू हो तुम. इसमें डरने की क्या बात है. यह तो खुशी की बात है।

मैंने कहा- किसी को पता चल गया तो क्या होगा?
उसने कहा कि उसने सोच समझ कर ही बच्चा रखवाया था। वह अपने पति की जगह मेरे बच्चे की मां बनना चाहती थी इसलिए उसने मुझे कभी कोंडोम इस्तेमाल नहीं करने दिया था और मेरा वीर्य अपनी चूत में डलवाती थी।

उसने कहा- तुम तो खुश हो. बस किसी को बताना मत कि यह बच्चा तुम्हारा है. यह बच्चा तो हमारे प्यार की निशानी है।

तब जाके मुझे भी राहत हुईं और मैं भी खुश हुआ।

नौ महीने बाद रेखा ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया।
रेखा ने मुझे कहा- यह तुम्हारी बेटी है तो तुम्हीं इसका नाम रखो।
मैंने उसका नाम प्रेरणा रखा।

बाद में मौका मिलने पर मेरी और देशी भाभी चुदाई चालू ही रही।

उसी ने मुझे गांव की कुंवारी चूत भी दिलाई जो आपको बाद में बताऊंगा।
लेखक के आग्रह पर उनकी ईमेल आईडी प्रकाशित नहीं की जा रही है।
यह देशी भाभी चुदाई कहानी आपको कैसी लगी, कमेंट्स में बताएं.

औरत की गांड की चुदाई की कहानी में मेरी छोटी बहन के पति ने मेरी गांड पहली बार मारी तो दर्द से मैं बेहाल हो गयी. पर बाद में मुझ मजा भी बहुत आया.

प्रिय पाठको,
आपने मेरी पिछली कहानी
जीजू ने किया मेरा अल्ट्रा साउंड
बहुत पसंद की.
धन्यवाद.

अब आगे औरत की गांड की चुदाई की कहानी:

अस्पताल में चुदाई के कुछ दिन बाद मेरे पति विकास को अमेरिका जाने का आदेश मिला और उन्हें इस बार करीब एक महीने तक अमेरिका में रहना था।
इस दौरान करवा चौथ का त्यौहार भी आ रहा था लेकिन मेरे पति इस समय मेरे साथ नहीं रह सकते थे।

उनके जाने के बाद मेरी आनन्द के साथ बातचीत चालू हो गई।
मैंने उन्हें बताया कि विकास अमेरिका गए हैं और मैं महीने भर चारु के साथ ही रहूंगी।

यह सुनकर आनन्द की खुशी का ठिकाना न रहा।
उन्होंने कहा- साली साहिबा, इस बार करवाचौथ हम आपके साथ मनाएंगे और आपको हमारे हाथों ही अपना व्रत खोलना पड़ेगा।

मैंने कहा- लेकिन रागिनी भी तो है, उसका क्या?
आनन्द- चिंता मत करो साली साहिबा, मैंने सारा प्लान बना लिया है।
मैंने उनके इरादे के लिए हामी भर दी।

हमारे यहां रस्म है कि लड़की शादी के बाद अपना पहला करवाचौथ अपने मायके में ही मानती है।
रागिनी करवाचौथ के दो दिन पहले ही मायके पहुंच गई थी।

आनन्द के कहे अनुसार मैंने चारु को भी अपने मायके भेज दिया।

करवाचौथ के एक दिन पहले मेरे घर पर एक पार्सल आया।
मैंने भेजने वाले का नाम देखा तो डॉक्टर आनन्द लिखा था।

मैंने पार्सल रिसीव किया और फिर बेडरूम आकर देखा कि उसमे क्या क्या है?
उस पार्सल में एक लाल रंग की साड़ी, कंगन, एक सोने का नेकलेस, झुमके, करधनी, पायल थी।

मैंने आनन्द को कॉल किया।
मैं- हेलो जीजू, आपके गिफ्ट के लिए शुक्रिया।
आनन्द- शुक्रिया मत बोलो, बस कल इसे पहनकर तैयार रहना. लेकिन एक बात का ध्यान रखना, इस पार्सल में जो है सिर्फ वही पहनना है, उसके सिवा कुछ भी नहीं।

मैं हैरान रह गई क्यूंकि उसमें पेटीकोट, ब्लाउज और ब्रा पैंटी तो थे ही नहीं।
मैंने कहा- लेकिन इसे पहनूंगी कैसे क्यूंकि बाकी कपड़े तो हैं ही नहीं?
आनन्द- मुझे नहीं पता, तुम जानो कि क्या करना है, मैं जो कह रहा हूं उतना काम होना चाहिए बस!

मैंने बेमन से हामी भर दी।

अगले दिन करवाचौथ का व्रत था।
मैं सुबह से भूखी प्यासी थी और अपने बदन को निखारने में जुटी हुई थी, मैंने सुहागन स्त्रियों की तरह मेंहदी लगाई और फिर अपने प्राइवेट पार्ट के बाल साफ़ किए।

जैसे तैसे दिन बीत गया।

रात हुई तो आनन्द मेरे मायके गए और चांद निकलने पर उन्होंने रागिनी का व्रत खुलवाया।

फिर कुछ देर बाद वो अस्पताल जाने के बहाने से निकल गए और मेरे घर पर आ गए।
इधर मैंने अपनी कमर पर एक मोटी डोरी लपेटी और उसी के सहारे साड़ी पहन ली।
मेरे बदन पर कपड़े के नाम पर सिर्फ यही लाल साड़ी थी।

मैंने अपने वक्ष को ढका और फिर अपना शृंगार किया।

मैंने गजरा, काजल, ज्वैलरी सब कुछ पहना हुआ था और खासकर के आनन्द की दी हुई करधनी!

मैं छत पर गई और पूजा की।
मेरा गोरा बदन चांदनी में चमक रहा था, मैं अपनी साड़ी संभाल रही थी कि कहीं सरक न जाए।
पड़ोस की औरतें मुझे ही देख रही थी क्योंकि 

मैंने ब्लाउज नहीं पहना था और मेरे मोटे स्तन लटके हुए थे।

खैर किसी तरह बचते बचाते मैंने पूजा की और नीचे आ गई।
अब मैं आनन्द के आने का इंतजार करने लगी ताकि वे आकर मेरा व्रत खुलवा सकें।

दरवाजे पर घंटी बजी तो मैंने दरवाजा खोला, सामने आनन्द खड़े थे।
मैंने उन्हें अंदर बुलाया और झट से दरवाजा बंद कर दिया।

फिर मैं उनसे चिपट गई और बोली- कितनी देर लगा दी, कब से मैं प्यासी हूं, कहां थे अब तक आप?
आनन्द- आपकी बहन की प्यास बुझा रहा था, आखिर उनका पहला करवा चौथ था ना!

मैंने पानी का लोटा उठाया और कहा- लीजिए और मेरी प्यास बुझाइए।
आनन्द ने लोटा टेबल पर रख दिया और कहा- आपकी प्यास पानी से नहीं, प्रोटीन शेक से बुझाएंगे हम!
यह कहकर उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींचा और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए।

हमारे होंठ एक दूसरे के साथ चिपक गए और अब हमारे बीच मुख रस का आदान प्रदान होने लगा।
हम दोनों एक दूसरे की जीभ के साथ खेलते हुए एक दूसरे को चूमते जा रहे थे।

उन्होंने मेरा पल्लू मेरी छाती से हटा दिया तो मेरा बदन अर्ध नग्न हो गया।
मेरे लटकते हुए स्तन अब उनकी छाती पर दबाव डाल रहे थे और मेरी कमर उनके मजबूत हाथों के कब्जे में थी।

मैं उनका इरादा भांप गई थी इसलिए मैं जमीन पर बैठ गई और फिर उनकी पैंट को सहलाने लगी।

आनन्द तो जैसे मुझे तरसाने के इरादे से आए थे इसलिए वो चुपचाप खड़े होकर मेरी हरकत का मजा ले रहे थे।
मैंने उनकी बेल्ट उतारी और फिर उनकी जिप खोल कर उनकी पैंट उतार दी।

उनके अंडरवियर को अपने दांतों से हल्के हल्के कुरेदने लगी और फिर उसे भी नीचे कर दिया।
उनका लिंग अब मेरे सामने था लेकिन आज उसका तनाव कुछ अलग ही था शायद आनन्द ने गोली ली थी।

मुझे तो ये सोचकर और खुशी हुई और मैंने उनके लिंग के सुपारे को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया।

आनन्द चुपचाप सावधान मुद्रा में खड़े थे और मैं अपने एक हाथ से उनके लिंग को रगड़ती जा रही थी और अपने होंठ उनके सुपारे पर टिकाए हुए थी।
पांच मिनट बाद मेरी मेहनत रंग लाई और आनन्द का लावा फूट पड़ा।
मेरा मुंह उनके वीर्य से लबालब भर गया और मैं उनके वीर्य की हर बूंद गटक गई।

उसके बाद आनन्द ने मुझे पानी पिलाया और बेडरूम में ले गए।
फिर वो किचन आए और मेरे खाने के लिए कुछ फल और दूध लेकर बेडरूम में आ गए।

आनन्द बड़े ही प्यार से मुझे फल खिला रहे थे और मैं दिनभर की भूखी बिना संकोच के उनके दिए फलों का सेवन कर रही थी।

खाने के बाद अब मेरे हलाल होने की बारी थी।
आनन्द ने कहा- साली साहिबा, आज हम आपका नाच देखना चाहते हैं, सुना है कि आप बहुत अच्छा नाचती हैं।
मैं- ठीक है जीजू, जैसा आप कहो।

मैं उठी तो आनन्द ने मेरी साड़ी का पल्लू थाम लिया और कहा- बिना साड़ी के नाचिए साली साहिबा!

मेरे जिस्म पर कपड़े के नाम पर एक यही वस्त्र था।
मैंने साड़ी उतार दी तो मैं पूर्ण नग्न अवस्था में आ गई।

मेरे गले में हार, बालों में गजरा, कमर मे करधनी, हाथों में कंगन, पैरों में पायल जरूर थे लेकिन बदन पर कपड़े के नाम पर चीथड़ा तक न था।

खैर जब इज्जत नीलाम ही हो चुकी हो तो शर्माना कैसा?
मैंने गाना लगाया
‘मुन्नी बदनाम हुई’
और उस पर थिरकना शुरू कर दिया।

मेरे लटके झटके देखकर आंनद भी जोश में आ गए और अपने कपड़े उतार कर नग्न होकर अपना लिंग सहलाने लगे।

गाना खत्म होते होते उनका लिंग पूरी तरह तन्नाया हुआ था।
मेरा मटकना अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि आनन्द मेरे पास आए और उन्होंने मेरी पीठ पर हाथ रख कर मुझे अपने निकट किया और खड़े खड़े ही अपना लिंग मेरी चूत में डाल दिया।

अब हम दोनों की कमर लय में एक दूसरे के साथ थिरकती जा रही थी और मेरे मुंह से काम वासना की आहें निकल रही थी।

मैंने अपनी एक टांग उठा कर उनकी कमर पर लपेट ली तो आनन्द ने सहारा देकर मेरी टांग को धर लिया।
अब मैंने अपनी बाहों को आनन्द के गले में डाल कर सहारा लिया और खुद को संतुलित किया।

आनन्द ने मेरे होंठों को अपने कब्जे में लेकर उन्हें चूसना शुरू कर दिया।
नीचे उनका औजार मेरी मुनिया की खुदाई करता जा रहा था।

आज आनन्द का लिंग अलग ही तरह का तनाव और आकार लिए हुए था।
गोली की वजह से उनका सुपारा टमाटर जैसा फूला हुआ था और उसकी नसें खुरदरापन लिए फूली हुई थी जिसकी वजह से मेरी योनि में रगड़ बढ़ गई थी.
उनका सुपारा जब मेरी बच्चेदानी पर ठोकर मारता तो मुझे मीठा मीठा दर्द होता।

मेरी योनि तो अब झरना बन चुकी थी जिससे लगातार योनि रस बहता जा रहा था.

उनके लिंग की रगड़ और धक्के की स्पीड इतनी ज्यादा थी कि मैं ज्यादा समय तक इस आनन्द को झेल नहीं पाई और मेरी योनि से फव्वारा फूट पड़ा।

झड़ने के बाद मेरी योनि ढीली पड़ गई लेकिन आनन्द अभी भी धक्के बखूबी तरीके से लगाते जा रहे थे।
मैंने अपनी दोनों टांगे कैंची की तरह उनकी कमर पर लपेट ली और फिर खुद को उनको हवाले कर दिया।

आनन्द ने मेरे नितम्बों पर हाथ लगाया और उनके सहारे मुझे उठा उठा कर धक्के लगाने लगे।
उनके हर धक्के से मेरे बदन में कम्पन पैदा हो जाता और मेरे कंगन और पायल आवाज करने लगते।

आनन्द मुझे उठाकर बेडरूम में ले आए और मेरे बेड के पास बने ड्रेसिंग टेबल पर बिठा दिया।
उन्होंने मुझे शीशे से सटा दिया और फिर मेरी चुदाई करने लगे।

मेरी आंखें आनन्द के मारे बंद हो गई थी और मुंह से जोर जोर की आवाजें आ रही थी।

करीब आधा घंटा चोदने और मुझे दो बार स्खलित करने के बाद आनन्द की जवानी अपने चरम पर पहुंच गई और उन्होंने मेरी चूत को अपने वीर्य से सराबोर कर दिया।

वे किसी जोंक की तरह मुझसे चिपक गए और अपने लिंग का एक एक हिस्सा मेरी योनि की गहराई में उतार दिया।
मेरी योनि उनके लिंग का गर्मागर्म वीर्य पाकर सिकुड़ गई.

जब उन्होंने अपना लिंग बाहर निकाल लिया तो उनका वीर्य मेरे कामरस के साथ मिक्स होकर चूत के दरवाजे से बहता जा रहा था।
मैंने उंगली से उनके गाढ़े वीर्य को उठाया और मजे से चाट गई, फिर टिशू पेपर से खुद को साफ किया।

अब तक मैं दो बार झड़ी थी इसीलिए मेरी भी सांसें आनन्द की तरह ही तेज हो गई थी।
मैं बेड पे लेट गई और खुद को संभालने लगी।
मेरे बदन से पसीना बहा जा रहा था और दिनभर से भूखी होने की वजह से मुझे कमजोरी सी लग रही थी।

आनन्द आकर मेरे बगल में लेट गए और मेरे स्तनों और योनि को सहलाने लगे।
मैं सिसकी भरती हुई उनके साथ इस खेल का मजा ले रही थी।

आनन्द ने एक एक कर के मेरे जिस्म से जेवर उतार दिए और अब मैं पूर्ण रूप से नग्न अवस्था को प्राप्त कर चुकी थी।

10 मिनट बाद जब मेरा जिस्म जरा संभल गया तब मैं उठकर बाथरूम की तरफ चल दी तो आनन्द भी मेरे साथ आ गए।
मैं कमोड पर बैठ गई और मुत्ती करने लगी।

उधर आनन्द ने शॉवर चालू कर दिया।
मैं उठकर आनन्द के पास आई तो उन्होंने मेरे हाथ दुपट्टे से बांध दिए और एक पाइप में फंसा दिया।
उन्होंने मुझे चूमना शुरू कर दिया और फिर मुझे घुमाकर मेरी पीठ अपनी और और मेरा मुंह दीवार की ओर कर दिया।

इस दौरान शॉवर खुला हुआ था और उसकी बूंदें मेरे बदन को भीगा रही थी।

आनन्द ने मेरे बाल पकड़ कर उनको पोनीटेल की तरह से बांध दिया और फिर मेरे नितम्बों पर चपत लगाई।
मैं मदहोशी में इस दर्द का मजा लेने लगी।

आनन्द ने अपने हाथ मेरे नितम्ब पर फेरने शुरू कर दिए और फिर मेरे नितम्बों की दरार से अपनी उंगलियां गुजारने लगे।
उनका यह अहसास मुझे बहुत उत्तेजित कर रहा था।

उनकी उंगली मेरी गांड पर हलचल मचाने लगी, इसका अहसास मुझे बहुत उत्तेजक लगा और मैं तनिक तनिक देर में अपनी गांड को अंदर की तरफ भींचने लगी।

अचानक वो हुआ जिसकी मुझे जरा भी उम्मीद नहीं थी।

आनन्द की उंगली मेरी गांड में घुसने लगी तो मैं चीखी- आआह आनन्द … ये क्या कर रहे हो, दर्द होता है मुझे, प्लीज ये मत करो!

लेकिन आनन्द ने मेरी एक नहीं सुनी और अपनी बीच की पूरी उंगली मेरी गांड में घुसा दी।

मैं दर्द और जलन से सिसकी लेने लगी- आनन्द, प्लीज निकाल लो इसे, बहुत दर्द हो रहा है! जीजू प्लीज मान जाइए, मैं ये नहीं कर पाऊंगी।
आनन्द- डरो मत साली साहिबा, मैं इतनी आराम से करूंगा की दर्द नहीं बल्कि मजा आयेगा।

आनन्द आज मेरी गांड मारने के इरादे से आए थे।
उन्होंने कंडीशनर की शीशी उठाई और उससे कंडीशनर निकालकर मेरी गांड पर मलने लगे और फिर अपने लिंग पर भी लेपन लिया।

अब उनका लिंग इतना चिकना हो गया था जैसे मोबिल आयल डालने के बाद इंजन का पिस्टन।
उन्होंने मुझे 60 डिग्री पर झुका दिया और मेरी कमर को बाहर की तरफ निकाला।
फिर वो अपना लिंग मेरी कुंवारी गांड में डालने लगे।

पहले तो वो कुछ फिसला लेकिन किसी तरह वो अपना सुपाड़ा मेरी गांड के छल्ले में उतारने में सफल हो गए।
मेरे चेहरे पर दर्द के भाव थे।
मैं होंठों को भींचे किसी तरह अपनी सिसकी रोक कर खड़ी थी।

आनन्द ने एक हाथ से मेरी चोटी पकड़ी और फिर धीरे धीरे मेरी पीठ पर किस करने लगे।
उनके चुम्बन ने मेरा दर्द कम कर दिया और फिर मैं भी तैयार हो गई, अपनी आबरू लुटवाने के लिए।
आनन्द ने अचानक से एक धक्का लगाया और उनका आधा लिंग मेरी आंत में जा घुसा- हाय दईया … मर गई मैं!

मेरे मुंह से यही आह निकली तो आनन्द ने मेरी चोटी अपनी तरफ खींच ली और फिर से एक धक्का लगाया.
इस बार मैं दर्द से चीख उठी और इसी के साथ उनका लिंग पूरा मेरी आंत में उतर गया।

मेरी आंखें दर्द के मारे भर आई और मेरे होंठ कांपने लगे।
मेरे मुंह से एक घुटी हुई आह निकली- जीजू….. दर्द हो रहा है।

लेकिन मर्द अपनी हवस मिटाने के लिए औरत को हमेशा दर्द देता आया है।
आनन्द पर मेरी सिसकी का कोई असर नहीं पड़ा।

मेरी गांड अंदर की तरफ सिकुड़ गई और आनन्द के लिंग को पूरी ताकत से भींच लिया।
मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई मोटा गर्म लोहे का रॉड मेरी आंत में घुसा हुआ हो।

आनन्द को मेरी गांड की कसावट की वजह से धक्के लगाने में दिक्कत पेश आ रही थी- साली साहिबा, अपनी गांड को ढीला करो वरना धक्के कैसे लगाऊंगा।
मैं सुबकती हुई बोली- मुझसे नहीं हो पाएगा जीजू, प्लीज बाहर निकाल लीजिए।
आनन्द- ठीक है निकाल लूंगा लेकिन इसे ढीला करो तभी तो निकलेगा।

मैंने उनकी बात सुनकर अपनी गांड को ढीला छोड़ दिया।

आनन्द ने अपना लिंग बाहर खींचना शुरू किया और जैसे ही उनका सुपारा मेरी गांड के छल्ले के पास पहुंचा, उन्होंने पूरे जोर से मेरी गांड में अपना लिंग दोबारा उतार दिया।

मेरे मुंह से दर्द भरी चीख निकल पड़ी।

अब आनन्द को मेरी गांड मारने का तरीका पता चल गया था।
वो धीरे धीरे कर के मेरी गांड को चोदने लगे और अपना एक अंगूठा मेरे मुंह में और अपनी उंगली से मेरी योनि को सहलाने लगे।

अब मुझे दर्द में कुछ कमी जान पड़ी तो मैं भी आनन्द के साथ अपनी चुदाई का मजा लेने लगी।
आनन्द का हर धक्का अब मेरे जिस्म में दर्द के साथ साथ मजे की लहर भी उत्पन्न करने लगा।

मेरी गांड को पहली बार लंड का स्वाद मिला था।
आनन्द मेरी कसी कुंवारी गांड को चौड़ा करने की भरपूर कोशिश कर रहे थे और हर धक्के के साथ ही बाथरूम में थप थप का संगीत गूंज उठता।

मेरी गांड का दबाव इतना ज्यादा था कि आनन्द ज्यादा देर तक कायम न रह सके और करीब 15 मिनट बाद ही उनका वीर्य फूट पड़ा।
मुझे मेरी गांड में बहा उनका गर्मागर्म वीर्य एक अनोखा अहसास दे रहा था।

यह पहला मौका था जब किसी ने मेरी गांड मारी थी.
लेकिन आखिरी नहीं … इसके बाद तो जैसे एक सिलसिला ही शुरू हो गया।
औरत की गांड की चुदाई के बारे में मैं आपको आगे की कहानियों में बताऊंगी।

खैर झड़ने के बाद आनन्द ने मुझे आजाद किया और फिर शॉवर तले नहला धुला कर मुझे बिस्तर पर लिटा दिया।
मेरे बदन में बहुत तेज दर्द हो रहा था इसलिए आनन्द ने मुझे पेन किलर दी और फिर हम दोनों एक दूसरे के साथ नग्नावस्था में ही सो गए।

तो दोस्तो, कैसी लगी आपको ये औरत की गांड की चुदाई की कहानी?
अपने विचार कॉमेंट बॉक्स में जरूर दीजिए।
आपके प्यारे प्यारे कमेंट्स का इंतजार रहेगा।
पढ़ने के लिए शुक्रिया।

Indian Sex Stories

दोस्तो, मैं मोहन एक Indian Sex Stories बार फिर आपकी सेवा में हाज़िर हूँ। मुझे बहुत खुशी हुई कि आप सबने मेरी पहली कहानी किराएदार और उसकी बेटी की काफी सराहना की और इसी के कारण मैं आप के सामने एक बार हाज़िर हूँ एक नई कहानी लेकर। आशा करता हूँ कि आप सब इसे काफी पसन्द करेंगे।

मेरे बड़े भाई की शादी को 3 साल हो गए हैं। मेरी भाभी उत्तर प्रदेश की हैं, और काफ़ी सुन्दर हैं। उनकी फिगर किसी हिरोइन से कम नहीं है और जब से वो मेरे घर में आई, तभी से मेरा लण्ड उनकी चूत में घुसने के लिए काफ़ी परेशान रहने लगा। मैं कभी-कभी उनकी चूत की कल्पना करके मुट्ठ भी मारने लगा। यह सिलसिला काफ़ी दिनों तक चला। पर एक दिन ऐसा आया जिसके कारण मेरी दिली तमन्ना पूरी हो गई।

हुआ यूँ कि एक बार भाभी अपने मायके गई हुईं थीं और काफ़ी दिनों तक वहाँ रहीं। भैया की नौकरी दूसरे जिले में होने के कारण वो भी बाहर ही थे और भाभी को वापस लाने के लिए पापा ने मुझे ही कहा। मैं भाभी को लेने के लिए उनके मायके गया। वहाँ मेरा काफ़ी स्वागत-सत्कार हुआ।

जब मैं उनके घर पहुँचा तो भाभी नहा रहीं थीं। बाथरूम घर के अन्दर ही था। बाथरूम के ठीक बाहर मैं कुर्सी पर बैठा था। कुछ ही देर में बाथरूम का द्वार खुला। मैंने उन्हें देखा तो मेरी नज़रें उन्हें देखती ही रह गईं। क्योंकि वो उस वक्त केवल पेटीकोट में थीं। उन्हें पता नहीं था कि बाहर कोई बैठा है। उन्होंने मुझे देखते ही दरवाजा बन्द कर लिया, फिर कुछ देर में पूरे कपड़े पहन कर बाहर निकलीं।

मुस्कुरा कर मुझसे पूछा- अरे देवरजी, आप कब आए?

‘अभी आधा घण्टा पहले’- मैंने उत्तर दिया।

फिर उन्होंने मुझे खाना खिलाया और आराम करने के लिए मेरा बिस्तर छत पर लगा दिया। मैं छत पर सोने के लिए चला गया। बिस्तर पर पड़ते ही मुझे वह क्षण याद आया जब भाभी नहाकर निकलीं थीं। उसी क्षण को याद करके मैंने मुट्ठ मारी और कुछ ही देर में सो गया।

शाम को करीब चार बजे मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि भाभी मेरे सामने खड़ी हैं और मुस्कुरा कर कहती हैं- अरे देवरजी, उठो शाम हो गई है।’ मैं तुरंत उठकर खड़ा हो गया, और तैयार होने लगा। इतने में भाभी ने कहा- अरे देवरजी, यह चादर में अकड़न कैसी है?’ मैं घबरा गया, पर वह मुस्कुरा कर नीचे चली गईं।

मैं समझ गया कि भाभी को सब पता चल गया है। कुछ देर बाद मैं भी नीचे चला आया। भाभी ने नाश्ता दिया। कुछ देर बाद भाभी ने कहा- चलिए मैं आपको गाँव का मेला दिखा लाती हूँ।’

मैं तैयार हो गया। भाभी और मैं मेले की ओर चल पड़े। रास्ते में भाभी के खेत पड़ते थे जो कि काफ़ी दूर तक फैले हुए थे। वहीं पर एक झोपड़ी भी थी। मैंने पूछा कि ये झोपड़ी किसकी है, तो भाभी बोलीं कि मेरे पिताजी की। वो कभी-कभी यहाँ रात में सोते हैं। हम झोपड़ी की ओर बढ़ गए क्योंकि हम कुछ थक गए थे।

वहाँ पड़ी चारपाई पर मैं लेट गया और भाभी मेरे पास बैठ गईं। कुछ ही देर के बाद मुझे ऐसा लगा कि वो रो रही हैं। मैंने उठकर देखा तो उनकी आँखों से आँसू गिर रहे थे। मैंने चौंक कर उनसे पूछा तो उन्होंने कहा- क्या बताऊँ देवरजी, जबसे मेरी शादी आपके भैया से हुई है, ऐसा लगता है कि जैसे मेरी क़िस्मत ही फूट गई है।’

‘कैसे?’- मैंने कारण जानना चाहा।

‘एक औरत अपने पति से क्या चाहती है… प्यार। लेकिन मेरी किस्मत में तो प्यार है ही नहीं। आपके भैया हमेशा बाहर ही रहते हैं जिस कारण से मेरे प्यार करने की चाह पूरी नहीं हो पाती है। अब आप ही बताइए कि मैं क्या करूँ?’

‘ये आप कैसी बातें कर रहीं हैं?’
‘क्यों, अपने भाई की बुराई सुनी नहीं जाती। अगर ऐसा है तो तुम ही मेरी इच्छा पूरी क्यों नहीं कर देते!’
‘ये आप क्या कह रहीं हैं? कैसी इच्छा पूरी करूँ मैं? मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा।’

भाभी ने तब मुस्कुराते हुए कहा- अच्छा, अभी तो अंजान बन रहे हो, पर चादर में जो अकड़न थी, वो मुझे पता है कि वह कैसे हुआ था। अरे देवरजी अपने लंड का पानी बेकार में क्यों बहा रहे हो? उसे उसकी सही जगह में बहाओ।’

‘अभी तो सही जगह मिली ही नहीं, तो मैं क्या करूँ?’- मैंने तपाक से कहा।

‘चलो, अब मैं आपको सही जगह बता देती हूँ। आप अपना पानी इस चूत में बहाओ’ यह कहते हुए उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर अपनी चूत के ऊपर रख दिया। उसमें से पहले से ही गरम पानी निकल रहा था, जिससे मेरा हाथ गीला हो गया। भाभी ने अन्दर कुछ भी नहीं पहन रखा था।

अब भाभी ने मेरे पैंट की ज़िप खोल दी और मेरे तन्नाए हुए लंड को पकड़ कर बाहर निकाल लिया जो कि साँप की तरह फुँफकार रहा था। उसे उन्होंने तुरन्त अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं। मुझे मजा आने लगा। कुछ ही देर में मेरे लंड ने अपना पानी गिराना चाहा तो मैंने भाभी को कहा कि अपने मुँह से मेरा लंड निकाल दे। लेकिन उन्होंने चूसने की गति और बढ़ा दी, जिससे मेरा पानी उनके मुँह में ही गिर गया, जिसे भाभी ने बड़े चाव से गटक लिया।

उन्होंने अब भी मेरा लंड मुँह से बाहर नहीं निकाला, और चूसती रहीं। कुछ देर में मेरा लंड वापस तैयार हो गया। फिर भाभी ने मुझे खड़ा किया और ख़ुद चारपाई पर चित्त लेट गईं और कहा- अब चोद दो देवरजी। अब मैं पूरी तरह से तैयार हूँ। मेरी चूत की खुजली मिटा दो।’

मैंने अपने लंड को भाभी की चूत की छेद पर रखकर एक क़रारा झटका मारा जिससे मेरा आधा लंड भाभी की चूत को चीरता हुआ अन्दर घुस गया। भाभी चिल्लाई- अअअअआआआआआ… मरी… मेरे… रा…जाआआआ…

मैंने पूछा- ‘क्या हुआ भाभी?’
तो उन्होंने कहा- आज पहली बार, इतना मोटा लंड मेरी चूत में घुसा है, दर्द हो रहा है।’
‘अब क्या करूँ, बाहर निकाल लूँ?’
‘नहीं… मेरी चूचियों को चूसो।’

मैंने ऐसा ही किया। कुछ ही देर में भाभी ने अपनी गांड उछालनी शुरू कर दी। मेरी समझ में आ गया कि अब भाभी तैयार हैं। मैंने अपनी गति बढ़ा दी और तेज़ी के साथ भाभी की चुदाई करने लगा। वह भी नीचे से अपनी गांड उछाल-उछाल कर मेरा साथ देने लगी। मुझे काफ़ी मजा आ रहा था और भाभी भी बड़े मज़े से अपनी चुदाई करवा रहीं थीं।

कुछ देर के बाद भाभी ने अपनी गांड उछालने की रफ़्तार को और बढ़ाया और कहा- ‘अब मैं झड़ने वाली हूँ। और तेज़ देवरजी, और तेज़। आज तो मैं निहाल हो जाना चाहती हूँ… चोदो मेरे मोहना… चोदो… फाड़ दो मेरी चूत को… भुर्त्ता बना दो इस मादरचोद का।’

मैंने अपनी गति और भी बढ़ा दी और फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए। मेरे लंड को भाभी ने अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं तो मैंने पूछा- अब क्यों चूस हो रही हो मेरा लंड?’

‘अभी चुदाई पूरी कहाँ हुई है, अभी तो मेरी गांड भी प्यासी है, उसे कौन मारेगा?’- भाभी ने समझाया।
‘ठीक है, चलो, अब कुतिया बन जाओ, मैं तुम्हारी गांड मारने के लिए तैयार हूँ।’

वह तुरंत कुतिया बन गई और मैं उसके पीछे आ गया और उसकी गांड में पहले थूक लगाई, फिर गांड को फैलाकर अपना लंड उसकी गांड की छेद पर रखकर एक धक्का मारा तो मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी गांड में घुस गया। वह चीख पड़ी, पर मैंने कोई रहम नहीं किया और एक और ज़ोरदार धक्का मार दिया। मेरा लंड पूरा का पूरा जड़ तक उसकी गांड में घुस गया। फिर मैंने तेज़ी के साथ उसकी गांड मारनी शुरु कर दी।

कुछ देर के बाद उसने भी अपनी गांड को आगे-पीछे करना शुरु कर दिया। मैंने करीब 10 मिनट तक उसकी गांड मारी और अपना पानी उसकी गांड के अन्दर ही गिरा दिया, फिर हम एक-दूसरे से लिपटकर सो गए। करीब एक घण्टे के बाद हमारी नींद खुली तो हम तैयार होकर घर की ओर वापस चले आए।

उस दिन के बाद जब भी मुझे मौक़ा मिलता मैं भाभी की ख़ूब चुदाई करता।

आपको यह कहानी कैसी लगी, मुझे ज़रूर मेल कीजिए। Indian Sex Stories

(Kamine Teacher Ne Ki Meri Maa Ki Chudai)मां की चुदाई

मैं आपको एक नई चुदाई कहानी सुनाने जा रही हूँ जो कि बिल्कुल सच्ची कहानी है।
मैं 23 साल की हूँ और सुंदर लड़की हूँ। मेरी कहानी एक माँ और उसके आशिक़ द्वारा एक मासूम लड़की को गंदे कामों में धकेलने की है।
मेरे पापा एक बैंक में काम करते हैं और मेरे पापा की मेरी मम्मी के साथ पटती नहीं है, वे हमेशा देर से घर आते हैं और खाना खा कर सो जाते हैं, मेरी तरफ़ उनका ज़रा भी ध्यान नहीं है।

यह कोई 5 साल पहले की घटना है, तब में 18 साल की थी। मैं बारहवीं में पढ़ रही थी। मैं मैथस में कुछ कमजोर थी तो मम्मी ने मुझे पढ़़ाने के लिए एक मैथ टीचर रखा था, जिस की उम्र क़रीब 28 साल की होगी। वो टीचर देखने में अच्छा था।

पहले ही दिन मम्मी ने उन्हें और मुझे अपने कमरे में बुलाया और हिदायतें देना शुरू कर दी। मम्मी ने मुझ से टीचर के लिए चाय बनाने को कहा और मैं चली गई जब में चाय लेकर आई तब मैंने देखा की मम्मी के कपड़े अस्त व्यस्त थे और टीचर के शर्ट पर मम्मी के लंबे बाल थे। मम्मी का पाऊडर भी उन पर लगा हुआ था।
मैं समझ गई थी कि वे दोनों प्यार कर रहे थे।
मुझे देख कर वे दोनों पहले की तरह ही बैठ गये जैसे कि कुछ हुआ ही ना हो।

टीचर हर रोज शाम के 5 बजे आया करते थे और मुझे पढ़़ाने और समझाने के बहाने इधर उधर हाथ फ़िराया करते थे। मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता था। मगर मैं किससे अपनी बात कहती।

एक दिन टीचर ने मुझे कुछ याद करने को कहा था और मैंने नहीं किया था। बस उन्होंने मेरी गोल चूचियों की चुटकी ली और बोले- तुम कुछ भी पढ़़ती नहीं हो, मैं तेरी मम्मी से बात करूँगा।
इतना कह कर वे रसोई में चले गये जहाँ मम्मी खाना बना रही थी।
उनके आते ही मम्मी ने पूछा- तुम्हारा काम हो गया?
टीचर ने कहा- हाथ ही रखने नहीं देती, चूत क्या देगी। मेरा तो लंड बड़ा हो गया है, उसे शांत करना पड़ेगा।
मम्मी ने कहा- मैं हूँ ना!

इतना कह कर उन्होंने टीचर की पैंट का ज़ीप खोल कर टीचर के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। टीचर का लंड बहुत बड़ा था जिसे देख कर मेरी चूत में चींटियाँ रेंगने लगी। मैं वो दृश्य देख ना सकी और अपने रूम में आ गई।
यह दृश्य मेरे मन में कई दिनों तक छाया रहा और मैं रात भर टीचर का लंड याद कर कर के मैं सो नहीं पाती थी।

कभी अपनी चूचियों को सहलाती तो कभी चूत को… मेरे बुर से पानी झरने लगता था। मैं यह सोचती थी कि लंड को चूसना शायद अच्छा लगता होगा और यदि मैं किसी का लंड चूसती हूँ तो वो मेरी भी बुर चाटे। ये ओरल सेक्स की बातें सोच कर मेरी चूत में खलबली मच जाती थी। मैं भी टीचर का लंड चूसने बेताब हो गई।

एक दिन टीचर बोले- आओ मैं तुम्हें मैथ का ये फारमूला सिखा दूँ!

मैं टीचर के पास बैठ गई और वे बहाने से मेरी चूचियों सहलाते रहे। मुझे यह अच्छा लग रहा था और मैंने अनजाने में अपनी टाँगें फैला दीं। बस उन्होंने अपना हाथ वहाँ रखा और धीरे से मेरे बटन खोलने लगे।

मैंने कहा- मम्मी आ जाएगी, अभी कुछ मत करो!
उसने कहा- चल मेरी जान, तेरी मम्मी भी मुझ से डलवाती है, आ भी जाए तो भी कोई फ़रक नहीं पड़ेगा।
टीचर ने मुझे पूरी नंगी कर दिया और मेरी चूचियों और बुर को चाटने लगे और अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया।

इतना बड़ा लण्ड पाकर मैं ख़ुश हो गई और मज़े से चूसने लगी।

तभी मेरी मम्मी आ गई और ग़ुस्से से लाल होकर बोली- ये तुम दोनों क्या कर रहे हो। ज़रा मुझे भी बताओ?
टीचर ने कहा- मैं तुम्हारी बेटी को तैयार कर रहा हूँ। इसकी चूत बहुत मीठी है इसे तुम भी चाटो।
मेरी मम्मी ने अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया और चाटने लगी। मम्मी का मेरी चूत चाटना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

उधर टीचर ने अपना पूरा लंड मेरी मम्मी की चूत में घुसा दिया और फिर उसने मुझे जी भर के चाटना शुरू किया। मम्मी के साथ चुदाई का यह खेल मुझे नर्वस कर रहा था। मगर मन में यह बात भी थी कि मेरी अपनी मम्मी ने मुझे सेक्स की सारी चीज़ें सिखाईं।

मख़मली रातें (Velvet Nights) – अध्याय 1: चांदनी की सरगोशियाँ रात का सन्नाटा खिड़की से भीतर रिस रहा था। चांद की हल्की दूधिया रोशनी, रेशमी परदों से छनकर बिस्तर पर गिर रही थी। कमरे में सजे हुए मोमबत्तियों की लौ, दीवारों पर थिरक रही थी – जैसे कोई अदृश्य नृत्य हो रहा हो। सिया ने मख़मली रॉब उतार कर धीरे से पलंग के कोने पर रखा। उसके बदन पर अब बस रेशमी नाइटी थी, जो उसकी साँसों की तरह हल्की थी। दरवाज़ा धीरे से खुला और आदित्य भीतर आया – उसकी आँखों में वही भूख थी, जो कई रातों से अधूरी थी। "इतनी रात को, बिना कुछ कहे बुला लिया तुमने," आदित्य की आवाज़ धीमी मगर गूंजदार थी। सिया मुस्कुराई, "कुछ बातें शब्दों से नहीं, छुअन से कही जाती हैं।" वो पास आया, और उसके हाथ की उंगलियाँ सिया की खुली पीठ पर रेंगने लगीं — धीरे-धीरे, जैसे कोई पुराना राग छेड़ रहा हो। सिया की साँसें तेज़ होने लगीं, लेकिन उसकी नज़रें अब भी आदित्य की आँखों से बंधी थीं। मोमबत्तियों की लौ अब और भी नर्म हो गई थी... और उस कमरे में अब बस उनकी साँसों की गर्मी, और मख़मली रात का सूनापन था। ---

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